लेडी डॉक्टर ने मेरे लंड की खुजली का इलाज किया- 1

लेडी डॉक्टर ने मेरे लंड की खुजली का इलाज किया- 1


लेडी डॉक्टर हॉट कहानी में पढ़ें कि मैं जांघ में खुजली के इलाज के लिए गया तो लेडी डॉक्टर मिली. मुझे उसके सामने अपना नंगा लंड दिखाना पड़ा.
अन्तर्वासना के प्यारे दोस्तो, मेरा नाम हर्षद है.
आपकी याद ताजा करने के लिए बता देता हूँ कि मेरी पहली गरम सेक्स कहानी
सौतेली मां की चुदाई की लालसा
आप सभी ने पढ़ी और सभी को बहुत पसंद आयी.
मेरी उम्र 26 साल की है. मैं दिखने में हैंडसम हूँ. अभी मैं एक कंपनी में इंजीनियर हूँ.
आज मैं आपके लिए एक और गर्म सेक्स कहानी लेकर आया हूँ, जो अभी चार महीने पहले मेरे साथ घटी थी.
लॉकडाउन की वजह से मेरा घर से ही वर्क फ्राम होम चालू था.
पिताजी भी घर में बैठकर ही काम कर रहे थे.
लॉकडाउन उठने के बाद मैं और पिताजी भी अपने अपने ऑफिस जाने लगे थे.
अब पिताजी हर दिन समय पर घर आ रहे थे.
कुछ दिनों के लिए उनकी बाहर की ड्यूटी बंद कर दी गई थी. इसी वजह से हम दोनों को एकांत नहीं मिल रहा था और मेरी सौतेली मम्मी और मेरे बीच सेक्स नहीं हो पा रहा था.
चार महीने पहले की बात है.
मेरे लंड में खुजली हो रही थी. मतलब मेरे लंड की खालपर छोटे छोटे फुंसी सी दिख रही थीं, जैसे चेहरे पर दाने से आ जाते हैं. उसकी वजह से लंड में खुजली हो रही थी.

दो तीन दिन से मैं बहुत परेशान था अकेले रहते खुजलाने में कोई दिक्कत नहीं थी.
लेकिन ऑफिस में या अन्य लोगों के सामने हाथ से खुजली करने में बड़ी शर्म आती थी.
बिना खुजाए सहना भी मुश्किल हो रहा था.
ज्यादा समय हाथ से खुजलाने से अच्छा लगता था लेकिन लंड में तनाव आने लगता था और लंड फड़फड़ाने लगता था.
शर्म की वजह से ये बात मैं किसी को बता भी नहीं सकता था.
मैं घर में रहता तो कोई प्रॉब्लम नहीं होती क्योंकि घर में मैं सिर्फ लुंगी ही पहनता था और अन्दर से नंगा रहता था.
जब खुजली मचती तो लुंगी के ऊपर से ही लंड को मसल लेता था.
मेरी मम्मी ने मेरी परेशानी देखकर पूछा कि हर्षद मैं तुम्हें दो तीन से देख रही हूँ, तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो. क्या बात है, मुझे बताओ.
मैंने उन्हें शर्माते हुए बता दिया.
उन्होंने कहा- अरे इसे हल्के में मत लो … अभी कपड़े पहनकर चर्मरोग वाले डाक्टर के पास जाओ और उसे दिखाओ. शर्म के मारे घर मत बैठो, नहीं तो और कुछ हो जाएगा.
उस समय शाम के सात बजने वाले थे. पिताजी अभी तक नहीं आए थे. मैं तैयार होकर अपनी बाईक लेकर निकल गया.
मेरे गांव के बाजू वाले शहर में एक पति पत्नी दोनों ही स्किन स्पेशलिस्ट डाक्टर हैं. उधर पहुंचने में दस मिनट लगते हैं. मैं कुछ ही देर में डाक्टर के क्लीनिक पहुंच गया.
