शादी के पहले खूब चुदी थी मैं

शादी के पहले खूब चुदी थी मैं


नेकेड सेक्सी गर्ल चुदाई कहानी तीन लड़कियों की है जो आपस में शादी से पहले अपनी चुदाई के किस्से आपस में एक दूसरी को बता रही थी. मजा लें.
तीन भाभियाँ, शादी के पहले की कहानियाँ
मैं आपको एक सच्ची नेकेड सेक्सी गर्ल चुदाई कहानी सुना रही हूँ.
एक बार तीन बीवियां मिसेज पूजा बासु, मिसेज कविता चौधरी और मिसेज रूपा बनर्जी बैठी हुई आपस में बातें कर रही थीं.
ये तीनों बंगाली बीवियां हैं और ये गरम सेक्स कहानी भी कोलकाता की ही है.
वो तीनों दारू पी रही थीं और सभी के हाथों में सिगरेट भी दबी थी.
बीवियां बड़े और धनी घरानों की थीं. तीनों ही अय्याशी करने वाली औरतें थीं और खूबसूरत इतनी थीं कि इन्हें देखते ही लोग अपने लंड हिलाने लगते थे.
मुझे पूरा यकीन था कि लोग इनके नाम का सड़का भी लगाते होंगे.
भगवान ने औरतों को इतना खूबसूरत और हॉट बनाया ही है कि इन्हें देख कर लंड बहनचोद अपने आप खड़े हो जाते हैं.
ये तीनों औरतें अपनी एक सहेली के घर में बैठी हुई क्या क्या बातें कर रही हैं, जरा आप भी सुनिए.

सबसे पहले पूजा बोली:
मेरी शादी अभी दो साल पहले ही हुई है. मैं शादी के पहले खूब चुदी थी और शादी बाद भी खूब चुद रही हूँ. मुझे कभी लंड की कमी महसूस नहीं हुई.
खूबसूरत औरतों को लंड की कमी इसलिए नहीं होती क्योंकि सब लोग उसे लंड पकड़ाने के लिए आगे पीछे घूमा करते हैं.
शादी के पहले जब कई लोगों से चुदवाने की आदत पड़ जाती है तो फिर कभी छूटती नहीं है.
पहले मैं लड़कों से चुदवाया करती थी और अब शादी के बाद पराये मर्दों से चुदवाती हूँ.
मैंने महसूस किया है कि आजकल के लोग चुदाई का काम फटाफट करते हैं. टाइम की कमी होती है, तो जहां मौक़ा मिलता है … वहीं लौड़ा पेल देते हैं.
मैं तो कभी कभी ऑफिस में ही चुदवा लेती हूँ, कभी अपने घर में ही लोगों को बुलाकर चुदवा लेती हूँ. कभी किसी के घर में, तो कभी किसी होटल में या कभी फार्म हाउस में मजा ले लेती हूँ. कभी किसी पार्टी या कोई फंक्शन हो तो उधर भी फटाफट वाली चुदाई का मजा ले लेती हूँ … और कभी तो पास पड़ोस के घर में भी चुदवा लेती हूँ.
मैंने तो ट्रेन में भी चुदवाया है यार! मर्द का लौड़ा साला हर जगह मिल जाता है और हर समय मिलता है. बस थोड़ा ट्रिक चाहिए. थोड़ा लोगों की नजरें पहचानने की योग्यता चाहिए और थोड़ा नाज नखरे और मर्दों को रिझाने की अदाएं चाहिए होती हैं, बस इतने में ही चूत का काम बन जाता है.
मैं बहुत खूबसूरत हूँ सेक्सी हूँ और हॉट भी. कॉलेज में मेरी दोस्ती कई लड़कों से हो गई थी.
लेकिन मैंने जो लंड सबसे पहले पकड़ा था, वह लंड था मेरी भाभी जी के भाई आशुतोष का.
आशुतोष मुझसे 3 साल बड़ा था और मैं उस वक्त 19 साल की थी.
एक दिन मेरे मम्मी पापा दो दिन के लिए बाहर चले गए थे तो मैं आशुतोष के नजदीक आ गयी, उससे हंसी मजाक करने लगी, छेड़ खानी करने लगी.
हम दोनों एक दूसरे के बदन को टच करने लगे.
