पोर्न मदर सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरा एक दोस्त बना जो अपनी माँ को मेरे से चुदवाने के लिए होटल के कमरे में लेकर आया. हम दोनों ने मिलकर उसकी माँ चोदी.
कहानी के पहले भाग
रिश्तों में चुदाई का आकर्षण
में आपने पढ़ा कि मैंने अन्तर्वासना पर रिश्तों में चुदाई वाला शीर्षक मुझे शुरू से ही आकर्षित करने लगा था। मां की चुदाई के बारे में जब मैंने सोशल मिडिया पर खोज की तो मुझे कई आईडी मिले।
एक लड़के ने मुझे लाइव चुदाई भी दिखाई अपनी माँ की.
हमने मिलने का प्रोग्रम बनाया और हम मिले भी.
अब आगे पोर्न मदर सेक्स कहानी:
हमारी सीट बीच में थी।
रितु आंटी अपने बेटे विजय और मेरे बीच में बैठ गई।
अभी विज्ञापन ही चल रहे थे कि विजय ने अपनी मां के कंधे पर हाथ ऐसे रखा जैसे गर्लफ्रेंड के ऊपर रखते हैं।
उसके बाद मूवी शुरू हुई और थिएटर में अंधेरा हो गया।
अंधेरा होते ही आंटी का हाथ मेरी जांघ पर तैरने लगा।
जांघ से उनके हाथ को मेरे खड़े लंड पर आने में 1 मिनट भी नहीं लगा।
उधर विजय अपनी मां के गले में हाथ डाल कर ब्लाउज के अंदर हाथ डालने लगा।
मैंने भी हिम्मत करके अपना हाथ आंटी के गले में डाला।
मेरा हाथ विजय के हाथ के ऊपर से जाकर आंटी के उस बोबे को टटोलने लगा जो विजय की तरफ था।
विजय के हाथ में आंटी का मेरी तरफ वाला बोबा था और मेरे हाथ में विजय की तरफ वाला बोबा था।
मैं ब्लाउज के ऊपर से ही बोबे को मसल रहा था और मुझे यह अहसास हो गया था कि ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं है।
आंटी का दायां हाथ अपने बेटे का लंड सहला रहा था और बायां हाथ मेरा लंड सहला रहा था।
पैन्ट का बटन खोल कर उन्होंने हाथ सीधे मेरी चड्डी में घुसाकर नंगा लंड अपनी मुट्ठी में भर लिया।
मेरे बदन में सनसनी दौड़ गई।
मैंने अपने बैग को अपने ऊपर इस तरह रख लिया कि बगल वाले को कुछ दिखे नहीं।
थोड़ी देर मसलने के बाद आंटी ने हाथ बाहर निकाला और अपने ब्लाउज के सारे हुक खोल कर दोनों बोबे आजाद कर दिए और अपनी साड़ी से ढक लिए।
उनका नंगा बोबा मेरे हाथ में था और मेरा नंगा लंड उनके हाथ में!
और यही काम वो अपने बेटे के साथ भी कर रही थी।
कभी मैं बायां बोबा, कभी कभी दायां बोबा, बारी बारी से दोनों बोबे मसल रहा था।
हालांकि मेरे हाथ में दोनों में से कोई भी पूरा नहीं आ रहा था क्योंकि वो बड़े ही इतने थे।
दोनों बोबों से मुझे खेलता देख विजय ने अपना हाथ उसकी मां की साड़ी से होते हुए पेटीकोट के अंदर घुसा दिया।
मैंने तो मखमली गद्देदार बोबों से खेलना जारी रखा।
आंटी ने टाँगें फैलाकर अपने बेटे का हाथ अंदर ले रखा था और दोनों पके आम मसलने के लिए मुझे सौंप रखे थे।
यह सारा खेल उनकी साड़ी की आड़ में हो रहा था शायद इसलिए किसी को पता नहीं था और पता भी था तो कोई हमें देख नहीं रहा था।
थोड़ी देर में विजय ने हाथ निकाला और अपनी मां के बोबों पर तैर रहे मेरे हाथ को इशारे से नीचे की ओर कर दिया।
अब मैंने साड़ी से हाथ घुसाकर घाघरे में दे दिया।
घाघरे के अंदर बिना चड्डी के सीधा दोनों जाँघों की दरार में मेरा हाथ पहुंच गया जो एकदम गीली हो गई थी।
एक एक करके मैंने 4 उंगलियां उनकी चूत में ठूंस दी या यूं कहूं कि उनके भोसड़े में घुसेड़ दी … वो भी बिना किसी दिक्कत के!
