BDSM सेक्स कहानी में मैंने अपनी सहेली के पति को बाँध कर उसके चेहरे अपने चूतड़ रगड़ के उससे अपनी गांड का छेद चटवाया. ये सब क्यों किया मैंने?
हैलो फ्रेंड्स! मैं आपकी बड़ी गांड वाली भाभी, सिमरन फिर से आ गई हूं और काफी प्यासी हूं।
आज फिर से आपके बड़े बड़े लौड़ों को गर्म करने का मन कर रहा है।
मैं आज आपको BDSM सेक्स कहानी में बताऊंगी कि कैसे मैंने एक कपल की सेक्स लाइफ में फिर से नई जान डाल दी।
शनिवार की एक सुबह मैं जिम में अपने कॉलेज टाइम की एक फ्रेंड से मिली।
हम दोनों को एक दूसरे से मिलकर बहुत अच्छा लगा और उसने मुझे प्यार से अपने घर आने चलने की जिद करने लगी।
मैं उसका मन रखने के लिए उसके साथ चल दी.
घर की डोरबेल बजाने के बाद दरवाजा खुलने तक मेरी सहेली मेरी सुडौल काया को देखने लगी।
मैंने जिम आउटफिट पहना हुआ था और वो बेचारी परेशान सी होकर मुझे देख रही थी।
कुछ पल बाद उसके पति ने दरवाजा खोला और अपनी बीवी को अंदर आने के लिए कहने की बजाय मेरे जिस्म को घूरने लगा।
मेरी सहेली ने मेरी बांह पकड़ी और मुझे अंदर खींचकर ले गई।
हम दोनों उसके बेडरूम वाली बालकनी में गईं।
जाते टाइम मैं देख रही थी कि उसका पति मेरी मटकती गांड को एक ठरकी की तरह घूर रहा था।
हम बालकनी में जाकर ब्रेकफास्ट वाली टेबल पर बैठ गईं।
एक पल के लिए उसने मेरी आंखों में देखा और फिर उसने मेरी बांह को जोर से पकड़ कर भींचते हुए रोना शुरू कर दिया।
मैं समझ नहीं पायी- क्या हुआ निशा? तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी में कुछ प्रॉब्लम है क्या?
मैंने बस अंदाजा लगाते हुए पूछा.
उसने सिर हिलाते हुए हामी भर दी और सुबकते हुए बोलने की कोशिश करने लगी।
मैंने उसको दिलासा दी और कुछ देर के बाद उसने अपनी प्रॉब्लम बताई।
मैंने उसकी समस्या को सुना।
निशा- मेरा हस्बैंड मुझे बिल्कुल प्यार नहीं करता है। उसको ये भी फर्क नहीं पड़ता कि मैं घर में हूं भी या नहीं।
मैंने सोचा कि मेरी दोस्त सीधे शब्दों में अपनी समस्या न कहकर घुमा फिराकर बताएगी लेकिन वो एकदम साफ बोल पड़ी।
मर्दों के बारे में दिमाग हमेशा मेरा साथ देता है तो मैंने उससे पूछा- क्या कोई दूसरी औरत है तुम दोनों के बीच?
निशा- औरत नहीं … औरतें! वो हमारी सोसायटी में औरतों के साथ फ्लर्ट करता है … वो ऑफिस की औरतों के साथ … और …
कहते हुए वो फिर से रोने लगी।
मैंने फिर से उसको शांत करवाया।
चूंकि अब बात काफी गंभीर हो गई थी तो मैंने भी आगे बढ़कर स्थिति को संभालते हुए बात करना शुरू किया।
मैं उसके पास आ गई और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उसके हाथ को थाम लिया।
उसने भी मेरी कमर में बांहें डाल दीं।
मामला बहुत सामान्य था- एक पति जो दूसरी चूतों के पीछे घूमने लगा था। मैंने अपनी दोस्त की शादीशुदा जिन्दगी को पटरी पर वापस लाने के लिए एक प्लान सोचा।
प्लान सुनकर एक बार तो निशा झिझकने लगी।
लेकिन मैंने उसकी आंखों में वो शरारती चमक देख ली थी जो उसकी हामी को भी बता रही थी।
मैं- तो ठीक है, अब अपने कॉलेज फ्रेंड को यहां बुलाओ।
अपनी सहेली के कॉलेज के टाइम के आशिक को मैं जानती थी और चाहती थी कि वो उसे अपने घर बुलाए।
उसके बाद प्लान के सेकंड स्टेज की बारी थी।
हम घर के हॉल में चले गए।
मेरी सहेली का पति उस वक्त सोफे पर लेटा हुआ था।
जैसे ही उसने देखा कि मैं उसे देख रही हूं, वो उठ बैठा।
मैं- निशा, मुझे उम्मीद है कि तुम कुछ घंटे के लिए अपने हस्बेंड को मेरे साथ जाने से मना नहीं करोगी। तुम्हें तो पता है, मेरे पति घर पर नहीं है, मुझे रिनोवेशन शुरू होने से पहले किचन में कुछ चीजों को दूसरी जगह रखवाना है।
इससे पहले कि निशा कुछ बोलती, आनंद उठा और एक्साइटेड होते हुए बोलने लगा- मैं तो किसी की भी मदद के लिए हमेशा तैयार रहता हूं। ये तो मेरे लिए खुशी की बात होगी। मिस, क्या मैं आपका नाम जान सकता हूं?
