जाटणी के यार से अपनी चूत की प्यास बुझवाई

जाटणी के यार से अपनी चूत की प्यास बुझवाई

मेरे प्यारे दोस्तो, एक बार फिर से मैं भावना मेघवाल, राजस्थान से अपनी कहानी का अगला भाग लेकर अन्तर्वासना की इस सेक्स सभा में प्रस्तुत हुई हूँ।
मेरी पिछली लेस्बियन सेक्स की कहानी
जाटणी के साथ पहला लेस्बियन अनुभव
में आपने पढ़ा कि कैसे मैं और मेरी परम सखी सपना होटल के एक कमरे में लेस्बीयन सेक्स का मजा लेते हुए झड़ गई।
मेरी इस कहानी पर काफी सारे पाठकों ने मुझे मेल करके अपने विचार मुझ तक पहुंचाए, उन सब पाठकों का धन्यवाद।

लेकिन कहते हैं ना जिसका काम उसी को साजे और करें तो ठेंगा बाजे!
लंड का काम जुबान से कहां होता है? मेरी चूत लंकड के लिए मचलने लगी, मैं सपना से बोली- यार सपना, मुझे तो कोई लंड चाहिए… किसी भी कीमत पर। प्लीज कुछ कर यार, नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगी।

सपना बोली- क्यों? तेरी दलित चूत को राजपूत लंड दिलवाऊं क्या? मैंने अपने दादाजी से सुना था कि कैसे पहले राजस्थान के गांवों में ठाकुर लोग दलितों की शादी होने पर दुल्हन को पहली रात हवेली में रखते थे और बाद में ही दूल्हे को सौंपते थे।
एक राजपूत के हाथों मसले जाने के ख्याल से ही मैं रोमांचित हो गई। मैंने तुरंत सपना को हां कह दिया।

सपना ने अपना मोबाइल फोन निकाला और होटल के मालिक व अपने दोस्त रणधीर को कॉल किया, रणधीर ने कहा- सपना यार… मैं अभी थोड़ा मीटिंग में बिजी हूं, 15-20 मिनट में पहुंचता हूं तुम्हारे रूम में!

तब तक हम दोनों सहेलियों ने बाथरूम में जाकर शॉवर ले लिया और तौलिए से एक दूसरे के जिस्म को पौंछ लिया।

जब रणधीर हमारे कमरे में आए तो उनके हाथ में दो बोतलें बीयर थी। मैं और सपना नंगी ही थी। सपना ने एक बोतल ली और तीन बड़े से पैग बनाए।
इसी दौरान मैं बन्ना (रणधीर) से लिपट गयी और अंडरवियर छोड़ उनके बाकी कपड़े उतार दिए।

हम तीनों बीयर पीते हुए बात करने लगे। सपना बोली- बन्ना, आज यह माल चुदने को तैयार है, इसको चूत में अपना मोटा लंड दे दो।
मुझे उसकी बात सुनकर हंसी आ रही थी।

रणधीर ने बड़ी आसानी से मुझे अपनी बांहों में उठा लिया। उसके बायसेप्स और चौड़े सीने के आगे मैं गुड़िया सी लग रही थी। उसकी छाती पर बहुत सारे बाल थे। उसने मेरे होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं एक राजपूत मर्द की बाहों में मदहोश होने लगी थी। अब मुझे समझ में आया कि क्यों दलित सदियों तक राजपूतों की दबंगई के सामने बेबस थे।

हमारी चुम्मा चाटी चल ही रही थी कि सपना ने दूसरी बोतल से 3 और पैग बना दिए और हम उसे भी गटक गए। मैं रणधीर की बाहों में, उनकी गोद में बैठी थी। उनका लंड मेरी चूत पर चुभ रहा था।
तभी सपना ने वह किया जिसकी मुझे कल्पना भी नहीं थी… वह मेरे पीछे से आकर अपने चूचे मेरी पीठ पर रगड़ने लगी।

