वो दिन भी बहुत खुशनसीब था

वो दिन भी बहुत खुशनसीब था

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मेरा नाम किशोर है और मैं अभी मुंबई में रहता हूँ।
यह मेरी पहली कहानी है। मैं पिछले कई वर्षों से अन्तर्वासना का पाठक रहा हूँ शायद वर्ष 2007 से ही।
यह कहानी भी तब की है जब मैं अपने शहर रांची, झारखण्ड में पढ़ रहा था।

मिस पूजा… एक ऐसी नारी, जो लड़कों के हर कल्पनाओं से भी कहीं अधिक खूबसूरत थी। बिल्कुल किसी सिनेमा की अदाकारा की तरह चंचल और सुंदर, सुंदरता के मामले में वह बहुत ही खुशनसीब थी। पर उससे भी ज़्यादा खुशनसीब, मैं और मेरे सहपाठी थे, क्योंकि वो हमारे स्कूल में गणित की शिक्षिका थीं और उनके कक्षा में उनसे पढ़ने के बहाने हम रोज ही उनके सुन्दरता और हुस्न का बखूबी से दीदार करते थे।
लगभग 12 वर्ष बीत जाने के बाद, आज भी मुझे वह सुंदरता की देवी स्पष्ट रूप से याद है।

ऊंचाई करीब 5 फीट 5 इंच, पर उसका कद काठी एक सुडौल महिला वाला था, ज्यादा पतला नहीं और ज्यादा मोटा भी नहीं। शरीर के किसी भी भाग में अतिरिक्त चर्बी का कोई अंशमात्र नहीं, गेहुँआ रंग, काले चमकीले बाल जो उसके कंधों तक कट किये गए थे। उसके स्तन बिलकुल सही आकार में थे। लेकिन मैं स्तनों में ज्यादा रुचि नहीं रखता हूँ, मुझे तो उसके बड़े बड़े, भारी भरकम, गोलाईदार, कटाव से भरे नितम्बों में ज्यादा रूचि थी। मैं उन नितम्बों को एकटक पूरा दिन घूर सकता था जब वो स्कूल के गलियारों में अपने एक ख़ास अंदाज़ में पहनी गयी साड़ियों में इधर से उधर टहलती थी।

इन सबसे अधिक, उसका चश्मा, मुझे सबसे अधिक आकर्षित करता था, उसका वो चश्मे को होंठों के पास लाकर मुस्कुराते हुए पकड़ने का तरीका एकदम कातिलाना था। वह एक शिक्षिका होने के लिए बहुत ज्यादा कामुक थी।

बड़े शहरों की तुलना में मेरा हाई स्कूल बहुत ज्यादा एडवांस्ड नहीं था। हमें अपने शिक्षक-शिक्षिकाओं से भी बात करने में बहुत डर लगता था। लेकिन हमारे मन पर कौन काबू कर सकता है, मैं मन ही मन ना जाने कितनी बार पूजा मिस के साथ सम्भोग करने की कल्पना करते हुए हस्तमैथुन किया करता था। मैं अठारह साल का व्यस्क था, जिसका लिंग पूजा मिस के उपस्थिति में हमेशा उत्तेजित ही रहता था।

एक दिन मुझे प्रिंसीपल सर के ऑफिस में बुलाया गया। प्रिसिपल गुप्ता सर, एक सख्त और अनुशासनप्रिय व्यक्ति थे, गुस्सा हमेशा उनके नाक पर रहता था, हम सभी छात्रों में उनका खौफ़ था। उनका वो गुस्से से देखना हम सबके पैंट में पेशाब निकालने के लिए काफी था। हालाँकि वो दिखने में बहुत ही हैंडसम थे, लम्बे, सांवले और अच्छे शरीर वाले।

ऑफिस पहुँचकर मैंने दरवाज़ा खटखटाया, अन्दर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी।
मैंने दरवाजे का हैंडल घुमाया जो अनलॉक था। मैंने डरते डरते अन्दर जाने का फैसला किया। मुझे आज भी यह सोचकर ख़ुशी होती है की मैंने सही फैसला किया था।

