मैं बहुत सुंदर हूँ, बुर्का पहनती हूँ. मेरी हॉट गर्ल की बुर चुदाई की कहानी में पढ़ें कि कैसे बस में मेरी मुलाक़ात एक अच्छे लड़के से हुई. हमारी दोस्ती हो गयी. उसके बाद मैंने क्या किया?
हैलो … मैं एक हॉट गर्ल हूँ. मेरा नाम सबा है. मैं अपनी पहली बार बुर चुदाई का वाकिया आप सब से शेयर करना चाहती हूँ.
तो मजा लीजिये एक हॉट गर्ल की बुर चुदाई की कहानी का!
अभी मेरा बी.ए. का अंतिम वर्ष है. मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ. मेरे घर में मैं, मेरा छोटा भाई और अब्बू अम्मी रहते हैं. मेरे अब्बू एक्सिस बैंक में मैनेजर की पोस्ट पर हैं … और मेरी अम्मी एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं. मेरा भाई अभी 10वीं क्लास में पढ़ता है.
मेरा रंग गोरा है. मेरी साइज़ कुछ यूं है मेरे चूचे 32 इंच के हैं. गांड 36 इंच की है और कमर 28 की है. मैं बुर्का पहनती हूँ, इसलिए मेरी फिगर का पता नहीं चलता है.
ये मेरी ज़िंदगी का बेहद ही हसीन और ख़ुशगवार वाकिया हुआ था, जब एक लड़के से मेरी मुलाक़ात हुई थी.
हुआ यूं कि मैं रोज़ाना की तरह बुर्का पहने बस स्टैंड पर खड़ी बस आने का इंतज़ार कर रही थी.
बस के आने के बाद मैंने बस में अपनी सीट ले ली.
मेरी बगल वाली सीट खाली थी, जो कि लेडीज के लिए आरक्षित होती है. कुछ समय बाद एक अनजान आदमी वहां आकर बैठ गया. मुझे लगा कि मैं उस आदमी से उस सीट से उठ कर कहीं और बैठने की कहूँ, मगर मैं चुप रही.
कुछ ही देर में एक औरत आई और उसने उस आदमी से कहा कि भैया ये सीट महिलाओं के लिए है, आप यहां से हटिए.
मगर वो आदमी वहां से नहीं हटा. उन दोनों में बहस होना शुरू हो गई.
अब मैंने भी कहा- भाई आप यहां से हट जाइए … ये लेडीज सीट है.
वो आदमी जिसकी शक्ल भैंसे जैसी थी, मुझसे बोला- तू चुप रह … वरना यहीं पर पटक कर मारूंगा.
मुझे उसकी इस बात पर तैश आ गया और मैंने भी तेज स्वर में बोला- ओ … तुम अपनी जुबान को लगाम दो … ज़रा हाथ उठा कर तो दिखाइए फिर बताती हूँ.
मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि वो कुछ गलत भी करने को कोशिश करेगा.
उसने मेरे गाल पर एक झापड़ मारने के लिए अपने हाथ को अचानक से उठाया ही था कि उसी पल एक लड़का करीब आया और उसने उस मूर्ख आदमी का हाथ पकड़ लिया.
वो युवक उस आदमी को मारने लगा और बोला- साले औरत पर हाथ उठाता है. मर्द है तो मुझसे बात कर!
फिर तो सारे लोग एक हो गए और उस मूर्ख आदमी को पीटने लगे. उस आदमी को बस से उतार दिया गया. बस फिर से चल पड़ी थी.
इस घटना से मैं डर गई थी और मेरी आंखों से आंसू आ गए थे.
मुझे इस हालत में देख कर वो लड़का मेरे पास आया और बोला- मुझे बहुत बुरा लगा.
मैंने बोला- आप नहीं आते, तो वो मुझे चांटा मार ही देता.
उसने कहा- ये कैसी बात कर रही हैं आप … ऐसे कैसे मार देता!
