धान की बुआई चल रही थी खेतों में! हमारे खेत की हिस्सेदार एक आंटी मेरे साथ थी. उनके भरे गदराये बदन को देखकर मेरे लन्ड में आग लग गई। मैंने आंटी की चूत चुदाई कैसे की?
दोस्तो, मेरा नाम अभिलाष है। मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं और पिछले कुछ सालों से गुड़गांव में रहता हूं। मेरी उम्र 26 साल है। ये मेरी पहली कहानी है जो कि मेरे गांव की आंटी की है और एकदम से सच है। लिखने में कोई गलती हो जाए तो माफ़ कर देना।
बात अभी जुलाई महीने की है मैं कुछ दिनों के लिए अपने गांव गया हुआ था. उस वक्त धान की फसल की बुआई का समय चल रहा था। हमारी भी काफी जमीन है जिसमें हम दूसरों से चौथाई हिस्सा पर खेती करवाते हैं। हमारे खेतों में भी धान लग रही थी तो मैं भी खेत पर ही था।
हमारे खेत की हिस्सेदार एक आंटी थी। आंटी की उम्र लगभग 35-36 है और फिगर 34-34-36 है। हल्का गेहूंआ रंग एकदम कसा हुआ और गदराया हुआ बदन था। मोटी उठी हुई गांड थी चूची उनके ब्लाउज से बाहर आने को बेताब हो रही थी.
उनको देखकर मेरे लन्ड में आग लग गई। मैं उनके पास खड़ा होकर उनसे बातें कर रहा था और मेरा लन्ड पैंट के अन्दर से ही उबाल मारकर बाहर निकलने को बेकाबू होने लगा।
शायद उनकी नजर मेरी पैंट पर पड़ गई थी। उनके पति ज्यादातर हलवाई के काम पर बाहर ही रहते थे।
फिर वो धान लगाने में लग गयी और मैं अपने लन्ड को मसलते हुए पानी के कुएं पर आ गया और सो गया।
थोड़ी देर बाद वो भी खाना खाने वहीं आ गई और मुझे उठाकर खाने के लिए बोला.
मैं भी खाना खाने बैठ गया।
तो उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारी दोस्त कैसी है?
मैंने कहा- कोई नहीं है।
आंटी बोली- झूठ मत बोलो!
मैं बोला- आपकी कसम आंटी कोई नहीं है।
वो मजाक में बोली- तो तुम अभी तक कुंवारे हो?
तो मैंने भी मजाक में बोल दिया- आप हो ना मेरी दोस्त!
वो मुस्कुरा कर बोली- मेरा क्या करोगे? अब तो मेरी उम्र हो गई अब तुम्हें मजा नहीं आयेगा मुझमें।
इतना सुनकर तो मेरे लन्ड में फिर से उफ़ान आ गया और मैं मन ही मन खुश हो गया कि शायद आज मुझे पहली बार आंटी को चोदने का मौका मिल सकता है और मैंने अपने हाथ से लन्ड को पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया.
ऐसा करते हुए उन्होंने मुझे देख लिया और मुस्करा कर चलीं गईं।
फिर शाम को घर जाने का समय हुआ और लेबर 5 बजे ही अपने घर को चली गई.
और खेत पर मैं और आंटी ही रह गए.
मैंने ट्यूबवेल बन्द किया और घर चलने की तैयारी करने लगे। उसके बाद सारा सामान कमरे के अंदर रखकर कमरा बंद कर दिया और हम दोनों घर के लिए निकल पड़े।
हमारा घर खेत से लगभग 1 किलोमीटर है और पैदल का ही रास्ता है। उस समय गन्ना और मकई फसलें भी काफी बढ़ी हुई थी, रास्ते के दोनों ओर कुछ नहीं दिख रहा था।
आंटी आगे-आगे चल रही थी और मैं आंटी की मोटी गांड को देखता हुआ उनके पीछे-पीछे चल रहा था.
मेरे अंदर वासना की आग लग रही थी तो मैंने आंटी को पीछे से पकड़ लिया.
वो एकदम से सकपका गई और जोर से चीख पड़ी.
मेरी तो हालत खराब हो गई।
वो थोड़े गुस्से में बोली- ये क्या कर रहे हो तुम? कोई देख लेगा तो क्या कहेगा।
मैं थोड़ा खुश हुआ कि आंटी चुदना तो चाहती हैं पर डर रही है।
मैंने कहा- कोई नहीं है आंटी यहां, कोई नहीं देखेगा हमें!
और मैंने उन्हें फिर से पकड़ कर मक्का के खेत में घुसा लिया और पीछे से पकड़ कर उनकी दोनों चूचियों को दबाने लगा.
