दोस्तो, मैं अनिरुद्ध फिर हाजिर हूँ अपनी नई कहानी के साथ. मेरी पिछली कहानी
हमउम्र भांजी से प्यार और चूत चुदाई
अन्तर्वासना पर प्रकाशित हुई थी. मेरी इस कहानी पर कुछ ही मेल ही प्राप्त हुए थे. अन्तर्वासना के पाठक एवं पाठिकाओं से निवेदन है कि अधिक से अधिक मेल करें.
यह कहानी उन दिनों की है, जब मेरी जिन्दगी का सबसे मुश्किल दौर था. मेरे घर वालों ने मुझे वैष्णो देवी भेजा. मैंने बस की टिकट बुक कराई. सर्दी का समय था, मुझे साइड वाली सीट मिली.
शाम करीब 6 बजे मैं बस के पास पहुंचा. अपनी सीट पर पहुंचा, तो बराबर वाली सीट खाली थी. बस का चलने का टाइम हुआ तो 3 सुन्दर सी लड़कियाँ बस में चढ़ीं, उनमें से एक मेरे पास बैठी और बाकी दो 3 सीट वाली पर बैठ गईं.
मैंने सोचा टाइम पास तो हो जाएगा. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. एक आंटी और बस में चढ़ीं, उनकी उम्र करीब 30-35 साल होगी, वो आकर उन दो लड़कियों के पास बैठ गईं. सब सीट नम्बर के अनुसार अपनी अपनी सीटों पर बैठे थे.
उन लड़कियों ने आंटी से सीट बदल ली. मुझे अच्छा नहीं लगा.
खैर बस चल दी. मैं अपनी जिन्दगी से परेशान था तो इन सबको आसानी से नजर अंदाज करके गाने सुनने लगा और आंख बन्द करके बैठ गया.
थोड़ी देर में उस औरत के हाथ लगने की वजह से मुझे आंख खोलनी पड़ी.
उन्हें इस बात का एहसास हो गया था, तो वो बोलीं- माफ करना, दरअसल मैं अपनी लीड ढूँढ रही थी.
मैंने देखा कि उनका एक हाथ उनके बैग में था.
मैं- कोई बात नहीं.
मैंने फिर आंख बन्द कर ली.
फिर उनकी आवाज आई- देखना बेटा, मेरे ईयरफोन घर रह गए हैं क्या.. ओहहहह बोर होना पड़ेगा मुझे!
शायद वो फोन पर बात कर रही थीं.
मैं उनसे मुखातिब हुआ- मेरे ईयरफोन से सुन लो.
मैंने एक तरफ का स्पीकर उनकी तरफ बढ़ाते हुए कहा.
वो- नहीं नहीं रहने दो.
मैं- आप कब तक बोर होओगी.. ले लो.
उन्होंने स्पीकर का एक सिरा ले लिया, तो मैंने फोन उनकी तरफ बढ़ाते हुए कहा.
मैं- गाने प्ले कर लो.
वो- नहीं तुम ही करो.
मैं- आप अपनी पसंद से प्ले करो.
वो- आप अपनी पसंद से प्ले करो.
मैं- मेरी प्ले लिस्ट है, सारे गाने मेरी पसन्द के हैं, जो आपको पसंद हैं, आप प्ले कर लो.
वो- ओके.
यह कहते हुए उन्होंने फोन ले लिया. मैं आँखें बन्द करके बैठ गया औऱ गाने सुनने लगा.
रात को 9 बजे पापा का फोन आया तो उन्होंने मुझे फोन दिया. पापा खाने के बारे में पूछ रहे थे कि खाया के नहीं, मैंने मना कर दिया.. तो पापा डांटते हुए बोले कब खाएगा खा ले.
यह बात उन्होंने भी सुन ली थी. तो स्पीकर देते हुए बोलीं- चलो, खाना खा लेते हैं.
हमने खाना साथ खाया, इस बीच बातों का सिलसिला शुरू हुआ.
वो- क्या करते हो?
मैं- सब.. कुछ जो पसंद हो.
वो- हाहाहा.. मेरा मतलब स्टूडेंट हो या जॉब कर रहे हो?
मैं- स्टूडेंट हूँ.
वो- क्या कर रहे हो?
