एक तो कड़ाके की सर्दी, ऊपर से बारिश और साथ में ओले. स्कूटर पर आते आते जैसे शरीर में ठंड से अकड़न आ गयी थी. जिस्म भीगने से.. और सर्द हवा के कारण सर्दी से बुरा हाल था. जब स्कूटर पर चलते चलते सहन शक्ति जवाब देने लगी, तो एक साइड में रोककर.. पनवाड़ी से एक सिगरेट ली और उसे पीते हुए ऑफिस के सहकर्मियों की बातें सोचने लगा, जो इस भयंकर ठंड में घर जाकर अपनी अपनी बीवियों को चोदने की बातें कर रहे थे.
आखिर कल से दो दिन की छुट्टी थी और आज बारिश की वजह से जल्दी छुट्टी कर दी गयी थी. लगभग सभी सहकर्मी शादीशुदा थे और सबकी शादी नयी जैसे ही थी. महानगर की भाग दौड़ के कारण कोई बच्चों के चक्कर में न पड़कर, सिर्फ कमाने, खाने, जोड़ने और चोदने की सोचता है.
“यही तो मज़ा है ठंड का, घर जाकर नहा कर सीधे आरुशी की चूचियां पियूँगा, मस्त चूचियां है यार उसकी, आज मज़ा आएगा चुदाई का. जब लौड़ा उसकी गांड और चूत में जाएगा, तो सारी सर्दी भाग जाएगी, उसकी भी और मेरी भी. पिछले 20 मिनट में तीन बार मिस कॉल कर चुकी है, बस उसको उसके ऑफिस से लेकर सीधे घर और अगले ढाई दिन साला कच्छी तक पहनने नहीं दूंगा उसको.” अनिरुद्ध अपने लंड को खुजलाते हुए बोला था.
“मेरी वाली तो आज सुबह ही कह रही थी कि आपकी दो दिन की छुट्टियाँ हैं, मैं सारा घर का काम जल्दी निपटा कर रखूंगी, जल्दी आ जाना. उसे लौड़ा चूसने का बड़ा शौक है, चुदाई चाहे करनी हो या नहीं … पर हर रोज़ रात को जब तक लौड़ा नहीं चूस लेती है, उसे नींद नहीं आती, अपनी भी मौज है यार.” आकाश ने भी कह दिया था.
उनकी इन सब बातों को सोचते हुए मैं अपनी किस्मत को कोस कर रहा था कि मैं तलाकशुदा इन तीन दिनों में क्या करूंगा?
काम्या (मेरी पूर्व पत्नी) सुन्दर बीवी थी परन्तु उसे कैरियर बनाना था, जिसमें मैं उसकी बड़ी अड़चन था. इसलिए वो मुझसे तलाक लेकर विदेश चली गई.
खैर, सिगरेट खत्म हुई, मैंने भी स्कूटर स्टार्ट किया और अपने कमरे पर चला गया. पूरी तरह भीगने के कारण मुझे सर्दी ज्यादा लग रही थी. कमरे में जाकर एसी का हीटर ऑन किया और कपड़े निकाल कर अपने आपको तौलिये से पौंछ कर अपने कपड़े लेने अलमारी खोल कर देखा, तो याद आया कि आज सुबह ही सारे कपड़े धोबी को दे दिए थे, सिर्फ एक जोड़ी बची थी, उसे पहनकर मैली करने का मन नहीं हुआ. निक्कर और अंडरवियर देखे, तो वो बाहर सुखाने डाल कर गया था, इसलिए वो बारिश में गीले हो चुके थे.
यहाँ किसने आना है अब, सारे कपड़े अन्दर सुखा देता हूँ और लुंगी पहन लेता हूँ, जब तक लाइट है, तब तक तो ठंड लगेगी नहीं. फिर बिस्तर में लेट जाऊंगा, कल की कल देखेंगे. कुछ देर बाद बारिश रुक जाएगी, तो धोबी को फ़ोन कर दूंगा, वो कपड़े दे जाएगा. मैं अपने आप से बुदबुदाया.
मैंने कपड़े उतार कर लुंगी पहन ली. फिर चाय बनाकर पी और जो खाना पैक करवा कर लाया था, वो खा कर एक सिगरेट सुलगाई और टीवी ऑन किया ही था कि डोरबेल बजी.
