हाय! मेरा नाम गौरव है। अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियां पढ़ने के बाद मैं आपको अपनी पहली कहानी बताने जा रहा हूं। चूंकि मेरी यह पहली कहानी है इसलिए कहानी को लिखते समय अगर मुझसे कोई गलती हो जाये कृपया मुझे माफ करें.
कहानी का मजा लेने से पहले अगर आप मेरे और परिवार के बारे में कुछ जान लें तो आपको कहानी समझने में सुविधा होगी. मेरी उम्र 20 साल है. मेरे परिवार में सब लोग एक साथ घुल-मिलकर रहते हैं. घर के सदस्यों में अक्सर हँसी मजाक चलता रहता है. हमारा संयुक्त परिवार है तो मेरे चाचा-चाची भी हमारे ही घर में हमारे साथ रहते हैं.
अब कहानी की शुरूआत करते हैं. ये बात उन दिनों की है जब मैंने नया-नया एडमिशन लिया था कॉलेज में. पहले सेमेस्टर के बाद मेरी छुट्टियां थीं तो मैं घर पर ही रहता था. ऐसे ही एक दिन की बात है जब मैं नहा रहा था। मेरी आदत है खुले में नहाने की। नहाते समय मेरी चाची आकर मुझे छेड़ने लगी। वो मेरी चड्डी खींचने लगी. एक बार तो मैंने उनको बख्श दिया और फिर जब वो नहीं मानी तो मैंने उन पर पानी डाल दिया।
चाची के सारे कपड़े गीले हो गये. चाची खिसयाते हुए कहने लगी- ये क्या किया हरामी? अब मुझे भी नहाना पड़ेगा.
मैंने कहा- ये तो आपको मेरी चड्डी खींचने से पहले सोचना चाहिए था. मैंने पलट कर जवाब दिया.
किस्मत से उस दिन घर पर कोई नहीं था. पापा और चाचा बाहर काम पर गये हुए थे और माँ कहीं रिश्तेदारी में गयी हुई थी.
चूंकि चाची ने मेरी चड्डी खींच दी थी इसलिए मेरे अंदर कहीं मन में हवस जागना शुरू हो गयी थी. मेरे लंड में हल्का सा तनाव भी आ गाय था. मेरे भीगे हुए अंडरवियर में मेरे लंड ने आकार लेना शुरू कर दिया था लेकिन चाची ने अभी मेरे लंड पर ध्यान नहीं दिया था.
घर में कोई नहीं था इसलिए मैंने मौका का फायदा उठाने की सोची.
मैंने चाची से कहा- जब आप भीग ही गये हो तो मेरे साथ ही नहा लो!
चाची बोली- हट्ट बेशर्म … अगर किसी ने देख लिया तो?
मैंने कहा- यहाँ पर कौन है देखने वाला. बाहर से तो किसी को कुछ दिखाई देगा नहीं और घर पर कोई देखने वाला है नहीं.
चाची ने कुछ सोचा और वापस जाने लगी.
मैंने चाची को चैलेंज करते हुए कहा- बस इतनी ही हिम्मत थी? आइंदा से मेरे साथ पंगा लेने की कोशिश मत करना चाची. मैंने कहते हुए चाची को उकसाने की कोशिश की.
चाची चलते-चलते रुक गयी. फिर वो वापस पलटी और उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया. अगले ही पल जो हुआ मुझे उस पर यकीन नहीं हुआ.
उन्होंने अपना ब्लाउज मेरे सामने ही खोल दिया। मैं उनके बूब्स देख कर दंग रह गया। वो इतने बड़े थे कि ब्रा से भी बाहर झांक रहे थे। उन्होंने मुझे बाथरूम में पानी लाने को कहा और खुद बाथरूम में चली गयी। उनकी भीगी ब्रा को देख कर मेरा लंड पहले ही मेरे अंडरवियर में तन चुका था.
