शादीशुदा चूत में लंड की कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरे पति ने मेरी चुदास जानकर मेरे लिए अपने ऑफिस से दो लड़के मेरी चुदाई के लिए भेज दिए. तो मैंने क्या किया?
मेरी शादीशुदा चूत में लंड की कहानी के पहले भाग
शादी की सालगिरह में मिले दो कच्चे लौड़े- 1
में आपने पढ़ा कि मेरे घर में मेरे पति के भेजे हुए दो लड़के मुझे नंगी करने को आतुर थे.
ब्लाउज़ से बाहर को उभर के दिख रहा मेरा क्लीवेज देख कर दोनों की आँखों में चमक आ गई।
मैंने पूछा- पहले कभी किसी के बूब्स नहीं देखे?
सोहन बोला- नहीं मैम, आज तक तो मौका नहीं मिला।
मैं उन दोनों के लंड सहलाती हुये बोली- तो देखो मेरे प्यारो, इन्हें छू कर भी देखो।
अब आगे की शादीशुदा चूत में लंड की कहानी:
रोहण सोहन दोनों ने अपने हाथ से मेरी क्लीवेज को छूकर देखा, मेरे एक एक बूब को पकड़ कर दबा कर देखा।
“अरे मैडम ये तो बहुत ही सॉफ्ट है, कितने नर्म!” सोहन बोला।
मैंने कहा- हाँ, इसी लिए नर्म हैं कि इन्हें प्यार से नरमी से सहलाओ।
रोहण बोला- तो क्या ब्लाउज़ से बाहर निकाल कर देख सकते हैं?
मैंने कहा- हाँ, देख लो।
रोहण मेरे ब्लाउज़ के हुक खोलने लगा और मेरा ब्लाउज़ उतार कर बोला- वाओ, क्या गजब लगती हो आप ब्रा में!
सोहन भी बहुत खुश हुआ, बोला- मैडम आज पहली बार औरत को ब्रा में देखा है लाईव। मूवीज़ में तो कई बार देखा था, मगर सच में आज देखा है।
दोनों लड़कों ने मेरे सारे ब्रा को मेरे बूब्स को मेरी पीठ को बड़े प्यार से, अच्छे से सहला कर देखा, जैसे सारा मज़ा वो आज ही ले लेना चाहते थे।
फिर सोहन ने मेरी ब्रा के हुक खोले और मेरी ब्रा उतार कर मेरे दोनों बूब्स बाहर निकाले।
दोनों मेरे सामने बैठे मेरे बूब्स को देख रहे थे तो मैंने पीछे को लेट गई।
गोल, गोरे मम्मे जिन पर भूरे रंग के निप्पल थे. दोनों लड़कों ने अपने अपने हाथ में मेरा एक एक बूब पकड़ा और दबा कर देखने लगे।
मैंने कहा- आप इन्हें पी भी सकते हो।
रोहण बोला- क्या इनमें दूध है?
मैंने कहा- नहीं दूध तो नहीं है, मगर तुम इन्हें वैसे ही चूस सकते हो, शायद दूध आ भी जाए।
दोनों लड़कों ने बड़ी जल्दी से मेरा एक एक निपल अपने मुंह में ले लिया और लगे चूसने।
पहली बार दोनों मम्मे एक साथ चुसवा कर बड़ा मज़ा आया। दोनों ने खूब चूसे, चूस चूस कर मेरे निप्पल गुलाबी कर दिये।
मगर इनमें दूध था ही नहीं तो आता कहाँ से। हाँ उनके इस तरह दूध चूसने से मेरी फुद्दी में पानी का सैलाब बह गया।
मैं पूरी तरह से तड़प उठी।
मैंने कहा- अब मैं भी कुछ चूस लूँ?
तो दोनों लड़कों ने मेरे दोनों होंठ अपने होंठों में पकड़ लिए और लगे चूसने!