मैं उंगलियां आगे पीछे करने लगा और अंगूठे से दाना मसलने लगा।
इधर उनका भी हाथ लंड पर दबकर चलने लगा।
कुछ ही देर में मेरा पूरा हाथ उनकी चूत के पानी में तर हो गया था और इधर मेरा बैग मेरे ही पानी से भीग गया था।
आंटी ने अपनी साड़ी के पल्लू से बड़ी ही होशियारी से मेरा लंड साफ किया और अपने ब्लाउज के हुक बंद कर लिए।
विजय मुझसे पहले ही निढाल होकर बैठा बैठा चूचियां मसल रहा था।
आंटी ने घड़ी देखी और बीच मूवी में ही चलने का इशारा करते हुए हम दोनों को बाहर ले आई।
वापसी में मुझे थिएटर के पास ही के होटल में छोड़ते हुए वो दोनों कल मिलने के वादे के साथ चले गए।
हॉस्टल जाने के बजाए मैंने भी होटल में ही रुकना बेहतर समझा।
रात में मेरी विजय से कॉल पर बात होने लगी।
जाते जाते विजय अपने नंबर मुझे देकर गया था।
मैंने उससे पहला ही सवाल ये पूछा- मेरा नंबर कौन सा है तुम्हारी मम्मी के साथ?
तो उसने बताया कि इससे पहले भी उन्होंने मिलने की कोशिश की पर किसी ने उन पर यकीन नहीं किया कि हम असल मां बेटे है या फिर कोई उम्र में बहुत बड़ा था।
उसने यह भी बताया कि उसे अपनी मां चोदना और चुदवाना दोनों अच्छा लगता है।
साथ ही उसकी मां को भी अपने बेटे से चुदना और उसके सामने दूसरों से चुदना अच्छा लगता है।
मैंने फिर उससे खुलकर वापस यही सवाल पूछा- तुम्हारी मां की चूत में जाने वाला मेरा कौन से नंबर का लंड होगा।
तब विजय ने जवाब दिया- भाई तेरा लंड पांचवां लंड होगा जो मेरे सामने मेरी मां चोदेगा. वैसे मेरी मां चोदने वाला तेरा 8वां लंड होगा।
जिस तरह आज थिएटर में सब कुछ हुआ, उसके बाद ये सब सुनकर मैं ज्यादा हैरान नहीं हुआ।
अब उसकी मां की चुदाई के किस्से बाकी कहानियों में बताऊंगा।
उस रात भी विजय ने अपनी मां मुझे वीडियो कॉल पर दिखाकर चोदी।
आज उनकी चुदाई देखकर मुझे लग रहा था कि मैं असल मां बेटे की चुदाई देख रहा हूं।
खैर उस रात भी आंटी अपने बेटे के लंड का पानी अपनी चूत में लेकर चली गई।
अगली सुबह में 8 बजे उठा।
थोड़ी देर में विजय का फोन आया- हम आ रहे हैं।
मैं बहुत उत्तेजित हुआ जा रहा था।
उनके आने से पहले ही मैं एक बार मुठ मार चुका था ताकि उनके सामने जल्दी न झड़ जाऊं।
9 बजे तक वो दोनों होटल पहुंच गए और मुझे कमरा खाली करके आने को कहा।
उनके कहे अनुसार में कमरा खाली करके उनके पीछे स्कूटी पर बैठ गया।
करीब आधे घंटे स्कूटी से चलने के बाद आंटी ने एक होटल के सामने स्कूटी रोकी।
स्कूटी रुकते ही मैंने भी अपनी उंगलियों से चल रही आंटी की नाभि की चुदाई रोक दी।