मेरी निगाह उसके लंड पर थी और उसकी निगाह मेरी चूचियों पर थी. मेरी चूचियां तो बड़ी बड़ी थी हीं, वो ऊपर से ही दिख रही थीं. मैं खुद उसके लंड की खोज में लगी थी.
जब वह नहाने जा रहा था तो मैंने खेल खेल में उसकी तौलिया खींच ली.
वह नीचे कुछ नहीं पहने था तो पूरा नंगा हो गया.
मैं उसका लौड़ा देख कर मस्त हो गयी, हंसने भी लगी.
वो अपना लंड छुपाने लगा.
तो मैंने कहा- अच्छा लो, अब तुम तौलिया पहन लो.
वह बोला- अब मैं नहीं पहनूंगा. मैं नंगा ही रहूंगा और तुझे भी नंगी कर दूंगा.
उसने सच में मुझे नंगी कर दिया.
मैं दिखावे के लिए मना करती रही पर मैं खुद चाहती थी कि उसके आगे नंगी हो जाऊं. मैं नंगी भी हो गयी.
फिर उसने मुझे चिपका लिया, मेरी प्यार से कई चुम्मियां लीं.
मैं भी उससे बुरी तरह चिपक गयी.
मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया और उसका हाथ मेरी चूचियों पर.
मैं उसका लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगी और वह प्यार से मेरे बूब्स दबाने लगा.
फिर हम दोनों बेड पर आ गए.
बेड पर उसने मुझे चित लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ बैठा.
वह मेरे सारे बदन पर हाथ फेरने लगा और मेरे बूब्स खूब कस कसके दबाने लगा. बूब्स की खूब चुम्मियां लीं, निपल्स भी मजे से चाटे, मेरी मक्खन सी चूत पर भी हाथ फेरा.
मेरी काली काली झांटों पर उंगलियां फिराने लगा.
मैं अपनी झांटें पूरी साफ़ नहीं करती थी, बस ट्रिम कर लेती थी.
मुझे अपनी गोरी गोरी चूत पर काली काली छोटी छोटी झांटें बहुत सेक्सी लगती थीं.
उसने मुझे घुमा कर मेरी गांड भी प्यार से सहलाई और मेरी मोटी मोटी जांघों पर खूब जम कर प्यार किया.
मैंने भी उसका लौड़ा छोड़ा नहीं, पकड़े रही और हिलाती रही. उसके लंड को देखने की चेष्टा करती रही.
कुछ देर तक ऐसा होता रहा.
फिर मैंने उसे नीचे लिटा दिया, उसकी टांगें फैला दीं और उसके बीच अपना मुँह घुसेड़ दिया, तो लंड सीधे मेरे मुँह में घुस गया.
मैं लंड चाटने लगी, चूमने लगी और चूसने लगी.
पहली बार एक मस्त खड़ा लंड मिला था तो मैं उसका पूरा मज़ा लेना चाहती थी.
मुझे लंड का टोपा बहुत अच्छा लग रहा था.
मन कर रहा था कि बस लंड को देखती ही रहूं और लंड का टोपा चूसती ही रहूं.
मैं आशुतोष का लंड चूसती रही.
बीच बीच में मैं लंड मुँह से निकाल निकाल कर उसे मुट्ठी में लेकर ऊपर नीचे करती रही और आगे पीछे भी करती रही.
उसका लोहे जैसा सख्त लौड़ा मुझे ऊपर नीचे और आगे पीछे करने में मज़ा आने लगा था.
मेरी नजर लंड के सुपाड़े पर टिकी थी, जिसे मैं लगातार देखे जा रही थी.
लंड के सुपारे का थोड़ा बार बार बंद होना और फिर पूरा खुलना देख कर मैं मज़ा लेने लगी थी.
वह मुझे बड़ा क्यूट लग रहा था.
मैंने ऐसा करते हुए लड़कियों को पोर्न में देखा था.
मैं भी उसी तरह कर रही थी.
वह भी कई बार बोला- पूजा मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है. मगर मैं ऐसे में निकल जाऊंगा. थोड़ा रुको, मैं चोदूंगा.
लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी. मैं तो लंड को छोड़ना ही नहीं चाहती थी.
मैंने सोचा कि इतना बढ़िया लंड मैं जी भर कर तो देख लूं.
बिना झांट का एकदम चिकना लंड मेरे दिल में समा गया था.
