कॉलेज सेक्स Xxx कहानी में मैंने कॉलेज में दोस्तों के उकसाने पर मस्त माल लड़की को पटाया और उसकी चूत और गांड की चुदाई उसी के घर में की.
इस कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने कॉलेज टाइम पर दोस्तों से शर्त लगाकर एक लड़की को पटाया और उसकी चुदाई की.
सभी लंडधारियो, आप अपने अपने लंड को हाथ में ले लें.
और चूत की मल्लिकाओ, आप अपनी चूत में उंगली कर लें क्योंकि मेरी ये मस्त कॉलेज सेक्स Xxx कहानी सुन कर आप सभी अपना पानी निकाले बिना नहीं रहेंगे.
दोस्तो, मैं विक्रांत शर्मा, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर का रहना वाला हूँ.
मैं अन्तर्वासना का अभी नया नया पाठक बना हूँ.
मुझे जब से इस साईट का पता लगा है, तब से मैंने यहां की बहुत सारी सेक्स कहानी पढ़ ली हैं.
मुझे बेहद मजा आया.
मैंने भी सोचा कि क्यों न अपना भी अनुवभ आप सभी चुदाई के प्रेमियों के साथ साझा करूं.
ये मेरी पहली सेक्स कहानी है, तो लिखने में गलती होना लाजिमी है. मैं आगे बढ़ने से पहले ही माफी मांगता हूँ.
ये मेरी वास्तविक कहानी है.
इसके अंत में मैं आपको अपनी फेसबुक आईडी का लिंक दूंगा, आप वहां पर भी अपनी प्रतिक्रया दे सकते हैं.
अभी मेरी उम्र 30 साल है और मैं शादीशुदा हूँ. ये कहानी मेरे कॉलेज टाइम की है.
वैसे तो मैंने चुदाई की शुरूआत उससे भी पहले कर दी थी और मेरी पहली चुदाई मेरे रिश्ते में ही हुई थी. उसकी कहानी फिर कभी लिखूँगा.
अभी कॉलेज के समय की इस मजेदार रसीली सेक्स कहानी का मजा लें.
जब मैंने 12 वीं पास करके ग्रेजुएशन में दाखिला लिया, तो मैंने शहर के प्रतिष्ठित डी एस कॉलेज में दाखिला लिया.
कॉलेज में हम सब दोस्त बहुत मस्ती करते थे. हर आने जाने वाली लड़की को छेड़ना, दूसरों का खर्चा करवाना. यही सब हमारे मुख्य काम थे.
एक दिन मैंने अपने दोस्तों को ऐसे ही बातों बातों में बोल दिया कि मैं किसी भी लड़की को पटा सकता हूँ.
मेरे एक दोस्त ने मुझसे शर्त लगाई कि तू उस सामने वाली लड़की को पटा कर दिखा.
मैंने बिना उस लड़की को देखे बिना बोल दिया कि हां मैं पटा लूंगा और उसे चोद भी दूंगा.
दोस्त से शर्त लग गई.
जब मैंने लड़की को देखा तो वो लड़की एकदम मस्त माल थी.
उसका नाम स्नेहा था. उसका साइज 32-30-34 का था.
उसके चूचे तो सामान्य ही थे मगर उसकी गांड बहुत बड़ी थी
ऐसा लगता था कि साली हर वक़्त गांड में लंड लेकर घूमती है.
उसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.
हालांकि स्नेहा का रंग गेहुंआ ही था. तीखे नैन नक्श थे, मगर गांड की तो बस पूछो मत. मतलब उसकी फिगर में गांड ही जबरदस्त थी.
बाक़ी चेहरे की चितवन भी बड़ी ही मनमोहिनी थी.
अब मैं सोचने लगा कि इसे पटाऊं कैसे!
मैंने बहुत दिमाग लगाया मगर मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.
घर आकर भी मुझे उसी की ही छवि, सेक्सी गांड, वही सब याद आ रहा था.