मैं- अभी तो खाना खा रहा हूँ.
वो- मैं पढ़ाई के बारे में पूछ रही हूँ.
मैं- मैं खाने के बारे में बता रहा हूँ.
वो- नहीं बात करनी तो मत करो.
मैं- मुझे नहीं लगता कि मैंने ऐसा कुछ कहा.
वो- मतलब तो वही है.
मैं- आप ऐसा सोचती हो.
वो शान्त हो गईं. हमने खाना खत्म किया और वो शान्त बैठ गईं. मैंने फिर ईयरफोन का एक स्पीकर दिया.
वो- मैं ऐसे ही ठीक हूँ.
मैं- मैं होता तो ले लेता. पता नहीं दूसरा मौका मिले या ना मिले.
वो- तुम अजीब हो.
यह कहते हुए उन्होंने ईयरफोन ले लिए.
मैंने अपना फोन उन्हें दिया.
फोन लेते हुए बोलीं- किसी ने दिल तोड़ा है क्या?
मैं- आपको ऐसा क्यों लगता है?
वो- गानों का कलेक्शन बता रहा है.
मैं- इसका मतलब आपका दिल भी किसी ने तोड़ा है?
वो- नहीं तो.. लेकिन तुम ऐसा क्यों कह रहे हो?
मैं- जो जिस हालात से गुजरा हो, उसे ही उन हालातों की जानकारी होती है.
वो- तेज हो!
मैं- तुम से ज्यादा नहीं.
वो- क्यों ऐसा क्या देख लिया मुझमें?
मैं- प्रश्न को प्रश्न से टाल देना.
काफी देर तक ऐसे ही हम बात करते रहे.. फिर मैं सो गया. कुछ देर बाद उन्होंने ही मुझे हिला कर जगाया.
वो- सोते ही रहोगे क्या..? हम जम्मू पहुँच गए हैं.
क्या गजब का मौसम हो रहा था, बादल आसमान पर छाये हुए थे. इतना अच्छा मौसम मैंने पहली बार देखा था.
फिर बस पकड़ कर हम कटरा पहुंचे. होटल लिया. एक ही कमरा बुक किया, यह उनका ही फैसला था. जब दर्शन के लिए यात्रा शुरू की तो औऱ ज्यादा बातें हुईं. अब तक काफी हद तक हमने एक दूसरे को जान लिया था.
दर्शन करके जब वापस आए तो वो बहुत थक चुकी थीं.. थक तो मैं भी गया था, लेकिन ज्यादा नहीं.. क्योंकि मैं रोज 10-12 किलोमीटर दौड़ता हूँ.
लेकिन उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई थी. होटल में जा कर वो बेड पर लेट गईं.
मैं- गर्म पानी से नहा लो.. आपकी थकान कम हो जाएगी.
वो- नहीं… अब नहाना मेरे बस की बात नहीं है.
मैं- कोशिश तो करो.
वो- ठीक है.
वो नहा कर आईं और इठला कर बोलीं- अब खुश!
मैं भी नहाया और हम दोनों एक ही बेड पर सो गए. करीब 7 घन्टे बाद मैं उठा. मेरे पैर ही उठ नहीं रहे थे. मैंने उनकी तरफ देखा तो वो अभी भी सो ही रही थीं. उन्होंने जो नाईट ड्रेस पहनी थी, वो पेट के ऊपर को हुई पड़ी थी औऱ कम्बल भी साईड में पड़ा था. मैंने उनकी ड्रेस को ठीक किया और कम्बल ढक दिया.
मैं फिर से जाकर नहाने लगा. बाहर आया तो वो उठ चुकी थीं.
वो- काफी टाइम लेते हो नहाने में?
मैं- मैं सारे काम एन्जॉय करते हुए करता हूँ.
वो- शॉपिंग करोगे?
मैं- हां.. नहा कर तैयार हो जाओ.
वो- ठीक है.
जैसे ही वो उठीं, तो उनसे चला ही नहीं गया औऱ लड़खड़ा गईं, उन्होंने एकदम से मुझे पकड़ लिया. ये सब अचानक से हुआ तो मैं भी खुद को सम्भाल नहीं पाया औऱ मैं गिर गया. मेरा सर बेड में लगा औऱ आंख के ऊपर से थोड़ा सा खून निकल आया.
