चुदासी भाभी की सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे बस में मुझे एक भैया भाभी मिले. मैं भाभी की खूबसूरती का कायल हो गया. मगर भाभी तो खुद ही मेरे लंड की दीवानी निकली! कैसे?
नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त शिवम आपके सामने एक बार फिर से हाजिर हूं।
जिन पाठकों ने मेरी कहानी
मामी की चूत चुदाई की चाहत
पढ़ी होगी वो मुझे पहचान गए होंगे।
सर्वप्रथम मैं अन्तर्वासना को हृदय से धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने मेरी आपबीती को अन्तर्वासना जैसे विश्वप्रसिद्ध मंच पर प्रकाशित करने योग्य समझा.
मैं पाठकों का भी धन्यवाद करता हूं जिन्होंने मेरी कहानी को पसंद किया और मुझे अपने संदेश भेजे.
अब मैं आपको अपनी नयी चुदासी भाभी की सेक्स कहानी बताता हूं.
यह घटना मेरे साथ दिसम्बर 2019 में घटी थी.
इस कहानी की नायिका है मेरे चाचा के शहर की एक बहू जिन्हें मैं भाभी कह कर संबोधित करता हूं।
उनका नाम दिव्या है और फिगर साईज 34-28-36 है जो अच्छे अच्छे चोदू लंडों का पानी 2 मिनट में निकाल दे.
उनकी गांड को देखकर तो वैसे ही कमजोर लौड़ों का पानी निकल जाये.
एक दिन मैं पढ़ाई कर रहा था तो मेरे चाचा जी का फोन आया कि मुझे अपनी चाची को लेकर तीर्थ यात्रा पर जाना है.
गांव में हमारी काफी खेती है जो चाचाजी ही देखते थे. इस कारण वो नहीं जा सकते थे.
मैं भी पिछले बहुत समय से कहीं घूमने नहीं गया था इसलिए मैंने भी तुरंत चाचा जी को हां कह दिया.
फिर वो दिन आ गया जब हमें यात्रा के लिए निकलना था.
मैं उसके एक दिन पहले ही गांव पहुंच गया था।
उस दिन मैंने सोचा कि घूमना तो ठीक है लेकिन बस में सफर करते हुए तो बोर हो जाऊंगा.
मैं भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि कोई लड़की साथ के लिए मिल जाए.
यही सोचते सोचते हम बस स्टैंड पहुंचे जहां से हमें यात्रा के लिए जाना था।
बस वाले कन्डक्टर ने हमें हमारी सीट बता दी.
मैंने चाची को बैठा कर सारा समान ठीक तरीके से लगाया.
फिर मैं भी चाची के साथ बैठ गया क्योंकि सीट डबल स्लीपर वाली थी।
तभी कन्डक्टर आया और उसने मुझे बताया कि इस सीट पर चाची के साथ एक और महिला हैं और मेरी सीट सबसे पीछे बने कैबिन में है.
मैं उन पर चिल्लाया कि पीछे बहुत दचके लगते हैं, मैं नहीं बैठ पाऊंगा लेकिन मेरी बात का कोई असर नहीं हुआ उस पर. फिर मुझे पीछे की सीट पर ही बैठना पड़ा.
गुस्से में मैं वहां जाकर बैठ गया और अपने मोबाइल से इयर फोन कनेक्ट करके गाने सुनने लगा.
थोड़ी ही देर बाद बस चल पड़ी.
रात काफी हो चुकी थी. उस केबिन में कोई नहीं आया.
मैंने जाकर कन्डक्टर से पूछा- यहां कोई और भी आने वाला है क्या?
तो वो बोला- आगे चलकर एक परिवार बीच में से चढ़ेगा.
यह सुनकर फिर मैं अपनी सीट पर जाकर लेट गया.
फिर कुछ ही दूरी पर चलकर बीच में बस रुकी तो मैंने सोचा कि पेशाब कर लूं क्योंकि अभी तो सफर शुरू भी नहीं हुआ था.
और बस पता नहीं इसके बाद कितनी देर में रुकने वाली थी.
मैं पेशाब करके वापस आ रहा था कि वो परिवार आ गया जिसके बारे में कन्डक्टर ने बताया था.