सच में ये भी बड़ा रोमांचक था. उनके चूमने, चाटने और चूसने में उनकी भूख साफ झलक रही थी। मेरे होंठ, गाल, ठोड़ी, गर्दन सब चूस गए. बल्कि मेरे जिस्म पर तो कई जगह उनके लव बाईट के निशान भी पड़ गए।
मैं सिर्फ उनके लंड अपने दोनों हाथों में पकड़े सहलाए जा रही थी।
थोड़ी देर और चूसने के बाद मैंने कहा- अरे यार, मुझे भी कुछ चूसना है तुम्हारा!
रोहण बोला- क्या चूसेगी मादरचोद?
और फिर बोला- मैडम आपको ऐतराज तो नहीं अगर हम आपको गाली दें तो?
मैंने कहा- नहीं, अब जब रंडी बन कर दो लोगों से एक साथ चुदवा रही हूँ, और वो भी अपने पति की गैर मौजूदगी में … तो गाली दो, जलील करो, जो जी में आए करो। अब तो मैं तुम्हारी रंडी बन गई हूँ।
सोहन बोला- अरे वाह … तो फिर तो इस कुतिया को चोदने में मज़ा आएगा। अब बताऊँगा उस भोंसड़ी के बॉस को … साला बहुत हुकुम चलाता है, अब उसकी बीवी को रंडी बना कर न चोदा तो कहना।
मैंने कहा- अबे ओए, चूतिया नंदन, तेरी रंडी मैं बनी हूँ, मेरा पति नहीं, समझा, फालतू बकवास करी न, तो भोंसड़ी के नौकरी से निकलवा दूँगी।
मेरी बात सुन कर दोनों के चेहरे का रंग ही उड़ गया।
रोहण बोला- अरे मैडम हम तो यूं ही मज़ाक कर रहे थे।
मैंने कहा- मैंने भी तो मज़ाक ही किया था, पर तुम दोनों तो साले एक नंबर के फटटू निकले। डरो मत … दीपक से मैं कुछ भी नहीं कहूँगी। तुम अपने दफ्तर की खुन्नस यहाँ मत निकालो, दीपक ने तुम पर विश्वास करके इतना बड़ा मौका तुम्हें दिया है। इस मौके का फायदा उठाओ, अपनी ज़िंदगी का पहला सेक्स यादगार बनाओ। खुद भी मज़े करो, मुझे भी मज़ा दो। अगर मैं खुश हुई तो दीपक से कह कर आगे तरक्की भी दिलवाऊँगी। मुझे जो मर्ज़ी कहो … मगर मेरे पति को कुछ मत कहना, ठीक है?
दोनों लड़के खुश हो गए।
फिर रोहण ने मेरी साड़ी उतारनी शुरू की, और मेरा पेटीकोट भी उतार दिया। मेरी काली चड्डी और गोरी चिकनी जांघों को देख कर दोनों के मुंह खुले रह गए।
मैंने कहा- देख क्या रहे हो? चाटो इन्हें, चूमो इसे!
और मैंने अपनी उंगली से अपनी फुद्दी की तरफ इशारा किया।
दोनों लड़के मेरी एक एक जांघ को चिपक गए। मुझे सहलाया, चूमा, चाटा, काटा। घुटने से लेकर मेरी पेंटी तक अपनी जीभों से सब चाट गए. मेरी पेंटी के ऊपर से ही मेरी फुद्दी को चूमा भी और चाटा भी।
मैं भी उनकी इन कामुक करतूतों से बेहाल हुई जा रही थी। मैंने अपनी पेंटी खुद ही उतारनी शुरू करी।
पेंटी अभी जांघों तक ही पहुंची थी कि दोनों ने खुद ही खींच कर मेरी पेंटी को मेरे बदन से अलग कर दिया। गोरी गुलाबी, शेव की हुई फुद्दी के दर्शन उनको झनझना गए। दोनों ने अपने हाथों की उँगलियों से मेरी फुद्दी को खोल कर अंदर देखा, अंदर से दिखने वाली गुलाबी चूत में उन दोनों ने उंगली डाल कर देखी, जो मेरी फुद्दी के पानी से भीगी हुई उँगलियाँ थी, दोनों चाट गए।
