इस कहानी के पिछले भाग
सरकारी अस्पताल में मिला देसी लंड-1
अभी तक आपने पढ़ा कि मैं सरकारी अस्पताल में किसी देसी लंड की तलाश में था, एक लंड मुझे पसंद भी आया था लेकिन उसने मुझे पहले तो दुत्कार दिया था लेकिन फिर वो मेरे पास आया.
मैंने ऊपर देखा तो वही मर्द मेरे पास खड़ा था… मेरे देखने पर वह धीरे से बोला- चल कहाँ चलना है?
मेरी तो मानो लाटरी लग गयी थी उसकी बात सुनकर…
जब मैंने उसके लंड के उभार को देखा तो वहाँ लंबा सा कड़क खीरे जैसा लंड उसकी सिली हुई पेंट में से साफ़ दिखाई दे रहा था. मैं समझ गया कि मेरी लंड लेने की कही बात को सोचते हुए इसका तम्बू तन गया और अब इसका लंड मान नहीं रहा हे और अपना कामरस पिलाने मेरे पास आया है.
अब आगे:
यही सोचते हुए मैं खड़ा हुआ और सीढ़ियों से चढ़ते हुए अस्पताल की तीसरी मंजिल पर बने पब्लिक टोयलेट की ओर जाने लगा. मुझे उस अस्पताल का हर कोने का पता था क्योंकि मैं लंड की तलाश में पहले ही पूरा अस्पताल घूम चुका था. इसके अलावा अस्पताल की तीसरी मंजिल नयी बनी थी और वहाँ पर पूरा फ्लोर खाली पड़ा था और रात का काला अँधेरा होने लगा था, लेकिन फ़िर भी मैंने कमरों की अपेक्षा टोयलेट को ज्यादा सुरक्षित माना.
तीसरी मंजिल और सुनसान माहौल को देखकर वह बोला- थारे सब जगह मालम है की लंड को खेल काँ हुई सके… (तुझे सारी जगह मालूम है कि लंड का खेल कहाँ हो सकता है.)
वह ठेट मलवीय कड़क भाषा में बोलता हुआ बहुत सेक्सी लग रहा था लेकिन आगे की बातचीत मैं आपको हिंदी में ही बताने जा रहा हूँ.
वह बोला- मैं शादीशुदा हूँ और मेरे पास चोदने के लिये बीवी है लेकिन आज ही सुबह उसे बेटा हुआ है इसलिये पिछले 3 महीनों से उसे चोदा नहीं है… और इसीलिये मैं अस्पताल आया हूँ… तेरी बात सुनकर ये मादरचोद लंड खड़ा होकर झटके मार रहा था और कोई दूसरा इंतज़ाम भी नहीं था इसलिये मुझे तेरे पास आना ही पड़ा.
मैंने कहा- चिंता मत करो, अब मैं आपके लंड की पूरी कसरत करवा दूँगा और लंड का रस निचोड़ कर पी जाऊँगा.
इतना सुनते ही वह भी हवस से भर गया और चलते चलते ही उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर होते हुए मेरी चुची पर रखा और सेक्सी लुक देते हुए झटके से मेरी एक चुची दबा दी, बोला- आह…! चल चुदक्कड़… तेरा भोसड़ा फाड़ता हूँ!
कहते हुए उसने अपने दाँतों को आपस में भींच लिया.
इस अंदाज़ में वह काफ़ी चोदू लग रहा था और मुझे लग रहा था कि मेरे साथ जोर आजमाइश होने वाली है.
उस गाँव वाले ढीले ढाले लिबास में यह तो एटम बम निकला. अब उसे देखने पर वह किसी सेक्सी मर्द से कम नहीं लग रहा था और उसका गान्ड फाड़ू रूप देखकर तो मेरी अन्तरवासना का बाँध टूट चुका था.
वह साला गाँव की भाषा में इतनी चोदू और सेक्सी बातें बोल रहा था कि मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने भी अपने कदम रोक दीये और उसके सामने खड़े होकर उसके लंड को तेज दबा दिया और मसल कर उसके जिस्म से लिपट गया.
