सेक्सी मेड हॉट स्टोरी एक घर में कामवाली की है. उस घर के मालिक का बेटा जवान हुआ तो इन दोनों का आमना सामना हुआ तो क्या अंजाम हुआ?
लेखक की पिछली कहानी: अफसर की बीवी ने चपरासी से चुत गांड चुदवाई
दोस्तो, ये कहानी शब्बो यानि शबाना चाची की है। आशा है कि आपको ये सेक्स कहानी पसंद आएगी।
तो चलिए, सीधे सेक्सी मेड हॉट स्टोरी पर चलते हैं।
वीरू के पापा और माँ सुबह ही अपने ऑफिस के लिए निकल गए मगर बड़े बाप की अय्याश औलाद वीरेंद्र उर्फ़ वीरू अभी भी सो रहा था।
या यूं कहें कि सोने का नाटक कर रहा था.
उसको इंतजार था उसकी शब्बो चाची का!
शब्बो असल में तो उनके घर की नौकरानी थी मगर आजकल वीरू और उसके बीच में आंख मिचौली चल रही थी.
जवान हुआ लौंडा वीरू, शब्बो जैसी अधेड़ उम्र वाली औरतों को ज्यादा पसंद करता था।
वीरू की शब्बो चाची की उम्र तो 44 की थी मगर घर घर के काम करते करते उसका बदन आज भी 30-32 साल की औरत जैसा था.
पिछली जनवरी से शब्बो चाची उनके घर में काम कर रही थी।
सुबह आकर सबसे पहले घर को साफ़ करती थी, फिर कपड़े धोना, फिर वीरू के लिए नाश्ता, दोपहर का खाना बनाकर शब्बो करीब 12 बजे तक शर्मा जी के घर का काम ख़त्म करके दूसरे घरों में काम करने निकल जाती थी.
पहले तो वीरू ने शबाना की जवानी ठीक से देखी नहीं थी मगर एक दिन वो जल्दी उठ गया था।
उस रोज़ शबाना घर के पिछवाड़े में एक जगह पर झुक कर घर के कपड़े धो रही थी; इसी के चलते उसने अपनी चुन्नी उतार रखी थी।
झुकी होने के कारण उसके 40 साइज के चूचे लगभग आधे बाहर की तरफ झांक रहे थे.
वीरू अभी अभी उठकर अपने कमरे से बाहर आया था और सुबह की पहली मूत निकालने बाथरूम में गया था।
तभी उसकी नजर शबाना के ऊपर गई जो झुकी हुई नीचे कपडे़ धो रही थी.
बाथरूम की खिड़की से झांकते हुए वीरू मूतने लगा और जैसे जैसे उसका मूत निकलने लगा शब्बो की चूचियां देख कर उसका लौड़ा भी खड़ा हो गया.
वीरू का कमरा पहले फ्लोर पर बना था और इस एंगल से देख़ने से शबाना की चूचियां और भी खूबसूरत लग रही थीं.
जब कपड़े धोकर उनको वो दूसरी बाल्टी में डालने के लिए मुड़ जाती तो उसकी 44 इंच की फूली हुई गांड वीरू को साफ साफ दिख जाती थी.
अपनी चड्डी निकालकर वो टॉयलेट सीट के साथ बनी खिड़की से शबाना की जवानी देख कर मुठ मरने लगा- आअह्ह साली रंडी शब्बो चाची … क्या गांड है तेरी छिनाल … ले कुतिया, चूस तेरे यार का लौड़ा रंडी … चूस ले मेरा लंड!
मन में ही उसको गाली देते हुए वीरू का हाथ जोर जोर से उसके लौड़े की मालिश कर रहा था.
कपड़े धोते समय शबाना के कपडे भी थोड़े बहुत गीले हो चुके थे।
उसकी सलवार तो लगभग पूरी गीली होकर उसकी गांड पर चिपक गयी थी।
शब्बो चाची की गांड देख कर वीरू का जवान लौड़ा ज्यादा देर टिक न सका और एक लम्बी आह्ह्ह्ह भरते हुए उसने अपना माल टॉयलेट सीट में गिराना शुरू कर दिया।
आप लोगों को पता ही होगा कि बाथरूम में जो भी आवाज होती है उसकी गूँज काफी होती है, जैसे कि पानी का गिरना, मग्गा या बाल्टी गिरने से होने वाली आवाज बाथरूम के बाहर आसानी से चली जाती है।
उसी तरह वीरू की ये लम्बी सिसकारियां भी बाथरूम से होती हुईं शब्बो चाची के कानों तक पहुंच ही गयीं.