उधर कुछ मरीज बैठे थे. मैं भी अपनी बारी आने का इंतजार करने लगा.
क्लीनिक बड़ा और अच्छा था. सजावट और स्वच्छता काफी अच्छी थी.
वो दो मंजिला इमारत थी. मैं समझ गया कि शायद डाक्टर ऊपर रहते होंगे.
बीस मिनट बाद सभी मरीज डॉक्टर साब को दिखा चुके थे.
अब मैं अकेला ही रह गया था.
मैं अन्दर गया तो देखता ही रह गया.
वो एक लेडी डाक्टर थी.
उसने लाइट ब्लू कलर की झीनी सी साड़ी और स्लीबलैस मैचिंग का ब्लाउज पहना था. ब्लाउज के ऊपर से उसने सफेद एप्रेन पहना हुआ था.
उसके एप्रेन के बटन खुले ही थे, जिस वजह से मुझे उसके ब्लाउज के स्लीबलैस होने का अंदाजा हो गया था.
डॉक्टर दिखने में गोरी और सुंदर थी. उसकी उम्र लगभग 35-36 साल की रही होगी.
उसकी चूचियां 34 इंच की समझ आ रही थीं.
ब्लाउज का गला घटा होने से उसके दोनों स्तनों के बीच की दरार भी बड़ी मस्त दिख रही थी.
उसके मस्त कसे हुए स्तन थे.
मैं तो उसे देखता ही रह गया.
वो भी मुझे देख रही थी.
तभी वो बोली- बैठो.
मैं होश में आकर उसके सामने की कुर्सी पर बैठ गया.
मैंने उनसे पूछा- डाक्टर साहब कहां हैं. मुझे उनसे मिलना है.
वो बोली- वो तो पुणे में एक अस्पताल के डीन है. वो वहां ही रहते हैं. रविवार को यहां आते हैं. यहां का क्लीनिक मैं संभालती हूँ. अब बताओ आपको क्या तकलीफ है?
मैं शर्म के मारे बात ही नहीं कर पा रहा था.
डाक्टर ने फिर से कहा- शर्माओ मत, डाक्टर और वकील से कुछ भी मत छुपाना चाहिए.
मैंने शर्म छोड़कर कह दिया कि डाक्टर साहब दो-तीन दिन से नीचे खुजली हो रही है.
उसने हल्की सी मुस्कान देते हुए कहा- अच्छा इसलिए शर्मा रहे हो … ठीक है अन्दर जाकर टेबल पर लेट जाओ, मैं चैक करती हूँ.
मैं अन्दर जाकर टेबल पर पीठ के बल लेट गया.
डाक्टर भी अन्दर आ गयी और मेरे पास खड़ी होकर बोली- अपनी पैंट और चड्डी नीचे करो, शर्माओ मत. आपका नाम क्या है?
मैंने पैंट और चड्डी खोलते हुए कहा- हर्षद.
वो बोली- और नीचे ले लो, घुटने तक.
मैंने अपनी पैंट और चड्डी घुटने के नीचे कर ली.
डाक्टर मेरा आइटम देखती हुई बोली- ठीक है हर्षद. अब अपने हाथ साइड में कर दो.
मैंने हाथ साइड पर टेबल पर लंबे कर दिए.
डाक्टर टार्च लेकर आयी और मेरी तरफ गांड करके लंड देखने लगी.
मैंने देखा, तो उसके चूतड़ गोल मटोल और बाहर निकले हुए थे. शायद 36 के होंगे. उसकी उठी हुई गांड देखते ही मेरे मन में हलचल होने लगी थी.
डाक्टर ने पतले से दस्ताने पहनकर एक हाथ में टार्च पकड़ी और दूसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ कर ऊपर नीचे करके देख रही थी.
एक लेडी के द्वारा इस तरह से किए जाने से मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था.
अब वो मेरी लंड की खाल पूरी नीचे लेकर टार्च से चैक कर रही थी.
