यह हॉट सेक्सी भाभी सेक्स कहानी मेरी सगी भाभी की चुदाई की है. वो जब सोती थी तो उनकी साड़ी सरक जाती और नंगी जांघें देख मैं उत्तेजित हो जाता.
यह सेक्स कहानी मेरी और मेरी भाभी की है जो एक सच्ची सेक्स कहानी है.
हम लोग गांव में रहते थे.
मेरे बड़े भाई की शादी को दो साल हो गए थे.
वो शहर में जॉब करते थे और भाभी गांव में रहती थीं.
जब मेरी बहन की शादी होने जा रही थी, ये घटना मेरे साथ उसी टाइम हुई थी.
हॉट सेक्सी भाभी सेक्स कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपनी भाभी के बारे में बता देता हूँ.
मेरी भाभी का फिगर 30-28-34 का रहा होगा. उनका फिगर काफी मस्त है. वो ज्यादा लंबी नहीं हैं, पर ठीक-ठाक हाईट है.
मेरे मन में उस वक्त से पहले कभी भी भाभी के बारे में ऐसा ख्याल नहीं आया था.
लेकिन उस दिन की घटना के बाद मेरा नज़रिया ही बदल गया था.
बात कुछ ऐसी हुई कि वो गर्मी का दिन था, किसी काम से मैं भाभी के पास गया था.
वे उस समय सो रही थीं और उनकी हालत अस्त व्यस्त थी.
मैंने उन्हें नजर भर कर देखा और जगाना ठीक नहीं समझा.
मैं उनको सोता देख कर वापिस चल दिया.
लेकिन तभी अचानक से मेरे अन्दर एक अजीब सी फीलिंग हुई.
मैं वापस मुड़ा और उनके पास जाकर बैठ गया; मैं उन्हें गौर से देखने लगा.
भाभी गहरी नींद में सो रही थीं.
मैंने देखा कि उनकी साड़ी काफी अस्त व्यस्त थी और जांघ तक ऊपर चढ़ गई थी.
मेरा दिल बहुत जोर से धड़क रहा था.
हिम्मत करके मैंने उनकी साड़ी जरा और ऊपर कर दी.
उनकी पैंटी दिखने लगी.
मैंने हिम्मत करके उसे छुआ और गांड फटी तो वहां से निकल आया.
उनकी पैंटी देख कर मैं गनगना गया था.
मैंने बाहर आकर मुठ मारी और लंड को शांत कर लिया.
अगले दिन उसी वक्त मैं फिर से भाभी के पास गया.
वो उस समय सोती थीं और मुझे उन्हें सोती देख कर हरकत करने में सनसनी होने लगी थी.
यह सिलसिला ऐसे ही 4-5 दिन चलता रहा.
न जाने क्यों मुझे ऐसा लगता था कि भाभी जानबूझ कर अपने कपड़े अस्त व्यस्त कर लेती हैं.
मैंने काफी विचार किया और उसके बाद प्लान बनाया कि कुछ आगे बढ़ा जाए.
उस दिन मैं भाभी के कमरे में पहले जाकर लेट गया और सोने का नाटक करने लगा.
भाभी कमरे में आईं और उन्होंने मुझे सोता देख कर आवाज़ दी लेकिन मैं जागा नहीं.
भाभी को लगा कि मैं गहरी नींद में सो गया हूँ, तो वो कुछ नहीं बोलीं और मेरे बगल में लेट गईं.
थोड़ी देर बाद वो भी सो गईं.
अब मैंने अपना काम चालू किया.
उस दिन मैंने जानबूझ कर एक तौलिया लपेटी हुई थी.
जब भाभी गहरी नींद में सो गईं तो मैंने धीरे से भाभी की साड़ी ऊपर की … और उनकी जांघ के ऊपर तक साड़ी चढ़ा दी.
मैंने देखा कि भाभी ने आज पैंटी नहीं पहनी थी. उस कारण से मुझे उनकी चूत साफ़ दिख रही थी.
