लॉकडाउन के बाद सौतेली मां के साथ चुदाई- 3

लॉकडाउन के बाद सौतेली मां के साथ चुदाई- 3


Xxx हिन्दी फॅमिली सेक्स कहानी एक जवान लड़के और उसकी सौतेली मॉम की आपस में चुदाई की है. लॉकडाउन के चलते उन्हें सेक्स का मौक़ा नहीं मिला था. जब मौक़ा मिला तो …
साथियो, मैं हर्षद मोटे आपका एक बार फिर से अपनी Xxx हिन्दी कहानी में स्वागत करता हूँ.
मेरी सौतेली मां की गर्म चूत की प्यास
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी सौतेली मां मेरे साथ चुदाई में गर्म हो गई थी और वो तकिया के सहारे से उठ कर मेरे लंड को चूत में घुसते निकलते देखने लगी थी.
अब आगे Xxx हिन्दी फॅमिली सेक्स कहानी:
मुझे चुदाई करते देख कर अदिति भी नीचे से अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी. अदिति अपनी आंखों से साफ़ देख पा रही थी कि लंड कैसे चूत में अन्दर बाहर हो रहा है.
आहिस्ता आहिस्ता मैं हर धक्के के साथ थोड़ा थोड़ा लंड अदिति की चूत में और गहराई में उतारता रहा.
मैंने अदिति की चूचियां मसलते हुए कहा- देखो अदिति, मेरा लंड तो पहले से ज्यादा ज्यादा और लंबा हुआ ही है लेकिन तुम्हारी चूत भी एक साल तक ना चुदने की वजह से कुछ सिकुड़ गयी है. इसलिए मेरे लंड से फट गयी है. मुझे भी नहीं लगता था कि ऐसा कुछ होगा.
अदिति अपनी गांड हिलाती हुई बोली- हां हर्षद मुझे पता है. लेकिन तुम्हारी भी कोई गलती नहीं है.
वो मेरा लंड अपनी चूत में अन्दर बाहर देखती हुई बोल रही थी- हर्षद अभी तो लंड दो इंच और बाहर है.
“अभी पूरा घुस जाएगा … चिंता मत करो.”
मैं उसकी चूचियां जोर जोर से रगड़ रहा था. हम दोनों भी बहुत मदहोश होने लगे थे.

अदिति अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को सहलाने लगी और साथ में अपनी उंगलियां मेरी गांड के छेद पर फिराने लगी.
मुझे गुदगुदी होने लगी और मैं और तेज गति से अपना लंड अदिति की चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
अब मेरा पूरा लंड अदिति की चूत में घुसकर उसके गर्भाशय के मुँह पर दस्तक देने लगा.
मैंने अपना पूरा लंड सुपारे तक बाहर निकाला और एक जोर का धक्का दिया. इस बार मेरे लंड का सुपारा उसके गर्भाशय से टकरा गया.
उसी पल एकदम से अदिति का शरीर अकड़ने लगा, उसने अपनी गांड ऊपर उठाकर अपनी चूत से मेरे लंड पर दबाव बना लिया.
वो मुझे अपने ऊपर ओढ़कर जोर जोर से सिसकारियां लेते हुए झड़ गयी.
उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया. मैंने अपना सर उसके कंधे पर रख दिया और लेटा रहा.
थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे. नीचे अदिति की चूत ने कामरस निकाल कर मेरे लंड को पूरा नहला दिया था.
थोड़ी देर के बाद अदिति अपनी गांड आहिस्ता आहिस्ता ऊपर नीचे करने लगी तो मैं समझ गया कि अब ये सामान्य हो गयी है.
मैंने उसके होंठों को चूम लिया और दोनों चुचियों को भी चूमकर अपनी पोजीशन में आ गया. मैं फिर से घुटनों के बल बैठ गया और लंड अन्दर बाहर करने लगा.
अदिति का चूतरस चूत से बाहर आकर गांड के छेद पर से तकिया पर फैलने लगा.
