नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम है लंड का पुजारी (काल्पनिक नाम)! मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और पिछले दो साल से छुपते छुपाते अन्तर्वासना लगातार पढ़ रहा हूँ!
अन्तर्वासना के परिवार से मेरी पहचान मेरे किसी दोस्त के ज़रिये नहीं बल्कि एक पोर्न वेबसाइट पर क्लिक करके गलती से हुई है और यह गलती मेरे गांडू सूखे जीवन में बहार बन कर आयी है!
अब तक मैंने अंतर्वासना की लगभग सारी चुदाई की कहानियां पढ़ ली है और कई बार इन्हीं कहानियों का ख्याल करके मैंने अपनी रात को हसीन बनाकर मुठ भी मार ली है! आज की मेरी यह कहानी शत प्रतिशत सच्ची एवं मनोरंजक है!
ख़ैर पहले मैं आपको अपने बारे में बताता हूँ,
मैं एक हिमाचली मध्यम वर्गीय परिवार का बेटा हूँ जिसे लंड का शौक न जाने कब से लग चुका है, और क्योंकि यह मेरी अंतर्वासना में प्रथम चुदाई की कहानी है इसलिए मैं सबसे पहले अपने पाठकों को अपने बारे में थोड़ा और विस्तार से बता देना चाहता हूँ!
मैं हिमाचल के कुल्लू ज़िले का रहने वाला हूँ (संक्षिप्त विवरण न दे पाने के लिए ख़ेद है)! मेरी उम्र 20 वर्ष है और मैं मेडिकल का स्टूडेंट हूँ! वर्तमान में मैं चंडीगढ़ के एक बहुत ही प्रसिद्ध संस्था से मेडिकल की कोचिंग ले रहा हूँ जहाँ पूरे भारत से बच्चे डॉक्टर बनने का सपना लेकर आते हैं!
मेरे घर में मेरी माँ, मेरा एक बड़ा भाई (जो अभी भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में इंजिनियर के रूप में कार्यरत है) और मैं हूँ! मेरे पिताजी का 14 साल पहले एक कार दुर्घटना में स्वर्गवास हो गया! बड़े भाई के मुंबई में होने के कारण घर में मैं और माँ हम दोनों ही रह गये हैं!
अब कद काठी की बात की जाए तो मैं 5 फ़ीट 10 इंच का बाँका नौज़वान हूँ! हल्का गोरे रंग का मेरा सुंदर चेहरा जब भी कोई देखता है तो बस देखता ही रह जाता है! मेरे काले काले मुलायम बाल मेरी ख़ूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं!
मुझे पहली बार देखने वाला कोई भी इंसान मेरे बालों की तारीफ किए बिना नहीं रह पाता, ख़ासतौर पर तब जब तेज़ हवा के झौंके मेरे बाल को हवा में लहराते हुए मेरी लुक को और भी मदमस्त बना देते हैं!
मेरे चेहरे की हल्की हल्की दाढ़ी, मेरी कातिलाना मुस्कान और मेरी सुरीली आवाज़ की हर एक लड़की दीवानी है, और हाँ कुछ बांके नौजवान लड़के भी! मेरा शरीर किसी जिम जाने वाले लड़के के जैसा ही है; मोटी मोटी भुजाएँ, एकदम फूली हुई छाती, माँसपेशियों से भरपूर मेरी टाँगें और फूली हुई गांड!
मुझे मर्दों में रूचि तबसे शुरू हुई जब एक बार मैं और मेरे बड़े भाई के स्कूल का दोस्त हिमांशु घर में अकेले थे! हिमांशु मेरे भाई से मिलने आया था लेकिन भाई के घर में ना होने के कारण वो मेरे साथ बैठ कर ही अपना दिन गुज़ार लेना चाहता था! क्योंकि मैं भी घर में अकेला होने के कारण काफ़ी बोर हो गया था इसलिए मैंने हिमांशु को अपने साथ ही कुछ देर बैठने को कहा!
