मैं अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज का एक नियमित पाठक हूँ और आप सभी पाठकों के मनोरंजन के लिए मैंने भी अपनी सेक्स कहानी इस बेहतरीन साईट पर पोस्ट की है.
मैं एक सीधा सादा देसी लड़का हूँ. शक्ल सूरत सामान्य है, कद पांच फीट सात इंच, रंग गेहुंआ, कद काठी अच्छी है.
तह कहानी जिस समय की है, उस वक्त मैं दिल्ली में रहता था, मैं वहां पर मैं कंप्यूटर की पढ़ाई करता था और बॉक्सिंग की कोचिंग लेता था.
अब आप सभी तो जानते ही हो कि बॉक्सिंग वाले बंदे का शरीर और स्टेमिना दोनों ही अच्छे होते हैं.
मेरा अपने रूम पर ज़्यादातर समय हाफ निक्कर और एक सेंडो बनियान, जो कि स्पोर्ट का पहनावा है, उसी में बीतता था फिर कुछ महीने गुज़रे कि सामने एक आंटी ने कमरा किराए पर ले लिया था. उन आंटी का पति कहीं जॉब करता था.
तब तक मुझे उन के और उन के परिवार के बारे में कुछ पता नहीं था. लेकिन आंटी एक दम मस्त सेक्सी माल थीं.. उन का रंग हल्का सा सांवला जरूर था, पर बड़ी दिलकश थीं. आंटी के होंठ थोड़े से भारी थे, बड़ी और तीखी आँखें थीं, उन में आंटी हल्का सा काजल लगा कर एक दम कामुक हिरनी सी दिखाई देती थीं. साथ ही आंटी ना ज़्यादा मोटी थीं, ना ज़्यादा पतली.. एक दम सेक्स बॉम्ब थीं. जो भी पहली नजर में आंटी को देखे, उस को बस आंटी को चोदने की सोचने लगे.
आंटी मेरे पड़ोस में रहने लगी थीं और मैं उन्हें देख देख कर मुठ मार लिया करता था. करीब डेढ़ महीना यूं ही गुजर गया. इस के बाद मुझे पता चला कि वो जॉब करती हैं, वे मयूर विहार में जाती थीं, सौभाग्य से मैं भी बॉक्सिंग करने उधर ही जाता था.
हालांकि मेरा रास्ता कुछ अलग था लेकिन जिस रास्ते से आंटी जाती थीं, उसी रास्ते से में भी जा सकता था लेकिन उस में मुझे 15 मिनट ज़्यादा लगते.
मैंने सोचा चुत के चक्कर के में क्यों ना 15 मिनट ज़्यादा ही लगा दिए जाएं. मैं आंटी वाले रस्ते से ही जाने लगा.
घर के पास एक पार्क था, शाम को मैं उधर घूमने जाता था. आंटी भी उसी पार्क में आने लगी थीं.. तो मैं अब उन आंटी से पार्क में थोड़ी बातचीत करने लगा था.
धीरे धीरे हम दोनों खूब बात करने लगे, साथ में जाने लगे. ऐसे ही हम को 2 महीने गुजर गए.
एक दिन आंटी और मैं दोनों बस से अपने गन्तव्य की ओर जा रहे थे यानि मैं बॉक्सिंग के लिए और आंटी अपनी जॉब पर… मैंने नोटिस किया कि आंटी कुछ दुखी सी थीं.
मैंने उं से पूछा- आंटी, क्या हुआ? आप बहुत उदास दिख रही हो?
आंटी ने कुछ नहीं बोला तो मैं बस रुकवा कर उनको साथ लेकर नीचे उतरा.
फिर हम दोनों एक रेस्तरां में चले गए, हमने वहां कॉफी पी. मैंने फिर पूछा कि क्या हुआ है तो उन्होंने बताया कि उनका पति 20 दिन से घर नहीं आया था, और अब कल आया तो उनके साथ लव नहीं किया.
मैं बोला- कोई बात नहीं.. तुम दुखी ना हो.. जब तक मैं हूँ, मैं तुम को खुश रखने की कोशिश करूँगा.
वो बोली- ऐसा नहीं है.
फिर मैंने उनको समझाया तो वो बोली कि मैं बेवफा नहीं हो सकती.
मैंने उनसे कहा- तुम बेवफ़ाई नहीं कर रही हो. मेरे साथ समय बिताने का मतलब बेवफ़ाई नहीं होता.
आंटी मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखने लगी. तो मैंने कहा कि तुम अपनी ज़िंदगी को जीना चाहती हो, इस में ग़लत क्या है? दिल तुम्हारा है, जान तुम्हारी है, तो फ़ासले और किसी के दिल से क्यों?
