दोस्तो, मैं अपनी पिछली सेक्स कहानी
पड़ोसन भाभी से प्यार और फिर चुदाई-1
पड़ोसन भाभी से प्यार और फिर चुदाई-2
से आगे की घटना लेकर फिर से हाजिर हूं. पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि मैंने अपनी पड़ोसन भाभी को पहले पटाया और फिर उसकी चूत भी चोद दी. पड़ोसन भाभी की चुदाई के बाद वो पेट से हो गयी. उनके पति यानि कि मेरे भैया को लगा कि जो बच्चा भाभी के पेट में है वह उन दोनों का ही है लेकिन वो बच्चा मेरा और भाभी का था. भैया को हमारी चुदाई के बारे में नहीं पता था.
कुछ दिन के बाद भैया को फिर से गुजरात जाना पड़ा और भाभी की देखभाल की जिम्मेदारी अब मेरे ही कंधों पर थी. मुझे परेशान होता देख भाभी ने कहा- जब मजा लिया है तो अब सजा भी मिलेगी.
मैंने कहा- आपके लिए हर सज़ा मंजूर है.
अब आगे की कहानी …
मैं भाभी की देखभाल करने लगा. इसी तरह समय बीत गया और 9 महीने के बाद भाभी ने एक बहुत सुंदर से बच्चे को जन्म दिया. भाभी को लड़का हुआ था. हम सब खुश हो गये. बच्चे के जन्म पर भैया और मैंने बहुत मिठाई बांटी. भैया नहीं जानते थे कि ये बच्चा मेरा है.
अब भैया अस्पताल में रहते थे और मैं अपने ऑफिस में होता था. बीच बीच में मैं अपने बेटे को भी देखने के लिए आ जाता था.
भैया ने एक दिन कहा- शुभम मेरी एक हेल्प और कर दो. मैं जिन्दगी भर तुम्हारा अहसान नहीं भूलूंगा.
मैंने कहा- भैया इसमें अहसान की कोई बात नहीं है, आप कहिये कि क्या काम है?
भैया ने कहा- तुम्हारी भाभी को अभी 2 दिन हो चुके हैं लेकिन अभी 2-3 दिन अस्पताल में ही रहना होगा. क्या तुम रात में इसकी देखभाल के लिए रुक सकते हो? रात में तुम रुक जाना और फिर सुबह मैं आ जाऊंगा. मुझे रात में काम पर जाना पड़ रहा है.
भैया को मैंने हां कर दी. उस दिन मैं शाम को 7 बजे ही अस्पताल पहुंच गया. मुझे देख कर भाभी खुश हो गयी. मेरे जाने के बाद भैया वहां से आ गये. उसके बाद भाभी और मैं बातें करने लगे.
भाभी ने कहा- एक बार अपने बेटे को गोद में तो ले लो.
जब भाभी ने उसे मेरा बेटा कहा तो मुझे बहुत खुशी हुई. मैंने अपने बेटे को गोद में लेकर खूब खिलाया.
भाभी बोली- थैंक्स शुभम, जो तुमने मुझे इतनी बड़ी खुशी दी.
मैंने कहा- ये तो मुझे बोलना चाहिए. खुशी तो आपने मुझे दी है.
फिर मैं बोला- भाभी, मेरा मन आपका दूध पीने का कर रहा है. आपकी दूध से भरी हुई चूचियां देख कर मुझसे रुका नहीं जा रहा.
वो बोली- मैं पिला तो दूंगी लेकिन यहां पर कैसे होगा.
मैंने कहा- मेरे पास एक तरीका है. आप बाथरूम में जाओ और वहां से अपना दूध निकाल कर ले आओ.
मेरे कहने पर भाभी अंदर गई और अंदर जाकर एक कटोरी में अपना दूध निकाल कर ले आई. मैंने दूध पीया जो काफी मीठा था.
मैंने भाभी से कहा- आप नहीं पीओगी क्या?
वो बोली- नहीं, तुम ही पीयो, मैं घर जाने के बाद तुम्हारा दूध पी लूंगी.
