वंश वृद्धि पर लगा अभिशाप- 2

वंश वृद्धि पर लगा अभिशाप- 2

Xxx बाबा चुदाई कहानी में संतान का सुख पाने के लालच में एक जमींदार ने अपनी जवान बीवी को एक बाबा की कुटिया में भेज दिया. बाबा ने उसकी चुदाई करनी चाही तो …

दोस्तो, मैं आपको एक चोर से बाबा बने इंसान के द्वारा जमींदार के परिवार की औरतों की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
अब तक की सेक्स कहानी
ज़मींदार को मिला श्राप
में आपने जाना था कि बाबा जमींदार की कम उम्र की बीवी रेखा के बड़े बड़े दूध देख कर वासना से उसे ताड़ने लगा था और दूसरी तरफ रेखा भी बाबा जी के खड़े होते लंड को देखने लगी थी.

अब आगे Xxx बाबा चुदाई कहानी:

बाबाजी- पुत्री, तुम्हारा नाम क्या है?
वह बोली- रेखा है बाबा जी!

बाबाजी- अति उत्तम नाम है.
रेखा- जी बाबा, आप आएं और खाना खा लीजिए. मैं आपके लिए कुछ वस्त्र भी लाई हूँ. आप पहनेंगे क्या?

बाबाजी- क्यों नहीं पुत्री, अगर तुम अपने हाथ से पहनाओगी तो जरूर पहन लूँगा.
रेखा- जी आइए.

बाबाजी- तुम पहले मुझे नहला तो दो … उसके बाद खाना पहनना सब करूंगा.
रेखा- जी बाबा जी.

बाबाजी- तुम भी मेरे साथ नहा लेना!
रेखा- जी नहीं बाबा जी. मैं तो नहा कर ही आई हूँ.

बाबाजी- पुत्री, बाबा की बात को मना नहीं करते!
रेखा- वह बाबा जी बात यह भी है कि मैं सिर्फ़ आपके लिए एक कंबल और दो जोड़ी कपड़े लाई हूँ!

बाबाजी- अच्छा तो तुमको यह समस्या है. चलो कोई बात नहीं. तुम अपने सारे कपड़े खोल कर यहां रख दो … और हम दोनों नहाने चलते हैं. नहा कर आने के बाद कपड़े पहन लेना और मुझे भी पहना देना, ठीक है!

रेखा इस बात को सुन कर डर गई.
पर तभी उसे अपने ज़मींदार पति की बात याद आई. उन्होंने कहा था कि बाबाजी जो भी बोलें, वह पूरी भक्ति से करना. बाबा जी हमारे घर का श्राप मिटाने आए हैं, वे महापुरुष हैं.

रेखा सकुचाती हुई बोली- ठीक है बाबा जी … आप बाहर चलें, मैं अपने कपड़े उतार कर बाहर ही आ रही हूँ.

बाबाजी के मन में ही खुशी की लहर दौड़ने लगी थी. पहली बार किसी जमींदार की औरत को नंगी देखने का अवसर जो मिलने वाला था.

रेखा ने कुटिया में जल रहा दिया बुझा दिया और अपने सारे कपड़े खोल कर वह नंगी होकर बाहर आ गयी.

बाहर गहन अंधेरा था, तो बाबा को कुछ नहीं दिखाई दे रहा था.

रेखा- बाबाजी चलिए, झरने की ओर चलते हैं. मुझे आपके आश्रम के रास्ते नहीं पता हैं कि आप कहां नहाते हैं.

बाबाजी बेचैन हो रहे थे कि रेखा के जिस्म का एक भी अंग नहीं दिख रहा था.
बाबाजी ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और कहा- मेरा हाथ पकड़ लो, मैं तुम्हें झरने की तरफ ले जाऊंगा.

रेखा ने अपनी कलाई बाबाजी के हाथ में दे दी.

कुटिया से कुछ दूर एक छोटा सा झरना बह रहा था और उधर एक छोटा सा गड्ढा था, जिसमें दो लोगों के घुसने के लिए ही जगह थी. उसमें भी वे दोनों आदमी अपने घुटने तक पानी होने के कारण उसमें बैठ कर ही नहा सकते थे.

