पोर्न भाभी चुदाई का मजा मेरी पत्नी ने ही दिलवाया अपने मायके में! मेरे साले में शुक्राणु की कमी से भाभी को गर्भ नहीं ठहर रहा था तो उसने मेरे वीर्य से गर्भवती होने की सोची.
साथियो, मैं राजेश शर्मा, नागपुर पुनः आपके सामने अपनी कहानी के साथ हाजिर हूँ.
आपने मेरी पिछली सेक्स कहानी
हनीमून पर होटल में बीवी की गांड फाड़ी
में अब तक आपने पढ़ा था कि बड़े भैया के साथ रायपुर जाने के बाद रागिनी ने मुझे खुशखबरी सुनाई कि वो गर्भवती है.
यह सुनकर मैं ऑफिस से छुट्टी लेकर रागिनी से मिलने अपनी ससुराल रायपुर चला गया.
अब आगे पोर्न भाभी चुदाई का मजा:
मेरी ससुराल में सासु जी के साथ, मेरे बड़े साले रमेश भैया 33 वर्ष, उनकी पत्नी वसुंधरा भाभी 30 वर्ष, छोटे साले दिनेश जी 28 वर्ष और साली रजनी 22 वर्ष इतने सदस्य थे.
शादी के बाद ससुराल में पहली बार आने के कारण सभी ने बहुत ही अच्छे तरीके से मेरा स्वागत किया.
रागिनी की प्रेग्नेंसी के कारण भी वे लोग बहुत खुश थे.
सासुजी और वसुंधरा भाभी ने मुझे डिनर सर्व किया और हम सबने एक साथ बैठकर डिनर लिया.
उसके बाद आइसक्रीम खाते हुए लिविंग रूम में बैठकर हम सब बातें करने लगे.
रायपुर आने के बाद से अभी तक मैं रागिनी से अकेले नहीं मिल पाया था.
वो भी सभी के साथ मेरी इस स्थिति को भांप गई थी और मेरी बेचैनी को महसूस करते हुए मजे ले रही थी.
इसी बीच सासुजी ने हमारे सोने की व्यवस्था की बात छेड़ दी.
रागिनी तो अभी तक अपनी बहन रजनी के साथ ही अपने पुराने कमरे में सो रही थी.
सासुजी ने रजनी को अपने पास सोने के लिए कहा और हमारे मिलन की व्यवस्था कर दी.
सबसे बातें करने के बाद जब मैं रागिनी के कमरे में पहुंचा तो रागिनी मेरा ही रास्ता देख रही थी.
इतने दिनों से फोन पर भले ही वो मुझे तड़फा रही थी लेकिन हकीकत में वो खुद भी अन्दर से बहुत तड़फी हुई थी.
इतने दिनों में वो और मादक दिखने लगी थी, उसकी आंखों का नशीलापन और बढ़ गया था.
दरवाजा बंद करते ही वो मेरे सीने से लिपट गई और मुझे चूमने लगी.
उसकी आंखों से खुशी के आंसू निकल रहे थे.
मैं भी भावुक हो उठा और उसे बिस्तर पर बैठा दिया.
उसका चेहरा अपनी हथेली में लेकर मैं उसे चूमता ही चला गया.
मैंने उसे बहुत ही प्यार से कहा- थैंक्यू वेरी मच रागी.
वो मुस्कुरा दी और उसने मेरी छाती में अपना सिर छुपा दिया.
मैंने बड़ी नाजुकता से उसको खड़ा किया और उसके सारे कपड़े उतार दिए.
फिर मैं उसके पेट पर अपना हाथ फेरने लगा और पेट को चूमने लगा, जहां हमारा बीज पड़ चुका था और अगले कुछ महीनों में बाहर आने वाला था.
हम दोनों ही कई दिनों के प्यासे थे. हम एक दूसरे में समाने के लिए बेताब हो रहे थे.
पहल मैंने ही की और अपने कपड़े उतारकर उसे ऊपर से नीचे तक चूमता चला गया.
मैंने उसे बिस्तर के बगल में खड़ी कर दिया और उसके बूब्स को जोर-जोर से चूसने लगा.
उसके निप्पल्स को मसलकर दबाने लगा और दांतों से हल्के से काटने भी लगा.
इससे उसकी सिसकारियां निकलने लगीं. उसने मुझे अपनी छाती से चिपका लिया.
उसके मम्मों की भरपूर चुसाई और दबाई करने के बाद मैं और नीचे की ओर सरकता चला गया और उसकी नाभि और पेट को चूमने लगा.
उसे भी यह अच्छा लग रहा था लेकिन वो मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए बेकरार हो रही थी.
मैं और नीचे खिसककर उसकी चूत को चाटने लगा तो वो फड़फड़ा उठी और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत में डालने लगी.
फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया जिससे उसकी चूत उभरकर सामने आ गई.
अब मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और एक ही झटके में अन्दर डाल दिया.
उसने अपने दोनों होंठ भींच लिए.
फिर मैंने जोरदार तरीके से चुदाई शुरू कर दी.
एक बार चोदना शुरू करने के पश्चात यह याद ही नहीं रहा कि मैं अपनी ससुराल में चुदाई कर रहा हूँ.
इतने दिनों के बाद मेरे लंड को चूत मिली थी वो भी फनफना रहा था.
इधर मैं तेजी से झटके मार रहा था, तो नीचे से रागिनी उचक-उचककर प्रतिसाद दे रही थी.
उसके मुँह से ‘आह हह और जोर से …’ ऐसी आवाजें निकल रही थीं.
इस जबरदस्त चुदाई से थोड़ी देर बाद हम दोनों ही झड़ गए और मैं वैसे ही उसके ऊपर लेट गया.
थोड़ी देर में हम उठे और बाथरूम में जाकर सफाई की.
अब हम दोनों ही इतने दिनों का बैकलॉग पूरा करने के विचार में थे.
शुरूआत रागिनी ने ही की और मुझे चूमना शुरू कर दिया; वो इतने दिनों की प्यास को जल्द से जल्द मिटा देना चाहती थी.
वो मुझे चूमती जा रही थी और एक हाथ से मेरा लंड भी दबाती जा रही थी.
इससे मेरा लंड भी टनटनाकर खड़ा हो गया और झटके मारने लगा.
अब रागिनी ने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लंड को अपनी चूत में डालने लगी.
पहली चुदाई के बाद उसकी चूत गीली होने के कारण मेरा लंड उसकी चूत में समा गया.
वो मस्ती से उचककर मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगी.
उचकने के कारण उसके बूब्स भी ऊपर नीचे हो रहे थे.
मैंने दोनों हाथों से उनको पकड़ा और दबाना शुरू कर दिया, उसे भी मजा आ रहा था.
हालांकि इस पोजीशन में उसे ज्यादा ताकत लगानी पड़ रही थी, इसलिए उसकी सांसें फूलती जा रही थीं.
थोड़ी देर में हम दोनों ही झड़ गए, रागिनी निढाल होकर मेरे ऊपर गिर पड़ी और मैंने कसकर उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया.
इतने दिनों के बाद मिले चुदाई के अवसर के कारण उत्साह में हमारी आवाजें भी शायद बढ़ गई थीं.
बीच में मुझे यह अहसास भी हुआ कि खिड़की के पास कोई खड़ा है लेकिन रागिनी की चुदाई के नशे में मैंने उधर ध्यान ही नहीं दिया.
उत्तेजना के कारण हमारी आवाजें निश्चित ही औरों को सुनाई दी गई होंगी.
दो बार की चुदाई से हम थक चुके थे इसीलिए नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर सो गए.
सुबह मुझे उठाने के लिए रागिनी की जगह उसकी बहन रजनी आई.
रजनी- जीजा जी उठिए, सब लोग बाहर आपकी राह देख रहे हैं.
मैं तो नंगा ही सो रहा था, रागिनी मुझे एक चादर ओढ़ाकर चली गई थी.
एक तो सफर की थकान, उस पर रात में दो बार की जोरदार चुदाई … वास्तव में मुझे और नींद की आवश्यकता थी.
आधी नींद में मुझे लगा कि रागिनी ही मुझे उठा रही है, इसलिए मैंने रजनी को अपने ऊपर खींच लिया और बड़े प्यार से चूमते हुए कहा- रागी थोड़ा और सोने दो ना, प्लीज!
रजनी इस स्थिति में एकदम बौखला गई थी.
उसे शायद यह अहसास भी हो गया था कि चादर के नीचे मैं पूरा नंगा ही था.
उसकी बोलती बंद हो गई थी.
तभी रागिनी कमरे में आई और उसने मुझे झिंझोड़कर उठा दिया.
तब मुझे समझ में आया कि मैंने तो रजनी को चिपका लिया था.
मैंने रजनी को सॉरी कहा और फिर फ्रेश होने चला गया.
फ्रेश होकर बाहर आने पर देखा कि लिविंग रूम में सभी बैठे हैं.
मैं भी वहां जाकर बैठ गया.
रागिनी ने चाय दी और मैं चाय पीने लगा.
तभी सासुजी ने कहा- बेटा रात में कोई तकलीफ तो नहीं हुई.
मैंने ना कहा.
सभी लोग कहीं बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाने में लगे थे.
उतने में मेरे बड़े साले की पत्नी वसुंधरा भाभी सामने से गुजरीं तो वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थीं.
मैं भी मुस्कुरा दिया.
