मेरी सलहज मेरे लंड की दीवानी- 2

मेरी सलहज मेरे लंड की दीवानी- 2

पंजाबी गांड की चुदाई की मैंने. मेरी सलहज एक बार मुझसे चुदी तो उसे मेरे लंड की आदत हो गयी. एक बार दिल्ली के एक होटल में उसने गांड कैसे मरवायी?

दोस्तो, कैसे हो आप सभी? उम्मीद करता हूं आप सभी स्वस्थ होंगे और चुदाई का मज़ा ले रहे होंगे।
मैं हरजिंदर सिंह रोपड़ पंजाब से एक बार फिर आप सभी का स्वागत करता हूं।

पंजाबन की चूत गांड चुदाई कहानी के पिछले भाग
साले की बीवी से चूत मांग ली तो …
में आपने जाना कि कैसे मैंने अपनी सलहज हरदीप की पहली चुदाई उसी के घर में की। उसके बाद वो मुझसे खुल गयी. फिर मेरे साले का वीजा लग गया और उसको विदेश जाना पड़ा।

मेरे साले के जाने के बाद मैंने हरदीप को संभाला और कुछ समय बाद हम पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास एक होटल में चले गए।

अब आगे पंजाबी गांड की चुदाई कहानी :

मैंने हरदीप के बोलने पर एक रूम बुक करवा दिया। मैं और हरदीप कमरे में चले गए।

मैंने हरदीप को पकड़ा और उसको किस करने की कोशिश की।
वो बोली- पूरी रात हम अकेले रुकने वाले हैं इसलिए इतनी जल्दबाज़ी ठीक नहीं।

रात के आठ बज चुके थे। हरदीप बाथरूम में नहाने चली गई और मैं टीवी देखने लगा।

हरदीप के नहाकर वापस लौटने के बाद मैं भी नहा लिया।
अब हरदीप बोली- चलो कहीं घूमने चलते हैं।

हरदीप के बोलने पर हम घूमने आ गए।
तब उसने मुझे बोला- मुझे पिज़्ज़ा खाना है।

हम पिज्जा शॉप में चले गए और वहां हमने पिज़्ज़ा खाया।

रात के दस बजने वाले थे. मैंने हरदीप को बोला कि चलो यार अभी कमरे में चलते हैं।
हरदीप और मैं दोनों कमरे में आ गए।

कमरे में आते ही मैंने हरदीप को पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। मैं उसके होंठों का रस चूसने लगा।
वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी क्योंकि आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी.

कब हमारे कपड़े हमारे जिस्म से अलग हो गए हमें पता ही नहीं लगा। वो मेरी शर्ट-पैंट और बनियान उतार चुकी थी और मैंने उसकी सलवार और कमीज उतार दी थी।

मैं उससे थोड़ा पीछे हटकर उसके खूबसूरत बदन को निहारने लगा।
वो बोली- क्या देख रहे हो?
मैंने उसको बोला- तुम्हारी खूबसूरती को निहार रहा हूं।
वो बोली- ऐसे नहीं देखो, मुझे शर्म आ रही है।

मैंने उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचा और कसकर बांहों में भर लिया।
उसने भी अपनी बांहें मेरे गले में डाल दीं।

मैंने अपने होंठ उसके गले पर रख दिये और उसकी गर्दन पर यहां वहां चूमने लगा।

वो मस्ती में आकर मुझसे लिपटने लगी। उसकी गर्म सांसें मुझे और ज्यादा उतेजित कर रही थीं।

मैंने हाथ से उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया। वो अलग हुई और उसने ब्रा को निकाल दिया।

मैं उसको पकड़कर बेड पर ले आया और वो बेड पर लेट गई। मैं भी उसके ऊपर लेट गया और उसके कबूतरों को मुंह में लेकर चूसने लगा।
वो भी अपने हाथ से पकड़ कर अपने निप्पल को मेरे मुंह में डाल रही थी।

उसके मुंह से आआह … आआह … की आवाज़ें निकलने लगीं।
मेरा लन्ड अंडरवियर में पूरा टाइट हो चुका था।

मैंने हरदीप के दोनों कबूतरों को बदल बदल कर तब तक चूसा जब तक कि वो पूरी तरह लाल नहीं हो गए।

