पड़ोस के बाप बेटे- 3

पड़ोस के बाप बेटे- 3


भाभी और अंकल Xxx कहानी में पढ़ें कि एक जवान भाभी को अपने ससुर की उम्र के पड़ोसी अंकल से चुदाई करके इतना मजा आया कि वह हर रोज चुदाई कराने लगी.
दोस्तो, मैं रोमा शर्मा अपनी स्टोरी का अगला भाग लेकर आई हूं।
मैं आपको अपनी चुदाई की कहानी के पिछले भाग
पड़ोसी अंकल ने मुझे चोद दिया
में बता रही थी कि कैसे मेरे पड़ोस के अंकल ने मेरी चूत की प्यास बुझाना शुरू किया।
एक रोज अंकल से चुदवाने के बाद मैं अपनी पैंटी उनके घर भूल गई।
अगले दिन जब मैं उनके बेटे के रूम में चुदी तो मेरी पैंटी उस बाथरूम में मिली।
अब आगे भाभी और अंकल Xxx कहानी:
शावर चालू करके मैं नहाने लगी तो मेरी नजर सिंक पर पड़ी पैंटी के ऊपर गई।
यह वही पैंटी थी जिसे मैं कल अंकल के घर पहनकर आई थी और जाते टाइम जल्दी में यहीं छोड़ गई थी।
मैंने पैंटी को उठाकर देखा तो वो गीली और चिपचिपी लगी।
ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने इस पर मुठ मारी हो।
अंकल कहने लगे- मैंने तो कल पूरे हॉल में ढूंढ लिया था। लेकिन ये मुझे कहीं नहीं मिली थी। लगता है तुम्हारे जाने के बाद ये पैंटी निखिल (अंकल का बेटा) को मिल गई और उसने अपने पास रख ली।
फिर अंकल ने हँसते हुए कहा- पता नहीं उसने किस के बारे में सोच कर इस पैंटी पर मुठ मारी है।
ये सुन कर मैं भी हँस दी।

मैंने अंकल से कहा- कहीं आपके बेटे को हम पर शक तो नहीं हो गया है? क्योंकि ये पैंटी इस रूम से मिली है और कल तो मैं ही आपके साथ हॉल में चुद रही थी। फिर उसके आते ही में चली गई थी।
अंकल ने कहा- जाने दो ये सब, और वैसे भी उसे पता भी चल जाये तो कोई फर्क नहीं पड़ता। उसे पता है कि मैं कितना बड़ा चोदू हूँ। और मुझे भी पता है कि वो भी कितना बड़ा वाला चोदू है। हम दोनों को ही एक दूसरे ही हरकतें पता हैं, इसलिए तुम टेंशन मत लो, इस पैंटी को यहीं छोड़ दो। मैं तुम्हें दूसरी दिलवा दूंगा। आओ हम शावर में चुदाई का मजा लें।
अब अंकल ने मुझे फिर से एक बार और बाथरूम में शावर के नीचे चोद दिया।
अब हम दोनों थक चुके थे।
इस पूरी चुदाई में लगभग 2 से 3 घंटे हो गए थे।
शाम होने को थी तो मैंने अपनी साड़ी पहन ली।
अंकल कमरे से बाहर जा चुके थे।
फिर मेरे दिमाग में एक खुराफाती आईडिया आया।
मैंने जानबूझकर का इस बार अपनी ब्रा और पैंटी को वहीं छोड़ दिया ये दखने के लिए कि आगे क्या होता है।
अंकल से विदा लेकर मैं घर आने लगी।
मैं जैसे ही अपने घर पहुँची तो देखा कि उनका बेटा घर में घुसा।
चेक करने के लिए मैं फिर से अंकल के घर गई।
उनके बेटे के रूम की खिड़की बाहर की ओर ही थी तो मैंने धीरे से अंदर झांक कर देखा।
निखिल कमरे में आया और अपना बैग टेबल पर रख कर बाथरूम में चला गया।
मैं उत्सुकता से देखने लगी कि जब इसे मेरी ब्रा पैंटी मिलेगी तो ये क्या करेगा।
फिर निखिल बाहर आया और बेड के पास उसे ब्रा-पैंटी मिली।
उसने उसे उठा लिया और बोला- ये किस की है? और यहाँ मेरे कमरे में कैसे आई? कल भी एक पैंटी हॉल से मिली थी। और आज यहाँ फिर से मेरे कमरे में … कुछ तो हुआ है! यहाँ जरूर पापा ने आज किसी को चोदा होगा। लेकिन किसे? मम्मी की तो तबियत ठीक नहीं है, तो कौन है वो जिसे पापा रोज चोद रहे हैं?
