एनल फक़ का मजा मैंने पहली बार दिया अपनी गर्लफ्रेंड की शादीशुदा सहेली को! उसने पहले कभी गांड नहीं मरवाई थी तो उसे दर्द हुआ पर बाद में उसने इसका मजा लिया.
दोस्तो, मैं हर्षद आपको अपनी दोस्त नीता की सहेली गीता की चुदाई की कहानी के पिछले भाग
एक रात में दो सहेलियों को चोदा
में सुना रहा था कि मैंने पहले नीता को चोदा, फिर उसी के कहने पर उसकी सहेली गीता को दूसरी बार चोदने उसके कमरे में गया.
वो दूसरी बार की चुदाई में दो बार झड़ चुकी थी. मगर मेरा झड़ना अभी बाकी था.
अब आगे एनल फक़ का मजा:
थोड़ी देर बाद गीता ने अपनी टांगें मेरी कमर से हटा दीं और फिर से फैला दीं.
अब वो अपने दोनों हाथों से मेरी गांड और पीठ सहलाती हुई अपनी गांड उठाकर लंड अन्दर बाहर करने लगी थी.
मेरा लंड भी जोश में आ गया.
मैं फिर से अपनी पोजीशन में आ गया और तेजी से लंड अन्दर बाहर करने लगा.
इस वक्त मैं पूरा लंड बाहर निकालकर तेज गति से धक्के मारने लगा था.
तो उसकी रसीली चूत से मादक पच पच फच फच की आवाजें पूरे बेडरूम में गूंजने लगी थीं.
हम दोनों भी कामवासना में डूबकर काम क्रीड़ा करने में मशगूल हो गए थे.
कुछ मिनट की पलंगतोड़ चुदाई के बाद हम दोनों ही अपनी मंजिल पर पहुंच चुके थे.
गीता जोर जोर से मादक सिसकारियां लेती हुई झड़ने लगी थी.
उसकी चूत के गर्म रस के अहसास से मेरा लंड भी अपने गर्म वीर्य की पिचकारियां मारकर गीता की चूत वीर्य से भरने लगा था.
हम दोनों थककर चूर हो गए थे और एक दूसरे की बांहों में समा गए थे.
थोड़ी देर बाद मैं उठने लगा, तो गीता बोली- हर्षद उठो मत, अपना लंड ऐसे ही मेरी चूत में थोड़ी देर मेरे ऊपर ही पड़े रहो.
मैं समझ गया कि ये बीज का एक अंश भी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहती है.
रात के डेढ़ बजे थे.
मैं उसके ऊपर ही सो गया था.
जब मेरी नींद खुली, तब गीता फिर से मेरी गांड और पीठ सहलाकर मुझे गर्म करने लगी थी.
मैंने घड़ी की तरफ देखा तो अभी तीन बज चुके थे.
मतलब हम दोनों डेढ़ घंटा सो चुके थे.
गीता फिर से अपनी गांड उठाकर लंड को जगा रही थी.
अब मैं अपनी पोजीशन में आया और गीता के स्तन जोर जोर से मथने लगा.
गीता अपने दोनों हाथों की उंगलियों से मेरे निप्पलों को रगड़ने लगी.
मैं कामुक हो गया था.
मेरा लंड अभी भी चूत में ही था.
मगर अब हमारी प्रेम लीला से लंड चूत में ही लोहे जैसा हो गया था.
हम दोनों कामक्रीड़ा में लग गए थे.
उस रात सुबह पांच बजे तक मैंने गीता को अलग अलग पोजीशन में तीन बार चोदा.
उसके बाद हम दोनों थककर एक दूसरे की तरफ मुँह करके, एक दूसरे के टांगों में टांगें फंसाकर, एक दूसरे की बांहों में लिपट कर सो गए.
सुबह आठ बजे नीता ने हमें जगाया, तो नीता के सामने ऐसी हालत में खुद को देख कर गीता शर्माने लगी थी.
नीता हंस कर बोली- अब इसमें शर्माने की क्या बात है. मुझे सब पता है गीता … अब उठो आठ बज गए हैं.
हम दोनों उठकर बेड के नीचे खड़े हो गए.
नीता बेडशीट निकालती हुई बोली- पूरी रात में कितनी गंदी कर दी है.
वह गीता की तरफ देख कर मुस्कुराती हुई बोल रही थी.