अब हरदीप बोली- मेरे ऊपर से हटो।
मैं उसके ऊपर से उठ गया. हम दोनों खड़े हो गए और मैंने उसकी पैंटी और उसने मेरी अंडरवियर उतार दी। हम दोनों जन्मजात नंगे हो गए थे। तभी उसने मुझे लेटने को बोला।

उसके बोलते ही मैं लेट गया। वो मेरी टांगों के बीच में बैठ गई। उसने मेरा लन्ड हाथ से पकड़ा और हाथ से हिलाने लगी। वो कभी मेरा लन्ड पकड़ लेती तो कभी मेरे अंडकोषों को सहलाने लगती।

पांच मिनट बाद उसने लन्ड के सुपाड़े को मुंह में भर लिया और अपनी जीभ सुपारे के इर्द-गिर्द घुमाने लगी।
आनंद से मेरी आंखें बंद हो गई थीं।

हरदीप ने लन्ड को पूरा मुंह में भर लिया और चूसने लगी।
वो किसी प्रफेशनल रंडी की तरह लन्ड चूस रही थी।
उसने लन्ड को तब तक मुंह से नहीं निकाला जब तक कि लन्ड ने वीर्य नहीं उगल दिया।
वो पूरा वीर्य निगल गई।

उसने लन्ड मुंह से निकाल दिया और मेरे बगल में लेट गई।

अब मैं उठ कर उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसकी चूत को हाथ से फैलाकर अपना मुंह उसकी चूत के दाने पर रख दिया।

मैं अपनी जीभ से उसके दाने को सहलाने लगा। उसने अपनी टाँगें फैला दीं और मेरा सिर पकड़ कर चूत पर दबाने लगी।

मैंने उसकी चूत को दस मिनट तक अच्छे से चाटा।
उसकी चूत ने दस मिनट में ही पानी छोड़ दिया।
मैंने उसकी चूत को अच्छे से चाटकर साफ कर दिया।
मैं भी उसके बगल में ही लेट गया।

हरदीप मेरे लन्ड को हाथ से पकड़कर सहलाने लगी।
उसके नर्म हाथों के स्पर्श से लन्ड 90 डिग्री पर खड़ा हो गया।
वो उठी और उसने मुझे बोला- आज मैं आपको सरप्राइज दूंगी।

मैं सोच में पड़ गया कि लन्ड चूत में जाने को बेताब है और यह कौन सा सरप्राइज लेकर बैठ गई है?
उसने मुझे बोला- मैं आपकी आंखों को कपड़े से बांध देती हूं।

उसको मैंने कहा- पहले मुझे एक बार चुदाई करने दो, उसके बाद मैं तुम्हारा सरप्राइज देखूंगा।
वो नहीं मानी और उसने मेरी आँखों पर अपना दुपट्टा बांध दिया।

अब वो बोली- आप लेट जाओ।
उसके बोलने से मैं लेट गया।

उसने लन्ड को हाथ में पकड़ा और हिलाने लगी।
लन्ड पूरा टाइट हो गया। अब मुझे कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा था मगर मैं उसकी हरकतों को महसूस कर रहा था।

वो मेरी दोनों साइड में अपनी टांगें रखकर बैठ गई। उसने लन्ड को पकड़ कर सीधा किया और बैठने लगी।

लन्ड का सुपारा उसके अंदर जाते समय मैंने नोट किया कि लन्ड बहुत ही टाइट छेद में घुसा है जैसे कि किसी कुंवारी लड़की की सीलपैक चूत में घुसा हो।

अब वो धीरे धीरे नीचे बैठने लगी और लन्ड को पूरा अपने अंदर ले गई।
मैंने उसकी गांड की गोलाइयों को महसूस किया और मैं समझ गया कि उसने लन्ड को अपनी पंजाबी गांड में ले रखा है।

अब उसने मेरी आँखों से पट्टी हटा दी।

मैंने थोड़ा ऊपर होकर देखा तो उसने पूरा लन्ड अपनी गांड में ले रखा था।
मैंने हरदीप को पूछा- यह क्या है? तुमने अपनी चूत में लन्ड क्यों नहीं लिया है?

