कैसे हो दोस्तो? मैं सपना कंवर राठौड़ आपके सामने फिर से एक नई कहानी लेकर हाजिर हूँ.
आपने मेरी पिछली कहानियों को पसंद किया और मुझे आप लोगों के करीब 500 मेल प्राप्त हुए. आपकी प्रतिक्रिया को लेकर मैं बहुत उत्साहित हो जाती हूँ इसलिए जल्दी ही आपके लिए यह कहानी लेकर आई हूँ. मैं उम्मीद करती हूँ कि आपको मेरी यह कहानी भी उतनी ही पसंद आएगी.
मेरा मानना है कि हर लड़की, जो जवान हो गई है या हो रही है, वह अपनी बॉडी के बारे में ज्यादा जानने की कोशिश करती होगी. साथ ही वह सेक्स के बारे में भी जानने की कोशिश करती होगी.
सेक्स एक ऐसी भूख है जो हर किसी को लगती है. चाहे लड़की हो या लड़का. तो मेरा सोचना है कि शायद कोई अपवाद लड़की ही होगी जो सेक्स के बारे में जानने की इच्छा न रखती होगी. सुडौल और विकसित होता जिस्म जब वह आइने में देखती होगी तो उसका मन सेक्स की तरफ भी जरूर जाता होगा.
जब लड़की के शरीर में उभार आना शुरू होता है तब से ही उसको कुछ अजीब सा महसूस होने लगता है. उसका मन विपरित लिंग की तरफ आकर्षित होने लगता है. उसके पीरियड शुरू हो जाते हैं. उसके अंदर की भावनाएं और सोच बदलने लगती है. मन भी भटकने लगता है. शादी और सेक्स की बातों की तरफ उसका रुझान बढ़ जाता है.
मगर उस समय पर जो जानकारी उसको मिलनी चाहिए वो उसे नहीं मिल पाती है. मुझे सेक्स का पूरा ज्ञान सेक्स करने के बाद ही हुआ. कई लोग कहते हैं कि नंगी फिल्में देख लेने से या किसी को सेक्स करते हुए देख लेने से सेक्स का ज्ञान हो जाता है. मगर मैं ऐसा नहीं मान सकती. सेक्स का ज्ञान तो किसी भी व्यक्ति को अपने निजी अनुभव से ही आता है.
आज जो मैं कहानी आपको बताने जा रही हूँ वह भी मेरी एक ऐसी ही सहेली के बारे में है जिसको सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था. उसका नाम सुमन है. यह कहानी मेरी और उसकी ही है. सुमन को सेक्स करने या सेक्स के दौरान होने वाली अनुभूतियों के बारे में कुछ भी नहीं पता था. उसने जो कुछ सुना था वो उसी को सेक्स समझती थी. सुमन का जिस्म एक खिलता हुआ यौवन का फूल था जो किसी बूढ़े का भी लंड खड़ा कर सकता था. बिल्कुल ताजा-ताज़ा जवान हुई थी सुमन. दमकता चेहरा और महकता यौवन.
सुमन मेरे गांव की ही रहने वाली है. उसका घर मेरे घर के पीछे ही है. हम दोनों सहेलियों के घर की छत आपस में जुड़ी हुई हैं. सुमन की बॉडी बिल्कुल स्लिम है. उसके नैन-नक्श भी तीखे हैं. वैसे तो उसकी उम्र अभी 18 की ही हुई थी लेकिन उसके चूचों का उभार बड़ी ही जल्दी खिलने लग गया.
सुमन के घर में एक भाई और एक बहन है. उसके पापा मुंबई में एक कम्पनी में काम करते हैं. उसका भाई दो साल पहले ही आर्मी में भर्ती हो गया था. बहुत ही प्यारा और छोटा सा परिवार है सुमन का.
हम दोनों की दोस्ती बहुत अच्छी है. हम दोनों में कोई भी बात छिपी न रहती थी. हम प्रत्येक बात एक-दूसरे के साथ शेयर करती थीं. मेरे जीजा जी के साथ मेरा जो सेक्स हुआ था उसके बारे में भी मैंने सुमन को बताया था. परंतु एक बात मैं उसको बताना भूल गई थी कि पहली बार चुदाई करवाने में दर्द भी होता है. सुमन का मादक बदन देख कर तो मेरा मन भी भटक जाता था. मैं सोचती थी कि अगर मैं लड़का होती तो सुमन को जरूर चोद देती.
