कस्टमर सेक्स कहानी एक टैक्सी ड्राईवर की है जो लॉकडाउन में एक लेडी सवारी के साथ उसके घर में फंस गया था. वहां उन दोनों के बीच क्या क्या हुआ?
मेरा नाम प्रीतम है, मैं एक टैक्सी ड्राइवर हूँ. आप सभी को मेरा नमस्कार.
यह मेरी पहली सच्ची कस्टमर सेक्स कहानी है.
आप सभी जानते हैं कि लॉक डाउन में सब कुछ बंद हो गया था जैसे सारी दुनिया थम सी गई हो.
राजस्थान से एक मैडम गुजरात किसी काम से आई थी, उसने अहमदाबाद से मेरी कार की बुकिंग की थी.
उस मैडम का नाम सुनीता था.
वह मस्त सांवली माल थी. एकदम फिट बॉडी थी. वह थी 50 साल की, पर दिख रही थी 40 की.
उसने 5 दिन की बुकिंग की थी.
अहमदाबाद में होटल में जहां वह रुकी थी, मैंने उसे वहीं छोड़ दिया.
मैडम बोली- मैं अभी फ्रेश होकर आती हूँ, बाद में हम चलते हैं.
थोड़ी देर बाद आकर उसने कहा- गुजरात का स्ट्रीट फूड अच्छा है. मुझे वहीं कहीं ले चलो.
मैं उसे लेकर गया.
मैंने कार को किनारे रोका और उससे कहा- मैडम आप सामने चली जाएं और खा कर वापस आ जाएं. मैं यहीं खड़ा हूँ.
वह बोली- आप भी साथ चलो.
मैंने कहा- नहीं मैडम, मैं नहीं … आप जाओ.
वह बोली- अरे ऐसे कैसे होगा. अभी तो 5 दिन तुम्हारे साथ निकालने हैं. ऐसे करोगे तो कैसे जमेगा … चलो आओ!
फिर मैं उसके साथ खाना खाने के लिए गया.
वहां पर खाते समय मेरी उससे थोड़ी बातचीत हुई.
बाद में हम दोनों घुल-मिल गए.
इसी तरह से 5 दिन कैसे निकल गए, पता ही नहीं चला.
मेरी अच्छी सर्विस के कारण मैडम बोली- आप ही मुझे राजस्थान छोड़ दो!
मैंने कहा- हां चलिए.
मुझे तो खुशी हुई कि चलो आगे का भी काम मिल गया. उस वक्त तक मेरे मन में कोई बुरे ख्याल नहीं थे.
अगले दिन मैं उसको लेकर निकल गया.
आज वह बिल्कुल चिंता मुक्त थी. उसका काम पूरा हो गया था.
राजस्थान जाते समय वह मेरे बाजू वाली सीट पर आकर बैठ गई.
मैंने उसकी तरफ देखा तो वह मुस्कुराई और बोली- कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना!
मैंने कहा- नहीं कोई दिक्कत नहीं है मैडम.
हम दोनों चल दिए और रास्ते में बातें करते हुए जा रहे थे.
मैडम बोली- कितना कमा लेते हो?
मैंने कहा- अभी तो आजकल के माहौल में बस खर्चा पानी निकल रहा है और कुछ नहीं.
वह बोली- घर कब जाते हो?
मैंने कहा- कोई ठिकाना नहीं होता. कभी 15 दिन तो कभी 25 दिन के बाद.
वह बोली- घर वालों की याद नहीं आती है क्या?
मैंने कहा- क्या करूँ काम ही ऐसा है. लोगों को वक्त पर पहुंचाने में ही समय निकल जाता है.
मेरे मुँह से अंजाने में ही निकल गया- ना त्योहार, ना घूमना, ना अपनी इच्छा … सब इच्छाएं रोड पर ही खत्म हो जाती हैं.
यह सुन कर वह भी दुखी हो गयी और बोली- सब ठीक हो जाएगा.
फिर बातों बातों में सफर कब खत्म हो गया और उनका घर आ गया, कुछ पता ही नहीं चला.
