ससुरजी का मोटा लौड़ा लील गयी मेरी चूत

ससुरजी का मोटा लौड़ा लील गयी मेरी चूत


बहु ससुर सेक्स की यह कहानी मेरी है. मेरे शौहर नौकरी के लिए सऊदी चले गये तो मेरी चूत ने मुझे परेशान करना शुरू कर दिया. तो मैंने क्या किया?
यह कहानी सुनें.

अन्तर्वासना के सभी पाठकों और पाठिकाओं को मेरा सलाम, नमस्ते।
दोस्तो, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है बहु ससुर सेक्स की!
मैं पिछले दस सालों से अन्तर्वासना की नियमित पाठिका रही हूं और इस साइट की लगभग सारी कहानियां मैंने मज़े लेकर पढ़ी हैं।
कुछ और बताने से पहले मैं आपको अपने परिवार के बारे में बता दूं। मेरा नाम शबीरा है, मैं बाड़मेर राजस्थान की रहने वाली हूं।
मेरे घर में एक छोटी बहन, एक छोटा भाई और मेरे अम्मी अब्बू हैं।
अब्बू सरकारी नौकरी में है। अम्मी हाउस वाइफ है।
ये तो हुई परिवार की बात … अब मेरे बारे में बता दूँ. मेरा रंग गोरा है, नयन-नक्श भी ठीक ठाक हैं (अपने मुंह मियां मिठ्ठू नहीं बन सकती)।
मेरा फिगर साइज 34-36-38 है।
दोस्तो, जब मैं जवान होना शुरू ही हुई थी कि तब ही मेरे घर वालों ने मेरे लिए लड़का देखना शुरू कर दिया था और 2 साल में ही उनकी ये तलाश पूरी भी हो गई.
20 साल की उम्र में मेरी शादी हो गई।
मेरे शौहर का नाम शाहिद है. वो मुझसे 5 साल बड़े हैं। दिखने में हैंडसम और हट्ट कट्टे हैं। टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी में मैनेजर हैं और काम के सिलसिले में उनका राजस्थान से बाहर आना जाना लगा रहता है।

मेरे ससुराल में मेरे सास ससुर और मेरी एक ननद है लेकिन ननद की शादी मेरे आने से पहले ही हो गई थी इसलिए वो अपने ससुराल में रहती है.
यहां ससुराल में सिर्फ मेरे सास-ससुर शाहिद और मैं, हम 4 ही रहते हैं।
मेरी पहली चुदाई मेरे शौहर ने ही की थी, वो भी सुहागरात पर।
मेरे शौहर का लौड़ा 7 इंच लम्बा है और काफी मोटा भी है। मतलब अच्छी खासी सुहागरात मनी जैसी ज़्यादातर लड़कियों की मनती है.
सुहागरात में शौहर से होने वाली मेरी चुदाई में बताने जैसा कुछ खास नहीं है. जो आमतौर पर मियां बीवी में सेक्स होता है वही सब हुआ.
इसलिए उसको बताकर मैं समय खराब नहीं करूंगी.
अब मैं सीधे अपनी असली बात पर आती हूं।
दोस्तो, ये जो घटना मेरे साथ हुई थी जिसमें मैंने अपने ससुर से चुदवाया था, ये मेरी शादी के 8 साल बाद की है. तब तक मेरे 2 बच्चे (एक लड़का और एक लड़की) हो गए थे।
उस समय मेरे शौहर को उनकी कंपनी ने एक साल के कॉमर्शियल वीज़ा पर सऊदी भेज दिया था।
शौहर के जाने के बाद तो जैसे ज़िन्दगी नर्क बन गई थी मेरी क्यूंकि गैर मुल्क जाने से पहले मेरे शौहर लगभग रोज़ाना मुझे चोदते थे।
यूं समझ लीजिए कि जैसे सेक्स की लत लगा दी थी उन्होंने मुझे।
उन्हें क्या पता था कि मेरी ये लत मुझे उन्हीं के बाप के नीचे लेटने पर मजबूर कर देगी।
तो दोस्तो, उनके जाने के बाद मैं बहुत उदास रहने लगी थी।
दिन तो जैसे तैसे घर का काम करते हुए और बच्चों को संभालते हुए कट जाता था लेकिन रात काटना मेरे लिए बहुत मुश्किल होता था।
फिर मेरी वासना मेरी आत्मा पर भारी पड़ने लगी और बिना लंड के रह पाना मेरे लिए मुश्किल होता जा रहा था।
आखिरकार मैंने चुदने का पक्का मन बना लिया लेकिन अब सवाल ये था कि मैं चुदूं तो किससे चुदूं?
