मेरी सेक्स स्टोरी के पहले भाग
शौहर के लंड के बाद चूत की नई शुरूआत-1
में आपने अब तक पढ़ा कि शौहर से सम्बन्ध खत्म होने के बाद मेरे ऑफिस में मेरे साथ काम करने वाले स्टीव से मेरी हसरतों ने कुछ खेलना शुरू कर दिया था.
अब आगे:
खैर कैब में बैठने के बाद मैंने खुद ही उससे बातचीत शुरू की, थोड़ा बहुत उसके करीब आने की कोशिश की. अब वो भी समझ रहा था कि मैं क्या चाह रही हूँ. मैंने उसी के अपार्टमेंट के पास उतरने का सोचा. मैंने आज स्टीव के आगे बिछने का मन बना लिया था.
उतरते ही उसने मुझे सुपरमार्केट तक चलने को कहा ‘कुछ सामान लेने हैं’ ये बोला.
मैं समझ चुकी थी कि ये थोड़ा तड़पा रहा है. खैर अन्दर जाके कुछ खरीदने बाद जब हम निरोध (कंडोम) के सेक्शन के सामने से निकले, तब उसने मेरी कमर से मुझे पास खींचा और कान में फुसफुसाया ‘यू चूज़ …’ उसके हाथ से मेरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया, योनि में गुदगुदी सी उठी कि आज उससे एक मर्द मिलने वाला है.
मैंने एक डॉटेड का पॅकेट उठाया और जल्दी से पे करके उसके अपार्टमेंट पहुँच गए. लिफ्ट में पहुँचते उसने मेरे कूल्हों पर मस्ती से हाथ फेरना शुरू कर दिया था. मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी, कितने समय बाद एक पुरुष ने मुझे इतने मादक तरीके से छुआ था.
उसके अपार्टमेंट में घुसते ही उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया, सीधे मेरे स्तनों को दबाने लगा, चूमते हुए हम उसके सोफे पर पहुँच गए. जहां मैंने पहले तो उसे बैठाया और फिर उसकी गोद में बैठी.
उसने तुरंत ही मेरे होंठों से रस पीना शुरू कर दिया. उसका एक हाथ मेरी कमर पे था और एक मेरे नितंबों से खेल रहा था. हम एक दूसरे को चूमते रहे. उसकी जीभ ने तो अलग सा जादू किया. मेरे होंठों को अपने होंठों से खींचता, रस निकालता, चूसता. जोश में आकर मैंने भी उसका पूरा साथ दिया और एक बार उसके होंठों को काटा. वो थोड़ा हंसा और मुझे उठाके बेडरूम में ले गया.
एक अजीब सा डर भी था कि मैं कैसे इसके सामने अपने नंगे जिस्म को पेश कर पाऊंगी. पहली रात की यादें ताज़ा सी होने लगीं कि कैसे एक मर्द मेरी जवानी को लूट के मुझे अपनी वासना में झोंक देगा. लेकिन आज मैं भी तो यही चाहती थी, ये समय डरने का थोड़े ही था.
बेडरूम में उसने मुझे बिठाया, एक गहरा सा चुंबन लिया. फिर वो खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतारने लगा. पहले तो शर्ट उतारी. वो एक चुस्त शरीर का मालिक निकला. उसकी चौड़ी छाती और एब्स की हल्की झलक मुझे मदहोश कर गई. जिसे मैंने आगे बढ़ के चूमा. मेरे पीछे होते ही उसने अपनी पेंट भी उतार दी जिसके अन्दर उसकी ताकतवर जांघें थीं. उसके लिंग का उभार अंडरवियर पर साफ़ नज़र आ रहा था, मानो मेरे योनि को चीरने के लिए तैयार हो.
उसने मुझे खड़ा किया और बोला- नाउ योर टर्न!
उसने मेरे गले को चूमना शुरू किया और मेरे कंधे तक जाके साड़ी की पिन को हटाया, पल्लू को हाथ में लेके साड़ी खोलने की कोशिश करने में उलझ गया. मुझे हँसी आके रह गयी, उसे बेड पे धकेला और खुद ही खोलने लगी. साड़ी खुलते ही अब मुझे झिझक सी लगने लगी और रुक सी गयी.
वो उठा, एक हाथ पीठ पे रखके मुझे खींचा और होंठ चूसने लगा. मुझे पता भी ना चल पाया कि कब उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया.