मैडम का मकान काफी अच्छा था. दो बेडरूम थे, साथ में छोटा सा स्वीमिंग पूल भी था. चारों ओर से बड़ी बड़ी दीवारें थीं. कोई स्वीमिंग कर रहा हो, तो ऊंची दीवारों के कारण कोई देख भी नहीं सकता था.
देर रात तक पहुंचने के कारण वह बोली- आज की रात यहीं रुक जाओ. सुबह आराम करके चले जाना.
मैं भी थका हुआ था, वहीं रुकने के लिए मैंने हामी भर दी.
मैडम ने दूसरा रूम खोल दिया और बोली- सो जाओ, अभी नौकरानी नहीं है. उसको छुट्टी दी थी. वह कल से आएगी. अभी आपको थोड़ा खुद से काम करना पड़ेगा.
मैंने कहा- कोई बात नहीं … कर लूँगा.
मैडम अपने कमरे में चली गईं.
मैंने अपना बैग खोला और दारू का अद्धा निकाल कर नीट ही गले के नीचे चार घूंट मारे और ढक्कन लगाकर बोतल वापस बैग में रख कर लेट गया.
थकान के कारण मुझे कब नींद लग गयी, कुछ पता ही नहीं चला.
सुबह उठा तो सूरज काफी ऊपर चढ़ गया था.
रूम से बाहर निकलकर देखा, तो मैडम मैक्सी में थीं और पौधों को पानी डाल रही थीं.
पतले कपड़े की मैक्सी में वह क्या कमाल लग रही थी.
मैडम के चक्कर में मैं आपको अपने बारे में तो बताना ही भूल गया.
मैं दिखने में खास नहीं, बस ठीक-ठाक हूँ. कपड़े उतार कर जब मैं नंगा होता हूँ, तब चूत वालियां हैरान रह जाती हैं.
ऊपर वाले की बड़ी मेहरबानी है कि उसने मुझे बहुत ही मोटा तगड़ा लंड दिया है.
सुबह उठने के साथ ही मेरा लोहे की रॉड जैसा तन कर खड़ा हो जाता है.
उस वक्त सुबह के समय मैं ये भूल गया था कि मैं अपने घर में नहीं हूँ तो ऐसे ही खड़े लंड को लेकर मैडम के सामने आ गया.
वह भी मेरा खड़ा हुआ लंड देख कर चौंक गई.
उसके चेहरे पर एक अजीब सी रौनक आ गयी जिसे मैं भली भांति समझता हूँ.
मुझे उसी पल समझ आ गया कि सुबह से ही कांड होने की संभावना है.
हालांकि मैं मैडम के सामने से तुरंत भाग कर अपने कमरे में आ गया.
मेरे पीछे पीछे मैडम भी मेरे रूम में आ गई और बोली- क्या हुआ?
मैंने शर्माते हुए कहा- कुछ नहीं, बस यूं ही.
मैडम मेरे लंड को देख कर मुस्कुराई और बोली- ओके आप बाथरूम में जाकर नहा लो. बाद में मैं नाश्ता लगा देती हूँ.
उसने इसी कमरे की अल्मारी से मेरे लिए एक तौलिया निकाला और मुझे दे दिया.
मैंने कहा- अरे मैडम, आप क्यों निकाल रही हैं. मेरे पास है. फिर आप कामवाली को बुला लीजिए. खामखा नाश्ता आदि की परेशानी भी उठाएंगी.
यह सुनकर वह बोली- अरे वह अभी नहीं आएगी. आज से लॉकडाउन शुरू हो गया है न!
मेरी समझ में नहीं आया कि ये लॉकडाउन क्या बला है.
मैंने मैडम से पूछा- क्या शुरू हो गया है?
मैडम ने लॉकडाउन का मतलब समझाया तो वह सब सुनते ही मेरे तो होश उड़ गए.
मैंने कहा- अब मैं कैसे रहूंगा और कैसे जाऊंगा?
वह बोली- कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है. इसे अपना ही घर समझो.
मैं उसे देखने लगा.
मेरा भेजा काम ही नहीं कर रहा था.
जो मैडम कुछ देर पहले सेक्सी माल लग रही थी, वह सारी उत्तेजना अब खत्म हो चुकी थी.
मुझे घर की याद सताने लगी थी.
फिर मैडम बोली- अब जल्दी से नहा लो, वरना नाश्ता ठंडा हो जाएगा.
