मेल एस्कॉर्ट गे लाइफ स्टोरी में पढ़ें कि एक सुंदर लड़के को पड़ोसी लड़के ने गांड मरवाने का शौक डाल दिया. उसने उसे सब सिखाया. लड़का पैसे लेकर गांड मरवाने लगा.
एक पुरुष वेश्या की डायरी
प्रिय पाठको,
आपने मेरी पिछली कहानी
लिंग परिवर्तन करा के गृहस्थी बसाई
को पढ़ा, पसंद किया. इसके लिए धन्यवाद.
एक पुरुष वेश्या संतोष ने डायरी में अपने जीवन के अनुभव लिखे.
संतोष ने मुझे ये डायरी दी, उसकी कलम से आप इस मेल एस्कॉर्ट गे लाइफ स्टोरी को सुनिए.
मैं संतोष, अपने माता-पिता के साथ पुणे में एक चॉल में रहता था. पिता मजदूरी करते थे, मां लोगों के घर बर्तन मांजती थी.
मेरी मां सुंदर थी, मैं भी उनकी तरह सुंदर हूँ. गेहुंआ रंगत, तीखे नाक नक्श.
मैंने दसवीं पास की और एक किराने की दुकान में काम करने लगा.
हमारी चॉल के मालिक का लड़का मोहन मेरा आशिक था.
उसने कई बार मेरी गांड बजाई.
जब मेरी गांड मारी जाती, मैं अपने लंड को बिना छुए ही झड़ जाता.
उसने कंडोम, के-वाई जैल लुब्रिकेशन का उपयोग बताया; मुझे स्मार्ट फ़ोन दिया, इंटरनेट पर कैसे जानकारी मालूम करनी है, वो सब सिखाया.
मैंने गे वीडियो देखा, बिना दर्द के और सुरक्षित कैसे गांड मरवाई जा सकती है, वो सब सीखा.
मैं अच्छे स्कूल में पढ़ा था तो मेरी इंग्लिश अच्छी थी.
मोहन के पास उसके दोस्त के खाली फ्लैट की चाबी थी, वह मुझे वहां ले जाता.
मुझे लड़कियों के कपड़े पहनाकर बोलता कि संतोष अब तुम मेरी बीवी सोनम हो.
हम दिन भर साथ रहते, वह मुझे खूब चूमता, मेरे चूचे दबाता और चूसता और दिन में कई बार मेरी गांड मारता.
मुझे लगता मैं सचमुच उसकी बीवी हूँ.
मेरे माता पिता ने तय किया कि वे गांव लौट जाएंगे.
मगर मैंने पुणे में ही रहने का फैसला किया.
मैं 19 साल का था.
दरअसल मैं अपने आपको मोहन की बीवी समझता था और उसके साथ ही रहना चाहता था.
एक दिन खबर मिली कि मोहन की शादी तय हो गयी है.
मैंने मोहन को फ़ोन किया, उसने बताया कि वह घर वालों के दबाव में शादी कर रहा है.
उस दिन हमारा आखिरी सम्भोग हुआ.
मैं मोहन की शादी में गया, उसकी बीवी काफी सुंदर थी.
मोहन से अब मुलाकात नहीं हो रही थी.
मेरी गांड की खुजली बढ़ने लगी, मुझे लंड चाहिए था.
एक दिन मोहन हमारी दुकान में आया.
उस समय और ग्राहक नहीं थे.
मैंने बेशर्मी से मोहन को अपनी खुजली के बारे में बताया.
मोहन- संतोष, मैं समझ सकता हूँ. मैं तो नहीं आ सकता, पर मेरे दो कुंवारे दोस्त हैं, मैं उनसे बात करता हूँ.
शनिवार को मोहन ने अपने दोस्तों अजय और सुनील से मुझे मिलवाया.
दोनों 25-26 साल के हट्टे-कट्टे जवान मर्द थे.
रात को मुझे उनके पास जाना था.
मैंने दुकान से वापस आकर अपनी गांड में पिचकारी से पानी भरकर तीन बार छेद साफ़ किया.
फिर नहाकर अपने रात के कपड़े, कंडोम, के-वाई जैल आदि बैग में लेकर उनका इंतजार करने लगा.
सुनील अपनी कार में मुझे अपने फ्लैट में ले गया.
अजय- संतोष तुमको दुकान में एक हफ्ते में जितनी तनख्वाह मिलती है, उतना हम तुम्हें आज रात का देंगे. तुम्हें हमें खुश करना पड़ेगा.