वो बोली- इसकी कहानी मैं आपको बाद में बताऊंगी, पहले मुझे अपनी चुदास को ठंडी करने दो।
इतना बोलकर वो लन्ड पर कूदने लगी।

वो आह्ह … आह्ह की आवाज़ों के साथ फुल स्पीड और पूरे जोश के साथ लन्ड पर ऊपर नीचे होने लगी।
उसका जोश देखकर लग रहा था कि उसकी गांड में बहुत ज्यादा खुजली हो रही है।

हरदीप तब तक बिना रुके लन्ड पर ऊपर नीचे होती रही जब तक कि लन्ड ने उसकी गांड को वीर्य से भर नहीं दिया।
गांड में वीर्य गिरने पर उसको एक अजीब सी खुशी मिली।

वो उठी और लन्ड को मुंह में भरकर चूसने लगी। उसने इस बात की जरा भी परवाह नहीं की कि लन्ड उसकी गांड में घुसा हुआ था।
उसने लन्ड को पांच मिनट तक चूसा और चाटकर साफ कर दिया।

अब वो उठी और बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर वापिस आ गई। वो मेरे बगल में लेट गई। मैंने उसको किस की और उसके कबूतरों को हाथ में लेकर खेलने लगा।

हरदीप फिर से गर्म होने लगी।
वो बोली- नींद आ रही है, अभी सो जाते हैं।

सफर की थकावट और इस जबरदस्त चुदाई से मैं भी थक चुका था।
रात के 11:30 बज चुके थे। मुझे भी नींद आ रही थी।

मैं और हरदीप एक दूसरे की बांहों में बाहें डालकर नंगे ही सो गए।

सुबह के साढ़े चार बजे मुझे लन्ड पर कुछ हलचल महसूस हुई।
मैंने अपनी आंखें खोलीं और देखा कि हरदीप ने मेरे लन्ड को मुंह में लिया हुआ था और हाथों से मेरी गोलियों को सहला रही थी।

उसके नर्म हाथ और उसके कोमल होंठों के स्पर्श से लन्ड 90° पर तन गया।
वो प्रोफेशनल रंडी की तरह लन्ड चूस रही थी।

मैंने उसके सिर को पकड़ा और लन्ड की तरफ दबा कर नीचे से धक्का दे दिया।
ऐसा करने से मेरा लन्ड उसके गले में फंस गया।

मैंने दो मिनट तक उसके सिर को लन्ड पर दबाकर रखा।
उसको सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। वो मुझे अपने नर्म हाथों से यहाँ वहां मारने लगी।

मैंने उसके सिर पर से हाथ हटाया. उसने अपने मुंह से मेरा लन्ड निकाल दिया और मेरे ऊपर लेटकर मुझे किस की और गुड मॉर्निंग बोला।
मैंने भी उसके होंठों पर एक जबरदस्त चुम्बन दिया और उसको गुड मॉर्निंग बोला।

हरदीप बोली- आपकी रंडी गुलाम आपकी सेवा में हाज़िर है। आप जैसे चाहो मेरा यूज़ कर सकते हो।
मैं उसको पकड़ कर उसके होंठों को चूमने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी।

अब हम दोनों गर्म हो चुके थे। हमने लगभग पंद्रह मिनट तक एक दूसरे को अच्छी तरह से चूमा।
हरदीप भी भूखी शेरनी की तरह मुझसे लिपट रही थी।

मेरा लन्ड कंट्रोल से बाहर हो रहा था। मैं हरदीप के ऊपर आया और उसकी टाँगें फोल्ड करके अपने कंधों पर रख लीं। इस तरह पकड़ने से हरदीप की चूत ऊपर उठ गई और उसका मुंह थोड़ा खुल गया।

बिना देरी किये मैंने हरदीप की चूत में लन्ड धकेल दिया और उसको धक्कापेल चोदने लगा।
हरदीप के मुंह से आह्ह … आह की आवाज़ें निकलने लगीं।

वो मुझे जोर से बांहों में कसकर यहां वहां चूम रही थी। मैं भी फुल स्पीड में उसको चोद रहा था।

दस मिनट बाद मैंने लन्ड उसकी चूत से निकाल लिया और उसको लन्ड के ऊपर बैठ कर चुदने को बोला।

मैं बैड पर लेट गया और वो उठकर मेरी बगल में अपनी टांगें रखकर लन्ड पर बैठ गई।
उसकी गांड की चोटियां मेरे अंडकोषों को दबा रही थीं।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

वो पूरी मस्ती और फुल स्पीड में लन्ड पर उछल-कूद रही थी। उसकी आंखें बंद थीं और वो बड़बड़ा रही थी।

