भीड़ भरी ट्रेन में मुझे एक चिकना लड़का मिला. उसने मेरे लंड पर हाथ रख दिया. उसके बाद क्या हुआ? ट्रेन में गांड चुदाई की इस कहानी का मजा लें.
नमस्कार! एक बार मैं आजाद गांडू फिर से आपको गांड चुदाई की कहानी वाली गे सेक्स की दुनिया में ले आया हूँ.
अब तक आप मेरी जिन्दगी में बीती गांड चुदाई की कहानी में पढ़ रहे थे कि असलम भाई की गांड मार कर और उनसे अपनी एक बार गांड मरवा कर मैंने उनकी उदासी और हताशा को कम कर दिया था.
रेलवे के दैनिक श्रमिक संग अट्टा बट्टा
इसी कड़ी में अपने अगले अनुभव को आपके साथ लिख रहा हूँ. उसे सुनिए.
एक बार मैं ट्रेन से झांसी जा रहा था. ट्रेन बहुत भरी थी. मैं गैलरी में खड़ा हो गया.
बगल में एक बहुत सुन्दर बना-ठना लड़का खड़ा था. यही कोई तेईस-चौबीस साल का रहा होगा. मैं उससे एक साल बड़ा था.
रात का समय था. उसने अपना हाथ पैंट के ऊपर से मेरे लंड पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा.
फिर मेरी पैंट की जेब में हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ कर फुसफुसा कर बोला- बहुत सख्त है.
मैंने कहा- लोगे?
वह मुस्करा दिया और कहने लगा- लेट्रिन में चलें.
मैंने कहा- स्टेशन पर मेरे साथ उतरोगे?
वो झांसी स्टेशन पर मेरे साथ उतरा, तो हम दोनों वेटिंग रूम में पहुंच गए.
वहां के प्रभारी ड्यूटी पर थे वो मेरे परिचित थे.
उन्होंने कमरा दे दिया.
उस लड़के का नाम राकेश था, वो साला प्रोफेशनल गांडू था … मेरा मतलब गांड मराने का उसका एक तरह से साईड बिजनेस था.
वह ग्वालियर या आगरा काम के सिलसिले में जाता था और लौटते समय रोज किसी न किसी ट्रेन में नया ग्राहक पकड़ना उसका काम था.
खैर … उसे लेकर मैं कमरे में आ गया.
उसने कमरे में आते ही जल्दी से अपनी जींस उतार दी और अंडरवियर उतार कर पलंग पर औंधा लेट गया.
मैं भी अपनी पैंट उतार कर उस पर चढ़ बैठा. थूक लगा कर लंड टिकाया और अन्दर कर दिया. वह थोड़ा ‘आ आ आ ..’ करने लगा.
मैं- अरे यार नखरेबाजी नहीं … तुम तो एक्सपर्ट हो … मुस्कराओ.
मेरी बात सुनकर वह हंसने लगा.
मैंने उसे मजे से चोदा.
अन्दर बाहर करते समय मैंने उससे बार बार पूछा- यार लग तो नहीं रही.
वह टांगें चौड़ी किए लेटा रहा.
फिर हम दोनों अलग हो गए.
वह बोला- आपका बड़ा है … मस्त है मजा आ गया.
वह अपनी जींस पहनने को हुआ, तो मैंने रोक कर कहा- थोड़ा ठहर जा राकेश.
वह मुझे देखने लगा. मैं तब तक पलंग पर औंधा हो गया और कहा- यार, तू भी मेरी में डाल दे.
वह मेरे ऊपर चढ़ बैठा और थूक लगा कर उसने मेरी गांड में लंड पेल दिया.
उसने ठीक ठाक चुदाई की. मैं चुपचाप लंड पिलवाता रहा.
वह बोला- आपमें सहन करने की बड़ी ताकत है. मेरा आराम से झेल गए.
फिर मेरा लंड हाथ में लेकर बोला- आपका हथियार मस्त है … चुदाई में मजा बांध दिया.
मैंने कहा- यार … ज्यादा बड़ा तो नहीं लगा? तुमने तो इससे और बड़ा भी लिया होगा.
मैं सोच रहा था कि कहेगा नहीं, आपसे बड़ा नहीं देखा.
पर उसने मेरी झक्की खोल दी- हां जी, इससे बड़ा मेरे एक दोस्त या साथी कह लीजिए, उसका है. उसकी चुदाई भी भंयकर वाली है. साला फाड़कर रख देता है. आपने तो गांड का बड़ा ख्याल रखा, ग्राहक बहुत बेरहम होते हैं.
उसके मुँह से बड़े लंड की सुनकर मेरी गांड कुलबुलाई- यार, मुझे भी मिलवाओ उससे.
वह बोला- मेरे पास उसका नम्बर तो नहीं है. पर कल चलेंगे.