उसके बारे में सोच सोचकर मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था.
फिर मैंने उसके बारे में सोच कर दो बार मुठ मारी, तब जाकर थोड़ी राहत मिली.
अगले दिन कॉलेज में मैंने उसकी सहेली से उसके बारे में सब मालूम किया.
उसने बताया कि उसका नाम स्नेहा चावला है.
वो स्कूटी से आती है और उसका अभी अभी ब्रेकअप हुआ है.
ये मेरे लिए अच्छी बात थी.
अब मैं उसे पटा सकता था.
छुट्टी से पहले मैंने स्कूटी स्टैंड पर जाकर उसकी स्कूटी से हवा निकाल दी और अलग खड़ा हो गया.
जब वो पार्किंग में आयी तो देखा कि उसकी स्कूटी खराब है.
वो बहुत चिंतित हुई.
मैं उसके पास गया और उससे बोला- क्या मैं आपकी कुछ मदद करूं?
उसने हां कहा और इस तरह से मेरी उससे बात शुरू हुई.
उसे मेरा व्यवहार पसंद आया.
उस वक़्त वो चश्मा लगाकर बहुत ही सेक्सी लग रही थी.
मेरा मन कर रहा था कि अभी इसके मुँह में लंड घुसेड़ दूँ.
धीरे धीरे हम दोनों की बात बनती गयी और हमने नंबर भी एक्सचेंज कर लिए.
एक दिन रात को मैंने उसको कॉल करके कट कर दी.
उसकी बैक कॉल आयी.
उसने पूछा- क्या हुआ?
मैं बोला- बस तुमसे बात करने का मन कर रहा था.
वो बोली- हां तो कॉल कट क्यों कर दी?
मैंने कहा- वो तो बस यूं ही, मुझे लगा कि तुम पता नहीं क्या सोचोगी.
वो बोली- तुम्हें बात क्या करनी थी?
मैं- कुछ ख़ास नहीं, बस तुम्हारी याद आ रही थी.
जबकि याद तो मेरे लंड को उसकी गांड की आ रही थी.
वो बोली- क्यों याद आ रही थी?
मैंने कहा- ऐसे ही!
वो हम्म करके चुप हो गई.
मैंने उससे कहा- एक बात कहूँ, बुरा तो नहीं मानोगी?
उसने कहा- एक क्या दो बात कहो और बिंदास कहो.
मैं- मैं तुमसे प्यार करता हूँ.
इतना सुनते ही वो एक पल रुक कर बोली- कितनी देर लगा दी, पहले नहीं कह सकते थे क्या? मैं भी तुमसे प्यार करती हूं.
जबकि सच तो ये था कि मुझे उससे प्यार-व्यार कुछ नहीं था. बस मुझे अपनी हवस और शर्त पूरी करनी थी.
मैं बोला- मुझे तुमसे मिलना है.
वो बोली- मुझे भी.
मैंने कहा- किधर मिल सकते हैं?
उसने कहा- कुछ दिन बाद मेरे घर वाले बाहर जा रहे हैं. उस दिन तुम घर आ जाना.
मेरी तो लॉटरी लग गयी.
उसके बाद मैंने उससे आई लव यू कहा और कुछ देर प्यार मुहब्बत की बात करके सो गया.
फिर तो हम दोनों कॉलेज में प्रेमी प्रेमिका की तरह रहते और हाथ पकड़ कर चलते.
जैसे ही हमको मौका मिलता, हम दोनों किस करने में लग जाते.
मैं उसकी चूची दबा देता और वो मेरा लंड मसल देती.
उसके साथ सच में मज़ा आ जाता.
बस अब उस दिन का इंतज़ार था, जब उसके घर वाले बाहर जाते और मैं उसकी चूत में लंड पेल कर चुदाई का मजा करता.
इस दौरान उसने मुझको बता दिया था कि वो पहले से चुदी हुई है.