वो बोल रही थी- मेरे पति तो चले गए हैं। अब आपको ही मेरी चूत का खयाल रखना पडेग़ा। मैं आप की रंडी हूं … आप जब चाहो मुझे चोद सकते हो … आह्ह … चुदना है मुझे … बस मुझे इस तरह ही चोदते रहना। मैं आपकी दासी बनकर रहूंगी।

उसका इस तरह बोलना मेरे अंदर और ज्यादा उतेजना भर रहा था।

हरदीप और मैं दोनों पसीने से बुरी तरह भीग चुके थे। हरदीप के गालों का रंग टमाटर जैसा लाल हो गया था। उसकी सांसें फूल रही थीं।

वो बोली- मैं घोड़ी की तरह बैठती हूँ और आप पीछे से मुझे चोदो।
और वो घोड़ी की तरह बैठ गई और मैं उसके पीछे आ गया।

मैंने पीछे से लन्ड उसकी चूत में डाला और उसको चोदने लगा। वो भी अपनी गांड पीछे धकेलकर मेरा साथ देने लगी।
वो चुदाई के मामले में किसी प्रोफेशनल रंडी से कम नहीं थी।

मेरी सलहज मुझे औऱ जोर से चोदने के लिए उकसा रही थी।
मैंने उसकी कमर को पकड़ा और पूरे जोश के साथ झटके लगाने लगा।
अब वो दर्द से कराहने लगी।

हम दोनों पसीने से भीग चुके थे।
मुझे उसको चोदते हुए 25 मिनट से ज्यादा हो चुके थे। मेरे लन्ड का सुपारा फूल गया था और वो किसी भी समय वीर्य छोड़ सकता था।

चूंकि हम बिना किसी प्रोटेक्शन के सेक्स कर रहे थे तो मैंने हरदीप को पूछा- मेरा होने वाला है, कहां गिराऊं?
वो बोली- मैं भी झड़ने वाली हूं. मेरी चूत में ही गिराओ और मेरी चूत को वीर्य से भर दो। मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूं।

मैंने आठ दस झटके जोर से लगाये और मेरे लन्ड ने हरदीप की चूत में वीर्य गिरा दिया।
हरदीप की चूत ने भी पानी छोड़ दिया।

मैंने लन्ड को दो मिनट तक उसकी चूत में रखा।

दो मिनट बाद मैंने लन्ड उसकी चूत से निकाल लिया और बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गया।

मैंने बाथरूम से आने के बाद टाइम देखा तो 6 बजने वाले थे।

हरदीप बाथरूम में चली गई.
आधे घंटे बाद फ्रेश होकर वो वापस आ गई।

सुबह चाय नाश्ते के बाद हम लोग बाजार चले गए और हरदीप ने कुछ शॉपिंग की।

शॉपिंग के बाद हम वापस कमरे में आ गए।
वहां हमने एक और बार जमकर चुदाई की।

शाम के चार बजे हम दिल्ली से वापस लौट आये। चंडीगढ़ पहुंचते हुए हमें रात के साढ़े नौ हो चुके थे। हमने एक अच्छे होटल में खाना खाया।

खाना खाने के बाद मैंने हरदीप को बोला कि मुझे तुमको एक बार और चोदना है।
हरदीप बोली- आपकी रंडी आपके लन्ड की सेवा में हर समय हाज़िर है।

मैंने एक फाइव स्टार होटल में रूम बुक करवाया। मैं और हरदीप उस कमरे में चले गए।

कमरे में जाते ही मैंने हरदीप के कपड़े उतार दिए; हरदीप ने भी मेरे कपड़े उतार दिए।

हम दोनों बेड पर लेट गए और एक दूसरे को चूमने लगे।

दो मिनट में ही हरदीप पूरी तरह से गर्म हो गई; उसकी आंखें किसी शराबी की तरह लाल हो गईं।

मैंने उसको लन्ड चूसने के लिए बोला। वो उठी और मेरा लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगी।
आनंद के मारे मेरी आँखें बंद हो गईं।

वो सुपारे के इर्द गिर्द अपनी जीभ घुमाकर लन्ड को अच्छे से चूस रही थी।

धीरे से अब मैंने उसकी चुत में अपनी उंगली डाल दी और आगे पीछे चलाने लगा।

पांच मिनट लन्ड चूसने के बाद हरदीप चोदने के लिए बोलने लगी.

