सोसाइटी वाली भाभी की चूत चुदाई

सोसाइटी वाली भाभी की चूत चुदाई


Xxx हिंदी भाभी पोर्न कहानी मेरे पड़ोस में आई एक नई भाभी की है. मुझे लगा कि भाभी लौड़े के नीचे लेने लायक माल हैं. तो मैंने उनको पटाने की योजना पर काम शुरू किया.
नमस्ते, मैं गुजरात से राघव हूँ. मेरी उम्र 25 साल की है.
मैं आपको जो Xxx हिंदी भाभी पोर्न कहानी बताने जा रहा हूँ, वह दो साल पहले की एक सच्ची घटना है.
उस समय मेरी सोसाइटी में एक नई भाभी रहने आई थीं.
मुझे वे बड़ी ही मस्त आइटम सी लगी थीं.
उनकी उम्र करीब 27 साल की थी और उनका एक बच्चा भी था.
भाभी उनके पति और एक बेबी मतलब तीन लोग ही रहते थे.
वे दिन पर दिन मुझे बहुत हॉट लगने लगी थीं.
मुझे उनको देख कर ही मन हो गया था कि भाभी लौड़े के नीचे लेने लायक माल हैं.
अब मैं उनको सैट करके चोदने की सोच रहा था कि भाभी को कैसे पटाऊं.
मैंने भाभी को पटाने के लिए सबसे पहले उन पर नजर रखनी शुरू की ताकि मैं उनकी दिनचर्या समझ सकूँ और उसी के अनुसार भाभी को सैट करने की प्लानिंग करूं.

तब मैंने देखा कि वे रोज शाम को अपनी सहेली के साथ छत पर बैठा करती थीं.
मैं भी अपने घर की छत से उनको लाइन मारने लगा था.
थोड़े ही समय में उन्हें पता चल गया कि मैं उनको लाइन मार रहा हूं.
ऐसे थोड़े दिन तक मैंने भाभी को लाइन मारी.
एक दिन सर्दी ज्यादा थी तो सब सोसाइटी वाले लोगों ने अपने घर के दरवाजे बंद कर रखे थे.
मैं भाभी के घर के पास खड़ा हो गया.
वे जैसे ही बाहर आईं, मैंने उनको अपना फोन नंबर दे दिया और उनसे कॉल करने के लिए बोला.
नंबर देकर मैं इस बात का इंतजार कर रहा था कि कब भाभी का कॉल आए और मैं उनसे बात करूं.
पर उनका कॉल नहीं आया.
अगली सुबह 11 बजे एक नए नंबर से कॉल आया तो मैं समझ गया कि यह उनका ही कॉल होगा.
मैंने लपक कर कॉल उठाया.
सामने से भाभी की आवाज आई ‘हैलो!’
मैंने भी हैलो कहा.
वे मुझसे पूछने लगीं- नंबर क्यों दिया था?
मैंने कहा- मुझे आपसे दोस्ती करनी है.
पहले तो वे बोलीं- मुझे किसी से दोस्ती-वोस्ती नहीं करनी.
वे फोन काटने ही वाली थीं कि मैंने कह दिया कि जब आपको दोस्ती नहीं करनी थी, तो फोन ही क्यों किया?
इस पर वे जरा सकपका गईं और लड़खड़ाती हुई आवाज में बोलीं- व्वो मैंने समझा कि तुम्हें कोई काम होगा!
मैंने कहा- यदि मुझे काम होता, तो मैं आपसे सामने से बात करता न! फोन नंबर क्यों देता?
वे कुछ नहीं बोलीं.
मैंने कहा- आप भी बात को समझने की कोशिश कीजिए कि मैं आपसे सिर्फ दोस्ती के लिए ही तो कह रहा हूँ … कोई गलत काम करने के लिए थोड़े ही कह रहा हूँ.
वे चुप रहीं और मैं समझ गया कि मेरा दांव चल गया है.
अब मैं उनसे थोड़ी देर इधर उधर की बात करता रहा.