वह सुबह ही मेरे पास आ गया- सर जी चलें?
हम ऑटो से गए, वह एक कॉलेज की बिल्डिंग थी.
वह यहां ट्रेनिग के लिए दिल्ली से आया था.
कुछ लड़के कॉलेज से निकल रहे थे. सात आठ बजे सुबह का समय था.
मेरा साथी लड़का उसे आता देख कर मुझसे बोला- वह रहा.
मैंने कहा- जाओ बात करो.
वह उसके पास जाकर उसे बुला लाया. वो करीब आया, तो मैंने देखा कि वह काला लम्बा था.
हम दोनों ही लम्बे थे, पर वह मुझसे भी कुछ इंच ज्यादा लम्बा था. ऊंचा स्लिम छरहरा था. रसीले मोटे होंठ, बड़ी बड़ी आंखें. हां नाक सुतवां नुकीली सीधी!
राकेश की ही उम्र का लगभग चौबीस पच्चीस का रहा होगा.
मेरा उससे परिचय हुआ.
‘मैं जेम्स.’
मैंने कहा- क्या तुम अफ्रीकन हो?
वह बोला- हाफ अफ्रीकन … हाफ पंजाबी. चलो नाश्ता करते हैं, वहीं बात हो जाएगी.
हम स्टेशन की कैन्टीन में आ गए.
मैंने पूछा- क्या खाओगे?
वह बोला- इडली व एक गिलास दूध … बस ज्यादा कुछ नहीं.
सबने यही खाया. मैंने सबका पेमेन्ट किया और उससे पूछा- ज्यादा नाश्ता क्यों नहीं किया?
वह बोला- सुबह सुबह वैसे ही ज्यादा नहीं खा सकता.
फिर वह हंसा- भरे पेट काम भी नहीं बनता.
हम सब बात करते हुए कमरे पर आ पहुंचे. मैंने अपने कपड़े उतार दिए और लेट गया.
उसने राकेश को कपड़े उतारने को कहा और इशारा किया- सर जी पर चढ़ो.
राकेश मेरी जांघों पर घुटने मोड़ कर बैठ गया. उसने अपना लंड सूंत कर थूक लगा कर टिकाया, तो जेम्स बोला- मेरे पास तेल की शीशी है.
उसने तेल लेकर अपने हाथ से राकेश के लंड पर लगा दिया. अब राकेश ने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया और लंड अन्दर बाहर करने लगा. वह जोर से धक्के लगा रहा था.
कल ही तो उसने मेरी मारी थी, मगर आज दुगने जोश में था. वह मेरी मार कर निपट कर उठा.
मैं उठने लगा, तो जेम्स बोला- लेटे रहिए सर.
उसने अपनी जीन्स उतारी और अपना अंडरवियर भी उतार दिया.
अब मुझे उसका फनफनाता लंड दिखा, वह वाकयी लम्बा और मोटा था. नसीम भाईजान के बराबर … या थोड़ा बड़ा ही होगा. वैसा ही जबरदस्त मोटा … लगभग दस ग्यारह इंच का तो होगा ही … भयंकर लंड था.
अब वह मेरे ऊपर बैठा. उसने अपने लंड पर तेल मला, थूक भी लगाया और अपने उचकते सलामी देते लंड को मेरी तड़पती मचलती गांड पर टिका कर धक्का दे दिया. लंड का सुपारा अन्दर किया तो ऐसा लगा कि उन पुराने दिनों की याद आ गई हो.
जब बचपने में कोई नया नया जवान लौंडा अपना मस्त लंड मेरी चिकनी मक्खन सी गांड में लंड पेल रहा होता था. उस समय गांड में ऐसा लगता था, मानो गांड फटने को है. वह मेरे दोनों चूतड़ों पर अपने हाथ रखे सहला रहा था. पर मैंने अपना मुँह कस कर बंद कर लिया.
उसने एक धक्का और से मारा. उसका आधा हथियार अन्दर पिल गया.
मेरी गांड में दर्द तो हो रहा था. मगर ऐसा मौका मिलता कब कब है.
मैंने बस गांड ढीली कर ली.
वह लंड पेलता हुआ बोला- बस सर जी, ऐसी ही ढीली किए रहें और कॉपरेट करें. बस पूरा चला गया, थोड़ा और रहा है.
अब उसने जोर से कस लगा कर पूरा लौड़ा अन्दर कर दिया. वह पीठ से अपनी बांहें निकाल कर मेरे सीने पर कस लीं और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.
दो तीन धक्के लगाए … फिर बोला- तकलीफ तो नहीं हो रही … वरना निकाल लूं?
मैं चुप रहा, तो बोला- अब थोड़ा सहन करना. ये कह कर उसने दो तीन जोरदार धक्के दे दिए.
