परी की चुदाई का सपना साकार हुआ

परी की चुदाई का सपना साकार हुआ

लड़का लड़की की सेक्सी कहानी में मैंने अपने गाँव की क्यूट सी सेक्सी लड़की को पहली बार चोदा. मेरे अच्छे बदन और चेहरे के कारण लड़कियां मुझ पर मरती थी.

दोस्तो, मेरा नाम समर है. मेरी हाईट 5 फीट 10 इंच है और मैं उत्तर प्रदेश से हूँ.

यह लड़का लड़की की सेक्सी कहानी 5 वर्ष पहले की है.
उस समय मेरी उम्र 20 वर्ष थी.

मैं दिखने में बहुत अच्छा लगता था. पर समय की मार ने सब कुछ खत्म कर दिया.
अब मैं चारपाई पर पड़ा रहता हूँ. डॉक्टर ने भी मेरे इलाज से हाथ खींच लिए हैं.

उस समय बीए की पढ़ाई कर रहा था.
मैं क्रिकेट बहुत अच्छा खेलता था. मेरे क्रिकेट खेलने के चर्चे आस पास के गांवों तक थे.

वैसे मैं एक गरीब परिवार से था पर गांव की सारी लड़कियां मुझ पर मरती थीं.
पर मुझे तलाश थी एक सच्चे प्यार की.

मेरे गांव में एक अमीर परिवार रहता था, उसके घर के सारे लोग सरकारी विभागों में काम करते थे.
उनका पांच लोगों का परिवार था.

उनके घर एक लड़की थी, जिसका नाम परी था.
वह दिखने एक दूध के जैसी गोरी लड़की थी.
उसकी उम्र 19 वर्ष थी.

वह मुझे नहीं जानती थी और ना ही उसने मुझे कभी देखा था.
मैं अक्सर उसे रास्ते में आते जाते कार में देख लेता था.

उसका भाई मेरे साथ क्रिकेट खेलता था तो उसके भाई से मेरा हाय हैलो हो जाती थी.

उनके घर के लोगों को समय न मिलने के कारण उनके सारे खेत मेरे पापा देखते थे.

एक दिन की बात है, हम सब क्रिकेट खेलने बाहर गए थे.
उस दिन हमारी बहुत अच्छी जीत हुई.

परी का भाई बहुत खुश था.
शाम को उसने घर आकर अपने घर वालों बताया कि हम लोग कैसे क्रिकेट जीता.

वह उन्हें मेरे बारे में बताने लगा था कि उस दिन मैं कितनी अच्छी तरह से खेला था.
उसने यह भी बताया कि मुझे बहुत सारे इनाम भी मिले.

जब मेरा दोस्त अपने घर में मेरे बारे में बता रहा था तो उसकी बहन ने पूछा- ये समीर कौन है?
तो उसने बताया कि जो हमारे खेत में काम करते हैं, समीर उनका बेटा है.

मैंने परी के बारे में कभी सपने भी कुछ नहीं सोचा था क्योंकि उनके सामने मेरी औकात कुछ भी नहीं थी.

एक दिन की बात है, मेरे पापा उनके खेतों में सिंचाई का काम देख रहे थे.

उस दिन मैं कालेज नहीं गया था तो पापा की मदद करने मैं उनके पास आ गया था.
कुछ देर बाद पापा घर आ गए और मैं सिंचाई करने लगा.

अचानक मेरी नजर परी के घर पर पड़ी.
वह अपने घर की छत पर खड़ी थी और इधर मेरी ओर ही देख रही थी.

मैं भी उसे देखने लगा तो वह छत से उतर गई.
उसके घर के चारों ओर बाउंड्री थी तो वह अब दिखाई नहीं दे रही थी.

मैं अपना काम करने लगा.

कुछ देर बाद परी टहलती हुई खेतों की तरफ ही आती दिख रही थी.
उसे आते देख कर मेरे तो पैर कांपने लगे; मुझे एक अनजाना सा डर लगने लगा.

वह आकर अपने खेत के पास खड़ी हो गई और बोली- यह आपका खेत है?
मैं डरते हुए बोला- नहीं जी, सब आपके ही खेत हैं. मैं तो यहां बस काम कर रहा हूँ.