ये सुन कर हम दोनों हंसने लगे.
तभी भाभी ने कहा- शुभम, बहुत दिनों से मुझे तुम्हारे लंड की महक नहीं मिली है. तुम्हारे लंड को चूसने का बहुत मन कर रहा है.
मैंने कहा- यहां पर लंड तो चुसवाना ठीक नहीं है लेकिन उसकी महक जरूर दे दूंगा मैं आपको.
मैं बाथरूम में गया और अपने लंड को रुमाल से पोंछा. मैंने अपनी लंड की महक रुमाल में ली और फिर बाहर आकर वो रुमाल भाभी को दे दिया. भाभी ने मेरे लंड की महक को रुमाल से लिया.
भाभी बोली- अब तो मेरा मन तुम्हारे लंड का पानी पीने का कर रहा है.
मैंने मना कर दिया ये कह कर कि अभी आपको बच्चा पैदा हुआ है. अगर आप मेरे लंड का पानी पिओगी तो कहीं बच्चे पर कुछ असर न हो जाये. इसलिए लंड का पानी मैं आपको बाद में पिला दूंगा.
भाभी मेरी बात मान गयी. उसके बाद हम दोनों बातें करने लगे. सेक्स के बारे में भी बातें होने लगीं.
भाभी बोली- डॉक्टर ने दो महीने तक सेक्स करने के लिए बिल्कुल मना कर दिया है. लेकिन मैं तुम्हें अपनी बहन की चूत दिलवा दूंगी.
मैंने कहा- नहीं भाभी, मैं आपके सिवाय किसी और की चूत में अपना लंड नहीं दूंगा.
मेरे मना करने पर भाभी ने हम दोनों के बच्चे की कसम दिलवा दी और बोली- तुमको मेरी बहन की चुदाई करनी ही होगी.
भाभी ने कहा- मेरी बहन बहुत बड़ी रंडी है. उसको अपनी चूत में लंड चाहिए ही होता है. मैं तुम्हारे लंड से उसको चुदवा कर रहूंगी.
भाभी के जोर देने पर मैंने भी हां कर दी.
जब तक भाभी अस्पताल में रही तब तक मैं भी उनके साथ ही रहा. रोज रात को भाभी मुझे अपनी दूध पिलाया करती थी. मैं भी अपने लंड की महक रोज भाभी को दिया करता था.
घर आने के पहली रात को अस्पताल में मैं भाभी के साथ था. बच्चा और भाभी दोनों ही सो गये थे. मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं भाभी की ओर देख रहा था. उसकी चूचियां बहुत मोटी हो गयी थीं. उनमें दूध भरा हुआ था. मेरा मन भाभी की चूची का दूध पीने के लिए कर गया.
मैंने धीरे से भाभी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. जैसे ही मैंने चूची को दबाया तो उनकी चूची से दूध निकलने लगा. भाभी एकदम से जाग गयी.
वो बोली- क्या कर रहे हो शुभम?
उसकी चूचियों को सहलाते हुए मैंने कहा- भाभी, मेरा मन आपकी चूची पर मुंह लगा कर दूध पीने का कर रहा है.
वो बोली- घर जाकर जितना मन कर उतना पी लेना, अभी सो जाओ.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.
उसके बाद मैं भी सो गया.
अगले दिन भाभी को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी. मेरा बेटा और भाभी दोनों ही घर आ गये थे. भैया भी बहुत खुश हो गये. जब भाभी घर में आई तो मैंने भाभी और अपने बेटे के ऊपर से 5100 रूपये वार कर दिये. मगर ये मैंने भैया के सामने नहीं किया. उसके बाद वो पैसे मैंने गरीबों में बांट दिये.
रात को जब भैया चले गये तो मैं भाभी के पास गया और उनसे बातें करने लगा.
मैंने कहा- आज तो अपनी चूची का दूध पिला दो भाभी. मुझे आपकी चूची पर मुंह लगा कर आपका दूध पीने का बहुत मन कर रहा है.