तो गीता बोली- चुप बदमाश कुछ भी बोलती है.
अब हम तीनों एक साथ बाथरूम में नहाने चले गए.
गीता ने गर्म पानी का फव्वारा चालू कर दिया तो हम तीनों साथ मिलकर अपने अपने बदन को भिगोने लगे थे.
नीता मेरे पीछे से सटाकर और गीता मुझे आगे से सटा कर मुझे नहला रही थी.
दोनों के जिस्म की स्पर्श से मैं गर्म होने लगा था.
मैं गीता के स्तन, कमर, चुत, जांघें और गांड सहलाकर पानी से गीला कर रहा था.
मेरा लंड गीता की चूत पर रगड़ रहा था.
अब लंड पूरा तनाव में आ चुका था.
मेरा मन कर रहा था कि किसी भी तरह से आज गीता की गांड मारनी चाहिए, नहीं तो फिर ऐसा मौका नहीं मिलेगा.
अब नीता मुझे पीछे से कंधे से लेकर जांघों तक साबुन लगाने लगी और गीता आगे से कंधे से लेकर घुटनों तक लगाने लगी.
फिर नीता मेरी गांड और गांड की दरार में साबुन लगा रही थी. साथ में वो अपने स्तन मेरी पीठ पर रगड़ रही थी और से गीता मेरे तने हुए लंड को, अंडगोटियों को और जांघों को बार बार साबुन लगाने के बहाने सहला रही थी.
मैं पूरी तरह से गर्म हो गया था.
अब गीता मेरी तरफ गांड करके नीचे झुककर अपने घुटनों और पैरों को साबुन लगाने लगी तो मेरा तना हुआ लंड उसकी गांड के छेद पर रगड़ने लगा.
गीता अपनी गांड जानबूझ कर ऊपर नीचे हिलाकर मजे ले रही थी.
मैं भी समझ गया था कि गीता क्या चाहती है.
मैं उसकी गांड और कमर को सहलाते हुए लंड उसकी गोरी गांड के बीच खुले हुए लाल छेद पर रखकर दबाने लगा.
गीता भी मस्ती में अपनी गांड पीछे लंड पर दबाने लगी थी.
नीता ये देखकर आगे आ गई.
उसने अपना एक पैर गीता के ऊपर से दूसरी तरफ डालकर खड़ी हो गई. उसने मेरी तरफ मुँह कर लिया था और गीता की कमर को अपनी जांघों में जकड़ लिया.
नीता ने भी मेरे लंड को पकड़ कर उस पर अपने मुँह से थूक छोड़ दिया.
मेरे लंड का चिकना सुपारा गीता की गांड के छेद पर रगड़ खाते हुए निशाने पर सैट हो गया.
मैंने अपने दोनों हाथों से गीता की गांड को दोनों तरफ फैलाकर रखा.
इससे गीता की गांड का छेद और खुल गया था.
नीता बोली- हर्षद, अब मार दो धक्का.
मैंने जोर से धक्का मार दिया तो आधा लंड गीता की गांड में घुस गया.
गीता एकदम से चिल्लाने लगी- उई माँ मर गई … आह आ आ ओह स्स्स स्स्स हाय नीता छोड़ दो मुझे!
वह बहुत कसमसा रही थी.
नीता ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रखे और चूमने लगी.
वो अपने दोनों हाथों से मेरी गांड सहलाने लगी.
मैं जोश में आ गया और गीता की कमर को पकड़कर लंड अन्दर बाहर करने लगा.
मेरा लंड गीता की गांड में में बहुत टाईट जा रहा था.
वह पहली बार अपनी गांड में लंड ले रही थी. वो भी मेरा इतना मोटा और लंबा लंड.
आहिस्ता आहिस्ता मैंने पूरा लंड गीता की गांड में डाल दिया था.
एनल फक़ में कुछ देर के दर्द के बाद अब गीता भी अपनी गांड आगे पीछे करके मुझे साथ देने लगी थी.
तब नीता ने उसे अपनी जकड़ से आजाद कर दिया और वो बाजू होकर गीता की गांड सहलाने लगी.
फिर वो मेरे पीछे मुझे सटकर खड़ी हुई और उसने मेरे पीछे से हाथ डालकर गीता की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया.
नीता मुझे धक्के देने लगी. उसकी चूत मेरी गांड पर और स्तन मेरी पीठ पर रगड़ने लगे थे.