मैंने अपना तौलिया खोल दिया और भाभी से चिपक गया.
भाभी भी मुझसे चिपक गईं.
मैंने भाभी का हाथ अपने लंड पर रख दिया.
भाभी ने कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया.
लेकिन मेरी हालत अब खराब हो रही थी.
मैं धीरे से उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगा.
भाभी ने अन्दर काली ब्रा पहनी थी.
उनके गोरे जिस्म पर काली ब्रा मस्त लग रही थी.
मैंने धीरे से ब्लाउज खोल दिया और उनकी चूची को ब्रा के ऊपर से ही छूने लगा.
जैसे ही मैंने ब्रा को छुआ तो वो उनके मम्मों से सरक गई.
मेरी समझ में आ गया कि भाभी ने ब्रा का हुक खोल कर रखा था.
मैं सोचने लगा कि चूत पर पैंटी नहीं और मम्मों से ब्रा को ढीली करके छोड़ा है … ये माजरा क्या है. क्या भाभी की चूत में आग लगी है.
मैंने फिर से भाभी की ओर देखा, वो एकदम शांत लेटी थीं.
मेरा साहस बढ़ गया और मैंने उनकी ढीली ब्रा को ऊपर को कर दिया. सामने भाभी की चूची देखने को मिल गई.
भाभी की चूचियां ज्यादा बड़ी नहीं थीं लेकिन एकदम गोल थीं.
उनकी चूचियों के ऊपर छोटा सा निप्पल एकदम सख्त सा दिख रहा था और ये हल्के ब्राउन कलर का था.
मैंने धीरे से मुँह आगे किया और अपने मुँह को उनकी एक चूची के काफी करीब ले लिया.
पहले मैंने भाभी की चूची पर होंठ लगा कर उसको हौले से किस किया.
उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मेरे लंड में सनसनी होने लगी.
अब मैं संयम से बाहर हो रहा था.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और भाभी की दोनों जांघों के बीच में रख दिया.
भाभी की चूत पर हल्के हल्के बाल थे तो मुझे लंड से झांट का स्पर्श कराने में मज़ा आ रहा था.
उसी टाइम भाभी कुछ कसमसाईं और उन्होंने अपना एक पैर मेरे ऊपर रख दिया.
उनके ऐसा करने से मुझे और ज्यादा आसानी हो गई.
मैंने भाभी की चूत पर अपना लंड रख दिया और ऊपर से ही मज़े लेने लगा.
लेकिन भाभी कोई जबाव नहीं दे रही थीं.
इतना सब होने पर भी भाभी को पता ना चला हो, ये मुझे समझ नहीं आ रहा था.
मैंने अपना लंड भाभी की चूत में थोड़ा सा रगड़ दिया.
अब भाभी थोड़ा सा हिलीं पर उन्होंने अभी भी अपनी आंखें नहीं खोलीं.
मैं समझ गया कि भाभी जाग रही हैं.
मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
मैंने थोड़ा सा थूक अपने लंड पर लगाया और भाभी की चूत की फांकों में लंड लगा दिया.
उसी समय मैंने भाभी की चूची को मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
भाभी कुछ बोल नहीं रही थीं लेकिन उनकी सांसें तेज हो गयी थीं.
मैंने जान लिया था कि भाभी जाग रही हैं, तो क्यों न उनको खुल कर चोदा जाए.
मैंने भाभी के कान में प्यार से कहा- भाभी, सीधी हो जाओ.
मेरी बात सुनकर भाभी सीधी हो गईं और मैंने समझ लिया कि इनका मन भी चुदने का है. बस ये बोल नहीं रही हैं.
मैं भाभी को अच्छे से प्यार करने लगा.
भाभी अब भी कोई रेस्पॉन्स नहीं दे रही थीं और न ही मुझे मना कर रही थीं.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, ऐसे मज़ा नहीं आएगा. आप थोड़ा साथ दो ना!
भाभी ने थोड़ा साथ देना शुरू कर दिया और धीमी आवाज में कहा- दरवाजे की कुंडी लगा दो.
