अन्तरवासना के सभी पाठकों को प्रियम दुबे का नमस्कार।
मेरी पिछली कहानी थी
उसे चुत चुदाई से ज्यादा अपनेपन की जरूरत थी
दोस्तो, मेरी ये कहानी बहुत रोमांचक है कि कैसे मैंने एक बिज़नेस वुमन की चूत और गांड का मजा लिया। मेरी सभी कहानियां सच पर आधारित होती हैं, सिर्फ पार्टनर का नाम काल्पनिक होता है।
मेरी इस कहानी का नाम भी मेरी एक पाठिका के नाम पर है।
सुबह के सात बजे थे एक अनजान नंबर से मेरे मोबाइल पर कॉल आया। में थोड़ी देर और सोना चाहता था इसलिए मैंने फ़ोन साइलेंट कर दिया।
नौ बजे जब मैं सो कर उठा तो उसी अनजान नंबर से पूरे पांच मिस कॉल थे। मैंने लेटे हुए ही फ़ोन लगाया एक ही घंटी में वहां से फ़ोन उठ गया और सुबह सुबह एक मिशरी जैसी मीठी आवाज मेरे कानों में गूंजी- हेलो… मैं सोनाली बोल रही हूँ नोएडा से, मुझे आपका नंबर मेरी फ्रेंड ने दिया है। मैं कल से तीन दिन के सेमिनार में ग्वालियर जा रही हूँ और चाहती हूं कि आप मुझे अपनी कंपनी दें।
मैंने उसकी फ्रेंड के बारे में थोड़ी जानकारी करी और जब मैं संतुष्ट हो गया कि मैं उसकी फ्रेंड को जानता हूँ तो बात शुरू की।
मैंने हँस कर पूछा- ठीक है, पर यह बताओ कि सिर्फ कंपनी चाहिए या सर्विस भी चाहिए।
वो खिलखिला कर हँस दी और कहा- कंपनी और सर्विस दोनों चाहिए, फीस की चिंता मत करिए।
मैंने भी कहा- आपको भी जो चाहिए वही मिलेगा।
तय हुआ कि वो काल सुबह जल्दी नोएडा से अपनी कार से निकलेगी और मुझे सिटी सेन्टर मेट्रो स्टेशन से पिक कर लेगी।
अगले दिन सुबह 5:30 पर वो अपनी होंडा सिटी कार से मेट्रो स्टेशन पहुँच गयी; मैं पांच मिनट लेट था; गाड़ी नंबर मेरे पास था इसलिए मैं गाड़ी तक पहुँचा, उसने मुझे गाड़ी के अंदर आने का इशारा किया।
मैंने गाड़ी का दरवाजा खोल कर उसे हेलो कहा और उससे हाथ मिलाया। मेरे बैठते ही उसने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
सोनाली की उम्र लगभग 35 के आसपास थी। बॉडी शेप पतला था उसका लेकिन बूब्स का साइज लगभग 34 था। बहुत कड़क माल थी सोनाली। उसने ब्राउन कलर का ट्रॉउजर, व्हाइट कलर की शर्ट और ब्राउन कलर का ही शार्ट कोट पहना हुआ था। उसके नैन नक्श बहुत आकर्षक थे। पूरी गाड़ी उसके बदन की खुशबू से महक रही थी।
उसने बताया कि वो पहले सेमिनार में जाएगी और वहां एक घंटा रुक कर फिर मेरे साथ ही रहेगी।
सोनाली की गाड़ी अब एक्सप्रेस वे पर पहुँच चुकी थी।
उसने बताया कि उसकी फैमिली में वो ओर उसके हस्बैंड ही हैं। उनका गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग का बिज़नेस है। फैक्ट्री के काम के लिए उसके हस्बैंड कोलकाता गए हैं। इसलिए सेमिनार में उसी को जाना पड़ रहा है।