जैसे ही मैं बाथरूम में पानी लेकर गया तो मैंने देखा कि चाची पूरी की पूरी नंगी खड़ी हैं। यह देख कर मेरा लंड चड्डी फ़ाड़ कर बाहर आने को हो गया। चाची की नजर मेरे तने हुए लौड़े पर पड़ गई. उन्होंने मेरी आंखों में देखा. मेरी आंखों में हवस भरी हुई थी जो होठों से लार बनकर टपक रही थी.
चाची मेरे मन की दशा भांप गई. चाची ने मेरी चड्डी में हाथ डाला और बोली- गौरव तेरा घोड़ा तो ताव में आ गया है।
मैंने चाची के बूब्स पर हाथ रखते हुए कहा- चाची चूत दे दो प्लीज!
चाची बोली- हरामी मैं जानती हूं. अब तो तू मुझे चोद कर रहेगा, मगर आज नहीं कल कर लेना. कल सब शादी में जायेंगे तब चोद लेना।
यह कह कर चाची ने मुझे बाथरूम से बाहर जाने को कहा।
मैं बाथरूम से बाहर आ गया लेकिन लंड का बुरा हाल हो गया. चाची को नंगी देखने के बाद मुझसे इंतजार नहीं हो सकता था अब. मगर चाची के साथ जबरदस्ती करना भी मैंने ठीक नहीं समझा.
कुछ ही देर में माँ वापस आ गई. उस दिन मैंने किसी तरह खुद को रोक लिया. मगर रात में मैंने चाची के नंगे जिस्म को सोच कर मुट्ठ मारी. जब एक बार वीर्य निकालने के बाद भी लंड शांत नहीं हुआ तो दूसरी बार लगातार मुट्ठ मारी तब जाकर मुझे नींद आई.
सुबह हुई तो इंतजार का एक-एक पल एक घंटे के बराबर लगने लगा. मैं सोच रहा था कि पता नहीं घर के सब लोग कब बाहर जायेंगे और कब मुझे चाची की चूत चोदने का मौका मिलेगा?
जब घर से सब लोग बाहर चले गये तो मैंने दरवाजे को बन्द कर लिया और चाची के रूम के अंदर जाते ही चाची को पकड़ कर उनके होंठों पर किस करने लगा। मैंने चाची की साड़ी के ऊपर से उनके चूचों को पकड़ लिया और उनको कस कर भींचने लगा. चाची भी जानती थी कि मैं इसी पल का इंतजार कर रहा था. इसलिए उन्होंने मेरा साथ देना शुरू कर दिया.
चाची जल्दी ही गर्म हो गयी. फिर मैंने चाची की साड़ी को खोलना शुरू कर दिया. अगले दो मिनट में चाची मेरे सामने ब्रा और पैंटी में रह गई थी. मैंने चाची को बेड पर ले जा कर धक्का दे दिया और उनकी चूत पर हाथ फिराते हुए उनके होंठों को चूसने लगा.
फिर मैंने चाची को ब्रा उतारने के लिए कहा. ब्रा उतारते ही उनके मोटे चूचे आजाद हो गये और मैंने उन दूधों को अपने हाथों में कस कर भींच दिया. चाची के मुंह से कामुक आह्ह … निकल गई.
चाची बोली- आराम से कर हरामी, इनको उखाड़ने का इरादा है क्या?
मैंने कहा- चाची, इनको तो बस पीने का इरादा है.
चाची बोली- तो फिर कर ले अपने मन की मुराद पूरी.
चाची का इतना कहना था कि मैंने एक हाथ में एक चूचे के निप्पल को मसल कर रौंदना शुरू कर दिया और दूसरे चूचे को अपने मुंह में भर लिया. चाची कामुक सिसकारियां लेने लगी. मैं किसी नवजात की भांति चाची की चूचियों को पीने लगा. चाची के निप्पलों की घुंडी मेरी जीभ पर लगती तो मैं उसको दांतों से काट लेता था और चाची स्स्स … करके मुझे अपने सीने से लगा लेती थी.
काफी देर तक मैंने चाची के चूचों को मजे लेकर पीया और मेरे लंड ने कामरस से मेरे अंडरवियर को गीला कर दिया. मेरी लोअर पर प्रीकम का गीला धब्बा दिखाई देने लगा था.