इससे नीता भी गर्म हो गयी थी और मेरा जोश और बढ़ने लगा था.
हम दोनों मिलकर जोर जोर से धक्के मार रहे थे.
बाथरूम सेक्स में हम तीनों मदहोश हो गए थे.
गीता मेरा लंड तेज गति से अपनी गांड में ले रही थी.
पन्द्रह मिनट की गांड चुदाई के बाद मैं सहन ना कर सका और झड़ गया.
मेरे लंड ने वीर्य की गर्म पिचकारियां गीता की गांड में मार दी थीं.
मैंने गीता की गांड अपने वीर्य से पूरी भर दी थी.
गीता को इसका अहसास होते ही उसने अपनी गांड मेरे लंड पर दबाकर रख दी.
मैं गीता के ऊपर झुककर उसके स्तन सहलाने लगा था और नीता मेरे पीछे बैठकर मेरी अंडगोटियां सहला रही थी.
गीता की गांड ने मेरे लंड को पूरा निचोड़ कर सारा वीर्य गटक लिया था.
जब वो शांत हो गयी तो वो आहिस्ता से मेरा लंड बाहर निकालने लगी.
जैसे ही पूरा लंड बाहर निकला, तो गीता की गांड से मेरा वीर्य बाहर आने लगा था.
ये नीता ने देखा तो वो झट से आगे होकर अपनी जीभ से गीता की गांड से बहता हुआ वीर्य चाटकर पीने लगी.
इस तरह से नीता ने पूरा वीर्य गटक लिया था.
अब गीता भी खड़ी हो गयी थी. गीता के चेहरे पर अलग सी खुशी चमक रही थी.
वो मेरे गले से लगकर मुझे चूमती हुई बोली- हर्षद बहुत मजा आया. आज पहली बार मैंने पीछे से लिया और वो भी तुम्हारा इतना बड़ा और लंबा.
अब हम तीनों नहाकर बाहर आ गए थे.
हम तीनों नीचे आए तो नीता बोली- तुम दोनों आराम करो, मैं नाश्ता बनाती हूँ.
नीता किचन में चली गयी.
मैं और गीता अन्दर बेडरूम में आ गए.
जैसे ही हम बेडरूम में आए, गीता ने मुझे अपनी बांहों में कसकर चूमते हुए कहा- हर्षद कैसे बताऊं तुम्हें कि मैं कितनी खुश हूँ. सच में मैं शब्दों में नहीं बता सकती. तुमने तो मेरी बरसों की सारी इच्छाएं पूरी कर दी हैं. मेरे जिस्म की प्यास तुमने बुझा दी है. मैं ये अहसान कभी नहीं भूल सकती हर्षद!
मैंने गीता की बात सुनकर अपना हाथ उसके मुँह पर रखकर कहा- ऐसी बातें करके मुझे अपने से अलग मत करो गीता. वैसे तुम्हारा साथ पाकर मैं भी बहुत खुश हूँ.
गीता मेरी बात सुनकर मेरे होंठों को चूमने लगी.
मैं पहले से बाथरूम से गर्म था. अभी उसने चुम्मी ली तो मैं और गर्म होकर उसके होंठों को चूसने लगा था.
नीचे मेरे लंड पर गीता अपनी चूत रगड़ रही थी.
गीता के कसे हुए स्तन मेरे सीने पर रगड़ खा रहे थे.
हम दोनों फिर से मदहोश होकर एक दूसरे की गांड सहलाने लगे थे.
मेरा लंड अब पूरा लोहे जैसे हो गया था. मेरा गर्म लंड गीता की चूत भी गीली कर रहा था.
गीता की चूत भी बहुत गर्म हो गयी थी. गीता ने मेरा लंड अपने कोमल हाथों में ले लिया.
मेरा लंड एकदम से फड़फड़ाने लगा.
गीता चौंक कर बोली- बाप रे, ये तो अभी से ही लड़ाई के लिए तैयार हो गया है!
मैं गीता की चूत पर हाथ फिराकर बोला- ये भी तो तैयार हो गयी है गीता.
गीता हंस कर बोली- हां अब तो लड़ाई होनी ही चाहिये हर्षद … और जल्दी से चोदो, नहीं तो नीता नाश्ता लेकर आ जाएगी.
गीता की बात सुनते ही मैंने उसके दोनों हाथ बेड पर रखवा कर झुका दिया.