सबने मिलकर डोंगरगढ़, बम्लेश्वरी माता मंदिर जाने का प्रोग्राम पक्का किया था.
खाना खाकर हम लोग भैया की इनोवा से डोंगरगढ़ चले गए.
गाड़ी छोटे साले साहब चला रहे थे और बड़े साले उनके बाजू में थे.
बीच में मैं, रागिनी और रजनी थे तथा पीछे सासुजी एवं वसुंधरा भाभी थीं.
हम लोग अंताक्षरी खेलते हुए जा रहे थे. वसुंधरा भाभी इस खेल में बहुत माहिर थीं और उन्हीं के कारण हमारी टीम की जीत हुई थी.
मैंने उनको धन्यवाद कहा तो प्रतिउत्तर में उन्होंने एक दिलकश मुस्कान दे दी.
मैं भी मुस्कुरा दिया.
बम्लेश्वरी माताजी के दर्शन कर हमने दुर्ग में भोजन किया और रात में वापस आ गए.
रास्ते में, दिनभर में कई बार वसुंधरा भाभी से नजरें मिलीं, तो वो हमेशा मुस्कुरा देती थीं.
मेरी कुछ समझ में नहीं आया.
रात में कमरे में आने के बाद उत्सुकता के कारण मैंने रागिनी से पूछा- वसुंधरा भाभी मेरी तरफ बार-बार देखकर मुस्कुरा क्यों रही थीं.
तो रागिनी हंस दी.
उसने कहा कि कल रात को हम दोनों ही ज्यादा उत्साहित हो गए थे, इसीलिए चुदाई के समय हमारी आवाजें भी बाहर जा रही थीं, वही उन्होंने सुन ली थीं. वो मुझसे सुबह बड़ी उत्सुकता से पूछ भी रही थीं कि आपका ‘महाराज’ कितना बड़ा है. चुदाई में ज्यादा दर्द तो नहीं होता है. मैं तुमसे संतुष्ट हूँ कि नहीं. मैंने उन्हें सब सच-सच बता दिया, तो वो आश्चर्यचकित हो गई थीं. न जाने क्यों वो बार-बार यही सवाल कर रही थीं.
तभी मैंने रागिनी से पूछा- उनकी शादी को कितने साल हो गए हैं?
तो उसने कहा- पांच साल. लेकिन उनको कोई बच्चा नहीं हुआ.
मैंने पूछा- क्यों?
रागिनी ने बताया कि उनका कोई इलाज चल रहा है.
इस बात को यहीं खत्म कर हम दोनों अपनी चुम्मा चाटी और चुदाई में लग गए.
चुदाई तो हमने आज भी जोरदार ही की थी लेकिन अपनी आवाज पर नियंत्रण रखा था.
दूसरे दिन सुबह मुझे जगाने के लिए फिर रजनी ही आई और आज मैंने उनींदा बनकर उसे जानबूझकर अपने ऊपर खींच लिया और प्यार करने लगा.
इतने में बाहर से वसुंधरा भाभी गुजर रही थीं, वो भी ठिठककर ये सब देखने लगीं.
तभी रजनी ने ‘जीजाजी उठिए …’ कहते हुए मुझे झिंझोड़कर उठा दिया.
मैं फ्रेश होने चला गया.
बाहर लिविंग रूम में आज मुझे चाय वसुंधरा भाभी ने लाकर दी और मेरी ओर देखकर दिलकश मुस्कुराट दे दी.
मैं भी मुस्कुरा दिया.
आज सबने मिलकर मॉल घूमने, पिक्चर देखने और डिनर बाहर ही करने का प्रोग्राम बना दिया.
हम लोग मॉल घूमकर पिक्चर देखने गए.
पिक्चर शुरू होने के कुछ देर बाद ही बड़े साले साहब को फोन आ गया और काम के कारण वे दोनों भाई पिक्चर छोड़कर चले गए.
मूवी खत्म होने के बाद मैं चारों लेडीज को डिनर कराने ले गया.
वहां राउंड टेबल पर डिनर सर्व किया गया.
मेरे एक ओर रागिनी तो दूसरी ओर वसुंधरा भाभी बैठी थीं.
पूरे समय वसुंधरा भाभी ने अपनी जांघ मेरी जांघ से सटाए रखीं और बीच में वो अपने हाथ से भी मेरी जांघों को छू लेती थीं.
मैं कुछ असमंजस में था.
वे बड़ी प्यार भरी नजरों से मुझे देख रही थीं.
घर में आने के बाद यह बात मैंने रागिनी को बताई तो उसने उदास मन से यह बात कबूल कर ली कि उसके भैया में वीर्य में शुक्राणुओं की मात्रा कम होने के कारण उनको बच्चा नहीं हो रहा था.
मैंने कुछ नहीं कहा.