तभी वो लोग अपना समान लेकर आने लगे और मुझसे मदद के लिए पूछा तो मैंने भी उनका समान रखवा दिया।
अब समस्या ये थी कि मेरे वाले केबिन में काफी समान हो गया था और लेटने में तकलीफ हो रही थी.
फिर किसी तरह से हमने एडजस्ट कर लिया.
उस परिवार में एक भैया और उनकी पत्नी और दो बच्चे भी थे.
उन भैया को मैं जानता था लेकिन भाभी को पहली बार देखा था।
भाभी इतनी खूबसूरत थी कि जैसे चांद की चांदनी को अपने में समेटे हुए हो। वो गहरे हरे रंग की साड़ी पहने हुए थी.
वो सब बैठ गए और रात का समय था तो सोने की तैयारी करने लगे।
मैं भी दोबारा इयर फोन कनेक्ट करके लेट गया और पता ही नहीं चला कब सो गया।
रात में करीब 2 बजे मेरा प्रेशर फिर बना तो देखा वो भाभी मेरे बगल में ही सो रही थी।
भैया नीचे वाली सीट पर एडजस्ट करके सो गये थे. मैंने कोई ज्यादा हलचल नहीं की और बस रूकवायी और पेशाब करने चला गया।
जब बस रुकी ही थी तो कन्डक्टर ने सबको बोल दिया कि सब पेशाब कर आओ. फिर बस सीधे सुबह अयोध्या रुकेगी.
फिर तो सब एक एक करके उतर गए।
मैं पेशाब करके जैसे ही पीछे मुड़ा तो देखा कि अंधेरे में कोई बैठा पेशाब कर रहा है.
जब नजदीक गया तो देखा वही भाभी मूत रही थी.
मुझे देखकर वो घबरा कर उठ खड़ी हुई.
वो बिना पैंटी ऊपर किये तेजी से चलने लगी और वहीं पर उलझ-पुलझ होकर गिर पड़ी.
मैंने उनको उठाने के लिए जल्दी से हाथ बढ़ाया.
फिर वो उठकर अपने कपड़े झाड़ने लगी और मैं उनको बस तक ले गया.
सब बस में बैठ गए और बस आगे बढ़ गई.
भैया तो तुरंत सो गए लेकिन मैं और भाभी जाग रहे थे.
मैं भाभी की चूत को देख चुका था. असलियत में चिकनी चूत को देखकर मेरी नींद गायब हो गई थी।
हम ऐसे ही शांति से लेटे रहे.
फिर भाभी ने ही चुप्पी तोड़ी और मुझसे सॉरी बोलने लगी कि ऐसे उन्हें नहीं बैठना चाहिए था.
मैंने कहा- आप जानबूझकर थोड़े ही बैठीं थीं? कोई नहीं, आप ज्यादा मत सोचो, सब चलता है।
इससे वो थोड़ा सहज हुईं और ऐसे ही बातें चलने लगीं.
बातों बातों में उन्होंने मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा.
मैंने उन्हें मना कर दिया क्योंकि मैं अभी तक सिंगल ही हूं.
वो कहने लगी कि तुम तो ठीक ठाक दिखते हो फिर कोई गर्लफ्रेंड बनाई क्यों नहीं? आजकल तो जवान लड़के दो दो गर्लफ्रेंड भी रखते हैं और तुम्हारी एक भी नहीं है?
अब मैंने भी मौका देखा और बोला- मजा लेने के लिए अगर आप जैसी खूबसूरती हो तो कुछ बात भी हो. आप जैसे खुले विचारों वाली लड़की कहां मिलेगी मुझे. इसलिए अभी तक मैं सिंगल हूं.
इस पर वो हंस दी और फिर बोली- सो जाओ.
मैंने उनको गुड नाइट बोला और लेट गया.
करीब आधे घंटे बाद उन्होंने करवट ली और सीधे अपना पैर मेरे लंड पर रख दिया.
उनका हाथ मेरी छाती पर आ गया था.
आप सोच सकते हैं कि वो लगभग पूरी ही मेरे ऊपर आ गयी थी जैसे.
अब ऐसी हालत में मेरे विचारों में सेक्स के अलावा और क्या आ सकता था.
सोच सोचकर मेरे लंड में गर्माहट आ गयी और लंड तन गया.