गर्दन उठाकर शबाना ने बाथरूम की तरफ देखा तो खिड़की से झांकता वीरू जोर जोर से हिल रहा था।
उसकी आँखें बंद थीं और शबाना जैसी खेली खाई औरत ने झट से पहचान लिया कि वीरू अपने लौड़े को कसकर मुठिया रहा है.
“हायल्ला, क्या छोटे साहब मुझे देख के … ?” (मुठ मार रहे हैं)
ये मन में सोचते हुए उसने झट से अपनी चुन्नी उठायी और अपने साये को ढक लिया.
इन्हीं कुछ सेकेण्ड्स में वीरू का सारा माल कमोड में गिर गया और उसने फिर से खिड़की से बाहर देखा।
शब्बो ने अपना सीना ढक लिया था।
ये देख कर वीरू का मन उदास हो गया और वो नहाने चला गया।
इस घटना के बाद शबाना ने अब वीरू के मन की बात समझ ली।
अब वो जानबूझकर वीरू के सामने अपने चूचे दिखाने का प्रयास करती. कभी कचरा उठाने के बहाने तो कभी कुछ और बहाने से … मगर वो अपने जवान बदन को वीरू को दिखाकर उसका खून गर्म करने में जुटी हुई थी.
वीरू भी शब्बो चाची के मन की बात समझ रहा था, शब्बो के बदन को किसी भूखे भेड़िये की तरह देखते हुए वो भी उनके सामने ही अपना लौड़ा अपने पैजामे के ऊपर से सहला देता था।
एक दिन वीरू जल्दी ही उठ गया और अपनी माँ के कहने पर सुबह सुबह दौड़ लगाने चला गया।
1 घंटे की दौड़ से उसका बदन दर्द करने लगा और जैसे तैसे वो अपने घर पहुंचा.
शर्मा जी और उनकी बीवी अभी अभी ऑफिस के लिए निकल चुके थे, शायद शब्बो चाची भी अपना काम करने आ चुकी थी।
दर्द भरा बदन लेकर वीरू सोफे पर जा गिरा.
उसकी आवाज सुनकर शब्बो बाहर आयी और उसने वीरू को देखा।
पसीने से गीला उसका बदन और दर्द से बिलबिलाते हुए उसे देख वो उसके पास दौड़ी आई।
उसके माथे का पसीना पौंछते हुए बोली- हाय छोटे बाबा, ये अचानक क्या हो गया आपको? कहां से आ रहे हो आप? रुको मैं अभी आपके लिए पानी लेकर आयी।
शब्बो ने झट से पानी का ग्लास लाकर वीरू को दिया और वो फिर से उसका पसीना साफ़ करने लगी.
पानी पीकर वीरू ने अपनी साँस को कंट्रोल में किया और बोला- आज जल्दी उठ गया था चाची, मम्मी ने जॉगिंग के लिए जबरदस्ती भेज दिया, सारा बदन दर्द दे रहा है अब तो!
उसकी बात सुनते ही शब्बो को सारा मामला समझ आ गया और उसने वीरू के हाथ को पकड़ कर उसको उठाते हुए कहा- कोई बात नहीं छोटे बाबा, ऊपर चलिए, मैं अभी आपका दर्द मिटा देती हूं।
वीरू इतना भी नहीं थका था कि उसको अपना गठीला बदन अकेले से ना संभल सके मगर शब्बो के बदन पर हाथ रखने का मौका वो खोना नहीं चाहता था इसलिए उसने शब्बो चाची के कंधे पर हाथ रखा और अपने कमरे में जाने लगा।
शब्बो के बदन पर आज पहली बार किसी दूसरे मर्द का हाथ आया था।
जवान वीरू की उस बांह को अपनी बांहों में लेकर वो उसको कमरे तक ले कर जा रही थी मगर साथ साथ इस कामुक रगड़ से उसकी फुद्दी भी पिघलने लगी थी.