उसके जिस्म के पसीने में जर्दे की खूशबू मिक्स थी जिसने मुझे दीवाना बना दिया था. वह आज अस्पताल में होने की वजह से नहाया भी नहीं था इसलिये मस्त गाँव के जवान मर्द की खुशबू उसकी कड़क चुदाई होने का एहसास दिला रही थी. उसका लंड पहले से ही झटके मार रहा था, मेरे मसल देने से वह पगल सा हो गया और मुझे अपनी बाँहों से अलग करते हुए जोश में मुझे जोर से दबाते हुए अपने सामने नीचे बिठा दिया और और जब तक मैं कुछ समझ पाता उसने अपनी चेन से अपना फनफनाता लंड निकाला और मेरे चहरे पर अपने लंड से मारने लगा.
लेकिन में इस सोच में पड़ा था कि हम लोग तो टोयलेट में जा रहे थे और जोश जोश में यहीं बरामदे पर शुरू हो गये. हालांकि पूरा फ्लोर ही खाली था लेकिन फिर भी हमें यहाँ ये सब नहीं करना चाहिये… लेकिन वह काफ़ी जोश में था और मेरे होंठ और नाक से अपने लंड का काला सुपारा जो पूरी तरह से खुला हुआ था, को रगड़ने लगा जिसमें से लंड की मधुर कामुक महक आ रही थी.
वह लंड रगड़ते हुए बोला- एक महीने पहले नाईट फाल हुआ था… तभी से टंकी भरी हुई है जानेमन… बीवी की चूत ना सही…आज तू भी पी ले मेरा रस… आ चुदक्कड़ तुझे भी माँ बना दूँ. “आह…आह…” बोलते हुए उसने अपने लंड से लगभग आधा कप वीर्य की चार लंबी पिचकारियों से मेरा पूरा चहरा और बाल भर दिये.
मैं आश्चर्य में था कि इतनी जल्दी…
अब मैंने भी सब कुछ सोचना बंद कर दिया और आंखें बंद करके उस गरमागरम एहसास का आनंद लेने लगा. वीर्य इतना ज़्यादा था कि अब वह मेरे चेहरे से नीचे टपक रहा था और मैं अपनी जुबान से मुंह के आसपास का ताजा ताजा लंड जूस जुबान से चाट रहा था. हल्का खारा सा मस्त स्वाद था उस जवान देसी गाँव के लंड का.
मेरे दिमाग में चल रहा था कि काश कोई मेरी ऐसी ही फोटो खींच ले…
क्या नज़ारा था वह…
वह मुझे इस तरह वीर्य चाटते हुए देखकर बड़े कामुक अंदाज़ में बोला- चिंता मत कर लंड के पुजारी… यह तो अभी शुरुआत है, अभी तो टेंकर भरा हुआ है, दिल भर के पिलाऊँगा आज तो तुझे अपना जूस… बहुत माल है अपने पास… और स्टेमिना भी बहुत है… ये तो ओवरफ्लो था जो अभी निकल गया. एक रात में चूत का भोसड़ा बना देता है ये लंड… तेरी भाभी की चूत फट गयी थी शुरू शुरू में… एक रात में 8-8 बार धाँसू चुदाई की है इस लंड ने… पैर पकड़ कर छोड़ देने की भीख माँगी है उसने मुझसे, ये खेतों में काम करने वाले मजबूत किसान का लंड है… देसी खानपान दूध और मेहनत से बना हुआ मजबत लंड है ये… आज तो तेरी गान्ड का छेद ढीला कर देगा और तेरी गान्ड में जो खुजली चल रही है ना इसे भी अच्छे से बुझा देगा. तू आगे किसी से लंड नहीं माँगेगा.
उसकी बात सुनते हुए अब मुझे डर लगने लगा था… मैं कभी भी गान्ड नहीं मरवाता हूँ क्योंकि मुझे बहुत दर्द होता है. एक बार ट्राई किया था, तब से कसम खा ली थी कि कभी गान्ड में नहीं लेना रे बाबा… और वैसे भी मुझे मुख चुदवाने का शौक है. मुझे उसके तनतनाते हुए लंड और उसकी बातों से लग रहा था कि अज वह मेरी गान्ड फाड़ने वाला है.
