गरम लड़की की प्यासी चूत को लंड ना मिले तो वह किसी का भी लंड ले लेती है. ऐसा ही मेरे साथ हुआ. मेरा बॉयफ्रेंड मुझे चोद कर 5 मिनट में झड़ गया, मैं प्यासी रह गयी.
प्यारे मित्रो, मैं अनु!
आप सबने मेरी पिछली कहानी
बॉयफ्रेंड के सामने उसके दोस्त से चुद गई मैं
पढ़ी।
मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि आप सबको मेरे कहानियां पसंद आ रही हैं।
पाठकों के बहुत सारे मेल आये मेरे पास … मैंने कोशिश की कि सभी का जवाब दूँ लेकिन मैं नहीं दे पायी, उसके लिए आप सभी से माफ़ी चाहती हूँ।
पुराने पाठक जो मुझे पढ़ते हैं, उनके लिये मैं अनजान नहीं हूँ।
पर नये पाठकों को मेरे बारे में जानकारी होनी जरूरी है।
दोस्तो, मेरा नाम अनुक्ति है। मैं अब 22 साल से कुछ ही कम उम्र की हूँ।
मेरे बदन का आकार अब 32-28-33 हो चुका था और कद 5’7″ है।
मैं अपनी चुदाई की सेक्सी कहानी को आगे ले जाने के लिए पुनः हाज़िर हूँ।
इस गरम लड़की की प्यासी चूत कहानी में मेरा बॉयफ्रेंड मुझे पूरा मजा देने में असफल हो गया.
दोस्तो, अब हम दोनों सहेलियां राहुल के फ्लैट में मजे करती थी।
वह फ्लैट सुरक्षित भी था और कोई डर भी नहीं था।
अब वह फ्लैट नहीं हमारी चुदाई का अड्डा बन चुका था।
जब भी मैं घर जाती तो संजय मेरे साथ फ़ोन सेक्स करता था।
और कभी लम्बे समय मुझे चुदाई का अवसर नहीं मिलता तो फिर मुझे खुद अपनी उंगली से अपनी चूत को शांत करना पड़ता था।
दोस्तो, मुझे इन तीन साल में एक बात समझ में आ गयी कि हर किसी को अपने लिए एक साथी की तलाश रहती है।
किसी को सेक्स के लिए साथी की तलाश होती है तो किसी को प्यार की!
तो किसी को टाइम पास के लिए!
मेरा और संजय का रिश्ता तो सिर्फ सेक्स के लिए ही था।
पर वह एक अच्छा दोस्त भी है मेरे लिए!
वहीं राहुल भी एक अच्छा दोस्त बन गया था।
शरीर की भूख तो हम एक दूसरे से मिटा ही लेते थे लेकिन जिंदगी में कभी जरूरत पड़े तो संजय और राहुल एक अच्छे दोस्त के रूप में थे।
और छवि तो मेरी बेस्ट फ्रेंड हमेशा से ही थी।
इसी तरह चुदते हुए मैं फाइनल ईयर मैं आ गयी थी।
एग्जाम हो चुके थे, बस घर ही जाना था कुछ दिनों के लिए!
आगे PG के लिए कॉलेज फाइनल करना था।
तो कुछ समय के लिए रुक गयी।
उसी बीच घर से फ़ोन आया पापा का … तो मुझे घर पर जाना था क्योंकि पापा को ऑफिस के काम से दूसरे शहर जाना था।
मम्मी की तबीयत भी ठीक नहीं थी तो पापा के आने तक 3-4 दिन मुझे घर पर ही रहना था।
शाम तक मुझे घर पर पहुंचना ही था क्योंकि पापा को रात की ट्रेन से ही जाना था।
तो सुबह से ही मैं हॉस्टल से निकल गयी थी.
जाने से पहले संजय सेक्स करना चाहता था क्योंकि एग्जाम के कारण हम सेक्स नहीं कर पाए थे तो राहुल के फ्लैट पर ही जाने का था।
पर कुछ काम से संजय को उसके पापा की फैक्ट्री में जाना पड़ा और उसने मुझे वहीं फैक्ट्री में बुला लिया.
तो मैं फैक्ट्री में चली गयी.