मैंने सोचा धोबी होगा, शायद कपड़े देने आया होगा. दरवाज़ा खोला तो सामने बारिश से पूरी भीगी हुई काम्या की माँ यानि मेरी पूर्व सास पुष्पा उर्फ़ पूषी खड़ी थीं.
“बारिश के कारण मेरी स्कूटी बंद पड़ गयी और उसे एक मैकेनिक को देकर तुम्हारे पास आ गयी. यहीं मैडिटेशन सेंटर आई थी सुबह. असल में स्कूटी स्लिप हो गयी थी और पैर मैं कुछ चोट भी लग गयी है. मैं और कहाँ जाती बेटा, यहाँ से घर कितनी दूर है, तुम तो जानते ही हो.. और मैकेनिक स्कूटी कल सुबह देगा. तुम्हें ऐतराज़ न हो तो मैं यहाँ रुक जाऊं, वैसे भी घर पर अब कौन है?”
मेरी सास पूषी एक ही सांस में बोल गयी.
“आप अन्दर आ कर कपड़े बदल लो और अपने आप को सुखा कर कुछ खा पी लो.. बाद में सोचते हैं.” मैंने दरवाजा बंद करते हुए और सिगरेट मसल कर बुझाते हुए कहा.
मैंने सासू को ध्यान से देख कर तो लग रहा था कि जैसे वो किसी गहरे पानी में डुबकी लगा कर आई हों. उन्होंने अपना ओवरकोट, स्वेटर, साड़ी उतारी तो देखा कि उनके हाथ और कंधों पर हल्की चोट लगी थी.
मैंने उनको अपना तौलिया देते हुए कहा- आप ये तौलिया ले लो और बाथरूम में चली जाओ, मैं तब तक आपके लिए चाय बनाता हूँ.
कोई 15 मिनट बाद मेरी सास पूषी ने अन्दर से आवाज़ दी- बेटा, मुझे पूछते शर्म आ रही है, पर कोई कपड़े हैं, तो दे दो, मेरे सारे कपड़े गीले गए हैं.
“आज मेरे पास सिर्फ दो लुंगियां हैं, एक मैंने पहनी है, एक आप पहन लो, अभी तो और कुछ नहीं है मेरे पास. कहो तो किसी पड़ोस की आंटी से ले आऊँ?”
“नहीं.. वो लुंगी ही दे दो एक बार, सबको बतायेंगे तो कोई खामखा शक करेगा.”
मेरी सास लुंगी को चुचों से लपेटकर बाहर आ गईं. चाय पीते पीते भी उनकी ठिठुरन को देखते हुए मैंने हीटर भी ऑन कर दिया.
“आपको अजीब लगेगा, परन्तु आज मेरे सभी कपड़े धुलने गए थे. जो बचे थे वो गीले हो गए, एक अंडरवियर तक नहीं बचा और उस पर आप ऐसे बैठी हैं. आप कहें तो मैं कहीं बाहर चला जाता हूँ. आप यहाँ आराम से सोयें, वैसे भी ये सिंगल बेड ही है.” मैंने कहा.
पूषी कुछ नहीं बोलीं, बस चाय पीती रहीं और चाय खत्म करके कप रखने गईं.. तो लुंगी में उनकी गोल मटोल गांड देखकर मुझे अनिरुद्ध की बात याद आ गयी. कप रखकर वो पलटीं, तो उनके खुले नंगे कंधे, कांपते होंठ और लुंगी से बाहर आने को बेताब दोनों चुचियों को देखकर आकाश की बात याद आ गयी. बस मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया.
मैंने ध्यान से देखा तो मुझे लगा कि मेरी सास और काम्या में उम्र का अंतर होते हुए भी दिखने में ज्यादा फर्क नहीं है. बल्कि काम्या के मुकाबले बड़ी बड़ी चुचियां, चौड़ी गांड की वजह से मेरी सास ज्यादा सेक्सी लग रही थीं. या फिर कुछ मौसम और मेरे सहकर्मियों की बातों का असर था कि मुझमें चुदाई की तीव्र इच्छा जागृत हो गयी थी.
इस वक़्त मेरी सास मुझे आदर्श औरत लग रही थी, जो कि हर तरह से एक मर्द को खुश कर सकती थी. मेरा दिल कर रहा था कि दोनों की लुंगियां उतार कर काम्या की कमी आज पूरी कर लूं, पर संकोच हो रहा था.
