पड़ोस की चालू लड़की के साथ पहला संभोग

पड़ोस की चालू लड़की के साथ पहला संभोग

दोस्तो! लड़कियों, भाभियों और आंटियों को मेरे लंड का प्रणाम और भाईयों को हाथ जोड़ कर नमस्कार.
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है. आशा करता हूं कि मेरी यह कहानी सुनकर सभी मर्द अपना लंड हिलाने लगेंगे और लड़कियां अपनी चूत में उंगली करने लगेंगी. कहानी शुरू करने से पहले मैं अपने बारे में बता दूं कि मेरा नाम अमित (बदला हुआ) है. मैं नाडियाड (गुजरात) का रहने वाला हूं.

पढ़ाई में मैंने बी.सी.ए. किया है और अभी जॉब की तलाश कर रहा हूं. मेरी आयु तेईस साल है. दिखने में एवरेज हूं और हाइट पांच फीट ग्यारह इंच है. लंड के साइज के बारे में दूसरे लेखकों की तरह झूठ नहीं बोलूंगा. मेरा लंड मीडियम साइज का है.
मेरे लंड की लंबाई पांच इंच व मोटाई दो इंच है. मेरे घर में मैं और मेरे मम्मी-पापा समेत हम सिर्फ तीन लोग ही हैं. मेरे पापा रिटायर हो चुके हैं और मेरी मॉम हाउस वाइफ है. घर का खर्च पापा की पेंशन से चलता है. तो चलिए ज्यादा टाइम वेस्ट ना करते हुए कहानी शुरू करते हैं.

ये कहानी मेरी और मेरे पड़ोस में रहने वाली लड़की परी (बदला हुआ नाम) की है.
थोड़ा परी के बारे में भी जान लीजिए. परी मुझसे उम्र में एक साल बड़ी हैं. उसने पढ़ाई में बी.ई. किया है. अभी वह जॉब ढूंढ रही है. वह दिखने में साधारण है लेकिन मुझे तो मस्त माल लगती है. उसकी फीगर शायद 32-28-34 की है ऐसा मुझे लगता है.

मेरे मन में उसके लिए कोई ग़लत विचार नहीं थे लेकिन आज से करीब दस-बारह महीने पहले एक दिन की बात है कि मैं रात को करीब 3 बजे पेशाब करने के लिए उठा और बाहर आ गया.
मैंने अपने घर की बालकनी से देखा कि परी के घर में उनके बाथरूम की लाइट ऑन थी. उस वक्त मैंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और सोचा कि शायद कोई उनके घर में भी मेरी तरह ही जगा हुआ होगा. मगर जब मैं वापस मुड़ कर जाने लगा तो मेरे कानों में किसी की सिसकारियों की मधुर सी आवाज़ पड़ी.

मैंने थोड़ा करीब जाकर झांका तो देखा कि परी अपनी चूत में उंगली कर रही है और उसके मुंह से ही वो सिसकारियाँ निकल रही हैं. उंगली करने के साथ ही अपने गोल-मटोल चूचे भी एक हाथ से दबाये जा रही थी. कुछ देर उंगली करने के बाद वो शांत हो गई यानि वो शायद झड़ गई थी. मैंने देखा कि उसने अपनी नाइट ड्रेस वापस से पहन ली और फिर लाइट बंद करके अपने घर में अंदर चली गई.

ये नज़ारा देख कर मेरा लंड तो उसी वक्त जोश से भर गया था. अब खड़े लंड को शांत किये बिना मुझे भी कहां नींद आने वाली थी. मैंने भी परी के चूचों और उसकी हवस भरी हस्तमैथुन के बारे में सोच कर मुट्ठ मारनी शुरू कर दी. बाथरूम में खड़ा होकर मैं जोर-जोर से लंड को रगड़ने लगा और वीर्य निकालने के बाद ही कहीं जाकर मुझे शांति मिली.
मैंने भी अपने बाथरूम की लाइट बंद की और अपने कमरे में जाकर लेट गया. परी के बारे में सोचते हुए ही मुझे नींद आ गई.

सुबह जब नींद खुली तो लंड फिर से तना हुआ था. मैंने लंड को अंडरवियर की इलास्टिक में दबाया ताकि किसी को मेरा खड़ा हुआ लंड दिखाई न दे और सीधा बाथरूम में चला गया. रात के समय देखे हुए परी के चूचे मेरे ख्यालों में थे और मैंने एक बार फिर से उसके चूचों के बारे में सोच कर मुट्ठ मार दी.