लंड के साथ खेलते खेलते ही मैं खलास हो गयी थी. मेरी चूत से पानी निकल पड़ा था.
तब तक वह भी बोला- लो पूजा, अब मैं खलास हो रहा हूँ.
मैंने अब और जोर से लंड मुँह में भरा और कहा- हां हो जाओ खलास मेरे मुँह में, मैं लौड़ा बाहर नहीं निकालूंगी.
तब उसके लंड ने सारा वीर्य मेरे मुँह में ही निकाल दिया.
मुझे पहले तो स्वाद तो थोड़ा ख़राब लगा लेकिन फिर मैंने जो लड़कियों को पोर्न में लंड पीते हुए देखा था, मैं उसी तरह से लंड पीने लगी.
आखिर में मैंने लंड का टोपा चाट चाट कर लाल कर दिया.
उसने मुझे बड़े प्यार से गले लगा लिया और बोला- पूजा, तुम बहुत अच्छी लड़की हो. आई लव यू!
रात में उसने मुझे खूब चोदा, पटक पटक कर चोदा. हर तरफ से चोदा, आगे से चोदा, पीछे से चोदा, कुर्सी पर बैठ कर और मुझे लंड पर बैठा कर चोदा. मुझे बाथरूम में खड़े खड़े चोदा. सोफा पर लिटा के चोदा और जमीन पर गिरा कर चोदा.
मैं भी बड़े प्यार से खूब चुदी और जब तक मेरे पापा मम्मी के आ नहीं गए तब तक मैं चुदती रही.
बस उसी दिन से मुझे चुदने की आदत पड़ गयी.
एक दिन मुझे मालूम हुआ कि मेरी एक सहेली मीना के मम्मी पापा बाहर गए हैं और वह अपने के फ्लैट में अकेली ही है, तो मैं जुगाड़ करके दो लड़कों के साथ उसके घर चली गयी गयी.
वह भी मेरी ही तरह चुदासी थी.
हम दोनों ने मिलकर उन दोनों लड़कों से खूब झमाझम चुदवाया.
वह भोसड़ी वाली मुझसे ज्यादा चुदक्कड़ निकली.
एक बार उसने दोनों लड़कों से एक साथ चुदवाया फिर मैंने भी दोनों लड़कों से एक साथ चुदवाया.
यानि दो दो लंड से एक साथ चुदवाने का मज़ा लूटा.
अब मैं शादी के बाद हर दूसरे दिन किसी पराए मर्द से बिंदास चुदवाती हूँ.
मेरे संपर्क में मुझे चोदने वाले कई मर्द हैं.
मैं सबसे बारी बारी से रंडी की तरह चुदवाती हूँ. मैं एक तरह से रंडी ही हूँ, सबके लंड का मज़ा लेती हूँ.
पूजा की कहानी खत्म हुई तो मिसेज कविता ने अपनी कहानी सुनाई.
कविता बोली:
देखो यार, कोलकाता में दारू और सिगरट पीना लड़कियां कॉलेज में ही सीख जातीं हैं, तो मैं भी सीख गयी.
डांस करना और गाना गाना भी लड़कियां सीख जातीं हैं जैसा कि इस शहर का कल्चर है.
मैं जब जवान हुई तो मुझे नाईट क्लब में जाना अच्छा लगने लगा और मैं कभी रात रात भर क्लब में डांस करती थी और एन्जॉय करती थी.
मैंने अपने मां बाप की भी कभी परवाह नहीं की.
वैसे भी कोलकता को सिटी ऑफ़ जॉय कहा जाता है.
एक दिन मैं खूब नशे में थी और लड़कों लड़कियों के साथ ग्रुप डांस कर रही थी.
डांस जब अपनी पूरी रफ़्तार पर था तो किसी को भी अपने तन बदन का होश नहीं था.
कपड़ों की तो किसी को परवाह ही नहीं थी. कई लड़कियों के बूब्स खुल गए थे. कई लड़कियों की गांड भी दिखने लगी थी.
कई लड़कों की झांटें साफ साफ़ दिख रही थी. लड़कियों की चूत भी खुलने लगी थी और लड़कों के लंड भी दिखने लगे थे. किसी को कोई शर्म नहीं थी.
डांस जब खत्म होने ही वाला था तो मैंने देखा कि 2 -3 लड़कियां वहीं बैठ कर लड़कों के लंड चाटने लगी हैं.