मुझे विचारमग्न देखकर मेरी सास मुझे बोलीं- बुरा न मानो तो एक बात कहूं अशोक जी, मुझे नहीं लगता कि ये दोनों लुंगियां, जो हम दोनों ने पहनी हुई हैं इनकी कोई जरूरत है. सच्चाई तो ये है कि मेरी स्कूटी योगा सेंटर के पार्किंग लॉट में सुरक्षित खड़ी है और वहां से पैदल मैं जान बूझकर तुम्हारे पास ही आई हूँ. तुमने जहाँ पर रुक कर सिगरेट पी थी, मेरा योग सेंटर उसके ठीक सामने है, वहां तुमको देखकर मुझे यहाँ आने का ख्याल आया और तुम्हें ऐसे लुंगी में नंगे बदन देखकर मुझमें कामवासना हावी हो गयी है. तुम्हारे और काम्या के तलाक के बाद एक दिन उसके लैपटॉप में मुझे तुम्हारी दोनों की कुछ फोटोज मिली थी, जिसमें काम्या और तुम एक दूसरे को मुखमैथुन का सुख दे रहे थे. उस दिन से मुझमें तुम्हारे साथ सेक्स करने की इच्छा हुई और काम्या पर दुःख आया कि उसने कैरियर के लिए इतना अच्छा पति छोड़ दिया. तुम्हारे खड़े लंड को मैं यहाँ से देख सकती हूँ, इसको इस नामुराद लुंगी से आज़ाद करो और अगले तीन दिनों तक इसको मेरी चूत में, मेरे मुँह में समां जाने दो. मेरी चूत काम्या जितनी टाइट तो नहीं है, पर मैं उससे कहीं ज्यादा मज़ा दे दूंगी, चाहो तो मेरी गांड भी मार लो, पर मना मत करना. मैं पिछले 10 साल से तड़प रही हूँ और तुम भी पिछले तीन साल से अकेले हो. आओ मेरे लाल, अपनी एक्स सास को अपनी रखैल बना लो, पेल दो मेरी चूत में अपना लंड. मेरे चुचों को मसल मसल कर लाल कर दो, अपने आठ इंच के लंड से इन चुचियों को भी चोद दो. मेरी गांड को फाड़ दो मेरे मुँह में अपना माल छोड़ दो. मेरी तड़प को बुझा दो मेरे लाल … तुम जब कहोगे मैं यहाँ तुम्हारे लंड की सेवा करने आ जाऊंगी, कुछ तो रहम करो बेटा, इस ठंड में मैं ठिठुर रही हूँ और तुम गर्म रॉड जैसा लंड लेकर भी सोच रहे हो.
इतना बोलकर उन्होंने अपनी लुंगी उतार दी और मेरे पास आकर अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिए, फिर मेरी लुंगी उतार कर फेंक दी. कड़क लंड को सहलाते सहलाते उनकी जीभ मेरी जीभ से कुश्ती लड़ रही थी. मैं भी खड़ा हो गया और लिपकिस करते करते एक हाथ पूषी की गांड पर हाथ फेरने लगा और दूसरा हाथ उनकी नंगी पीठ पर फेरने लगा. ऐसे लग रहा था, जैसे हम दोनों सदियों से प्यासे हों … और पहली बार यूँ नंगे होकर लिप किस कर रहे हों. हमारे बदन एक दूसरे से ऐसे सटे हुए थे, जैसे दोनों एक दूसरे में समां जाने वाले हों. मेरी सास एक हाथ से मेरा लंड सहला रही थीं और दूसरे हाथ से मेरे बाल पकड़ कर सिर पर हाथ फेर रही थीं.
एक अजीब सी मदहोश करने वाली महक आ रही थी उनके जिस्म से, जो मेरी उत्तेजना और बढ़ा रही थी. ऐसे लग रहा था कि लिपकिस करने का कोई कम्पटीशन चल रहा है और हम उसको जीतने का इरादा लेकर ही उतरे हैं.
मैंने उनके होंठों से सरक कर उनके गालों को चूमना चाटना शुरू किया और उनके गले से होकर जैसे ही उनके कंधों पर पहुंचा, तो उनके बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी.