फिर वो बोली- आप ही का नाम समीर है?
मैंने बोला- जी, पर आपको कैसे मालूम?

वह- मेरे भाई आपके बारे में बात करते हैं.
मैं अपना सर नीचे किए हुए खड़ा था.

अचानक से मेरी नजर उसके पैर पर पड़ी.
उसने स्कर्ट पहनी हुई थी, उसके पैर एकदम सफेद थे.
मेरी तो हालत खराब हो गई.

मैंने कहा- आप घर जाइए, आपको धूप लग रही होगी. आपकी तबियत खराब हो सकती है!
वो हंसने लगी और बोली- आपको भी तो धूप लग रही है!

मैंने कहा- मेरा क्या है जी, मुझे तो उम्र भर यही सब करना है.
वो- आप ऐसा क्यों बोल रहे हो … वैसे आपसे बात करके मुझे अच्छा लगा. आप बहुत अच्छे हैं. मैं आपके लिए छतरी लाती हूँ.

मैंने कहा- नहीं, उसकी कोई जरूरत नहीं है. आप घर जाइए.
वो बोली- क्यों … मेरा आना आपको अच्छा नहीं लगा क्या?

मैंने कहा- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं. बस कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा!
उसने कहा- कोई कुछ भी सोचे, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.

इतने में उसके घर एक कार आयी और वह कार देख कर घर चली गई.

मैं काम से फारिग होकर घर वापस आ गया.
उस रात को मैं उसके बारे में सोचता रहा, मुझे नींद भी बड़ी मुश्किल में आई.
फिर पता नहीं कब सुबह हो गई.

अब मेरे दिमाग में बस वही घूमती रहती है.
मैंने उसे पहली बार इतनी नजदीक से देखा था. मुझे एक हफ्ते तक नींद नहीं आयी.
मैं डाक्टर के पास भी नींद की दवा लेने गया.

धीरे धीरे मैं उसे हर जगह देखने की कोशिश करने लगा.
वह शाम को छत रोज आने लगी और जब तक अंधेरा नहीं हो जाता, मैं अपने घर नहीं जाता.

मैं उसे ही देखता रहता.
वह भी नीचे नहीं जाती थी.

अब मैं किसी न किसी बहाने उसके घर जाने लगा.
उसके बड़े भाई सरकारी डॉक्टर थे. वे घर पर भी दवा रखते थे.

जब कोई बहाना नहीं मिलता तो मैं दवा के बहाने जाने लगा.
बस मन में यही तमन्ना रहती थी कि एक बार उसका दीदार हो जाए.

यह सिलसिला छह महीने तक चलता रहा.
हम दोनों एक दूसरे को देखते रहते थे.

उसकी आंखों में भी एक प्यास दिखती थी लेकिन तब भी मैं सीमा नहीं लांघ पा रहा था.
मेरी हिम्मत ही नहीं होती थी कि उसको प्रपोज करूँ.

फिर नया साल आने वाला था.
कुछ ही दिन बचे थे.

हमारे गांव में एक प्राईमरी स्कूल है.
एक दिन मैं वहीं खड़ा था.

अचानक एक छोटी सी बच्ची एक गिफ्ट लेकर आयी और मुझे देकर चली गई.
गिफ्ट के ऊपर लिप्स बने देख कर मेरे तो पैरों तले जमीन ही नहीं बची.
मैंने किसी तरह खुद को संभाला, यह उसने ही मुझे भेजा था.

फिर मैंने भी किसी तरह से उसे एक छोटा गिफ्ट दिया और अपना नम्बर भी.

अब हम दोनों में बात होने लगी.
कुछ ही दिनों में आलम ये हो गया था कि हम दोनों पूरी पूरी रात बात करते रहते थे.

इस तरह से धीरे धीरे कई महीने गुजर गए.
बस हमारे बीच बात ही चलती रही.

अब वह मुझे दिलोजान से प्यार करने लगी थी. वह बिना मुझे देखे खाना नहीं खाती थी और ना ही कुछ और करती थी.

