Xxx विडो चुत गांड कहानी में पढ़ें कि भरी जवानी में विधवा होने पर मुझे सेक्स की जरूरत महसूस होने लगी थी. मैंने अपनी चुत और गांड कैसे मरवाई?
कहानी के पहले भाग
जवान विधवा की अन्तर्वासना
में आपने पढ़ा कि मैं भरी जवानी में विधवा हो गयी थी. पर बच्चे के भविष्य की खातिर मैंने दोबारा विवाह नहीं किया.
कुछ समय तो मैंने बिना सेक्स के बिता लिया पर उसके बाद मुझे सेक्स की जरूरत महसूस होने लगी थी.
मेरा एक दोस्त ऑनलाइन बना और एक दिन मैंने उसे अपने घर बुला लिया.
काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते रहे और फिर अमित जी मुझसे अलग हुए और मुझे बेडरूम में ले गए।
बेडरूम में लाकर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मुझे चुपचाप खड़ी रहने के लिए कहा।
मैं अपने दोनों हाथ नीचे किए चुपचाप खड़ी रही।
अब आगे चुत गांड सेक्स कहानी:
यह कहानी सुनें.
इसके बाद जैसे ही उन्होंने मेरे ब्लाउज का बटन खोलना शुरू किया.
शर्म से मेरी आंखें अपने आप बंद हो गई।
जल्द ही मेरा ब्लाउज भी मेरे जिस्म से अलग हो गया.
इसके बाद उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खीच दिया जिससे पेटीकोट सरक कर नीचे गिर गया।
अब मैं केवल पेंटी और ब्रा में ही खड़ी हुई थी।
इस बीच अमित जी ने भी अपने कपड़े उतार दिए और केवल चड्डी ही बची रह गई।
इसके बाद उन्होंने अपने दोनों हाथों को मेरे पीठ पर लाकर मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया और मेरे बड़े बड़े दूध आजाद होकर उनके सामने तन गए।
मैं शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि मेरे पति के बाद आज दूसरी बार कोई मर्द मुझे नंगी कर रहा था।
अब मैं केवल पेंटी में रह गई थी।
अमित जी ने मेरी पीठ पर अपने दोनों हाथों को रखा और मुझे अपने सीने से लगा लिया।
जैसे ही मेरे दूध अमित जी के सीने से लगे मेरी आह निकल गई।
मेरी पीठ को सहलाते हुए अमित जी मेरे गालों को गले को कान को बेइंतिहा चूमने लगे।
जैसे ही अमित जी ने मुझे जोर से अपने बदन से चिपकाया, मेरी चूत पर कुछ मोटा और गर्म चीज टकराई।
मैं समझ गई कि यह अमित जी का लंड है।
वो चड्डी के अंदर से ही बड़ा भारी भरकम लग रहा था।
मेरे पति का लंड तो केवल 5 इंच का ही था लेकिन इनका लंड उससे कही ज्यादा मोटा और लंबा महसूस हो रहा था।
कुछ देर में ही अमित जी नीचे झुके और मेरे वक्ष पर अपने कठोर हाथ चलाने लगे।
उन्होंने मेरे एक निप्पल को मुंह में भर लिया और चूसने लगे जबकि दूसरे निप्पल को अपनी उँगलियों से मसलने लगे।
मेरे निप्पल मेरे बदन में सबसे उत्तेजक अंग हैं. जब कभी भी मेरे पति मेरे निप्पल चूसते थे तो मैं बेकाबू हो जाती थी।
आज भी वैसा ही कुछ हुआ.
जैसे ही अमित जी ने मेरे निप्पल चूसने शुरू किए, मैं जोर जोर से आहें भरने लगी और अमित जी का सर पकड़कर उसे अपने दूध पर दबाने लगी।
अमित जी भी जोश में आ गए और मेरे निप्पल को किसी बच्चे की तरह चूसने लगे।
वो जोर जोर से मेरे दूध को मसलने लगे और मेरी आह आह आह की आवाज कमरे में गूंजने लगी।
मेरे दूध इतने टाइट थे कि जल्द ही मुझे जलन महसूस होने लगी- बस बस … बस करो … बस करो! आह आह आह बस्स स्सस!