मैंने आनंद को अपने बारे में बताया।
फिर हम लोग मेरे घर के लिए निकल गए।
अब प्लान की तीसरी स्टेज की बारी थी।
जब आनंद मुझे घर ले जा रहा था तो निशा ने मुझे कॉल किया और मैंने फोन उठाकर कॉल को स्पीकर मोड पर रख दिया जो कि प्लान का हिस्सा था।
निशा- हे सिम्मी! अच्छा रहा कि तुम आनंद को सही टाइम पर ले गईं। तुम मोहित को जानती हो, है न? उसने मुझे कुछ दिन पहले कॉल किया था। तब मैं बिजी थी, लेकिन अब मैंने उसे घर बुलाया है। जैसे ही आनंद वहां से निकले मुझे कॉल कर देना। मिलते हैं बाद में!
कॉल पर निशा की बात सुनकर उसके पति का चेहरा गंभीर हो गया। मैंने देखा कि वो गहरी सांस ले रहा था और मुझसे कुछ बोलना चाह रहा था लेकिन हिचक रहा था। अब मैंने आग में और घी डालने की सोची।
मैं- मोहित उसके कॉलेज टाइम का बॉयफ्रेंड है वैसे!
आनंद कुछ नहीं बोला, उसकी हालत और ज्यादा खराब होती जा रही थी।
मैं- ओह्ह, तुम चिंता मत करो, निशा को कुछ नहीं होगा। वो मोहित के साथ सारे पैसे और जूलरी लेकर भागने वाली थोड़ी है!
आनंद ने झूठी हंसी हंसने की कोशिश की लेकिन उसका चेहरा उसकी परेशानी बता रहा था।
सब कुछ प्लान के मुताबिक जा रहा था।
घर पहुंचने के बाद आनंद मेरे पीछे पीछे घूमने लगा।
कई बार मैंने उसको उसका ट्राउजर सही करते हुए पकड़ा ताकि वो अपने लंड के तनाव को छुपा सके।
किचन में मैं सीढ़ी पर चढ़ गई और ऊपर वाले कैबिनेट में झांकते हुए कुछ ढूंढने का ढोंग करने लगी। आनंद ने सीढ़ी को संभाला हुआ था और जिम वाली ड्रेस में मेरी मोटी, टाइट गांड का क्लोज अप देख पा रहा था।
मैं भी अपनी कूल्हों को उसे तरसाने के लिए बार बार हिला रही थी।
वो गर्म हो रहा था और अब कुछ शरारत करने वाला था।
मैंने देखा कि उसकी गर्म सांसें मेरी गांड पर लग रही थीं।
हर बार जब वो अपनी नाक को मेरी गांड के पास लाता तो मैं चूतड़ों को उसकी नाक से छुआ देती थी।
उसकी उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि वो रोक नहीं सका और उसने मेरी ट्रैक पैंट को जोश में खींचते हुए मेरी गांड में मुंह लगा दिया और मेरे चूतड़ों को भींचने लगा।
मैंने उसके माथे पर लात से धकेलते हुए उसके चेहरे को पीछे हटा दिया- मुझे अच्छ नहीं लगता कि मेरा कोई चाहने वाला मुझे ऐसे पाने की कोशिश करे।
कहती हुई मैं सीढ़ी से नीचे उतरी और आनंद का कॉलर पकड़ते हुए उसे पीछे खींच लिया।
उसने मेरी गांड पर अपनी हथेलियों को जमा दिया.