वो- सॉरी यार.. मेरे पैर दर्द कर रहे हैं.
मैं- कोई नहीं.
वो- खून निकल रहा है.
मैं- कोई बात नहीं.
मैंने बैग से बैंडेड निकाली और उनकी तरफ बढ़ाते हुए बोला- लगा दो.. फिर आपके पैरों का इलाज करता हूं.
जब उन्होंने पट्टी लगाई तो उनके शरीर की मादक खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया. उस पल ने सब कुछ बदल दिया.. मेरा नजरिए को भी बदल दिया. मैं उनको देखने लगा.
वो- ऐसे क्या देख रहे हो?
उनकी इस बात से मैं हरकत में आया.
मैं उन दिनों थोड़ा रूखा हो चला था. सब कुछ सामने ही बोल देता था. मैं आप से तुम पर आ गया- तुम्हें औऱ तुम्हारे दिलकश हुस्न का दीदार कर रहा हूं.
वो- डर नहीं लगता तुम्हें?
उनका लहजा बदल गया था.
मैं- दुनिया में कम ही चीजें ऎसी हैं, जो फुर्सत से बनी हैं.
वो- मतलब?
मैं- तुम्हारा हुस्न बनाने वाले ने फुर्सत से बनाया है. इसलिए ऐसे देख रहा था. काश कि तुम मेरी गर्लफ्रेंड होतीं तो!
वो- तुम अजीब हो.
मैं- तुम्हारे पति दुनिया के किस्मत वाले आदमी में से एक हैं.
वो- क्यों?
मैं- तुम्हारे जैसी पत्नी मिली.
वो तिरस्कार भाव से बोलीं- मेरे तो करम फूट गए जो मुझे वो मिला.
इस बार उनके चेहरे पर अजीब सी झुँझलाहट भी थी.. जो मैंने पढ़ ली थी
बस अब मुझे उनकी दुखती रग मिल गई थी. अब मुझे तरीके से काम करना था.
मैं- ऐसा क्या हुआ जो आप इस तरह से बोल रही हो?
वो- छोड़ो यार..
मैं- क्या छोडूँ, अभी तो मैंने पकड़ा भी नहीं है.
वो हंस कर बोलीं- पकड़ भी नहीं पाओगे.
मैं- जिसकी मैंने जिद की है, आसानी से नहीं जा सका वो मेरे हाथ से.
वो- क्या मतलब?
मैं- समय पर बता दूँगा. अगर मैं कहूं मैं तुम्हें पसंद करता हूँ तो?
वो- मैं कुछ नहीं कहूँगी. लेकिन सिर्फ अपने पति की हूं. मैंने उनके सिवा सिर्फ तुम्हें छुआ है.. चाहे वो जैसे भी हैं.
मैं- मैं ही क्यों?
वो- तुम में कुछ अलग है. तुम और लोगों की तरह नहीं हो.
मैं- ऐसे कितने लोगों को आजमाया है?
वो- बातों में तो कोई जीत नहीं सकता.
मैं- ऐसा ही मान लो.
फिर हम बाहर से शॉपिंग करके आए.
जैसे ही हम रूम में पहुंचे तो मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया, अचानक हुई इस हरकत से वो सहम गईं- क्या कर रहे हो ये.. छोड़ दो मुझे!
मुझे लगा था कि मेरी इस हरकत से वो मुझे शायद थप्पड़ मार देंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिस हिसाब से उन्होंने रिएक्ट किया, उससे इतना तो पता चल गया था कि उन्हें भोगने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी.
मैं- मैं खुद को रोक नहीं पा रहा… तुम्हारे इस दिलकश हुस्न को भोगने की मेरी इच्छा वक्त के हर गुजरते लम्हे के साथ बढ़ रही है. प्लीज मुझे मत रोको. मुझे ये भी पता है कि तुम भी प्यासी हो.. कब तक अपनी कामवासना को दबाओगी. आज अगर तुमने मुझे रोक लिया तो बहुत जल्दी तुम्हें आज के दिन के लिए रोना होगा, तब मैं तुम्हारे पास नहीं रहूँगा.
मैंने अपने शब्दों के तीर चला दिए थे अब इन तीरों का क्या परिणाम होगा, देखना ये था.