मेरे पास कुछ ज्यादा सामान नहीं था, सिर्फ कॉलेज के एक बैग मैं कुछ कपड़े इत्यादि थे।
फैक्ट्री बंद थी क्योंकि संडे था.
हम सीधे ऑफिस के केबिन में गए.
उसे कुछ डॉक्यूमेंट लेने थे और उसे मेल करना था.
उसके पापा को जो शहर मैं नहीं थे।
वह चाहता था कि यहीं हम सेक्स कर लें.
पर मैंने मना कर दिया- नहीं!
वह बोला- प्लीज … यहाँ सेफ है. ज्यादा समय नहीं लगेगा. और तुम यहाँ से सीधे घर के लिए निकल जाना.
तभी उसने बताया कि उसे भी 20-25 दिनों के लिए बाहर जाना था फैमिली में किसी फंक्शन के लिए।
फिर उसने कहा- तो चलो, फ्लैट में ही चलते हैं.
मेरे मन में आया कि वहाँ पर राहुल भी होगा. और छवि हॉस्टल में है.
मतलब ये दोनों आज मेरी लपक के लेंगे.
यही सोचकर मैं सोच में पड़ गयी.
पता नहीं क्यों … आज मेरा मूड नहीं बन रहा था.
पर संजय भी कहाँ ही मानने वाला था.
तो फिर मैंने सोचा कि जैसे तैसे सेक्स करके निकलूं घर!
इधर उसने अपना काम निपटाया।
फिर उतावलेपन में उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया वहीं पर!
वह मेरे दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में लेकर ऊपर उठाते हुए जबरदस्त तरीके से किस करने लगा।
फिर मैंने उसकी कमर में हाथ डाल लिए.
वह बहुत ही ज्यादा उतावला हो रहा था, मेरे टॉप के ऊपर से ही मेरे बूब्स को दबाने लगा.
मैंने कहा- इतनी जल्दी क्या है, आराम से करो!
फिर उसने मेरे लाल टॉप को ऊपर किया और कहा- क्या बात है, आज तो लाल ब्रा भी है. पैंटी कौन सी पहनी है?
तब उसने मेरी जीन्स को खोलकर मेरे घुटनों के नीचे कर दिया और कहा- आज तो लाल पैंटी भी है।
मैंने उससे कहा- मुझे घर जाना है इसलिए तुम आज कुछ कपड़े या ब्रा फाड़ना नहीं!
पर वह सुनने के मूड में नहीं था शायद!
वह हवशी जैसे मुझे किस करते हुए मेरी स्पोर्ट्स ब्रा को ऊपर कर मेरे मम्मों पर टूट पड़ा।
उसने मुझे वहीं टेबल पर सामान हटा कर लेटा दिया.
मैंने जीन्स और पैंटी उतार दी.
उसने मुझे कहा- घूम जाओ … मतलब मुँह को नीचे की तरफ लटका लो!
जिससे वह लण्ड मेरे मुँह में डाल सके.
मैं वैसी हो गयी और वह नंगा होकर मेरे मुँह को चोद रहा था।
फिर उसने मेरे टॉप और ब्रा को एक झटके में खींचकर फेंक दिया.
अब उसने मुझे घुमा कर मेरी चूत में अपनी दो उंगली घुसा दी जिससे मेरी चीख निकल गयी.
मैंने गुस्से में कहा- आराम से!
मेरी पोजीशन अब ऐसी थी कि मैं अपनी कोहनियों को अपनी पीठ के नीचे रखते हुए मेज के किनारे पर पीठ के बल लेट गयी और अपनी छाती को घुटनों से दबाते हुए पैरों को फैला दिया.
संजय अपने लण्ड से मेरे चूतड़ों (गांड) को टच कर रहा था।
उसके पैर घुटनों पर थोड़े मुड़े हुए थे.
मैंने अपने पैर उसके कंधों पर रख दिए.
उसने मेरी पीठ के नीचे अपने हाथ डाल दिए जिससे आराम से वह अपने लण्ड को मेरी चूत में डाल सके.
दोस्तो, आप यह पोजीशन समझ गए होंगे.
मैंने ऑनलाइन देख कर ये किया था, बहुत ही मजेदार है।
उसे पता नहीं किस बात की जल्दी थी, उससे रहा नहीं गया.
उसने कंडोम पहना और मेरी चूत पे हमला कर दिया.