उसके बाद चाची उठ गई. चाची के चूचे उनकी छाती पर लटक गये. चाची ने उठ कर मुझे नीचे बेड पर धक्का दे दिया. मुझे नीचे लेटाते हुए मेरी छाती पर अपने हाथ फिराये तो मेरे अंदर की कामाग्नि और भड़क गई.
उनकी नजर मेरी लोअर पर गई तो मेरे लंड ने लोअर के ऊपर लंड के टोपे की जगह से लोअर को कामरस से गीला कर दिया था. चाची ने मेरे तने हुए लंड पर हाथ फेरा और मेरे लौड़े ने उछलते हुए चाची को अपनी बेताबी बयां कर दी.
फिर चाची ने मेरे लोअर के ऊपर से ही लंड की नोक वाली जगह के पास के गीलेपन को अपने हाथों से छूकर देखा.
मेरे लंड ने फिर से उछाला दिया. चाची ने एकदम से नीचे झुकते हुए मेरी लोअर के ऊपर ही अपने होंठों को मेरे लंड के प्रीकम लगी जगह पर लगाया और उसको चाटने लगी.
मेरे मुंह से अनायास ही निकल पड़ा- आह्ह … चाची … आप तो कमाल हो!
चाची ने अपनी नजर उठाई और मेरी तरफ आंख मारकर फिर से मेरे लंड को लोअर के ऊपर से ही चाटने लगी.
मैं बेकाबू होने लगा. मैंने अपनी लोअर को उतारना चाहा तो चाची ने मेरे हाथ पकड़ लिये. उन्होंने मेरी लोअर को उतारने नहीं दिया. उसके बाद उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे तो मेरे ही कामरस की गंध मेरी नाक में जाने लगी.
इस तरह का अनुभव मैंने पहली बार किया था. मेरे लंड की गंध मुझे चाची को चोदने के लिए और उकसाने लगी.
मैंने चाची की गांड को दबाना शुरू किया और जोर लगाते हुए उठ कर उनको दोबारा से नीचे गिरा लिया. मैंने चाची की गीली हो चुकी पैंटी को खींच दिया और उनकी गीली चूत पर अपने तपते हुए होंठ रख दिये. चाची के शरीर में सुरसुरी दौड़ गई. चाची ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत में घुसा लिया. मैंने चाची की चूत में जीभ घुसा दी और चूत की भीनी-भीनी खुशबू के साथ उनकी चूत की चुसाई करने लगा.
चाची ने फिर मुझे अपनी तरफ खींचने का प्रयास किया और मुझे अपने ऊपर लेटा लिया. उन्होंने मेरी गांड को दबाते हुए मेरी लोअर को नीचे करने की कोशिश की और अंडरवियर समेत मैंने अपनी लोअर अपने घुटनों तक निकाल दी. मेरा लंड चाची की चूत पर जा लगा और मैं जोर से चाची की गर्दन को चूसने लगा. चाची ने अपनी टांगें मेरी कमर पर बांध दीं और मेरा लंड चाची की चूत में स्वत: ही प्रवेश करने लगा.
अब मेरे लिये रुकना असंभव था. मैंने चाची की चूत को चोदना शुरू कर दिया. चाची के मुंह से आह-आह … हम्म … हय्य … गौरव … ओह्ह … मेरे चोदू भतीजे … मेरी चूत को फाड़ दे बेटा!
मैं पूरे जोश में आ गया और चाची की चूत को रौंदने लगा. चाची की चूत से फच-फच की आवाज आने लगी. मेरे लंड का आनंद तो मैं बता ही नहीं सकता. चाची की चिकनी हो चुकी चूत में लंड गपा-गप अंदर-बाहर हो रहा था.