वो थोड़ी देर चुप रही.. फिर बोली- ओके.. अभी मेरे पति काम से नागपुर गए हैं.. तुम देर शाम को 10 बजे घर आना.. ओके!
मैं बोला- ओके.
आंटी के मुँह ये सुन कर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा. मैं फिर 10 बजने का इंतजार करने लगा. मैं आज आंटी का सुख लेने के लिए एक दम तैयार था. ठीक 10 बजे मैं उनके घर पहुँच गया. मैंने दस्तक दी तो उन्होंने कहा- दरवाजा खुला है, अन्दर आ जाओ.
मैं अन्दर आ गया तो उन्होंने कमरे से ही आवाज दी और मुझे सोफे पर बैठने का कहा.. मैं बैठ गया.
फिर वो कमरे के अन्दर से निकली. क्या माल लग रही थी यार.. उन्होंने एक झीनी सी मस्त काली और स्काइ ब्लू कलर की नाईटी पहनी हुई थी. उस में से उन की ब्लू कलर की ब्रा और पेंटी दिख रही थी, जिसमें वो बहुत ही मस्त लग रही थी.
उन्होंने पूछा- अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड को हमारे संबंधों का पता चल गया तो वो क्या कहेगी?
मैं बोला- अरे आंटी, मेरी तो कोई गर्लफ्रेंड है ही नहीं..
वो बोली- यार तुम इतने सेक्सी हो. फिर तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड क्यों नहीं है?
बस ऐसे बात करते करते पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों होंठों पर किस करने में लग गए. मैंने उन के होंठों पर किस किया तो बोली- लगता है तुमने पहले खूब सेक्स किया है.. तुम्हारी किस जबरदस्त है.. मुझे आज तक ऐसी किस किसी ने नहीं की.
मैंने बोला- छोड़ो वो सब…
मैंने उनकी ब्रा खोली, पेंटी खोली, उन्होंने भी मेरे कपड़े उतारे और पेंट खोल दी. अब उन्होंने मेरा खड़ा लंड देखा, जो सवा सात इंच लंबा और साढ़े तीन इंच मोटा है.
वो चुदास से भर कर बोली- वाह इतना बड़ा लंड.. पहले बता देते कि इतना बड़ा है तो मैं अपने पति से सेक्स ही ना करती.
मैं हंस दिया और बोला- कोई बात नहीं.. अब ये तुम्हारा है.
उन की चुत मस्त थी, हल्की सी सांवली और बस एक दम गहरी लाल रंगत लिए हुए थी.
मैं बोला- आंटी आप ने अपनी चुत में कब से लंड नहीं लिया?
वो बोली- पूरे 40 दिन हो गए.
मैं बोला- आज तुम्हारी सारी प्यास आप का ये सुपरमैन बुझाएगा.
वो बोली- ओके..
मैंने उन को लिटाया, आंटी की चुत खूब चाटी. उन के मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं. उन्होंने मुझ को कस के पकड़ लिया और अपनी चुत चटवाती रही. मुझे लगा कि वो शायद पहली बार चुत चटवा रही थी.
मैंने उन के मम्मों को चांटे मारे क्योंकि मुझे वाइल्ड सेक्स पसंद है.
वो बोली- वाउ… तुम मेरे काम के हो.. मुझे भी ऐसे ही क्रूर सेक्स करना पसन्द है.
मैं बोला- मैं तो ऐसे ही करता हूँ.
फिर मैंने उन को बालों से पकड़ कर उनके होंठों को चूसा, उन की चुत में उंगली डाल कर ज़ोर से हिलाई, वो अपने पंजों पर खड़ी हो गई. मैंने उनको बेड पर पटका, उन का मुँह नीचे किया.. उनके मुँह में अपना लंड पेल कर खूब धक्के लगाए.
उनका मुँह लाल हो गया था.. उन की चूचियां चांटे खा खा कर लाल और टाइट हो गई थीं. मैं उन की गांड पे भी चांटे मार रहा था. उन के मुँह में मेरा पूरा लंड घुसा था, जिस से उन के मुँह से थूक ही थूक बाहर आ रहा था.. मेरा लंड पूरा गीला हो गया था.
मैं उन के गले तक लंड पेल रहा था. हम दोनों अपने जंगली सेक्स में मस्त थे. फिर मैंने उन के कान की लौ को चूसा बैक पर खूब मस्त चाटा. फिर उन की चुत में उंगली करके उन के दाने को खूब हिलाया.. मैंने उन को खूब गाली दे रहा था. वो भी कह रही थी- आह.. वाइल्ड सेक्स करो.. गालियां दो.. मुझे मजा आ रहा है!