लंड उस वक्त तो शांत हो गया. फिर फ्रेश होते हुए मैं सोचने लगा कि क्या कभी मैं असल में भी किसी को चोद पाऊंगा? मैंने कभी किसी के साथ अब तक सेक्स नहीं किया था. फिर सोचा कि क्यों न परी पर ही ट्राय कर लिया जाये. मेरे दिमाग में आया कि परी भी तो उंगलियों से ही काम चला रही है.

फिर साथ ही ये सोच कर डर भी लग रहा था कि अगर मैं उसको गर्म करने में कामयाब न हो पाया और उसने किसी को मेरे बारे में बता दिया तो क्या होगा? मेरी तो बदनामी हो जायेगी पड़ोस में. मगर हवस के आगे बदनामी का डर फीका पड़ गया. मैंने सोच लिया कि परी को ही चोदना है.
उस दिन के बाद जब भी परी मेरे सामने आती तो मैं उसके चूचों के साथ-साथ उसके पूरे बदन को घूरने लगता.

एक दिन की बात है जब वो मेरे घर आयी मगर मेरे मम्मी-पापा कहीं बाहर गये हुए थे. मैंने उसको बताया कि माँ-पापा तो बाहर गये हुए हैं. उससे बातें करते हुए मैं उसके चूचों को घूर रहा था. वह भी जान गई थी कि मैं उसके मम्मों को ही ताड़ रहा हूँ. लेकिन उसने कुछ बोला नहीं.
वो पूछने लगी- आंटी कब आएंगी वापस?
मेरा जवाब सुनकर उसने एक-दो बात इधर-उधर की ही की और फिर वो अपने घर चली गई.

चूंकि उसने मुझे उसके चूचों को ताड़ते हुए देख लिया था मगर फिर भी कुछ गुस्सा या नाराजगी जाहिर नहीं कि जिसके कारण मेरी हिम्मत उस दिन के बाद कुछ और ज्यादा बढ़ गई. मैं अब सही मौके का इंतजार करने लगा. चार-पांच दिन के बाद की बात है कि उसके घर वाले सब लोग कहीं बाहर गये हुए थे. परी अपने घर पर अकेली थी.
मैं दोपहर होने का इंतजार करने लगा क्योंकि गर्मियों में लोग अक्सर दोपहर के समय में सो जाते हैं. हमारी कॉलोनी में भी गर्मियों में कोई बाहर नहीं दिखाई देता था. मैं बीच दोपहरी में उसके घर जा पहुंचा और उसके घर की घंटी बजाई.

तीन-चार बार भी घंटी बजाने के बाद किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो मैं मायूस सा हो गया. मगर जैसे ही मैं मुड़ कर वापस जाने लगा दरवाजा खुलने की आवाज हुई. परी दरवाजे पर खड़ी थी और उसे देख कर मेरे अंदर खुशी की लहर दौड़ गई.
परी बोली: क्या काम है?
मैं बोला: कुछ बात करनी है.
परी बोली: तो बोलो.
मैं बोला: यहां दरवाजे पर खड़ा होकर नहीं कर सकता, इंपोर्टेंट बात है.
परी बोली: ओके, अंदर आ जाओ.
अंदर जाकर वो पूछने लगी कि क्या इंपोर्टेंट बात है?

मैंने हिम्मत जुटा कर सीधे ही उससे पूछ लिया कि तुम अपने बाथरूम में रात को क्या करती हो लाइट जला कर?
यह बात सुन कर वो एकदम से शॉक हो गई. फिर वह गुस्से में बोली- तुम मेरे साथ ये कैसी बातें कर रहे हो? तुम्हें लड़कियों से बात करने की तमीज नहीं है क्या? अगर दोबारा तुमने मुझसे इस तरह की बात की तो मैं तुम्हारी माँ से इसके बारे में शिकायत कर दूंगी.
परी ने मुझे अच्छे से झाड़ दिया. मैंने अपना सिर नीचे झुका लिया.
मैं बोला- सॉरी, अगर तुमको बुरा लगा हो तो. मैं तो तुम्हारे भले के लिए ही ये सब बात कह रहा था.

