शादीशुदा लड़की का कुंवारी सहेली से प्यार-1
शादीशुदा लड़की का कुंवारी सहेली से प्यार-2
रीना की सिसकारियों की आवाज सुन कर कविता भी आ गयी, अब वो बिल्कुल नंगी थी. रीना ने उसे अपने मुँह पर बिठा कर उसकी चूत में अपनी जीभ कर दी. कविता के होंठ अब काकू के होंठों से मिल गये थे. काकू की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी, धक्के पर धक्के… और एक झटके से उसने रीना की चूत से अपना लंड निकला और सारा माल उसके मम्मों पर खाली कर दिया.
रीना उसे बोली- अभी तुम्हें कविता को भी चोदना है.
पर कविता ने मना कर दिया.
काकू अपना पेमेंट लेकर चला गया.
बाद में रीना ने पूछा- तूने क्यों नहीं चुदवाया?
तो कविता बोली कि वो अपनी कुंवारी चूत की सील किसी मसाजर से तुड़वाना नहीं चाहती. अगर शादी से पहले चुदाई करवानी हुई तो विनय से चुदवा लेगी.
दोनों हंस पड़ीं.
दोनों वाशरूम में घुस गयीं और शावर के नीचे खड़ी हो गयीं. नहा कर दोनों थक गयी थी तो डिनर पास के रेस्तराँ से आर्डर पर मंगवा लिया और खा पीकर नंगी ही चिपट कर सो गयीं.
सुबह कल की तरह 9 बजे उनकी आँख खुली. आज तो सन्डे था. विनय को रात तक आना था या कल सुबह.
रीना ने एक हल्का सा फ्रॉक खुद भी डाला और वैसा ही एक कविता को दे दिया. फ्रेश होकर दोनों नाश्ता करने लगीं, तभी डोर बेल बजी.
रीना बोली- कोई सेल्समैन होगा तो डोर खोल कर मना कर दे.
कविता ने बड़े आलस में डोर खोला तो सामने विनय खड़ा मुस्कुरा रहा था. कविता झेंप गयी और वाशरूम में भाग गयी. हल्की सी फ्रॉक में उसका सब कुछ नजर आ रहा था. विनय जोर जोर से हंस रहा था. उसने रीना को चिपटा लिटा और चूम लिया.
घर की हालत बता रही थी कि यहाँ मस्ती ज्यादा ही हुई है. बेडरूम में जमीन पर पड़े हुए अंडर गारमेंट्स, बियर की बोतलें, वाईब्रेटर सब कुछ तो पूरी कहानी बता रहे थे.
लापरवाह रीना ने परसों शाम से कुछ भी नहीं उठाया था.
रीना ने फटाफट सब कुछ उठाया, बाथरूम से कविता चिल्ला रही थी, उसे नाइटी दी.. कविता बाहर आई तो विनय ने उसके पास जाकर उसे भी किस किया तो कविता झेंप कर विनय से लिपट गयी. विनय ने हंसते हुए कहा- कविता, यही तो जिन्दगी है, इसमें कैसा शर्माना.
विनय नाश्ता करके नहाने घुस गया तो उसे रीना के चिल्लाने की आवाज आई. वो कविता को डांट रही थी.
विनय बाहर आया तो उसने देखा रीना रो भी रही है और कविता चुपचाप खड़ी है, उसने पूछा- क्या हुआ?
तो रीना बोली- देखो इस कमीनी को, ये कह रही है कि अपने कबूतरखाने में जाएगी. मैंने इसको परसों ही बोल दिया था कि अब जब तक इसकी शादी न हो जाये ये यहीं रहेगी.
विनय ने कविता की ओर देखा तो उसके गोरे गोरे गालों पर आंसू टपक रहे थे.
रीना बोली- मैं इसको अकेला नहीं छोडूंगी, अगर ये यहाँ नहीं रुकेगी तो जब तक इसकी शादी नहीं होगी मैं भी इसके पास रहूँगी.
विनय ने प्यार से दोनों हाथों से कविता का मुँह ऊपर किया तो कविता फफक कर बच्चों की तरह रो पड़ी, बोली- मैं तुम दोनों को डिस्टर्ब नहीं करना चाहती.
विनय हंस कर बोला- भला तुम्हारे यहाँ रहने से हम क्यों डिस्टर्ब होने लगे. और हम लोगों में तो कोई शर्म या पर्दा भी नहीं है. चलो अब हंस जाओ और फटाफट नहाकर तैयार हो जाओ, चलो मूवी चलते हैं.