वीरू के बदन से आती पसीने की खुशबू ने शब्बो की जवानी की आग फिर से भड़का दी। वीरू ने भी दर्द का बहाना करके शब्बो के भरे हुए बदन पर अपना हाथ साफ़ किया.
शब्बो की कमर, गर्दन तक तो ठीक था मगर एक बार वीरु का हाथ शब्बो की चूची के बिल्कुल नीचे तक आ गया था।
दोनों को इस बात का आभास हो रहा था मगर दोनों भी चुपचाप उसका मजा ले रहे थे.
कमरे में घुसते ही शब्बो ने जबरदस्ती करके वीरू का पसीने से भीगा टीशर्ट निकाल दिया और उसके शरीर पर लगा पसीना पौंछने लगी.
जब वीरू घर आया था तब वो काम कर रही थी और आदत के मुताबिक आज भी उसने अपनी चुन्नी निकल रखी थी।
वीरू का पसीना पौंछते वक़्त उसके 40 साइज के क़बूतर वीरू की आँखों के सामने नाच रहे थे।
“चलिए बाबा, लेट जाइये, आज मैं आपकी अच्छे से मालिश कर देती हूं, फिर देखना आपका दर्द कैसे 2 मिनट में गायब हो जाएगा।”
इतना बोलते ही शब्बो झट से कमरे से बाहर गयी और वीरू का टीशर्ट सूंघने लगी.
उसके पसीने की खुशबू शब्बो को पागल कर रही थी, उसका एक हाथ अब खुद ब खुद उसकी सलवार के ऊपर से उसकी फुद्दी रगड़ने लगा.
वीरू के सीने पर इस कम उम्र में भी बाल आ चुके थे, उसका जवान बदन याद करते हुए और पसीने से महकता टीशर्ट सूंघते हए जोर जोर से अपनी चूत खुजला रही शब्बो को वक़्त का पता ही नहीं चला.
और वीरू ने उसको आवाज लगा दी- अरे चाची, कहां रह गयी? आ जाओ जल्दी यार … बदन दर्द कर रहा है मेरा!
वीरू की आवाज सुनते ही वो थोड़ा हड़बड़ा गयी मगर अपने आपको सँभालते हुए बोली- अभी आयी छोटे बाबा, तेल ला रही हूं।
दौड़ लगाकर उसने तेल की बोतल उठायी और फिर से वीरू के कमरे में आ गयी.
उसको देख कर वीरू ने उसको कहा- कितनी देर लगा दी चाची? ये सारे परदे बंद करो और एयर कंडीशन चालू कर दो। गर्मी से मरा जा रहा हूं!
शब्बो ने झट से सारे परदे लगाकर कमरे में अँधेरे जैसा माहौल कर दिया।
सूरज की बहुत काम रोशनी कमरे में आ रही थी और एयर कंडीशनर ने अपना काम चालू कर दिया.
सबसे पहले तो शब्बो ने वीरू के सीने पर तेल लगाया और उसके ऊपर झुक कर उसकी मालिश चालू कर दी।
जैसे ही शब्बो झुकी तो उसके बड़े बड़े स्तन वीरू के सामने आ गए और वो आँखे फाड़ फाड़कर उनको देखने लगा.
शबाना जान बूझकर अब वीरू को गर्म करने लगी।
घर में उसके और वीरू के अलावा कोई नहीं था।
वीरू के जवान बदन से अपने जिस्म की भूख मिटाने को वो मरी जा रही थी.
निकाह के कुछ साल तक तो उसका शौहर उसके बदन के साथ खेल लिया मगर उसकी चूत की आग कभी ठंडी ना कर सका, जैसे तैसे एक लड़की पैदा हो गयी और उसके बाद तो उसने खुद अपने कमजोर शौहर को अपने पास फटकने नहीं दिया.
वीरू जैसे गबरू जवान लौंडे को देख उसकी फुद्दी फिर से उसको अपनी टाँगें फ़ैलाने के लिए मजबूर करने लगी थी.