मगर मैं कौन सा कुंवारा था.
मैंने भी तो अपनी पहली चुदाई अपने ही परिवार में की थी.
अब तो हम दोनों फ़ोन सेक्स करने लगे और मैं लंड की मुठ मारता और वो अपनी चूत में डिल्डो करती.
एक दिन उसने कहा- बेबी मुझे अब तुम्हारा लंड चाहिए, कब तक नकली लंड से काम चलाऊं? मेरे घर वाले न जाने कब जाएंगे.
मैंने कहा- तुम कहो तो किसी होटल में मिल लेते हैं.
वो बोली- नहीं होटल नहीं, बस हमको थोड़ा और वेट कर लेना चाहिए.
मैंने ओके कहा और चुदरपने की बातें शुरू हो गईं.
फिर एक दिन सुबह सुबह उसका मैसेज आया कि बेबी आज मेरे परिवार वाले बाहर जा रहे हैं. उन्हें रिश्तेदारी में एक शादी में जाना है. मैं उनके साथ एग्जाम का बहाना बना कर नहीं गयी. वो 5 दिन बाद आएंगे. तुम दोपहर तक आ जाना.
ये सुनकर तो मानो मेरे लिए खुलेआम चूत चुदाई का मौक़ा मिलने जैसा हो गया था.
मैंने अपने घर पर कहा- मैं अपने दोस्त के साथ पिकनिक पर जा रहा हूँ. छह दिन बाद वापस आऊंगा.
मम्मी पापा ने थोड़ी बहुत पूछताछ करने के बाद इजाजत दे दी.
मैंने अपने एक दोस्त से मम्मी की बात भी करवा दी ताकि उनको पूरा भरोसा हो जाए.
इसके बाद मैंने सबसे पहले अपने लंड को अच्छी तरह धोया, अपनी झांट के बाल साफ किए और लंड पर एक डिओ लगाया.
फिर मेडिकल स्टोर जाकर 5 कंडोम के बड़े वाले पैकेट लिए और सेक्स की गोलियों की एक पूरी डिब्बी ले ली.
इसके बाद मैंने स्नेहा को कॉल किया और उससे पूछा- हाय एंजेल, क्या सब लोग चले गए?
उसने कहा- हां अभी निकले हैं, तुम आ जाओ.
मैं घर से बैग लेकर निकल गया ताकि घर वालों को लगे कि मैं वाकयी पिकनिक पर जा रहा हूँ.
मैं कुछ देर बाद स्नेहा के घर पहुंच गया.
मैंने डोरबेल बजायी तो उसने फ़ट से गेट खोलकर मुझे अन्दर बुला लिया और गेट को बंद कर दिया.
पहले तो हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही खा जाने वाली नज़रों से देखते रहे, फिर एक झटके से एक दूसरे की बांहों में चिपक गए.
मैंने उसको गोदी में उठाया और उसको किस करने लगा; अपनी जीभ उसके मुँह में घुसा दी और उसकी जीभ को चूसने लगा.
उसके शरीर पर मैंने चुंबनों की झड़ी लगा दी और एक हाथ से उसकी चूचियों को मसलता रहा.
उसके मुँह से ‘आह आह उफ्फ …’ जैसी मादक आवाजें निकलने लगीं.
हम दोनों ने 10 मिनट तक किस किया, उसके बाद अलग होकर गहरी सांस ली.
मैंने उससे एक गिलास पानी मांगा और पानी से सेक्सवर्धक गोली खा ली.
वो बोली- ये क्या खाया?
मैंने कहा- तुमको आज पूरा एक घंटा तक चोदूँगा.
कॉलेज सेक्स Xxx बात सुनकर वो मुस्कराने लगी.
अब मैं गोली के असर होने का इंतजार करने लगा.
उसने बाहर से खाना मंगवाया था.
कुछ मिनट बाद वो खाना आ गया और हम दोनों खाकर चुदाई के लिए रेडी हो गए.