मैंने हामी भर दी.
अजय और सुनील ने मुझे नंगा कर दिया.
वो दोनों भी कपड़े उतार चुके थे.
अजय, सुनील मेरे दोनों और खड़े होकर मेरे चूचे, चूतड़ दबाने लगे. मेरे गाल गर्दन चूमने लगे.
उनके लंड खड़े हो गए. दोनों के लंड तगड़े थे.
उन्होंने लंड की तरफ इशारा करके कहा- चूसो.
दोनों आराम से सोफे पर पैर फैलाकर बैठे थे.
मैंने कंडोम उनके लंड पर चढ़ा दिए और घुटनों के बल बैठकर दोनों के लंड बारी बारी से चूसने लगा.
बीच बीच में वे मेरा सर पकड़ लेते और गले तक लंड डालकर मुँह चोदते.
जब मेरी सांस बंद हो जाती, तब मुझे छोड़ते.
फिर उन्होंने मुझे पलंग पर पीठ के बल लिटा दिया, मेरी कमर के नीचे तकिया लगा दिया.
तब मैंने कहा- के-वाई जैल लगा लो कंडोम पर.
मैंने अपने पैर छाती की तरफ करके पकड़ लिए.
सुनील ने एक झटके से अपना पूरा लंड मेरी गांड में पेल दिया.
दर्द से मैं आह कर उठा.
सुनील मेरे दर्द की परवाह किए बिना मेरी गांड मारने लगा.
थोड़ी देर बाद सुनील हट गया, अजय मेरी गांड मारने लगा.
उन्होंने मुझे मुँह खोलने को कहा और मुँह के अन्दर थूककर कहा- पी जा.
उसके बाद मुझे कुतिया की तरह पलंग के किनारे खड़े करके मेरी गांड मारने की तैयारी करने लगे.
वो दोनों जमीन पर खड़े होकर, बारी बारी से मेरी गांड मारने लगे.
वो मेरे कूल्हों पर चांटे मारने लगे.
उनके झटके इतने जोरदार थे कि मैं हिल रहा था.
जब एक मेरी गांड मार रहा होता, तब दूसरा मेरे निप्पल को मरोड़ता, मेरे मुँह में लंड डालकर चुसवाता.
फिर मुझे पेट के बल लिटाकर, मेरे ऊपर लेटकर मेरी गांड बारी बारी मारी.
एक घंटे से मेरी चुदाई हो रही थी, मेरा बदन दुःख रहा था.
तब दोनों अपने कंडोम में झड़ गए.
थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी गांड फिर से बजाई.
इस बार चुदाई डेढ़ घंटे चली.
मेरी गांड की खुजली मिट चुकी थी.
हम तीनों थककर नंगे ही सो गए.
सुबह उन्होंने मुझे उठाया और बाथरूम में ले गए.
अजय ने कहा- तुझे नहलाते हैं.
वे मुझे फर्श पर बैठाकर मेरे ऊपर मूतने लगे.
फिर मुझसे मुँह खोलने को कहा.
मैंने खोला, तो मेरे मुँह में मूतकर बोले- पी जा.
तो मैंने मूत पी लिया.
फिर सुनील ने कहा- अब नहाकर आ जा.
उन्होंने मुझे चाय नाश्ता दिया, रूपए दिए.
मुझे चलने में तकलीफ हो रही थी तो वो लोग मुझे दुकान तक ले गए, जहां मैं काम करता था.
मैं भरपूर गांड मराई से खुश था पर कुछ ज्यादा ही हो गया था.
उनके मेरे मुँह में मूतने से थोड़ी बेइज्जती भी हुई थी पर दुकान में मालिक से मुझे कौन सी इज्जत मिलती थी.
मैं सोचने लगा कि क्यों न गांड मरवाना अपना पेशा बना लूँ, एक रात में हफ्ते भर की कमाई हुई थी.
दो दिन बाद मुझे सुनील का फ़ोन आया- क्या आज रात मेरे एक दोस्त के पास सोने जा सकता है?
मैंने हां कह दिया.
रात को मैं तैयारी से सुनील के बताए पते पर पहुंचा.
दरवाजा एक अधेड़ आदमी ने खोला, मैंने अपना नाम बताया.
उसने मुझे अन्दर लेकर दरवाजा बंद कर दिया.