“हाय मेरे लाल, इतना मज़ा अभी से आ रहा है, अभी तो तूने शुरुआत ही की है. अपनी इस सास को आज तृप्त कर दे मेरे लाल.. आह्हह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उय्य्य्य.. ऐसे इन गालों को, इस गले को, इन कंधों को तेरे ससुर ने भी इस तरह नहीं चूमा.. जैसे तू चूऊम रहा है.. हाय ऐसे ही लगा रह मेरे शहजादे.. अभी मेरी बड़ी बड़ी चूचियां, मेरी कमर तेरा इंतज़ार कर रही हैं.. हाय आह्ह आह..”
पूषी से ज्यादा सब्र नहीं हुआ तो उन्होंने मेरा सर पकड़ कर अपनी चुचियों पर लगा दिया और मैं भी उनकी दोनों चुचियों में खोकर उनको मसले जा रहा था. उनके काले काले निप्पल चूस रहा था. अचानक मैंने उनको उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और उनकी कमर को चूमने लगा. उत्तेजना से वो इधर उधर पलटी मारने की कोशिश कर रही थीं, पर खुद ही सीधी भी हो जाती थीं. बीच बीच में मैं उनके पेट, चुचों और कंधों को भी चूम रहा था ताकि उनको और उत्तेजना आये और वो ऐसे ही बेकरार रहें.
मेरी सास बिस्तर पर लेटने के बाद और ज्यादा सेक्सी लग रही थीं. मेरा मन बार बार उनकी चूत को चाटने का कर रहा था, परन्तु उनकी बड़ी बड़ी गोरी चूचियां और उन चुचियों पर बड़े बड़े काले निप्पल मुझे बार बार अपनी ओर बुला लेते थे. मेरी सास ने अपने सारे बाल हटा कर अपनी चूत बिल्कुल चिकनी कर रखी थी, पर मेरा मन था कि उनकी रसीली चुचियों और कमर से हट ही नहीं रहा था.
“बेटा, इन चुचियों को आज ही फोड़ देगा या कोई रहम भी करेगा. देख तेरे लिए चूत कितनी चिकनी बना कर लायी हूँ.. इसका भी उद्धार कर दे या पहले मुझे अपना लौड़ा चूसने दे.” मेरी सास ने कहा.
“चुपचाप लेटी रहो सासु माँ, अभी तेरी चूत का भी नंबर आएगा पहले तेरी चुचियों का भला तो कर दूं, इतनी मस्त चूचियां हैं तेरी कि मन ही नहीं भर रहा, दिल करता है कि इनको ऐसे ही चूसता रहूँ बस.”
मैं मेरी सास को अनसुना करते हुए अपने काम में लगा रहा. जब तक की उनकी चूचियां टमाटर जैसी लाल नहीं हो गईं.
फिर मैंने अपनी जीभ को उनकी चूत पर लगाया और उनकी चूत को दाने को चूसने लगा, जिससे वो जल्द ही उत्तेजना के ज्वालामुखी पर सवार हो गईं. फिर उनकी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा, तो कुछ ही देर में वो झड़ गईं. उनके झड़ने के बाद मैं उनकी जाँघों को चूमने लगा जिससे पूषी और कसमसाने लगीं और फिर से दोबारा मैंने अपना ध्यान उनके चुचों पर लगा दिया.
अपने चुचे चुसवाते हुए मेरी सास बोलीं- बेटा अब तो एक बार मिलन करवा दे दोनों का, सिर्फ एक बार मेरी चूत में अपना लंड घुसा दे, फिर चाहे कितनी भी देर ऐसे ही मेरे बदन से खेलते रहना. देख मेरा अच्छा दामाद है न, प्लीज, सिर्फ एक बार चूत लंड का मिलन करवा दे, मुझ पर रहम कर.
“अभी कहाँ सासु माँ, अभी तो मुझको तेरे इस भड़कीले बदन से और खेलना है, पर अभी मैं थोड़ा थक गया हूँ, तू एक काम कर.. मैं लेटता हूँ, तू कुछ देर लौड़ा चूस, देख ये तेरे को बुला रहा है.” यह कह कर मैंने एक सिगरेट सुलगाई और लम्बा कश खींच कर सासू के दूध पर छोड़ दिया.