फिर भाभी बोलीं- मैं अब बाद में बात करूंगी. अभी मेरी सहेली आ गई है.
मैंने भी नमस्ते कह कर फोन कट कर दिया.
फ़िर शाम को वापस उनका कॉल आया और हम दोनों बात करने लगे.
मैंने उनसे पूछा- भाभी जी आप एक बताओ कि क्या मैं आपको बुरा लड़का लगा हूँ?
वे कहने लगीं- नहीं, ऐसी तो कोई बात नहीं है.
इस पर मैंने वापस दांव खेलते हुए कहा- तो फिर मुझसे दोस्ती करने में आपको क्या दिक्कत है?
भाभी ने हंस कर कहा- ठीक है बाबा, मैं तुमसे दोस्ती करती हूँ.
चूंकि उन्होंने हंस कर कहा था तो मैंने भी उनसे हंस कर कहा- तो फिर कभी आओ हमारे घर?
वे हंसने लगीं और बोलीं- घर बुला कर क्या करोगे?
मैंने कहा- आप जो बोलोगी, मैं वो कर सकता हूँ. वैसे मैं तो आपको चाय नाश्ते के लिए बुला रहा था.
भाभी फिर से हंसी और कहने लगीं कि तुम बहुत शातिर हो.
मैंने कहा- भाभी जी, मैं बहुत अच्छा इंसान हूँ और आपको कभी दुखी नहीं करूंगा.
इस तरह से हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई.
अब वे छत पर जब अकेली होतीं तो मुझे हंस कर देखतीं और फोन पर मीठी मीठी बातें करतीं.
उनकी प्यास मुझे समझ आने लगी थी कि भाभी जी को लंड की जरूरत है.
एक दिन मेरे घर कोई नहीं था.
मैंने उनसे कहा- आप मेरे घर आ जाओ.
वे बोलीं- क्या खिलाओगे?
मैंने कहा- आप आएं तो सही, मैं आपको ताजे फल खिलाऊंगा.
वे बोलीं- फल में तो मुझे सिर्फ एक ही फल अच्छा लगता है.
मैंने कहा- क्या अच्छा लगता है.
वे बोलीं- तुम बताओ?
मैंने झौंक में कह दिया- केला.
वे हंसने लगीं और बोलीं- तुमको कैसे पता?
मैंने कहा- मेरे पास जादू की शक्ति है, मैं उससे समझ जाता हूँ कि सामने मेरी दोस्त को क्या पसंद है.
वे बोलीं- ऐसा जादू तो मुझे भी आता है.
मैंने कहा- अच्छा! तो बताओ फिर कि मुझे कौन सा फल अच्छा लगता है?
वे बोलीं- मुसम्मी!
मैंने मन ही मन समझ लिया कि भाभी तो सही पटरी पर दौड़ रही हैं.
तो मैंने कहा- अरे वाह भाभी जी आपको कैसे पता चला कि मुझे रसीली मुसम्मियां चूसने में बहुत मजा आता है?
वे हंसने लगीं और कहने लगीं- अब मैं तुम्हारे घर आकर बताती हूँ कि मैं ये सब कैसे जान जाती हूँ. अब बस तुम मुझे जल्दी से घर बुलाओ.
मैंने कहा- आपका स्वागत है. अभी ही आ जाओ मेरे घर में भी कोई नहीं है.
वे बोलीं- कैसे आऊं … कोई देख लेगा.
मैंने कहा- कोई नहीं देखेगा.
वे बोलीं- यार डर लगता है कि कहीं कोई कुछ कहने न लगे कि मैं तुम्हारे घर क्यों गई थी.
मैंने कहा- ओके आप ऐसा करना कि अपने घर से एक थैले में कुछ कपड़े लेकर आना. ताकि कोई देखे, तो उसे लगे कि आप कुछ काम से जा रही होंगी.
यह बात उनको जम गई.
वे मान गईं.
मैं भी बाहर का दरवाजा खोल कर घर के आगे वाले कमरे में खड़ा हो गया.