वो थोड़ी देर खामोश रहीं, फिर बोलीं- क्या बोल रहे हो… तुम्हारा दिमाग ठिकाने पे तो है?
मैं- सुबह से बिल्कुल भी ठिकाने पर नहीं है.
वो- तुम चुप रहो… जितना तुम बोलोगे मुझे फंस़ा लोगे.
मैं- आज का दिन तुम चाहो तो तुम्हारी जिंदगी का सबसे सुखमय और यादगार दिन होगा. इस बात का प्रमाण ये देखो.
मैंने बिंदास अपना लम्बा और मोटा लंड निकाल कर दिखाया. उन्होंने बस एक झलक देखी और आँखें झुका लीं.
वो- इसे अन्दर करो.
मैं- जब तक देखोगी नहीं.. जब तक अन्दर नहीं करूँगा, अगर नहीं देखा तो आ कर तुम्हारे हाथ में दे दूँगा.
फिर उन्होंने देखा तो उनकी आँखों से पता चला कि उन्होंने मेरी बात का विश्वास कर लिया कि मैं सच ही कह रहा हूँ.
मैं- क्या बात है… क्या सोच रही हो? तुम्हें क्या हासिल हुआ आज तक? सिर्फ तड़प!
वो- आज तक किसी गैर मर्द को इस नजर से देखा भी नहीं है. मेरे लिए मुश्किल होगा.
मेरे तीर निशाने पर लगे थे, इसका मतलब ये साफ़ दिख रहा था.
मैं- मैं हूँ ना.. सब कुछ बिल्कुल आराम से करूंगा. जहां तुमको असहज महसूस होगा तो हम दोनों थोड़ा रूक जाएंगे. देखो एक बात सीधे बोल रहा हूं तुम्हारे जिस्म को बिना भोगे नहीं जाने दूँगा. दस मिनट हैं तुम्हारे पास.. सोच लो अगर कोई जवाब नहीं दिया तो मैं शुरू हो जाऊंगा. मर्जी से करोगी तो आज का दिन जिन्दगी भर याद करोगी.
वो- मुझसे नहीं हो पाएगा.
मैं- अब 8 मिनट बचे हैं.
वो- प्लीज मान जाओ.
मैं- मानना तो तुम्हें है.
एक एक पल ऐसे कट रहा था मानो जैसे एक दिन बेसब्री से इंतजार था मुझे कि कब दस मिनट हों और कब मैं इस हुस्न की रानी को बांहों में भर के प्यार करूं. करीब 2 मिनट जब बचे, तो वो बोलीं- ठीक है मैं तैयार हूं. कब तक खुद को कंट्रोल करूँ. उसके साथ वफादारी करके आज तक तड़प रही हूं.
मुझे भरोसा ही नहीं हुआ कि उन्होंने हां बोल दिया. फिर मैंने उन्हें बांहों में भर लिया.
मैं- ये हुई ना बात.. पता है ये मेरे लिए एक सपने जैसा है.. और इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं औऱ विश्वास दिलाता हूं कि आज आप को पूरी तरह संतुष्ट करूंगा.
यह मैंने कह तो दिया था मगर लेकिन ये मेरे लिए एक चुनौती थी क्योंकि मुझे नहीं मालूम था कि उनके अन्दर कितनी वासना है.
मैंने तुरंत उनके माथे को चूम लिया और वो एकदम से मेरे गले लग गईं. मैंने भी उन्हें बांहों में भर लिया, कुछ पल खुद को ये एहसास कराया कि हां मैं हकीकत का सामना कर रहा हूँ. फिर मैंने अपने होंठ उनकी गर्दन पर रख दिए. वो एकदम से हिचक उठीं- रिलेक्स.. कुछ नहीं होगा.
उन्होंने सिर्फ हाँ में गर्दन हिलाई. मैं फिर उनकी गर्दन को बेतहाशा चूमने लगा. सच में बड़ा मजा आ रहा था. कुछ देर ऐसे चूमने के बाद मैंने उनके होंठों को चूमना शुरू किया. आहहहह क्या मुलायम होंठ थे. आज तक चूमे हुए होंठों में सबसे मजेदार. मैंने उनके होंठ जब तक चूमे, जब तक मेरे होंठ दर्द नहीं करने लगे.