अपने छोटे साहब को खुश करके और अपने चूत की आग और कुछ पैसों की लालच से वीरू से चुदवाने को वो बिल्कुल तैयार थी.
धीरे धीरे मालिश करते हुए अब उसने वीरू का सीना, पीठ, गर्दन सब तेल से चमका दिया।
इस दौरान जब भी मौका मिलता था, वीरू उसके चूचों को आँखे फाड़-फाड़कर देख रहा था और शब्बो चाची भी अपने यौवन को वीरू के सामने परोस रही थी.
अभी तक उसका ध्यान वीरू के शॉर्ट्स की तरफ गया ही नहीं था।
तभी वीरू बोला- थोड़ी पैरों की भी मालिश कर दे चाची!
अचानक बोलने से शब्बो ने उसके पैरों की तरफ देखा तो शॉर्ट्स में से सिर उठाया वीरू का लौड़ा देख कर उसकी सिसकारी निकल गयी- हायल्ला इस्स्स … आहह!
वीरू ने कहा- अरे क्या हुआ चाची?
शब्बो ने गर्दन हिलाकर कहा- कुछ नहीं बाबा, बस ऐसे ही!
उसका ध्यान अब सिर्फ वीरू के शॉर्ट्स की तरफ था।
उसका फूला हुआ लौड़ा देखकर शब्बो की फुद्दी रोने लगी थी, उसकी गांड का छेद अपने आप खुलने लगा था, चूचियों के निप्पल्स तनकर खड़े हो रहे थे.
शब्बो अब मुड़कर बैठ गयी और उसकी पीठ अब वीरू की तरफ थी. शब्बो थोड़ी सी झुककर मालिश कर रही थी तो उसके चूचे वीरू के लौड़े पर दब रहे थे.
जैसे ही वो झुकती तो वीरू पर दो दो हमले एक साथ हो रहे थे, एक तो उसके लौड़े के ऊपर शब्बो के चूचों की रगड़न और झुकने के कारण शब्बो की फूलती गांड का नजारा।
शब्बो जान बूझकर कुछ ज्यादा ही झुक रही थी, उसके चूचे अब पूरी तरह से वीरू के लौड़े पर दब रहे थे।
वीरू के मुँह से अब उस मालिश की वजह से सिसकारियाँ निकल रही थीं- आअह … चाचीई ईईईई, ऐसे ही दबाओ मेरी जान … बड़ा मजा आ रहा है, जादू है तेरे हाथ में, थोड़ा और ऊपर करो चाची।
अब शब्बो ने भी उसकी जांघों की तरफ हाथ बढ़ाये और तेल लगाकर उसकी जाँघें मसलने लगी।
शब्बो के हाथ अब धीरे धीरे वीरू के लौड़े की तरफ बढ़ रहे थे और मालिश की वजह से वीरू के हाथ अब अपने आप ही शब्बो चाची की पीठ को सहला रहे थे.
वीरू के हाथ शब्बो की पीठ को जैसे ही सहलाने लगे तो उसकी फुद्दी फिर से बहने लगी।
इतने सालों के बाद भी उसका जिस्म करारा था, भरे हुए जिस्म को किसी और मर्द ने पहली बार सहलाया था.
अब वीरू का हाथ शब्बो की पीठ सहलाते हुए उसकी भरी हुई गांड की तरफ आया और शब्बो भी सिसकारने लगी.
वीरू के मर्दाना हाथ उसको पिंघला रहे थे।
शौहर की नामर्दानगी से छुटकारा पाने के लिए उसकी चूत शब्बो को रांड बनाने पर तुली थी.
शब्बो सिसकारने लगी- आआह वीरू, और रगड़ अपनी चाची की गांड … मसल दे जोर से!
बोलते हुई शब्बो ने लाज शर्म किनारे रख वीरू का लौड़ा उसके शॉर्ट्स के ऊपर से मसलना चालू किया।
आख़िरकार दोनों के जिस्म को हवस की आग अपने लपेटे में ले चुकी थी.