अन्दर का दृश्य देखकर मैं एकदम से हैरान हो गया। प्रिंसीपल सर की पैंट उनके जूतों तक नीचे उतरी हुई थी और पूजा मिस उनके सामने डेस्क पर उलटी झुकी हुईं थी। पूजा मिस की साड़ी पीछे से उनकी कमर तक ऊपर उठी हुई थी।

प्रिंसीपल सर पूजा मिस को पीछे से ही बुरी तरह धक्के मार रहे थे। मैं उसके बड़े, काले लिंग को उसकी योनि के अन्दर-बाहर होते स्पष्ट रूप से देख पा रहा था। पूजा मिस का चेहरा कामुकता और आनंद की ख़ुशी में डूबा हुआ था।

पूजा मिस को ऐसी हालत में देखकर मेरा लिंग तुरंत सख्त हो गया। मिस पूजा की टांगें लम्बी-सपाट, जांघ मांसपेशियों से भरी हुई थी और पिंडलियाँ बहुत ही खूबसूरत। योनि प्रदेश खूबसूरती से गोल और हल्के भूरे रंग का था।
पूजा मिस मेरी कल्पनाओं से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत थीं।

मैंने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया। दरवाजे की आवाज ने उन दोनों को रोमांस की दुनिया से वापस वास्तविकता में ले आया। प्रिंसीपल सर ने धक्के रोक लिए और अपना लिंग मिस की योनि से बाहर खींच लिया।
उनका लिंग वास्तव में शानदार था, 8 इंच से भी लम्बा और अच्छा खासा मोटा। लिंगमुंड पूरा फुला हुआ था जो पूजा मिस के योनिरस के कारण चमक रहा था।

प्रिंसीपल सर का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था, उन्होंने दांत पीसते हुए बोला- तुमने दरवाजा क्यूँ नहीं खटखटाया?
“सर… खटखटाया था!” मैंने सिर नीचे करके जवाब दिया- आप लोगों को ऐसी हरकत करते हुए दरवाजा लॉक कर लेना चाहिए था।

मुझे नहीं पता कि मुझे क्या हुआ था और मेरे अन्दर सर को जवाब देने की इतनी शक्ति कहाँ से आयी। मुझे उनके क्रोध से भयभीत होना चाहिए था, पर मैं एकदम शांत खड़ा था। प्रिंसीपल सर अपने मर्दानगी के साथ खड़े हुए मुझे बिल्कुल भी डरावने नहीं नजर आ रहे थें। सर का लिंग अभी भी झटके ले रहा था। यह आदमी अभी भी पूरी तरह से कामुक और उत्तेजित था।

अचानक प्रिंसीपल चिल्लाये- तुम अपने आपको बहुत ज्यादा स्मार्ट समझते हो? इधर आओ!
उनकी आवाज़ अभी भी कड़क थी, इतनी कि वे अपने छात्रों को अपनी इच्छानुसार झुका सकें।

मैं धीरे धीरे चल कर उनके पास गया। उन्होंने मुझे और भी करीब आने का इशारा किया, जब तक कि मैं उनके उत्तेजित झटके खाते लिंग से सिर्फ इंच भर की दूरी तक नहीं पहुँच गया।
“मेरा लंड चूस भोसड़ी के…” प्रिंसीपल ने गुस्से में बोला।

“क्या?” मेरा कलेजा धक से रह गया, मैं एक बलि के बकरे के जैसा खड़ा रहा। मैं यह कभी नहीं कर सकता था।,एक आदमी का लिंग मुंह में लेना यह तो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा हूँगा। लेकिन मैं इस स्कूल में किसी का विरोध नहीं कर सकता था, खासकर इस आदमी का तो बिलकुल नहीं।
सब कुछ सोचते हुए, मैं बिना मेरी इच्छा के नीचे घुटनों के बल बैठ गया, मैंने ऊपर देखा तो उसका लिंग ठीक मेरे चेहरे के ऊपर एक काले नाग की तरह फुंफकार रहा था।

“मुहँ खोल!” उन्होंने आदेश दिया- मेरा लंड… मुंह में ले। तेरे कारण मेरा काम जो अधूरा रह गया है उसे पूरा कर!”