मुझे भी जोश आ गया तो मैं भी एक लड़के का लंड चाटने लगी.
हॉल अन्दर से बंद हो चुका था.
जो लोग इस में थे, बस वही अन्दर रह गए.
हॉल में हम 4 लड़कियां थीं और इतने ही लड़के.
मैंने भी खूब तबियत से लंड चाटा और मजा आया तो तीन लड़कों के लंड चाटे.
मुझे सच में बहुत ही अच्छा लगा.
लड़के भी बुर चाटने लगे.
मैंने भी दो लड़कों से अपनी बुर चटवाई.
तब मैंने देखा कि एक लड़के ने अपना लंड एक लड़की की चूत में घुसेड़ दिया है.
मैं जान गयी कि यहां चुदाई भी होगी.
फिर मैं भी एक लड़के से चुदने लगी.
मैं पूरा मज़ा लेना चाहती थी. मैं उस रात 2 लड़कों से चुदी और खूब मस्त हो कर चुदी.
मुझे इतना मज़ा आया कि मैं दूसरे दिन रात होने का बड़ी बेकरारी से इंतज़ार करने लगी.
रात हुई तो फिर मैं वहीं पहुंच गयी, फिर डांस किया और लगभग नंगी होकर डांस किया.
मैंने सबको यह अहसास करा दिया कि मैं यहां एक चुदने वाली लड़की हूँ.
करीब रात को 2 बजे के बाद फिर वही लंड चूमने चटाने और चूसने का सिलसिला चालू हो गया.
मैं भी लंड चाटने लगी और बुर चटवाने लगी.
उस दिन मैंने 3 लड़कों से रात भर चुदवाया.
अब मुझे चुदने की आदत पड़ गयी थी.
आज भी मैं जब अपने मायके जाती हूँ तो वहां से खूब चुद कर आती हूँ.
मेरी शादी एक अच्छे घराने में एक अच्छे लड़के से हो गयी.
मैं 3 महीने तक अपने पति से ही चुदवाती रही और किसी ग़ैर मर्द से नहीं चुदवाया.
लेकिन उसके बाद मेरा मन नहीं माना. रोज रोज वही लंड, वही चुदाई, वही लौड़े का चूत में आना जाना … धीरे धीरे मैं बोर होने लगी.
मुझे लगा कि अब मुझे चुदाई में कोई इंटरेस्ट ही नहीं है.
मेरी ज़िन्दगी निराश होने लगी.
एक दिन मैंने ठान लिया कि मैं ऐसा नहीं होने दूँगी. मैं जवान हूँ तो अपनी जवानी कायम रखूंगी और जवानी तब कायम रहेगी जब मैं पराये मर्दों से चुदवाऊंगी.
बस मैंने लोगों को फांसना शुरू कर दिया. क्लब में रात में जाना हो नहीं सकता था तो मैंने सोचा कि अब दिन में क्यों न चुदवाया जाए.
जब मेरा पति ऑफिस में होता है या जब वह टूर पर जाता है. तब उस समय का मैंने इस्तेमाल करने का सोचा.
मेरा पति एक बड़ी कंपनी में काम करता है, उसे टाइम बहुत कम मिलता है, उसका बाहर का टूर भी बहुत लगता है.
बस मैं उसी का फायदा उठाना चाहती थी.
एक दिन मैंने अपने यार अमन को अपने घर बुला लिया. वह मेरी दोस्त निशा का चहेता था. उसी ने उसे मेरे पास भेजा था.
अमन को मैंने बड़े प्यार से बैठाया और उसे दारू ऑफर की.
हम दोनों दारू पीने लगे.
फिर मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया.
मैं खूबसूरत हूँ तो हर मर्द मेरी बांहों में आना चाहता है.
वह तो मस्त हो गया मेरी चूचियों से टकराकर.
मैंने भी उसका लंड पकड़ लिया तो मैं भी मस्त हो गयी.
मैंने सिर्फ एक गाउन पहना था, नीचे कुछ भी नहीं. मैंने चुपके से अपने गाउन का फीता खोला तो गाउन नीचे गिर पड़ा और मैं उसके एकदम नंगी हो गयी.
वह मुझे नंगी देख कर उत्तेजित हो गया.
मेरे बूब्स चाटने और चूसने लगा और मैं उसका लौड़ा आगे पीछे करने लगी.