रागिनी बोलती चली गई- इसके बाद शादी होते ही एक महीने में ही मेरा गर्भवती हो जाना और परसों की हमारी चुदाई की आवाजें सुनकर वसुंधरा भाभी बहुत बेचैन हो उठी हैं. अब वो मुझसे आपके द्वारा बच्चा पैदा कराने का आग्रह कर रही हैं. मुझे समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं!
हम दोनों, इस विषय को छोड़कर अपनी चुम्मा चाटी में लग गए.
आज मैंने रागिनी को घोड़ी बनाकर पीछे से चोदा.
तो दूसरी बार हमने 69 की पोजीशन में एक दूसरे को चोदा.
उसने मेरा वीर्य पी लिया और मैंने उसके चूत के पानी को.
दो बार की चुदाई के कारण हम थक चुके थे इसलिए नंगे ही एक दूसरे से चिपककर सो गए.
आज सुबह मुझे रागिनी ने उठाया.
बाहर लिविंग रूम में आने पर पता चला कि रात में ही दोनों भाई जरूरी काम से इंदौर चले गए हैं.
आज मुझे चाय फिर वसुंधरा भाभी ने ही दी … वो भी दिलफरेब मुस्कुराहट के साथ.
मैं भी मुस्कुरा दिया.
आज दोनों भाई न होने के कारण हम सब कहीं घूमने का प्रोग्राम नहीं बना सके.
दोपहर में पड़ोस में ही सगाई कार्यक्रम था तो सासुजी रजनी के साथ वहां चली गईं.
घर में मैं, रागिनी और वसुंधरा भाभी ही थे.
अब भाभी थोड़ा खुलकर बैठने और बोलने लगी थीं.
उन्होंने रागिनी के सामने ही कमरे में आकर मेरे पांव पकड़ लिए और अपने लिए बच्चे की मांग करते हुए रोने लगीं.
उनके इस व्यवहार से हम दोनों ही दुविधा में फंस गए.
अंत में भाभीजी को उठाकर चुप कराते-कराते मेरा हाथ भी उनके मम्मों से टकरा गया.
मुझे एक करेंट सा लगा, कड़क बूब्स थे.
मैंने रागिनी की ओर देखा, उसने आंखों ही आंखों में अपनी मूक सहमति दे दी.
तो मैंने भाभी को कसकर पकड़ लिया और बेताबी से उनके होंठों को चूमने लगा.
वो भी उतनी ही तेजी से मुझे चूम रही थीं.
मैंने चूमते हुए उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
उसके बूब्स रागिनी से थोड़े बड़े और कड़क थे.
मैंने दोनों हाथों से उन्हें दबाना और चूसना शुरू कर दिया.
वो सिसकारियां भरने लगीं.
मैंने भाभी की साड़ी, पेटीकोट खोलकर उन्हें पूरी नंगी कर दिया.
भाभी की चूत एकदम साफ, लेकिन थोड़ी फैली हुई थी.
मैंने बूब्स चूसते हुए एक हाथ से उनकी चूत को भी सहलाना शुरू कर दिया था.
अब वो बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थीं और बार-बार अपने हाथ का दबाव मेरे लंड पर बढ़ा रही थीं.
मैंने उन्हें बिस्तर पर बैठा दिया और मेरा लंड उनके चेहरे के सामने लहराने लगा.
उन्होंने भी संकोच छोड़कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
फिर मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया जिससे उनकी चूत उभरकर सामने आ गई.
मैंने अपने लंड का सुपारा भाभी की चूत के छेद पर रखा और एक जोरदार झटका लगा दिया.
मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया था.
मेरा एक हाथ उनके मुँह पर था, वो जोर से चिल्लाईं लेकिन उनकी आवाज मुँह में ही घुटकर रह गई.
वो ‘गोंगगोंग … आहहहह …’ कर रही थीं.
मैंने हाथ हटाया तो उन्होंने कराहती हुई आवाज में कहा- रागिनी के भैया के लंड से आपका लंड मोटा है इसीलिए मुझे तकलीफ हुई.
मैं उनको चूमते हुए अपने लंड को आगे पीछे करने लगा.
अब शायद भाभी का दर्द कम हो गया था क्योंकि अब पोर्न भाभी चुदाई का मजा ले रही थीं.
मौका पाते ही मैंने दूसरा जोरदार झटका दे दिया और अपना पूरा लंड भाभी की चूत में डाल दिया. उनके मुँह पर हाथ होने से वो फिर से गोंग-गोंग करने लगीं.
दोस्तो, मैं अपनी सलहज के साथ चुदाई का पूरा मजा पोर्न भाभी चुदाई कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.
आप सब मेरे साथ इसका आनन्द उठाने के लिए बने रहिए और अपने मेल मुझे जरूर करें.
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