उन्होंने जबरदस्ती मेरा मुंह खोल दिया और अपना लिंग अन्दर डाल दिया। यह मेरे लिए बहुत ही बुरा था, मुझे घृणा आ रही थी। उसका लिंग बहुत बड़ा था, जो मेरे मुंह में भी सही से नहीं आ रहा था। पूजा मिस के योनिरस के कारण लिंग से नमकीन स्वाद आ रहा था।

मैं ठीक से सांस भी नहीं ले पा रहा था क्यूंकि गले तक उनका लिंग जा रहा था। उन्होंने मेरे हाथ अपने नितम्बों पर रखवा दिए। ऐसी विकट स्थिति के बावजूद भी, मैं उनके नितम्ब को सहलाने लगा जो बहुत ही चिकने और सख्त थे।
45 साल की उम्र में भी इस आदमी ने अपने आपको फिट रखा था।

धीरे धीरे मैंने भी मजे लेना शुरू कर दिया। मैंने वास्तव में एक मर्द के साथ आनंद लेना शुरू कर दिया। मैंने उसकी गुदा को सहलाते हुए अपने दो अंगुलियों को अन्दर घुसा दिया। मैंने तिरछी नजरों से देखा, पूजा मिस हमें देखते हुए हस्तमैथुन कर रही थी! उसने अपने पैर चौड़े फैला लिए और तेजी से अपनी अंगुलियाँ अपने एकदम साफ़, गोरी चिकनी योनि में अन्दर-बाहर चला रही थी। वह स्पष्ट रूप से शो का आनंद ले रही थी।

बस पूजा मिस का इस तरह से मुझे देखना ही मेरे लिए प्रेरणा था। मैं जोश में आकर सर के लिंग को अपने मुख में, पूरा जीभ फिराते हुए तेजी से अन्दर बाहर करने लगा।
तभी सर ने मुझे मजबूती से पकड़ लिया और हुंकारते हुए मेरे मुख में अपना वीर्य छोड़ दिया। मेरे पास वीर्य निगलने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।

झड़ने के बाद प्रिंसीपल पूजा मिस के बगल में बैठ गये जो अभी भी तेजी से अपनी योनि में अंगुलियाँ अन्दर-बाहर कर रही थी।
अब प्रिंसीपल बोले- तो पूजा, इस लड़के का क्या करना है?
पहली बार पूजा मिस ने अपना मुंह खोला- क्या मतलब, क्या करना है? तुम्हारा तो हो गया, तुमने मुझे अधूरी छोड़ दिया, अब मुझे इस लड़के के साथ अपना ख़त्म करने दो।

यह सुनकर पहले तो मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हुआ। इस एक पल को पाने के लिए मैं एक लिंग क्या, सौ लिंग चूसने के लिए तैयार हूँ। किसी ने सच ही कहा था, सब्र का फल मीठा होता है।

उसने मुझे अपने पास बुलाया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मेरा लिंग खड़ा होकर पूजा मिस को सलामी दे रहा था। हालाँकि यह प्रिंसीपल सर के लिंग के उतना बड़ा नहीं था, शायद दो-तीन इंच छोटा ही था, फिर भी पूजा मिस कामुकतावश मेरे लिंग को सहलाने लगी।
“वर्जिन हो?” पूजा ने पूछा।
मैंने हाँ में सर हिलाया।
वह मुस्कुराई और बोली- आज मैं तुमको एक पक्का मर्द बना दूंगी।
और मेरे लिंग को अपने मुंह में डाल लिया।

वह मेरे लिंग को बुरी तरह चूसने लगी। इस तरह मुझे एक लड़की का मुंह अपने लिंग पर महसूस हुआ! एकदम गर्म और मुलायम। वह एहसास बिलकुल ही अनोखा था। उसने मेरी गेंदों को प्यार से सहलाया और चूसा।

अचानक उसने कहा- मेरे पास तुम्हारे लिए एक विशेष तोहफा है. ऐसा कुछ है जो मैंने आज तक इस प्रिंसीपल को भी नहीं दिया है।