फिर मेरी टाँगें चौड़ी करके दोनों मेरी फुद्दी चाटने लगे, कभी एक चाटता तो कभी दूसरा चाटता। सिर्फ यही नहीं, फुद्दी, जांघें चूतड़ और मेरी गाँड तक वो लोग चाट गए।
मेरे चूतड़ों को ऐसे काट खाया, जैसे सेब को खा रहे हों।
फिर रोहण बोला- अरे हम तो इसको चूम चाट रहे हैं, इसको भी तो कुछ करने को दें।
सोहन बोला- ठीक है भाई।
फिर मुझसे बोला- ए रंडी, चल अपने यारों के लौड़े चूस, भैनचोद।
मैंने कहा- अरे मैं तो खुद कब से इंतज़ार कर रही थी।
दोनों लड़के मेरे अगल बगल घुटनों के बल खड़े हो गए। दोनों के तने हुये गोरे लंड मेरे सामने थे। दोनों ने अपने अपने लंडों के सुर्ख टोपे बाहर निकाले और मेरे चेहरे पर घिसाने लगे।
एक लंड मेरे दायें गाल पर घिस रहा था, दूसरा लंड मेरे बाएँ गाल पर घिस रहा था।
घिसते घिसते दोनों ने अपने लंड मेरे होंठों से लगा दिये। मैंने दोनों को पकड़ा और अपने मुंह में ले लिया। लंड का डबल टेस्ट मेरे मुंह में आया। शायद थोड़ा थोड़ा रस उनके लंड से बह भी रहा था, भरपूर नमकीन स्वाद आया। मैंने भी दोनों के लंड को बारी बारी से खूब चूसा। फिर दोनों के आँड भी चूसे।
फिर रोहण बोला- बस कर रंडी, क्या चूस चूस कर ही माल गिरा देगी।
मैंने दोनों के के लंड अपने हाथों में पकड़े और हिलाने लगी।
रोहण बोला- तो पहले कौन तेरी चूत फाड़े?
मैंने कहा- तुम दोनों आपस में फैसला कर लो। तुम दोनों की शक्लें भी एक जैसी हैं, लंड भी एक जैसे हैं, मुझे तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता. जो कोई भी पहले आए, मेरे लिए तो एक जैसा ही है।
सोहन बोला- तू मुझसे 3 मिनट बड़ा है, पहले तू चढ़।
रोहण ने मेरी टाँगें खोली, और अपना लंड मेरी फुद्दी पर सेट किया.
सोहन मेरे पास आ कर बैठ गया, उसने अपना लंड मेरे मुंह के पास किया।
उधर रोहन ने मेरी फुद्दी में अपना लंड डाला और इधर सोहन ने मेरे मुंह में अपना लंड घुसेड़ दिया.
और लगे दोनों भाई धीरे धीरे मुझे चोदने।
मगर जब 7 इंच का कड़क लंड फुद्दी में अंदर तक खुजली मिटा रहा हो, तो मुझे उसे चूसने में और भी मज़ा आया।
मैंने कई बार सोहन के लंड को जोश में आकर काट लिया, वो दर्द से चीखा तो! मगर उसने मेरा मुंह चोदना बंद नहीं किया।
3-4 मिनट की चुदाई के बाद रोहण उतरा और उसने सोहन का कंधा थपथपाया।
फिर सोहन मुझे चोदने लगा और रोहण मुझे अपना लंड चुसवाने लगा।
मैं तो पहले ही तड़प रही थी, बस दो मिनट ही अभी सोहन ने मुझे चोदा होगा कि मेरा तो पानी झड़ गया। जब मैं तड़पी तो दोनों भाइयों ने मुझे कस कर
दबोच लिया, और ज़ोर ज़ोर से मेरी फुद्दी और मेरा मुंह चोदने लगे।
किसी निरीह चिड़िया की तरह छटपटाती हुई मैं स्खलित हुई।
सच में बड़ा मज़ा आया।
मेरे स्खलित होते ही सोहन उतर गया और रोहण से बोला- रोहण अब तू चोद इस छिनाल को!