हमारे देश में सेक्स सबसे ज्यादा सोचे जाने वाला विषय है लेकिन आज भी हम सेक्स के बारे में बात करने से हिचकते हैं। लेकिन इसके उलट सोनाली ने मुझसे खुल कर सेक्स के बारे में बात शुरू कर दी- सुनो प्रियम, मैं अपनी रूटीन लाइफ से बोर हो चुकी हूं। मुझे लाइफ में थोड़ा फन चाहिए लेकिन हमारे बीच जो भी होगा वो हमेशा सीक्रेट ही रहेगा। अगर मेरे हस्बैंड मुझे सेक्सुअली सन्तुष्ट रख पाते तो मैं तुम्हें कभी कॉल नहीं करती। महीने में मुश्किल से एक या दो बार ही हम सेक्स करते हैं, उसमें भी उनका बहुत जल्दी हो जाता है और मैं पूरी रात सुलगती रहती हूं। मेरा आज तक मेरे पति के अलावा कभी भी किसी के साथ शारीरिक सम्बन्ध नहीं रहा। लेकिन जैसे पेट की आग के लिए खाना जरूरी है वैसे ही शरीर की आग शरीर से ही बुझती है। बस कैसे भी मेरी शरीर की आग शांत कर दो प्रियम।
मैंने कहा- सोनाली, मैं पूरी कोशिश करूंगा कि तुम्हें भरपूर सेक्स का मजा दूँ।
बात करते हुए पहला टोल आ चुका था। अब मैं ड्राइविंग सीट पर था और सोनाली मेरे बगल वाली सीट पर। प्रियम मुझे तुम्हारा लण्ड देखना है।
मैंने कहा- अगले तीन दिन यह मेरा नहीं, तुम्हारा लण्ड है, तुम्हें जो करना है करो।
इतना सुनते ही वो थोड़ा सा करीब आयी और मेरी पैंट की चेन खोल दी। अंडरवियर के अंदर मेरा लण्ड खड़ा हुआ था। सोनाली लण्ड को अंडरवियर के ऊपर से ही दबाने लगी। एक्सप्रेस वे पर हमें किसी के देखे जाने का बिल्कुल डर नहीं था।
सोनाली के हाथ के स्पर्श से मेरा लण्ड बाहर आने को मचल रहा था तो मैंने एक हाथ से अपनी पैंट के हुक खोल दिये। सोनाली को पैंट के अंदर हाथ डालने की जगह मिलते ही उसने अपना हाथ अंदर घुसा दिया।
अब मेरा लण्ड सोनाली के हाथ में था। मेरे लण्ड की लंबाई ओर गरमाहट महसूस करते ही सोनाली कामोत्तेजित हो गयी, बोली- बहुत तगड़ा माल है तुम्हारा तो!
मैं उसकी बात सुनकर सिर्फ मुस्कुरा दिया।
“प्रियम, मुझे तुम्हारा लण्ड चूसना है अभी!”
“तुम्हें जो करना है कर सकती हो।”
ऐसा सुनकर सोनाली ने मेरा लण्ड बाहर निकाला और नीचे झुककर एक प्यारी सी किस लण्ड पर करी। मैंने अपना शरीर थोड़ा सा ढीला छोड़ दिया पर मेरा पूरा ध्यान ड्राइविंग पर था।
सोनाली ने अब मेरे लण्ड को अपने मुख में लेकर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। चलती गाड़ी में सकिंग करवाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। सोनाली पूरा लण्ड अपने मुंह में ले रही थी जिससे कभी कभी उसके गले से गूं गूं की आवाज निकल जाती थी।
चलती गाड़ी में जितना भी हो सकता था उससे ज्यादा वो करने की कोशिश कर रही थी। अब उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी थी। मेरा लण्ड उसने चूस कर लाल कर दिया था। अब उसने मेरे लण्ड को सिर्फ अपने होठों से चूसना शुरू किया। मेरा लण्ड सिर्फ उसके होठों से छूकर उसके मुँह के अंदर जा रहा था। मतलब कि उसकी जीभ मेरे लण्ड से बिल्कुल भी टच नहीं हो रही थी। जैसे ही सोनाली के होंठ मेरे लण्ड पर नीचे से ऊपर या ऊपर से नीचे जाते एक अजीब सी सिरहन मेरे शरीर में दौड़ जाती। किसी अनुभवी खिलाड़ी की तरह वो मेरे लण्ड से खेल रही थी।
बीच बीच में वो मुझे देखकर मुस्करा भी जाती थी।
अगला टोल आने वाला था, मैंने पूछा- क्या मैं लण्ड का पानी तुम्हारे मुँह में निकाल दूँ?