वह थोड़ी पिघली और बोली- कोई बात नहीं, गलती सबसे हो जाती है. मगर ये बताओ कि तुमने और क्या-क्या देखा?
मैंने कहा- मैंने तो तुम्हें तुम्हारी चूत में उंगली करते हुए भी देखा था.
मेरी बात सुनकर वो थोड़ी गर्म हो गई और पूछने लगी- उसके बाद फिर तुमने क्या किया?
मैंने कहा- मैं क्या करता, मैंने तो कुछ नहीं किया.
वह बोली- शरमा क्यूं रहे हो? बता दो.

मैं कुछ देर तो चुप रहा और फिर बोल पड़ा- मैंने तुम्हारे बारे में सोच कर अपने लंड की मुट्टी मार डाली.
यह सुनकर वह चुप हो गयी और कुछ पल के लिए दोनों के बीच में सन्नाटा आ गया.

परी ने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैंने ना में सिर हिला दिया और वो हँसने लगी.
बोली- इस उम्र में तो सबकी गर्लफ्रेंड बन जाती हैं. लड़का और लड़की के बीच में सब हो जाता है.
मैंने भी थोड़ा भोला बनते हुए पूछा- क्या हो जाता है?
वो हँस कर बोली- बुद्धू, वही जो तुम उस रात को देख रहे थे.

फिर परी ने बताया कि उसने मुझे भी देख लिया था और वो जान-बूझकर मुझे दिखाने के लिए बाथरूम में ऐसी हरकत कर रही थी क्योंकि वो खुद ही मेरे लंड से चुदना चाहती थी. उसने बताया कि कॉलेज के बाद उसको कोई मिला ही नहीं चुदाई करवाने के लिए.
यहाँ तो गेम उल्टा हो गया. कहाँ मैं उसको चोदने की प्लानिंग कर रहा था मगर वो पहले से ही मुझसे चार कदम आगे निकली.
मगर उसकी बात सुन कर मैं पहले तो हैरान सा हुआ और फिर साथ ही खुश भी हो गया. मैं भी तो यही चाहता था.

उसने पूछा- क्या तुमने पहले कभी सेक्स किया है?
इस पर मैंने जवाब ना में दिया और उसे बताया कि मैं तो अभी वर्जिन हूँ. मैं तो नंगी फिल्में देख कर ही काम चला लेता हूँ. मगर जब से मैंने तुम्हें नंगी देखा है मैं तुम्हारे बारे में सोच कर ही मुट्ठ मारता हूँ.
वो मेरी बात सुनकर हँसने लगी और बोली- तो फिर आज तुम मेरे साथ रियल में सेक्स कर सकते हो और मैं तुम्हें सिखाऊंगी कि सेक्स कैसे किया जाता है. मैं तुम्हें यह भी बताऊंगी कि लड़की को परम सुख का आनंद कैसे दिलाया जाता है.

इतना कह कर वह मेरे करीब आ गई और हम एक-दूसरे को किस करने लगे. कुछ देर किस करने के बाद वह मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर अपने कमरे में ले गई. उसने कमरे को अंदर से लॉक कर दिया.

मुझे बेड पर बैठा कर वो मुझे दोबारा से चूमने-चाटने लगी. बड़े ही प्यार से वह मेरे बदन को सहला रही थी. मेरी पैंट पर हाथ ले जाकर उसने मेरे लंड को टटोला और उस पर हाथ रख कर रगड़ते हुए मुझे चूमती रही. आह्ह … मुझे तो मजा आ गया.

उसके बाद उसने मुझे उठाया और अपने कपड़े निकालने लगी. उसकी चूचियां नंगी हो गईं और फिर उसने अपनी पजामी भी निकाल दी. फिर उसने मुझसे भी कपड़े निकालने को कहा तो मैंने भी जल्दी से अपनी पैंट और टी-शर्ट उतार दी. मेरा लंड अंडरवियर में खड़ा होकर पागल सा हो चुका था. मैंने अपने अंडरवियर को भी उतार दिया.
मेरे खड़े हुए लंड को देख कर परी बोली- तुम्हारी पिचकारी तो तैयार हो चुकी है लेकिन मैं अभी भी ठंडी हूँ.

