साथियो, एक देवर भाभी चुदाई की कामुकता भरी कहानी किसी ने भेजी है आपको सुना रहा हूँ.. सीधे उसी की जुबानी मजा लीजिएगा।
मेरी शादी जुड़वें भाइयों में बड़े वाले लड़के से हो गई। मैं अपनी शादी को लेकर बहुत खुश थी। दोनों भाइयों की सूरत और बदन एक जैसे ही हैं। पहली बार में देखने से पता लगा पाना मुश्किल था।
खैर.. शादी हो गई।
दूसरे दिन मेरी सुहागरात थी और एक नए जीवन की शुरुआत के लिए मैं और मेरा मन दोनों विचलित होने लगे। रात हो गई और सुहागरात शुरू हो गई।
हम दोनों के बीच सेक्स होना शुरू हो गया.. मगर मेरी कामुकता शांत होने के पूर्व ही वो झड़ने लगे और सेक्स करके बाथरूम में बैठ गए। मेरा अधूरा मन बेचैन होने लगा मगर चुप रहने के सिवाय कोई चारा नहीं था।
वो अपने कमरे में आकर सो गए और उनको नींद आ चुकी थी। मगर मेरी नींद उड़ गई और मैं करवटें बदलने लगी।
करीब एक घंटे बाद उठ कर मैंने बाथरूम के लिए दरवाजा खोला, तो दंग रह गई। छोटा भाई हमारी सुहागरात देख रहा था। दरवाजा खुलते ही वो बाथरूम में भाग कर घुस गया, मैं उसके निकलने का इन्तजार करने लगी।
काफ़ी देर तक जब वो बाहर नहीं आया तो मैंने खुद दरवाजे के पास जाकर खटखटाया और कहा- मैं किसी को नहीं बताऊंगी कि तुमने क्या देखा, प्लीज़ दरवाजा खोल कर बाहर आ जाओ।
मगर दरवाजा नहीं खुला, कुछ देर बाद सांकल खुलने की आवाज़ आई और मैं दरवाजा में धक्का मार कर अन्दर आ गई। मैंने देखा उसकी पेंट नीचे खिसकी हुई थी और अंडरवियर नीचे थी। वो अंडरवियर उठाने के लिए झुकने लगा मैंने दरवाजा बंद कर दिया, उससे कहा- यदि मेरा कहना नहीं मानोगे तो मैं शोर मचा दूँगी।
वो कुछ नहीं बोला और चुपचाप हामी भर दी।
मैंने कामुकता के अधीन होकर उसके लंड को धीरे से अपने हाथ में ले लिया और आगे-पीछे करने लगी। वो भी मेरे बदन को, मेरी चूचियों को ऊपर से सहला रहा था।
कुछ ही पलों में मैंने अपने कपड़े उतार डाले और उसके बदन से लिपट गई।
देवर भाभी हम दोनों एक-दूसरे के होने लगे.. उसका लंड मेरे पति से ज़्यादा कड़ा और लंबा था। वो मुझे किस करता हुआ चुत तक आ गया। मैंने एक पैर उसके कंधे पर रखा तो वो चूत चाटने लगा और अपनी उंगली अन्दर डाल कर सेक्स का मज़ा देने लगा।
मैं उसके सर को पकड़कर बालों में उंगली फेरने लगी। वो मस्त होकर चुत चाटने लगा, इससे मेरी चुत गीली होने लगी और मैं एकाएक काँपने लगी। वो चुत चाट कर उठा और लंड को मेरी चुत में डाल कर कमर पकड़ कर धक्के मारने लगा।
कुछ ही देर में मैं झड़ने लगी। वो काफी समय तक मुझे चोदने के बाद चुत में ही पूरा खाली होने लगा। अब मेरी कामुकता शांत हो चुकी थी.. और उसका लंड भी ढीला हो कर लटकने लगा।
मैंने कहा- अब दोनों किसी को नहीं बताएंगे कि आज रात क्या हुआ था।
उसने हंस कर मुझे चूम लिया।
फिर मैं अपने बिस्तर में आकर सो गई। सुबह उठे तो मेरे पति अपने काम में लग गए। मुझे अपने कमरे और घर की सफ़ाई करनी थी। मैं सफाई करते हुए देवर के कमरे तक चली गई, वो लेटा हुआ था।
मैंने उसके गाल पर अपने हाथ को फेरा तो वो मुस्कुराने लगा।
‘कैसा लगा रात को?’
वो बोला- मज़ा आ गया भाभी.. और कब मिलेगा?
‘समय मिलते ही मैं खुद बुला लूँगी।’
दूसरे दिन पति देव बाहर अपने टूरिंग जॉब में 15 दिनों के लिए चले गए और मैं अब अकेली हो चुकी थी। इसी बीच 3-4 दिन बीत गए मगर फिर मेरी कामुकता जागृत होने लगी। रात को खाना ख़ाने के बाद मैंने देवर को आँख मारी, वो लपक कर मेरी तरफ आया।
मैंने मुस्करा कर कह दिया- रात को आना।
वो हंसते हुए चला गया।
रात को एक बजे मेरे देवर ने दरवाजा खटखटाया, मैंने दौड़कर दरवाजा खोला और उसे अपनी बाँहों में ले लिया। फिर वो दरवाजा बंद करके बिस्तर में आ गया।
हम दोनों एक-दूसरे के कपड़े उतारने लगे और मैं उसके अंगों से खेलने लगी।
वो मेरे बदन में हाथ फेरने लगा और मेरे चूचों को सहलाने लगा।
मैंने उसके लंड को अपने हाथों में ले लिया और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। वो लंड चूसने का मज़ा लेने लगा। मेरे सर को पकड़ कर बार-बार लंड को गले तक अन्दर-बाहर करने लगा। कुछ ही पलों में अपना माल गिराने लगा।
मैं उसके लंड को साफ कर उसके बदन को किस करने लगी। फिर 15 मिनट बाद उसका लंड कड़ा और बड़ा होने लगा। अब उसने मुझे बेड में लेटा दिया और दोनों पैरों को फैला कर चुत में जीभ डाल कर पीने लगा।
मैं जल्दी ही खाली होने लगी और मेरी चुत से माल गिरने वाला ही था कि मैंने उसे पकड़ लिया।
उसने अपना लंड मेरी चुत में डाल दिया और मेरी जोरदार चुदाई करने लगा। दोनों कुछ ही पलों में खाली होकर एक-दूसरे के बदन से लिपट कर सो गए।
आपको मेरी सीधी और सच्ची देवर भाभी की चुदाई की कहानी कैसी लगी, लिखिएगा।
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