मेरी गांड ढीली हो गई. दर्द भी कम हुआ.
अब वह अन्दर बाहर अन्दर बाहर शुरू हुआ … धच्च फच्च धच्च फच्च … लंड चलने लगा.
अब वह जल्दी जल्दी अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा. सटा सट सटा सट गांड में अपना मोटा लंड पेलने लगा. सच में इतने मोटे लंड से गांड मरवाने का मजा ही अलग था.
नसीम भाई से गांड मरवाने के बाद बहुत दिन बाद ऐसा मौका लगा था. उसने मजा बांध दिया था.
क्या जोरदार गांड फाड़ू झटके थे, गांड हल्की हल्की जलने लगी थी.
वह थोड़ा रूका … तो मैंने गांड चलाना शुरू कर दी … चूतड़ उचकाने लगा.
उसने इसे चैलेंज समझा- वाह जी वाह … मजा बांध दिया आपने तो!
फिर वो मेरे कान के पास मुँह ले जाकर बोला- लग तो नहीं रही!
मैं- लगे रहो, मजा आ रहा है.
अब वह मेरी गांड और जोर से रगड़ने लगा.
मैं मस्ती में आ गया.
वो दे दना दन दे दना दन अन्दर बाहर अन्दर बाहर पूरी दम से पेलने लगा.
उसने गांड बुरी तरह रगड़ दी.
फिर वो रूक गया. अब मैंने अपनी गांड का ऐसा धक्का दिया और बार बार ढीली कसती ढीली कसती की, फिर एकदम से ऐसी सिकोड़ी जैसे लंड को मेरी गांड चूस रही हो. मैं अपनी गांड से उसके लंड की मालिश कर डाली.
वह चिल्ला उठा- अरे वाह सर जी … अरे सर जी … मजा आ गया.
अब वह झड़ रहा था. झड़ने के बाद भी वो थोड़ी देर तक अन्दर ही लंड डाले रहा. फिर अलग हो गया.
वो उठ कर बाथरूम में गया, फिर बाहर आकर कपड़े पहनने लगा.
मैं लेटा था, तो बोला- सर जी, ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा?
उसने अपना अंडरवियर छोड़ कर मुझे पकड़ लिया व खड़ा किया.
मैं बोला- ठीक हूँ मुझे कुछ नहीं हुआ.
वो मुस्कराने लगा और बोला- सर जी … सच में बहुत मजा आया. आपने जरा भी चूं चपड़ नहीं की. लौंडे तो मेरा लेकर बहुत हल्ला मचाते हैं … फालतू में चिल्लाते हैं.
मैंने अपने पैंट की जेब से पर्स निकाला और उससे पूछा- कितना!
वो बोला- सर आप बुरा न माने तो मैं भी उसी बीमारी का मारा हूं, असल में हम गांड मराने वाले लौंडे हैं. राकेश ग्राहक ले आता है, ये मेरे से माशूक है, मरवा लेता है … कमा लेता है. जब ग्राहक ज्यादा होते हैं … तो मुझे बुला लेता है. हम लोग हर दूसरे तीसरे दिन मरवाते ही हैं. इसी से खर्चा चलता है … कुछ ट्रेनिंग से मिल जाता है … कुछ यह भी काम करके कमाता है, पर पूरा नहीं पड़ता है. तब भी जितना हो जाता है … उसी से बन ठन कर रहते हैं, खाते पीते हैं.
मैंने उसे फिर से पैसे के लिए कहा.
उसने कहा- हमारे साथ और भी बंदे हैं … पूरी टीम है. अगली बार आएंगे … और आप चाहेंगे, तो कोई और कोई नया माल नमकीन लौंडा दिलवा देंगे. मैं पुराना गांडू हूं बचपन से मराता आ रहा हूं. अब तो चौड़ी हो गई है … बचपन की कोमल चिकनी गांड पर बड़ बड़े लंड झेले हैं. आपने मारने का अवसर दिया इसके लिए आपका थैंक्स … बहुत मजा आया. हम अपने को एक्सपर्ट मानते थे … पर सच में गांड मराने के एक्सपर्ट आप हैं. हम दोनों कभी एक दूसरे की मार लेते हैं. ग्राहकों से तो बस मराते हैं. और जहां तक बॉडी की बात है … तो आप गोरे और खूबसूरत हैं. राकेश से भी ज्यादा आप नमकीन लग रहे हैं. शायद कसरत करते हैं आपकी बॉडी मस्त है. मैं आपके मस्त चूतड़ देखता रह गया. इतना नमकीन ग्राहक कहां मिलता है. फिर मराने का ऐसा शौकीन और एक्सपर्ट … सच में मुझे बहुत मजा आया. आपकी इस उम्र में भी थोड़ी टाईट है कम चुदे हैं. हमारी तो ढीली हो गई … कबाड़ा हो गई … मजा आया.