फिर उसने ब्रा-पैंटी को छुपा दिया और अंकल को आवाज देकर बुलाया।
ये सब मैं खिड़की से झांक कर देख रही थी।
अंकल आये तो निखिल ने अंकल से पूछा- पापा, क्या मेरे कमरे में कोई आया था?
अंकल ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा- नहीं तो बेटा, कोई नहीं आया। क्यों क्या हुआ?
निखिल ने कहा- कुछ नहीं, ऐसा लग रहा है कि कोई कमरे में आया हो। सब कुछ बिखरा हुआ है।
अंकल ने कहा- कोई नहीं आया बेटा, मैं ही अभी दोपहर में तुम्हारे कमरे में सोया था, वो तुम्हारी मम्मी को परेशानी न हो, इसलिए।
निखिल ने कहा- ठीक है पापा, मुझे तो कुछ और ही लगा।
इतना कहकर वो रुक गया और थोड़ा मुस्करा दिया।
अंकल ने भी हल्की सी स्माइल दी और चले गए।
फिर निखिल ने वो ब्रा-पैंटी निकाली और उसे अच्छे से देखने लगा।
उसने कहा- ये तो साइज़ में कुछ छोटी लग रही है। कल वाली भी इसी साइज़ की थी, और ये मम्मी की तो हो ही नहीं सकती है। तो पक्का ये किसी पड़ोसन की ही है जो कि पापा से पट चुकी है, और पापा उसे यहीं घर में चोद रहे हैं।
फिर वो पैंटी को सूंघने लगा।
शायद मेरी चूत की महक उस पैंटी में थी जो निखिल को मदहोश करने लगी थी।
तो उसने अपने कपड़े उतार दिए।
जैसे ही उसने अपनी चड्डी उतारी, उसका लंड देख कर तो मैं हैरान हो गई।
उसका लंड एकदम टाइट था और काफी बड़ा और मोटा था, अंकल से भी! इतना मस्त लंड देख कर तो फिर से मेरी चूत मचलने लगी थी।
निखिल अब मेरी पैंटी सूंघते हुए लंड हिलाने लगा और कहने लगा- हो न हो ये पड़ोस वाली रोमा भाभी की ही है जो पापा से चुदवा रही है। कल जब मैं आया था तो वो घर पर ही थी। पापा ने कहा था कि वो मम्मी से मिलने आईं थी। लेकिन मम्मी उस टाइम पर सो रही थी। तो हो ना हो, पापा ने उन्हें चोदा होगा और वो अपनी पैंटी यहीं भूल गई होगी। और आज भी ये बात तो पक्की है कि यहाँ मेरे कमरे में उन्हीं की चुदाई हुई है। तो वो फिर से पैंटी यहीं भूल कर गई है।
ये कहते हुए वो मुठ मारने लगा।
कभी वो मेरी पैंटी सूँघता तो कभी उसे चूमता और मेरा नाम लेता।
फिर उसने अपना सारा पानी मेरी पैंटी पर ही निकाल दिया।
ये सब देखने और सुनने के बाद मुझे थोड़ी घबराहट हुई कि निखिल को अंकल और मुझ पर शक हो गया है।
लेकिन फिर मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि मेरा ध्यान तो निखिल के लंड पर ही अटक गया था।
मैं सोचने लगी कि बेटे का लंड तो बाप के लंड से भी ज्यादा तगड़ा है!