तो दिमाग में ससुर का ख्याल आया क्यूंकि मेरे आसपास तो मर्द सिर्फ वही थे। मैं बाहर तो जाती नहीं थी कहीं इसलिए किसी और से चुदने का तो सवाल ही पैदा नहीं हो रहा था। तो मैंने पक्का मन बना लिया कि अब ससुर जी का ही लौड़ा लेना है।
मैं आपको मेरे ससुर के बारे में बता दूं कि उनका नाम जावेद खान है। उनकी उम्र 56 साल है लेकिन उन्होंने खुद को काफी मेंटेन करके रखा है और रेगुलर कसरत करते हैं जिसकी वजह से उनकी उम्र 40-45 के आसपास ही लगती है।
वो दिखने में भी काफी हट्टे कट्टे और लम्बे चौड़े दिखते हैं। वैसे तो वो बहुत ही अच्छे स्वभाव के व्यक्ति हैं। समाज में इज़्ज़त भी बहुत है उनकी।
मैं जानती थी कि उनकी सिर्फ दो ही कमज़ोरी हैं- एक शराब और दूसरी शवाब।
वो रोज़ रात को शराब पीते हैं और औरतों के मामले में बहुत ठरकी किस्म के इंसान हैं.
ये मैं जानती थी इसलिए उन्हें पटाना मेरे लिए मुश्किल नहीं था।
मुझे सिर्फ एक अच्छे मौके की तलाश थी।
बस फिर मुझे वो मौका मिला एक महीने बाद जब जयपुर में मेरी सास के भाई का अचानक निधन हो गया.
तो उस दिन मेरे सास ससुर दोनों सुबह जल्दी ही कार से जयपुर चले गए।
मैं बेटी की पढ़ाई की वजह से जा नहीं पाई थी तो मैंने सासू मां से कहा- मुझे रात में अकेले डर लगता है.
तो उन्होंने कहा- बेटी तू फिक्र मत कर, तेरे अब्बू (ससुर जी) मुझे वहीं छोड़ कर रात तक वापस आ जाएंगे।
दोस्तो, जैसा मैंने चाहा था बिल्कुल वैसा ही हुआ।
वो दोनों चले गए.
दिनभर मैं अकेली बस यही सोच रही थी कि अब तो ससुरजी से चुदवाना ही है।
रात को 10 बजे ससुर जी वापस आये। फ्रेश होकर उन्होंने खाना खाया. फिर हॉल में बैठ कर शराब पी, जैसा कि उनका रूटीन था.
उसके बाद वो अपने रूम में चले गये.
सफर की थकान के कारण जल्दी ही उनको नींद आ गई।
सुबह चाय नाश्ते से फ्री होने के बाद मैंने ससुर जी से कहा- पापा जी, क्या आप मेरे साथ मार्किट चल सकते हैं? मुझे रसोई का सामान और अपने लिए कुछ कपड़े लेने हैं.
तो उन्होंने कहा- बेटी, सामान तो ठीक है मगर कपड़े अभी क्यों ले रही हो? अभी तो न कोई शादी है ना त्यौहार है.
मैंने शर्माने की एक्टिंग करते हुए कहा- अब्बू, अंदर के कपड़े लेने हैं.