दस मिनट तक चाची की चूत को चोदने के बाद मेरा लंड जब वीर्य उगलने के करीब पहुंचा तो मैंने लंड को बाहर निकालने का विचार किया. सोच कर मैंने लंड को आधा ही बाहर निकाला था कि चाची ने मुझे फिर से अपने ऊपर खींच लिया और मेरे लंड से वीर्य छूट पड़ा. आह्ह … होह … अह्ह … मेरी सांस फूल रही थी और वीर्य की पिचकारियां चाची की चूत में लग रही थीं.
जब पूरा वीर्य निकल गया तो चाची भी ढीली पड़ चुकी थी. हम दोनों साथ में ही झड़ गये थे और मुझे अपने लंड पर चाची का गर्म पानी महसूस हो रहा था.
शांत होने के बाद चाची बोली- वाह रे कमीने! तू तो बड़ा खिलाड़ी है … कल तुझे अपनी बहन से मिलवाऊंगी।
अगले दिन चाची ने अपनी बहन को बुला लिया और हमारा परिचय करवाया। चाची की बहन का नाम पूनम (बदला हुआ) था.
चाची ने बताया- मेरी बहन को खाने का बहुत शौक है.
उसका शौक पूरा करना था इसलिए मैं उसको बाहर लेकर जाने लगा ताकि उसके खाने का शौक भी पूरा हो जाये और उसके बदन की हसरत भी.
चाची बोली- गौरव, मेरी बहन का अच्छे से ध्यान रखना.
कहते हुए चाची मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी. चाची के चेहरे पर शरारत भरी स्माइल का मतलब मैं समझ गया था.
चाची की बहन को मैं एक अच्छे होटल में ले गया। मैंने उसे ऑर्डर करने को कहा तो उसने दो कोल्ड कॉफ़ी ऑर्डर कर दी।
मैंने कहा- जान! खाने के लिये भी कुछ मंगवा लो.
वो मेरे साथ वाली कुर्सी पर ही बैठी थी. वह नीचे से अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर बोली- मुझे तो ये खाना है.
उसके हाथ रखते ही मेरा लंड टाइट हो गया. हमने पांच मिनट में कोल्ड कॉफी पीकर फिनिश की. मैं उसे होटल के अंदर कमरे में ले गया और अपना 8 इंच लम्बा लंड पैंट की जिप से बाहर निकालते हुए उसके हाथ में दे दिया. उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया. मैं उसके होंठों को चूसने लगा और वो मेरे होंठों को काटने लगी. मेरे हाथ उसकी गांड पर पहुंच कर उसको दबा रहे थे.
जब मुझसे रहा न गया तो मैंने उसके सिर को नीचे दबाते हुए उसको नीचे बैठने का इशारा किया. वह घुटनों के बल बैठ गई और उसके सिर को पकड़ कर मैंने लंड को उसके मुंह में दे दिया। वो बहुत मजे से मेरे लंड को चूसने लगी. लंड को पूरा का पूरा अंदर ले जाते हुए चाची की बहन मेरा लंड चूसने लगी।
कई मिनट तक लंड चुसवाने के बाद जब हम दोनों पूरे गर्म हो गये तो मैंने उसके कपड़े उतरवा दिये. साथ ही अपने कपड़े भी उतार फेंके. मैं अंडरवियर में था और वह ब्रा व पैंटी में. मैंने उसे बेड पर गिराया और उसकी ब्रा में हाथ डाला और उसके बूब्स को नाप कर देखा. वो कसमसा कर मेरे अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी.
उसको ऊपर उठाते हुए मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया और उसके बोबों को आजाद कर दिया। कुछ देर तक उसके चूचों को मसलते हुए बारी-बारी से चूसा और फ़िर मैंने उसकी पैन्टी उतार दी. उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. मेरे लंड का भी बुरा हाथ था. मैंने चूत के मुंह पर दो-तीन बार लंड को रगड़ा और फिर लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वो भी पूरी खिलाड़ी थी. लंड को चूत में लेते समय उसने उफ्फ तक नहीं की. मैंने अगले ही पल उसकी चूत की ठुकाई शुरू कर दी. चूंकि चाची ने पहले से ही मुझे उसके बारे में बता दिया था इसलिए मैंने वियाग्रा की टेबलेट खा ली थी. तीस मिनट तक मैंने उसकी चूत की पलंग तोड़ चुदाई की और उसकी चूत में ही झड़ गया. वो भी मेरी चुदाई से निढाल होकर शांत सी पड़ गई.