मैं भी चाहती तो थी कि जल्दी से चुद कर फ्री हो जाऊं.
चुदाई में मजा भी ना आये तो चुदाई का फायदा ही क्या फिर …
पर अभी मुझे थोड़ा दर्द सा लगा था क्योंकि मैं अभी मूड में नहीं आ पायी थी पूरी तरीके से!
मेरी चूत में गीलापन नहीं था.
मेरी आवाज़ निकली- आआआ आआऊ ऊऊ!
उसने कहा- थोड़ा झेल लो प्लीज!
पूरा लंड अंदर जाते ही जैसे मेरी सांस ही रुक गयी हो एक पल के लिए!
फिर भी वह कहाँ सुन रहा था मेरी!
फिर उसने अपने लंड को निकाल कर मेरी चूत में पूरा अंदर डाल दिया.
ऐसा उसने 2 बार किया ताकि लण्ड अंदर बाहर आराम से जा सके।
संजय अब फुल स्पीड और जोश में मेरी चूत के अंदर अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था.
ऐसी पोजीशन में चुदने के अपने ही मजे हैं.
मजा आना शुरू ही हुआ था कि कुछ देर में संजय ने कहा- अनु, मेरा होने वाला है!
और उसका हो भी गया.
इधर शुरू भी नहीं हुआ था तो मैंने गुस्से में कहा- इतनी जल्दी?
उसने कुछ नहीं कहा.
मैं समझ गई कि इसने उतावलेपन में गड़बड़ कर दी और मेरा मूड भी ख़राब कर दिया।
इतनी अच्छी पोजीशन में चुदने पर चरम सुख मिलना शुरू ही हुआ था और पहले ही सब ख़त्म कर दिया.
मेरे मन में झल्लाहट और अधूरी चुदाई की प्यास रह गयी।
हमने कपड़े पहने और उसने मुझे बस में बैठाया.
और मैं अपनी प्यासी चूत लेकर शाम तक अपने घर आ गयी.
आकर नहायी और फिर खाना खा कर पापा के जाने की तैयारी कर उन्हें विदा किया।
मम्मी के बीमार होने की खबर रिश्तेदारों तक पहुंच गयी थी तो मेरी मौसी कुछ दिनों के लिए यहाँ मम्मी से मिलने के लिए आने वाली थी.
दूसरे दिन ये मुझे आने के बाद मम्मी ने बताया।
अगले दिन मौसी घर आयी और उनके साथ उनके देवर का लड़का था जो लगभग मेरी ही उम्र का था.
मेरी मौसी की दो लड़कियां ही थी जो लगभग मेरी ही उम्र के आस पास की ही थी।
उस लड़के का नाम नितिन था.
नितिन फर्स्ट ईयर MBA कर रहा था।
तो उस दिन तो नार्मल ही गुजरा.
रात को खा पीकर सोने के लिए मौसी ने कहा कि वे मम्मी के साथ नीचे ही सोयेंगी।
और नितिन को मेरे साथ ऊपर भेज दिया.
उन्होंने कहा- बच्चे आपस में मेलजोल कर लेंगे.
और टीवी भी ऊपर ही था.
हॉल में कूलर था तो उसका बिस्तर अलग लगा दिया और हम दोनों साथ में बातें करते हुए उस रात सो गए।
गर्मी होने के कारण मैं घर में टीशर्ट और शार्ट ही पहनती थी, ब्रा उतर देती थी.
लेकिन मौसी और नितिन के आने पर मैंने पायजामा पहन लिया था।
दिन में भी मैं सिर्फ समीज ब्रा (Cotton Rib Camisole bra) के ऊपर टॉप पहनती थी।
2 दिन हम दोनों एक दूसरे से काफी बातें करते रहे क्योंकि दिन भर दोनों घर में ही रहते थे तो एक दूसरे से बात करने के सिवा कुछ नहीं था.
और टीवी भी ऊपर ही था तो दिन भर टी वी देखते रहते थे।
हम आपस में काफी जल्दी खुल गए थे.
उसी शाम को संजय का फ़ोन आया.
मैं अपने कमरे में थी.
वह फ़ोन में सेक्स रिलेटेड बात करने लगा जैसे अक्सर होती हैं.