मैं कुछ देर बाद चुप हो गई. वो मेरे पास ही बना रहा. उसकी नजदीकी मुझे अजीब सा सुकून दे रही थी.
कुछ ही देर बाद मेरे स्टॉप पर आकर बस रुक गई. मैं बस से उतरी और अपने कॉलेज चली गई.
शाम को कॉलेज से छूटने के बाद मैं फिर से बस पकड़ने स्टैंड पर आ गई. वो लड़का मुझे बस स्टैंड पर मिल गया.
पहले तो वो मेरे बुर्का पहने होने से मुझे पहचान नहीं पाया. मैं उसके पास ही खड़ी थी. वो मुझे शक की नज़रों से देखता रहा.
फिर मुझसे रहा नहीं गया.
मैंने- आप वही हो ना, जिसने बस में मुझे पीटने से बचाया था.
अब वो मुस्कुरा दिया और बोला- हां सही पहचाना. मैं आपके बुर्के के कारण आपको पहचान नहीं पाया था. मैं किसी को बचाने वाला कौन होता हूँ, मैं तो बस इतना समझता हूँ कि वो आदमी, आदमी नहीं … बल्कि एक औरत है, जो अपने सामने एक असहाय औरत की रक्षा ना कर पाए.
मैं उसकी बात से बहुत इंप्रेस हुई. तभी बस आ गई. हम दोनों एक सीट पर पास पास बैठ गए और बातें करने लगे.
मैंने उसका नाम पूछा, तो उसने बताया कि मेरा नाम करण सिंह है.
फिर उसने मेरा नाम पूछा. मेरे घर के बारे में पूछा. मैंने सब बता दिया.
अब मैंने उसके बारे में पूछा, तो उसने बताया कि मैं एक कंपनी में जॉब करता हूँ.
वो भी लखनऊ शहर का ही रहने वाला था.
उसने पूछा- आप लेडीज बुर्का क्यों पहनती हो?
मैंने कहा- ये औरत की लाज और उसकी इज़्ज़त को बचाए रखता है.
वो मेरी बात सुनने लगा.
उसने कहा कि क्या मैं आपका चेहरा देख सकता हूँ?
मैंने बड़ी शराफत से उसे मना कर दिया.
फिर वो कुछ नहीं बोला.
उसकी आंखें मुझे ऐसे लग रही थीं, जैसे वो मुझसे बहुत सवाल करना चाहता हो.
फिर मैंने कहा- आपने मेरी इज़्ज़त बचाई और मैं आपकी बात नहीं मान रही हूँ … ये ग़लत है ना!
उसने कहा- अरे आप कैसी बात कर रही हो, ये आपकी प्राइवेसी है. इसमें अगर मैं दखलंदाजी करता हूँ, तो ये ग़लत होगा ना.
वाओ … कितना मासूम सा जवाब दिया उसने. मैं एकदम से उस पर फिदा सी हो गई थी.
मैंने कहा- अच्छा ठीक है, आप मुझे देख सकते हो … लेकिन यहां नहीं मोबाइल पर.
वो बोला- जैसी आपकी मर्ज़ी.
मैंने उसका नम्बर लिया और अपने सेल फोन में सेव कर लिया.
तब तक मेरा स्टॉप आ गया और मैं उतर गई. मैंने उतरते समय उसको बाय बोला. उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ बाय बाय की मुद्रा में हाथ हिला दिया.
बस जाती रही और वो मुझे देखता रहा.
रात में क़रीब 11:30 बजे खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में लेटी हुई थी. अचानक उसकी ऑडियो कॉल आई. मैंने रिसीव किया, तो उसने पूछा- कैसी हो आप!
मैंने बोला- ठीक हूँ … और आप!
उसने बोला- मैंने तो आपको देखने के फोन किया था.
मैंने हंस कर पूछा- क्यों?
वो भी हंस कर बोला- बस यूं ही कुछ बेकरारी थी.
मैंने कहा- तो वीडियो कॉल कर लेते.