बाबा पहले गड्ढे में उतर गया और रेखा को हाथ देते हुए बोला- आ जाओ पुत्री … धीरे धीरे से उतरना.

यह कह कर उसने रेखा को खींचा तो वह फिसलती हुई नीचे चली गयी.
बाबा का लंड रेखा की टांगों के बीच उसकी चूत से रगड़ता हुआ पेट से जा टकराया.

एकदम से गिरने से और बाबा के लंड से टकराने से रेखा डर गयी.

रेखा- बाबा जी, मेरे पेट में कुछ सख्त सा टकराया है.
बाबाजी- कुछ नहीं बेटी, वह पत्थर होगा. तुम मुझे बेफिक्र होकर नहलाना शुरू करो.

रेखा ने अब बाबा जी के शरीर पर हाथ लगा कर उनके शरीर को पानी से भिगोते हुए मसलना और सहलाना शुरू किया.

किसी गैर मर्द के सख्त जिस्म का अहसास रेखा के जिस्म की आग को भड़काने लगा था.
उसने जमींदार के लंड से न जाने कब से नहीं चुदवाया था.

वह बाबा जी के बाल और दाढ़ी पानी से साफ करने लगी, फिर वह बाबा के जिस्म को पर साबुन से धोने लगी.

उसके बाद बाबा खड़ा हो गया और उसने रेखा को गड्ढे में बिठा दिया.
रेखा भी गर्म होने लगी थी, उसे खुद बाबा जी के लंड को पकड़ने की जल्दी मच रही थी.

वह बाबा जी के पैरों में साबुन लगाने लगी.
उसी वक़्त बाबाजी का सख्त लंड उसके चेहरे से टकरा गया.
रेखा समझ गयी कि बाबा जी उत्तेजित हो गए हैं.

वह मन ही मन बाबाजी के लंड से चुदने का सोचने लगी और उसकी चूचियों में कड़ापन आने लगा.

कुछ ही देर में दोनों ने नहा लिया और नंगे ही आश्रम की ओर जाने लगे.
उसी समय किसी जानवर की आवाज़ सुन कर रेखा डर गयी और बाबा जी से चिपक गयी.

बाबाजी को तो आनन्द ही आनन्द आ रहा था.
रेखा के दोनों दूध उन्हें अपनी छाती से रगड़ते हुए महसूस हो रहे थे.

बाबा जी ने रेखा की कमर पर अपने हाथ रख दिए थे और कड़क लंड रेखा की दोनों टांगों के बीच चूत से स्पर्श करता हुआ फनफना रहा था.

कुछ देर तक उन दोनों ने अपनी अपनी गर्म सांसों से एक दूसरे को मजा दिया फिर वे दोनों आश्रम में आ गए.

रेखा ने अपने कपड़े पहन लिए और दिया जला कर बाहर आ गई.
अब चूंकि रोशनी हो गई थी तो वह बाबा जी का खड़ा लंड देख कर घबरा गई.

बाबा का लंड 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था.
उसने आज से पहले सिर्फ अपने ज़मींदार पति का छोटा सा लंड देखा था.

उधर बाबा रेखा की चूचियों को देखता ही रह गया.

रेखा- बाबा, आइए मैं आपको कपड़े पहना देती हूँ.
बाबाजी- हां.

बाबा ने कपड़े पहनने के बाद भी उनका लंड उनकी तहमद से बाहर दिख रहा था.

रेखा उनके लौड़े को देखती हुई बोली-आप बैठिए बाबा जी, मैं खाना लगाती हूँ.
बाबा बैठ गया … लेकिन उसका लंड खड़ा था और हिल रहा था.

बाबा ने जरा सा खाना खाया और सोने चला गया.
रेखा बाबा के पास आई और उनके पैर दबाने लगी.

वह बोली- क्या आपको खाना अच्छा नहीं लगा बाबा?
बाबाजी- खाना तो बहुत अच्छा था … क्यों क्या हुआ?

रेखा- फिर आपने पूरा खाना क्यों नहीं खाया?
बाबाजी- मेरा तो पेट भर गया लेकिन अभी कोई और भी भूखा है पुत्री … उसका क्या करोगी?