मैं बात करते हुए गैलरी में आ गई थी.
बात करते हुए मैं भूल गयी थी कि पीछे नितिन सारी बातें मेरी सुन रहा था.
मैं अचानक पीछे मुड़ी, तभी पता चला.
तो मैंने फ़ोन बंद करते हुए कहा- बाद में बात करते हैं।
मैं घबरा गयी थी कि कहीं नितिन कुछ मौसी या मेरी मम्मी को कुछ बता न दे.
नितिन मुझे देखकर हँसा और कहा- बॉयफ्रेंड था?
मैंने इशारे में कहा- हाँ।
उसने कहा- सेक्स की बातें ही करती हो या फिर सेक्स भी?
मैं कुछ न बोली और बैठ गयी.
वह मेरे पास आकर बोला- बोलो अनु?
मैं एकदम स्तब्ध थी कुछ न बोली.
तो वह बोला- मैं नीचे जाकर सब को बता दूँ?
उसने एक झटके से मेरे हाथ से मोबाइल लिया और वह नीचे जाने के लिए घुमा ही था कि मैं मोबाइल छीनने के लिए उस पर लपकी.
तो उसने मुझे चिढ़ाने के लिए मोबाइल को हाथ में लेकर ऊपर उठा लिया.
उसकी हाइट करीब मुझसे ज्यादा ही थी लगभग 5’10” के आस पास होगी।
अब मैं मोबाइल लेने को उछलती तो वह मेरे बूब्स को घूरकर देख रहा था.
मैं वहीं समझ गयी कि यह क्या चाहता है.
फिर उसने कमीनापन दिखा कर मेरे मोबाइल को अपने अंडरवियर के अंदर डाल लिया और पलंग पर बैठ कर कहा- लो अपना मोबाइल ले लो।
मेरा दिमाग ख़राब ही हो गया था इस हरकत पर!
और इधर मौसी और मम्मी का डर अलग था.
फिर मैंने गैलरी में देखा जाकर मौसी और मम्मी सामने आंटी के घर बाहर बैठ कर बातें कर रही थी।
फिर मैंने नितिन से कहा- देखो, मोबाइल दे दो!
उसने कहा- लास्ट चांस है, लेना हो तो ले लो. नहीं तो सीधे अपनी मम्मी से लेना मोबाइल!
और फिर मैंने भी देर न करते हुए उसकी जीन्स को खोलते हुए उसके अंडरवियर के अंदर हाथ डाला ही था तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मोबाइल को बाहर करते हुए अपना लण्ड मेरे हाथ में दे दिया और कहा- अनु प्लीज, बुरा मत मानो. मैंने पहले दिन जब से तुम्हें देखा है, तब से तुम्हें चोदने की फ़िराक में हूँ. तुम्हारे सारे अंडरगारमेंट्स को देखकर तुम्हें चोदने का ख्याल करता रहता हूँ. आज तुमने सफ़ेद और काले रंग की ब्रा पैंटी पहनी है, मुझे मालूम है.
मैंने कहा- मेरा हाथ छोड़ दो, नहीं तो मैं चिल्ला दूंगी!
उसने कहा- चिल्ला दो, मैं सब बता दूंगा।
मैंने सोचा कि ठीक है, बुराई ही क्या है.
तो फिर मैंने उसके लण्ड को अपने हाथ से खड़ा किया.
और उसने मेरे टॉप के अंदर हाथ डालते हुए बूब्स को दबाते हुए कहा- एक बार मुँह में भी ले लो!
मैंने मना किया.
तो उसने कुछ न कहा और उसके लण्ड का पानी निकलने तक मैंने उसकी मुठ मारी.
उसने मेरे मम्मों को मसलते हुए सारा पानी वहीं निकाल दिया.
मेरे हाथ भी गंदे कर दिए।
मैं हाथ धो कर सीधे नीचे चली गयी, सोचा जान छूटी।
दोस्तो, आगे क्या हुआ, वह सब आपको स्टोरी के अगले भाग में सुनाऊंगी.
आपको यह गरम लड़की की प्यासी चूत की कहानी कैसे लगी?
आप मुझे जरूर बताएं कमेंट कर के.
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गरम लड़की की प्यासी चूत की कहानी का अगला भाग: मेरे जिस्म की अधूरी प्यास- 2