उसको बेड पर लेटाकर मैं उसके ऊपर आ गया और उसकी चूत में लन्ड डाल दिया।
उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया।

मैं अपनी कमर आगे पीछे चलाने लगा।
वो भी फुल मस्ती में गांड उचका उचकाकर चुदवाने लगी।

पांच मिनट बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो निढाल सी होकर लेट गई।
मैंने झटके लगाने बन्द कर दिए और उसको यहां वहां चूमने लगा।

वो बोली- कल रात और आज दिन की चुदाई की वजह से चूत में दर्द होने लगा है। अब और नहीं चुदवा सकती।
मैंने उसको बोला- मेरा तो अभी हुआ नहीं है, मैं क्या करूँ?

हरदीप बोली- मैं मुंह से आपका निकाल देती हूं।
मैंने उसको बोला- मुझे तुम्हारी गांड मारनी है।
वो बोली- मैं डॉगी स्टाइल में आ जाती हूं. आप पीछे से मेरी गांड मारो।

हरदीप डॉगी स्टाइल में हो गई और मैं उसके पीछे आ गया।
मैंने लन्ड को उसकी पंजाबी गांड पर रखकर सुपारा उसकी गांड में डाल दिया।

उसकी कमर को पकड़ा मैंने और झटके के साथ पूरा लन्ड उसकी गांड की गहराई में उतार दिया।

उसके मुंह से चीख निकल गई। मैंने ताबड़तोड़ झटके लगाने चालू कर दिए।
वो भी गांड पीछे धकेल कर मेरा साथ देने लगी।

मैंने उसकी गांड को पंद्रह मिनट तक पूरे जोर से चोदा और उसकी पंजाबी गांड को वीर्य से भर दिया।

इस जबरदस्त चुदाई के बाद हम रात को साढ़े दस बजे चंडीगड़ से रोपड़ के लिए चल पड़े।

चंडीगड़ से निकलने के बाद हरदीप लन्ड को पैंट के ऊपर से ही हाथ से सहलाने लगी।

मैंने गाड़ी रोड की साइड में रोकी और अपनी पैंट निकाल दी।
अब मैं केवल अंडरवियर पहने हुए था। मैंने गाड़ी चालू की और हरदीप ने अपनी हरकतें।

अब वो मेरी अंडरवियर के अंदर अपना हाथ डालकर लन्ड को सहलाने लगी। लन्ड उसके नर्म हाथों के स्पर्श से पूरी तरह तन गया।

मैं कार ड्राइव कर रहा था और वो मेरे लन्ड के साथ खेल रही थी।

उसने मेरी अंडरवियर नीचे सरका दी। अब वो झुककर मेरा लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगी।
उसने अच्छे से मेरे लन्ड को चूसा।

लगभग बीस मिनट बाद मेरे लन्ड से वीर्य की कुछ बूंदें निकलीं जिनको हरदीप ने निगल लिया।

उसने अच्छे से मेरे लन्ड को चाट कर साफ कर दिया। मैंने रोड के साइड में गाड़ी रोकी और अपनी पैंट पहन ली।

पंद्रह मिनट की ड्राइविंग के बाद हम मेरे ससुराल पहुंच गए।

लम्बी ड्राइविंग और हरदीप के साथ जबरदस्त चुदाई के कारण मैं बहुत ज्यादा थक चुका था।

मैं घर पहुंचते ही सो गया। उसके बाद मेरा जब भी मन करता है मैं हरदीप की चुदाई कर लेता हूं।

वो भी हफ्ते दस दिन में मुझे बुला लेती है और हम जमकर चुदाई का खेल खेलते हैं। हरदीप ने मुझसे अपनी दो छोटी बहनों की भी चुदाई करवा दी है।

हरदीप ने एक और लड़की, जो कि मेरे ससुराल के पड़ोस में ही रहती है, को भी मुझसे चुदवा दिया है। यह कहानियां कुछ समय के बाद मैं आपके साथ शेयर करूँगा।

इसके अलावा हरदीप के अतीत की कहानी भी आपके साथ शेयर करूँगा। आप लोग मुझे इस पंजाबी गांड की चुदाई कहानी के बारे में बताना कि आपको यह स्टोरी कैसी लगी?

आप मुझे मेरी ईमेल पर मैसेज जरूर करें और कहानी पर कमेंट करना भी न भूलें.
मेरी ई-मेल आईडी है
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