अब अमित जी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और पैरों की तरफ से मुझे चूमना शुरु किया।
जब वो मेरी मोटी मोटी जांघों पर अपने होंठ चला रहे थे, मैं बिस्तर पर मचल उठी।
फिर उन्होंने मेरी नाभि पर अपने होंठ लगा दिए और अपनी जीभ से नाभि को चाटने लगे।
मेरी नाभि काफी गहरी है इसलिए उनकी जीभ काफी अंदर तक जा रही थी।
वो मेरे दूध को कुछ देर मसलने के बाद फिर से नीचे की तरफ बढ़ गए।
अब उन्होंने मेरी पेंटी को अपने हाथों से पकड़ा और उसे नीचे सरकाने लगे।
शर्म के मारे मैंने पेंटी की इलास्टिक को पकड़ ली लेकिन उन्होंने मेरी पेंटी उतार ही दी।
मैं अपने हाथ से अपनी चूत को छुपाने लगी लेकिन उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ कर हटा दिया।
मेरी चूत उनके सामने आ गई।
सबसे पहले वो मेरी चूत की मादक गंध को सूंघने लगे।
फिर उन्होंने मेरी दोनों टांगों को फैला दिया।
अब अपने हाथ से चूत को फैलाते हुए अपनी जीभ उसमें चलाने लगे।
उनके ऐसा करने से मेरी कमर और चूतड़ ऊपर नीचे उछलने लगी।
उस वक्त मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था।
वो चूत में अपनी जीभ अंदर तक डाल रहे थे और चूत के दाने को जोर जोर से चूस रहे थे।
मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ था और मेरी दोनों टांगें काम्पने लगी।
वो अपने दांतों से मेरी चूत की चमड़ी को हल्के हल्के काट रहे थे जिससे कि मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ रही थी।
मैं भले ही सात साल से अपनी प्यास उंगली करके बुझा लेती थीं लेकिन ऐसा मजा तो एक मर्द ही दे सकता है।
एक मर्द के बिना औरत अधूरी ही रहती है।
कुछ देर बाद जब हम दोनों पूरी तरह से गर्म हो गए.
तब अमित जी मेरी चूत को छोड़कर उठे और अपनी चड्डी उतार दी।
मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी।
बाप रे बाप … लगभग आठ इंच लंबा और बेहद ही मोटा काला सा उनका लंड देख मैं सोचने लगी कि आज मेरी चूत का क्या हाल होगा?
यह तो मेरी सोच से कही ज्यादा बड़ा लंड है।
जल्द ही अमित जी मेरे ऊपर आ गए और मेरे पैरों को फैला दिया।
उनका लंड अब मेरी चूत को सहलाने लगा।
अमित जी ने मुझे कहा- तैयार हो न?
मैं– जी … लेकिन आराम से डालना।
अमित जी- उसकी तुम बिल्कुल चिंता न करो।
अब उन्होंने मेरी जांघों को अपने हाथों में फंसा कर फैला लिया, मेरी दोनों टांगें हवा में उठ गई।
उन्होंने बिना पकड़े लंड को चूत में लगाया और डालने लगे।
उनका सुपारा मेरी चूत को फैलात हुए अंदर की तरफ जाने लगा।
इतने साल के बाद इतना मोटा लंड मेरी चूत में जैसे ही घुसा, मेरी आवाज निकल गई- मम्मीईई ईईई ईई उईई ईइआ आआआह! आराम से आआ आह्ह मम्मी!
अमित जी ने मुझे अपने नीचे दबा लिया और एक जोर से धक्का लगा दिया।
लंड दनदनाता हुआ चूत के आखरी छोर तक पहुंच गया।
कुछ देर वो लंड को अंदर ही डाल कर मेरे ऊपर लेटे रहे और मैं दर्द से मचलती रही।
उनका लंड वास्तव में काफी मोटा था और मेरी चूत से इतना चिपका हुआ था कि हवा भी पास नहीं होती।
कुछ देर बाद मुझे आराम मिला और उन्होंने कहा- सच में कहूं … तुम्हारी चूत अंदर से भट्टी की तरह गर्म है यार!
वो दस साल बाद किसी को चोद रहे थे और मैं सात साल बाद किसी से चुदवा रही थी।
हम दोनों के अंदर ही पूरा जोश और गर्मी भरी हुई थी।
अब अमित जी ने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
उनकी रफ्तार धीरे धीरे तेज होने लगी और मेरी आवाज कमरे में गूंजने लगी- आह्ह आह्ह्ह मम्मीई आआ आह्ह ह्ह आउच आह अह ओह ओह ओह!