मेरा लंड भी चूतरस से लबालब हो गया था.
लंड चूत में अन्दर बाहर होने से पचा पच पचाक पच पच पचाक पच की मादक आवाजें बेडरूम में गूंजने लगी थीं.
हर धक्के के साथ मेरी अंडगोटियां अदिति की गांड की फूले हुए छेद पर टकरा रही थीं तो हम दोनों को एक अजीब सा अनुभव मिल रहा था.
हम दोनों कामवासना में पूरी तरह से डूबने लगे थे.
काफी देर तक मैं अपने लंड से जोरदार धक्के देता रहा. मेरे हर धक्के के साथ मेरी जांघें अदिति की गोरी मांसल जांघों से टकरा रही थीं.
उसकी गोरी जांघें लाल हो गयी थीं. हर धक्के से अदिति कुछ ऊपर को हो जाती, फिर नीचे आ जाती थी.
हर धक्के के साथ अदिति के मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं- आस हं स् स्ह स् ऊंई उफ्फ ऊं ऊं ऊंई हाय आह हम हम हूँ हुं!
पूरा बेडरूम मादक आवाजों से गूंजने लगा था.
मेरा लंड बड़ा होने के कारण उसका चूत से जबरदस्त घर्षण हो रहा था.
इस घर्षण से हम दोनों इतने मदहोश हो गए थे कि हर दर्द हमें खुशियां दे रहा था.
अब हम दोनों अपनी चरमसीमा पर आ गए थे.
अदिति कराहती हुई बोली- हर्षद, अब मैं और धक्के नहीं सह सकती … आंह अब मैं झड़ने वाली हूँ.
मैंने अदिति से कहा- हां अदिति … अब मैं भी झड़ने वाला हूँ … हम दोनों साथ में ही झड़ेंगे अदिति.
मैंने कुछ जबरदस्त धक्के मारे, तो अदिति जोर जोर से सीत्कारने लगी- ऊंई मां आह स् स् स्ह स्ह उफ्फ उफ्फ ऊंई हर्षद झड़ गयी रे मैं!
उसने मुझे अपने ऊपर खींच कर जकड़ लिया.
मैं भी एक अंतिम जबरदस्त धक्के के झड़ गया.
मेरे लंड की पिचकारियां अदिति की गहराई में जाकर गिरने लगीं.
अदिति की चूत से निकला गर्म चूतरस मेरे लंड को नहला रहा था.
हम दोनों एक दूसरे की बांहों में कसकर निढाल होकर लेटे रहे.
कुछ मिनट के आराम के बाद मैं सर उठाकर अदिति को देखने लगा तो वो आंखें बंद करके लेटी थी.
उसके चेहरे पर एक संतुष्टि के भाव थे.
उसके चेहरे पर छायी खुशी देख कर मैं मंद मंद मुस्कुराने लगा. उसका चेहरा खिल उठा था.
मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
अदिति ने आंखें खोलीं और मुस्कुराने लगी. वो भी मेरे होंठ चूसने लगी.
हम दोनों एक दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे.
अदिति ने अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ और गांड को सहलाया और बोली- हर्षद, आज लम्बे अरसे के बाद तुम्हारा मूसल जैसा लंड अपनी चूत में पाकर मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूँ. आय लव यू हर्षद. तुम्हारा लंड मेरी चूत में कितना फिट बैठता है.
ये कहती हुई वो नीचे से अपनी गांड हिला रही थी. साथ में उसने अपने दोनों हाथों से मेरी गांड थामी हुई थी, जिसे वो सहला रही थी.
अदिति अपनी उंगलियां मेरी गांड के छेद पर दबा भी रही थी. इससे मुझे गुदगुदी हो रही थी.
मैं आहिस्ता आहिस्ता लंड अन्दर बाहर करने लगा और अदिति से बोला- अदिति दिल करता है कि मेरा लंड हमेशा तुम्हारी चूत में ही पड़ा रहे.