मैंने मेनगेट को बाहर से लॉक कर दिया और पीछे के रास्ते से अन्दर आ गया ताकि कोई हमें बाहर वाला डिस्टर्ब न करे.
उसके बाद मैंने तुरंत स्नेहा को गोदी में उठाया और चूमाचाटी के बाद उसके कपड़ों को फाड़ने लगा.
ऊपर से नंगी होते ही मैंने उसकी चुचियों पर हमला कर दिया.
मैं पागलों की तरह उसकी चुचियों को पीने लगा और निप्पलों को बारी बारी से काटने और चूसने लगा.
वो सेक्सी सेक्सी आवाजें निकालने लगी- आहआह उफ्फ्फ विक्रांत बेबी ओर तेज आह … मैं मर जाउंगी … अअह बेबी मेरी चूत में चीटियां सी रेंग रही हैं.
वह बहुत ही नशीली आवाज में बड़बड़ाने लगी थी.
मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी और उसको पूरी नंगी कर दिया.
मैं उसकी मखमली चूत को देखने लगा.
उसकी चूत बिल्कुल साफ थी, लग रहा था कि आज ही झांटें साफ की गई हैं.
मैंने उसकी चूत में उंगली कर दी. उसके मुँह से आह निकल गयी.
फिर मैंने उसकी चूत में मुँह लगा कर उसको चूसना शुरू कर दिया.
स्नेहा के मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं- उफ्फ … आह मम्मी रे मर गयी … आआआह आउच और तेज बाबू … आह और तेज!
तभी मैंने उसकी चूत से मुँह हटा लिया तो वो गुस्से से मेरी तरफ देखने लगी.
उसने कहा- मुँह क्यों हटाया?
मैंने कहा- रुक जा साली, अभी चूसता हूँ मेरी चुद्दो रानी. मेरा भी तो लंड चूस ले.
वो बोली- हां खोल दे अपने कपड़े और आ जा 69 में भोसड़ी के!
मैंने अपने सब कपड़े निकाल दिए और नंगा हो गया.
उसने तुरंत 69 में आकर मेरा लंड पकड़ लिया और लंड देखते ही उसकी आंखों में चमक आ गयी.
उसने तुरंत लंड को मुँह में ले लिया और एक प्रोफेशनल रंडी की तरह चूसने लगी.
मैं उसकी चूत चाटने लगा.
पांच मिनट में उसकी चूत से पानी निकल गया और मैं सारा पानी पी गया.
अब उसका जोश कुछ कम हो गया था, मगर मैंने उसकी चूत को चाटना चालू रखी.
उससे वो फिर से गर्म हो गयी और फिर से कामुक आवाजें निकालने लगी.
वो मेरे लंड को भी जोर जोर से चूसने लगी.
तभी मैं रुक गया और उसके मुँह से लंड भी निकाल लिया.
वो फिर से मेरी तरफ ऐसे देखने लगी जैसे किसी बच्चे से उसका पसंदीदा खिलौना अलग कर दिया गया हो.
मैंने कहा- रुक जा साली … मर मत, अभी वापस मिला जाता है.
वो हंसने लगी.
मैं उससे बोला- जा, मेरा बैग लेकर आ.
उसने बैग को खोला तो वो उसके अन्दर देख कर अचम्भित हो गयी क्योंकि मैं उसमें बियर और वोडका की बोतल लाया था.
वो बोली- ये किसलिए?
मैं बोला- एंजेल, तू दारू पीकर आज मस्त लंड लेगी.
मैंने थोड़ी सी वोडका उसकी चूत में डाली और उसकी चूत को फिर से चूसने लगा.
अब चूत चूसने में इतना मज़ा आ रहा था कि बता नहीं सकता.
स्नेहा तो आनन्द के मारे पागल हुई जा रही थी.
मेरी देखा देखी उसने भी मेरे लंड पर दारू डालकर उसे चूसना चालू कर दिया.
