गरम औरत की गांड मारी मैंने उसी के घर में उसके बेडरूम में. उसने कभी गांड मरवायी नहीं थी तो वो डर रही थी. लेकिन मैंने उसे प्यार से चोदा तो उसे मजा आया.
दोस्तो, मैं सूरज आपका एक बार फिर से अपनी इंडियन सेक्स कहानी में स्वागत करता हूँ.
इस सेक्स कहानी में मेरी चुदाई एक सरकारी उच्च पद पर आसीन महिला अधिकारी के साथ हुई थी.
कहानी के पहले भाग
सरकारी अधिकारी मैडम ने घर बुलाया
में अब तक आपने पढ़ा था कि वो महिला अधिकारी मेरे सारे कपड़े उतार कर मेरे ऊपर चढ़ गई थी और मेरे जिस्म को चूमने काटने लगी थी.
अब आगे गरम औरत की गांड मारी:
वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी, जैसे उसे बहुत दिनों बाद लंड चूसने को मिला हो.
मैंने उसके सर को अपने लंड पर दबाते हुए पूछा- कितने दिन हुए तुमको चुदाई किए हुए?
उसने लंड मुँह से निकाला और बोली- मुझे पूरे 2 साल हो गए हैं.
मैंने पूछा- वो कैसे?
वो बोली- दरअसल मेरे पति से मेरा तलाक हो गया है. अब हम दोनों अलग अलग रहते हैं.
मैंने बोला- पति से अलग होने के बाद चुदाई का मन नहीं करता था क्या?
वो बोली- हां करता था, तो अपनी नौकरानी से ही अपनी चूत को चटवा लेती थी या फिर खीरा बैगन चुत में डाल कर शांत हो जाती थी. फिर जब से तुम्हारी देसी सेक्स कहानी पढ़ी है, तुमसे चुदवाने को बेताब हो गई थी.
मैंने बोला- कितनी बेताब हो गई थीं रानी?
वो बोली कि वो तो तुम मुझे चोद कर ही बताओगे न!
उसके मुँह से इतना सुन कर मैंने उसको अपने नीचे खींचा और खुद उसके ऊपर चढ़ गया.
मैं उसकी चूचियों को जोर जोर से दबाने मसलने लगा, फिर एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा.
साथ ही मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा.
अब वो और ज्यादा तड़पने लगी थी और गर्म आहें भरने लगी थी.
मैंने झट से अपने दोनों हाथों से उसकी पैंटी नीचे खींच दी.
अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी.
मैंने उसकी चूत को फैलाया और अपनी जीभ से चुत चाटने लगा.
मेरे ऐसा करते ही वो बेड पर ही ऐसे उछलने लगी, जैसे किसी ने करेंट वाला तार उसकी चुत से टच कर दिया हो.
इसके बाद मैंने उसकी जांघों को कस कर पकड़ कर ऐसी चूत चुसाई की कि वो जल्दी ही मेरे मुँह में झड़ गयी.
झड़ते वक्त उसने मेरा सिर अपने दोनों हाथों से अपनी चूत में दबा दिया और साथ उसने अपनी दोनों जांघों से मेरे सिर को भी तेजी से दबा लिया.
मैंने भी उसकी चूत की रस की एक एक बूंद को पीकर ही दम लिया.
अब वो निढाल पड़ी थी.
कुछ देर बाद उसने आंखें खोलीं तो मैंने उसके सिरहाने आकर उसके मुँह में अपना लंड दे दिया.
वो मेरे लंड को एकदम लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
कुछ मिनट की लंड चुसाई के बाद मेरा मन चुदाई का होने लगा.
मैंने उसकी चूत की चुदाई करने की पोजीशन बनाई और उसकी जांघों के बीच में आ गया.
उसकी दोनों कदली सी जांघों को कसके पकड़ कर मैंने अपने लंड को चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का दे मारा.
वो भी ‘उई मां मर गई … अंह धीरे मां … बहुत बड़ा है तुम्हारा आंह फट गई मेरी आंह धीरे करो.’ करने लगी.
मैं लंड पेलते हुए उसकी चूचियों को चूसने लगा.
उसकी चूत बहुत टाइट थी और मेरा अभी सिर्फ आधा लंड ही चुत के अन्दर जा पाया था. आधा लंड अभी बाहर ही था.
जब वो कुछ शांत हुई, तो मैंने उसकी चूचियों को मसलते हुए उसके होंठों को अपने होंठों के बीच दबा लिया.
वो भी मेरे होंठों के किस में अपना दर्द खत्म करने लगी.
तभी किस करते हुए मैंने एक और जोर का धक्का लगा दिया.
इस बार उसको कुछ ज्यादा दर्द हुआ लेकिन मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया था.