हिमांशु ने झट से हामी भर दी क्योंकि वो भी बस किसी तरह अपना समय बिताना चाहता था! हिमांशु अंदर कमरे में बैठकर टीवी देखने लगा और मैं बाथरूम में नहाने चले गया!
मेरे बाथरूम से बाहर आते ही हिमांशु मुझे घूर घूर कर देखने लगा; दरअसल उस समय मेरे पूरे जिस्म में एक भी बाल नहीं था मतलब पूरा का पूरा चिकना! मुझे इस तरह देख कर हिमांशु हैरान हो गया और उसे भी पता नहीं चला कि कब उसका लंड पूरा का पूरा तन कर तंबू बन गया था! कोई चिकना लड़का हिमांशु ने भी पहली बार ही देखा था क्योंकि हिमांशु का जिस्म भी खुद बालों से भरा पड़ा था (बेशक थे तो छोटे बाल पर बहुत ही सुंदर)!
वैसे जब मैंने भी हिमांशु को पहली बार देखा था तो मुझे भी कुछ कुछ हुआ था क्योंकि वो एकदम गोरा और बहुत ही सुंदर लड़का था! उसकी झील सी गहरी गहरी आँखें, उसकी डिंपल वाली मुस्कान, उसके गोरे और गुलाबी पैर एवं उसकी मस्त बॉडी मुझे उसकी तरफ खींचती थी.
मुझे कुछ देर तक देखने के बाद हिमांशु चुपके से अपना लंड मसलने लगा! मैंने उसकी इस हरक़त को जानबूझकर अनदेखा कर दिया क्योंकि उस समय मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था!
फिर मैंने अपने कपड़े पहने और हिमांशु के साथ सोफा पर टीवी बंद करके बैठ गया! आजसे पहले मैंने कभी भी मर्दों के बारे में सोचा भी नहीं था और ना ही कोई ग़लत भाषा का प्रयोग किया था!
कुछ इधर उधर की बातें करने के बाद हिमांशु ने मुझसे पूछा- और बता यार तेरी कोई बंदी है क्या?
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि यह मेरा पहला अनुभव था, मैंने उसे जवाब दिया- नहीं!
बदले में मैंने उसे पूछा- आपकी तो होगी ही कोई?
यह सुनकर वो तुरंत बोला- नहीं यार कहाँ… तेरे जैसी चिकनी मिली ही नहीं कोई!
मैं हल्का सा मुस्कुरा दिया.
और फिर वो दोबारा बोला- अच्छा ये बता कभी सेक्स किया है या मुठ मारी है?
मेरा जवाब था- नहीं!
बदले में मैंने उसे पूछा- आपने सेक्स किया है क्या?
इस पर वो बोला- नहीं यार, कभी नहीं पर मुठ बहुत मारी है.
मैंने बस उसे देखा और हंस दिया!
इतने में वो बोला- इधर पास आ जा, इतना दूर क्यूँ बैठा है?
और उसके यह कहते ही मैं उसके पास जाकर बैठ गया और वो धीरे धीरे मेरे पास आता चला गया!
उसने मुझसे कहा- चल आज मैं तुझे सेक्स करना सिखाता हूँ.
मैंने बड़ी खुशी से कहा- ठीक है.
मेरा जवाब सुनते ही उसने मुझे कहा- चल मैं सोफा पर लेट जाता हूँ और तू मेरे ऊपर लेट जाना!
मेरे लिए ये सब नया था इसलिए मुझे बहुत मज़ा आ रहा था!
मैं झट से उसके ऊपर लेट गया जिससे मेरा और उसका लंड टच हो गया! लंड टच होते ही हम दोनों के लंड ने झटके मारे और उसने मुझे गले लगा लिया!
मैं उसको देख रहा था और मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे होंठ उसके होंठों पर जा कर उसके होंठों का रस पीने लगे! अब हम पागलों की तरह एक दूसरे तो चूमने लगे और वो जीन्स के बाहर से ही अपना लंड मेरी गांड में रगड़ने लगा! उसका लंड करीब 8 इंच का होगा जो मुझे मेरे पसंदीदा फल केले की याद दिला रहा था! एक बहुत ही मोटा केला जिसके साथ मैं बहुत खेलना चाहता था!