हम अंदर गए और दोनों मां बेटों ने आईडी देकर कमरा ले लिया।
चूंकि मेरे पास आईडी थी नहीं तो उन्होंने मुझे अपना छोटा बेटा बताया।
कमरे में जाकर हम तीनों बिस्तर पर बैठ गए और विजय की मां को बीच में लेकर हम उसके गदराए बदन से खेलने लगे।
मैं आंटी के होठ चूमने लगा और विजय ने ब्लाउज खोलकर आंटी के बड़े बड़े थन आजाद कर दिए।
विजय अपनी मां के थन चूसने लगा पर दूध पीने के लिए नहीं बल्कि अपनी मां की चूत पीने के लिए।
एक बोबा विजय चूस रहा था दूसरा मैं अपने हाथ से दबा रहा था; साथ ही मैं आंटी के होंठ चूम रहा था।
पहाड़ जैसी आंटी के ऊपर हम दो चींटियों जैसे रेंग रहे थे।
आंटी का ब्लाउज और साड़ी पूरी तरह बदन छोड़ चुके थे, सिर्फ घाघरा लिपटे हुए उनकी गांड और भोसड़े को बचाए हुए था।
अब आंटी ने अपने बेटे और मुझे दोनों को पूरी तरह नंगा कर दिया।
एक हाथ में अपने बेटे विजय का लंड लिया और अपने मुंह से मेरा लंड लेकर चूसने लगी।
विजय का लंड मेरे लंड से थोड़ा छोटा था।
कुछ देर मेरा लंड चूसने के बाद आंटी अपने बेटे का लंड चूसने लगी और मेरा मसलने लगी।
इसी बीच विजय और मेरा हाथ उनके एक एक बोबे को पूरी तरह मसल रहा था।
दोनों को चूसने के बाद विजय ने अपनी मां को सीधा लेटाया और उनकी टाँगें फैला कर चूत में मुंह दे दिया।
बेटे से चूत चटाई करवाकर उसकी मां की सिसकारियां निकल रही थी।
मैंने उनकी छाती पर चढ़कर अपना लंड उनके मुंह में दे दिया।
अब वो अपना भोसड़ा बेटे से चटवा रही थी और अपने मुंह से मेरा लंड चूस रही थी।
थोड़ी देर बाद विजय और मैंने स्थिति बदली।
अब मेरे मुंह में विजय की मां की भोसड़ी थी जिस पर विजय के मुंह के पानी के साथ साथ उसकी मां की भोसड़ी से रिस रहा मादक पानी भी था।
उधर विजय की मां के मुंह को उसी के बेटे का लंड चोद रहा था।
चूसम-चुसाई से संतुष्ट होकर आंटी ने अब खेल दिखाने का इशारा किया।
विजय जाकर कुर्सी पर बैठ गया और उसकी मां उसके सामने टाँगें फैलाकर बिस्तर पर पसर गई।
आंटी ने विजय को देखते हुए मुझे अपनी चढ़ाई करने का इशारा किया।
मैं अपना खड़ा लंड लिए उनकी चूत पर निशाना साधता हुआ उनके ऊपर चढ़ गया।
मेरे हाथ में उनके बोबे थे और मुंह में उनका मुंह … पर चूत में लंड का निशाना नहीं साध पाया था।
आंटी ने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को अपनी भोसड़ी के दरवाजे पर लगाते हुए उसके स्वागत में अपने कूल्हे उठाए और लंड का टोपा चूत में उतर गया।
मैंने अपने कूल्हे झटकाते हुए एक ही झटके में आंड तक अपना लंड भोसड़े में उतार दिया।
आंटी सिसकारने लगी, दर्द से नहीं बल्कि मजे से!