उसकी छटपटाहट देख कर मैं मुस्कुराया, तो वो भी मेरी मुस्कुराहट का राज़ समझ गयी.
वो कराहती हुई बोली- सूरज, पूरे दो साल के बाद मैं अपने पति के बाद तुमसे ही चुद रही हूँ, तो मुझे अपनी पहली चुदाई याद आ रही है. उस समय भी मुझे इतना ही दर्द हुआ था.
मैंने बोला- संगीता मेरी जान, तेरी सील तो अभी टूटी है … देखो न हल्का हल्का खून आ रहा है.
वो बोली- हां, दो साल से मुझे इसमें डालने के लिए सिर्फ खीरा बैगन ही मिला था. आज इसे सही चीज मिली है, तो ये तो होना ही था. फिर तुम्हारा मेरे पति से मोटा भी है और लंबा भी.
मैं बोला- तो अब धक्का लगाऊं?
संगीता कमर हिलाती हुई बोली- हां रोका किसने है … दो साल से मैं इसी दिन का तो इंतजार कर रही थी.
फिर मैंने उसकी चूत को धीरे धीरे पेलना शुरू किया. मैं धीरे धीरे करके स्पीड भी बढ़ाने लगा.
वो भी मस्ती में अपनी कमर उठा उठा कर लंड के मज़े ले रही थी.
कुछ देर बाद चुत में लंड सटासट आने जाने लगा तो मैंने उसको अपनी गोद में बिठा लिया और चोदने लगा.
वो मेरी कमर के दोनों तरफ अपनी टांगें फंसा कर मेरे लंड को अन्दर तक ले रही थी और पागलों की तरह अपनी चूचियों को मेरे मुँह पर रगड़ रही थी.
मैंने कहा- मजा आ रहा है संगो रानी!
वो बोलने लगी- हां सूरज अब तुम रुको … मैं धक्के लगाती हूँ. तुम बस मेरी चूचियों को मसल मसल के पियो.
मैंने उसके एक निप्पल को अपने मुँह में दबा लिया और कोशिश करने लगा कि उसका दूध पूरा मेरे मुँह में आ जाए.
वो भी मस्त हो गई थी और अपनी कमर लचका कर गजब के धक्के लगाती जा रही थी.
उसकी तेजी से मुझे ऐसा लग रहा था … जैसे कोई ट्रक बेकाबू हो गया हो.
मैं भी उसकी चूचियों को खूब मसलता और चूसता रहा … शायद इसी से उसको जोश मिल रहा था.
फिर उसने मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को अपनी चूत में सैट करके गप से लंड पर बैठ गयी.
लंड अन्दर लेते ही वो तेज़ी अपनी गांड को ऊपर नीचे करने लगी.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं उसे नहीं, वो मुझे चोद रही थी.
करीब 15 मिनट में वो अकड़ने लगी और तेज़ी से धक्के मार कर मेरे ऊपर लेट गयी.
वो लम्बी सांसें लेती हुई बोली- सूरज मैं थक गई हूँ … अब तुम ऊपर आओ.
मैंने उसे अपने नीचे लिया और उसकी दोनों टांगों को चौड़ा करते हुए अपना लंड उसकी चूत में डाल कर ऐसे धक्के मारने लगा जैसे मैं कोई घुड़सवारी कर रहा हूँ.
वो भी मस्त होकर नीचे से अपनी गांड को उछाल उछाल कर खूब मस्ती से लंड चुत में पिलवा रही थी.
मैंने उसे चोदते समय उसकी चूचियों को खूब मसला, मुँह में लेकर चूसा और काटा.
मेरे ऐसा करने से वो पागलों की तरह हरकतें करने लगी.
कभी वो मुझे कसके पकड़ कर खुद ही नीचे से धक्के लगाने लगती तो कभी अपनी चूची को पकड़ कर मेरे मुँह में भर देती … तो कभी अपने पैरों को मेरे पैरों में फंसा कर खुद मेरे ऊपर आ जाती.
कुछ देर बाद हम दोनों का एक साथ स्खलन हुआ और झड़ कर एक दूसरे से चिपक कर लेट गए.
बड़ी मस्त चुदाई हुई उस दिन … फुल पर एसी चल रहा था मगर तब भी हम दोनों को पसीना आ गया था.
फिर मैंने कहा- संगो रानी … मुझे तुम्हारी गांड भी चाहिए.
वो बोली- यार, मैंने अपनी गांड तो आजतक अपने पति तक को नहीं दी, लेकिन चलो आज मूड बन गया है. मैं तुमको अपनी गांड मारने दे देती हूं. पर याद रखना … अगर मुझे ज्यादा दर्द हुआ तो तुम जबरदस्ती नहीं करोगे. अपना लंड बाहर निकाल लोगे.
मैंने उसे चूमते हुए कहा- ठीक है मगर पैक छेद है, तो थोड़ा दर्द होगा ही.