अब मेरी इच्छा निखिल का लंड भी लेने की होने लगी थी।
और शायद अब निखिल भी मुझे चोदना चाहता था।
तभी तो वो मेरा नाम ले कर मुठ मार रहा था।
उस दिन के बाद से मैं अंकल के बेटे निखिल से ज्यादा बातें करने लगी और वो भी मुझ में इंटरेस्ट ले कर किसी न किसी बहाने से मुझ से बात करने लगा था।
उसकी नज़रें हमेशा मेरे बदन को घूरती रहती थीं।
और ये मैंने अच्छी तरह नोटिस भी कर लिया था।
ऐसे ही कुछ टाइम बीत गया।
आंटी ठीक हो चुकी थीं।
फिर एक दिन आंटी मेरे घर आई और उन्होंने मुझे बताया कि वो दो दिन के लिए अपने भाई के घर जा रही हैं।
उन्होंने मुझ से रिक्वेस्ट की कि क्या मैं दो दिन के लिए अंकल और उनके बेटे निखिल के खाने का ख्याल रख सकती हूँ? इस पर मुझे तो कोई एतराज नहीं था तो मैंने उन्हें हाँ कह दी कि आंटी फिक्र न करें, मैं उनके खाने का ख्याल रखूंगी।
उसी दिन, रात की ट्रेन से आंटी चली गई।
अगले दिन सुबह मैं अंकल और उनके बेटे निखिल के लिए नाश्ता ले कर उनके घर गई।
निखिल ने ही दरवाजा खोला और मुझे अंदर आने को कहा।
वह अपने ऑफिस जाने के लिए तैयार हो चुका था।
मैंने जल्दी से डाईनिंग टेबल पर नाश्ता लगाया और उन्हें नाश्ता करवाया।
नाश्ते के बाद अंकल ने निखिल से कहा- बेटा, तुम ऑफिस के लिए निकल जाओ, मैं भी नहाकर निकल जाऊंगा।
ये कह कर अंकल अपने कमरे में चले गये नहाने के लिए।
निखिल सोफे पर बैठा हुआ अपने जूते पहन रहा था और बार-बार मुझे देख कर मुस्कराये जा रहा था।
उसके यूँ देख कर मुस्कराने से मुझे डाउट भी हो रहा था कि निखिल मुझे देख कर ऐसे क्यो मुस्करा रहा है?
शायद उसे ये लग रहा था कि मैं अब उसके पापा से चुदने वाली हूँ।
फिर हुआ भी वैसा ही … निखिल के जाते ही अंकल रूम से बाहर आये।
वे पूरे नंगे थे और उनका बदन गीला था।
उन्होंने आकर मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और किस करने लगे।
कुछ पलों के भीतर मैं वासना में मदहोश हो चुकी थी।
फिर अंकल ने मेरी साड़ी खींचकर निकाल दी और ब्लाउज को भी खोल कर अलग कर दिया।
फिर अंकल ने जैसे ही मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा तो झट से पेटीकोट नीचे ज़मीन पर जा गिरा।
अब मैं केवल ब्रा और पैंटी में उनके सामने थी और वो मुझे बेतहाशा चूमे जा रहे थे।
फिर वो धीरे से बोले- कैसा लग रहा है?
मैं भी कुछ बोलना चाहती थी किन्तु सांसें तेज चल रही थीं, धड़कन तेज थी।
क्योंकि अभी अभी ही निखिल ऑफिस गया था और उसके जाते ही अंकल मुझ पर टूट पड़े थे।
मदहोशी की अवस्था में मुँह से शब्द नहीं निकल पा रहे थे।
तभी अंकल ने मुझे बिस्तर पर चलने का इशारा किया ‘कमरे में चलें?’