जैसे ही शब्बो ने उसका लौड़ा मसला, वीरू ने खुद ही अपनी कमर उठाकर अपने शॉर्ट्स उसकी अंडरवियर समेत नीचे खींच डाले और अपना जवान लौड़ा शब्बो के लिए पेश किया।
शब्बो को अपनी ओर खींचकर के वीरू ने उसको अपने ऊपर लिटाया और शब्बो के होंठ अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिए.
वह तो कब से चुदवाने के लिए मरी जा रही थी।
उसकी फुद्दी से पानी रिस रिस कर चड्डी भीग चुकी थी और वीरू के हमले से उसने अपने आप को वीरू को समर्पित कर दिया.
जवान लौंडे का नंगा हो चुका लौड़ा हाथों में लेकर वो भी अपनी जुबान वीरू के मुँह में देने लगी.
वीरू का लौड़ा बेशक अभी अभी जवान हुआ था, उसका आकार शब्बो के शौहर शौकत मियां के मुकाबले बहुत बड़ा था।
ऐसे लौड़े को अपने हाथ में मसलते हुए शब्बो ने अपनी बेकार जा रही जवानी को अपने छोटे मालिक के हवाले कर दिया ताकि उसकी ज़ाया हो रही इस जवानी का मजा उन दोनों को मिल सके.
कुछ देर तो उन्होंने जमकर एक दूसरे की जीभ चूसी।
एक दूसरे का थूक चाट चाटकर अपने जिस्म की आग और भड़काते रहे।
मगर अब वीरू ने अगला पड़ाव पार करने के लिए शब्बो को अपने आप से दूर किया और आनन-फानन में उसके कपड़े उतारने लगा.
शब्बो तो कब से उसके जवान जिस्म को वीरू के सामने नंगा करना चाह रही थी तो उसने भी वीरू की मदद करते हुए अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
खुद ही ब्रा को अपने जिस्म से अलग करते हुए अपने 40 के साइज के फूले हुए गुब्बारे वीरू के सामने पेश कर दिए.
जैसे ही उन गुब्बारों को वीरू ने देखा तो उसने सीधा हमला करते हुए उन दोनों पपीतों को अपने हाथ में लेकर मसलना चालू कर दिया।
एक मम्मे को वो मुँह में लेकर चूसने लगा.
शब्बो अब उसके सामने बस अपनी चड्डी में खड़ी थी। एक हाथ से अपनी चूत और दूसरे हाथ से वो वीरू का सिर सहला रही थी.
सेक्सी मेड के खड़े खड़े चूचे चूसते हुए वीरू ने अपनी गदरायी हुई शब्बो चाची को अपने बिस्तर पर लिटाया और खुद उसके ऊपर लेट गया।
40 साल की गदरायी हुई औरत के नंगे जिस्म की गर्मी उसको और खूंखार बना रही थी.
उसका तन्नाया हुआ लौड़ा शब्बो की मांसल जांघों पर रगड़ रहा था।
शब्बो का कभी दायां तो कभी बायां मम्मा चूसते हुए वो शब्बो की प्यास और बढ़ा रहा था.
अब शब्बो के बाल पूरे खुले चुके थे; उसका नंगा बदन अपने छोटे मालिक के नीचे दब रहा था।
शब्बो के बोब्बे, गर्दन, पेट और कमर को चूम चाट कर वीरू ने उसका बदन गीला कर दिया था और अपना लौड़ा शब्बो की जांघों में रगड़ रगड़ कर उसकी चड्डी भिगो दी थी.
जैसे ही वो शब्बो की उस गीली चड्डी की तरफ आया तो उसने देखा कि शब्बो की चूत से निकलता हुआ पानी कैसे सफ़ेद रंग का दाग़ बना रहा था उस चड्डी के ऊपर!
शब्बो की नाभि पर जुबान घुमाते हुए उसने शब्बो की चड्डी को नीचे खींचना चालू किया और शब्बो ने भी अपनी गांड ऊपर करते हुए अपनी इज्ज़त को अपने छोटे मालिक के सामने खुला कर दिया.
ये वो पल था जिसका दोनों को ही बड़ी बेसब्री से इंतजार था।
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