मैं झट से जाकर कुंडी लगा आया.
आकर मैंने भाभी से कहा- अपने कपड़े उतार दो.
पर उन्होंने मना कर दिया कि ऐसे ही ठीक हूँ.
मैंने भी भाभी को ओके बोला और उनके ऊपर चढ़ कर अपने लंड को चूत में डालने लगा.
अपना लंड अन्दर पेलने में मुझे दिक्कत हो रही थी; उनकी टांगें चिपकी हुई थीं.
मेरी मन:स्थिति देख कर भाभी ने बिना कुछ बोले अपनी टांगें खोलीं और मेरी कमर पर लपेट दीं.
उन्होंने मुझे जकड़ लिया.
अब मैंने अपना लंड भाभी की चूत में पेलना चालू किया.
भाभी की इस पोजीशन में होने से उनकी चूत का मुँह खुल गया था और लंड अन्दर जाने लगा था.
मैंने जोर लगा कर लंड अन्दर पेला.
तो भाभी को थोड़ा दर्द होने लगा.
मैंने उनके दर्द की चिंता छोड़ी और धकापेल में लग गया.
भाभी की चुदाई चालू हो गई थी.
मैं भाभी को जमकर चोदने लगा था.
कुछ ही पलों बाद भाभी ने भी अपनी टांगें हवा में फैला दी थीं और मेरे लंड को चूत में काफी अन्दर तक लेने लगी थीं.
जब भाभी का पानी निकलने को हुआ तो भाभी ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और अपनी चूत में मेरा लंड जकड़ लिया.
उनकी चूत ने पानी छोड़ कर मेरे लंड को गर्मी देना शुरू कर दी थी.
मेरा भी लंड उनकी चूत के गर्म पानी से पिघलने लगा और उसका पानी भी निकलने लगा.
कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए और भाभी ने खड़ी होकर अपने कपड़े ठीक किए.
मैंने देखा कि भाभी ने गद्दे के नीचे से अपनी पैंटी निकाल कर पहनी और मुझसे बोलीं- अब दोबारा ऐसा नहीं होगा.
कुछ देर बाद मैं भी भाभी के कमरे से बाहर निकल गया.
उसके बाद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
मैं शाम को अपने दोस्त के साथ घूमने निकल जाता था.
उस दिन हमारे पड़ोस में भागवत कथा चालू हुई थी तो मम्मी को उधर जाना था.
उधर सारी रात कार्यक्रम चलना था, कुछ नाटक आदि भी होना था.
मम्मी ने उस दिन मुझे बाहर जाने से रोक दिया और कहा- घर में भाभी अकेली है. मैं भी पड़ोस में जा रही हूँ. कोई घर में रहना चाहिए. मैं सुबह वापस आऊंगी.
उनकी बात मान कर मैं अपने दोस्त के साथ घूमने नहीं गया.
पापा की जॉब की नाइट शिफ्ट चल रही थी, तो वो अपनी जॉब पर जा चुके थे और भैया तो बाहर ही जॉब करते थे.
वो चार महीने में कुछ दिन के घर लिए आते थे.
अब मैं ही बचा था.
भाभी को ये पता नहीं था कि मम्मी पड़ोस में चली गई हैं.
मैं अकेला था. मैंने भी सोचा चलो भाभी के साथ ही कुछ मजा किया जाए.
मैंने भी गेट लॉक किया और भाभी के कमरे में जाने लगा.
भाभी उस वक्त नहाने जा रही थीं.
उनको रात में नहाने की आदत है
भाभी ने अपने कमरे का दरवाजा यूं ही उड़का दिया था और आंगन में जाकर नहाने लगी थीं.
उन्हें मम्मी के आने से कोई दिक्कत नहीं थी.
जो मसला था, वो मुझसे था.
मैंने भी धीरे से उनके कमरे का दरवाजा खोला और अन्दर जाकर चारपाई पर बैठ कर भाभी के नहा कर बाहर आने का इन्तजार करता रहा.