मेरी पिछली कहानियों में भी आपने पढ़ा ही था कि मैंने पहला सेक्स अपने जीजा जी के साथ किया था. मैं उनके साथ अब तक पांच बार चुदाई का मजा ले चुकी थी. मगर अब तक मैंने किसी और मर्द को अपने जिस्म को छूने भी नहीं दिया था. जीजा जी वो पहले मर्द थे जिन्होंने मुझे कली से फूल बनाया था.
जब मैंने जीजा जी और अपनी चूत चुदाई की कहानी सुमन को बताई तो सुमन की चूत में भी खुजली होने लगी थी.
वह अक्सर मुझसे पूछती थी कि जीजा जी कब आयेंगे. मैं भी उससे पूछ लेती थी- क्यों, तुझे भी अपनी चूत चुदवानी है क्या?
वो बोल देती- नहीं, मैं तो बस वैसे ही पूछ रही थी.
मगर मैं अच्छी तरह जानती थी कि जीजा जी के लंड के बारे में सुनकर उसका मन भी सेक्स के लिए करने लगा होगा. वरना कोई लड़की बार-बार इस तरह किसी मर्द के बारे में बेवजह क्यों पूछेगी. इस तरह जीजा जी की बात होने पर हम दोनों के बीच में सेक्स की बात भी शुरू हो जाती थी.
एक दिन की बात है जब मैं सुमन के घर गई. सुमन घर पर अकेली थी. मैंने पूछा तो उसने बताया कि उसकी दीदी की डिलीवरी के चलते घर वाले हॉस्पिटल में गये हुए हैं. अस्पताल गांव से 20 किलोमीटर दूर है. फिर हम दोनों में यहाँ-वहाँ की बात होने लगी और होते-होते बात सेक्स तक पहुंच गई.
मैंने सुमन से कहा- जब तेरी शादी हो जायेगी तो तुझे भी एक न एक दिन हॉस्पिटल जाना पड़ेगा. ठीक वैसे ही जैसे आज तेरी दीदी को लेकर गये हैं तेरे घरवाले.
वो बोली- मैं कहीं नहीं जाने वाली.
मैंने कहा- जाना तो पड़ेगा. शादी के बाद जब तेरा पति रोज तेरी चुदाई करेगा तो तेरा पेट फूल जायेगा. तब तुझे भी हॉस्पिटल जाना ही पड़ेगा.
इस तरह हम दोनों सेक्स की बातें करने लगीं.
सुमन बोली- अब ये सब बातें बंद कर. मैं अभी तक नहाई भी नहीं हूं. तू जरा बैठ, मैं अभी नहा कर आती हूं.
इतना कह कर सुमन नहाने के लिए बाथरूम में चली गई. मगर मैं वहाँ पर बैठी-बैठी बोर हो रही थी. मैंने सोचा कि सुमन के पास ही चली जाती हूं. मैं जाकर बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी हो गयी. सुमन के चूचे नंगे थे और वो उन पर पानी डाल रही थी. उसके नंगे चूचों को देख कर मेरे मन में पता नहीं क्या आया कि मैं अंदर घुस गई और मैंने सुमन के चूचों को अपने हाथों में लेकर दबा दिया.
सुमन एकदम से उठ कर कहने लगी- क्या कर रही है?
मगर मैंने फिर से सुमन के भीगे हुए चूचों को अपने हाथों में पकड़ लिया और उनको दबाने लगी. पता नहीं मुझे क्या हो गया था. सुमन के चूचे देख कर मुझसे रुका ही नहीं जा रहा था. उसके चूचे एकदम मस्त और गोल थे. उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे. भीगे हुए चूचों को बार-बार दबाने का मन कर रहा था मेरा. इसलिए मैं सुमन की बात पर ध्यान ही नहीं दे रही थी.