लौड़ा मुट्ठी में आते ही मुझे उसके साइज का पता चल गया. लौड़ा 7″ का था और मोटा भी था.
इसका लंड क्लब के कई लड़कों के लंड से बेहतर था.
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिये.
वह भी मेरे आगे नंगा हो गया.
उसकी छोटी छोटी झांटें मुझे बहुत अच्छी लग रही थीं.
बंगाली लड़की लंड देख कर अपना मुँह खोल देती है, मैंने भी खोल दिया और लंड चूसने लगी.
वह मेरे नंगे बदन पर हाथ फ़राने लगा और मेरी गांड चूत सब सहलाने लगा.
मैं तो लंड चूसने में व्यस्त थी.
वह बोला- यार कविता, तुम तो निशा से ज्यादा अच्छी तरह से लंड चूस रही हो?
मेरा हौसला बढ़ा तो मैं और मस्ती से लंड का सुपारा चूसने लगी, बिल्कुल आम की गुठली की तरह बार बार उसे मुँह से निकाल निकाल कर चूसने लगी.
मेरी चूत गीली थी, मैं बहुत चुदासी हो गयी थी, बस लंड जल्दी से जल्दी पेलवाना चाहती थी.
वह भी जल्दी में था तो उसने गचाक से लौड़ा चूत में पेल दिया.
मैं सिहर उठी.
मेरे मुँह से उफ़ निकला और कुछ भी नहीं क्योंकि मैं तो खूब चुदी हुई थी ही.
फिर मैं मस्त होकर भकाभक चुदवाने लगी.
उसके बाद तो फिर मैंने ऐसा सिलसिला बनाया कि आज मुझे चोदने वाले 10-12 लोग हैं और मैं इन सबसे अक्सर चुदवाती रहती हूँ.
अब रूपा बनर्जी ने अपनी कहानी सुनाई:
पहला लंड तो मैंने तब पकड़ा था, जब मैं जवान हो गयी थी. वह लंड था मेरे पड़ोसी का, जिसे मैंने रात को छत में पकड़ा था.
इत्तफाक था कि वह भी अपने छत पर आया था और मैं भी अपने छत पर गई थी.
हम दोनों पहले एक दूसरे को खूब देखा करते थे.
उसका नाम देवास था.
उस दिन मौक़ा मिला तो हम दोनों पास आ गए और एक दूसरे से लिपट गए.
छत का दरवाजा मैंने भी बंद कर लिया था और उसने भी.
फिर उसने मेरे मम्मों को खोल कर बाहर निकाल लिया और मैंने उसका लंड.
उसका लंड एकदम खड़ा था, काफी मोटा तगड़ा था और सख्त भी.
उसने मेरी चूत में हाथ डाल दिया. मेरी झांटों पर उंगलियां फिराने लगा.
मैं वासना में डूबी जा रही थी. वह भी जोश में आता जा रहा था.
वह खड़ा था और मैं घुटनों के बल बैठ कर उसका लंड पूरा मुँह में भर कर चूसने लगी थी.
ऐसा करना मैंने अपनी सहेलियों से सीखा था.
मैं लौड़ा पूरा घुसा कर चूस रही थी.
बंगाली हूँ न … लौड़ा चूसना बड़ा अच्छा लगता है न बंगाली लड़कियों को.
वह सिसियाता रहा और बोला- यार लंड बाहर निकालो, नहीं तो मैं तेरे मुँह में ही झड़ जाऊंगा.
मैंने कहा- झड़ जाओ मेरे मुँह में बहनचोद … कोई बात नहीं. जो होगा देखा जाएगा.
‘वॉव ऊं हुं हां हो ओहा हाय रे ही हो उफ़ ई ओ हो आह …’ करते हुए वो झड़ भी गया और मैं जोश में सब कुछ पी गयी.
मुझे उसका लौड़ा बहुत पसंद आया.
इसी तरह मैंने दो लड़कों के लंड और पकड़े … पर चुदवाया किसी से भी नहीं.
मेरी एक पुरानी दोस्त थी. उसका नाम मेघा था, उसकी शादी हो चुकी थी. हम दोनों लंड, चूत, बुर, भोसड़ा, लौड़ा की बातें खूब किया करती थीं.
धीरे धीरे कुछ और लड़कियां हमारे ग्रुप में आ गईं और वो भी लंड, बुर, चूत, भोसड़ा की बातें करने लगीं. लंड की बातें और लंड के साइज की बातें भी खूब करती थीं.