फिर उसने मेरे पेंटी के ऊपर हाथ रखा और हंसते हुए बोला- आलरेडी सो वेट. (पहले ही काफी गीली हो चुकी है)
तभी मेरे ध्यान में आया कि अभी से मेरी योनि कितना पानी छोड़ चुकी है. अब मैंने अपना क्वॉर्टर स्लीव वाला ब्लाउज उतार दिया.
(आगे अँग्रेज़ी की बातचीत को हिन्दी में लिखा है)
मैं ब्रा और पेंटी में उसके सामने खड़ी थी. उसने तुरंत ही मेरी ब्रा खोल दी, अब मेरे खुले हुए वक्षों को उसने प्यार करना शुरू कर दिया, मुझे गोदी में लिया और अपने मस्त होंठों से उन्हें पुचकारने लगा. वो मेरे मम्मों को चूमता, कभी सख़्त हो चुके निप्पल को जीभ से चाटता, कभी एक हाथ से पकड़ के उन्हें चूसता.
मैं मदहोशी से ज़ोर ज़ोर से सिसकियां लेने लगी- आआहहह स्टीव खेलो मेरे साथ.. कुचल दो मेरे स्तनों को.. चूस चूस के बहाल कर डालो मेरे मम्मों को, रूको मत.. येस्स्स्स्स..
वो भी पूरे जोश से मेरा साथ दे रहा था.
अब मेरी योनि पागल हो चुकी थी, उसे लिंग की सख्त ज़रूरत थी. मैंने उसके कान में कहा- अब रहा नहीं जा रहा, चोदो प्लीज़ मुझे.
उसने कहा- जान इतनी जल्दी भी क्या है, पहले तुम्हें मेरे लंड को चूसना होगा.
यह कहके उसने मुझे अपनी गोदी से उतार दिया.
मैं अपने घुटनों पे फर्श पे आ गयी और एक उत्तेजना के साथ उसके अंडरवियर को उतारने लगी. जैसे ही अंडरवियर को खोला, उसका 7 इंच का लंड उछल कर बाहर आ गया और मेरे करीब होने के कारण सीधे मुँह पे टकरा गया. उसके लंड के ऊपर हल्के बाल थे और अनकट था, एकदम गोरा लंड था.
उसने प्यार से मेरे गाल पे हाथ रखा. मैंने अपने हाथ से पहले तो उससे थोड़ा खेला और उसकी गोटियों को चूमना और चूसना शुरू किया, फिर धीरे से अपनी जीभ से उसके टोपे को चाटना शुरू किया. थोड़ी ही देर में उसका लंड मैं मज़े से चूस रही थी. मैं कभी पूरा लंड अन्दर लेने की कोशिश करती, कभी आधा. मेरा एक हाथ उसकी गोटियों के साथ खेल रहा था. स्टीव का हाथ मेरे बालों के पीछे किए हुए था और मैं मज़े से उसे तेज़ चूसने लगी. कभी लंड बाहर निकाल कर चाटती तो वो कराह उठता. उसकी कराहट से और जिस तरह उसका हाथ चल रहा था, मुझे समझ आ गया था कि उसे मज़ा आ रहा था.
उसने कहा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… जान, ऐसे तुम तो बड़ी मज़ेदार हो, ऐसी ही उम्मीद थी, बस ऐसे ही … आह येस्स्स बेबी.
मैंने पूरा लंड अन्दर लिया.. और 2-3 बार अन्दर बाहर करके लंड को चुदाई का मजा दिया. अब उसका लंड फड़कने लगा था. मैं भी उससे चूमती चाटती चूसती रही.
उसने मुझे रोका, उठाया और बेड पे पटक दिया. वो बोला- अब तुम्हारी चूत की बारी है.
मेरी भीगी हुई पेंटी को उसने उतारा, हल्का सा सूँघा और फेंक दिया. मेरी चुत पर बाल थे, उन्हें हल्का सा खींचा और मेरी टांगें अपने कंधों पे लेकर योनि को जीभ से एक बार चाट लिया. जीभ के स्पर्श मात्र से मैं तो मानो पागल सी हो गयी.
‘आअहह..’ एक झटका सा लगा.
वो तो बस मज़े से मेरी चूत के दाने और चूत को मज़े से चाटने लगा.