अब मैं लेट गया और वो मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगीं, पर उनको भी लौड़ा चूसने की जल्दी थी, इसलिए उन्होंने मुझसे सिगरेट ली और एक कश खींच कर सीधे मेरे लौड़े को मुँह में लिया और पूरे गले तक अन्दर लेकर चूसने लगीं. कभी वो लिंगमुंड को अपनी जीभ से सहलातीं, कभी अपने होंठों से और कभी लंड को पूरा अन्दर तक गले तक ले जातीं. साथ ही वे सिगरेट का मजा भी लिए जा रही थीं. मुझे इस वक्त अपनी सास एक ऐसी पोर्न एक्ट्रेस लग रही थीं, जो ब्लोजॉब देते समय सिगरेट का धुंआ लंड पर छोड़ती जाती है.
वाकयी मेरी एक्स सासू माँ लंड चूसने में पूरी उस्ताद थीं. उनकी लंड चुसाई से मैं हतप्रभ था. न तो उन्होंने मेरे लंड का पानी छूटने दिया और न ही लंड को चूसना छोड़ा.
आप यकीन मानिए कि पूरे 25 मिनट तक वो मेरे लंड को चूसती रहीं और इस दौरान उनका पानी खुद की चूत में उंगली कर लेने से निकल गया था, जिस वजह से वे पूरी मस्ती से मेरे लंड को सुख दे रही थीं. मैं दूसरी सिगरेट सुलगा कर आराम से लेटे लेटे लंड चुसाई का मज़ा लेता रहा.
फिर उन्होंने ऊपर आकर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रख दिया और बोलीं- अब इसको चूस मेरे लाल, इसको इतना चूस कि मेरी चूत का दाना लाल हो जाए, मेरा पानी छूट जाए और मैं बस हवस की अंधी होकर तेरे लौड़े से इस चूत को निहाल कर दूं.
मैंने अपने हाथ अपने सर के नीचे रखे और आराम से उनकी चूत और चूत के दाने को बारी बारी से चाटने लगा. कुछ ही देर में वो दुबारा झड़ गईं और मैंने खड़े होकर अपना लंड उनके मुँह में दुबारा दे दिया और उन्होंने भी अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए मेरे लंड को चूस चूस कर पूरा खड़ा किया और उसे थूक से सराबोर करके तैयार कर दिया.
फिर वो कुतिया की तरह बिस्तर पर पोजीशन बना कर बोलीं- आ मेरे कुत्ते, अपनी इस कुतिया की चूत को अपने लंड से निहाल कर दे, आ मेरे लाल.
मैंने भी कुत्ते की तरह उनकी चूत में लंड डाल कर जोर जोर से झटके मारना शुरू किए और उनकी गांड पर दोनों हाथों से बारी बारी तमाचे मारने शुरू कर दिए ताकि वो अपनी चूत टाइट करती रहें और अपनी गांड ऊपर उठाती रहें.
वो भी कुतिया की तरह अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड का मज़ा ले रही थीं.
पूरे आधा घंटा उनकी चूत पेलने के बाद जब हम दोनों झड़ गए तो मैं बिस्तर पर उनकी चुचियों में अपना सर घुसा कर लेट गया और वो भी प्यार से मेरा सर सहलाते हुए अपनी चूचियां चुसवाने लगीं.
कुछ देर बाद वो बोलीं- जमाई राजा जी, लंड को साफ़ करने दो, थोड़ा हटो.
इतना बोलकर उन्होंने मेरे बैठे हुए लंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और चूस चूस कर उसे फिर खड़ा कर दिया.
जब लंड पूरी तरह खड़ा हो गया तो मुझे लिटा कर वो मेरे ऊपर चढ़ गईं और अपनी चूत मेरे लंड पर रख कर उछलने लगीं.
जहाँ उनके उछलने से मुझे लेटे लेटे ही चुदाई का आनन्द मिल रहा था, वहीं उनकी उछलती हुई बड़ी बड़ी चूचियां लंड में और उबाल ला रही थीं. अपनी आंखें बंद किये अपने बालों में हाथ रखकर वो मेरे लंड पर ऐसे उछाल मार रही थीं, जैसे आज पहली बार चुदाई का आनन्द ले रही हों. उस पर उनकी उछलती हुई चूचियां और बिना बालों के उनके हाथ और चौड़े कंधे और उत्तेजना बढ़ा रहे थे.
पता नहीं कितनी देर वो मेरे लंड पर उछलती रहीं, पर न तो मैं झड़ा और न ही वो.