ये सुन कर वो भी शर्मा गए और बोले- ठीक है, तुम तैयार हो जाओ फिर चलते हैं।
घर के कामों से फ्री होने के बाद तैयार होकर हम मार्केट के लिए निकल रहे थे।
मैं आपको बता दूं कि हमारे यहाँ लड़कियां बुर्के के बिना बाहर नहीं निकलतीं तो मैंने उसी का फायदा उठाया और बुर्के के नीचे सिर्फ एक टाइट पजामी पहनी.
ऊपर का हिस्सा अंदर से बिल्कुल नंगा था. मैंने नंगे बूब्स को एक पतले से काले बुर्के से ढक लिया जिसमें से मेरी बूब्स की घुंडियां साफ नजर आ रही थी.
जब मैं बाहर आई और ससुर जी की नज़र बूब्स पर पड़ी तो वो देखते ही रह गए।
मैंने कहा- चलिए पापा जी!
तब उनको होश आया और बोले- हाँ चलो।
ससुर जी कार निकाल रहे थे तो मैंने कहा- पापाजी मार्केट में भीड़ ज़्यादा होगी तो कार में प्रॉब्लम होगी. फिर वहाँ पार्किंग की भी समस्या रहेगी, इसलिए बाइक ले लो.
मैंने बाइक के लिए इसलिए कहा क्योंकि बाइक पर ब्रेकर और गड्ढों में उनसे चिपकने का मौका मिलेगा.
वो मेरी बात से सहमत हो गए और हम बाइक से मार्केट के लिए रवाना हुए.
रास्ते में मैंने अपनी हरकतें शुरू कर दीं।
ससुर जी जैसे ही ब्रेक लगाते तो मैं अपने बोबे उनकी कमर में गड़ा देती।
उत्तेजना के कारण मेरी घुंडियां खड़ी हो गई थी. उनकी चुभन ससुर जी अपनी कमर पर महसूस कर रहे थे। उन्हें भी मज़ा आ रहा था.
इसका पता मुझे इस बात से चला कि ज़्यादा ज़रूरत न होने पर भी वो तेज़ तेज़ ब्रेक लगा रहे थे और जानबूझ कर गड्ढों में गाड़ी उतार रहे थे. मतलब पूरे रास्ते मेरे बूब्स उनकी कमर से चिपके हुए थे.
जब हम मार्केट पहुंचे और बाइक से उतरे तो मैंने देखा कि उनका लंड पूरा खड़ा था और पजामा फाड़कर बाहर आने को बेताब था।
जब उन्होंने मुझे उनके लंड को घूरते हुए देखा तो उन्होंने शर्माते हुए अपने हाथों से उसको छुपाने की नाकाम कोशिश की।
तो मैंने कटाक्ष करते हुए कहा- एक अंडरवियर आप भी ले लो पापाजी।
वो भी ठरकी थे, उन्होंने कहा- तू ही पसंद कर के दिला देना.
मैंने कहा- ठीक है।
फिर हमने पहले रसोई का सामान लिया. फिर एक लेडीज़ एंड जेंट्स अंडर गारमेंट्स की शॉप में गये।
अब तक हम दोनों के बीच पचास प्रतिशत तक तो शर्म तो खत्म हो गई थी।
मुझे महसूस हुआ कि पापाजी मेरे मन की बात को शायद समझ भी गए हों कि मैं क्या चाहती हूं।
वहां पर मैंने उनसे कहा कि इस बार मैं आपकी पसंद की ब्रा पैंटी पहनूँगी।
उन्होंने मेरे लिए ब्रा पैंटी के 5-6 सेट पसन्द किये जो बहुत सेक्सी थे।
मुझे भी वो बहुत पसंद आये. मैंने वो सारे ले लिए।
मैंने उनसे पूछा- आपको मेरा साइज कैसे पता चला?
इस पर उन्होंने मेरे बूब्स को घूरते हुए कहा- देख कर अंदाज़ लगा लिया.