मेरे मुँह से तो बस- आहह जान, डोंट स्टॉप…. यसहहहह.. आह बस करो.. हां ऐसे ही..
मैं बस ऊपर मचलती रही, कभी चादर खींचती, अपने नितंबों को खुद ही दबाने लगती, अपने होंठ काट लेती, सिसकारियां भरती रही. उसका सिर को अपने हाथों से दबाती रही. मुझे ऐसे मज़े की चाहत ना जाने कब से थी और आज मुझे सब मिल रहा था.
अब मुझे स्टीव के मूसल को अपनी योनि में लेना था, मैंने उसे ऊपर खींचा, उसे चूमते हुए उससे कहा- अब बस रहा नहीं जा रहा … डालो अपना लंड मेरे अन्दर और चीर दो मेरी चूत को.
उसने निरोध पहना और मेरे योनि पे अपना लिंग रगड़ने लगा, मैंने भी अपनी टांगों को उसकी कमर पे लपेट दिया. उसने मुझे चूमा और एक ही बार में आधे से ज़्यादा लंड मेरे अन्दर डाल दिया.
‘याअ ल्ल्लाहह ह हह ह हह …’
मेरी चीख निकली, इतने ज़माने के बाद मुझे किसी ने चीरा था ‘आहह हह …’
बस मेरी अब कराहट और सिसकारियां निकलती रहीं और वो मुझे बेधड़क चोदता रहा. कभी धीरे कभी तेज, पूरा मेरे अन्दर डालता, साथ ही साथ मुझे चूमता. कभी होंठ पे, गले पे, मेरा पानी निकले जा रहा था. ऊपर से डॉट्स ने और मज़ा बढ़ा दिया.
मैं भी गांड उछाल कर उसका साथ देने लगी, उसे कसके पकड़ लिया, उसकी पीठ और उसके कूल्हों पे अपने नाख़ून से खरोंचती हुई चुदती रही. मैं पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी.
करीब 8-10 मिनट में मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं झड़ गई. पर एक ग़ज़ब सा एहसास था. मेरी कामोत्तेजना को पहेली बार तृप्ति मिली थी. मेरी आंख से एक छोटा सा आंसू निकला, जो वो चूमते हुए पी गया. एक मिनट के अन्दर वो भी झड़ गया और मेरे पास लेट गया.
मुझे लगा शायद आज इतना ही, पर जैसे ही मैं उठी, उसने मुझे फिर से अपनी ओर खींच लिया और मुझे चूमना शुरू किया. मेरे मम्मों को मसलना शुरू कर दिया. मैं उसकी बांहों में थी, मेरा एक हाथ उसके सीने को सहलाने लगा. धीरे धीरे नीचे जाते हुए उसके लिंग से मेरा हाथ खेलने लगा. उसका लिंग खड़ा होने लगा. स्टीव का एक हाथ मेरी योनि को मसलने लगा. हम चूमते हुए एक दूसरे के यौन अंगों को उत्तेजित करने लगे.
इतने में उसने कहा- उस दिन ये सब क्यों नहीं हो पाया और आज क्यों?
मैंने जवाब दिया- मैं उस दिन शायद ये सब नहीं चाहती थी, मेरा मन नहीं था.
उसने कुछ ना कहा और मुझे अपने ऊपर लिटा लिया, हम एक दूसरे को चूम ही रहे थे कि उसने अपना लिंग मेरी योनि पे लगा कर रगड़ा. थोड़ा सा अड्जस्ट करते हुए उसने मेरी चूत में फिर से अपना लंड घुसा दिया. पहले तो मैं सिसकारती हुई, उससे चूमती हुई उसके ऊपर लेटी रही और वो मेरी कमर से पकड़ कर मुझे नीचे से धीमे और तेज झटके देता रहा.
थोड़ी ही देर में मैंने उसे रोका और उसके लंड के ऊपर बैठ गयी. अब मैंने कहा- अब तुम लेटे रहो और मैं तुम्हें मज़े दूँगी.
मैंने उसके लंड पर उछलना शुरू कर दिया. उसने मेरे नितंबों के साथ खेलना शुरू किया. वो कभी उन्हें नोंचता, खींचता, दबाता हुआ मजा देने लगा.
इधर मैं उसके लंड को अपने अन्दर लेकर घूमती, उछलती और बस अपनी मस्ती को अपने मुँह से निकालने लगती- याल्लाह … आहह … बस ऐसे ही … म्म्म्म.