फिर सुमन मुझे पीछे धकेलते हुए मना करने लगी. मगर मैंने फिर से उसे पकड़ लिया और उसको धकेलते हुए दीवार से सटा दिया. मैं उसकी नंगी और भीगी हुई गीली चूत पर हाथ चलाने लगी.
मैंने कहा- आज मैं तुझे सेक्स का पाठ पढ़ाना चाहती हूं.
कहकर मैंने सुमन की चूत रगड़ते हुए उसको चूमना शुरू कर दिया. वो मुझे पीछे धकेलने की कोशिश करती रही लेकिन मैं नहीं रुकी. मैं उसके भीगे हुए जिस्म को चूमती रही और कुछ देर के बाद उसने विरोध करना बंद कर दिया. अब वह आराम से मेरी हरकतों को बर्दाश्त करने लगी. धीरे-धीरे उसने मेरा साथ देना भी शुरू कर दिया. उसने मुझे अपनी बांहों में पकड़ना शुरू कर दिया.
बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था और मैं नंगी, जवान, अपनी सहेली को गर्म कर रही थी. चूंकि घर में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था इसलिए किसी के आने का डर भी नहीं था. जब सुमन गर्म होने लगी तो उसने मुझे अपनी बांहों में अच्छी तरह पकड़ लिया. मैं उसके गीले चूचों को चूस रही थी और वो भी मेरे चूचों को छेड़ने लगी थी. फिर मैंने अपने कपड़े भी उतारने शुरू कर दिये.
अगले दो मिनट में मैं भी पूरी तरह से नंगी हो गई थी. हम दोनों सहेलियां बाथरूम में नंगी होकर एक दूसरे के जिस्म को चूमने लगीं. उसके बाद मैंने सुमन के होंठों को चूसना शुरू कर दिया. मेरे मोटे चूचे सुमन के जवान हो रहे चूचों के साथ टकरा रहे थे. सुमन का हाथ मेरी चूत पर आकर उसको सहलाने की कोशिश कर रहा था और मैं जैसे सुमन के जिस्म में घुस जाना चाहती थी.
कभी मैं सुमन के ऊपर वाले होंठ को चूसती तो कभी नीचे वाले होंठ को. जब उसने गर्म होकर सिसकारी ली तो मैंने अपनी जीभ उसके मुंह के अंदर डाल दी. चूंकि मुझे किस करने का अनुभव जीजा जी से प्राप्त हो चुका था तो मैं सुमन को भी वैसे ही किस करने लगी. मैं सुमन को पूरी तरह से गर्म कर देना चाहती थी और मैं इसमें तेजी के साथ कामयाब भी होती जा रही थी.
सुमन भी मेरी हरकतों की नकल करते हुए मेरा साथ दे रही थी. मैंने उसके हाथों को पकड़ कर अपने चूचों पर रखवा लिया. उसके कोमल हाथों ने मेरे अंदर की काम ज्वाला को और भड़का दिया. मैं भी सुमन की बॉल को अपने हाथों से बारी-बारी से मसल रही थी. चूंकि सुमन को सेक्स का अनुभव नहीं था इसलिए वो वहीं तक आगे बढ़ रही थी जो मैं उसके साथ कर रही थी. वो मेरे चूचों को दबाते हुए मेरे होंठों को ही चूसने में लगी हुई थी.
मगर मैं यह दावे के साथ कह सकती हूं कि उस वक्त सुमन को बहुत मजा आने लगा था. मैंने अपने होंठ सुमन के चूचों पर तने हुए निप्पल पर रख दिये और उसके जवान चूचों को चूसने लगी. मैंने नीचे से अपना हाथ उसकी चूत पर ले जा कर उसको सहलाना शुरू कर दिया. आह-आह … सुमन के मुंह से कामुक सिसकारियाँ अब बाहर आकर बाथरूम में गूंजने लगी थी. आंखें बंद करके हम दोनों ही दोस्त इन आनंद के पलों का मजा ले रही थीं.