लेकिन मैंने उसको गंभीर चेहरा बनाते हुए हल्के हल्के कई चांटे लगाए।
मैंने उसे बेड पर चलकर लेटने को कहा।
वो जाकर लेट गया।
फिर मैंने उसके हाथ पांव को हथकड़ियों से बेड पर बांध दिया। मेरे घर में बी डी एस एम का सारा सामान है.
उसके सामने बेड पर चढ़कर मैं अपनी स्पोर्ट्स ब्रा और ट्रैक पैंट को उतारने लगी।
सामने का नजारा देख उसका मुंह खुलने लगा।
मैं उसकी बालों से भरी छाती और पेट पर पैर से सहलाते हुए उसको तरसाने लगी।
उसकी गहरी सांसें बता रही थीं कि वो बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुका है।
उसका लंड तनाव में फटने को हो रहा था और लोअर के अंदर से ही बड़ा सा उभार बना रहा था।
मैं- ओह! आगे बढ़ने से पहले मैं निशा को कॉल कर देती हूं कि उसका पति आज पूरा दिन मेरे साथ ही बिजी रहेगा।
मैंने कामुक मुस्कराहट के साथ कहा.
आनंद ने भी शरारती मुस्कान दी लेकिन उसको अभी भनक नहीं थी कि उसकी उत्तेजना जल्द ही एक तेज झटके में बदलने वाली थी।
मैंने एक बार फिर से निशा को कॉल किया और मोबाइल को स्पीकर मोड पर कर दिया।
निशा ने वहां से जवाब दिया- सिम्मी, मैं अभी थोड़ा बिजी हूं, तुम्हें कुछ देर बाद कॉल करूंगी।
मैंने बिना कॉल को काटे फोन को टेबल पर आनंद के पास ही रख दिया।
आनंद के मजे में अब निशा ने खलल डाल दिया था।
निशा- मोहित, तुमने कहा था कि हम दोनों एक दूसरे के सामने बस नंगे होकर बैठेंगे, अब मुझे छूना बंद करो।
मोहित- मैं तुम्हारी चूत को गीली करना चाहता हूं, बस बेबी! आओ और मेरी गोद में बैठ जाओ।
हम सुन रहे थे कि निशा कैसे मोहित का अनचाहा विरोध कर रही थी।
और आनंद को इससे बड़ा झटका लगा।
निशा- मोहित, अंदर मत डालो! मैं शादीशुदा हूं अब! किसी पराये मर्द के लम्बे मोटे लंड पर बैठते हुए मुझे खुद शर्म आ रही है।
मोहित- कॉलेज के दिनों में तुम मेरे लंड को लॉलीपोप के जैसे चूसा करती थीं। आज फिर से ट्राई करो न जान! मुझे तुम्हारी चूत और गांड को खाने दो बस आज!
निशा फिर से हंसते हुए मोहित की शरारतों को रोकने की कोशिश कर रही थी।
आनंद का चेहरा पीला पड़ गया था लेकिन उसका लंड तोप की तरह तना हुआ था।
निशा हंसती हुई- नहीं … गांड में नहीं मोहित!
मैं आनंद की छाती पर गाल रखकर लेट गई।
अब मेरी दोस्त का पति उस बात पर ज्यादा ध्यान दे रहा था कि कैसे उसकी बीवी उसके आशिक से अपनी गांड मरवा रही है।
मैं- लगता है तुम दोनों को ही अच्छे दोस्त मिले हैं। क्या हम अपना खेल शुरू करें?
आनंद- मुझे जाने दो! वो कुत्ता (मोहित)! खोलो मुझे अभी के अभी!
मैं- मेरे ऊपर मत चिल्लाओ! याद रखो, तुम भी अपनी बीवी को धोखा दे रहे हो, इसलिए अब जलो मत!
अब निशा सिसकारियां लेने लगी- जोर से … आह्ह जोर से मोहित! अपनी कुतिया को कसकर चोद दो, हां ऐसे ही … आह्ह … मेरी गांड को चोद डालो.