तो उसने अपने हाथ के इशारे से मुझे मना कर दिया।
थोड़ी देर और चूसने के बाद वो सीधी होकर बैठ गयी और लंबी लंबी सांसें लेने लगी। उत्तेजना की वजह से उसका बुरा हाल था। मैंने उसे पानी की बोतल दी। हम दोनों ने गाड़ी साइड में रोककर अपने कपड़े ठीक किये और चल दिये।
अब सोनाली ने मेरे करीब आकर मेरे गालों पर एक किस किया और मुझे थैंक्स बोला- प्रियम, मुझे बहुत अच्छा लगता अगर मैं तुम्हारे लण्ड का पानी पी पाती… लेकिन मुझे पहले सेमिनार में जाना है और मैं नहीं चाहती कि मेरे कपड़े खराब हो जाएं। और कपड़ों से ज्यादा मुझे अपने मूड की चिंता है कि अगर ये खराब हो गया तो फिर सिर्फ होटल का रूम दिखाई देगा।
मैं उसकी बात सुनकर हँस दिया।
“प्रियम, तुम्हारा लण्ड वाकई बहुत तगड़ा है। बस अब मुझे इतना चोदना कि मेरा दम निकल जाए। मैं कितना भी मना करूँ लेकिन तुम मुझे चोदना बंद मत करना।”
मैंने कहा- ठीक है, ये मेरा वादा है कि ये ट्रिप आपके जीवन की सबसे यादगार ट्रिप होगी। मेरे लण्ड की जी भर के सवारी कर लेना।
उसने मुझे एक किस ओर दी और अपने बैग से लिपस्टिक निकाल कर अपने होठों पर लगाने लगी। उसकी सारी लिपस्टिक मेरा लण्ड पहले ही खा चुका था।
जिस होटल में सोनाली का सेमिनार था उसी होटल में उसका एक रूम पहले से ही बुक था। सोनाली ने मेरे लिए भी अलग से एक रूम बुक करा दिया था। प्लान था कि वो मेरे रूम में मेरे साथ रहेगी जबकि उसका रूम खाली ही रहेगा।
रास्ते में खाते पीते और बातचीत करते हुए हम ग्वालियर पहुँच गए। गाड़ी पार्किंग में लगाकर हमने रिसेप्शन पर अलग अलग चेक इन किया। सोनाली का रूम सेकंड फ्लोर पर था और मेरा रूम थर्ड फ्लोर का। सोनाली ने अपने रूम से मुझे फ़ोन किया कि वो लंच टाइम में सेमिनार खत्म करके मेरे पास आ जायेगी। तब तक मैं आराम करूँ।
मैं फ्रेश होकर आराम करने लगा और सोनाली के बारे में सोचने लगा; कैसी फुद्दी होगी कैसे मुम्मे होंगे… सोचते सोचते मेरा लण्ड खड़ा हो गया। मैंने अपने लण्ड को समझाया कि रुक जा बेटा थोड़ी देर इंतज़ार कर… अभी तुझे थोड़ी देर में खुराक मिल जाएगी।
एक बजे सोनाली का फोन आया कि वो एक घंटे में फ्री होकर आ रही है, उसके आने से पहले में खाना रूम में मँगा लूं।
मैंने डेढ़ बजे बियर और खाने का आर्डर कर दिया।
सोनाली जब रूम में आयी तो खाना आ चुका था। सोनाली एक छोटा बैग लेकर मेरे रूम में आयी थी। आते ही मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया और अपने होंठ उसके होठों से लगा दिए। सोनाली भी मेरा साथ देने लगी।
मेरे हाथ उसकी शर्ट के ऊपर से ही उसके मुम्मे दबा रहे थे उसने पैडेड ब्रा पहनी हुई थी। सोनाली भी मेरा लण्ड मेरे लोअर के ऊपर से मसल रही थी। मैंने सोनाली के शर्ट के बटन खोल दिये और ब्रा को उतार दिया। उसके मुम्मे 32 साइज के थे जो पैडेड ब्रा की वजह से 34 के लग रहे थे। मुम्मों के ऊपर ब्राउन निप्पल बहुत छोटी थीं शायद उसके पति ने ठीक से कभी उसके मुम्मे न दबाये थे न उनका रसपान किया था।