मैं नहा कर बाहर आया तो नाश्ता लग गया था.
हम दोनों ने साथ में बैठ कर नाश्ता किया.
मैंने उससे पूछा- आपके पति नहीं दिख रहे हैं.
वह बोली- वे काम के सिलसिले में आउट ऑफ इंडिया गए हैं. अब वह भी वहीं फंस गए हैं. पता नहीं कब वापस आएंगे. नौकरानी भी नहीं है. मुझे तो इतने बड़े मकान में अकेले रहने में डर लगता है. वो तो अच्छा हुआ कि तुम रुक गए, वरना मैं अकेली क्या करती.
हम दोनों ने नाश्ता खत्म किया.
वह बोली- तुम टीवी देखो, मैं अभी बर्तन साफ करके आती हूँ.
वह किचन में बर्तन साफ कर रही थी.
मैं टीवी देख रहा था और बीच बीच में उसको भी देख लिया करता था.
बार बार मैं उसको देख रहा था, ये उसको भी पता चल गया था.
बाद में वह भी आ गयी और हम दोनों ने एक मूवी साथ में बैठ कर देखी.
उसके बाद मैं अपने वाले कमरे में चला गया.
दिन में भी हम लोग बात करते रहे और टीवी देखते रहे.
उस बीच मैंने अपने घर पर भी बात कर ली थी और मैडम से बात करके उनसे कुछ पैसे अपने घर पर ऑनलाइन भेज दिए थे.
रात को डिनर के पहले मैंने दो पैग लगाए और खाना खाने आ गया.
मैडम को दारू की महक आ गई थी, उसने कुछ नहीं कहा, बस हल्की सी मुस्कान बिखेर दी.
ऐसे करके दो दिन चले गए.
अब हम दोनों काफी खुल कर बात कर रहे थे.
उसके साथ ड्रिंक की बात भी होने लगी थी.
वह भी ड्रिंक करती थी.
तीसरे दिन शाम को हम दोनों ने एक साथ ड्रिंक की.
चूंकि हमारे सिवाय घर में और कोई था ही नहीं, तो हमारे बीच खुलापन बढ़ता गया.
उसी दिन देर शाम को वह स्विमिंग कर रही थी.
मुझे देख कर बोली- आ जाओ तुम भी … साथ में नहा लो.
मैंने मना किया पर मेरे मना करके बावजूद उसने मुझे पीछे से धक्का लगा कर पानी में डाल दिया.
वह खूब तेज तेज हंसने लगी और वह मेरे ऊपर पानी भी डालने लगी.
अब तो मैं भी खुल कर मस्ती करने लगा था.
नहाने के बाद हम बाहर निकल रहे थे, तो उतने में ही उसका पैर फिसल गया, तो वह गिरने लगी.
मैंने उसको अपनी बांहों में पकड़ लिया.
वह भी मुझसे लिपट गई थी.
उसका भीगा हुआ सेक्सी बदन मुझे उत्तेजित करने लगा. उसके चूचे साफ साफ दिखाई दे रहे थे.
आज मैं उसको अलग ही नजर से देख रहा था, यह उसको भी मालूम हो गया था.
अचानक पैर फिसलने से उससे चला नहीं जा रहा था तो मैंने उसको गोद में उठा लिया और अन्दर ले गया.
वह भी मेरे सीने में सर छुपा के साथ में आ रही थी.
मैं उसके कहने पर उसको बाथरूम में ले गया. उसने अलमारी में से कपड़े निकाल कर देने को कहा.
मैं एक लंबी सी शर्ट और पैंटी लेकर आ गया. साथ में मैं भी अपना तौलिया लेकर आ गया.
उसने मुझे बाहर जाने को कहा.
पर अब मेरी नियत बदल गई थी.
उसके मना करने के बाद भी वहीं खड़ा रहा.
उसका फिर से थोड़ा सा संतुलन बिगड़ा और मैंने हाथ बढ़ा दिए.
इस बार तो मैंने उसको अपनी बांहों में कसके जकड़ लिया था.
वह मुझसे छूटने लिए मछली की तरह छटपटा रही थी.
पर मेरी बांहों में से निकल ना सकी.