पहले मैंने सोचा कि अब मुझे निकल लेना चाहिये लेकिन फ़िर दिल ने कहा कि इतनी मुश्किल से लंड नसीब हुआ है तो ऐसे जाना ठीक नहीं…
उसने अपना लंड अंदर किया और बोला- चल… अंदर चल… यहाँ कोई आ जायेगा.
हम लोग अब टोयलेट में पहुंच चुके थे, टोयलेट नये ही बने थे इसलिये साफ़ सुथरे थे. वहाँ मैं उसे एक बाथरूम में ले गया जिसमें अच्छी खासी जगह थी. अंदर से उसने बेफिक्र होकर कुन्डी लगाते हुए अपनी शर्ट उतार कर मेरे हाथ में देते हुए बोला- आजा रानी… अब आयेगा तुझे मजा… तेरी गान्ड ने अब तक ऐसी चुदाई नहीं देखी होगी.
बोलते हुए उसने मुझे जोर से खींचा और अपने सीने से लगाते हुए अपने दोनों हाथ मेरे लोवर के अंदर डालते हुए मेरी गान्ड के दोनों उभारों को बहुत तेज दबा दिया. वास्तव में बहुत ज़ोर से दबाया, इतना कि मुझे तेज़ दर्द हुआ.
वह बहुत जोश और गुस्से में था. मुझे उसकी बाँहों में अच्छा लग रहा था क्योंकि उसके जिस्म से मर्दानी जर्दे वाली खुशबू आ रही थी और मैं उसके गले पर हल्की हल्की किस कर रहा था जिसका उसे अनुभव नहीं था.
लेकिन उसके हाथ खेतों में काम करने वाले काफी मजबूत और कड़क थे जिनसे मेरी गान्ड का हाल ठीक वैसा हो रहा था जैसा कि चूसने वाले आम का चूसने से पहले हो जाता है. ऊपर से वह मेरी गान्ड को मसलते हुए मेरी गान्ड को फाड़ने चोदने की बातें बोल बोल कर गर्म गर्म सिसकारियाँ ले रहा था और उसकी गर्म हवा मुझे पागल कर रही थी और मैं भी आह… आह… करते हुए उसके जिस्म से अपने जिस्म को रगड़ रहा था जिससे उसके कड़क मूसल लंड का अहसास मुझे मदहोश कर रहा था.
अब उसने मुझे झटके से पलट दिया जिससे मेरी गान्ड उसके लंड की तरफ हो गयी और बोला- अब होगी इस गान्ड की चुदाई!
मैं फ़ौरन उसकी तरफ़ मुड़ा और मैंने फ़ौरन बाथरूम का गेट खोल दिया और बोला- भाई! मैं गान्ड में नहीं लूँगा लंड… मैंने चूसने की ही बात की थी… तुम्हारे इस लौकी जैसे लंड से मुझे अपनी गान्ड नहीं फड़वानी है… और मैं वैसे भी गान्ड नहीं मरवाता.
उसने कहा- अरे क्या कर रहा है? गेट लगा यार… और तू गान्ड में क्यूं नहीं लेगा… तुझे तो बड़ी तलब लगी थी ना लंड की… क्या हुआ… अब ये बम्बू तूने खड़ा किया हे तो इसको शान्त कौन करेगा… चुदाई तो चाहिये अब इसको… बहुत दिन का प्यासा है ये!
मैं उसे साफ़ मना करते हुए बाथरूम के गेट के बाहर आ गया. उसका शर्ट जो मेरे हाथ में था, उसे लौटाते हुए बोला- नहीं, गान्ड में तो नहीं लूँगा… मुंह में जितनी चुदाई करनी है कर लो… मैंने गान्ड का बोला ही नहीं था.