रेखा- मैं तो खा कर आई हूँ और इस आश्रम में कोई जानवर भी नहीं है, फिर किसको खाना खिलाना बाकी रह गया है बाबा जी?

बाबाजी ने बात बदल दी और कहने लगा- अब तुम मेरे बदन में थोड़ी तेल मालिश कर दो बेटी, मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा है.

बाबा के कहे अनुसार रेखा उसके सारे शरीर पर तेल लगा कर मालिश करने लगी.
पर उसने लंड को नहीं छुआ था.

बाबा जी का लौड़ा अभी भी खड़ा था.

बाबा ने रेखा के हाथ में लंड पकड़ा दिया और कहा- ये भूखा है पुत्री … इसकी भूख कैसे मिटेगी … बोलो?
रेखा ने लंड हाथ में लेकर अपने अन्दर बिजली का झटका सा महसूस किया और वह थरथराती हुई आवाज में बोली- नहीं बाबा जी, ये पाप है. मैं यह नहीं कर सकती!

बाबाजी- तुम्हारे परिवार से श्राप इसी लिए खत्म नहीं हो रहा है. कोई भूख से मरा जा रहा है और तुम्हारे पास खाना होते हुए भी तुम उसे नहीं खिला रही हो.

रेखा को एकदम से अपने पति की बात याद आ गई.
उसने बाबा जी लंड सहलाते हुए कहा- ठीक है बाबा जी, मैं आपकी सेवा करने के लिए राजी हूँ, बस आप किसी से यह बात मत बताना. मैं आपके लंड की भूख मिटा देती हूँ.

बाबा मुस्कुरा दिया और कहने लगा कि पहले उसकी भी तो तेल से थोड़ी मालिश कर दो.

रेखा ने बाबा के लौड़े पर तेल डाला और धीरे धीरे लंड को हिलाते हुए उसकी मालिश करने लगी.
बाबा आंखें बंद करके अपने लौड़े की मालिश का मजा लेने लगा.

रेखा लंड को जोर जोर से मुठियाती हुई बोली- मजा आ रहा है न बाबा जी?
Xxx बाबा चुदाई का मजा लेते हुए बोला- हां बहुत मजा आ रहा है.

कुछ देर बाद बाबा उठ कर बैठ गया और रेखा का हाथ लौड़े से हटा कर लंड को उसके मुँह में घुसेड़ने लगा.
वह भी मस्ती में आ गई थी, वह खुद पोज बना कर बाबा जी का लंड चूसने लगी.

कुछ मिनट बाद बाबा जी रेखा को अपनी गोद में उठा कर पलंग पर ले आया और उसके मम्मों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा.

थोड़ी देर बाद वह रेखा का ब्लाउज और ब्रा को खोलने लगा.
नंगी होते ही बाबा रेखा की चूचियों को दबाने लगा और चूसने लगा.

रेखा की बड़ी चूचियों को देख कर बाबा बौरा गया था.
उसने आज तक कभी भी इतनी बड़ी बड़ी चूचियां नंगी देखी ही न थीं.

रेखा ने शर्म के मारे अपनी आंखें बंद कर ली थीं.
तभी बाबा ने दिया बुझा दिया और वह अपनी चोर वाली औकात में आ गया.
उसने रेखा के होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसना शुरू कर दिया और नीचे की ओर जाने लगा.

रेखा की साड़ी हटा कर बाबा उसके पेट में नाभि को अपनी जुबान से कुरेदने लगा और नाभि के बाद नीचे आ गया.

उसने रेखा के पेटीकोट का नाड़ा ढीला किया और नीचे सरका कर उसकी टांगों को खोल कर चूत को अपने हाथ से सहलाया.
इससे रेखा चिहुँक उठी.

बाबा ने जल्दी से पेटीकोट को नीचे खींचा और उसकी कदली सी जांघ पर किस करने लगा, उधर अपने दांतों से काटने लगा.

रेखा उत्तेजित हो चुकी थी; वह ऊंह आह की आवाज़ निकालने लगी.