रोहण बेड पर सीधा लेट गया तो मैं खुद ही उसके ऊपर आ गई।
मैंने खुद ही उसका लंड अपनी फुद्दी में लिया और ऊपर नीचे करने लगी। पहले तो सोहन ने खड़े होकर अपना लंड मुझसे चुसवाया, मगर फिर मुझे पीठ से धकियाते हुये, रोहण के ऊपर लेटा दिया, और मेरे चूतड़ खोल कर अपना लंड मेरी गाँड पर रखा, और ढेर सारा थूक लगा कर अपने लंड का टोपा मेरी गाँड में घुसेड़ दिया।
अब मेरे पति अक्सर मेरी गाँड मारते हैं, तो गाँड में लंड लेने मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई।
सोहन बोला- ये मादरचोद तो साली गांडू है, देख कितने आराम से गाँड मरवा रही है।
थोड़ा और थूक लगा कर सोहन ने अपना आधा लंड मेरी गाँड में डाल दिया। ऊपर से सोहन और नीचे से रोहण दोनों हल्का हल्का हिल कर मुझे चोद रहे थे। और मैं सैंडविच बनी एक साथ दो दो लंडों के मज़े ले रही थी।
थोड़ी देर बाद दोनों भाई आपस में बदल गए, मगर मुझे कोई फर्क पता नहीं चला। दोनों भाई कद काठी, रंग रूप, और लंड से भी बिल्कुल एक जैसे ही थे। दोनों ने बारी बारी बदल बदल कर मुझे जम कर पेला।
और फिर जब उनका माल झाड़ा तो दोनों ने मेरे फुद्दी और गाँड को अपने गरम वीर्य से भर दिया।
काफी देर से दोनों मुझे चोद रहे थे, तो माल भी भरपूर छूटा. इतना कि मेरी फुद्दी और गाँड दोनों से बह कर बाहर रिसने लगा।
उसके बाद हमने करीब आधा घंटा आराम किया। और आधे घंटे बाद अगले एक घंटे तक फिर दोनों भाइयों ने मुझे खूब चोदा, खूब जलील किया।
मगर ये भी सच है मेरे जिस्म को चबा कर खा गए, कोई ऐसा अंग नहीं छोड़ा, जहां उनके काटने के, या चूसने से निशान न बने हो।
करीब 4 बजे वो दोनों वापिस चले गए।
शाम को 6 बजे मेरे पति वापिस आए.
आते ही उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और पूछा- तो कैसा लगा शादी की सालगिरह का तोहफा?
मैंने भी खूब खुश होकर कहा- बहुत ही बढ़िया, मज़ा आ गया।
वो बोले- चल ऐसा, कर अपने उतार कर दिखा, क्या कर के गए वो दोनों?
मैंने मना किया.
मगर दीपक ने मेरे सारे कपड़े उतरवा दिये और मुझे बिल्कुल नंगी करके देखा।
मेरे सारे बदन पर यहाँ वहाँ दाँतो के काटने के, होंठों से चूसने निशान थे। पहले तो दीपक ने अपने मोबाइल से मेरे सारे बदन पर पड़े निशानों की पिक्स खींची।
फिर बोले- चल तैयार हो जा, बाहर डिनर पर चलते हैं।
उस रात हमने बाहर डिनर किया, मगर रात को दीपक ने मेरे साथ सेक्स नहीं किया, सिर्फ मेरे जिस्म पर पड़े उन निशानो से प्यार किया।
सेक्स करने के मूड में मैं भी नहीं थी। ना मेरा मन, न मेरा तन।
मगर मैंने फिर भी दीपक से पूछा- अरे सुनो तुमने तो मैरिज अनिवर्सरी का कोई गिफ्ट लिया ही नहीं?
दीपक मुस्कुरा कर बोले- कोई बात नहीं, अगली अनिवर्सरी पर यही गिफ्ट तुम मुझे दे देना।
मैं भी मुस्कुरा दी और बोली- ओ के मेरी जान।
और सोचने लगी, कैसे होगा, कैसा लगेगा मुझे जब मेरा पति एकसाथ दो लड़कियों के साथ सेक्स करेगा, और मैं कहीं बाहर होऊँगी, ये जानते हुये कि मेरा पति किसी और की बांहों में है।
मेरी शादीशुदा चूत में लंड की कहानी आपको कैसी लगी?
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