उसके बाद उन्होंने कहा- अब तू मेरे लिए पसन्द कर!
फिर मैंने भी उनके लिए वी-शेप के 4 अंडरवियर पसन्द किये और उनसे कहा कि शाहिद भी यही पहनते हैं और बहुत सेक्सी लगते हैं इसमें.
मेरे मुंह से ‘सेक्सी’ शब्द सुन कर तो जैसे उनके मुंह से लार टपकने लगी।
उन्होंने खुश होकर वो चारों अंडरवियर ले लिए और पेमेंट कर दिया.
फिर हम घर के लिए निकल गए.
पूरे रास्ते मैं उनसे चिपके हुए बैठी रही।
हम घर पहुंच गए। बाइक से उतर कर जब मैंने उनके लंड की तरफ देखा तो वो पूरा टाइट था और पजामा आगे से गीला हो गया था जिसका हल्का सा गीलापन कुर्ते पर भी महसूस हो रहा था।
ये देख कर मैंने फिर से कटाक्ष किया- मम्मी जी की याद में आंसू बहा रहा है आपका ये!
उन्होंने पूछा- ‘ये’ मतलब क्या?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया और एक सेक्सी मुस्कान देकर अंदर चली गई।
फिर दिनभर कुछ खास बात नहीं हुई। रात का खाना हमने साथ में खाया.
उसके बाद मैंने दोनों बच्चों को सुला दिया और एक गहरे गले का लाल रंग का नाईट गाउन पहन लिया जो मेरे घुटनों तक आता था.
उसके नीचे मैंने वही ब्रा पहन ली जो आज ससुर जी ने दिलवाई थी।
गाउन का गला इतना बड़ा था कि उसमें से ब्रा आसानी से दिख रही थी.
फिर मैं हॉल में ससुर जी के बगल में आकर बैठ गई जहां वो दारू पी रहे थे।
उन्होंने सिर्फ लुंगी और बनियान पहना हुआ था और लुंगी जांघों तक चढ़ा रखी थी।
उनकी टाँगें और छाती घने बालों से भरी हुई थी जो किसी भी महिला को आकर्षित करने के लिए काफी थी।
ससुर जी ने मुझे आज पहली बार इस रूप में देखा था।
मुझे देख कर उनकी लार टपकने लगी और मैंने देखा कि उनकी लुंगी के नीचे बैठा हुआ नाग अब हरकत करने लगा था।
मेरे लिए उनकी आंखों में वासना साफ नजर आ रही थी।
शराब के नशे और मुझे चोदने की हवस के चलते मेरी जांघ पर अपना हाथ रखकर वो सहलाने लगे।
मैंने भी इसका बिल्कुल विरोध नहीं किया।
उनके सख्त मज़बूत हाथ मेरी नाज़ुक गोरी जांघों का मुआयना कर रहे थे।
2 महीने बाद पहली बार मुझे किसी मर्द ने इस तरह छुआ था और वो मर्द मेरे ससुर हैं ये सोच कर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
फिर उनका हाथ जांघों से होता हुआ चूत की तरफ बढ़ा।
मैंने पैंटी नहीं पहनी थी।
ससुर जी ने मेरी चूत पर उंगलियां फिरानी शुरू कर दीं. अब मैं और ज़्यादा तड़पने लगी।
मैंने अपना हाथ लुंगी के ऊपर से ही उनके लंड पर रखा और लंड को पकड़कर दबाने लगी।
इधर उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल कर मुझे और ज़्यादा बेचैन कर दिया।
उनका दूसरा हाथ मेरे बूब्स पर था.
फिर उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिए. मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया और खुद भी पूरे नंगे हो गए।
फिर मैंने उनसे कहा- अपने बेटे की बीवी को यहीं ज़मीन पर पटक कर चोदोगे क्या?