मैंने उसके बदन से उसकी फ्राक जैसी मैक्सी को निकाल दिया.
अब वह मेरे सामने ब्रा पैंटी में थी और अपने चूचों को छुपाने का जतन कर रही थी.
इस दरमियान एक खास बात ये थी कि वह भले ही कसमसा रही थी और मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसके किसी भी हाव-भाव से ऐसा नहीं लग रहा था कि वह मुझसे नाराज हो.
मैं उसको तौलिये में लपेट कर बेडरूम में ले आया और उसको बेड पर लेटा दिया.
मैं अब उसके बदन को तौलिये से धीरे धीरे रगड़ कर पानी को पौंछ रहा था.
उसकी आंखें बंद हो रही थीं, साथ में सांसें भी फूलती जा रही थीं.
कुछ देर बाद मैंने तौलिया को फेंक दिया और अब मेरे हाथ उसके चिकने बदन पर घूमने लगे.
अचानक से गर्म होकर मुझे अपनी ओर खींच लिया और अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिए.
हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे.
वह खुलकर मेरा साथ दे रही थी.
मेरे होंठ और उसके होंठ एक दूसरे को खाने के लिए बेताब हो गए हों, ऐसा महसूस हो रहा था.
धीरे धीरे मैं उसकी चूचियां दबाने लगा.
उसके मुँह से कामुक आवाजें आने लगीं- आआह आह ऊह धीरे धीरे करो ना प्लीज … चूस लो इन्हें!
मुझे खुद ही उसकी चूचियां चूसने का मन कर रहा था.
मैंने आगे बढ़ना शुरू कर दिया.
उसके चूचों की जगह मैंने पहले उसके पेट को चूमना शुरू किया.
वह कराहने लगी और खुद को बड़ी बेताबी से उठाने लगी.
जब मैंने उसकी नाभि में अपनी जीभ को नुकीला करके डाला, तो मानो उसको करंट सा लगाने लगा हो … वह ऐसे तिलमिला उठी.
मैं एक एक करके उसके सारे अंगों को चूमने लगा.
चूचियों को भी दम भर कर चूसा.
उसके बाद मैं उसके खजाने जैसी चूत की ओर बढ़ा.
जैसे ही मैंने जीभ उसकी चूत की दरार में डाली, मानो वह मोम की तरह पिघल गयी.
‘आह चूसो … और चूसो मेरे राजा … ये खाई कई दिनों से सूखी और वीरान थी … आअह उम्म इस्स आह …’
वह मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत के ऊपर जोर से दबा रही थी.
मैं भी बड़े प्यार से उसकी चूत का रस पी रहा था और उसकी चूचियां दबा रहा था.
अब उसका हाथ मेरे लंड के ऊपर घूमने लगा.
वह मेरे लंड को ऐसे मसल रही थी मानो जैसे अभी तोड़ देगी.
मैं उसको औंधा करके 69 में आ गया और उसकी गांड को चूमने लगा, दबाने लगा.
वह भी मेरा लंड मुँह में लेकर मस्ती से ऐसे चूसने लगी मानो कुल्फी चूस रही हो.
उससे रहा नहीं जा रहा था.
इसी कारण से उसने पलट कर चुदाई की पोजीशन बनाई और मेरा लंड खुद पकड़ कर अपनी चूत पर सैट कर दिया.
मैंने भी ज्यादा देरी ना करते हुए उसकी चूत में लंड घुसा दिया.
अभी थोड़ा सा लंड ही चूत के अन्दर गया था कि उसको दर्द होने लगा.
वह कई सालों से बिना चुदाई किए तड़फ रही थी.
लंड लेते ही वह चिल्लाने लगी.
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा.
थोड़ी देर बाद उसके नॉर्मल होते ही मैं धीरे धीरे लौड़े को अन्दर बाहर करने लगा.
वह मस्ती से चिल्ला रही थी- आह उई आह … मां मर गई … चोदो और जोर से चोदो राजा … कई सालों से बिना बरसात की सूखी धरती की तरह मेरी चूत की प्यास बुझा दो मेरे राजा … आज तो तुम्हारे पानी से इसमें हरियाली आ जाएगी … ओह … फाड़ दो.