अच्छा हुआ कि सुबह ही मैंने नहाते समय बाल साफ किए थे, तो लंड चिकना था.
डाक्टर ने पांच छह बार मेरे लंड की खाल ऊपर नीचे करके देखा, तो उसके मुलायम हाथों के स्पर्श से ही लंड में तनाव आने लगा था.
मैं चाहकर भी रोक नहीं पा रहा था, तो मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और उसका हाथ पकड़कर कहा- ऐसा मत कीजिए, मुझे कुछ हो रहा है.
तो उसने हंसते हुए कहा- हर्षद, तुम परेशान मत हो, इस उम्र में ऐसा होता है.
बस ये कह कर उसने मेरा हाथ हटा कर साइड में कर दिया.
अब वो बोली- आपकी शादी हो गयी है क्या?
मैंने कहा- नहीं.
तो उसने पूछा- कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं.
ये सब पूछताछ के साथ उसका अपना काम चालू था.
अब वो मेरे अंडकोश को ऊपर नीचे करके चैक कर रही थी.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
तभी उसने पूछा- सेक्स किए हुए कितने दिन हो गए?
मैंने इस बार बिंदास कहा- सात महीने हो गए हैं डाक्टर.
तो वो बोली- अच्छा. तो तुम्हारी बीमारी की यही जड़ है हर्षद.
मैंने पूछा- क्या कोई घबराने वाली बात है डाक्टर. मैं ठीक हो जाऊंगा ना?
मेरे सवाल पर उसने कहा- घबराने की कोई जरूरत नहीं है. तुम जल्दी ठीक हो जाओगे. सेक्स ना होने की वजह से तुम्हारे शरीर में गर्मी बढ़ गयी है, इसलिए कभी कभी ऐसा हो जाता है.
यही सब बातें करते करते वो मेरा लंड और अंडकोशों को सहला रही थी.
मेरा लंड अब पूरा तना हुआ था.
मेरा मोटा, गोरा और लंबा लंड डाक्टर के सामने था और वो अपनी आंखें फाड़कर लंड देख रही थी.
वो बाहर गयी और हाथ में एक बोतल और टिश्यू पेपर लेकर आयी.
फिर वो टेबल से सटकर खड़ी रही. मेरा हाथ उसकी मांसल जांघों को स्पर्श कर रहा था.
मुझे उस स्पर्श से मेरे बदन में सरसराहट हो रही थी.
डाक्टर ने उस बोतल में से दवाई एक ड्रापर में भरी और मेरे खड़े हुए लंड के सुपारे पर छोड़ने लगी.
इससे मुझे बहुत मजा आने लगा था.
मेरा लंड फड़फड़ाने लगा तो उसने एक हाथ से लंड पकड़ा और दूसरे हाथ से वो बार बार दवाई डालकर मुझे मजा देने लगी.
उसने कुछ ही देर में ढेर सारी लंड को पूरा नहला सा दिया.
फिर दोनों हाथों से मेरे लंड की खाल ऊपर नीचे करने लगी.
वो बोली- इस दवा से तुम्हारे इस लंड पूरा साफ करके इसमें मलहम लगा दूंगी तो तुम्हें आराम मिलेगा हर्षद.
मैंने कहा- ठीक है डाक्टर, आप जो चाहें, सो करें.
वो लगातार मेरे लंड और अंडकोश को दवाई लगा लगाकर सहला रही थी.
मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे.
बहुत महीनों बाद किसी औरत का स्पर्श मेरे लंड को हो रहा था.
शायद उसे भी मेरा लंड पसंद आ गया था. मैं मन में यही सब सोच रहा था.
डाक्टर की नजर मेरे लंड से हट नहीं रही थी.
सहलाते समय उसका सेक्सी बदन भी हिल रहा था तो मेरा हाथ अब सीधे उसकी चुत पर लग रहा था, जिसे मैं हटा नहीं रहा था और वो भी मना नहीं कर रही थी.