उसका तो बम्बू लंड कमान के तीर की तरह तन चुका था और झटके मार रहा था क्योंकि उसने काफ़ी महीनों से चुदाई नहीं की थी. इसलिये वह मेरी हर बात मानने को तैयार था और बस अपने लंड की घिसाई करवाना चाहता था. इसलिये वह बोला- ठीक है भाई! गान्ड में मत लेना… तू जा कहाँ रहा है यार… अंदर तो आ यार… ये तेरा काला अजगर यहाँ तेरे लिये खड़ा हुआ है.
इतना सुनते ही मैंने कहा- काले अजगर का ज़हर तो हम निकाल देंगे जनाब! बस आप हमें एक मौका तो दो… हम अपने तरीके से करेंगे इसकी खातिरदारी!
बोलते हुए मैंने गेट बंद किया और मैं घुटनों के बल बैठ गया और जोर से अपने दाँतों से उसके लंड को पैन्ट के ऊपर से ही काट लिया और उसके लंड पर अपना चेहरा रगड़ना शुरू कर दिया.
वह ‘आह आह…’ करते हुए बोला- आह… आह… जानू! जान ही निकाल देगा क्या?
अब मैंने फटाफट उसकी ढीली पैन्ट का हुक खोल, चेन खोलकर पैन्ट नीचे सरकाते हुए फिर से उसके लंड को चड्डी के ऊपर से ही चाटना और मसलना शुरू कर दिया और झटके से उसकी चड्डी को नीचे किया जिससे उसका ताजा और कड़क लगभग 7.5 इंच का मोटा लंड मेरी नाक से टकराया. उसका काला सुपारा सालों से चुदाई करते हुए पूरा खुल चुका था मैंने उसे बड़े ही आराम से उसके सुपारे पर एक जुबान घुमायी और वह घायल हो गया- चूस जा इसको… खा जा इस केले को!
वह चिल्लाने लगा और मेरे बाल पकड़ कर जोर जोर से मेरा मुंह आगे पीछे करने की कोशिश करने लगा लेकिन मैंने अपने आपको कड़क कर लिया और उसका साथ नहीं दिया.
वह तड़पने लगा और बोला- ले ले जान मुंह में… ले ले… चूस दे… तेरी जुबान ने तो वीर्य बिल्कुल लंड के कोने पर ला दिया है… निकल जायेगा जान…
अब मैंने शरारत बंद की और एक झटके में उसका लंड अपने गले तक ले गया और दिल खोलकर और जान छोड़कर उसके लंड को बेइंतेहा चूसने लगा जिससे मेरे बालों पर उसकी मुट्ठी की पकड़ और मज़बूत हो गयी.
उसके ‘आह… आह…’ की सिसकारियों से पूरा फ्लोर गूँजने लगा. लगभग 5 मिनट तक उसके धाँसू लंड ने मेरे मुंह की गले गले तक चुदाई की और अंत में उसने अपने लंड का पूरा ज़ोर लगा दिया और मानो मेरा गाला फटने को था. इसके साथ ही उसका माल मेरे गले और मुंह में भर गया और होंठों से टपकने लगा.
इस बार भी काफ़ी वीर्य निकला था… मैंने उसके काले मोटे लंड के खुले हुए सुपारे को जुबान से चाटकर साफ़ किया. मैंने उसके चहरे की तरफ़ देखा तो उसने एक सेक्सी स्माईल दी और बोला- वाह यार, तूने तो गान्ड से भी ज्यादा मज़ा दिया… टेलेन्टेड है यार तू तो!
कहते हुए उसने अपने काले अजगर को अपनी चड्डी में कैद कर लिया और पैन्ट के हुक और चेन लगा लिये.
मैंने उसकी नंगी छाती पर एक बार हाथ घुमाया और उसने अपना शर्ट पहन लिया.
अब हम लोग बाथरूम से बाहर निकले और सीढ़ियों से नीचे आ गये और वह फिर से शिशु वार्ड में चला गया और मैंने अपना रास्ता पकड़ लिया.
मेरी ओरल सेक्स कहानी पर आप अपनी प्रतिक्रियाएं मुझे इस मेल आई डी पर अवश्य भेजें जो मुझे नयी कहानियों के लिये प्रेरित करती रहेंगी.
आपका लव
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