फिर मैंने उनकी जर्सी उतारनी चाहा तो उन्होंने मेरे हाथ पकड़ लिए और बोलीं- क्या मैं ये सही कर रही हूँ. अगर मेरे पति को पता चल गया तो.. सब कुछ बरबाद हो जाएगा.
मैं- कुछ भी गलत नहीं है, अपने बारे में सोचना कभी गलत नहीं होता. रही बात किसी को पता चलने की, तो कौन बताएगा तुम.. या मैं… और कोई भी तो नहीं है. फिक्र छोड़ कर बस मजे करो.
अब उनकी आँखों में थोड़ा विश्वास नजर आ रहा था. उन्होंने मेरे हाथ भी छोड़ दिए थे.
अब मैंने उनकी जर्सी उतारी, फिर उनका कुर्ता उतार दिया.
आहहह.. हल्की लाल रंग की ब्रा में जकड़े हुए उनके तकरीबन 35 इंच साईज के चुचे, मुझे मदहोश करने के लिए काफी थे. मैंने उन्हें एकटक देखा ओर अपना मुँह मैंने ब्रा के ऊपर रख दिया जिससे उनकी सिसकारी निकल गई ‘ईश्श्शशहह. उम्म्म्म्हह ओहह हहह…’
उनकी साँसें और तेज हो गईं. मैंने अपने दोनों हाथ कमर के पीछे करके उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसे उतार कर उनके सुडौल मम्मों को चूसने चूमने चाटने लगा.
आह.. उस अहसास को शब्दों में बयां करना मेरे बस की बात ही नहीं है, बस इतना समझ लो कि ये मेरे मन की बड़ी मुराद के पूरी होना जैसा था. मेरा मन भर ही नहीं रहा था, बस ऐसा लग रहा था कि बस चूसता ही रहूँ. लेकिन मुझको अभी और भी बहुत कुछ करना था. तो मैंने अपनी जैकेट उतारी और टी-शर्ट भी उतार दी.
अब हम दोनों टॉपलैस हो गए थे.
अगले कुछ ही पलों में वासना का ऐसा तूफ़ान उठा कि मैंने उन्हें पूरी तरह नंगा कर दिया और खुद भी हो गया.
क्या हसीन क्षण था वो.. उसे भुलाना नामुमकिन है.
मैंने उन्हें लंड चूसने को कहा तो उन्होंने कहा- ये मुझसे नहीं हो पाएगा.
मैं थोड़ा उदास सा हुआ तो उन्होंने मेरी आँखों की उदासी देख कर मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी.
उनके लंड पकड़ कर हिलाने से बड़ा मज़ा आने लगा. फिर शुरू हुई उनकी चुदाई. मैंने उन्हें बिस्तर पर चित लिटा दिया और अपने लंड पर थूक लगा कर लंड को उनकी चुत के मुहाने पर टिका दिया. अब तक वो भी चुदासी हो चुकी थीं उन्होंने मेरी आँखों में आँख डाल कर देखा और कमर उठा दी. इधर उनकी कमर का उठना हुआ और उधर ऊपर से मैंने लंड को धक्का दे दिया.
सटाक से लंड का सुपारा उनकी चुत के अन्दर घुस गया. जैसे ही मेरे लंड का सुपारा उनकी चूत से टच हुआ, उन्होंने होंठों को दांतों से दबाते हुए आँखें बंद कर लीं और अपने मुँह से कामुकता भरी मदमस्त सिसकारी निकालनी शुरू कर दीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
जिससे मेरा जोश बढ़ता चला गया.
कुछ देर में उन्होंने भी नीचे से अपने चूतड़ उछालने शुरू कर दिए. धकापेल चुदाई की गाड़ी रफ्तार पकड़ने लगी.
अगले लम्बे समय तक जिंदगी भर याद रहने वाली चुदाई का मंजर बार बार चला. इस बीच वो 3 बार और मैं 2 बार झड़ा. हर आसन में मैंने उन्हें चोदा. फिर हम सो गए.
इसके बाद क्या हुआ वो मैं आपको अपनी अगली चुदाई की कहानी में लिखूंगा. आप मुझे मेल करना ना भूलें. मेरी मेल आईडी है.
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