कुछ देर उसकी चूत की चुसाई करने के बाद मुझे लगा कि अब सही मौका आ गया है. इसकी चूत का लंड से मिलन करवा दिया जाना चाहिए.
मैंने तुरंत उसके मुँह में से लंड निकाला और उस पर कंडोम लगाने लगा.
वो बोली- बेबी, बिना कंडोम से चोदो … मैंने बहुत दिनों से लंड नहीं लिया है. मुझे लंड को फील करना है.
मैंने ओके कहा और उसकी चिकनी चूत में लंड को घुसाने लगा.
मैंने एक ही झटके में पूरा लंड डाल दिया.
अचानक हुए हमले से वो चीख पड़ी.
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद किया और चूत में जोर जोर से धक्के लगाने लगा.
कुछ ही देर में वो मजा लेने लगी.
अब तो वो भी मेरे हर धक्के पर अपनी गांड उठाकर साथ देने लगी थी.
चूत और लंड की आवाज से माहौल सेक्सी होता जा रहा था.
कमरे में फच्च फच्च की आवाज गूंज रही थी.
स्नेहा की सेक्सी कामुक सिसकारियां सुनकर मुझे भी जोश चढ़ने लगा और मैं पूरी ताकत से लंड को उसकी चूत के अन्दर बाहर करने लगा.
तभी स्नेहा अकड़ने लगी और बोली- और जोर से बेबी … और दम लगाओ.
मैं बोला- चोद तो रहा हूँ भोसड़ी की … ले और ले रंडी.
उसे गाली सुनकर और जोश चढ़ने लगा. वो कहने लगी- आह बेबी फाड़ दो मेरी चूत को … आह आज इसका भोसड़ा बना दो.
मैं भी बोला- ले रंडी … ले तेरी मां की चूत मारूं … और ले साली.
मैंने लंड को उसकी जड़ तक पेल दिया. हम दोनों गाली देकर चुदाई करने लगे.
तभी स्नेहा का शरीर ऐंठने लगा और वो मेरी पीठ को अपने नाखूनों से नोंचने लगी.
वो कराहती हुई बोली- और तेज चोद भोसड़ी के … बस मेरा होने वाला है … आआह उफ्फ्फ.
वो स्खलन के वक्त जैसी आवाजें निकालने लगी और थरथराहट के साथ झड़ने लगी.
मुझे मेरे लंड पर पानी की बौछारें महसूस होने लगीं.
स्नेहा झड़ चुकी थी, मग़र मेरा अभी लंड झड़ना बाकी था क्योंकि मैं गोली खा चुका था.
मैंने कुछ पल रुक कर उसे डॉगी स्टाइल में किया और पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया.
मैं उसे चोदता रहा.
इस तरह से मैंने उसे पूरे 25 मिनट तक चोदा; इस दरम्यान वो 3 बार डिस्चार्ज हो चुकी थी.
अंत में मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में ही डाल दिया और हम दोनों चिपक कर अपनी सांसें नियंत्रित करने लगे.
उस पूरी रात में हम दोनों ने 5 बार चुदाई की. मैंने स्नेहा की 2 बार गांड भी मारी.
फिर अगले छह दिनों तक मैंने स्नेहा की बुर का मलीदा बना दिया; वो मेरे लंड की रंडी बन गई थी.
इसी दौरान मैंने उसे बता भी दिया था कि मैंने तुझे पटा कर चोदने की शर्त लगाई थी.
ये सुनकर वो बहुत हंसी और मेरे लंड को चूम कर बोली- चलो तुम्हारे दोस्त से पार्टी लेते हैं.
मैंने तुरंत फोन लगा कर अपने उस दोस्त के सामने स्नेहा की बात कराई और अपनी शर्त जीतने की पार्टी पक्की कर ली.
आपको मेरी कॉलेज सेक्स Xxx कहानी कैसी लगी?
आप मुझे मेल पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं.
मेरी आईडी है.
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