मैंने कुछ नहीं कहा और उनका हाथ पकड़ कर कमरे की तरफ बढ़ गई।
अंकल मुझे अपने बेडरूम में ले जाने लगे तो मैंने उन्हें रोका और निखिल के बेडरूम में जाने का इशारा किया।
इसलिए हम दोनों निखिल के बेडरूम में आ गए।
मैं बेड पर लेट गई।
अंकल मेरी ब्रा को खोल मेरे बूब्स को जीभ से चाटने लगे।
मैं पूरी तरह से गर्म हो गयी थी, मुँह से आह … आह … की सिसकारियां निकलने लगी थीं।
मेरी चूत भी पूरी तरह गीली हो गई थी।
अब मन यही कह रहा था कि कब अंकल अपना लंड मेरी चूत में डाल दें और मुझे चोदना शुरू करें।
अंकल मेरे रस भरे बूब्स को चाटते-चूसते नीचे आ गए।
वो मेरे पेट और नाभि को चाटने लगे।
फिर अंकल ने मेरी पैंटी को खींच कर उतार दिया और अपनी जीभ मेरी चूत के अगल-बगल घुमाने लगे।
अंकल मेरी चूत को जीभ से चाटने लगे और बीच-बीच में कसकर चूस लेते थे।
उनके खींच कर चूत चूसने से मेरी तो जान ही निकल जाती थी।
कुछ देर बाद मुझमें भी हिम्मत आ गयी थी।
फिर मैंने उनके लंड को अपने हाथों में लिया और थोड़ी देर सहलाया।
फिर अंकल ने मुझे बेड पर लिटाया और 69 की पोजीशन में आकर चूत चाटने लगे।
मैं भी उनके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
जब मैं लंड को चाटती, तो वो भी चूत को चाटते … और जब मैं कस कर लंड को चूसती, तो वो भी चूत को कसकर चूसने लगते।
क्या बताऊं … बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था।
दस मिनट चूत चूसने के बाद अब वो उठे और सीधे मेरे ऊपर आकर लेट गए।
मुझे किस करते हुए अंकल ने अपना लंड चूत पर सेट कर दिया और हल्के हल्के से लंड आगे पीछे करने लगे।
फिर दोनों हाथों से मेरे बूब्स को कसकर दबाया और मुँह को मुँह में लेकर एक मंज़े हुए खिलाड़ी की तरह एकाएक पूरी ताकत से अपना मोटा लंड मेरी चूत में ठोक दिया।
मुँह बंद होने के कारण मेरी आह … की आवाज तक बाहर नहीं आ सकी, मैं बस तड़प कर रह गई।
उसके बाद अंकल लंड आगे-पीछे करके मुझे मस्त तरीके से चोदने लगे।
मेरे पूरे बदन में आग लगी थी, मैं भी चूत उछाल उछाल कर चुदाई का मज़ा ले रही थी।
लगभग 10 मिनट तक चुदाई के बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाली हूँ।
तभी वो भी बोले- अब मैं छूटने वाला हूँ!
तो मैं बोली- मैं भी!
फिर उन्होंने एकाएक स्पीड बढ़ा दी।
मैं झड़ गयी और उनका भी गर्म-गर्म ढ़ेर सारा वीर्य मेरी चूत में भर गया।
सच में बहुत आनन्द आया।
अब अंकल के भी ऑफिस जाने का टाइम हो रहा था।
तो अंकल नहाने के लिए बाथरूम में चले गए।
मैं तो आज फिर से जानबूझ कर निखिल के रूम में चुदने के लिए आई थी ताकि मैं फिर से अपनी पैंटी यहीं छोड़ जाऊँ।
मैंने अपनी ब्रा पैंटी एक बार फिर से निखिल के रूम में उसके बेड के पास छोड़ दी।
अंकल नहाकर अपने ऑफिस चले गए।
मैं घर आ गई।
मैं एक बार फिर से ये देखना चाहती थी कि जब ये ब्रा-पैंटी निखिल को उसके कमरे में से मिलेगी तब वो क्या करेगा।
अब मैं शाम होने का इंतजार करने लगी कि कब निखिल घर आएगा।
अंकल से चुदने के बाद भी मेरी चूत अब निखिल के लंड के सपने देख रही थी।
तो दोस्तो, इस तरह मैंने अंकल के बेटे निखिल को पटाने की कोशिश की। क्या मैं बाप के साथ ही बेटे का लंड लेने में भी कामयाब हो पाई? ये सारी बातें आपको कहानी के अगले भाग में पता चलेंगीं।
आपको मेरी चुदास भरी भाभी और अंकल Xxx कहानी कैसी लग रही है, इस बारे में अपनी राय मुझे जरूर दें। मैं आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार करूंगी।
मेरा ईमेल आईडी है- [email protected] भाभी और अंकल Xxx कहानी का अगला भाग: पड़ोस के बाप बेटे- 4

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