अगले ही पल मैंने उसकी टांगें फैलाकर अपने एक हाथ में अपना तना हुआ लंड पकड़कर गीता की चूत की दरार में सैट कर दिया और एक जोर का धक्का मार दिया.
मेरा पूरा लंड गीता की गीली चूत की गहाराई में उतर गया था.
उसकी कराह निकल गई- आंह मर गई.
मैं गीता की कमर दोनों हाथों से पकड़कर जोर से धक्के मारने लगा.
गीता के मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं.
बीस धक्के के बाद गीता बोली- आह … और जोर जोर से चोदो हर्षद, जल्दी करो नहीं तो नीता आ जाएगी.
मैं और जोर से पूरा लंड बाहर निकाल कर अन्दर डाल रहा था.
धक्के की चोट पड़ने की वजह से गीता की गोरी गांड लाल हो गयी थी.
कुछ पन्द्रह मिनट की धुंआधार चुदाई के बाद हम दोनों भी मादक सिसकारियां लेते हुए झड़ने लगे थे.
मैं एक जोर जोर से धक्का मारकर गीता के ऊपर लेट गया.
गीता की चूत सिकुड़ सिकुड़ कर मेरे लंड का वीर्य चूस रही थी.
पूरा वीर्य चूस लेने के बाद ही उसे सुकून मिला.
थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे.
इतने में नीता हमें पुकारती चली आ रही थी.
उसकी आवाज सुनते ही झट से हम दोनों अलग होकर खड़े हो गए.
नीता कमरे में अन्दर आ गयी.
एक बार मेरे लंड की तरफ और एक बार गीता की चूत और जांघों की तरफ देखकर वो मुस्कुराती हुई बोली- मुझे मालूम था, तुम दोनों आराम नहीं करोगे. ऐसा ही कुछ करने वाले हो. अब जाओ, सब साफ करके आओ. मैं नाश्ता लेकर आती हूँ.
हम दोनों बाथरूम जाकर पानी से धोकर साफ करके आए और सोफे पर बैठ गए.
नीता एक ट्रे में सबके लिए नाश्ता लेकर आयी और मेरे पास ही बैठ गयी.
उन दोनों के बीच में मैं अकेला था.
हम तीनों साथ में बातें करते हुए नाश्ता करने लगे.
नीता मेरी जांघ से अपनी जांघ सटाकर बैठी थी. बीच बीच में वो अपने एक हाथ से मेरी गांड सहला रही थी.
मैंने आँख के इशारे से उसे चुप रहने को कहा.
वो मुस्कुराने लगी थी.
मैं भी खाते समय अपनी कोहनी से उसकी चूची को सहला रहा था.
इससे नीता के मुँह से ‘स्स्स स्स्स …’ की आवाज आने लगी.
कुछ देर में हमारा नाश्ता खत्म हो गया था तो गीता उठकर सब थालियां ट्रे में रखकर बोली- तुम दोनों बैठो, मैं चाय लेकर आती हूँ.
उसके जाने के बाद मैंने झट से अपना एक हाथ नीता के कंधे पर से स्तन पर रखा और दोनों हाथों से उसके दोनों स्तनों को जोर जोर से रगड़ने लगा.
नीता आहें भरती हुई बोली- कितने जोर जोर से रगड़ रहे हो हर्षद. जरा आहिस्ता से करो न, नहीं तो मेरी चीख निकल जाएगी.
उसने मेरे लंड पर हाथ रखकर ये कहा ही था कि तभी गीता चाय लेकर आने लगी.
हम दोनों ने अपने अपने हाथ हटा दिए.
गीता ने हम दोनों को चाय के कप देकर खुद एक कप लेकर मुझसे सटकर बैठ गयी.
दोनों की गर्म जांघें मुझे भी गर्म करने लगी थीं.
मैं चाय पीते पीते अपनी दोनों कोहनियों से दोनों के स्तन सहला रहा था.
हम तीनों धीरे धीरे कामुक होने लगे थे.
इस एनल फक़ सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको गीता और नीता के साथ हुई चुदाई का कुछ और रंग पढ़ने को मिलेगा.
आप मेरे साथ बने रहें और मुझे मेल करना न भूलें.
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एनल फक़ का मजा कहानी का अगला भाग: अचानक मिली लड़की की सहेली को भी पेला- 6