सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार! मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ काफी लम्बे समय से पढ़ रहा हूं। आशा है कि आप भी इन कहानियों को पढ़कर मज़ा ले रहे होंगे. मेरा मानना है कि हमें जवानी का मज़ा तो लेना ही चाहिए. अगर जवानी में मज़ा न हो तो फिर वह जवानी किसी काम की नहीं होती है.
अपने बारे में कुछ बता देता हूँ। मेरा नाम राज है, मैं जलगांव का रहने वाला हूँ और बचपन से ही चुदाई का दीवाना हूँ. चूत चाहे किसी भी हो, काली हो या गोरी हो, बस उसकी चुदाई में मज़ा आना चाहिए.
अब ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए हम अपनी मनोरंजक कहानी शुरू करते हैं. दोस्तो, मैं आपको बता दूं कि मेरी लेडीज़ गार्मेंट की एक शॉप है. उस शॉप का मालिक तो मैं ही हूँ लेकिन शॉप में मेरे साथ ही एक औरत भी काम करती है. उसकी उम्र लगभग 35 साल के आस-पास होगी. उसका नाम सरिता है. वह दिखने में अच्छी है, गर्दाया हुआ जिस्म है, या यूं कहें कि किसी का भी लंड खड़ा कर सकती है. जब वह चलती है तो उसके मटकते नितंब कयामत बनकर कहर ढहा देते हैं.
मैं उसके बारे में सब कुछ जानता हूँ. उसके घर-परिवार के बारे में भी जानता हूँ। उसकी शादी तो हो चुकी है और उसके पति भी बहुत बड़े आशिक हैं. मगर आशिक उस औरत के नहीं बल्कि के शराब के हैं. अपनी पत्नी को गालियों के सिवा कभी कुछ नहीं देते.
मैं बहुत दिनों से सरिता को चोदने की फिराक में था क्योंकि मुझे पता था कि लंड की प्यास तो उसे भी होगी. अब जब पति अपना लंड नहीं देता है तो चूत को लंड कहां से मिले. मगर अभी मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं आई थी कि मैं सरिता पर हावी हो जाऊं और उसको जबरदस्ती पकड़ कर चोद दूं। मुझे अभी थोड़ी और हिम्मत की ज़रूरत थी.
फिर एक दिन यूं हुआ कि सरिता अपना फोन दुकान पर ही भूल गई. वह अपने घर खाना खाने के लिए गयी थी. मैंने मौका देखकर उसके फोन की चेकिंग शुरू कर दी. खोजबीन में पता लगा कि वह भी अन्तर्वासना की शौकीन है. उसके फोन में बहुत सारी पॉर्न मूवी भरी हुई थी. अब मेरा मनोबल भी थोड़ा बढ़ गया था क्योंकि यह सब देखने के बाद मैं भी आश्वस्त हो गया था कि मुझे अपने मकसद में कामयाबी पाने के लिए ज्यादा मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है.
मैं कई बार नोटिस करता था कि सरिता किसी लेडी से सेक्सी बातें करती थी. मगर वह किससे बातें करती थी उस बारे में मुझे पता नहीं चल पाया था. इधर मैं भी उसको चोदने का जुगाड़ सोचने लगा.
जब उसके फोन में जांच-तलाश करने में लगा हुआ था तो वो एकदम दुकान में वापस आ धमकी. फोन मेरे हाथ में ही था. वह मुझे घूरने लगी. अब मैं भी ज़रा शर्मिंदा हो गया था. और मैंने फोन उसका वापस दे दिया.
उसने कहा- सर, क्या किसी का फोन इस तरह से चेक करना सही बात है?
मैंने दबी सी आवाज़ में कहा- नहीं, मैं तो बस ऐसे ही देख रहा था.
मगर उसी वक्त मेरे दिमाग ने काम किया और मैंने निशाना साधा.
मैंने कहा- लेकिन मैंने जो भी फोन के अंदर देखा वह किसी को पता नहीं चलेगा, तुम इस बात से बेफिक्र रहो.
वो घबराकर बोली- क्या?
मैंने मुस्कराते हुए कहा- कलेक्शन अच्छा है तुम्हारे पास, मुझे पसंद आया.
वो शरमा गई और मुहं फेर कर काम करने लगी. मगर मैं तो मौके का फायदा उठाना चाह़ता था, मैंने उससे फिर पूछा- साइट का नाम तो बता दो.
वह बोली- मुझसे ज्यादा तो आपको ही पता होगा इन सब चीज़ों के बारे में.
मैंने कहा- हां पता तो है, मगर जो तुम्हारे पास वो तो मुझे भी नहीं पता. मुझसे शरमाने की क्या ज़रूरत है. तुम मुझ पर भरोसा कर सकती हो सरिता.
वह बोली- मैंने अपनी सहेली से ली थी वो सब वीडियो.
उसके बाद हम दोनों में बातें होना शुरू हो गई और सरिता की झिझक भी खुलती चली गई. वैसे मैं उसके बारे में पहले सब कुछ जानता था लेकिन वह अपनी कहानी बताते हुए रोने लगी और कहने लगी कि उसके पति 24 घंटे बस दारू के पीछे ही पागल रहते हैं.