मैंने उन को खूब गालियां दीं, उन की चुत एकदम लाल कर दी.
फिर मैंने उन को घुटने पर बिठा कर लंड चुसवाता हुआ उन के मुँह पर थूका और फिर उनके मुँह पर चांटे मार के उन को बेड पर लिटा दिया, उन की टाँग उठा कर अपना मूसल लंड उनकी चुत पे धीरे धीरे से रगड़ा. वो मचलने लगी तो फिर मैंने तेज तेज रगड़ा. वो तो बस किसी तरह मेरा लंड अपनी चुत में घुसवाना चाहती थी. उन की हालत ऐसी हो गई थी- कुछ भी करो.. बस लंड घुसेड़ दो.
मैंने उनकी चुत में लंड डाला तो उन की हल्की सी चीख निकल पड़ी.
मैं बोला- मरवाएगी मुझे मादरचोद.. चुपचाप लेटी रह रखैल की तरह..
मैंने उन की चुत पर थूका, फिर धीरे लंड अन्दर किया.. लंड अन्दर गया तो लेकिन पूरा नहीं गया था. मैंने उतने ही लंड से उनकी चुत को पेलना चालू किया. मैंने सोचा धीरे धीरे लंड बाद में अन्दर डाल दूँगा.
फिर मैंने उन को धकापेल चोदना चालू किया. कुछ देर बाद मैं नीचे लेट गया और उन को अपने ऊपर ले लिया. मैंने लंड को नीचे से उन की चुत में पेलना चालू किया. फिर धीरे धीरे उन को साइड में लिटा कर सीधा किया और लंड से ज़ोर से झटके से अन्दर पेल दिया. उन की चुत से हल्का सा खून आने लगा.
हम आपस में खूब किस कर रहे थे. मैं उनको गालियाँ दे रहा था, खूब चांटे मार रहा था. फिर 6 या 7 ज़ोर के झटकों में मेरा लंड अन्दर घुस गया मगर उनकी चुत फट गई थी, उनको दर्द हो रहा था.
मैं रुका नहीं.. उन की आँखों से दर्द के मारे आँसू आ रहे थे. मगर मैं सारे आँसू पी गया और उन को गालियां देकर दस मिनट तक चोदता रहा. इस दौरान उन का दो बार पानी निकला. फिर मैं भी झड़ गया.. मैंने सारा माल उनके मुँह में डाला. उन्होंने मुँह में लंड का पानी डालने को कहा था.
पांच मिनट तक आराम करने के बाद आंटी उठी और फ्रेश हो कर मेरे पास आ कर लेट गई.
फिर हम दोनों एक साथ बिस्तर पर ही सो गए. हम ने उस रात में 2 बार और चूत चुदाई का मजा लिया.
इन दो बार की चुदाई का टाइम बहुत बढ़ गया था. आखिरी बार की चुदाई का राउंड पूरे 20 मिनट का था. हर बार आंटी ने इस चूत चोदन का भरपूर मजा लिया. वो मेरी चुदाई से काफी खुश दिख रही थी.
फिर सुबह 4 बजे मैं अपने घर आ गया. अगले दिन वो आंटी अपनी जॉब पर नहीं गई. मैं भी कॉलेज नहीं गया. दिन में हम दोनों घूमने गए, तब उन्होंने बताया कि आप में बहुत दम है.. बहुत ज़्यादा दम से चोदते हो.. आप का स्टेमिना भी कमाल का है.
मैं बोला- कोई ख़ास बात नहीं.. ये तो मुझे अच्छा लगता है.
उन्होंने बताया कि आप से सेक्स करके मुझे पता चला कि मुझे क्या चाहिए था. आप से जो भी सेक्स करेगी, सच्ची में उस को पता चलेगा कि सेक्स क्या होता है.. आप रियल में बहुत मस्त चुदाई करते हो.
मैं बोला- इतनी तारीफ ठीक नहीं.. नज़र लग जाएगी.
उन्होंने अपनी आँख से काजल का टीका लगा दिया और हम दोनों हँसने लगे.
बस जी, यही है.. जो भी है.. तब से जब भी मौक़ा मिले, हम दोनों खूब चुदाई करने लगे, हमारा यह अनैतिक यौन सम्बन्ध काफी लम्बे समय तक चला लेकिन अब हम दूर हो गए है, मिल ही नहीं पाते हैं.
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