तो उन्होंने मुझे गोद में उठाया और अपने कमरे में ले जाकर बेड पर पटक दिया।
मेरी नज़र उनके लंड पर पड़ी तो एक बार तो मेरी गांड फट गई। उनका लंड किसी गधे के लंड जैसा लंबा और मोटा था।
रंडियों की भी चीखें निकलवा दे ऐसा लंड था उनका।
मैंने उनसे कहा- आपका तो बहुत मोटा है. मुझे नहीं चुदवाना!
उन्होंने मुझे गाली देकर कहा- बहन की लौड़ी रंडी … पहले मुझे उकसाती है और अब लौड़ा देख कर नखरे करती है? आज मैं तेरी अम्मी चोद दूंगा.
मैं उनके मुँह से गाली सुनकर और ज़्यादा उत्तेजित हो गई।
पहली बार खुद के लिए रंडी शब्द सुन कर अलग ही फीलिंग आ रही थी।
उन्होंने अपना मोटा तगड़ा लंड मेरे मुँह में दे दिया।
मैंने पहली बार लौड़ा मुँह में लिया था क्योंकि मेरे शौहर ने क़भी भी मेरे मुँह में नहीं डाला था।
पहली बार चूसने के कारण थोड़ी घिन भी आ रही थी लेकिन ससुर जी ने मेरे बाल पकड़ कर ज़बरदस्ती अपना आधा लंड मेरे मुँह में दे दिया और मुझे उसको चूसना पड़ा।
5 मिनट इस तरह चूसने के बाद हम 69 की पोजीशन में आ गए। अब वे मेरी चूत चाट रहे थे और मैं उनका लंड चूस रही थी.
चूत चटवाना भी मेरा पहला अनुभव था। मेरे शौहर ने कभी मेरी चूत भी नहीं चाटी थी।
आज से पहले मैं मेरे शौहर को और उनके सेक्स को अच्छा समझती थी लेकिन आज उसके बाप से पता चला कि बाप आखिर में बाप ही होता है।
मेरा शौहर एक फुद्दु इंसान था. उसको सिर्फ फुद्दी मारना आता था।
जो मज़ा उसका बाप बिना चोदे अपनी ज़बान से मुझे दे रहा था उतना मज़ा तो क़भी उससे चुदने पर भी नहीं आया मुझे।
ससुर जी ने मेरी चूत को चाट चाट कर लाल कर दिया था।
उनके चूत चाटने के हुनर ने मुझे उनकी दासी बना दिया।
अब तो मैं खुशी खुशी और मज़े लेकर उनके लंड को चूस रही थी।
फिर अचानक से उन्होंने पूरी ज़बान मेरी चूत में अंदर तक डाल दी और ज़ोर ज़ोर से चलाने लगे.
उनकी इस हरकत से मेरी चूत ने एक मिनट में ही बहुत सारा पानी छोड़ दिया।
मैंने आज पहली बार इतना पानी छोड़ा था।
मेरे झड़ते ही मुझे महसूस हुआ कि मेरे मुँह में ससुर जी का लंड और ज़्यादा अकड़ने लगा।
मैं कुछ सोच पाती इससे पहले उन्होंने ढेर सारा माल मेरे मुँह में छोड़ दिया।
मैंने उनका सारा वीर्य निगल लिया।
उनके वीर्य में एक अलग ही खुशबू थी।
आश्चर्यजनक बात ये थी कि वीर्य निकलने के बाद भी उनका लंड सिर्फ हल्का सा ढीला हुआ.
उन्होंने मुझे चूसते रहने के लिए बोला तो मैंने चूसना जारी रखा।
10 मिनट चूसने के बाद वो फिर पहले की तरह सख्त हो गया।
इस दौरान उन्होंने मेरी चूत चाट चाटकर एक बार और पानी निकलवा दिया।
अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैंने उनसे कहा- प्लीज पापाजी, अब रहा नहीं जा रहा. अपना लंड डाल दो मेरी चूत में.