तभी उन्होंने अंगड़ाई ली और मेरे लंड पर हाथ रख दिया. मैं एकदम से स्वर्ग में पहुंच गया. मेरे गर्म तने हुए लौड़े पर भाभी का हाथ था.
लंड में एकदम से झटके लगने लगे.
मैं सोच रहा था कि शायद भाभी ने नींद में लौड़ा पकड़ लिया है.
मगर फिर बाद में देखा कि उनका हाथ मेरे लंड पर हरकत कर रहा था.
धीरे धीरे करके उनका हाथ मेरे लंड पर चलने लगा और वो मेरे लंड को सहलाने लगीं.
मैंने लोअर पहनी हुई थी और मेरे तने हुए तंबू को भाभी का हाथ आराम आराम से सहला रहा था.
इधर मेरी हालत खराब हो रही थी.
जब मुझसे बर्दाश्त न हुआ तो मैंने उनके हाथ पर हाथ रख दिया और उनके हाथ को अपने लंड पर दबाने लगा.
वो एकदम से जाग गयीं और मेरी आंखों में देखने लगीं.
उनकी आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे जो मुझे और भी ज्यादा उकसा रहे थे.
दोनों की ही आंखों में वासना साफ साफ देखी जा सकती थी. मैंने बिना सोचे उनके होंठों पर होंठ रख दिये और उनके कोमल गुलाबों का रस पीने लगा.
वो भी जैसे पहले से तैयार बैठी थीं. मेरी गर्दन में हाथ डालकर मेरे होंठों को चूसने लगीं और मेरा पूरा साथ देने लगीं.
काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे को किस करते रहे.
फिर वो चुदासी भाभी धीरे से मेरे कान के पास होंठ लाकर बोलीं- मैं जानबूझकर तुम्हारे पीछे मूतने के लिए बैठी थी.
ये सुनकर तो मेरा लंड एकदम से तड़प गया.
भाभी तो खुद मुझसे चुदना चाह रही थी.
ये सोचकर तो मेरा मन करने लगा कि उसको ऐसे चोदूं कि उसकी चूत के चिथड़े उड़ जायें.
भाभी कहने लगी कि वो मेरा लंड देखना चाहती थीं.
मैंने तभी अपनी लोअर को नीचे कर दिया और अपना नाग उनके सामने कर दिया.
उन्होंने उसे हाथ में भरा और जोर से भींच दिया.
मैंने उनके चूचे दबाने शुरू कर दिये.
वो धीरे धीरे कसमसाने लगी.
ज्यादा आवाज नहीं कर सकते थे क्योंकि रिस्क बहुत था.
फिर मैंने चुदासी भाभी का ब्लाउज खोल दिया और चूचियों को दबाने लगा.
उनके एक निप्पल को मैंने काली ब्रा से निकाल कर चूसा और थोड़ा काट लिया जिससे वो सिसकारने लगी लेकिन मैंने तुरंत उनके मुंह को बंद कर दिया.
वो बोली- शिवम, तुम ये चूमा चाटी बाद में कर लेना. मेरी चूत पूरी गीली हुई पड़ी है. एक बार मेरी चूत को चोद दो. अगर पति उठ गये तो फिर कुछ नहीं हो पायेगा.
भाभी की बात सोलह आने सही थी.
मतलब तो चुदाई से ही था.
इसलिए मैंने भी देर करना ठीक नहीं समझा. मैंने उनकी साड़ी और पेटकोट को एक साथ ऊपर किया और उनकी काली पैंटी को देखा.
काली पैंटी पर उनका रज अलग से चमक रहा था.
मैंने जीभ निकाल कर उस रस को चाटा तो मेरे अंदर कामदेव साक्षात विराजमान हो गये.
अब तो मैं किसी भी हालत में नहीं रुक सकता था चाहे उनके पति के सामने ही भाभी की चुदाई करनी पड़ती.
मैं सीधा उनकी पैंटी पर किस करने लगा और चाटने लगा. फिर उनकी पैंटी को उतार कर जैसे ही अलग किया तो भाभी की चूत से ऐसी ग़ज़ब की खुशबू आई कि मैं मदहोश हो गया.
उनकी चूत की वो खुशबू अभी भी मेरे जहन में ताजा है. उसको सोचते ही लंड फुंफकारने लग जाता है.
तो फिर उनकी चूत को जैसे ही मुंह लगाया तो वो एकदम से उछल पड़ी और अपनी योनि में मेरा मुंह घुसा दिया.