रीना कविता से चिपट गयी और बोली- तुझे मेरी कसम है, अब जाने की बात नहीं करना.
तीनों तैयार होकर निकल लिए. दिन भर मस्ती के बाद रात को ही घर लौटे.
घर पर आकर कविता ने कहा- आज मुझे जाने दे, मैं दो-तीन दिन में अपना सामान लेकर आ जाऊंगी.
पर रीना तो बस रीना ही थी. जब जिद हो गयी तो हो गयी, बोली- मुझे बेवकूफ मत बना, मैं तुझसे बड़ी कमीनी हूँ, मैं तुझे कहीं नहीं जाने दे रही. तू आज रात यहीं रुक. कल बैंक से लौटते में मैं तेरे साथ जाऊँगी और जरुरी सामान ले आयेंगे, बाकी सामान अगले सन्डे को ले आयेंगे.
खैर, तीनों चेंज करके बेड पर ही बैठ कर गप्पें मारने लगे. कविता सोना चाह रही थी क्योंकि उसे सुबह बैंक जाना था. विनय का कल ऑफ था, तो उन लोगों को कोई जल्दी नहीं थी.
कविता जबरदस्ती उठ गयी और बाहर वाले रूम में जाकर लेट गयी.
विनय ने रीना की ओर देखा तो रीना कूद कर विनय के ऊपर चढ़ गयी और उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए.
विनय बोला- दरवाज़ा तो बंद कर लो?
तो रीना बोली- वो इधर नहीं आयेगी… मैं ही थोड़ी देर में उधर जाऊँगी.
यह सुन कर विनय थोड़ा उदास सा हुआ कि रीना आज रात उसके पास नहीं सोएगी, पर वो उन दोनों की रिलेशनशिप को समझता था. हालाँकि रीना चुदासी हो रही थी, पर विनय ने उसके गाल थपथपा कर उसे कविता के पास जाने को कह दिया.
रीना ने खुश होकर एक गहरा चुम्बन विनय को दिया और भाग गयी कविता के रूम में.
कविता जाग रही थी. वो उसे वहां देख कर नाराज हुई, पर रीना ने कहा- तेरी चूत चाटनी है इसलिए यहाँ आ गयी.
रीना ने डोर को भिड़ा दिया और लाइट बंद करके कविता से चिपट कर लेट गयी. कविता सोने का प्रयास कर रही थी. रीना ने उसकी नाइटी नीचे से कमर तक कर के उसकी चूत में उंगली कर दी. कविता ने उसे झिड़का- चुपचाप सो जा.
रीना बोली- एक शर्ट पर सो जाऊँगी कि दोनों बिना कपड़ों के सोयेंगी.
कविता बोली- विनय तेरा इंतज़ार कर रहा होगा, तू जा और उसका बला त्कार कर ले.
रीना ने बिना उसकी कुछ सुनी अपनी नाइटी उतार फेंकी और जबरदस्ती कविता को भी नंगी कर के चिपटा कर लेट गयी. कविता ने बहुत कहा- डोर लॉक कर ले.
पर रीना बोली- अव्वल तो विनय इधर आएगा नहीं और आ भी गया तो तू तो कह ही रही थी कल कि सील विनय से तुड़वाऊँगी… तो अब क्या हर्ज है… और देख लेना अगले महीने तेरी भी शादी हो जाएगी कुशाग्र के साथ.
खैर मम्मों की चूसा चासी और होंठों के मिलन के बाद जल्दी ही दोनों सो गयीं.
कमरे में घुप्प अँधेरा था. देर रात रीना को अपने गलों पर किसी का चुम्बन मिला, उसकी आंख खुल गयी तो देखा विनय उसके पीछे लेटा था, कमरे में अभी भी अँधेरा था. विनय ने रीना से फुसफुसा कर कहा- चल कमरे में आ जा, मेरे को नींद नहीं आ रही.
रीना उठी तो कविता कसमसा गयी… रीना फिर रुक गयी, उसने विनय से कहा- तुम भी यहीं लेट जाओ.
विनय रीना के पीछे ही लेट गया, रीना ने पीछे हाथ कर के उसके शॉर्ट्स में से उसका लंड पकड़ लिया, विनय ने उसके मम्मे दबोच लिए.