अब मेरे चूचे रणधीर बन्ना की चौड़ी छाती से रगड़ खा रहे थे, मैं सैंडविच बन चुकी थी।
सपना ने मेरी पीठ से मेरे बालों को साइड में किया और मेरी गर्दन पर अपनी गर्म सांसें छोड़नी शुरू कर दी, वह मेरी पीठ पर सॉफ्ट किस करने लगी, मैं कामुकता से पागल सी होने लगी और उछलने लगी।

नीचे से रणधीर बन्ना का मूसल मेरी चूत में ठोकर मार रहा था। ऐसा लगा जैसे मैं बिना चुदवाए ही झड़ जाऊंगी।

लेकिन तभी बन्ना ने मेरे होठों को छोड़कर मेरे चूतड़ों के नीचे हाथ डाला और मुझे ऊपर उठाते हुए मेरे चूचों को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया। मेरी चुचियों के ऊपर खड़े हो रहे निप्पल को वे अपने दांतों से काट रहे थे। मैं तड़प रही थी और मुझसे अपना कामुक जिस्म भी नहीं संभाले जा रहा था।

लेकिन पीछे से मेरी सखी सपना ने मुझे सहारा दिया, वह मेरी चूत का दाना अपने हाथ से रगड़ने लगी। मेरे मुंह से आवाज निकली- बन्ना प्लीज चोद दो मुझे! मैं अब और सहन नहीं कर सकती। इस भीम दीवानी की चूत में अपना राजपूती लंड पेल दो।
बन्ना मेरी बात सुन कर हंसने लगे और उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। उन्होंने सपना को मेरी चूत चाटने को बोला और खुद सपना की चूत चाटने लगे।

मैं सीधी लेटी हुई सपना से अपनी चूत चटवा रही थी और सपना घोड़ी बनकर पीछे से अपन बन्ना से अपनी चूत चटवा रही थी।

थोड़ी देर में सपना ने पीछे की ओर मुड़कर कहा- बन्ना, इसकी फूलन आपके छोटे ठाकुर के लिए तैयार है।
तभी बन्ना ने अपनी अंडरवियर भी हटा दी तो मैं उनका लिंग देख कर भौंचक्की सी रह गई। उनका लिंग नौ इंच लंबा और 3 इंच मोटा तो था ही, जबकि मैंने आज तक जितने भी लंड लिए थे, वे 4 से 5 इंच लंबे और डेढ़ से 2 इंच मोटे थे। बन्ना के लंड का का सुपारा किसी बड़े आलू जैसा था।

उन्होंने अपना मूसल मेरी ओखली पर रखा और सपना को मेरी चूची चूसने को बोला। सपना मेरा एक स्तन मसलते हुए दूसरा अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। रणधीर बन्ना अपना सुपारा मेरी चूत के छेद से लेकर अंगूर दाने तक लंबवत रगड़ने लगे।
मैं वासना की मारी जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी, मेरे से और इंतजार नहीं हो सकता था, मैंने अपनी गांड को थोड़ा ऊपर धक्का दिया और सुपारा अंदर लेने की कोशिश की।

बन्ना हंसने लगे और मेरी हालत पर तरस खाकर उन्होंने अपने लंड का थोड़ा सा सुपारा मेरी गीली चूत अंदर की ओर धकेल दिया। मैंने आह के साथ अपनी सांस छोड़ते हुए खुद को रिलैक्स किया। तभी बन्ना ने एक जोरदार झटका दिया और अपना 3 इंच लंड मेरी गर्म चूत में घुसा दिया।

मुझे ऐसे लगा जैसे उन्होंने मेरी चूत में तलवार घुसेड़ दी हो। मेरे मुंह से आवाज भी नहीं निकल पाई कि तभी उन्होंने दूसरे झटके के साथ 6 इंच अंदर घुसा दिया। उसके बाद उन्होंने सपना को दूर किया और मेरे ऊपर लेटते हुए मेरे होंठ चूसने लगे।

अब उन्होंने धीमी रफ्तार के साथ मेरी चूत की चुदाई शुरू कर दी, हर झटके के साथ लंड और अंदर और अन्दर जाने लगा। सपना उनकी पीठ और सख्त नितंबों पर हाथ फेर कर और तेज चुदाई के लिए उकसाने लगी जिससे जोश में आकर बन्ना ने अपनी स्पीड तेज कर दी।