वह कहते-कहते रोने लगी और बोली- मैं ही जानती हूं कि ये दिन मैं कैसे निकाल रही हूँ।
सरिता, तुम रोना बंद करो. मैं हूँ न तुम्हारे साथ. अगर तुम्हें बुरा न लगे तो मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं.
मैंने उसको भरोसे में लेते हुए कहा।
मगर इससे पहले कि मैं कुछ सरिता से कहता, उसने खुद ही वह बात कह दी जिसके लिए मैं शायद हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.
उसने कहा- मुझे अच्छी तरह पता है कि आप मुझे ललचाई नज़रों से देखते हो. मगर आपके पास तो मुझसे अच्छी बीवी है. आपको मुझमें क्या मिलेगा?
मैं सरिता के मुंह से ऐसी बेबाक बातें सुनकर उसका मुंह ताकता रह गया. मैं तो खुद में होशियार बन रहा था लेकिन वह तो सब जानती थी मेरी ललचाई नीयत के बारे में.
मैंने बात को संभालते हुए कहा- सरिता मुझे रोज़ अगर खाना मिले तो मैं किसी और की थाली में क्यों देखूंगा. जहां तक तुम्हारी बात है तो मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारी उम्र की औरतें जैसा मजा दे सकती हैं वैसा कोई जवान औरत नहीं दे पाती.
वह मेरी तरफ हैरानी से देख रही थी. तभी मैंने चुपके से उसके कान में कहा- तुम तो किसी का भी लंड खड़ा कर सकती हो.
कहकर मैंने आंख मार दी.
वह अभी भी मेरी बातें सुनकर हैरान थी मगर कुछ देर सोचने के बाद बोली- मुझे बदनामी से डर लगता है.
मैंने कहा- सरिता, शादीशुदा तो मैं भी हूं, मुझे भी डर लगता है लेकिन हम इस तरह रहेंगे कि किसी को पता ही न चले.
मैंने सरिता के कोमल हाथों को दबा दिया. मेरी इस हरकत पर उसने अपनी आंखें बंद कर लीं. मैंने मौका देखकर उसके होंठों को किस कर लिया. मगर वह शरमा कर दूर हो गई. दुकान में अब इससे ज्यादा कुछ हो भी नहीं सकता था.
मेरी कई दिनों से दबी हुई इच्छा पूरी होने वाली थी. मैं उसे भोगने से पहले उसकी लाज की चादर उतार देना चाहता था. दोस्तो अगर आपको भी सेक्स का मजा लेना है तो पहले औरत की शर्म को खत्म कर दो. उसके बाद औरत असली मजा देती है.
मैंने कहा- सरु, तुम इतनी हॉट लगती हो, क्या तुम्हारा पति तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं करता है?
सरिता- करता है राज, मगर एक बेवड़ा क्या कर सकता है भला. एक पप्पी ली और मेरे बदन में आग लगाकर सो जाता है.
मैं- अच्छा, फिर तुम क्या करती हो?
सरिता- जाने दो, मुझे नहीं बोलना, तुम खुद ही समझ लो.
उसने हंसते हुए कहा।
मैं बेशर्म होते हुए बोला- यार कैसे शांत करती हो चूत को … चूत को तो लंड ही शांत कर सकता है.
अब धीरे-धीरे मेरी बातों का असर सरिता पर होने लगा था और मुझे पता लगने लगा था कि वह भी अब खुलने लगी है- पॉर्न देखकर उंगली कर लेती हूँ.
वह मेरे लंड का उभार देखते हुए बोली।
मैं काउंटर पर बैठा था. मैंने उससे पानी मांगा तो वो पानी देने के लिए कातिलाना अदा के साथ नीचे झुकी. मैंने तभी उसका हाथ पकड़ कर अपने तने हुए तड़पते लौड़े पर रख दिया और मस्ती में दबा दिया. इतनी ही देर में मैंने उसके बूब्स भी दबा डाले. वह कुछ सेकेण्ड तक मेरे लंड का साइज़ नापकर दूर हो गई.
उसने कहा- राज सर, आपकी बीवी तो बहुत किस्मत वाली है.
कुछ दिन ऐसे ही मस्ती में गुजर गए. इस बीच मैंने सरिता के अंगों के उतार-चढ़ाव का माप अच्छी तरह से ले लिया था. वह इतनी बेकरार हो गई थी चुदने के लिए कि एक दिन खुद ही शटर डालकर कह उठी कि राज मुझे चोद दो. मगर मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था. मैंने उसको चूसकर ठंडा कर दिया और दुकान खराब न हो इसलिए उस दिन मुझे पानी पीना पड़ा.