आनंद- उसकी हिम्मत कैसे हुई मेरी बीवी की गांड ऐसे चोदने की!
वो अब रोने लगा।
और अब टाइम था उसको ये अहसास करवाने का कि वो कितना घटिया पति है।
मैं- मुझे लगता है कि तुम अपनी बीवी की परवाह नहीं करते हो इसलिए उसने अपने पुराने यार को बुला लिया ताकि वो वह काम कर सके जो तुम्हें करना चाहिए। अब एक बच्चे की तरह रोना बंद करो और मेरे साथ नए किंकी रोमांस का मजा लो।
मैं घूम गई और मैंने अपनी गांड को उसके मुंह पर रगड़ना शुरू कर दिया।
उसके लंड में फिर से तनाव आने लगा और वो फिर से चुदाई के लिए गर्म होने लगा।
मैं- मेरी गांड को खुश करो। मेरी मोटी गांड की तारीफ करो, वरना मैं तुम्हारे घर में किसी और मर्द को भेज दूंगी।
आनंद- प्लीज मेरे मुंह पर अपनी गांड को रगड़ो, सेक्सी लेडी! मेरी बीवी को चुदने दो, मैं तो तुम्हारी मस्त गांड को चूमना चाहता हूं मेरी रानी!
मैंने चिढ़ाते हुए आनंद को थप्पड़ मारा- अच्छा होगा तुम मुझे मालकिन कहो।
कोशिश करते हुए वो मेरी गांड को चूमने लगा क्योंकि मैंने अपनी गांड को हवा में उठा रखा था ताकि उसको भी मेहनत करनी पड़े।
मैंने उसके लंड को पकड़ लिया और उसका मजा बढ़ाने के लिए लंड की मुठ मारने लगी।
मैं- मुझे हैरानी होती है कि ये लंड तुम्हारी बीवी को संतुष्ट क्यों नहीं कर पाता है? जब तक तुम मेरे कुत्ते हो, मेरी गांड को चाटने की कोशिश मत करो।
आनंद- मैं तुम्हारा कुत्ता बनना चाहता हूं, प्लीज मुझे इस खुशबूदार गांड की पूजा करने दो, जब तक कि मेरी बीवी अपने यार से चुदती है।
मैं- इच्छा … आनंद … ये सब इच्छा की बात है। अगर तुमने अपनी बीवी में इच्छा नहीं खोई होती तो इस वक्त तुम अपनी बीवी को चोद रहे होते।
उधर निशा की चुदास भरी आवाज पूरे जोरों से हमें सुनाई दे रही थी. इधर मैं अपनी दोस्त के पति के मुंह पर अपने पसीने में भीगे चूतड़ों को रगड़ रही थी और उसके लंड को मस्ती में चूस रही थी।
हमें सुनाई दिया कि निशा और मोहित गांड चुदाई के एक गर्म राउंड के बाद झड़ गए।
निशा- बहुत दिनों के बाद आज तुमने मेरी गांड में अपना पानी निकाला है। काश मेरा पति भी ऐसे ही मुझे मजा दे पाता।
मोहित- अभी इसे खत्म मत करो बेबी, अभी तो दूसरे राउंड में तुम्हारी चूत भी मुझे चोदनी है।
जैसे ही आनंद को ये बात सुनाई दी, उसने अपना माल मेरे चेहरे पर छोड़ दिया।
मुझे गुस्सा आ गया क्योंकि मैंने तो अभी तक कुछ शुरू भी नहीं किया था। लेकिन मैंने आनंद का चेहरा देखा तो पाया कि उसको अपना सबक मिल चुका है।
फिर मैंने जैसे ही उसे खोला, वो जल्दी से उठा और अपने कपड़े पहन अपने घर की ओर दौड़ पड़ा।
कुछ दिनों के बाद निशा ने मुझे कॉल किया और वो अपने पत्नीव्रता पति की अब तारीफ करते नहीं थक रही थी कि कैसे वो अपनी खूबसूरत बीवी का ध्यान रखता है।
उसने मुझे बताया कि कई बार तो वो उसे मालकिन बुलाता है।
निशा मुझसे पूछने लगी कि आखिर मैंने उसके साथ ऐसा क्या किया था.
लेकिन मैंने उसको प्लान के उस हिस्से के बारे में कुछ नहीं बताया।
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