एक दिन मेघा मुझे अपने घर ले गयी.
पहले उसने दारू पिलाई और फिर पोर्न दिखाने लगी. मैं अच्छी तरह गर्म हो गयी थी.
मैं खूबसूरत थी तो वह बोली- यार रूपा मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ.
मैंने कहा- हां बोलो … क्या कहना है?
वह बोली- यार आज तुम मेरे पति से चुदवा लो. वह तुम्हारे हुस्न पर मर मिटा है. जब से उसने तुम्हें देखा है, तब से तुम्हें लंड पकड़ाने के लिए बेताब है बेचारा. तुम उसे चुदवाओगी तो फिर मेरा भी रास्ता पराये मर्दों से चुदवाने का खुल जाएगा.
मैंने हां कह दिया. मैंने कहा- ठीक है … मैं तेरे पति से चुदवा लूंगी, बुलाओ उसे!
उसने फोन करके अपने पति को बुला लिया.
वह आ गया.
मैंने देखा कि वह बड़ा हैंडसम है और स्मार्ट है … तो मैं खुश हो गयी.
हम दोनों बड़ी गर्म जोशी से मिले और वो हमारे साथ दारू पीने में शामिल हो गया.
मेघा ने खुल कर बताया कि रूपा तुमसे सेक्स करके को तैयार है.
यह सुनकर उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा.
सामान्यतया कोई बीवी अपने पति का लंड किसी और को देती नहीं है, पर मेघा का स्वार्थ था … क्योंकि वह खुद पराये मर्दों से चुदवाना चाहती थी.
इसलिए वह चाहती थी कि उसका पति एक बार उसके सामने किसी की बुर चोद ले.
वह खुद हम दोनों को बिस्तर पर ले गयी और मेरा हाथ पकड़ कर अपने पति के लंड पर रख कर बोली- लो रूपा, अब तुम खुद मेरे पति का लंड खोल कर पकड़ लो.
मैंने जैसे ही उसको नंगा किया तो उसका लौड़ा टन्न से मेरे आगे आ गया.
मैं उसका लंड पकड़ कर मस्त हो गयी और लंड चूसने लगी.
मेघा मेरी बुर चाटने लगी.
उसका पति मेरे नंगे बदन पर हाथ फिराने लगा.
हम तीनों वासना में डूब गए.
फिर मेघा के पति ने मुझे अपनी बीवी के सामने ही बड़ी मस्ती से चोदा और मेघा बीच बीच में लंड मेरी बुर से निकाल कर चाटती भी रही.
वह भी खूब मजे ले रही थी.
मैं उस दिन उससे दो बार चुदी और फिर घर आ गयी.
इस तरह मैं शादी के पहले कई लड़कों से चुद चुकी थी और एक से एक मोटे तगड़े लंड से चुदी थी.
शादी के बाद मेरा चुदने का सिलसिला बंद नहीं हुआ.
सबसे पहले मैंने अपने पति के दोस्त निर्णय से ही चुदवाया.
उसका लौड़ा मेरे पति के लौड़े से मोटा है तो उसे चुदने में मुझे खूब मज़ा आया.
फिर एक दिन मैंने अपने ननदोई से भी चुदवाया.
उसने भी खूब मस्ती से चोदा और कहा- भाभी जी, मैं आगे भी तुम्हें चोदता रहूंगा.
मैंने भी कहा- हां खूब चोदो यार … ये तो तुम्हारे घर की ही चूत है, जब चाहो तब लौड़ा पेल देना इस बुरचोदी की चूत में.
फिर मैं अपने छोटे देवर से चुदवाने लगी और उसके दो दोस्त भी मेरी चूत लेने लगे.
आजकल मुझे चोदने वाले कम से कम 8 से 10 लोग हैं.
तो दोस्तो देखा आपने कि आजकल की बीवियां कितनी मस्ती से चुद कर ससुराल आती हैं. उन्हें देख कर उनके हाव-भाव से कोई भी पता लगा नहीं सकता कि यह कितनी चुदी हुई है और किस किस से चुदी हुई है.
लेकिन यह तय है कि अब सब लड़कियां अच्छी तरह चुद कर आती हैं.
शादी करती हैं और शादी के बाद भी पराये मर्दों से चुदवाती रहती हैं.
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