जल्द ही वो पूरी ताकत से मुझे चोदने लगे।
मैं उनसे लिपटी जा रही थी और उन्हें चूमे जा रही थी।
दोनों हाथ से मैंने उनकी कमर पकड़ ली थी और खुद ही कमर को आगे पीछे करने लगी थी।
वो समझ रहे थे कि मुझे और तेज झटके चाहिए और वो अपनी पूरी ताकत लगा कर धक्के लगाने लगे।
पूरे कमरे में चट चट चट चट की आवाज के साथ आह आह आह ओह ओह आह्ह की आवाज गूंज रही थी।
करीब पांच मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद ही हम दोनों अपने आप को रोक नहीं सके और दोनों ही झड़ गए।
मेरी चूत उनके पानी से लबालब भर गई थी।
हम दोनों ही पसीने पसीने हो गए और लिपट कर लेटे रहे।
दोनों की सांसें तेजी से चल रही थीं दोनों ही मस्त हो गए थे।
कुछ देर बाद वो मेरे ऊपर से हटे और बगल में लेट गए।
मेरी दोनों जांघें बिल्कुल लाल हो गई थी क्योंकि उन्होंने जांघ को हाथ से जोर से दबाया हुआ था।
चूत से उनका गर्म पानी बाहर निकल रहा था।
आज इतने सालों के बाद किसी का गर्म गर्म वीर्य मेरी चूत में गिरा था. आज मैं पूरी तरह से संतुष्ट हुई थीं और अमित जी का भी पूरा साथ दिया था जिससे वो भी मुझसे पूरी तरह से संतुष्ट हो गए थे।
एक बार चुदाई करने के बाद हम दोनों लोग बिस्तर पर लेटे हुए थे, हम दोनों ही ने पहली चुदाई में ही एक दूसरे को संतुष्ट कर दिया था।
करीब आधे घंटे तक हम दोनों लेटे रहे।
इसके बाद अमित जी ने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर लिटा लिया।
मैं उनके सीने पर अपना सर रख कर लेटी रही.
तभी अमित जी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड के पास लेजाकर अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया।
मैंने भी उनका लंड हाथ में थाम लिया और उसे आगे पीछे करते हुए फेंटने लगी।
उनका ढीला पड़ चुका लंड जल्द ही अपनी पूरी लंबाई में आ गया।
अब मैं उनके सीने को चूमते हुए नीचे की तरफ जाने लगी और जल्द ही उनके लंड के पास पहुंच गई।
मैं उनके लंड को पकड़ कर हल्के हल्के ऊपर नीचे करने लगी जिससे उनका सुपारा अन्दर बाहर होने लगा.
जिसे देखकर मैं भी गर्म होने लगी।
मैं लंड के और करीब चली गई, लंड से बेहद ही मादक गंध आ रही थीं जिससे मैं और भी उत्तेजित हो गई।
फिर मैं अपना मुंह उनके सुपारे पर चलाने लगी और जल्द ही सुपारे को अपने मुंह में भरकर प्यार से चूसने लगी।
इधर अमित जी मेरी पीठ पर अपने हाथ फिराते हुए मेरी गांड तक ले गए और गांड को सहलाने लगे।
काफी देर तक मैं उनके लंड को चूसती रही।
फिर अनिल जी खड़े हुए, मुझे घोड़ी बना दिया और वो मेरी गांड की तरफ आ गए।
मेरे बड़े बड़े चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ कर लंड चूत में लगाया और एक झटके में अंदर तक डाल दिया।
मैं तेजी से बोली- आह्ह ह मम्मीई ईईईई ईईई … आराम से डालिए।
फिर उन्होंने मुझे चोदना शुरू कर दिया और फट फट फट की आवाज के साथ मुझे जोर जोर से चोदने लगे।
वो इतनी जोर से धक्का लगा रहे थे कि मैं आगे की तरफ खिसक जा रही थी. उन्होंने मेरी कमर को जोर से जकड़ लिया और दनादन मेरी गांड पर उनके धक्के पड़ने लगे।
कुछ देर इसी पोजीशन में चोदने के बाद उन्होंने मुझे बिस्तर से नीचे उतार लिया और मुझे खड़ा करके मेरे पीछे आ गए.
खड़े खड़े मेरे पीछे से उन्होंने चूत में लंड डाल दिया और मेरे पेट को दोनों हाथों से थाम लिया और इसी पोजीशन में चुदाई शुरू कर दी।
मुझे भी बेहद मजा आ रहा था और मैं उस पल का बहुत मजा कर रही थी।
कुछ देर के बाद हम दोनों झड़ गए।
यह चुदाई पहली चुदाई से ज्यादा देर तक चली।
उस रात एक बार और हम दोनों के बीच चुदाई हुई, फिर हम दोनों लोग सो गए।
सुबह उठने के बाद दोनों फ्रेश हुए और दिन भर अमित जी मेरे कमरे में ही रहे।
दिन में हमारे बीच कुछ भी नहीं हुआ।
इस बीच हमारी पड़ोसन भी मेरे घर आई लेकिन अनिल जी मेरे कमरे में ही रहे और किसी को कुछ पता नहीं चला।
फिर रात होते ही मैंने घर का दरवाजा बंद किया और रात दस बजे से एक बार फिर से हमारे बीच चुदाई शुरू हो गई।
एक बार चुदाई करने के बाद जब अमित जी ने दूसरी बार मुझे गर्म किया और चुदाई के लिए तैयार किया.