वह भी मेरे हर एक झटके के जबाव में अपनी कमर उठा कर मेरा साथ दे रही थी.
सारे कमरे हम दोनों की कामुक आवाजें ‘आह आह और फच्च फच्च …’ गूंज रही थीं.
लगातार आधा घंटा तक मैडम को हचक कर चोदने के बाद मैं झड़ गया.
उतने में वह दो बार झड़ चुकी थी.
झड़ने के बाद मैं उसके ऊपर निढाल हो गया.
थोड़ी देर बाद मैं फिर से उसको चूमने लगा.
मैंने फिर से उसको गर्म किया और अबकी बार मैडम को घोड़ी बना कर पूरी ताकत से उसको ऐसे रगड़ना चालू कर दिया, जैसे बुलेट मोटर साइकिल का टॉप गियर डाल दिया हो.
मैं उसे दे-दनादन पेलने लगा.
वह भी उतने ही मजे से अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी.
कुछ मिनट चुदाई करने के बाद वह फिर से झड़ गई.
अब वह थक गई थी.
उस रात मैंने उसे 5 बार चोद कर कस्टमर सेक्स का मजा लिया.
वह सुबह तक इतनी थक गई थी कि उठ भी नहीं पा रही थी.
मगर उसके चेहरे पर बहुत ही ज्यादा खुशी झलक रही थी.
उस खुशी के कारण वह अपना दर्द भी भूल गई थी.
वह बोली- तुम दिखने में तो बिल्कुल सूखी लकड़ी के जैसे हो, पर इतना कैसे चोद सकते हो?
मैंने कहा- गाड़ी चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो … पर उसका इंजन ताकतवर ना हो और हाई स्पीड गियर ना हो तो वो गाड़ी किस काम की. वैसे ही छोटी गाड़ी हो, पर इंजन दमदार हो तो किसी को भी पीछे छोड़ सकती है. इसीलिए दिखावे पर मत जाओ, कोई आपको कैसे चोद चोद कर बेहाल करता है … वह देखो. चींटी छोटी सी होती है, पर जब हाथी की सूंड में घुस जाती है, तो उसको भी पागल करवा सकती है.
इसी तरह की बातें होती रहीं.
सुबह उठ कर नहा कर नाश्ता करके हम दोनों पूरा दिन सोते रहे.
वह मेरे सीने को बड़े ही प्यार से चूम कर मेरे सीने पर सर रख कर सो गई.
फिर रात में उठ कर हम दोनों ने मिल कर खाना बनाया.
उसने खास तौर पर बादाम, पिस्ता, काजू, केसर डालकर दूध बनाया और अपने ही हाथों से मुझे पिलाया.
रात को फिर से वही धुंआधार चुदाई शुरू हुई. इस बार वह मेरे ऊपर सवार होकर मजे लेने लगी.
वह इतनी पकी खिलाड़ी थी कि बड़े अच्छे से चुदाई करवा रही थी.
आज भी रात भर यह सिलसिला चलता रहा.
ऐसा लग रहा था कि जंग के मैदान में दोनों खिलाड़ी एक दूसरे को पी जाने को हो गए हों, ऐसा चल रहा था.
वह बहुत ही खुश थी.
कई साल के बाद उसकी चुदाई हुई थी.
उसे लग रहा था मानो जैसे जवानी फिर से लौट आयी हो.
पूरे लॉकडाउन तक यही सिलसिला चलता रहा.
उस दौरान हम दोनों पति पत्नी की तरह रहने लगे थे.
लॉकडाउन के बाद जब मैं वापस घर जा रहा था तो उसकी आंखों में से आंसू रुक ही नहीं रहे थे.
उसकी ये हालत देख कर मेरा दिल भी रो पड़ा.
अब वह जब भी गुजरात आती थी तो मुझसे अपनी सारी चुदाई की ख्वाहिशें पूरी करवाती थी.
फिर एक दिन सब कुछ ठीक हो गया तो उसका पति उसको विदेश लेकर चला गया और मैं फिर से वहीं का वहीं रह गया.
दोस्तो, ये मेरी सच्ची घटना है … जो मैंने अपनी सेक्स कहानी के रूप में आपको सुनाई है.
आपको कस्टमर सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज कंमेंट करके जरूर बताना.
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