तभी मेरे दिमाग़ में एक शरारत सूझी.
मैं भाभी की ब्रा पैंटी और नाइटी लेकर कमरे में अन्दर को जाकर छिप गया और भाभी को कमरे की खिड़की से चुपके से नहाती हुई देखने से लगा.
भाभी अपनी चूचियां मसलती हुई नहाने में मस्त थीं.
नहाने के बाद अपना बदन पौंछा और कमरे में आकर कपड़े खोजने लगीं लेकिन उन्हें मिलने ही नहीं थे.
वो नंगी खड़ी थीं.
मैंने भी झट से अपने कपड़े निकाल कर एक तरफ रख दिए और मैं भी एकदम नंगा हो गया.
उस समय काफी समय से लाईट नहीं आ रही थी तो लालटेन जला कर रोशनी का इंतजाम किया हुआ था.
मैंने देखा कि भाभी कमरे में इधर उधर अपने कपड़े देख रही हैं तो मैंने लालटेन एकदम लो कर दी. ताकि उन्हें मैं न दिखाई दूँ.
भाभी लालटेन के करीब आ गईं और उन्होंने लालटेन को तेज कर दिया.
उसी समय उन्होंने मुझे नंगा खड़ा देखा.
वो एकदम से मुड़ कर खड़ी हो गईं और बोलीं- यहां से बाहर जाओ.
मैं खड़ा होकर उनके पास गया और उनको पीछे से अपनी बांहों में ले लिया.
उनकी कमर पर मेरा लंड दस्तक दे रहा था.
मैं पीछे से ही उनकी गर्दन को किस करने लगा और उनकी चूची को दबाने लगा.
भाभी बोल रही थीं- हट जाओ, मम्मी आ जाएंगी.
मैंने कहा- मम्मी घर में नहीं हैं. वो पड़ोस में गई हैं, सुबह वापस आएंगी.
ये सुनकर भाभी शांत हुईं और बोलीं- मैंने मना किया था ना कि अब दोबारा नहीं होगा.
मैंने भाभी से कहा- मैं आपको चोदने नहीं आया, बस देखने आया था कि नंगी कैसी लगती हो.
भाभी बोलीं- देख लिया. लाओ अब मेरे कपड़े दो और जाओ यहां से!
मैंने कहा- बस पीछे से ही देखा, सामने से कहां देखा.
भाभी मेरी तरफ घूम गईं और अपनी मदमस्त जवानी के जलवे बिखेरने लगीं.
सच में भाभी बड़ी गजब माल लग रही थीं. उनके चूचे मेरे लंड को ललकार रहे थे.
मेरा लंड एकदम कड़क होकर चूत की तरफ घात लगाए घुसने को रेडी था.
भाभी की नजरें भी मेरे खड़े लंड पर टिक गई थीं.
मैंने भाभी से कहा- बस एक चीज़ कर लूँ, फिर मैं चला जाऊंगा.
भाभी ने सोचा कि मैं चोदने के लिए कहूँगा.
उन्होंने कहा- जो होना था, वो आज दोपहर में हो गया था, अब कुछ नहीं.
मैंने कहा- मैं आपको चोदना नहीं चाहता हूँ, बस किस करना चाहता हूँ.
भाभी ने कहा- ठीक है, जल्दी से करो और जाओ. वरना कोई और आ गया, तो मेरे लिए दिक्कत हो जाएगी.
मैंने भी अपना काम चालू कर दिया.
मैं भाभी को किस करने लगा.
धीरे धीरे मैंने उनकी पूरी बॉडी को किस किया.
जैसे ही मैं भाभी की चूत के पास आया तो देखा भाभी की चूत एकदम चिकनी हो गई थी.
मतलब भाभी ने अभी नहाते वक्त या उससे पहले ही अपनी चूत साफ़ कर ली थी.
बस फिर क्या था.
मैंने भाभी की चूत को किस करना चालू कर दिया और जैसे ही मैंने भाभी की चूत का दाना चूसा, भाभी की हालत खराब होने लगी.
