मौसी की चूत की चुदाई की इस कहानी में पढ़ें कि मैं छुट्टियों में मौसी के घर गया तो मौसा जी बाहर गए हुए थे. रात को मैंने मौसी के बेड पर ही सोया.
दोस्तो, यह मेरी पहली सेक्स कहानी है मौसी की चूत की चुदाई की … तो अगर लिखने में कोई गलती हो जाए तो माफ़ कीजिए.
नमस्कार, मेरा नाम अरुण है और मैं ग़ाज़ियाबाद का रहने वाला हूँ. हमारे घर में हम तीन लोग रहते हैं. मैं, मेरे पापा और मम्मी.
अब मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ, मेरी उम्र 19 साल है. इसी साल मैंने अपनी 12वीं पास की है. मेरी हाइट 6 फुट है.
मेरी बॉडी भी दिखने में अच्छी है, क्योंकि मैं 2 साल से जिम कर रहा हूँ.
मेरे लंड का साइज़ भी करीबन 7 इंच है, जो किसी भी प्यासी औरत को अच्छी तरह से संतुष्ट करने के लिए काफ़ी है.
ये सेक्स कहानी मेरी और मेरी प्यारी मौसी की चूत की चुदाई की कहानी है.
बात उन दिनों की है जब मैं अपनी 12वीं क्लास के पेपर देकर फ्री हुआ था.
कुछ महीने से पढ़ाई की वजह से मैं कहीं गया भी नहीं था तो मैंने सोचा कि जब तक रिज़ल्ट आए, तब तक क्यों ना कहीं घूम आता हूँ.
उसी दिन दोपहर में मम्मी के पास मौसी का फोन आया.
उन्होंने बताया कि मौसा जी को कोई काम के सिलसिले से मुंबई जाना है और उन्हें लगभग एक हफ़्ता लगेगा.
चूंकि मेरी मौसी का लड़का पहले ही नानी के यहां जा चुका था और वो घर में अकेली रह जाने वाली थीं.
तो उन्होंने मम्मी से कहा- दीदी आप अरुण को कुछ दिन के लिए मेरे पास भेज दो. वो मेरे पास काफी समय से आया भी नहीं है.
उस समय मई मम्मी के पास ही बैठा था, तो मम्मी ने मुझसे पूछा कि तू मौसी के पास चला जाएगा?
मैंने भी हामी भर दी.
फिर मम्मी ने मौसी को हां बोल दिया.
अब मैं इधर आपको अपनी मौसी के बारे में बता देता हूँ.
मेरी मौसी का नाम शालू है. उनकी उम्र उम्र लगभग 37 साल है, पर लगती वो अभी भी 30 की हैं. मैं हमेशा से उनको पसंद करता था और उन्हें चोदना चाहता था.
पर ऐसा कुछ करने की मेरी कभी हिम्मत ही नहीं हुई.
अब मौसी के पास जाने के लिए मेरे पास मौका था और उन्हें चोदने का सुनहरा अवसर भी था.
मैं अगले दिन ही निकल गया.
मैं वहां शाम को 4 बजे के करीब पहुंचा.
मैंने जाकर डोर बेल बजाई तो मेरी मौसी ने दरवाजा खोला.
मुझे देखते ही मौसी बहुत खुश हुईं और उन्होंने मुझे गले से लगा लिया.
मुझे तो यूं समझो कि जाते ही चमचम मिठाई मिल गई थी. मुझे मौसी की चुचियों का अहसास बहुत मज़ा दे रहा था. उनकी बड़ी बड़ी चुचियां मेरे सीने से लग रही थीं.
उन्होंने मुझे अन्दर लिया और दरवाजा बंद कर दिया.
मौसी ने मुझसे हाथ मुँह धोने के लिए कमरे में जाने को कहा तो मैं कमरे में जाकर मुँह हाथ धोकर कपड़े बदल कर आ गया.
तब तक मौसी ने चाय बना ली थी.
मैंने और मौसी ने साथ में चाय नाश्ता किया और इधर उधर की बातें करने लगे.
मैंने पूछा- मौसा जी मुंबई कब जाएंगे?
मौसी- आज शाम को 9 बजे उनकी ट्रेन है.
मैं- फिर तो मैं सही दिन आ गया.
मौसी- हां, अच्छा हुआ तुम आज आ गए … वर्ना मुझे आज से अकेली ही रहना पड़ता.
मैंने भी स्माइल दे दी.
मौसी- तुम कुछ देर आराम कर लो, इतना लंबा सफ़र तय करके आए हो, थक गए होगे.