जिस चूत में लंड एक ही झटके में उतर जाए … उसमें भला कैसा दर्द!
फिर मैंने झटके लगाना शुरू किया।
शुरू में आधा लंड बाहर खीच के झटके मारे … और जब भोसड़ा फैल के चौबारा हो गया तब लंड को टोपे तक बाहर निकाल कर पूरे लंबे लंबे झटके मारने लगा।
आंटी की सिसकारियां और लंड के धक्कों की थप थप पूरे कमरे में गूंज रही थी।
पीछे से विजय कुर्सी पर बैठा बैठा लंड मसलते हुए बोल रहा था- मेरी मां चोद दो … फाड़ दो इसका भोसड़ा … बहुत खुजाल है इसके भोसड़े में … पूरा फाड़ दो!
उसके ये शब्द मेरे अंदर ऊर्जा बढ़ा रहे थे और मेरे धक्कों की गति बढ़ती जा रही थी।
आखिरी धक्के में आंटी ने अपने दोनों हाथों से मुझे अपने ऊपर भींच लिया और जब तक मेरे लंड से आखिरी बूंद उनकी चूत में नहीं उतर गई, वे मुझे भींचे रही।
उसके बाद में हटकर उन्ही के बगल में लेट गया।
मैं हटा ही था और अभी आंटी की चूत से मेरा माल बाहर निकलना शुरू ही हुआ था कि विजय खड़ा लंड लेकर अपनी मां पर चढ़ गया और मेरे मुठ समेत अपना पूरा लंड अपनी मां की चूत में उतार दिया।
जिस बेटे को मैंने अब तक वीडियो कॉल में ही अपनी मां चोदते देखा था, उसे अपनी आंखों के सामने अपनी मां चोदते देखकर मुझे वापस खड़ा होने में देर न लगी।
विजय ने अपनी मां की भोसड़ी में 8/10 धक्के ही मारे थे कि मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया; जिस पर आंटी के भोसड़े का पानी भी लगा हुआ था।
नीचे से उनका बेटा उनकी भोसड़ी ले रहा था मैंने उनके ऊपर चढ़कर उनके मुंह में लंड दे दिया।
अब विजय और मैं हाथ मिलाकर उसकी मां की भोसड़ी और मुंह दोनों चोदने लगे।
कुछ देर की चुदाई के बाद न तो विजय का लंड झड़ा … न ही मेरा … बस आंटी का भोसड़ा निरंतर बहता रहा।
अब विजय ने अपनी मां को बेड के किनारे पर लेकर घोड़ी बना दिया और खुद बेड के नीचे खडा हो गया।
उसके बाद उसने अपनी मां की गांड के छेद पर थूक कर अपने लंड का टोपा उस पर टिका दिया।
विजय की मां समझ गई थी कि अब क्या होने वाला था।
मैंने भी इसे अब तक चूत मारते ही देखा था।
मैं भी खड़ा खड़ा उत्सुकता से देख रहा था।
इतने में विजय ने झटका मारा और लंड का टोपा गांड में उतार दिया।
आंटी की थोड़ी दर्द भरी सिसकारी निकली।
उनकी सिसकारी पूरी भी नहीं हुई थी कि विजय ने पीछे लेकर लंड को और तेज अंदर घोंपा.