मैं आंटी की गर्दन पर चुम्बन करने लगा ‘पुच्च्च पुच्च उम्म्म’
थोड़ी देर मना करने के बाद वो गर्म होने लगी तो वो धीरे धीरे सिसकारियां भरने लगी- आह्ह्ह उफ्फ आइईईई आह्ह्ह!
और बोली- मैं तो तुम्हें बहुत सीधा समझ रही थी. तुम तो बहुत हरामी हो।
मैं बोला- आपको देखकर तो कोई भी कमीना हो सकता है आपकी मोटी चूचियां और गांड ने सुबह से ही मेरे लन्ड में आग लगा रखी है.
तो वो बोली- आग तो मेरी चूत में भी लगी हुई है. पानी-पानी हो रही है, बहुत दिनों से चुदी नहीं है. आज तुम्हारे लौड़े से इसकी आग बुझेगी!
और वो सीधी होकर मुझसे लिपट गई.
फिर मैं उनके होंठों को चूसने लगा ‘उम्म्म पुच्च्च पुच्च्च उम्म्म्म …’ बहुत मजा आ रहा था उनके होंठों को चूसने में!
‘उम्म्म्म पुच्च्च्च पुच्च्च’
फिर आंटी बोली- देर हो रही है. अब जल्दी से मेरी चूत की आग बुझा दो.
वो नीचे एक कपड़ा बिछाकर लेट गई और खुद ही अपने साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठा लिए।
मैंने भी देर ना करते हुए अपने लन्ड को पैंट से बाहर निकाला जिसे देखकर आंटी खुश हो गई और जल्दी से अपनी चूत में घुसाने को बोलने लगी।
मैंने उनसे अपना लन्ड चूसने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया बोली- मैंने कभी मुंह में नहीं लिया।
उसके बाद मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए. उनकी दोनों चूचियां ब्लाऊज़ से निकल कर बाहर आ गई. वो ब्रा और पैंटी नहीं पहनती थी.
मैं उनकी दोनों चूचियां दबाने लगा और चूसने लगा और वो जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी- आह्ह्ह उफ्फ आइइई ईईईई आह्ह्ह करके मेरा नाम लेने लगी।
आंटी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और चुदने के लिए तड़प रही थी. उन्होंने मेरे लन्ड को अपने हाथ में पकड़ कर मसलने लगी और बोली- अब घुसा भी दो इसे मेरी चूत में!
फिर मैंने आंटी की दोनों टांगों को फैला कर अपना लन्ड उनकी चूत पर लगा दिया और रगड़ने लगा.
वो सिसकारियां भरने लगी ‘आह्ह्ह उफ्फ’ और मेरा लन्ड पकड़ कर अपनी चूत में घुसाने लगी.
फिर मैंने लन्ड को चूत के मुंह पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा. मेरा लन्ड आंटी की चूत में फच्च से पूरा घुस गया. उनकी ‘आह्ह्ह्ह्ह्ह’ करके हल्की सी चीख निकल गई और आंटी ने मुझे कसके पकड़ लिया.
आंटी की चूत बहुत गरम हो गई थी. मुझे भी बहुत आनंद आया और मैं फिर धक्के लगाने लगा. ‘फच्च फच्च फच्च’ की आवाज आने लगी चूत से!
और आंटी मस्त होकर चुदवाने लगी. उनके मुंह से ‘आह्ह्ह उफ्फ आइईई ईईईई आह्ह्ह चोदो और ज़ोर से चोदो’ की आवाज सुनाई दे रही थी.
मैं भी मस्त होकर धक्के मारे जा रहा था.
पहली बार किसी औरत को चोद रहा था मैं … तो अलग ही मजा आ रहा था. वो भी बिना कंडोम के!
मेरे हर धक्के पर आंटी आह्ह उफ्फ आइइइ ईईईई करके कराह उठती थी और पूरे जोश में अपनी गांड को नीचे से उठा उठाकर मेरा लन्ड अपनी चूत में ले रही थी।
20 मिनट की जोरदार चुदाई में आंटी दूसरी बार झड़ने वाली थी और मेरे लन्ड का पानी भी निकलने वाला था.
तो मैंने जोर जोर से धक्कों के साथ पूरा पानी आंटी की चूत में डाल दिया और उनके ऊपर ही लेट गया.
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कुछ देर बाद हमने अपने कपड़े ठीक किए और घर को चले गए.
उसके बाद मैं आंटी को अब तक सात बार चोद चुका हूं. और अपना लन्ड भी चुसाया और आंटी की चूत चाटने का मजा भी लिया।
वो कहानी अगली बार लिखूंगा।
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