मेरे कहने पर भाभी तैयार हो गयी. मैंने अपने मुंह को भाभी की बड़ी सी चूची पर लगा दिया. उनके निप्पल भी एकदम से फूले हुए थे. मोटे अंगूर के दाने के जैसे निप्पल एकदम से नर्म और मुलायम थे जिनमें दूध भरा हुआ था. उनको देख कर ही मेरे मुंह में पानी आ रहा था.
मुंह लगा कर मैं भाभी की एक चूची का दूध पीने लगा. भाभी के मोटे चूचे को दबा दबा कर मैं उसकी चूची का दूध पी रहा था. भाभी का दूध बहुत ही मीठा था. मैंने एक चूची का दूध पूरा पी लिया. उसके बाद मैं दूसरी चूची पर मुंह लगाने लगा. मगर भाभी ने मुझे रोक दिया.
वो बोली- सारा खुद ही पी लोगे क्या, अपने बेटे के लिए भी कुछ छोड़ दो!
फिर मैंने दूसरी चूची का दूध नहीं पीया.
भाभी बोली- शुभम बहुत दिन हो गये हैं, मैंने तुम्हारे लंड को मुंह में नहीं लिया. मैं तुम्हारे लंड को मुंह में लेकर चूसना चाहती हूं.
मैंने कहा- ठीक है. मगर लंड चूसने को ही मिलेगा. लंड का पानी नहीं मिलेगा. जब मेरे लंड से पानी निकलने को होगा तो मैं बता दूंगा और आप लंड को बाहर निकाल देना. पानी को मुंह में नहीं पीना.
भाभी बोली- ठीक है.
लंड चुसवाने के ख्याल से मेरा लंड भी खड़ा हो रहा था. मैंने अपनी पैंट की चेन खोल ली. अंदर हाथ डाल कर मैंने लंड को बाहर निकाल लिया. मेरा लंड आधा उठा हुआ था.
भाभी ने मेरे लंड को प्यास भरी नजर से देखा और उस पर एक किस कर दी. मुझे मजा आ गया. उसके बाद भाभी ने मेरे लंड को अपने गर्म गर्म मुंह में ले लिया और मजे से उसको चूसने लगी. जल्दी ही मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया. बीच बीच में भाभी मेरे लंड पर दांत भी गड़ा रही थी.
तेजी के साथ भाभी मेरे लंड को चूसती रही. भाभी के द्वारा मस्ती में लंड चूसने के कारण पांच मिनट के अंदर ही मेरा पानी निकलने को हो गया. मैंने भाभी से लंड को बाहर निकालने के लिये कहा. मगर भाभी मेरे लंड को नहीं छोड़ रही थी और चूसे जा रही थी.
जब मेरा वीर्य बिल्कुल निकलने ही वाला था तो मैंने जबरदस्ती भाभी के मुंह से लंड खींच कर निकाला. लंड को निकालते हुए मेरे लंड पर भाभी के दांत भी लग गये. बाहर निकालते हुए मेरे लंड से वीर्य छूट पड़ा. मेरे वीर्य की पिचकारी नीचे फर्श पर गिरी.
नीचे गिरे हुए वीर्य को भी भाभी ने अपनी उंगली पर लगाया और अपनी उंगली को चाटने लगी. मुझे बहुत गुस्सा आया.
फिर वो बोली- सॉरी शुभम, तुम्हारा पानी पीने का बहुत मन था मेरा. इसलिए मैं खुद को रोक नहीं पाई.
मैंने कहा- ठीक है, कोई बात नहीं. लेकिन ये बच्चे के लिए ठीक नहीं है.
फिर हम दोनों ने साथ में खाना खाया. खाना खाने के बाद हम बैठ कर बातें करने लगे. उसके बाद हम साथ में लेट गये. मैंने भाभी की चूचियों पर हाथ रख लिये और उनको सहलाने लगा. मेरा बेटा बगल में ही सो रहा था.