मैं- मेरी जैसी है सो है, अरे यार तेरा लंड ही इतना मोटा है कि गांड टाईट लगती है.
वह हो हो करके हंस पड़ा- चलो, आपने तारीफ की, ये राकेश तो इसे मेरी कमी मानता है.
जो भी हो … मेरी गांड उन दोनों लौंडों ने रगड़ कर तृप्त कर दी थी. मैं गांड मरा कर संतुष्ट था … मेरी गांड लाल कर दी थी.
राकेश से गांड मरा कर तो मजा आया ही था वो मस्त मारने वाला लगा था. फिर जेम्स का मस्त लम्बा मोटा लंड पाकर तो मेरी गांड धन्य हो गई थी.
नसीम भाई के बाद ऐसे हथियार से मराने को मिली थी.
वह भी इतनी जोरदारी से और इतनी देर तक.
नसीम भाई से गांड मराए तीन चार साल हो गए थे. जब से असलम भाई ने मारी, लंड डाला … पर वो जल्दी ही फिस्स हो गए थे, तबसे मन परेशान सा था … आज तृप्त हो गया था.
अब मैं किसी से कह नहीं पाता था कि यार मेरी गांड मार दो. लोग मजाक समझते थे.
ऐसे में इन दोनों लौंडों ने मुझे मोटा ग्राहक समझ कर मेरी जम कर रगड़ी थी … तबीयत प्रसन्न हो गई थी.
उन दोनों ने अपनी पूरी ताकत पूरी और कला लगा दी थी. मैं इन्हें कुछ न कुछ जरूर देना चाहता था … मगर वे लेने में संकोच कर रहे थे.
जेम्स- आप पेमेन्ट नहीं, आप एक काम करें … मैं आप जैसा माशूक नमकीन तो नहीं … पर आप बदले में मेरी मार दें, ये राशि राकेश को दे दें, उसे जरूरत है.
मैंने राकेश को रकम देते हुए पूछा- कितना चाहिए?
राकेश बोला- जो चाहे दे दें.
मैंने दिए तो उसने बिना गिने जेब में रख लिए.
राकेश- मैं गांड मराने के पैसे लेता हूं, आपने तो मरवाई भी … हिसाब बराबर. आपकी मारने में जितना मजा आया, उससे ज्यादा आपसे करवाने में जा आ गया.
मैं हंस दिया.
तो वह भी हंसने लगा और बोला कि पेमेन्ट तो मुझे करना चाहिये … लौंडे मेरा बहुत दिल रख रहे थे.
जेम्स पलंग पर लेट गया. मैंने जल्दी से थूक लगा कर उसकी गांड में लंड पेल दिया.
वह वाकयी पुराना गांडू था, मस्ती से पूरा लंड अन्दर ले गया. उसने कोई चूं चपड़ नहीं की. बस टांगें फैलाए लेटा रहा.
दर्द से चिल्लाने की जगह वो उल्टा ये बोला- एक बार में पूरा डाल दें … संकोच न करें.
मैं बीच में रूका और उससे पूछा- यार कोई कष्ट तो नहीं है?
वह बोला- लगे रहें सर जी … हमें तो लंड के झटके झेलने की काफी आदत है. हमारा तो ये रोज का काम है … आपके लंड से तो मजा आ रहा है.
उसने भी गांड चलाई, फिर हंसने लगा- आप जैसे नहीं कर पाया. हां प्रेक्टिस करना पड़ेगी. ये मैंने नई बात सीखी है. अगली बार आएंगे तो मुझे आप बैटर पाएंगे, ये वादा रहा. राकेश से करवा कर प्रेक्टिस करूंगा.
मैंने उसे निपटाया … लगभग बीस मिनट से आधा घंटा लगा होगा.
वह बोला- राकेश सही कह रहा था. आप जैसी कोई नहीं मारता. अपने लंड से ज्यादा मेरी गांड का ख्याल रखा है आपने. पहले धीरे धीरे गांड में डालना, थोड़ी देर रूकना … गांड लंड को एडजस्ट कर ले, फिर धीरे धीरे झटके देना और फिर मेरे से पूछ कर अपने गांड फाड़ू झटके वाह जी वाह. आपसे सीखना पड़ेगा.
राकेश- और सर जी जैसी कोई करवाता भी नहीं.
फिर मैंने उन्हें लंच को आमंत्रित किया दोपहर हो गई थी. होटल में लंच लेकर मैं ट्रेन पर चढ़ा और हाथ हिला कर उनसे विदा ली.
साथियो, अगली बार हम भी फिर मिलेंगे. आपको मेरी इस गे सेक्स कहानी को लेकर क्या कहना है, कमेंट्स लिखना न भूलें.
आजाद गांडू