वो बोली- हां ये मैं समझती हूँ … मगर प्लीज़ तुम ध्यान रखना.
अब मैंने उससे कोल्ड क्रीम मांगी, तो वो अलमारी से क्रीम ले आयी.
मैंने उससे कहा- तुम मेरे ऊपर अपनी चूत को मेरी मुँह के तरफ करके लेट जाओ.
उसने ऐसा ही किया.
मैंने उसकी चूत को चूसते हुए अपने हाथ की बीच वाली उंगली में क्रीम लगाई और उसकी गांड में उंगली डाल दी.
वो थोड़ी सी चिहुंक गई.
मैंने धीरे धीरे करके ढेर सारी क्रीम उसकी गांड में भर दी.
उसको मेरी एक उंगली से अपनी गांड में मजा आने लगा था.
तभी मैंने उंगली निकाल कर अपने अंगूठे को गांड में डाल दिया. वो एक बार को जरा ठिठकी मगर क्रीम की मस्त चिकनाई से फिर से गांड मटकाने लगी.
इसी बीच मैं उसकी चूत की चुसाई भी किए जा रहा था.
काफी देर तक इसी तरह मैंने पहले अंगूठा, फिर दो उंगली फिर तीन उंगली को बहुत देर तक उसकी गांड में रगड़ा, इससे उसकी गांड ने मुँह खोल दिया था.
मैंने उसे सीधा किया और घोड़ी बना दिया.
वो लंड की छुअन पाकर फिर से गांड सिकोड़ने लगी थी मगर मैंने फिर से उंगलियों को उसकी गांड में चलाना शुरू कर दिया.
अब वो फिर से अपनी गांड को ढीला करने लगी थी.
मैंने इसी बीच अपने लंड पर ढेर सारी क्रीम लगाकर रेडी कर लिया था.
कुछ पल बाद मैंने अपनी उंगलियों को गांड से बाहर निकाला और अपने लौड़े को उसकी गांड में डाल दिया.
वो सुपारा अन्दर लेते थोड़ी सी कसमसाई.
लेकिन अब तक बहुत देर हो चुकी थी.
मैंने उसे ऐसे जकड़ रखा था कि वो हिल तक नहीं सकती थी. मैंने एक हाथ से उसकी एक चूची मसली और दूसरे हाथ से उसकी चुत का दाना मसलना चालू कर दिया.
उसे मजा आने लगा और इधर मेरे लंड धीरे धीरे करके उसकी गांड की गहराई में सरकने लगा.
कुछ ही देर में मेरा पूरा लंड उसकी गांड में समा गया था.
अब वो भी समझ गयी थी कि उसकी गांड को मेरे ही लंड से चुदना लिखा था.
उसने भी मस्ती में अपनी गांड को हिला हिला कर चुदवाना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में वो गांड में लंड के मजे लेने लगी थी और मस्ती से बोल रही थी- आंह सूरज … ऐसी चुदाई तो मेरे पति ने भी नहीं की थी.
कोई बीस मिनट तक मैंने उस गरम औरत की गांड मारी. गांड मारने के बाद अब मैं झड़ने वाला हो गया था.
मैंने उससे कहा तो वो बोली- आगे आ जाओ … मेरी चूत में झड़ कर इस चूत की प्यास बुझाओ.
मैं भी उसकी गांड को छोड़ कर आगे आ गया और उसकी लिसलिसी चूत में अपना लंड डाल कर ताबड़तोड़ पेलना शुरू कर दिया.
वो अपनी टांगें हवा में उठा कर मेरे लंड को चुत की जड़ तक ले रही थी और तेज स्वर में सिसकारी लेने लगी थी.
मैंने भी तेजी से 10-15 धक्के लगा कर धार छोड़ना शुरू कर दिया.
मैं संगो की चूत में अपना पानी झड़ कर उसी के ऊपर गिर गया.
उसने मुझे अपने सीने में समा लिया.
हम दोनों काफी थक गए थे तो उसी तरह सो गए.
आधा घंटे बाद फिर से चुदाई का माहौल बन गया.
उस दिन हम दोनों ने 4 बार चुदाई की. इतनी थकान हो गई थी कि हम दोनों में से किसी में इतनी हिम्मत नहीं बची थी कि उठ कर एक गिलास पानी भी ले सकें.
उन दो दिनों में हमने बहुत बार चुदाई की.
फिर मैं अपने घर वापस आ गया.
वो आज भी मुझे फोन करके बुला लेती है और मैं लखनऊ जाकर उसे चोद आता हूँ.
दोस्तो, ये मेरी हिंदी देसी सेक्स कहानी जिसमें मैंने एक गरम औरत की गांड मारी, आपको कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल अवश्य करें.
मेरी मेल आईडी है
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