अब आधे से ज्यादा लंड गांड के अंदर था।
आंटी की सिसकियां इस बार और तेज थी।
एक और झटके में पूरा लंड विजय ने अपनी मां की गांड में उतार दिया।
गांड में लंड देकर विजय अपनी मां को धकियाने लगा।
उसकी मां की सिसकारियां निकल रही थी और मैं खड़ा होकर एक बेटे को अपनी ही मां की गांड मारते देख रहा था।
थोड़ी देर गांड मराने के बाद आंटी ने खुद को आगे खींच लिया और अपने बेटे का लंड गांड से निकाल दिया।
अब उन्होंने मुझे सीधा लेटने को कहा।
मैं लंड खड़ा किए सीधा लेट गया, वे अपनी चूत में मेरा लंड फंसाकर मेरे ऊपर चढ़ गई।
उन्होंने अपना वजन अपने दोनों घुटनों पर दे रखा था जो मेरे दोनों ओर निकले हुए थे।
साथ ही थोड़ा वजन अपने दोनों हाथों पर दे रखा था जो मेरे मुंह के दोनों तरफ टिकाए हुए थे।
उनके झूलते बोबे मेरे मुंह पर लटक रहे थे।
विजय पीछे से आया और अपनी मां की गांड में लंड देकर झटकाने लगा।
इधर आंटी विजय का झटका लेकर मेरे लंड को देती जिससे मेरा भी पूरा लंड उनकी चूत में घुस जाता और इन झटकों से मेरे मुंह पर लटके आम मेरे मुंह में आ जाते।
हर झटके में यही हो रहा था।
विजय और मेरे लंड के बीच एक पतली सी दीवार महसूस हो रही थी, बाकी विजय का पूरा लंड मुझे अपने लंड से सटा हुआ महसूस हो रहा था।
बहुत देर तक ऐसे चोदने के बाद विजय अपनी मां की गांड में झड़ गया।
झड़ने के बाद वो लंड निकाल के हट गया।
इधर मैं अभी भी आंटी को धक्के मार रहा था।
उसकी मां की गांड से विजय का रस टपकता हुआ चूत में आता हुआ मुझे महसूस हो रहा था और मेरे लंड से लगकर विजय का रस उसकी मां की चूत में जा रहा था।
चूत से लंड निकाल कर मैंने भी आंटी की गांड में डाला।
थोड़ा टाइट गया पर इतनी भी तकलीफ नहीं हुई क्योंकि चूत के साथ साथ उनकी गांड भी लगभग फटी ही हुई थी।
अंत में दूसरी बार की फुहार मैंने भी उनकी गांड में ही चलाई।
अब हम थोड़े थक गए थे.
आंटी ने अपना पर्स खोला और वो जो घर से कुछ खाने का लाई थी वो हम तीनों खाने लगे और बातें करने लगे।
खाने के बाद हमने फिर से आंटी की लेनी शुरू कर दी.
शाम के 6 बजे तक हम दोनों के लंड कभी उनकी गांड में, कभी चूत में तो कभी मुंह में जा रहे थे।
पोर्न मदर सेक्स में मैं 5 बार झड़ा और विजय 4 बार।
6 बजे विजय अपनी मां चुदवाकर हंसता हुआ मुझसे विदा ले गया इस वादे के साथ कि आगे जरूर मिलेंगे।
पिछले 15/20 दिनों में मेरे साथ जो हुआ उस पर मुझे यकीन नहीं हो रहा था।
एक बेटे को अपनी मां चोदते देखा, उसी के साथ मिलकर उसकी मां चोद दी।
होटल से निकल कर मैं अपने होस्टल आ गया।
विजय और मैं अब अच्छे दोस्त बन गए।
मैं उसे अपनी मां के बारे में बताता और उससे अपनी मां चोदने के तरीके पूछता।
मेरी मां की चुदाई हुई या नहीं हुई … यह मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा।
मैंने इस पोर्न मदर सेक्स कहानी के शीर्ष में ऐसा नहीं कहा कि यह मेरी सच्ची कहानी है क्योंकि मैंने आप पर छोड़ा है कि आप ही निर्णय लें कि यह सच्ची है या मनगढ़ंत।
धन्यवाद।
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