तो उन्होंने मुझसे कहा– मैं तुम्हें पीछे से करना चाहता हूं।
मैं– मतलब?
अमित जी– मतलब तुम्हारी चूतड़ को चोदना चाहता हूं।
मैं– नहीं नहीं … मैंने कभी वहां नहीं किया और आपका इतना बड़ा है कि मैं झेल नहीं पाऊंगी।
अनिल जी– ऐसा कुछ नहीं होगा. तुम डरो मत, मैं बहुत प्यार से करुगा।
मैं– नहीं ऐसा मत करिए, मुझे बहुत दर्द होगा।
मेरे बार बार मना करने के बाद भी अमित जी ने मुझे इसके लिए तैयार कर ही लिया।
पर मैंने उनके सामने शर्त रखी कि अगर मुझे दर्द हुआ तो आप बाहर निकाल लोगे, फिर नहीं करोगे।
और वो हाँ बोलकर तैयार हो गए।
अब उन्होंने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरी गांड में और अपने लंड में तेल लगाया और मेरी गांड को दोनों हाथों से फैला दिया। फिर उन्होंने लंड को छेद में लगाया और मेरे ऊपर लेट कर मुझे जकड़ लिया।
अब उन्होंने लंड पर जोर देना शुरू किया.
और जैसे ही उनका सुपारा अंदर गया, मैं दर्द से कराह गई- नहीं नहीं … निकालो तुरंत निकालो।
लेकिन उन्होंने मुझे जोर से जकड़ लिया और अपना पूरा लंड मेरी गांड के अंदर उतार दिया।
मैं जोर जोर से चिल्लाये जा रही थी लेकिन वो मेरी एक नहीं सुन रहे थे और अपना लंड नहीं निकाला।
काफी देर तक उन्होंने अपना लंड डाले रखा और मेरे ऊपर लेटे रहे।
फिर आहिस्ते आहिस्ते उन्होंने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
मैं- बाप रे … आआआ हहह हहह मत करिए आऊऊच!
लेकिन वो नहीं रुके और अंदर बाहर करते रहे।
फिर जब कुछ देर में मेरा छेद कुछ ढीला पड गया और उन्होंने अपनी रफ्तार तेज कर दी।
उनका लंड काफी टाइट जा रहा था लेकिन अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था।
जल्द ही वो अपनी पूरी रफ्तार से मेरी गांड को चोदने लगे।
मेरी गांड से फोछ फोछ की अज़ीब सी आवाज निकल रही थी।
जल्द ही उन्होंने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरी गांड चोदने लगे।
फिर तो कभी गांड में तो कभी चूत में अपना लंड डालकर मेरी चुदाई करते रहे।
आधे घंटे तक मैं अलग अलग पोजीशन में चुदती रही फिर हम दोनों झड़ गए।
उसके बाद एक बार फिर हम दोनों ने चुदाई की और सो गए।
अगले दिन सुबह वो जल्दी उठे और अपने घर की तरफ निकल गए।
उस दिन मैं फिर से ऑफिस नहीं गई क्योंकि पिछली रात मेरी गांड चुदाई के कारण चलना भी मुश्किल हो रहा था, गांड का छेद चलने में जल सा रहा था।
दिन भर मैं सोती रही और अगले दिन से ऑफ़िस जाना शुरू कर दिया।
अब मैं और अमित जी ऐसे ही मौका मिलने पर अपनी प्यास बुझाने लगे और एक दूसरे को चुत गांड सेक्स से खुश करने लगे।
हम दोनों की जिंदगी में जो कमी थी वो पूरी हो चुकी थी।
मुझे भी चुदाई के लिए अमित जी जैसे एक दमदार पार्टनर मिल गए थे और उन्हें भी मेरी जैसी सेक्सी पार्टनर मिल गई थी।
दोस्तो, मैं कोमल मिश्रा जी का दिल से शुक्रिया अदा करना चाहती हूं कि मेरी कहानी के लिए उन्होंने मुझे इजाजत दी और कहानी को अन्तर्वासना पर भेजी।
मैं उम्मीद करती हूं कि यह चुत गांड सेक्स कहानी आप सभी को पसंद आई होगी।
धन्यवाद।
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