वह मुझे चूमने लगा.
जल्द ही उसने मुझे नंगा कर दिया, मेरे चूचे चूसने लगा.
उसने अपनी लुंगी खोल दी, अपने लंड की तरफ इशारा करके बोला- इसे खड़ा कर!
मैं घुटनों पर बैठकर उसकी गोटी, लंड, जांघ चूमने लगा.
उसका लंड खड़ा हो गया. उसका लंड ज्यादा बड़ा नहीं था.
उसने कंडोम पहना, मैंने लुब्रिकेशन लगा दिया.
फिर उसने मुझे पेट के बल लेटने को कहा.
मैंने लेटकर अपने हाथ से अपने चूतड़ फैला दिए.
उसने मेरे ऊपर लेटकर कुछ देर मेरी गांड मारी.
फिर पीठ के बल लेटकर बोला- अब तू ऊपर आ, मेरा लंड गांड में लेकर उछल!
मैं उछल उछल कर थक गया था पर वह नहीं झड़ा.
मैं जब भी रुकता, वह कहता और उछल.
काफी देर बाद वह झड़ा.
उसने मुझे बहुत रूपए दिए.
मेरे पांव, जांघ, कमर दुख रहे थे.
सुनील ने कहा था कि फ़ोन करना.
मैंने सुनील को फोन किया और आज का अनुभव बताया.
सुनील- संतोष तुम हमारे घर आ जाओ. मैं तुम्हारी मालिश कर दूंगा. आज मजा करेंगे, सुबह काम पर चले जाना.
मैं सुनील के घर गया.
सुनील ने मुझे दर्द निवारक दवा दी; मुझे नंगा करके गर्म तेल से मेरी खूब मालिश की.
जब मेरे सामने की तरफ मालिश हो गयी तो सुनील ने मुझे पेट के बल लिटा दिया, मेरी कमर, पैर की मालिश की.
उसकी मालिश से मुझे आराम मिल रहा था.
जब सुनील मेरे कूल्हे की मालिश कर रहा था तो उसका लंड खड़ा हो गया.
सुनील ने कंडोम लगाया और मेरे ऊपर लेटकर मेरी गांड मारी, फिर मुझे गर्म पानी से नहलाया.
उसने मुझे थोड़े रूपए भी दिए.
थोड़ी देर बाद अजय काम से वापस आ गया.
हम तीनों बैठकर बात करने लगे.
मैं- मैं सोच रहा हूँ कि क्या मैं गांड मरवाना अपना धंधा बना सकता हूँ? पर आज उछलने से मेरा शरीर दुःख रहा है. क्या ऐसा बाद में भी होगा?
सुनील- तुमसे मिलने के पहले हम लोग वेबसाइट से सम्पर्क कर लड़के मंगवाते थे. हम उनको कॉल बॉय कहते हैं.
मैं- आप लोग लड़कियां नहीं मंगवाते?
सुनील- हम सोसाइटी में रहते हैं, लड़कियां मंगवाने से पड़ोस के लोगों को आपत्ति होगी. एक दो बार लड़की को लड़कों के भेष में बुलाया भी, पर पकड़े जाने का खतरा बहुत है. वैसे भी गांड मारने का मजा अलग ही है. मैं और अजय तुम्हारी मदद कर सकते हैं. तुम्हारा बदन लड़की की तरह चिकना बना देंगे और तुम थकोगे भी नहीं.
मैंने कहा- मैं तैयार हूँ.
मैंने नौकरी छोड़ दी.
मैं ज्यादा सीखने के लिए शनिवार की सुबह अजय, सुनील के घर गया.
उनसे मैंने सीखा भी.
उन्होंने मुझे कसरत करना सिखाया, जिससे मेरा बदन मजबूत और लचीला हो.
मुझे उन दोनों ने इंटरनेट पर अलग अलग वेबसाइट का उपयोग करना बताया जिससे ग्राहक मिलें.
उन्होंने ऐस प्लग मंगवा रखा था, छोटा वाला प्लग, मेरी गांड में डालकर काफी देर चलाया.
बाद में मुझे बड़ा ऐस प्लग डालकर अभ्यास करना था जिससे मेरी गांड ढीली हो और मैं बड़ा लंड आसानी से ले सकूं.
मेरे बदन के अनचाहे बाल उन्होंने पार्लर में ले जाकर वैक्सिंग से निकलवा दिए.