मैं आराम करने रूम में चला गया.
शाम को लगभग 7 बजे मेरी आंख खुली.
मैं बाहर गया तो मैंने देखा कि मौसा जी भी ऑफिस से आ चुके थे. वो अपना सामान पैक कर रहे थे और मौसी उनके लिए खाना बना रही थीं.
मैंने भी किचन के काम में मौसी की मदद की.
मौसा जी भी रेडी होकर आ गए.
हम सबने साथ में खाना खाया, खाना खाने के बाद मैं मौसा जी को स्टेशन छोड़ने के लिए चला गया.
आते वक्त मैं मौसी के बारे में सोचने लगा कि मौसी को कैसे चोदा जाए.
तभी मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया और मैंने मेडिकल स्टोर से कुछ दवाएं ओर कंडोम ले लिए … और घर आ गया.
मैं घर आया तो मैंने देखा मौसी हॉल में बैठ कर टीवी देख रही थीं. मैं भी उनके पास जाकर बैठ गया.
मौसी- छोड़ आए अपने मौसा को?
मैं- हां.
मौसी- और बताओ तुम्हारे पेपर कैसे हुए?
मैं- बहुत बढ़िया हुए.
मौसी- अरुण तुम एक काम करो, मेरे कमरे में दूध गर्म करके ले आना. मेरी कमर में आज बहुत दर्द हो रहा है.
मैं- अरे आपने बताया नहीं … आप जाकर आराम से लेट जाओ. मैं दूध गर्म करके ले आता हूँ.
मौसी- तुम भी आज मेरे कमरे में ही सो जाना. तुम्हारे मौसा तो है नहीं और अकेले मुझे नींद नहीं आती.
मैं- ठीक है मौसी, जैसा आप कहें.
मैं दूध गर्म करने किचन में चला गया.
मैंने दूध गर्म किया और मौसी के दूध में वो सेक्स की इच्छा बढ़ाने वाली दवा अच्छी तरह से मिक्स कर दी और दूध का गिलास लेकर सीधा मौसी के कमरे में चला गया.
फिर हमने दूध पिया और बातें करने लगे.
मैं- मौसी अगर आपकी कमर में ज्यादा दर्द है … तो मैं मालिश कर दूँ?
मौसी- अरे रहने दे, इसकी कोई जरूरत नहीं है.
पहले तो मौसी मना करने लगीं पर मेरे ज्यादा ज़ोर देने पर वो मान गईं.
मैं तेल की बोतल उठा लाया और तब तक मौसी भी उल्टी होकर लेट गईं.
उन्होंने अपना कुर्ता पीछे से ब्रा तक ऊंचा कर लिया. मैं उनकी कमर पर मालिश करने लगा.
मालिश करते समय मैं बीच बीच में उनके चूतड़ों को भी टच कर देता.
मेरी इस हरकत पर मौसी की कोई भी प्रतिक्रिया नहीं कर रही थीं.
मैं कुछ देर तक ऐसे ही मालिश करता रहा.
फिर मैंने मौसी से कहा- मौसी आप अपनी ब्रा खोल दो वर्ना इस पर तेल लग जाएगा और ये खराब हो जाएगी.
शायद मौसी के ऊपर दवा ने असर करना शुरू कर दिया था तो उन्होंने मेरे कहने पर अपनी ब्रा का हुक खोल दिया.
अब मैं मौसी की पूरी पीठ पर मालिश करने लगा. अब तक गोली भी अपना असर दिखा चुकी थी. ये सब मुझे मौसी की वासना से भरी हुई सिसकारियों से पता चल रहा था.
उनकी इन आवाजों को सुनकर मैं अपने हाथों को नीचे की ओर ले जाने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था और मौसी के बदन पर हाथ फेरने के कारण मेरे लंड ने भी खड़ा होना शुरू कर दिया था.
मैं मौसी के पीछे बैठ कर उनकी मालिश कर रहा था तो मेरा लंड मौसी के चूतड़ों पर बार बार टच हो रहा था.
कुछ पल बाद मौसी ने मुझसे कहा- अरुण, मेरे पीछे तेरा कुछ टच हो रहा है.
मैं- कहां, कुछ भी तो नहीं है.
मेरी इस वक्त बुरी तरह से फट रही थी.
इतने में मौसी मेरे नीचे से निकलीं और खड़ी होकर मेरी तरफ़ घूम गईं.
वो मेरी तरफ वासना से देखने लगीं.
फिर मौसी की नज़र मेरे 7 इंच लंबे फनफनाते हुए सांप पर पड़ी.