तेज झटकों के साथ जैसे ही उनका पूरा लंड मेरे अंदर गया, मुझे ऐसे लगा जैसे उनका सुपारा मेरे गर्भाशय में चला गया हो।

मैं मस्ती से कांपने लगी… इतना अधिक मजा मुझे अब से पहले कभी नहीं आया था। सपना मेरे बालों में हाथ फिरा कर मुझे संभालने लगी। मुझे अब सपना बहुत अच्छी लग रही थी। बन्ना काफी देर तक हाई स्पीड से मेरी चुत चुदाई करते रहे और फिर किसी भैंसे की तरह आवाज करते हो उन्होंने मुझे कमर के पीछे हाथ डाल थोड़ा ऊपर उठा दिया और ताबड़तोड़ धक्के मारकर अपना गर्म गर्म वीर्य मेरे गर्भाशय में छोड़ दिया।

अब तक मैं पस्त हो चुकी थी, उनके आखिरी झटकों से मेरा भी बांध टूट चुका था, मैं भरभराकर झड़ते समय उनसे कस गई थी और अपने नाखून उनकी की पीठ पर गड़ा दिए थे। मेरी सांसें नॉर्मल होने में काफी समय लगा और मैं पसीने से नहा चुकी थी।

सपना ने अपनी एक चूची मेरे मुंह में दे दी और मेरे बालों में उंगलियां चलाने लगी।
मैं बोली- थैंक यू सपना यार!
मेरी सहेली सपना बोली- यार मजा करने के लिए ही तो इनको बुलाया था।

वो बोली- यार, तुम्हारी चुत चुदाई देख कर मेरी क्या हालत हुई है, देख जरा… मेरी चूत कैसे पानी चुद रही है… मुझे भी अब चुदवाना है।

मैंने भी सपना को उसकी गर्दन, चूची और चूत चूस कर तैयार किया और बन्ना का लंड चूस कर अपनी सहेली के लिए तैयार किया। फिर सपना को घोड़ी बनाकर बन्ना का लंड उसकी चूत के छेद पर लगाया और बन्ना को धक्का देने को बोला।

मैं उन दोनों की चुदाई देखकर काफी गर्म हो गई और सपना के नीचे घुस कर उसकी चूची चूसने लगी और कभी उसकी चूत के दाने पर रगड़ने लगी।
20 मिनट तक लगातार एक ही आसन में चुदाई के बाद सपना की टांगें दुखने लगी। वह उल्टी लेट गई, बन्ना ने अपना लंड उसकी चूत में डाला और उसके ऊपर लेट कर केवल अपनी कमर को कुदा कुदा कर उस की जबरदस्त चुदाई करने लगे।

10 मिनट बाद सपना झड़ गई लेकिन बन्ना अभी तक झड़े नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपना चिकना लंड सपना की चूत से निकाला और उसकी गांड में डाल दिया। मैं समझ गई कि सपना आज से पहले भी गांड मरवा चुकी है।
5 मिनट तक गांड चोदने के बाद बन्ना ने अपना वीर्य सपना की गांड में छोड़ दिया, वे दूसरी तरफ लेट गए।

तभी मैं सपना के ऊपर उल्टी लेट गई और कान में बोली- यार बहुत मजा आया! थैंक यू यार! लेकिन यार प्लीज अगली बार के लिए एक और लौड़ा तलाश ले ताकि हम दोनों सहेलियां एक साथ मजे ले सकें और बारी का इंतजार ना करना पड़े।
सपना ने बोला- ठीक है मेरी प्यारी सखी… तू जरा भी चिंता मत कर… अगली बार मैं अपने भाई रामनिवास को बुला लूंगी!

तो मेरे प्रिय दोस्तो, यह थी मेरी और मेरी सखी की उसके यार के साथ चूत चुदाई की थ्रीसम कहानी।
आप सब को मेरी चुदाई कैसी लगी, मुझे इमेल करके जरूर जरूर बताएं!

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