अभी तक कविता को मुँह दूसरी ओर था, रीना को बदमाशी सूझी. उसने विनय का हाथ अपने मम्मों से हटा कर कविता के मम्मों पर रख दिया. कविता के मम्मे बड़े और स्किन बहुत सॉफ्ट थी. विनय को कविता के मम्मों को पकड़ने में और निप्पल पर गोल गोल घुमाने में बहुत मजा आया. पर डर था कि कविता कहीं जग न जाए.
उन दोनों को नहीं मालूम था कि कविता तो जाग ही रही थी.
तभी कविता सीधी हो गयी, विनय ने डर के अपना हाथ हटा लिया, रीना समझ गयी कि कविता जग गयी है, उसने कविता की चूत में उंगली कर दी और उसके मम्मे चूसने लगी.
कविता ने आँख खोल दी और दोनों हंस पड़ी.
कविता बोली- विनय ज्यादा बदमाशी नहीं, चुपचाप अपने कमरे में जाओ और अपनी बीवी को भी ले जाओ.
जब कोई नहीं हिला तो कविता ने रीना से कहा- चुपचाप जा अपने रूम में वरना मैं यहाँ नहीं रुकने वाली.
रीना बोली- अच्छा बाबा जा रहीं हूँ. और तू अपनी सील तुड़वा कर विनय को भी भेज देना.
कविता बोली- क्या मतलब?
रीना बोली- कल तू ही तो कह रही थी कि विनय से सील तुड़वाऊँगी और अब कह रही है कि मैं चली जाऊं. चल मैं जा रही हूँ.. तू अपनी सील अच्छे से तुड़वा ले.
फिर विनय से बोली- विनय, इसको चूत चटवाना बहुत अच्छा लगता है… ध्यान रखना.
कविता मचल गई, बोली- मुझे कुछ नहीं करना तुम दोनों जाओ.
रीना उठी और कविता के ऊपर ही लेट गयी और उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए. उसकी एक उंगली कविता का दाना मसल रही थी. अब कविता भी गरम हो उठी. उसने विनय की ओर मुँह किया तो विनय ने अपने होंठ मिला दिए उसके होंठों से. रीना उनके बीच से हट गयी.
थोड़ी देर में ही विनय ने उसके मम्मे दबाने और चूसने शुरू किये, नीचे से रीना ने उसकी चूत में अपनी जीभ कर दी.
अब ये सब कविता को गर्म करने के लिए काफी था, वो अब कसमसाने लगी और विनय से और चिपटने लगी.
विनय ने अपना लंड धीरे से कविता की चूत के मुख पर रखा. उसे मालूम था कि कविता कुंवारी है पर कविता भी अब चुदासी हो चुकी थी और उसने अपने हाथों से ही विनय का लंड अपनी चूत में कर लिया.
हालाँकि विनय ने धीरे से ही धकेला था पर कविता की चीख निकल गयी और उसने अपने नाखून विनय की पीठ में गड़ा दिए और विनय से जोर से चिपट गयी. अब विनय ने भी अपना लंड पूरा पेला और थोड़ी देर में ही उसका लंड कविता की चूत में चुदाई कर रहा था और दोनों के होंठ और जीभ मिले ही थे.
कविता की टांगें ऊपर उठ गयी थीं और विनय पूरी तेजी से उसकी चुदाई में लग गया था.
कुछ तेज धक्कों के बाद विनय ने अपना सारा माल कविता के पेट पर निकाल दिया. कविता की सील टूटी थी तो सारी चादर लाल हो गयी थी.
रीना ने कविता को चूम कर बधाई दी और एक वादा लिया कि कविता के पति से वो भी एक बार जरूर चुदवाएगी.
अगले दिन कविता बैंक गयी, उसके पिता का फोन आ गया कि वो इस वीकेंड तक वापस आ जायेंगे. उन्होंने कहा कि कुशाग्र के पेरेंट्स को बुला लो. अगर सबको रिश्ता पसंद है तो अगले हफ्ते ही कोई रस्म कर देंगे और अगले महीने शादी.
कविता ने रीना को फोन करके ये सब बताया और समझाया कि पिता के आने की स्थिति में उसका अपने फ्लैट पर रहना ही ठीक होगा.
रीना भी मान गयी.
तो दोस्तो, अगली कहानी में जानेंगे कि क्या हुआ कुशाग्र और कविता के रिश्ते का!
और क्या गुल खिलाये रीना और कविता ने साथ मिल कर.
दोस्तो, कैसी लगी यह कहानी. लिखियेगा मुझे!
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