मेरी वासना से भरी सिसकारियां चालू थीं.
कुछ देर बाद एक अचानक सा डर हुआ कि इस बार हम बिना निरोध के कर रहे हैं. जब मैंने रूक कर ये कहा, तो वो हंसा. फिर हम आसान बदल कर डॉगी स्टाइल में आ गए. पर उसके दिमाग़ में कुछ और ही था.
प्यार से पहले मेरे कूल्हों के बीच के छेद को चाटने लगा. मैं समझ चुकी थी कि अब मेरा बुरा हाल होगा. मैं बस इंतज़ार में थी कि अब ये मेरे पीछे के छेद को भी चीर देगा.
मैंने कहा- प्लीज़ हनी आज ये रहने दो, बहुत दिन बाद किया है नहीं झेल पाऊंगी.
स्टीव बोला- ये तो आज करना ही पड़ेगा, उस दिन की भरपाई मान लो.
मन तो उसने बना ही लिया था और मैंने भी इस आसन में आकर उससे आधे मन से हां कह ही दिया था.
उसने अपना लंड गांड के छेद पर टिकाया और धीरे धीरे चीरते हुए मेरे अन्दर डाल दिया. हर बार वो बढ़ता, मेरी चीख निकलती. फिर धीरे से वो निकालता, फिर थोड़ा और अन्दर, फिर बाहर, ना जाने कैसे पर इससे एक सनसनाहट सी पैदा होने लगी और दर्द कम और मज़ा ज़्यादा आने लगा.
जब मेरी गांड उसका साथ देने लगी, तो उसने झुक कर मेरे गालों को चूमा, मेरे नितंबों को कसके पकड़ा और तेज़ी से चीरने लगा.
‘उई अम्मी… या अल्लाह.. हाय… मर गई.. आआह… म्म्म्मम…’ तेज कराहट का एक और बार आना शुरू हो गया. इस मदहोशी भरी चुदाई में दर्द ने मुझे पागल सा कर दिया. कुछ देर बाद मैंने भी एक हाथ से उसके कूल्हों को अन्दर की तरफ खींचना शुरू कर दिया.
बेतहाशा तौर पे उसने मुझे चोदा. वो बार बार कहता- आह तुम इतनी टाइट हो.. क्या मज़ेदार गांड है तेरी..
मैं गर्दन घुमा कर उससे चूमती और वो मेरे होंठों को चूसता चोदता रहा. थोड़ी थोड़ी देर में वो मेरे कूल्हों पर थप्पड़ भी मारता, तो मेरे शरीर में एक अलग सा एहसास दौड़ जाता.
हम लोगों के जिस्म एक साथ अकड़ने लगे और हम साथ साथ ही झड़ गए. उसने अपना गरम वीर्य मेरे अन्दर ही छोड़ दिया, उस गर्माहट से थोड़ी राहत मिली. मैं बिस्तर पर पड़ गयी और वो मेरे ऊपर आ गया. वो मेरी गर्दन कंधे और पीठ को चूमता रहा.
मैंने अपने आस पास देखा, तो मेरी साड़ी और कपड़े फर्श पर पड़े हैं. एक मर्द के कपड़े भी पड़े थे. मैं नंगी एक मर्द के नीचे दबी हूँ.. और वो मुझे दो बार तृप्त कर चुका है. मेरी योनि ना जाने कितने समय बाद शांति से है.
थोड़ी ही देर बाद हम उठे एक दूसरे को साफ़ किया, कपड़े पहने. मुझे चलने में थोड़ी दिक्कत थी, तो वो मुझे हमारी बिल्डिंग के कंपाउंड तक छोड़ने आया.
जब गेट से अपार्टमेंट आते हुए अकेली थी, तो शायद चेहरे पे एक राहत सी थी और शायद एक मुस्कुराहट भी. मेरी चाल में थोड़ा बदलाव तो था ही, आज मैं एक बेवफा शौहर की बंदिश से आगे बढ़ चुकी थी.. और स्टीव ने मुझे एक आज़ादी सी दे दी थी.
चार घंटों के अन्दर मेरी नाराज़गी अब एक ख़ुशी में बदल गयी. मुझे भी नहीं पता था कि ये तो बस एक शुरूआत है और ज़िंदगी ना जाने अब और कैसे मीठे यौन कामना के एहसास करवाएगी.
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