फिर मैं उसके चूचों से नीचे की तरफ चली. उसके पेट को चूमती हुई उसकी नाभि पर किस करती हुई उसकी चूत के ऊपर आ रहे हल्के बालों वाली जगह को चूमने और चूसने लगी. सुमन ने अपने हाथ बाथरूम की दीवार से पीछे की तरफ सटा लिये और उसकी चूत आगे की तरफ मेरे मुंह की तरफ आने लगी. फिर मैंने अपने गर्म होंठ उसकी चूत पर रख दिये तो सुमन की जोर से आह … निकल गई. उसकी टांगें थोड़ी फैल गईं. उसकी चूत से चिपचिपा पदार्थ बहना शुरू हो गया था.
मैंने उसकी चूत में जीभ को घुसा दिया तो वह मचलने लगी. वह बाथरूम की दीवार को नोंचने लगी. उसकी चूत मेरे मुंह पर आकर लगने लगी. मैंने सुमन की भीगी हुई गांड को अपने हाथों में थाम रखा था. सुमन अपनी चूत को मेरे होंठों पर धकेलते हुए आह-आह करते हुए अपनी चूत चुसाई का मजा लेने लगी थी.
उसके बाद मैंने सुमन की चूत में उंगली डाल दी. चूंकि उसकी चूत बिल्कुल नई-नवेली कुंवारी कली की तरह थी इसलिए उसकी दोनों फांकें आपस में लगभग चिपकी हुई थीं. मगर मैं तो अपनी चूत का उद्घाटन अपने जीजा से करवा चुकी थी. उसकी चूत पर नीचे के बाल कुछ ज्यादा बड़े थे जबकि मैंने अपनी चूत के बाल बिल्कुल साफ किये हुए थे.
सुमन की अनछुई चूत थी क्योंकि शायद पहली बार मैं ही उसको सहला रही थी. इससे पहले सुमन के अलावा उसकी चूत को किसी ने स्पर्श नहीं किया होगा. फिर अब मैं भी खड़ी हो गई और सुमन भी वैसे ही करने लगी जैसे मैं उसकी चूत में कर रही थी. वह मेरी नकल करने की कोशिश कर रही थी चूंकि उसका तो यह पहला अनुभव था.
अब हम दोनों ही एक दूसरे की चूत में उंगली करने लगीं. दोनों के मुंह से काम वासना की आवाजें बाथरूम में गूंजने लगीं. आह-आह … अम्म … आ … ह्हह … करती हुई दोनों ही तेजी से एक दूसरे की चूत में उंगली करने लगीं. कुछ ही देर में सुमन अकड़ने लगी और जोर से आवाजें करते हुए उसने मेरे हाथ को अपने रस भिगो दिया. मैंने उसकी चूत पर मुंह लगा लिया और उसकी चूत के कुंए से निकल रहे नमकीन पानी को मैं चाटने लगी. वह पता नहीं क्या बड़बड़ा रही थी जो मेरी समझ में नहीं आ रहा था. मैं उसकी चूत को चूसती रही और सुमन शांत हो गई.
उसके बाद हम दोनों ही एक-दूसरे को नहलाने लगीं. नहाते हुए सुमन पूछने लगी- सेक्स इसी को कहते हैं क्या?
मैंने कहा- यह तो सेक्स की एक झलक भर थी. सेक्स का असली मजा क्या होता है वह तो तब पता चलता है जब किसी मर्द का लंड चूत में लिया जाता है. अभी मैंने चाट कर तुम्हारा पानी निकलवाया है लेकिन जब तुम लंड से अपनी चूत की कुटाई करवाओगी और उसके बाद जो रस निकलेगा वह होता है सेक्स का असली मजा. मर्द के बिना औरत की की चूत की प्यास अधूरी ही रहती है. इस प्यास को केवल एक दमदार लंड ही बुझा सकता है.
उसके बाद नहाते हुए मैं फिर से सुमन को चाटने लगी तो सुमन बोली कि मैं थक गई हूँ.
मैंने कहा- तेरी चूत का पानी तो निकल गया लेकिन मेरी चूत तो अभी भी वैसी की वैसी गर्म है.
वह बोली- तो मैं क्या करूं?
मैंने कहा- जिस तरह से मैंने तुम्हारे साथ किया है तुम भी वैसे ही करो.