अब वो खुद मेरा सिर अपनी चूत पर दबा रही थीं.
मैंने भी मौका देखा और चौका दे मारा.
मैंने उनकी चूत से मुँह हटाते हुए कहा- बस हो गया भाभी. अब मैं जाता हूँ.
कहते हैं जब चूत में चुदाई की आग लगा दो, तो उसे शांत भी होनी चाहिए.
मैं कमरे से निकल कर जैसे ही बाहर आया, भाभी वैसे ही नंगी बाहर आ गईं और मुझे पकड़ कर कमरे में ले गईं.
वो मुझे किस करने लगीं और बोलीं- प्लीज़ कुछ करके जाओ … वरना मैं मर जाऊंगी.
मैंने पूछा- क्या करूं?
वो बोलीं- कुछ भी करो बस मेरी आग बुझा दो.
मैं उनको उकसाना चाह रहा था कि वो खुद चुदाई के लिए कहें और ऐसा ही हुआ भी.
आखिर में भाभी ने बोल दिया कि मुझे चोद दो … जो आग लगा दी है, उसे शांत करो.
मैंने भाभी से पूछा- किस तरह से चुदाई करूं?
वो बोलीं- जैसे भी मन करे … लेकिन जल्दी करो.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, आपको गोदी में लेकर चोदूं?
वो कुछ नहीं बोलीं, बस सिर हिलाती रहीं.
अब चालू हुआ भाभी की चुदाई का खेल.
भाभी की चुदाई करते करते मैंने उनसे पूछा.
तो उन्होंने बताया कि आज दिन में उन्होंने जानबूझ कर अपनी पैंटी उतार दी थी क्योंकि रोज मैं ऊपर से ही छूता था और कुछ करता नहीं था.
भाभी कुछ कुछ खुलने लगी थीं.
उन्होंने बताया कि भैया चार महीने में आते हैं और उनकी चूत में आग लगी रहती है.
मैंने पूछा- अब आगे क्या होगा?
भाभी बोलीं- जब तक चलेगा, चलता रहने दो.
मैंने भाभी को अलग अलग आसनों में दो घंटे में तीन बार चोदा.
उनको कुतिया की स्टाइल में सेक्स करना बहुत अच्छा लगा था.
अब हम दोनों हमेशा चुदाई करने लगे थे.
अब भाभी काफी भर गई हैं. उनका साइज़ 36-32-38 का हो गया है.
उनकी दो बेटियां भी हो गई हैं.
अब मेरी भी शादी हो गई है और मैं शहर में रहने लगा हूँ.
मेरी बीवी मेरे साथ शहर में ही रहती है. मेरी मां भी ज्यादातर समय गांव के मंदिर में ही बिताती हैं, तो घर सूना ही रहता है.
जब भी मैं गांव जाता हूँ तो भाभी को कॉल कर देता हूँ कि मैं आ रहा हूँ.
भाभी भी चुदने को रेडी रहती हैं.
मेरी हॉट सेक्सी भाभी को चूत चटवाना बहुत पसंद है.
जब भी मैं जाता हूँ तो वो अपनी चूत साफ़ करके रखती हैं और बेटियों को अपने भाई के घर भेज देती हैं.
मैं भी जाते ही पहले भाभी को किचन में ही पकड़ कर उनकी चूत चूसता हूँ और चुदाई करता हूँ.
जब तक मैं उनके पास रहता हूँ, वो पैंटी नहीं पहनती हैं.
भाभी जानती हैं कि मौका मिलते ही उनकी चूत में मेरा लंड घुस जाएगा.
मैंने भाभी की गांड भी मारी है.
भाभी की गांड चुदाई की कहानी मैं बाद में लिखूंगा.
आज पहली बार सेक्स कहानी लिख रहा हूँ, तो कुछ ग़लत जाना लाजिमी है. उसके लिए आपसे पहले ही माफ़ी मांग रहा हूँ.
हॉट सेक्सी भाभी सेक्स कहानी पर आप अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत कराएं.
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