मैं उससे मिलने की जिद करने लगा. वह भी मिलना चाहती थी.

दोस्तो, वह बला की खूबसूरत थी. उसका 34-28-36 का साईज था.

एक दिन उसके खेत में जो ट्यूबबेल था, वहीं मिलने का प्लान बना.

रात को नौ बजे ही मैं वहां पहुंच गया जबकि वो दस बजे आई.

क्या बताऊं … वो बला की खूबसूरत लग रही थी.
मैं तो उसे देखते ही सन्न रह गया.

फिर मैंने उसके हाथ को पकड़ा और बातें करने लगा.
उसका हाथ पकड़ते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
पर मैं डरता था कि कहीं कुछ कह कर दिया, तो बुरा मान जाएगी.

एक घंटे बाद वो जाने लगी.
मेरा बिल्कुल मन नहीं था कि वो जाए.

मैं उसे उसके घर तक छोड़ने गया.
घर से कुछ दूर मैं खड़ा हो गया था.

वह जाने लगी, फिर अचानक से मुड़ी और दौड़ कर आकर मेरे गले से लग गई.
उसने मुझे कस कर पकड़ लिया.

आह … क्या पल था!

फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे को किस करते रहे.
उसी दौरान मेरा छह इंच का लंड एकदम सख्त हो गया और लोहे की रॉड जैसा हो गया.

मैंने उससे वापस ट्यूब बेल पर आने के लिए कहा तो वो मना करने लगी.
वो कहने लगी- कल!

मैंने हामी भर दी.
वह चली गई.

मैं तो उसके बारे में सोच सोच कर पागल हो रहा था कि कब रात होगी.

फिर लड़का लड़की की सेक्सी घड़ी आ ही गई जिसका मुझे इंतजार था.
रात को दस बजे मैं ट्यूब बेल पर पहुंच गया.

कुछ देर बाद वो आयी और आते ही मेरे सीने से लिपट गई.
उसके बदन से क्या खुशबू आ रही थी.

एक दूसरे को किस करने लगे और आधा घंटा तक हमारा किस चला.

उसके बाद मैंने उसका टॉप उतार दिया.
वह रात को भी एकदम सफेद लग रही थी.

मैंने उसके मम्मे पर हाथ रखा तो वो एकदम से सिहर गई.

फिर धीरे धीरे मैं उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से सहलाने लगा.
उसने मेरी आंखों में देखा तो मैं समझ गया.

अब मैंने उसके एक मम्मे को अपने मुँह में भर लिया.
‘आह आह …’ उसकी सीत्कार निकल गई.

मैंने उसकी इस मस्ती को और बढ़ाते हुए उसके दोनों दूध को बारी बारी से चुभलाने लगा और मसलने लगा.

मेरे लिए भी उसके मम्मों का रसपान करना एक सपना सा था.
ये सब पहली बार कर रहा था.

वो तो भला हो कि उस दिन मैं पोर्न वीडियो देख कर गया था.

फिर मैं उसका स्कर्ट उतारने की कोशिश करने लगा तो वो मना करने लगी.

‘नहीं समीर, कुछ हो जाएगा. ये सब अपनी शादी के बाद करेंगे.’
फिर वहीं पड़ी चारपाई पर मैं उदास होकर बैठ गया.

कुछ देर बाद वो भी मेरे पास आकर बैठ गई और बोली- गुस्सा मत हो, मैं तुम्हारे लिए जान भी दे दूँगी. तुम मुझसे एक वादा करो कि मुझे कभी छोड़ोगे तो नहीं!
मैं उसके गले लग गया और वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी.

मैंने उसे किस करना चालू कर दिया और उसका स्कर्ट उतार दिया.
उसने अन्दर काली पैंटी पहनी थी.
उसका दूध सा गोरा बदन … और वो काली पैंटी पहनी थी.

सच में उसकी इस पैंटी ने तो मुझे पागल ही कर दिया.
मैं किसी भूखे भेड़िया की तरह उस पर टूट पड़ा.

उसने मुझे भी नंगा कर दिया और हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करने में लग गए.