अदिति नीचे से गांड उठाकर मेरे लंड को अपने चूत में लेती हुई बोली- हां हर्षद, मैं भी यही चाहती हूँ. अब मेरी चूत पर सिर्फ तुम्हारा ही अधिकार है हर्षद. तुम जब चाहो, मेरे चूत में अपना मूसल डाल सकते हो.
हम दोनों ऐसी सेक्सी बातें कर रहे थे और हम दोनों फिर से गर्म होने लगे थे.
मेरा लंड फिर से तनाव में आकर अदिति की चूत के दीवारों को घर्षण करने लगा था.
मैंने अपना लंड चार पांच बार अन्दर बाहर किया, तो हम दोनों का कामरस, जो चूत में भरा था, वो बाहर आकर मेरी अंडगोटियां को भिगोने लगा और अदिति की गांड के छेद बह कर तकिया पर फैलने लगा था.
अदिति बोली- हर्षद, अब तुम्हारा मूसल फिर से कड़क होने लगा है. इससे पहले वो पूरा फड़फड़ाने लगे, मेरे ऊपर से उठ जाओ. मुझे अपनी चूत का क्या हाल हुआ है, वो देखना है.
अदिति की बात सुनकर मैं उसके ऊपर से उठ गया और अपना लौड़ा चूत से बाहर निकालकर अदिति के पास घुटनों के बल बैठ गया.
मैंने अदिति को हाथ देकर उठाया. अदिति उठकर तकिए पर बैठ गयी, तो बचा हुआ हम दोनों का कामरस बाहर आ रहा था.
अदिति अपनी आंखों से ये नजारा देख कर बोली- ओह हर्षद, पूरा तकिया खराब हो गया है. मेरा तो तुमने कितना कामरस और खून फैलाया है हर्षद. मुझे तीन बार झड़ा दिया और खुद एक बार ही झड़े हो हर्षद. कितनी ताकत है तुम्हारे अन्दर … और घड़ी तो देखो हर्षद, पूरे साढ़े बारह बज चुके हैं.
अदिति घुटनों के बल बैठ गयी और उसने तकिया का कवर निकालकर इससे अपनी चूत पौंछकर साफ कर दी.
वो कवर उसने बाजू में रख दिया.
फिर वो मेरे अधतने लंड को देखकर बोली- हर्षद, मुझे तुम्हारे लंड का अमृत जैसा वीर्य पीना है.
उसकी नजरें मेरे वीर्य से लबालब लंड पर टिकी हुई थीं.
मैंने उससे कहा- अदिति, ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या? अब ये लंड सिर्फ तुम्हारा ही है. तुम इसके साथ कुछ भी कर सकती हो.
अदिति मेरे सामने आकर घुटनों के बल बैठ गयी.
मैं भी घुटनों के बल खड़ा हो गया.
अदिति ने मेरा आधा तना और वीर्य से लबालब लंड को हाथ न लगाते हुए नीचे झुककर सीधे अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
मैं कराह उठा- ओह अदिति … आहिस्ता से चूसो … मेरे लंड में बहुत दर्द हो रहा है. तुम्हारी छोटी चूत ने मेरे लंड की खाल को छलनी कर दिया है.
अदिति आहिस्ता आहिस्ता लंड चूसकर मेरा वीर्य पीने लगी.
मेरा लंड फिर से तनाव में आने लगा था.
अब तक अदिति ने चूसकर मेरा लंड पूरा साफ कर दिया था.
वो अपने दोनों हाथों में मेरे लंड को पकड़कर बोली- बहुत शानदार और जानदार लंड है हर्षद तुम्हारा. मैं बहुत खुशनसीब वाली हूँ कि मैं तुम्हारे साथ जुड़ी हूँ. हर्षद मेरी चूत में और जांघों में भी बहुत दर्द हो रहा है.
मेरी सौतेली मम्मी अपनी चूत मुझे दिखाकर बोली- देखो कितनी सूज गयी है मेरी चूत. तुम्हारे लंड ने इसका क्या हाल बना दिया है!
मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा तो अदिति कराहने लगी- ओह हर्षद, बहुत दर्द हो रहा है.
तो मैंने कहा- अदिति चिंता मत करो, मेरे पास दवा और मलहम भी है, जो तुम्हें कुछ ही देर में आराम दे देगी.
मैं उठकर गोलियां और मलहम की डिब्बी लेकर आया और अदिति को एक गोली दी, पानी की बोतल दी.
तो अदिति ने पानी के साथ गोली ले ली.
मैंने भी एक गोली ले ली.
फिर अदिति से कहा- तुम्हें मूतने जाना है, तो जाकर आओ. फिर चूत पर मलहम लगा देता हूँ.
अदिति बोली- हां हर्षद, मुझे बहुत जोर से सुसु आ रही है.
वो बेड के नीचे उतर गयी तो कराहने लगी.
मैंने कहा- क्या हुआ अदिति?
‘अरे चलने से दर्द हो रहा है हर्षद.’
मैंने कहा- अब दवा ली है ना … थोड़ी देर में आराम मिलेगा.
“तुम भी चलो ना मेरे साथ हर्षद … तुम्हें भी मूतना है ना?”
मैंने कहा- हां अदिति, मुझे भी मूतना है … लेकिन पहले तुम जाकर आओ. तुम साथ में होगी, तो मैं मूत नहीं पाऊंगा.
अदिति ने हंस कर कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा हर्षद. मैं तुम्हें मूतते हुए देखना चाहती हूँ. और तुम भी मुझे देख लेना. मेरी इतनी सी तमन्ना पूरी नहीं करोगे हर्षद!
अदिति की बातें सुनकर मैं कुछ नहीं बोल सका.
मैंने कहा- ठीक है अदिति चलो, मैं भी आता हूँ.
अदिति मेरे कंधे पर एक हाथ रखकर बोली- अब चलो.
हम दोनों साथ में चलने लगे.
अदिति पैर फैलाकर चल रही थी.
मैंने अपने एक हाथ से उसकी कमर पकड़ी और साथ में बाथरूम में चले गए.
बड़ा बाथरूम उसके कमरे अटैच था, उसमें कमोड भी लगा था.
मैंने बाथरूम की लाईट जलायी और अदिति के सामने खड़ा हो गया.
मैंने कहा- अब तुम पहले मूतो अदिति.
अदिति बोली- मैं ऐसे खड़े रहकर थोड़ी ही मूतती हूँ हर्षद.
मैंने कहा- हां मुझे पता है कि औरतें बैठकर मूतती हैं, लेकिन मुझे तुम्हें खड़े होकर मूतते हुए देखना है.
अदिति हंस कर बोली- ठीक है हर्षद, तुम्हारे लिए खड़ी होकर मूतती हूँ.
मैंने उसका एक पैर कमोड पर रखकर कहा- अब मूतो.
अदिति मूतने लगी तो चिर् चिर् चिर की आवाज के साथ चूत से पेशाब निकलने लगी.
मैं अपना लंड उसकी चूत के आगे ले गया, तो उसकी गर्म पेशाब मेरे लंड को नहलाने लगी थी.
उसकी गर्म पेशाब से मेरे लंड को थोड़ा सुकून मिल रहा था. हम दोनों की जांघों से अदिति का मूत बहकर नीचे पैर तक जा रहा था.
अदिति की पेशाब निकलना बंद हो गयी तो वो बोली- हर्षद, अब तुम्हारी बारी है. चलो मूतो.
उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया था. मेरा लंड आधा तना हुआ था.
मैं जोर लगाकर मूतने लगा तो मेरी पेशाब की गर्म धार अदिति ने अपनी चूत के मुँह पर लेनी शुरू कर दी.
उसके मुँह से आह निकल गयी.
वो मेरी मूत की धार चूत के आजू बाजू गोलाकार घुमाने लगी.
फिर उसने अपनी चूत के छेद पर धार रखी, तो वो सिहर उठी.