इसी तरह हमारे होंठों का मिलन 10 मिनट तक चलता रहा!
फिर उसने अपनी जीन्स उतारी और मेरे कैपरी के ऊपर से ही अपने अंडरवीयर में छुपे लंड को मेरी गांड में रगड़ने लगा! उसका लंड किसी साँप की तरह हुंकार मार रहा था! मैंने कुछ देर तक उसका लंड अपने हाथ से दबाया और वो मेरे चूतड़ दबाने में लग गया!
इतने में ही गेट खुलने की आवाज़ आई और हम दोनों रॉकेट की स्पीड में उठे और कपड़े पहन लिए!
दरवाज़ा खोला तो देखा कि मेरी नानी मेरे घर आई थी! उस समय मुझे जितना गुस्सा अपनी नानी पर आया उतना शायद आज तक किसी पर नहीं आया होगा!
हिमांशु बस कुछ देर बैठा, कुछ बातें हुई और फिर वो अपने घर चला गया!
उस दिन के बाद हिमांशु मुझे बहुत बार मिला लेकिन अकेला कभी नहीं क्योंकि हिमाचल जैसी जगह में गे सेक्स के लिए सेफ प्लेस ढूँढना बहुत ख़तरनाक और मुश्किल है! जब भी हिमांशु मिलता मुझे आँख मार कर चला जाता और अपने लंड को मेरी तरफ करके थोड़ा खुजलाता जिससे मेरे अंदर लंड को देखने, उससे खेलने और उसे चूसने के लिए पागलपन सवार होने लगा!
उस दिन से लेकर आज तक ऐसा कोई भी मर्द नहीं होगा जिसे मैंने ग़लत नज़र से ना देखा हो! मैंने हर एक मर्द के लंड को चुपके से देखना शुरू कर दिया, उनके लंड के आकार का अनुमान लगाना शुरू किया और धीरे धीरे इंटरनेट की हर गे सोशियल नेटवर्किंग साइट पर अपना अकाउंट बनाना शुरू किया!
क्योंकि मैं हिमाचल में अपने संगीत के लिए काफ़ी प्रसिद्ध हूँ इसीलिए मैंने अपनी पहचान को गुप्त रखना ही उचित समझा! लेकिन फिर भी हिमांशु के साथ उस समय से लेकर अब तक मैं बहुत से लंड को अपने मुँह में ले कर उनके साथ खेल चुका हूँ, बहुत से जवान मर्दों के होंठों का रसपान कर चुका हूँ, बहुत से लोंडों के साथ स्काइप सेक्स भी कर चुका हूँ पर अभी तक मुझे कोई ऐसा आशिक नहीं मिला था जिसके साथ मैंने पूरी एक रात बिताई हो और अपने सारे सपनों को पूरा किया हो!
इंतज़ार की घड़ियाँ काफ़ी लंबी थी पर वो समय भी जल्दी ही आ गया जब मुझे अपने सपनों का राजकुमार मिला जिसका नाम था ‘अर्जुन सिंह’
हिमाचल में अक्सर ही पंजाब से बहुत से लोग कोई ना कोई काम की तलाश में हिमाचल आते रहते हैं क्योंकि हिमाचल पर्यटन की दृष्टि से धरती पर जन्नत है! ऐसे ही एक पंजाबी परिवार से हिमाचल में अपने पुरखों द्वारा बसाए हुए ऐनक (चश्मा) के कारोबार को एक नयी दिशा देने के लिए अर्जुन पंजाब के एक गाँव से ज़िल्ला कुल्लू आया था!