तो वो कुछ देर तक मेरे लंड को घूरती रहीं.
फिर गुस्से से बोलीं- तो ये सब टच कर रहा है तू मेरे पीछे?
मैं- सॉरी मौसी ग़लती से हो गया, आगे से ऐसा नहीं होगा.
मेरी तो बुरी तरह से फटी पड़ी थी कि कहीं मौसी ये सब मम्मी को ना बता दें.
मौसी- तेरी मम्मी को बताऊं ये सब कि तू अभी क्या कर रहा था?
मैं- सॉरी मौसी, प्लीज़ मम्मी को मत बताना … सॉरी.
मौसी कुछ शांत होकर मेरी तरफ देखने लगीं.
मौसी- अच्छा नहीं बताऊंगी … पर मेरी एक शर्त है.
मैं- मुझे आपकी शर्त मंजूर है.
मौसी- देख, अब मैं जो भी तुझसे पूछूंगी, वो तुझे सच सच बताना होगा.
मैं- ठीक है मौसी जैसा आप कहो.
मौसी- अच्छा ये बता, तेरा ये इतना कड़क कैसे हो गया?
मैं भोला बनते हुए बोला- क्या मौसी … क्या कैसे कड़क हो गया?
मौसी- ज्यादा भोला मत बन, मैं इसकी बात कर रही हूँ.
उन्होंने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा.
मैं- ये मौसी मैं जब आपकी मालिश कर रहा था, तब हो गया सॉरी.
मौसी- अच्छा!
मैं- हां मौसी, आप दिखने में हो ही इतने सुंदर कि मैं अपने आपको रोक नहीं पाया.
मौसी हंसने लगीं और बोलीं- अच्छा ये बता, तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं- नहीं मौसी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
मौसी- अच्छा तो तुझे कैसी गर्लफ्रेंड चाहिए?
मैं- बिल्कुल आप जैसी.
मौसी- झूठ मत बोल, भला मेरे जैसी औरत में किसको इंटेरस्ट होगा.
मैं- सच्ची मौसी … मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ … मुझे आप बहुत पसंद हो. अगर आप हां करो, तो मैं तो आपको ही अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के लिए तैयार हूँ.
मौसी- अच्छा?
ये कह कर वो हंसने लगीं.
उनको हंसती देखकर मेरी हिम्मत एकदम से बढ़ गई और मैंने उसी पल आगे बढ़ कर उनके होंठों पर किस करना शुरू कर दिया.
वो भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.
मैं किस करते करते उनके चूचों को दबाने लगा.
फिर उन्होंने मुझे एकदम से पीछे धक्केल दिया और कहने लगीं- नहीं अरुण … ये सब गलत है.
मैंने उन्हें समझाया कि कुछ भी गलत नहीं है. किसी को कुछ मालूम नहीं चलेगा.
वो कहने लगीं- लेकिन मैं तेरी मौसी हूँ … मैं तेरे साथ ये सब कैसे कर सकती हूँ.
मैंने मौसी से कहा- आप सोचिए ही मत कि आप मेरी मौसी हैं. बस ये सोचिए कि मैं आपका ब्वॉयफ्रेंड हूँ … और आप मेरी गर्लफ्रेंड हैं.
मेरे समझाने पर वो मान गईं.
मैंने फिर से मौसी को किस करना शुरू किया.
अब वो मेरा खुल कर साथ दे रही थीं.
कुछ देर होंठों को चूसने के बाद मैंने उठ कर मौसी का कुर्ता उतार दिया. उनकी बड़ी बड़ी चुचियां मेरे सामने ब्रा में कैद थीं और बड़ी ही मोहक लग रही थीं.
मैं मौसी की ब्रा के ऊपर से ही उनके दूध मसलने लगा.
थोड़ी देर चूचे मसलने के बाद मैंने मौसी की ब्रा को निकाल दिया और उनक़ी बड़ी और मुलायम चुचियों को दबाने चूसने लगा.
मौसी के मुँह से भी सिसकारियां निकलने लगीं- आह … अम्म … ओह … आह अरुण और चूसो इन्हें … आंह और जोर से चूसो मजा आ रहा है.
मेरे बालों में मौसी हाथ घुमाने लगीं और मेरे सिर को अपने मम्मों पर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगीं.
मैं और ज़ोर से मौसी के मम्मों को चूसने लगा.
उनकी सिसकारियां और तेज होने लगीं.
मैं अब उठकर मौसी के होंठों को चूसने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
होंठों को चूसते चूसते मैं मौसी के चूतड़ों को भी दबाने लगा.