मैं तेजी से उनकी चूत में जीभ को घुसा घुसाकर चूत को अंदर तक चोदने लगा.
दो मिनट में ही भाभी की चूत से रस का झरना बह निकला.
मैंने वो सारा पानी अपने मुंह में पी लिया.
ऐसा अमृत था कि मैं तो जैसे स्वर्ग पा गया.
फिर मैंने उनकी चूत का वो कुछ पानी भाभी के होंठों को चूसते हुए उन्हें भी पिला दिया.
अब मैंने अपनी लोअर को चड्डी समेत जांघों तक कर लिया. मेरा लंड अब भाभी की चूत में जाने के लिए तड़प रहा था.
मैंने उनकी चूत पर लंड को सटा दिया और उनकी गांड को भींचते हुए उनके होंठों को पीने लगा.
हालांकि इतना मजा लेने का टाइम नहीं था फिर भी मैं जितना हो सकता था उतना लूट लेना चाहता था.
लंड मेरा लंबा और मोटा है. मुझे पता था कि लंड चूत में घुसेगा तो भाभी के मुंह से कुछ न कुछ आवाज तो जरूर होगी.
मैंने उनकी पैंटी उनकी टांगों से निकाल दी और फिर उनके मुंह में ठूंस दी.
जैसे ही मैंने अपने लंड का सुपारा उनकी चूत पर रखा तो उन्होंने खुद धक्का देकर लंड को अंदर फंसा लिया.
फिर मैंने एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिया.
मेरा लंड उनकी चिकनी चूत में गचक … करके से सरक गया जो जाकर सीधा उनकी बच्चेदानी में लगा.
उनकी जोर की आह्ह … निकली जो पैंटी के नीचे उनके मुंह में ही दबी रह गयी.
चुदासी भाभी का चेहरा लाल पड़ गया. आंखें पानी से भर गयीं लेकिन उनके चेहरे पर एक संतुष्टि सी आ गयी थी लंड को चूत में लेकर.
फिर वो आगे बढ़ने का इशारा करने लगीं.
मैंने भाभी की चूत में लंड को चलाना शुरू कर दिया.
दोस्तो, ये वो पल थे जिनका आनंद शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता था.
एक गोरी चिकनी मस्त माल भाभी को भरी बस में चोदने में जो मजा आ रहा था उसकी व्याख्या के लिए शब्द नहीं है मेरे पास.
एक भाभी जब पति के साथ होते हुए भी चुदवा लेती है तो सोचो कि उसकी चूत में कितनी आग होगी.
भाभी की चूत की गर्मी जैसे मेरे लंड को जला रही थी और मैं उस आग में जैसे भस्म हो जाना चाह रहा था.
उसकी गर्म गर्म चूत को मैंने करीबन 10 मिनट तक चोदा और फिर मेरे लंड से ज्यादा देर नहीं संभला गया.
मैंने अपना गर्म लावा भाभी की गर्म चूत में भर दिया.
चुदासी भाभी की बच्चेदानी को गीली करने के बाद मेरा शेर भीगी बिल्ली बनकर बाहर आ गया.
फिर हम चुपचाप अपने कपड़े ठीक करके आराम से लेट गये.
उसके बाद बस में तो कुछ नहीं कर पाये लेकिन फिर जहां हम जाकर ठहरे वहां कमरे में मैंने भाभी को खूब चोदा.
मैंने वहां भाभी की गांड चुदाई भी की. उस घटना को बताने में यह कहानी बहुत लम्बी हो जायेगी इसलिए इसको यहीं खत्म कर रहा हूं.
भाभी के साथ की गयी उस मस्ती को मैं अन्य कहानी में लिखूंगा.
मुझे उम्मीद है कि आपको चुदासी भाभी की सेक्स कहानी पसंद आई होगी. आप सब मेरा हौसला बढ़ायें और अपने मैसेज और कमेंट्स में अपनी राय दें.
मुझे आप सभी प्यारे पाठकों के फीडबैक का इंतजार रहेगा.
अगली कहानी मैं जल्द ही लेकर आऊंगा.
धन्यवाद दोस्तो. अपना खयाल रखिए और अन्तर्वासना की गर्म सेक्स कहानियों का मजा लेते रहिये.
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