कुछ दिन और ऐसे ही बीत गए मगर कहीं पर भी किसी सेफ जगह का जुगाड़ नहीं हुआ. फिर मुझे दुकान के लिए खरीदी करने के लिए जाना था जिसमें कम से कम दो दिन लगने वाले थे. मैंने सरिता से भी चलने के लिए पूछ लिया. उसने कह दिया कि उसको पति के सामने कुछ बहाना बनाना पड़ेगा उसके बाद ही चल पाएगी.
अगले दिन उसने चलने के लिए हां कर दी. मैंने उसके पति के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह अपने पति के सामने शादी में जाने का बहाना करके आई है. बात बन गई थी और हम उस दिन ट्रेन से खरीदी करने के लिए निकल चले. अगले दिन सुबह पहुंचकर हमने एक होटल बुक कर लिया.
होटल के रूम में पहुंचते ही वह किसी भूखी शेरनी की तरह मुझ पर टूट पड़ी. मैं भी उसके चूचों को दबाने लगा. उसके मुंह से कामुक सिसकारियाँ निकलना शुरू हो गईं.
वह कहने लगी- राज … निचोड़ लो पूरा रस, बहुत तरस रही हूँ … आह्ह्ह …
हम दोनों ने एक दूसरे को नंगा करना शुरू कर दिया. मैंने उसकी पेंटी उतार कर उसकी चूत पर धीरे-धीरे मसाज देना शुरू कर दिया और बदले में वह मस्ती में मेरे लंड के साथ खेलने लगी.
अब मैं चूमते हुए उसकी चूत पर जीभ घुमाने लगा और वह पागल होने लगी. जल्दी ही हम लोग 69 की पॉजीशन में आ गए और मैं उसकी चूत के दाने को चाटने लगा. मैं उसकी चूत को चाटते हुए काट रहा था. चूत का रस बहकर मेरे मुंह में आ रहा था. मैं उसकी चूत के रस को पीने लगा.
वह मस्ती में बड़बड़ा रही थी- आह्ह … राज … मजा आ गया … तुमने इतने दिन क्यों लगा दिए. मैं तो पहली बार लंड चूस रही हूं. कितना मस्त लंड है तुम्हारा.
सरिता अपनी गांड उठा-उठाकर अपनी चूत को चुसवाने लगी. मैं भी और ज्यादा जोश में उसकी चूत की चुसाई कर रहा था. फिर एकदम से उसने मेरे लंड पर अपना मुंह दबा दिया और वह मेरे मुंह में झड़ गई. मेरा मुंह उसकी चूत के पानी से भर गया.
बोली- आई लव यू राज!
उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थीं.
फिर मैंने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा- मैडम, अब इसका क्या?
उसने मेरे लंड को चूम लिया और बोली- मैं तो कब से तरस रही हूँ इससे चुदने के लिए.
मैंने देर न करते हुए उसकी चूत में लंड डालना शुरू कर दिया. कामरस से भीगी चूत में लंड गोते लगाने लगा. मेरे हर धक्के का जवाब वह गांड उठा-उठाकर दे रही थी.
लगभग 20 मिनट की घमासान चुदाई के बाद अचानक उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और पागलों की तरह किस करने लगी. वह दोबारा झड़ रही थी. मैं भी उसकी चूत में झड़ने लगा. कुछ देर हम ऐसे ही पड़े रहे.
उसके बाद हमने दूसरा राउंड भी किया जो कुछ अलग आसनों में था. दूसरी बार की चुदाई एक घंटे तक चली. उसकी चूत में जलन होने लगी थी. वह उठकर बाथरूम में जाने लगी और तभी मेरे दिमाग में एक और शरारत आई.
मैंने उठकर उसे पीछे पकड़ लिया और कहा- जानू, वीर्य पान तो कर लिया … अब मूत्र का स्वाद भी चख लो.
वह बोली- नहीं, गंदा लगेगा मुझे.
मैंने कहा- मैं तुम्हें अपने हाथों से नहला दूंगा.
मैंने उसको नीचे फर्श पर बैठा लिया और उस पर पेशाब की धार छोड़ने लगा. पहले तो उसको गंदा सा लगा लेकिन बाद में मजा आने लगा. वह मेरे मूत्र को अपने शरीर पर मलने लगी. उसके बाद सरिता ने भी मुझे अपने पेशाब से नहलाया. मुझे बहुत मजा आया.
दो दिन में मैंने 5 बार उसको चोदा और दो बार उसकी गांड भी मारी.
दोस्तो, जो मजा 35 के पार की आंटियों के साथ सेक्स करने में आता है वह जवान औरतों में नहीं मिलता मुझे.
उसके बाद मैंने सरिता की एक सहेली को भी चोदा जो लगभग 40 साल की थी. लेकिन उस चुदाई के बारे में मैं अपनी अगली कहानी में लिखूंगा. मैं सभी लेडीज से कहना चाहता हूँ कि वे अपनी मनोकामनाओं को अपने अंदर दबाकर न रखें बल्कि जिंदगी में मस्ती करें. बिना किसी झिझक और शर्म के बगैर किसी पर भरोसा करके देखें बहुत मजा आता है.
मुझे आपके मेल का इंतज़ार रहेगा.
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