मेरे कहने पर सुमन मेरी चूत में एक उंगली डाल कर अंदर-बाहर करने लगी.
मैंने कहा- एक उंगली से कुछ पता नहीं चलेगा इस निगोड़ी को. यह अपने जीजा का मूसल लंड ले चुकी है.
वह मेरी बात समझ गई. सुमन ने अपनी दो उंगली डाल दीं. जब इससे भी उसे मैं गर्म होती हुई दिखाई न दी तो उसने तीन उंगली डाल दीं लेकिन तीसरी उंगली पूरी नहीं जा रही थी मगर चूत का द्वार फैल गया था और उसकी उंगलियों से घर्षण से मुझे मजा सा आने लगा.
सुमन ने तेजी के साथ अपनी उंगलियों से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. जब मैं काफी गर्म हो गई तो मैंने उसको चूत चाटने को कहा और वो मेरे किये अनुसार ही अपनी जीभ से मेरी चूत को मजा देने लगी. उसकी गर्म जीभ से मेरी चूत में कुछ और ज्यादा आनंद बढ़ने लगा. मैंने अपने चूचों को अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया. दस मिनट तक मेहनत करने के बाद मैंने सुमन के मुंह पर अपनी चूत का पानी फेंक दिया.
मेरा पानी निकलने लगा तो सुमन उठने लगी मगर मैंने उसे नीचे बिठाये रखा. मैं इस पल का आनंद लेना चाहती थी. जब मैं अच्छे तरीके से झड़ गई तो सुमन उठ गई. उसके बाद हमने अपने आप को साफ किया और बाथरूम से बाहर आ गई.
उस दिन के बाद से सुमन को चूत में उंगली करवाने का चस्का सा लग गया. मैं तो लंड का मजा भी ले चुकी थी इसलिए मुझे दोनों ही कामों में आनंद आता था. जब भी सुमन घर पर अकेली होती थी हम दोनों सहेलियां एक दूसरे की चूत में उंगली करके मजा देने लगीं.
सुमन मेरी चूत में उंगली करती थी और मैं सुमन की चूत में उंगली करती थी. सुमन अब मेरी चूत का पानी भी पीने लगी थी. उसको चूत-रस का स्वाद आने लगा था. हम दोनों सखियों ने एक-दूसरी को कई बार शांत किया. अब सुमन और मेरी दोस्ती पहले से भी और ज्यादा गहरी हो गई थी. अब तो हम दोनों आस-पड़ोस के लड़कों के बारे में भी बातें करने लगी थीं. दोनों ही एक दूसरे को बताती थीं कि कौन सा लड़का पसंद आया और कौन सा हमारे चूत-जाल में फंस सकता है.
मगर अभी तक सुमन की चूत को लंड नहीं मिल पाया था. उसकी प्यास हर बार बढ़ जाती थी. उसका यौवन और ज्यादा निखरने लगा था लेकिन जवानी का असली रंग तो लंड लेने के बाद ही चढ़ना शुरू होता है. लेकिन फिर भी मैं उसकी चूत को शांत रखने की पूरी कोशिश करती ती. जब कई बार उसकी चूत का पानी निकल चुका तो सुमन का मन भी अब लंड लेने को करने लगा. उसने मुझसे लंड का इंतजाम करने के लिए कहा.
मैंने उसको भरोसा दिलाया कि जैसे ही लंड का इंतजाम हो जायेगा मैं उसकी चूत को चुदवा दूंगी.
फिर एक दिन उसकी चूत के लिए मैंने लंड का जुगाड़ भी कर लिया. वह किसका लंड था और मैंने उस लंड को कैसे तैयार किया वो सब मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगी.
पिछली कहानियों की तरह ही मैं अपनी इस समलिंगी लेस्बियन सेक्स कहानी पर आपके कमेंट और मेल का मैं इंतजार करूंगी. तब तक आप अंतर्वासना पर सेक्स कहानियाँ पढ़ते हुए आनंद लेते रहिये. मैं अपनी अगली कहानी के साथ जल्दी ही वापस आऊंगी.
धन्यवाद.
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