मौसी मेरे कपड़े उतारने लगीं और साथ साथ मेरे सारे बदन को भी चूमने लगीं.
थोड़ी ही देर बाद मौसी ने मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया और मेरे सांप जैसे लंड को अपने कोमल हाथों में लेकर घूरने लगीं.
मैं- क्या हुआ जान … क्या घूर रही हो, पहले कभी लंड नहीं देखा क्या?
मौसी- देखा तो है … पर इतना बड़ा पहली बार देखा है. तेरे मौसा का तो छोटा सा है.
मैं- अब इसे देखती ही रहोगी या मुँह में भी लोगी?
मौसी- इसे मुँह में कौन लेता है. मैंने पहले कभी ऐसा किया ही नहीं है.
मैं- कोई बात नहीं मेरी जान शालू … मैं तुम्हें सब कुछ सिखा दूँगा. बस अब तुम इसे आराम आराम से चूसना शुरू करो.
पहले तो मौसी ने मना किया लेकिन फिर मौसी धीरे धीरे मेरे लंड को चूसने लगीं.
मुझे मौसी से लंड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था.
मौसी ने भी लंड चूसने की स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी.
मुझे तो ऐसा लग रहा था … जैसे मैं जन्नत में आ गया हूँ.
मौसी मेरे लंड को किसी लॉलीपॉप की तरह से चूस रही थीं और लंड को चूसते चूसते वो मेरे आंडों को भी दबा रही थीं.
कुछ देर तक मौसी ऐसे ही मेरे लंड को चूसती रहीं.
लंड चूसने के बाद मौसी बेड पर लेट गईं और उन्होंने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया.
मैंने एकदम झटके से मौसी की सलवार को निकालकर साइड में फैंक दिया.
मैं मौसी की चूत को उनकी पैंटी के ऊपर से चाटने लगा.
मौसी कसमसाने लगीं- आह अरुण, ये क्या कर रहा है … भला चूत भी कोई चाटता है क्या?
मैं- मौसी आपने कभी चूत नहीं चटवाई क्या?
मौसी- भला इतनी गंदी चीज़ को भी कोई चाटता है?
मैं- मौसी बस आप आराम से लेटी रहो, मुझे अपना काम करने दो.
मौसी की पैंटी एकदम गीली हो चुकी थी.
मैंने पैंटी को भी निकाल दिया.
अब मौसी मेरे सामने बिल्कुल नंगी थीं.
मौसी के नंगे बदन को देखकर मैं तो जैसे पागल सा हो गया था और पागलों की तरह मौसी की नंगी चूत को चाटने में लगा था.
मेरी मौसी के मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं और वो मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगीं.
मौसी को बहुत मजा आ रहा था. वो और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां निकालने लगी थीं.
मैं मौसी की वासना से भरी सिसकारियों की आवाज़ सुनकर मैं और भी जोश में आ गया था.
अब मैं उनकी चूत को ओर ज़ोर से चूसने लगा.
वो अपने सिर को बेड पर इधर उधर पटकने लगीं.
कुछ देर बाद मौसी एक ज़ोर की चीख के साथ झड़ गईं. मौसी की चूत से पानी की धार बहने लगी.
मैं मौसी की चूत का सारा पानी पी गया और चाट कर उनकी चूत एकदम साफ कर दी.
फिर उनके बगल में लेट गया.
मौसी मेरी तरफ देखने लगीं और मेरे सर पर हाथ फेरने लगीं- आज जो तूने मुझे जो मजा दिया है, ये मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी.
मैं- मौसी अभी तो असली मजा बाकी है.
यह कहकर हम दोनों हंसने लगे.
अब मैं फिर से मौसी के होंठों को चूसने लगा. धीरे धीरे मौसी का भी मूड दुबारा से बनने लगा.
मैं मौसी के सारे बदन को चूमने लगा था तो मौसी फिर से सीत्कार भरने लगीं.
वो मुझसे कहने लगीं- बस अरुण, अब और मत तड़पा … अपनी प्यारी मौसी को चोद दे … जल्दी से डाल दे अपने लंड को मेरी चूत में.
मैं- मौसी रूको, मैं कंडोम पहन लूं … सेफ्टी के लिए ये जरूरी है.
मौसी- सेफ्टी गई मां चुदाने, बहुत सालों से मेरी चूत सूखी पड़ी है. आज भर दे इसे अपने लंड के माल से. मेरी चूत की आग सिर्फ तेरे लंड के माल से ही शांत हो सकती है. डाल दे अपने लंड को अपनी मौसी की चूत में … और फाड़ दे आज इसे.