मुझे ब्रेस्ट पंप दिया उन्होंने और उसका उपयोग करना सिखाया जिससे मेरे चूचे थोड़े बड़े हो जाएं और दबाने, चूसने वाले को मजा आए.
मुझे रोज ब्रेस्ट पंप लगाकर काफी देर रखना था, जब तक चूचे थोड़े बड़े न हो जाएं.
उन्होंने मुझे सलाह दी कि घर का खाना ही खाना चाहिए … और क्या खाना खाने से कब्ज और बवासीर नहीं होता, वो बताया. मल त्यागने से पहले गांड के अन्दर उंगली से तेल लगाने से बवासीर नहीं होती.
मुझे बी डी एस एम वीडियो दिखाए, कुछ देर मेरे ऊपर करके दिखाए. मुझे कुत्ते की तरह चलाया, पीटा आदि.
बाकी अभ्यास मुझे खुद करने थे.
उन्होंने मेरा अकाउंट सेक्स वेब साइट पर खोल दिया.
मैंने सुनील, अजय को उनकी मदद और मित्रता पूर्ण व्यवहार के लिए धन्यवाद कहा और सोमवार की सुबह अपने घर चला गया.
मैं रोज अपना अकॉउंट चैक करता, मुझे पुरुष ग्राहक मिलने लगे, मेल एस्कॉर्ट बन कर कमाई अच्छी होने लगी.
जब कुछ समझ नहीं आता, तो मैं अजय, सुनील से पूछ लेता.
एक महीने बाद अजय, सुनील ने मुझे अपने घर बुलाया.
वहां उनके दोस्त रवि और राजेंद्र से मुलाकात कराई.
रवि, राजेंद्र इवेंट मैनेजमेंट कंपनी चलाते थे.
मुझे बताया कि 3 दिन के लिए वह लोग महाबलेश्वर हिल स्टेशन जाने वाले हैं. मुझे और एक कॉल गर्ल संजना को भी साथ ले जाने का प्रोग्राम है.
संजना राजी थी, मैं राजी भी हो गया.
मुझे मालूम था कि चारों मेरी गांड मारेंगे, मगर घूमना भी हो जाएगा, कमाई भी होगी.
सुनील ने दूसरे दिन मुझे बताया महाबलेश्वर में बिना कंडोम मजा करने का प्रोग्राम है, उसके लिए मुझे डॉक्टर से जांच करानी है.
जांच ये पता करने के लिए कि मुझे कोई यौन रोग तो नहीं है.
सुनील मुझे डॉक्टर के पास ले गया, डॉक्टर ने जांच की, खून के नमूने लिए.
अगले दिन डॉक्टर की रिपोर्ट आ गयी कि मुझे कोई यौन रोग नहीं है.
बाक़ी चारों और संजना ने अपनी जांच करा ली थी, उनको भी यौन रोग नहीं था.
उन्होंने महाबलेश्वर में मेरे और संजना के नाम से रिसॉर्ट में 3 कमरे का कॉटेज बुक किया, मुझे और संजना को पति पत्नी के परिचय से रहने था.
कॉटेज के बाक़ी दो कमरों में बाक़ी चार पुरुष रहने वाले थे.
तय दिन सुबह हम छह लोग इनोवा कार में महाबलेश्वर के लिए निकले. रास्ते में चाय नाश्ता के लिए रुके.
रवि ने मेरा परिचय संजना से कराया.
मैं बीस साल का था, सजनी मेरे उम्र की थी. संजना सुंदर थी, उसका बदन, चूचे, चूतड़ सुडौल थे.
वह सीधी सादी और मीठा बोलने वाली थी, लगता नहीं वह कॉलगर्ल है.
मुझे वह बहुत अच्छी लगी.
मैं और संजना कार की पिछली सीट पर बैठे, खूब बातें की.
संजना ने बताया कि उसने कॉपर टी लगा रखा है, जिससे गर्भ नहीं ठहरे.
संजना दसवीं तक इंग्लिश स्कूल में पढ़ी थी.
आगे महाबलेश्वर में क्या हुआ, वो मैं आपको अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूंगा.
आपको मेरी मेल एस्कॉर्ट गे लाइफ स्टोरी कैसी लग रही है, आप मुझे मेल करें.
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मेल एस्कॉर्ट गे लाइफ स्टोरी का अगला भाग: गांड के शौकीनों ने मुझे मेल प्रोस्टीटयूट बना दिया- 2