अर्जुन के परिवार वाले लगभग पिछले 10 सालों से अपने चश्मे के व्यापार को पूरे हिमाचल में फ़ैला चुके थे! ग़ौरतलब यह है कि अर्जुन के परिवार वाले मेरे ही चाचा के गेस्ट हाउस में रुकते थे और धीरे धीरे उसके परिवार वालों ने मेरे ही घर के सामने कमरा किराये पर ले लिया था!
इसी तरह धीरे धीरे उसके पिता और उसके चाचा का हमारे घर में आना जाना शुरू हो गया और हमारी उनसे पहचान बहुत अच्छी हो गयी! उस समय तक वहाँ केवल अर्जुन के पिता और उसके चाचा ही रहते थे व तब तक ना हम अर्जुन को जानते थे और ना ही अर्जुन हमें!
फिर वो समय आया जब अर्जुन के चाचा को अपनी बीमारी के कारण पंजाब वापिस जाना पड़ा और उनके बदले ज़िल्ला कुल्लू में प्रवेश किया अर्जुन सिंह ने!
अर्जुन एक देसी पंजाबी, अच्छी कद काठी वाला, मनमोहक एवं आकर्षक चेहरे वाला 24 साल का नौज़वान था!
क्योंकि अर्जुन दो साल बैंकाक थाइलैंड भी रह चुका था इसलिए अर्जुन ने अपनी पगड़ी उतार कर अपने बाल कटवा लिए थे और उसके यही बाल उसकी खूबसूरती को 14 चाँद लगाते थे!
अर्जुन लगभग सभी पंजाबियों की तरह ही बहुत ठरकी था और हर लड़की को देख कर उसे पेलने का मन बना लेता था! अब क्योंकि अर्जुन बहुत ही ज़्यादा सुंदर और आक़र्षक था इसीलिए गाँव की हर लड़की उससे इश्क़ मोहब्बत करने के ख्यालों में खो जाती! अर्जुन की एक ही गाँव में लगभग 10 प्रेमिकाएँ थी जिनको अर्जुन हर रोज़ ताड़ता रहता था और वो लड़कियाँ भी इसे अपनी खुशकिस्मती समझती कि अर्जुन जैसे लड़के उन्हें ताड़ रहे हैं!
लेकिन अर्जुन के आने के एक हफ्ते बाद आख़िर वो समय आ ही गया जिसके लिए मैं उस दिन से ही इंतज़ार कर रहा था जब मैंने अर्जुन को पहली बार देखा था!
अर्जुन के पिता ने उसकी हमारे परिवार से जान पहचान करवाई और इस तरह अर्जुन और मैं बहुत अच्छे दोस्त बन गये जबकि वो मुझे उम्र में 5-6 साल बड़ा था! हमारी ये दोस्ती धीरे धीरे और गहरी होती गयी और अब अर्जुन मुझसे हर उस लड़की की बात करता था जिसे देख कर वो अपनी आँखें सेका करता था!
एक ओर अर्जुन उन लड़कियों को देख कर मुझसे उन्हे पटाने के तरीके पूछा करता था तो वहीं दूसरी ओर मेरे मन में उन लड़कियों के लिए सिर्फ़ गुस्सा और गुस्सा ही भरा था! मैंने भी अभी तक अर्जुन के सामने कभी अपने ख़्वाब ज़ाहिर नहीं किए थे क्योंकि हिमाचल में किसी भी मर्द को इतनी आसानी से सेक्स के लिए नहीं पूछा जा सकता वो इसलिए क्योंकि हिमाचल में अभी भी गे सेक्स गिने चुने ही होते हैं और वो भी अगर दुनिया में पता चल जाए तो समझो पूरी उम्र भर के लिए शरम से सिर झुकना तय!
लेकिन कैसे अर्जुन और मेरी यह दोस्ती उस हसीन रात में कैसे तब्दील हुई यह जानने के लिए ज़रूर पढ़िए इस कहानी का अगला भाग और मेरी यह पहली एवं असली गे सेक्स स्टोरी कैसी लगी मुझे मेल करके ज़रूर बताएँ!
आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा! आपका प्यारा लंड का पुजारी!
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