मैं केवल कल्पना कर सकता था कि यह क्या हो सकता है। सर की आंखों ने मुझे बताया कि वह इस तोहफे के बारे में जानते हैं और वे बहुत ज्यादा खुश नहीं नजर आ रहे थे।

पूजा मिस उसी डेस्क पर दुबारा झुक गई जहाँ प्रिंसीपल सर थोड़ी देर पहले पूजा के साथ धमाकेदार सम्भोग कर रहे थे। पूजा मिस ने अपने नितम्ब को अपने दोनों हाथों से फैलाया। उसकी योनि पीछे से बहुत खूबसूरत दिख रही थी।
मैं योनि के पास नाक ले जाकर सूंघने लगा, बहुत ही तीखी सुगंध आ रहा था। जैसे ही मैं अपना जीभ, योनि पर स्पर्श करना चाहा तभी…

“मेरी गांड मारो!” वो बोली।
वाह! मुझे मेरी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। क्या सही मौका है मेरा कौमार्य खोने का। मेरे सामने मेरे सपनों की मल्लिका अपने नितम्ब को अपने दोनों हाथों से फैलायी लेटी है।

मैंने अपने लिंग को मिस पूजा के गुदाद्वार पर रखा और अंदर की ओर दबाव बनाया जोर लगाया तो मेरा लिंग एक झटके से ही गुदा में पूरा अन्दर तक घुस गया। मिस के साथ साथ मेरी भी दर्दनाक चीख निकल गयी।

“फाड़ ड़ी मेरी गांड मादरचोद!” वो चिल्लायी- धीरे धीरे डाल चूतिये!

लेकिन तब तक मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था, मुझे मिस की कुछ भी आवाज सुनायी नहीं दे रही थी। मेरी कमर ने तेजी पकड़ लिया था और सुपरफास्ट ट्रेन की तरह धक्के मार रहा था। वह जोरदार ढंग से अपना योनि रगड़ रही थी और अपने नितम्ब को पीछे की ओर धक्के दे रही थी। मैं ब्लाउज के ऊपर से ही मिस के दोनों स्तनों को बुरी तरह मसलने निचोड़ने लगा।

पूजा मिस फिर से चिल्लाई लेकिन इस बार उनका चिल्लाना थोड़ा अलग था, इस बार वो ख़ुशी से चिल्लाई थी।

मैं तेजी से धक्का मारते गया जैसे कि यह मेरे जीवन का आखिरी दिन था। मैं दो मिनट से अधिक नहीं टिक सका लेकिन पर्याप्त उत्तेजना ने मिस को भी स्खलित कर दिया। जब मैंने अंततः मिस के गुदा में अपना वीर्य छोड़ा, तब जाकर वह डेस्क पर से उठकर अपने साँस को काबू में लाई।

कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं मिस के नंगे बदन को निहारने लगा।

मैंने कपड़े पहनना शुरू किया- थैंक यू पूजा मिस, यह एकदम गजब का एहसास था। क्या हम इसे फिर से कर सकते हैं?
“तुमको ऐसा क्यूँ लगता है कि मैं तुमको फिर से कभी मौका दूंगी?” उसने सवाल किया- तुमने तो ठीक से मुझे चोदा भी नहीं।

मैं बुरी तरह निराश हो गया, मैं जानता था कि वो सही बोल रही है, यह केवल एक बार की ही बात थी।
लेकिन एक आदमी उम्मीद तो कर ही सकता है? उम्मीद पर तो पूरी दुनिया कायम है।

जैसे ही मैं प्रिंसीपल के ऑफिस से बाहर निकलने लगा तो प्रिंसीपल सर ने पीछे से बोला- लेकिन तुम कभी भी मेरा लंड चूस सकते हो!
मुझे यकीन नहीं है कि मैं सर का यह प्रस्ताव स्वीकार कर पाऊँगा।

तो पाठको, कैसे लगी मेरी यह कहानी, आपके राय और सुझाव का इन्तजार रहेगा। इसके आगे क्या हुआ जल्द ही आप लोगों को इसके आगे के कहानी के माध्यम से बताऊंगा।
मुझे मेल जरूर करिए- [email protected]

आगे की कहानी: मेरा दूसरा खुशनसीब दिन

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