मैं- जैसा आप कहें मेरी जान.
इतना कहकर मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और मौसी की चूत पर रगड़ने लगा.
मौसी कहने लगीं- अब डाल भी दे साले इसे अन्दर … और फाड़ दे अपनी जान की चूत को.
इतना सुनते ही मैं अपने लंड को मौसी की चूत में धक्केलने लगा.
लंड ने मुँह घुसाया ही था कि मैंने एक जोरदार धक्के के साथ आधे से ज्यादा लंड को मौसी की चूत में उतार दिया.
इसी के साथ मौसी की एक जोरदार चीख़ भी निकल गयी.
मैं कुछ देर रुका और दूसरे धक्के के साथ अपना पूरा का पूरा 7 इंच का लंड मौसी की चूत में उतार दिया.
फिर बिना कुछ सोचे समझे मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.
मौसी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगीं- आंह आराम से कर अरुण … बहुत दर्द हो रहा है … आराम से कर कुत्ते.
पर मैं कहां रुकने वाला था.
मैं और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा और लंड को मौसी की चूत की जड़ तक ले जाने लगा.
मुझे मौसी की चुदाई में बहुत मजा आ रहा था.
इसी तरह मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार को और भी तेज कर दिया.
मुझे तो बहुत मजा आ रहा था लेकिन मौसी को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था.
मौसी मुझे गालियां बकने लगीं- हरामी साले आराम से चोद … मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूँ. आराम से कर भोसड़ी के … साले चूत चोद रहा है या खोद रहा है … आह मां मैं तो मर गयी आज … आह आहह.
मैं- चुप कर साली कुतिया इतने सालों बाद तुझे चोदने का मौका मिला है. दम से चोदने दे साली.
मौसी- तो भैनचोद मना थोड़ी कर रही हूँ, चोदने को … लेकिन आराम से तो कर … मां के लौड़े चूत में बहुत दर्द हो रहा है.
कुछ देर ऐसे ही चिल्लाने के बाद मौसी को भी मजा आने लगा. अब मौसी भी अपनी गांड को उठा उठा कर मेरा साथ देने लगीं.
मौसी- आह अरुण, बहुत मजा आ रहा है … और तेज चोद और तेज.
मैं- साली आज से तू मेरी रांड है रांड … मैं रोज तुझे ऐसे ही चोदूंगा.
मौसी- हां अरुण, आज से मैं तुम्हारी रांड हूँ … तुम जब चाहो, जहां चाहो, मुझे चोद सकते हो. आज से मेरा शरीर तुम्हारा है.
ये कहकर मौसी मेरे होंठों को चूसने लगीं और मैं भी पागलों की तरह और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.
अब पूरे कमरे में सिर्फ़ फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी.
कुछ देर बाद मैंने मौसी से घोड़ी बनने को कहा.
वो तुरन्त घोड़ी बन गईं और मैं पीछे से मौसी की चूत मारने लगा.
मौसी ज़ोर ज़ोर से आवाजें निकाल रही थीं.
इसी बीच मौसी 2 बार झड़ चुकी थीं.
अब मेरा भी निकलने वाला ही था तो मैंने मौसी से पूछा- मेरा होने वाला है मौसी, कहां निकालूं?
मौसी- सारा माल अन्दर ही निकालना मेरे राजा. कई सालों से तेरी मौसी की चूत सूखी ही पड़ी है.
मैं- जरूर मेरी जान … सारा माल तेरे अन्दर ही डालूंगा.
मौसी की गांड को पकड़कर मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. मौसी भी अपनी गांड को आगे पीछे करके मेरा मेरा साथ देने लगीं.
मैं लगातार कुछ धक्कों के बाद अपना खेल अंतिम छोर पर लाने लगा.
मैं- आह आह शालू मेरी जान आह आहह!
मौसी- ह्म्म आह ह्म्म ओह.
मैं और मौसी एक साथ झड़ गए.
मैंने अपना सारा माल मौसी की चूत में निकाल दिया. आखिरी एक एक बूँद तक लंड चूत में रस टपकाता रहा.
फिर मैं निढाल होकर मौसी के ऊपर ही सो गया.
दोस्तो, कैसी लगी मेरी पहली देसी मौसी की चूत की चुदाई कहानी?
मुझे मेल करके जरूर बताएं. इसके बाद मैं इस सेक्स कहानी का दूसरा भाग भी लिखूंगा.
[email protected]