मैं उसके ऊपर लेटा ही हुआ था कि उसने मेरे लंड को फिर से हाथ में लेकर सहलाना शुरू कर दिया. झड़ने के बाद सिकुड़े हुए लंड में गुदगुदी सी होने लगी. मगर मजा भी आ रहा था.
लंड भी थका हुआ था और मैं भी. मैं सीधा लेट गया और पूनम ने मेरे सोये हुए लंड को अपने मुंह में भर कर फिर से चूसना शुरू कर दिया. मुझे अजीब सी गुदगुदी हो रही थी उसकी जीभ लगने से मगर उसके गर्म मुंह में जाकर जैसे लंड को राहत सी मिलने लगी थी. मैं उसकी चुसाई का आनंद लेने लगा. उसके बालों को सहलाता रहा.
पांच-सात मिनट तक वो मेरे लंड को बिना रुके चूसती रही और मेरे लंड ने फिर से उसके मुंह में ही गर्दन उठानी शुरू कर दी. अब तो हर बीतते पल के साथ मेरे लंड का तनाव बढ़ने लगा और देखते ही देखते ही मेरा लंड 8 इंच का होकर उसके मुंह में फिर से भर गया.
जब उसने लंड को बाहर निकाला तो पूरा लंड उसके थूक से चिकना होकर चमकने लगा था. मैंने उसको बेड पर पटका और उसकी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर ऊपर की तरफ उठा लिया. उसकी चूत से अभी भी रस टपक रहा था. मैंने एक बार हथेली से उसकी गीली चूत सहलाई और फिर अपने हाथ पर थूक लगा लिया.
काफी सारा थूक अपनी हथेली पर लगाकर मैंने उसकी गांड के छेद को चिकना कर दिया. फिर अपना तना हुआ लौड़ा उसके छेद पर लगाया और उसके चूतड़ों को अपनी तरफ खींचते हुए अपना लंड उसकी गांड में घुसा दिया. वो बिलबिला गई उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरी पकड़ से छूटने के लिए जद-ओ-जहद करने लगी. मगर मैंने उसके चूचों को अपने हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया और उसकी पीठ को चूमने लगा.
दो-तीन मिनट में उसने हथियार डाल दिये और मैंने पूरा लौड़ा उसकी गांड में उतार दिया. धीरे-धीरे उसके छेद को छलनी करने लगा मेरा मूसल लंड. कुछ देर के बाद वो भी गांड को पीछे धकेलते हुए मजे लेने लगी. फिर स्पीड बढ़ाते हुए मैंने उसकी गांड की ठुकाई शुरू कर दी.
कमरे में फट-फट की आवाज गूंजने लगी. वो आनंद में चीखने चिल्लाने लगी. उसकी सीत्कारों की वजह से पंद्रह-बीस मिनट में ही मेरे लंड ने उसकी गांड में थूक दिया. मैं उसके ऊपर गिर गया और कुछ देर में लंड सिकुड़ कर खुद बाहर आ गया.
रात भर मैंने उसकी चुदाई की. हर राउंड का पोज अलग था. उसकी चूत और उसकी गांड दोनों जमकर ठोकी. पूनम भी मेरे लंड की दीवानी हो गयी.
इस तरह से मैंने चाची और उसकी बहन को खुश कर दिया. चाची तो अब घर की मुर्गी दाल बराबर हो गई है. पूनम को मौका कभी-कभी ही मिलता है लेकिन उन दोनों में से किसी एक को भी अगर मैं कभी अकेला दिखाई दे जाऊं तो वे मेरे लंड को खाने के लिए दौड़ पड़ती हैं.
दोस्तो, मेरी चाची और उसकी बहन की चूत चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी मुझे मैसेज करके बताना. तब तक के लिए आप भी लंड हिलाते रहिये और चूतों का रस पीते रहिये.
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