वे जैसे ही मेरे घर में आईं, मैंने दरवाजा बंद कर दिया और बिना एक पल की देर किये उन्हें पकड़ कर चुंबन करने लगा.
भाभी भी प्यासी थीं, तो मेरा साथ देने लगीं.
मैंने उनको बिस्तर पर धक्का दे दिया और उनके स्तन दबाने लगा.
साथ ही मैं भाभी के पूरे बदन पर हाथ घुमा रहा था.
चुंबन करते करते ही मैंने भाभी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
भाभी ने एक लोअर और टी-शर्ट पहन रखी थी.
मैंने उनकी टी-शर्ट को कमर से दोनों तरफ से उठाया और उनके सर की तरफ से उठाते हुए उतार दी.
उन्होंने भी अपनी टी-शर्ट ऐसे उतरवा ली मानो वो उन्हें चुभ रही हो.
टी-शर्ट को हटाते ही भाभी मेरे सामने एक काले रंग की ब्रा में आ गईं.
भाभी गजब माल लग रही थीं.
मैंने उनकी आंखों में देखा तो उन्होंने अपनी जीभ को अपने होंठों पर अश्लील भाव से फिराई और अपनी चूचियों को हिला कर कहा- मुसम्मी चूसोगे?
इस पर मैंने कोई जबाव नहीं दिया और उनकी ब्रा का एक कप नीचे करके उनकी चूची पर अपना मुँह लगा दिया.
भाभी की आह की मीठी सी आवाज निकल आई और वे मेरे सर को पकड़ कर अपने मम्मे चुसवाने लगीं- आह चूस लो देवर जी … बहुत दिनों से इनको किसी ने देखा ही नहीं है.
मैंने कहा- क्यों … भैया कुछ नहीं करते क्या?
वे बोलीं- वो यदि कुछ करते होते तो मैं तुम्हें फोन ही न लगाती!
अब मामला एकदम साफ हो गया था.
भाभी को लंड की दरकार थी और मैं उन्हें अपने शिकार के जैसे मिल गया था.
मतलब ये कि मैंने भाभी को नहीं फंसाया था, भाभी ने मुझे फंसाया था. उनका दांव चला था … न कि मेरा.
मैं सब भूल कर बस भाभी के स्तन चूसने लगा.
कुछ ही देर में मैंने उनको पूरी नंगी कर दिया.
उन्होंने भी मेरी शर्ट खोल दी.
भाभी ने मुझे अपनी बांहों में बाहर लिया और उनके हाथ मेरी पीठ पर घूमने लगे.
इस पोजीशन में उनके दोनों दूध मेरे सीने में गड़ रहे थे.
उसी दौरान भाभी का एक हाथ मेरे लौड़े पर आ गया.
मैंने कहा- पैंट खोल कर केला चूस लो भाभी!
भाभी बोलीं- मैंने पहले कभी नहीं किया.
मैंने कहा- ओके, फिर रहने दो.
वे बोलीं- सॉरी.
कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे को गर्म करते रहे.
फिर वे बोलीं- अब पेल दो.
उनकी चूत गीली हो गई थी.
मैंने चुदाई की पोजीशन बनाई और अपना लंड भाभी की चूत पर रख दिया.
उन्होंने भी अपनी टांगें फैला दी थीं और मेरे लौड़े को अपने हाथ से पकड़ कर चूत की गली में सैट कर दिया था.
मैं दाब देते हुए थोड़ा सा लंड अन्दर डाला, तो वे कराह उठीं- आंह यार … दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- क्यों हो रहा है?
वे बोलीं- मेरे पति के लंड से तुम्हारा बड़ा है … उसी वजह से दर्द हो रहा है.
फिर मैं धीरे धीरे करने लगा और साथ में भाभी को किस भी करने लगा.
मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया था और उसी समय मैंने एक जोर का शॉट मार दिया.
मेरा पूरा लौड़ा भाभी की चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
वे चिल्ला उठीं- उई मां मर गई … आह यार धीरे करो न … मेरी चूत चिर सी गई है.