भाभी बोली- दो दिन के बाद मैं अपनी बहन को यहां पर बुला रही हूं. तुम्हें मेरी बहन की चुदाई करनी है.
मैंने कहा- वो सब तो ठीक है, लेकिन आप अपनी बहन को मुझसे ही क्यों चुदवाना चाह रही हो और मैं तो उसको जानता भी नहीं, न ही वो मुझे जानती है, फिर कैसे होगा?
वो बोली- देखो, मेरी बहन बहुत बड़ी रंडी है. वो तुम्हारे लंड को आराम से लेकर चुद लेगी. दूसरी बात के बारे में मैं तुम्हें बाद में बताऊंगी कि क्या करना है. बस एक बार तुम उसको बाहर लेकर चले जाना. उसके बाद सब हो जायेगा.
मैंने कहा- भाभी, यदि ऐसा है तो आप अपनी बहन की शादी मुझसे ही करवा दो.
भाभी बोली- नहीं, वो तुम्हारे लायक नहीं है. मैं उसको पसंद नहीं करती हूं. तुम्हें बस उसकी चुदाई करनी है.
दो दिन के बाद भाभी ने अपनी बहन को घर पर बुला लिया. घर आते ही भाभी ने मेरा परिचय अपनी बहन के साथ करवा दिया. जिस दिन भाभी की बहन घर पर आई थी उसके दूसरे दिन भाभी के कहने पर मैंने 2 दिन की छुट्टी ले ली थी.
भैया भी गुजरात चले गये थे. वो 15 दिन के बाद आने वाले थे.
अगले दिन भाभी ने कहा- शुभम, मेरी बहन को बाहर घुमा लाओ. ये शहर देखना चाहती है.
मैंने कहा- ठीक है, मगर ये जाना कहां चाहती है घूमने के लिये, एक बार इससे पूछ तो लो?
तभी उसकी बहन ने कहा- मैंने बहुत दिनों से मूवी नहीं देखी है. आज मूवी देखने के लिए चलते हैं.
उसकी बात से मैं समझ गया कि भाभी सही बोल रही थी. भाभी की बहन पूरी की पूरी रंडी ही थी. उसके रंग-ढंग को देख कर कोई भी बता सकता था कि वो बहुत ही चुदने वाली लड़की है.
दोस्तो, भाभी की बहन का नाम तो मैं आपको बताना भूल ही गया. उसका नाम आरती (बदला हुआ नाम) था. देखने में वो काफी गोरी थी, मगर बहुत ही चालू लड़की थी.
आरती का फिगर 36-38-42 का था. एकदम से तने हुए चूचे और बड़ी सी गांड. उसकी गांड को देख कर तो किसी का लंड भी खड़ा हो सकता था. चोदने के लिए भाभी की बहन बहुत ही मस्त माल थी.
वो भी मेरी पूरी बॉडी को ऊपर से नीचे तक देख रही थी. पहले दिन जब वो घर में आई थी तो तब से ही उसकी नजर मेरी पैंट की जिप पर रहती थी. कई बार मैंने उसको ऐसा करते हुए देखा था.
मैं तभी समझ गया था कि वो पहले से ही चुदने के लिए तैयार है. जैसा कि भाभी ने बताया था कि उसकी बहन की चूत में बहुत खुजली होती है. इसलिए वो लंड लेने के लिए कोई शायद ही छोड़ती होगी.
दोस्तो, कहानी के अगले भाग में मैं आपको बताऊंगा कि शिवानी भाभी की बहन आरती को मैंने कैसे चोदा. उसने मेरे साथ क्या किया. उसकी चुदाई करके मुझे कैसा लगा, ये बातें मैं आपको कहानी के अगले भाग में बताऊंगा.
इस कहानी के बारे में अपनी राय देना आप भूलें नहीं. नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करें और मुझे नीचे दी गयी ईमेल आईडी पर मैसेज भी करें. भाभी की चुदाई और भाभी की बहन की चुदाई की कहानी जारी है.
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कहानी का अगला भाग: पड़ोसन भाभी ने अपनी बहन की चूत दिलायी-2