उसने कहा- अगर अचानक से आपको देखता, तो शायद मैं बर्दाश्त नहीं कर पाता.
मैंने- अरे जब आपने मुझे देखा ही नहीं है, तो कैसे कुछ हो जाता. क्यों यूं ही तीर मार रहे हैं!
वो हंस दिया.
मैंने कहा- ओके मैं वीडियो कॉल करती हूँ.
उसने कहा- ओके.
वीडियो कॉल उसने रिसीव की, लेकिन मैंने अपना चेहरा छुपा लिया.
वो बेक़रार हो गया और बोला- प्लीज़ दिखाइए न!
मैंने अपना खूबसूरत चेहरा उसको दिखाया, तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया. वो बोला- इतनी भी खूबसूरत कोई होता है … आपके होंठ पतले पतले गुलाब की तरह कैसे हो सकते हैं. चेहरा भी बिल्कुल गोरा है, काले बाल हैं.
मैंने कहा- ओये मजनू जी … बस भी कीजिए. कहीं आपका दिमाग़ गुम ना हो जाए.
उसने कहा- एक बार मुस्कुराओ ज़रा.
मैंने हल्की सी स्माइल दी … तो उसकी हालत और खराब हो गई.
वो बोला- आह … अब बस कीजिए. मैं आपको बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा.
मैंने कहा- ओये हीरो … कहां जा रहे हो? धरती पर ही रहिए.
उसने कहा- मैं कहीं नहीं हूँ … अपनी धरती पर ही हूँ.
मैंने कहा- एक बात कहूँ.
उसने कहा- हां कहिए न!
मैंने पूछा- आपकी कोई जीएफ है?
उसने एक लम्बी सांस लेते हुए कहा- फिलहाल तो नहीं … पहले थी.
मैंने मुस्कुरा कर पूछा- आपके घर में कौन कौन है?
उसने बताया- मम्मी पापा और दो सिस्टर हैं … और दोनों सिस्टर की शादी हो गई है. मैं ही अकेला कुंवारा बचा हूँ.
मैंने कहा- ठीक है.
वो बोला- क्या ठीक है?
मैं- मेरा मतलब ठीक है … मुझे मालूम हुआ.
वो हंसने लगा- मुझे लगा आपको मेरा कुंवारा रहना ठीक लगा.
उसकी बात से मुझे भी एक कुंवारे लड़के के लिए दिल में हूक सी उठने लगी थी.
मैंने कहा- आजकल का कुंवारापन भी माशाल्ला है.
वो समझ गया और धीरे से बोला- मैंने अब तक हाथ के अलावा किसी को भी अपनी मर्दानगी से नहीं खेलने दिया.
मेरी हंसी छूट गई.
वो बोला- क्यों हंसी?
मैंने कहा- कुछ नहीं. बस यूं ही.
वो बोला- कुछ तो बताओ.
मैंने कहा- वो तुमने अपने कुंवारेपन के लिए हाथ का इस्तेमाल के बात कही, तो मेरी हंसी छूट गई.
वो बोला- वो तो सबका हक होता है.
मैंने भी न जाने किस झौंक में ‘हां ये तो है..’ कह दिया.
अब वो हंसने लगा.
मैंने पूछा तो बोला- मैं भी तुम्हारे हाथ के लिए ही हंस रहा था.
मैं शर्मा गई कि कितनी आसानी से इसने मेरे भी उंगली चलाने की बात को उगलवा लिया था.
फिर उसने कहा कि कल रविवार है, अगर आप बुरा ना माने, तो कहीं कॉफ़ी पीने चलें?
पर मैंने कहा- नो, मेरे अब्बू घर पर ही रहेंगे. इसलिए ये पासिबल नहीं है.
मैंने देखा कि उसका चेहरा उदास हो गया था. मुझे बहुत बुरा लगा.
फिर मैंने कहा- एक काम करते हैं. परसों मेरे घर के सब लोग ड्यूटी चले जाएंगे और भाई भी स्कूल में रहेगा, आप मेरे घर आ जाओ. मैं आपको अपने घर पर ही एक अच्छी सी कॉफ़ी पिलाऊंगी.