मैंने उसके बाएं मुम्मे को अपने मुँह में पूरा भर लिया, उसकी सिसकारी निकल गयी। उसने अपना हाथ मेरे लोअर के अंदर डाल दिया और मेरे लण्ड को कसकर दबाने लगी। मैं उसके दोनों मुम्मे बारी बारी से पी रहा था। उसके भूरे चूचुकों को मैंने जैसे ही अपने दांतों से काटा, उसने उत्तेजना के मारे अपनी जीभ मेरी जीभ से उलझा दी। बहुत देर तक हम एक दूसरे को किस करते रहे।
मैंने कहा- सोनाली, पहले खाना खा लेते हैं, उसके बाद में तुम्हारी चूत चाटूंगा।
बड़ी मुश्किल से मैंने उसे खुद से अलग किया।
सोनाली टॉपलेस थी, उसी पोजीशन में हम दोनों ने साथ में बियर पी और फिर खाना खाया।
अब मेरे दिल में भी तमन्ना थी कि इसकी चूत देखूँ।
हम दोनों बेड पर आ गए। हमने एक कंबल ओढा और एक दूसरे से चिपक गए। हम दोनों के हाथ एक दूसरे के कपड़े उतारने में लग गए। मैंने सोनाली का ट्राउज़र और पैंटी एक साथ उतार दी। उसने भी मेरा लोअर अपने पैरों से खींच कर उतार दिया।
कम्बल के अंदर हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। मैंने एक हाथ सोनाली की चूत पर रखा और उसे सहलाने लगा। सोनाली की चूत पर बहुत छोटे छोटे बाल थे। मैं अपनी उंगली इसकी चूत की खांप में फिराने लगा।
सोनाली ने भी मेरा लण्ड अपने हाथ से पकड़ा और मेरा मुट्ठ मारने लगी।
“सोनाली, तुम्हें अच्छा तो लग रहा है ना?”
“बहुत अच्छा लग रहा है प्रियम!” यह कहकर वो घूमकर मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में आ गयी। उसकी चूत की खुशबू मुझे आनंदित कर रही थी।
उसकी चूत का दाना फड़क रहा था, मैं उसके दाने को अपने दोनों होठों से चूसने लगा। अचानक से उसे कुछ याद आया, वो उठी और उसने अपने बैग से एक चॉकलेट निकाला। चॉकलेट बैग में रखे होने की वजह से पिघल गया था। उसने पिघली चॉकलेट को अपनी चूत और मेरे लण्ड पर लगाया और फिर से 69 पोजीशन में आ गयी। अब हम दोनों एक दूसरे के यौन अंगों को स्वाद लेकर चाटने लगे।
मैंने सोनाली की चूत चाट चाट कर पूरी चॉकलेट साफ कर दी थी। सोनाली को अपनी चूत चटवाने में बहुत मजा आ रहा था। वो अपनी गांड उठा उठा कर अपनी चूत मेरे मुँह में घुसाए जा रही थी। मैंने भी अब अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर तक घुसा दी। अब मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदने लग गया।
सोनाली भी मेरा लण्ड पागलों की तरह चाटे जा रही थी। अब उसका शरीर अकड़ने लगा और उसकी चूत का दबाव मेरे मुँह पर बढ़ गया; उसका पानी छूटने ही वाला था। मैंने भी अब उसकी चूत में अपनी जीभ की स्पीड बढ़ा दी।
दो मिनट बाद सोनाली झड़ गयी। मैंने भी तुरंत अपना पानी उसके मुँह में छोड़ दिया। अब हम एक दूसरे के प्रेम रस को पीने लगे।
सोनाली ने मेरे लण्ड के आस पास का पूरा हिस्सा चाट कर गीला कर दिया था। अब वो उठ कर मेरी छाती पर बैठ गयी और अपनी उंगलियों मेरे बालों में फिराने लगी। उसकी गुलाबी चूत मेरी आँखों के सामने थी। उसकी चूत बिल्कुल कसी हुई लग रही थी। लगता नहीं था कि उसको कभी कोई तगड़ा लण्ड मिला भी होगा।
“प्रियम, तुमने तो अभी से मेरी हालत खराब कर दी यार… शरीर की एक एक नस खोल दी है तुमने! काश मेरा पति भी तुम जैसे होता!” यह कहते हुए उसकी आंखें गीली हो गईं।