उन्होंने कहा- बहन की लौड़ी. मैं तेरा पापाजी नहीं हूं. तेरा मालिक हूं और तू रंडी है मेरी, मेरी रखैल बन कर रहेगी तू आज से, तुझे मैं मेरे दोस्तों से भी चुदवाऊंगा.
मैंने कहा- आप ही मेरे स्वामी हो, मेरे मालिक हो. मैं आपकी रंडी और रखैल बन कर रहूंगी ज़िन्दगी भर। आप जिससे बोलोगे उसी से चुदूँगी!
फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और अपना लम्बा मूसल लौड़ा मेरी चूत के मुँह पर रख कर एक हल्का सा झटका दिया।
ऐसा लगा मुझे जैसे आज मेरी सुहागरात है।
मुझे हल्का सा दर्द हुआ तो मैंने बर्दाश्त कर लिया।
फिर उन्होंने एक ओर झटका दिया जिससे आधा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया।
इस झटके ने मुझे दिन में तारे दिखा दिए थे. ऐसा लग रहा था जैसे कोई गर्म मोटा लोहा मेरी चूत में डाल दिया हो।
मेरी चीख निकल गई- आआ आआह!
मैं सिर्फ चीख रही थी, कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी मैं.
अभी इस झटके से सम्भली भी नहीं थी कि उन्होंने एक झटका और देकर पूरा लंड अंदर डाल दिया.
इस बार तो मुझे चक्कर आ गए और बेहोशी जैसी हालत हो गई मेरी।
ससुर जी चोदने के साथ साथ मेरे बूब्स भी दबा रहे थे और गर्दन और गालों पर किस भी कर रहे थे जिससे मुझे कुछ आराम मिला.
वाकई ससुरजी बहुत माहिर थे किसी भी औरत को चोदने में।
फिर धीरे धीरे मेरा दर्द कुछ कम होने लगा तो उन्होंने चोदने की रफ़्तार भी बढ़ा दी।
अब मुझे भी मज़ा आने लगा था लेकिन इतनी देर घोड़ी बनने की वजह से मेरी टाँगें काँपने लगी थी।
मैंने ससुरजी को बताया तो उन्होंने मुझे सीधा लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गए और अपना लंड एक ही झटके में अंदर डाल दिया.
इस बार मुझे हल्का सा दर्द हुआ लेकिन मैंने झेल लिया.
इस पोजीशन में उन्होंने मुझे 25 या 30 मिनट तक चोदा।
इस बीच मैं 3 बार झड़ चुकी थी।
अब वो मुझे बहुत तेज़ गति से चोद रहे थे।
तभी उनके झटके तेज़ हो गए. मैं समझ गई कि इनका पानी निकलने वाला है।
मैंने कहा- मेरे मालिक, अपना बीज मेरी बच्चेदानी में गिराइए, मैं आपके जैसा ताकतवर बच्चा चाहती हूं।
इसके बाद 3 या 4 ज़ोरदार झटकों के साथ उनके लंड ने पिचकारी मारना शुरू किया और मेरी चूत को अपने माल से लबालब कर दिया और हाँफते हुए मेरे ऊपर गिर गए।
उस एक ही रात में ससुर बहु सेक्स 3 बार हुआ!
सुबह तक मेरी हालत खराब हो गई।
ये ससुर जी के साथ मेरी पहली चुदाई थी जिसके बाद मैं दो दिन तक ठीक से चल भी नहीं पाई थी।
ससुर जी रोज़ मेरी चुदाई करते थे. यहाँ तक कि एक बार उन्होंने अपने तीन दोस्तों से भी मुझे चुदवाया, यानि उन्होंने मुझे पूरी रंडी बना दिया।
वो कहानी मैं फिर कभी लिखूंगी।
दोस्तो, आपको मेरी बहु ससुर सेक्स की यह कहानी कैसी लगी मुझे कमेन्ट करके ज़रूर बताएं.
लेखिका के आग्रह पर ईमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.

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