वो बोली- ओह हर्षद, बहुत सुकून मिल रहा है … तुम्हारी गर्म पेशाब से बहुत मजा आ रहा है हर्षद.
कुछ ही पलों में मेरा मूत खत्म हो गया तो मैंने गर्म पानी बाल्टी में चालू किया और एक मग में गर्म पानी लेकर अदिति की चूत पर डालकर चूत सेंकने लगा.
उसने अपनी जांघों, कमर और चूत पर बार बार गर्म पानी डालकर अच्छी तरह से सेंक लिया, तो उसे बड़ा चैन मिला.
अदिति बोली- हर्षद, अब दर्द कुछ कम हुआ है. तुम कितना ख्याल रखते हो मेरा.
फिर वो मेरे हाथ से मग लेकर मेरे लंड और जांघों पर गर्म पानी छोड़ने लगी.
चार पांच मग पानी डालकर उसने पूछा- अब कैसा लग रहा है हर्षद?
मैंने उसे अपनी बांहों में कसकर कहा- अब मेरे लंड का दर्द कम हुआ है अदिति.
अदिति ने मेरी बांहों से छूटकर तौलिया से मेरा बदन पौंछ दिया. मैंने भी अदिति का बदन पौंछ दिया.
फिर मैंने लाईट बंद कर दी और हम दोनों बेडरूम में आ गए.
पानी पीकर एक दूसरे की बांहों में एक दूसरे की तरफ मुँह करके सटकर सो गए.
रात का एक बज चुका था.
अदिति ने अपना एक पैर मेरी जांघों पर रख लिया और मेरा लंड अपनी जांघों में पकड़कर मुझसे सटकर लेट गयी.
हम दोनों एक दूसरे की बांहों में समाकर सो गए.
जब मेरी नींद टूटी तो मैंने घड़ी देखी. रात के दो बजे थे. हम एक घंटा सो चुके थे.
अदिति अपनी गांड आहिस्ता आहिस्ता आगे पीछे करके मेरा लंड अपनी चूत पर रगड़ रही थी जिस वजह से मेरी नींद टूट गई थी.
मेरी आंखें खुलती देख कर उसने अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैं भी ये सब देख कर सोने का नाटक करके रहा था.
थोड़ी देर बाद उसने एक हाथ मेरी गांड पर रखा और तेजी से अपनी गांड आगे पीछे करके अपनी चूत मेरे लंड पर जोर जोर से रगड़ने लगी.
इससे मेरा लंड आहिस्ता आहिस्ता तनाव में आने लगा था.
अब अदिति की चूत भी गीली होने लगी थी.
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने भी अपना एक हाथ उसकी गांड की दरार पर रख दिया और साथ में बीच वाली उंगली उसकी गांड के छेद पर दबाए रखी.
अदिति और जोश में आ गई और वो मेरे होंठों को चूसने लगी.
साथ में मेरी गांड को सहलाते हुए अपनी उंगली मेरी गांड के छेद पर दबाने लगी, साथ में वो मेरे लंड पर अपनी चूत रगड़ रही थी.
इस तरह की हरकतों से मेरा लंड पूरा तनाव में आ गया था.
अदिति उसे अपनी चूत पर रगड़ रही थी.
उसकी गीली चूत के कारण मेरा लंड भी गीला हो रहा था.
अदिति मेरे होंठों को चूमती हुई बोली- हर्षद, अब डाल दो अपना लंड मेरी चूत में. तेरे लंड का स्पर्श पाते ही मेरी चूत की आग सुलग गई है हर्षद!
मैंने कहा- हां अदिति मेरा भी वही हाल है. तुम्हारी छोटी, गुलाबी और मखमल जैसी चूत का स्पर्श मेरे लंड को होते ही मेरी नींद टूट गयी थी.
दोस्तो, मैं नींद से जाग गया था और एक बार फिर से अपनी मां की चुदाई करने की तैयारी करने लगा था.
Xxx हिन्दी सेक्स कहानी को अगले भाग में लिखूंगा, आप सब मुझे मेल करना न भूलें.
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