वो खुश हो गया … और उसने डन बोला.
सोमवार को मैंने तबियत खराब होने का नाटक किया.
अम्मी बोलीं- दवा ले लेना.
मैंने बोला- ठीक है अम्मी.
वो चली गईं. अब्बू भी तैयार होकर चले गए.
अब मैं अकेली घर पर रह गई थी. मैंने उसको कॉल किया और पूछा- कहां हो?
वो बोला- घर पर.
मैंने कहा- आओगे नहीं कॉफ़ी पीने!
उसने एड्रेस पूछा, तो मैंने बता दिया.
कुछ देर बाद दरवाजे की रिंग बजी, तो मैंने दरवाज़ा खोला. सामने वो खड़ा था. अचानक उसकी निगाह मेरे बदन पर पड़ी, तो उसका मुँह खुला का खुला खुला रह गया. उस वक्त मैं एकदम चुस्त लैगी और कुर्ती पहने हुई थी. मेरे सीने के मस्त उभार किसी को भी पागल करने के लिए काफी थे. मैंने जानबूझ कर ऐसा ड्रेस पहना था.
खैर मैंने उसके गाल पर हल्की सी चपत लगाई और बोली- पागल हो गए क्या!
उसने कहा- आप किसी अप्सरा से कम नहीं हो.
मैंने कहा- शुक्रिया जनाब … अब अन्दर भी आएँगे या यहीं गजलें पढ़ते रहेंगे?
वो हंस पड़ा.
फिर मैंने उसको अन्दर बुला कर सोफे पर बिठाया और मैं कॉफी बनाने चली गई.
दो मिनट बाद मैं कॉफ़ी लेकर आ गई और उसके पास ही बैठ गई. हम दोनों कॉफ़ी पीने लगे.
फिर उसने पूछा- बाथरूम कहां है?
मैंने उसको रास्ता दिखाया. वो बाथरूम में चला गया.
लेकिन उसे उधर काफ़ी देर हो गई. मुझे लगा कि उसे ज़ोर से लगी होगी.
फिर मैंने उसको आवाज़ लगाई, तो बोला- बस आ रहा हूँ.
फिर वो दो मिनट बाद वो बाहर आया.
उसका चेहरा कुछ थका सा था.
मैंने पूछा- इतनी देर क्यों लग गई?
वो बोला- कुछ नहीं बस.
मैं समझ गई कि वो अन्दर क्या कर रहा होगा. मैं सोच रही थी कि ये कुछ हरकत करेगा, लेकिन शायद वो अभी भी डर रहा था. उसकी यही बात मुझे उसके और करीब खींच लाई.
मैंने कहा- चलो टीवी देखते हैं.
उसने कहा- ओके.
मैं उसे अपने बेडरूम में ले गई … और टीवी ऑन कर दिया. वो टीवी ना देख कर मुझे देखे जा रहा था.
खैर उस वक़्त टीवी शो में कोई हॉरर मूवी चल रही थी, जोकि मुझे बिल्कुल पसंद नहीं होती.
रिमोट उसके हाथ में ही था.
मैंने कहा- कुछ और लगाओ.
तो उसने कहा- प्लीज़ यही चलने दो.
मैंने उसकी बात मान ली और कहा- मुझे डर लगता है इसलिए तुम मेरे पास को आ जाओ.
वो मेरे पास आ गया.
मूवी के डरावने सीन चलते रहे. अचानक से एक डरावना सीन आया और थ्री-डी एक्शन हुआ, तो मंप एकदम से डर गई और ‘उई अल्लाह..’ कहते हुए उससे लिपट गई.
वो हंसने लगा.
मेरे लिपटने से मेरे बड़े बड़े चूचे उसके सीने से जा लगे. मैं पहली बार किसी मर्द से लिपटी थी. मेरी सांसें उसके सीने पर चल रही थीं.
मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मैं शायद उस पर मर मिटी थी, सो मैं आंखें मूंदे उससे लिपटी ही रही.
उसने बोला- सीन खत्म हो गया.
मैंने कहा- ह्न्न् … प्लीज़ इसी तरह रहने दो न!
उसने मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया और बोला- मेरे रहते डर कैसा?
मैंने हल्की सी स्माइल दी. उसकी सांसें मेरे चेहरे पर मुझे महसूस हो रही थीं.
उसने पूछा- क्या मैं तुम्हारे गाल पर एक किस कर लूं?
अब मुझे उसके चूतियापने पर कुछ गुस्सा आ गया कि साला हॉट गर्ल को होंठों पर नहीं पूछ रहा, गाल पर चूमने की पूछ रहा है.
मैंने कहा- क्यों?
वो बोला- बहुत ही तुम्हारे गाल प्यारे लग रहे हैं.
मैंने- और क्या प्यारा लग रहा है.
उसने कहा- तुम्हारे होंठ.
मैं- ज्यादा प्यारा क्या लग रहा है?
उसने मेरी आंखों में झांकते हुए धीरे से कहा- होंठ.
मैंने कहा- तो होंठ पर किस क्यों नहीं करते.
उसने इतना सुनते ही अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. उसके होंठों का स्पर्श पाते ही मानो मेरे बदन में जैसे बिजली सी दौड़ गई थी.
मैंने अपना मुँह खोल दिया और उसने अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में डाल दी. हम दोनों एक दूसरे की ज़ुबानें आपस में लड़ने लगीं. उसका चेहरा ऊपर होने की वजह से उसके मुँह से थूक उसकी ज़ुबान से होकर मेरे ज़ुबान पर आ रहा था, जिसका टेस्ट बहुत ही मीठा था. मैं उसे सारे जूस को उसके मुँह से निचोड़ लेती रही.
अचानक से उसने अपने एक हाथ को मेरे मम्मों पर रख दिया. मेरी तो हालत और भी खराब हो गई. वो मेरे मम्मों को दबाता रहा और मेरे होंठों को चूसता रहा.
फिर वो रुका और बोला- सबा आई लव यू.
मैंने भी उसको किस करके बोला- लव यू टू जान.
फिर वो अपना मुँह मेरे सीने पर रगड़ने लगा. मैं उसके सिर को पकड़ कर अपने सीने पर ज़ोर से मसलवाती रही.
कुछ देर बाद उसने मेरा कुर्ता निकालना शुरू कर दिया. मैं एकदम मदहोश थी. मैंने आराम से अपना कुर्ता निकल जाने दिया. उसने मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और मेरे दोनों संतरों को आज़ाद कर दिया और एक को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा.
मैं एकदम से पागल हो गई. आज पहली बार किसी मर्द ने मेरे दूध को चूसा था.
वो रुका ही नहीं. बस मेरे सीने को चाटने में लगा रहा. फिर धीरे धीरे वो मेरे मम्मों से नीचे हुआ और मेरे पेट की नाभि में अपनी ज़ुबान घुमाने लगा. मेरी तो हालत और खराब होने लगी.
अचानक से उसने मेरी बुर पर हाथ रख दिया. मैं एकदम से ऐसे चिहुंक गई, जैसे मुझे बिजली का तेज झटका लगा हो. वो मेरी लैगी के ऊपर से ही बुर को मसलता रहा.
जल्द ही मेरी बुर से पानी निकलने लगा था.
करण नाम के उस मर्द ने मेरी बुर में अपने लंड की मर्दानगी कैसे दिखाई … ये मैं हॉट गर्ल की बुर चुदाई की कहानी के अगले भाग में लिखूंगी.
प्लीज़ मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए और मुझे मेल करना न भूलें.
आपकी प्यारी सबा.
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हॉट गर्ल की बुर चुदाई की कहानी का अगला भाग: हॉट गर्ल की बुर चुदाई की कहानी-2