मैंने इस बार उनकी बात को नजरअंदाज किया, लौड़े को जरा सा बाहर निकाला और फिर से ठोकर मार दी.
भाभी भी समझ गई थीं कि अब मैं जंगली जानवर बन गया हूँ … तो वे भी बस कराहती रहीं और लौड़े को अपनी चूत में अन्दर लेती रहीं.
थोड़ी देर में भाभी का दर्द कम हो गया.
और मैं अब फुल स्पीड में भाभी की चुदाई करने लगा.
थोड़ी देर में वे झड़ गईं.
फिर मैंने उनसे डॉगी स्टाइल में आने को कहा.
वे कुतिया बन गईं.
मैंने पीछे से उनके बाल पकड़ कर चूत में लंड डाला और जोर जोर से चुदाई करने लगा.
वे आह अह कर रही थीं.
दस मिनट तक धकापेल करने के बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने भाभी से कहा- कि कहां निकलूं?
भाभी- अन्दर ही निकाल दो.
मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया और उनके बाजू में गया.
कुछ समय बाद मैं वापस उनके स्तन दबाने लगा और उनको फिर से गर्म कर दिया.
मेरा लंड भी खड़ा हो गया.
इस बार मैंने भाभी के दोनों पैर अपने दोनों कंधों पर रखे और लंड को चूत में धीरे से सरका दिया.
उनकी चूत मेरे लौड़े की साइज़ के अनुसार खुल गई थी, तो इस बार भाभी को ज्यादा तकलीफ नहीं हुई.
हालांकि मैंने अभी सुपारे को ही पेला था.
भाभी को लगा कि लंड ने जगह बना ली है.
तो उन्होंने जोश में कह दिया- एक बार में ही पूरा पेल दो.
मैंने पूरे जोश में अपना लंड भाभी की चूत में पूरा पेल दिया.
वे एकदम से चिल्ला दीं और मैंने उनकी चुदाई करना चालू कर दी.
थोड़ी देर में भाभी को अच्छा लगने लगा और उनकी कामुक आवाजें निकलने लगीं- आह आह आआह … मजा आ रहा है.
वे इस बार पांच मिनट में ही झड़ गईं.
मैं उनकी चुदाई करता रहा.
फिर मैंने उनसे कहा- भाभी मैं नीचे लेटता हूँ, आप मेरे ऊपर आ जाओ.
वे मेरे ऊपर आकर चूत में लंड डाल कर धीरे धीरे मेरे लंड पर बैठ गईं और मैं दोनों हाथों से उनके दूध पकड़ कर दबाते हुए मसल रहा था.
कुछ देर बाद भाभी ने जो स्पीड पकड़ी, तो मैंने उनकी गांड पकड़ ली और नीचे से धक्के देने लगा.
इस तरह से चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था.
दस मिनट की चुदाई में वे थक गईं ओर बोलीं- तुम मेरे ऊपर आ जाओ.
मैंने कहा- ओके.
मैंने वापस मिशनरी पोज बनाया और भाभी के ऊपर चढ़ कर उनकी चूत में लंड पेल दिया और चुदाई करने लगा.
मैं फुल स्पीड में चुदाई कर रहा था और उनके स्तन भी चूस रहा था.
कुछ मिनट बाद मैंने भाभी से कहा- मैं निकलने वाला हूँ.
वे कहने लगीं- हां रस अन्दर ही निकाल दो.
मैं भाभी की चूत में ही निकल गया और उनके ऊपर ही लेट गया.
थोड़ी देर बाद भाभी बोलीं- अब मुझे जाना होगा. मेरा बेबी जागने वाला ही होगा.
वे उसे सुला कर आई थीं.
मैंने भाभी को किस किया और उनको घर जाने के लिए बोल दिया.
ये थी मेरी रियल वाली Xxx हिंदी भाभी पोर्न कहानी!
आपको कैसी लगी, मुझे कमेंट्स में बताएं.

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