मैंने उसे अपने ऊपर लिटाया और समझाया- नसीब में जो होता है वही मिलता है।
उसने मुझे कस कर अपनी बाहों में कैद कर लिया- अब चोदो मुझे… इतना चोदो कि मेरी चूत से खून निकलने लगे।
“रानी, मेरा भी लण्ड मचल रहा है तुम्हारी चूत में जाने के लिए।”
मैंने सोनाली को लिटाकर उसकी दोनों टांगें अपने कंधे पर रख लीं। ऐसा करने से उसकी चूत थोड़ी और उभर गयी। मैंने अपना लण्ड उसके छेद पर सेट किया और हल्का सा झटका मारा; सिर्फ टोपा ही मुश्किल से अंदर जा पाया और दर्द की वजह से उसने भी अपने होठों को भींच लिया।
मैंने बहुत धीरे धीरे लण्ड को अंदर पेलना शुरू किया; थोड़ी कोशिश के बाद मेरा लोहे जैसा लण्ड सोनाली की चूत में पूरा घुस गया था। सोनाली की चूत किसी कुंवारी लड़की की चूत की तरह ही टाइट थी। उसकी हालत भी खराब थी।
थोड़ी देर मैं उसकी चूत में लण्ड को डाले बैठा रहा। जब वो थोड़ी नार्मल हुई तो मैंने लण्ड को अंदर बाहर करना शुरू किया।
सोनाली अपने दोनों हाथों से अपने मुम्मे दबाये जा रही थी- आह… आह.. प्रियम आह… उम्म.. ओ… आह… चोदो मुझे… जोर से चोदो मुझे…
सोनाली की कामुक आवाजों से पूरा कमरा गूंज रहा था।
मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी थी, सोनाली भी मेरे हर धक्के का जवाब अपनी गांड उठा कर दे रही थी। उसकी चूत अब थोड़ी गीली हो गयी थी, मेरा लण्ड आसानी से अंदर जा रहा था। अब मैंने उसकी एक टांग को नीचे किया और थोड़ा टेढ़ा होकर लण्ड को अंदर पेलने लगा। इससे उसकी चूत की दीवारों में लण्ड का घर्षण बढ़ गया।
साथ ही मैं एक उंगली धीरे धीरे उसकी गांड में घुसाने लगा। मैं सोनाली को ये संकेत दे रहा था कि अब तेरी गांड की ही बारी है। काफी देर की लगातार चुदाई के बाद उसका बदन अकड़ने लगा, सोनाली ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होठों को चूमने लगी। वो अब किसी भी वक़्त स्खलित हो सकती थी।
मैंने भी उसके ऊपर लेटे लेटे झटकों की स्पीड और बढ़ा दी। पांच मिनट बाद दोनों एक साथ बह निकले। उसने अपनी टाँगे कैंची की तरह मेरी टाँगों में फंसा दी। पानी छूटने के बाद भी हम दोनों आधे घंटे तक एक दूसरे से चिपके रहे।
“प्रियम यू आर अमेजिंग… (प्रियम तुम अदभुत हो) इतना लंबा सेक्स मेरे पति ने कभी भी नहीं किया है। तुमने मेरा दिल जीत लिया है। थैंक्स प्रियम, मुझे यह दिन हमेशा याद रहेगा। मुझे खुशी है कि मैंने सही इंसान चुना।”
सोनाली ने मुझे भी भरपूर मजे दिए थे इसलिए मैंने भी उसे थैंक्स कहा।
मैंने अगले तीन दिन तक उसकी जबरदस्त चुदाई करी। चूत के साथ उसने अपनी गांड का भी मुझे मजा दिया। सोनाली लण्ड के लिए बहुत प्यासी थी और मैंने उसकी उम्मीद से भी ज्यादा प्यास बुझा दी थी।
सेमिनार उसने सिर्फ पहले और आखिरी दिन अटेंड किया।
उसके बाद उसने मुझे नोएडा छोड़ दिया।
आज भी सोनाली मेरी रेगुलर क्लाइंट है। जब भी उसे मेरी जरूरत होती है वो मिलने का प्लान बना लेती है।
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी यह सेक्स कहानी। मुझे इंतज़ार रहेगा आपकी बेशकीमती राय का।
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