बाबाजी ने चूत पर ढक्कन की तरह कसी रेखा की चड्डी को खोला और चूत को सहला कर अहसास किया.
बाबा रेखा की चूत चाटने लगे और रेखा बुरी तरह से कंपकंपाने लगी.

बाबा जी ने रेखा की चूत को दस मिनट तक चाटा और उसके बाद जब उससे रहा न गया तो उसने अपने लंड को रेखा की पानी छोड़ती हुई चूत में पेल दिया.

रेखा ने कभी भी इतना बड़ा लंड अपनी चूत में नहीं लिया था.
एकदम से इतना बड़ा लंड चूत में लेते ही वह चिल्ला उठी.

सुनसान जंगल में सोये हुए आस पास के सारे पक्षी रेखा की दर्द भरी आवाज़ को सुन कर फड़फड़ाते हुए उड़ने लगे और उनकी चहचहाहट से आस पास का वातावरण गुंजायमान हो गया.

बाबा ने इस सब पर जरा सा भी ध्यान नहीं दिया और वह रेखा को चोदता रहा.

रेखा उसके नीचे दबी हुई चिल्लाती रही.
बाबा ने कुछ ही देर में अपने लौड़े के मुताबिक रेखा की चूत को ढीला कर लिया था तो रेखा भी अपनी चूत की चुदाई का आनन्द लेने लगी थी.

बाबा पुराना चोदू था, वह बहुत देर तक रेखा को पेलता रहा.

उसके बाद उसने अपना लंड चूत से निकाला और झट से रेखा के मुँह में डाल दिया.

रेखा ने बाबा के लौड़े को मस्ती से चूस लिया.
वह इतने बड़े लंड से चुदने के बाद बड़े गर्व से लंड को गले गले तक लेकर चूस रही थी.

दो मिनट बाद बाबा ने रेखा को औंधा कर दिया और वह उसकी गांड के छेद में लंड रगड़ने लगा.

चूंकि रेखा ने अपने पति से अपनी गांड मरवाई हुई थी तो वह बाबा जी से गांड मरवाने के लिए आसानी से राजी हो गई थी.

बाबा ने अपना लंड पीछे से अन्दर पेला और रेखा की गांड मारने लगा.

इस बार रेखा पहले की अपेक्षा कम चिल्ला रही थी मगर चिल्ला रही थी ‘आह धीरे धीरे करो बाबा … दर्द हो रहा है … आह.’

कुछ देर गांड मरवाने के बाद बाबा जी के लौड़े का पानी निकलने को हो गया.
उसी पल बाबा ने झट से रेखा को पलट दिया और उसकी चूत में अपने माल को निकाल दिया.

चुदाई के बाद वे दोनों नंगे ही एक ही बिस्तर पर चिपक कर लेट गए.

रेखा ने कहा- बाबा आपके जैसी खुशी, मुझे मेरे पति ने भी आज तक नहीं दे पाई थी. उनका 4-5 मिनट में ही पानी निकल जाता था. आपने तो डेढ़ घंटे तक मुझे रगड़ा है … बापरे आप किस फौलाद के बने मर्द हैं.
बाबाजी- मैं किसी को शिकायत का मौका नहीं देता.

रेखा- बाबा, अब तो मैं रोज रात को आपकी सेवा के लिए हाजिर हो जाऊंगी. आपका खाना मैं ही लाऊंगी और आप मुझे ऐसे ही चोदना. कम से कम एक बच्चा तो हो जाएगा. मुझे इतनी खुशी तो ज़मींदार कभी नहीं दे पाएगा.
बाबाजी- सो जा बेटी, सुबह फिर से करेंगे. उसके बाद तुम घर जा सकती हो.
रेखा- ठीक है बाबा.

वह नीचे को सरकी और बाबा जी के लंड को चूम कर सो गई.

दोस्तो, आपको ये Xxx बाबा चुदाई कहानी कैसी लगी. प्लीज बताएं. इसके बाद बाबा जी के लंड से जमींदार की दोनों बहुओं की चुदाई होना बाकी है.
आपकी मर्जी रही तो मैं वह सेक्स कहानी भी लिख कर आपको सुनाऊंगा.
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