फिर वो बिस्तर पर सीधी लेट गईं और मैंने उनकी दोनों टांगें अपने कन्धों पर रखकर उनकी चूत मारनी शुरू की. कई मिनट बाद हम दोनों झड़ गए, पर मैंने चोदना जारी रखा, जिसकी वजह से लंड दुबारा खड़ा हो गया और मैंने दोगुने जोश से उनकी चूत को पेलना जारी रखा.
काफी देर तक चोदने और हम दोनों के दो दो बार और झड़ने के बाद मेरा लंड उनकी चूत से बाहर आया. फिर मैंने उनसे अपना लंड चुसवा कर साफ़ करवाया और उनकी चूत चाट कर साफ़ की. फिर गले मिल कर हम नंगे ही सो गए.
सुबह लगभग 5.30 बजे मेरी नियत टाइम पर नींद खुली, तो मैं अपना ट्रैक सूट जो अब तक सूख चुका था, उसको पहन कर घूमने निकल गया. दो घंटे की दौड़ लगाने के बाद और दूध ब्रेड लेकर जब वापस आया, तो मेरी सास उठकर नहाने गयी हुई थीं.
मैंने दरवाज़े को बंद किया और चाय-ब्रेड बनाकर तैयार की ही थी कि मेरी सास नहा कर सिर्फ तौलिया लपेटे बाहर आ गईं.
चाय पीते हुए मैंने कहा कि मैं भी नहा लूं, तब तक आप तेल लगा कर तैयार रहो, बाथरूम से आकर चुदाई शुरू करते हैं. मेरा लंड तो आपको इस तौलिये में देखकर बेचैन हो रहा है.
पूषी बोलीं- हां जल्दी आओ, मैं भी चुदने के लिए पिछले एक घंटे से बेचैन हूँ, तेरा लंड इतना सुहावना है कि मन ही नहीं भर रहा, पता नहीं काम्या बेटी को अपना कैरियर विदेश में ही क्यों बनाना था, यहाँ रहती तो लम्बे लंड का मजा भी लेती रहती और कैरियर भी बना लेती, खैर काम्या न सही, काम्या की माँ की किस्मत में इस लंड का मज़ा लिखा था.
मैंने अपनी सास को एक प्यारा सा चुम्बन दिया और बाथरूम में घुस गया. फ्रेश होकर नहा कर बाहर आया और नाश्ता करके जैसे ही खड़ा हुआ, मेरी सास ने मेरा लंड पकड़ा और घप से अपने मुँह में ले लिया. बस “चप चप चप..” की आवाज़ करते हुए लंड जोर जोर से चूसने लगीं.
काफी देर लंड चूसने के बाद वो अपनी टांगें फैला कर बोलीं- आ जा जमाई राजा.. फाड़ दे इस चूत को.. अपने लौड़े से, तेरी सास इस सर्दी में तुझे तन्हा नहीं छोड़ सकती, मुझे अपने बदन से लिपटा कर रख और मेरी चूत मेरी गांड को बस पेलता रह.. आह्ह आ जा मेरे राजा.
मैंने भी पूरे जोर से उन पर चढ़ाई शुरू कर दी और हम दोनों थककर लेटने से पहले एक बार झड़ गये.
पूरी तीन रातों और ढाई दिन तक मैंने अपनी सास के साथ नंगे रहकर चुदाई का आनन्द लिया और इस पूरे समय मुझे ये लगा ही नहीं कि सर्दी नाम की कोई चीज़ भी है और मैं तलाकशुदा अकेला मर्द हूँ.
थोड़े ही दिन मैं मैंने अपना कमरा छोड़ दिया और मैं मेरी सास के साथ ही रहने चला गया, जहाँ हम एक लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं, जिसके बारे में काम्या को भी पता है और उसको भी कोई ऐतराज़ नहीं था बल्कि वो खुश थी कि उसकी माँ अकेली न होकर किसी साथी के साथ है.
मैं और मेरी सास पूरे 12 साल लिव इन रिलेशनशिप में रहे, जिसके बाद काम्या उसे अपने साथ ले गयी और मैंने भी एक तलाकशुदा से शादी करके घर बसा लिया.
आज भी उस सर्द शाम को याद करके लंड खड़ा हो जाता है और सोचता हूँ कि जीवन में कैसे कैसे पड़ाव आते हैं.
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