मैं उसकी नाभि पर किस करने लगा और कुछ देर बाद मैंने उसकी पैंटी को निकाल दिया.

उसकी चूत एकदम लाल थी और चिकनी थी.
मैं उसकी चूत पर किस करने लगा.
उसकी चूत का छेद कहां है, मुझे कुछ पता ही नहीं लग रहा था.

वह भी मेरे चूत चाटे जाने से एकदम पागल हो गई थी.
पता नहीं क्या क्या बड़बड़ा रही थी और उसने भी मेरा लंड पकड़ लिया था.

मैंने उससे लंड को मुँह में लेने को बोला तो वो कुछ नहीं बोली.
शायद पहली बार था इसलिए मैंने भी कुछ नहीं कहा.

फिर मैंने अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और उसकी चूत पर घिसने लगा.
मुझे कुछ नहीं पता था कि चूत का छेद कहां होता है.

वह किसी सूखे पत्ते की तरह कांप रही थी.

मेरा लंड एक जगह जाकर रुका तो मैंने खुद को रोका.
अब मैंने चारपाई की मूँज के छेदों में दोनों तरफ अपनी उंगली डाल कर अपने आपको सैट किया.

मेरे नीचे परी दबी थी और वो कांप रही थी.

मैंने थोड़ा जोर लगाया तो वो चिल्लाने लगी- आंह छोड़ दो … समीर आह … मैं मर जाऊंगी.
तब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक जोर झटका दे मारा.

मेरा लंड तीन इंच अन्दर चला गया.
परी कांपने लगी और उसकी आवाज उसके गले में घुट कर रह गई.

मैं एकदम से डर गया कि ये क्या हो गया.
तभी वह रोने लगी और मेरी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी.
मैं शान्त था.

उसकी चूत से खून निकल रहा था.
देर तक मैं उसे चूमता और समझाता रहा.
फिर वह नार्मल हो गई.

तभी मैंने एक और झटका लगा दिया.
इस बार लंड अन्दर तक घुस गया था.

वह बेहोश हो गई थी.
मैं पुन: घबरा गया था.

मैं उसकी चूत में लंड डाले ही पास रखी बोतल से पानी लेकर उसके मुँह पर मारने लगा.

वह एकदम से जाग गई और रोने लगी.
मैंने उसे समझाया कि जो होना था, वो हो चुका, अब कुछ नहीं होगा.

कुछ देर बाद वो शान्त हो गई और गांड उठाने लगी.

मैं समझ गया कि अब झंडी हरी है. बस मैं उसे धकापेल चोदने लगा.

दस मिनट के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और उसने भी अपने आपको हरकत में ला दिया.
कुछ ही देर में वो मेरे लौड़े पर ही झड़ गई और शान्त हो गई.
मैं भी कुछ मिनट तक उसे चोदता रहा और उसकी चूत में ही झड़ गया.

झड़ने के कुछ देर बाद तक मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा और वो मेरी पीठ पर हाथों से सहलाती रही.

जब मैं उठ कर बैठ तब देखा कि हम दोनों के अन्दर से खून निकल रहा था.
उसकी चूत फट गई थी, वह चलने की हालत में नहीं थी.

मैं किसी तरह से उसे उसके घर के पास तक ले गया और उसे छोड़ दिया.
वह छिपती छिपाती अपने घर में चली गई.
मैं भी अपने घर आ गया.

फिर हम दोनों ने चार साल तक लगातार चुदाई की.
उसके बाद उसके घर वाले जान गए थे कि वह चुदने लगी है तो 2018 में उसकी शादी हो गई और वह अपनी ससुराल चली गई.

उसने आखिरी बार कहा था- अगर हम दोनों शादी नहीं कर पाए, तो जिन्दगी भर एक दूसरे की शक्ल नहीं देखेंगे.

मैं चाहता तो उसके साथ भाग कर शादी कर लेता पर मैं अपनी जैसी जिन्दगी उसको नहीं देना चाहता.

उसके जाने के बाद मेरी तबियत खराब हो गई और फिर सब कुछ बर्बाद हो गया.

आपको मेरी सच्ची लड़का लड़की की सेक्सी कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं.

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