इतना कहकर वह बेड पर जाकर मेरे सामने लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने के लिए कहने लगी. मैं बेड पर जाकर उसके चूचों पर टूट पड़ा और उनको दबाते हुए उसके होंठों को चूसने लगा. वह मेरा पूरा साथ दे रही थी.
उसके मुंह से जल्दी ही आह-आह … की आवाजें निकलने लगीं जिनको सुनने के बाद मुझे ब्लू फिल्मों के सीन याद आ गये और मेरे दिमाग में आया कि लड़की चूत चटवाकर बहुत जल्दी गर्म हो जाती हैं. मैं देर न करके उसकी चूत के पास गया. जब मैंने उसकी चूत पर होंठ रखे तो मुझे उसकी चूत का स्वाद कुछ ज्यादा पसंद नहीं आया. मगर वो मेरी इस हरकत पर जोर-जोर से सिसकारियाँ भरने लगी.

दस-बाहर मिनट तक फोरप्ले करने के बाद उसने कहा- बस, अब जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो. मेरी चूत का पानी निकलवाना है आज तुम्हें.

उसके मुंह से यह कामुक बात सुनकर मैंने उसके पैरों को फैला दिया, अपना लंड उसकी चूत पर लगाकर अंदर करने की कोशिश करने लगा. मगर मेरा लंड अंदर जा ही नहीं रहा था. जब भी मैं धक्का लगाता तो लंड फिसल जाता था.

तीन-चार बार ऐसा होने के बाद परी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गई. उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर सेट करके उस पर बैठती चली गई. उसने मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया. फिर वह उछल-उछल कर लंड को चूत में अंदर बाहर करवाने लगी. थोड़ी देर में लंड बराबर सेट हो गया और मैं भी नीचे से उसे जोर-जोर से चोदने लगा.

फिर जब कुछ देर वह मेरे लंड पर बैठ कर चुदी तो मेरा मन उसको खुद ही चोदने को हुआ और मैं उठ कर उसके ऊपर आ गया. कुछ देर तक मैंने उसको नीचे लेटा कर चोदा और फिर घोड़ी बना कर चोदा. जल्दी ही मेरा माल निकलने को हो गया तो मैंने अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया और उसकी गांड के छेद पर अपना वीर्य छोड़ दिया.

मैं तो झड़ गया मगर परी अभी नहीं शांत हुई थी, वो बोली- तुम्हारा तो हो गया लेकिन मैं अभी भी शांत नहीं हुई हूँ. उसकी बात मैं समझ गया और मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डालीं और उसको अपनी उंगलियों से चोदने लगा. उसके दाने को रगड़ने लगा.

मेरे ऐसा करने से वो जोर-जोर से आहें भरने लगी और सिसकारियां भरने लगी. ऐसा करते-करते में धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाने लगा. उसे बहुत मजा आ रहा था. थोड़ी देर बाद उसने मुझे पकड़ लिया और मेरी कमर पर नाखून गड़ाते हुए झड़ने लगी.
हम दोनों कुछ देर तक एक-दूसरे से लिपटे रहे.

उसके बाद हम साथ में नहाए और दोनों ने कपड़े पहन लिये. उस दिन के बाद से परी के साथ चुदाई का सिलसिला अभी तक चल रहा है. जब उसकी चूत को मैंने कई बार चोद लिया तो मैंने उसकी गांड भी मारी. उसकी गांड को मैंने कैसे चोदा उसके बारे में मैं अपनी अगली कहानी में बताऊंगा.

सच में दोस्तो, परी को चोद कर मुझे बहुत मजा आया. मगर एक बात मैं बोलना चाहता हूँ कि लड़कियों को संतुष्ट करना इतना आसान काम नहीं है. बहुत मेहनत करनी पड़ती है. परी ने मुझे लड़की की चुदाई करना सिखाया. पहले संभोग का मजा अलग ही होता है. वह मजा मुझे परी ने दिया.

मगर परी शायद कॉलेज में भी किसी के लंड से चुदती थी इसलिए उसने मुझे जान-बूझ कर अपनी चूत में उंगली करते हुए दिखाया ताकि वह अपनी चूत की प्यास बुझा सके. मगर साथ में मेरे लंड की प्यास भी बुझ रही थी. उसको चोदने के बाद अब मैं पूरे विश्वास के साथ लड़की की चूत चुदाई कर सकता हूं.

अगर इस कहानी में कोई गलती हुई हो तो माफ कीजियेगा क्योंकि मैंने हिंदी में लिखना अभी-अभी सीखा है. अगर कहानी आपको पसंद आई हो तो मुझे मेल जरूर करें. मुझे आपके मैसेज का इंतजार रहेगा. मैंने अपनी मेल आई-डी नीचे दी हुई है. थैंक्यू!
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