कुछ देर बाद डाक्टर ने लंड सहलाना बंद कर दिया और टिश्यू पेपर से पूरे लंड और अंडकोश को साफ करने लगी थी.
अब मेरा साहस बढ़ गया था.
मैं अपनी उंगली से उसकी चुत को साड़ी के ऊपर से ही रगड़ने सा लगा था.
लेकिन ये सब अनजाने में हो रहा है, मैं ऐसे दिखा रहा था.
कुछ देर बाद डाक्टर बाहर चली गयी और एक मलहम की बोतल ले आयी.
मैंने भी अपना हाथ थोड़ा और टेबल के बाहर किया और आंखें बंद करके लेटा रहा.
वो पहले जैसे ही मेरे पास खड़ी रही, लेकिन इस बार वो अपनी टांगें फैलाकर ऐसी खड़ी थी कि मेरा हाथ सीधा चुत पर रगड़ जाए.
ऐसा हुआ तो मेरे पूरे बदन में लहर सी दौड़ने लगी.
डाक्टर बोली- हर्षद जरा अपनी कमर उठा लो.
मैंने कमर उठा ली, तो उसने मेरी कमर के नीचे एक तकिया रखा. ताकि मलहम लगाने आसान हो जाए.
अब उसने अपने हाथ के दस्ताने निकाल दिए और एक हाथ में मेरा लंड पकड़ा. उसके एक हाथ में मेरा लंड नहीं आ रहा था.
मैंने अपनी अधखुली नजरों से देखा तो डाक्टर की आंखों में और चेहरे पर कामुकता नजर आ रही थी.
अब उसने बोतल से ढेर सारी मलहम निकालकर अपने दोनों हाथों पर लगा ली. फिर अपने दोनों हाथों में मेरा लंड पकड़कर ऊपर नीचे सहलाकर मलहम लगाने लगी. साथ ही वो मेरे हाथ पर अपनी चुत को साड़ी के ऊपर से ही रगड़ने लगी थी.
मेरा तो इधर हाल बेहाल हो रहा था. डाक्टर भी मदहोश होकर लंड को मलहम लगाकर सहला रही थी.
इस वक्त वो दूसरे हाथ से पूरे अंडकोष को ऊपर से नीचे तक मलहम लगाकर सहलाने सी लगी थी.
मैं भी मदहोश होता जा रहा था और उस हॉट डॉक्टर की चुत रगड़ता जा रहा था.
वो अंडकोष पर मलहम लगाते लगाते मेरी गांड के छेद पर अपनी उंगलियां ले जा रही थी.
इससे मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगी थीं.
डाक्टर भी गर्म हो गयी थी.
अब उसने मलहम लगाना बंद कर दिया और लंड को हाथ में पकड़कर बोली- हर्षद तुम्हारा ये कितना बड़ा है. मैं तो पहली बार देख रही हूँ. इतना मोटा और लंबा लंड!
मैंने उसकी चुत को रगड़ते हुए कहा- सच बोल रही हो डाक्टर?
तो उसने कहा- हां हर्षद.
फिर वो बाजू में होकर बोली- अब मैंने मलहम लगा दी है. तुम्हें थोड़ा आराम पड़ जाएगा. उठो और पैंट पहनकर बाहर आओ.
वो अपना हाथ धोने चली गयी.
मैं तैयार होकर बाहर कुर्सी पर बैठ गया.
टेबल पर उसके नाम की नेमप्लेट थी.
मैं आपको उसका असली नाम नहीं बता सकता. बस उसे डाक्टर रेखा ही कहेंगे.
डाक्टर रेखा आ गयी और बैठते हुए बोली- हर्षद, मैं तुम्हें कुछ दवाईयां लिखकर देती हूँ. तीन दिन दोपहर और रात को खाने के बाद ले लेना. आज मंगलवार है ना … तो तीन दिन इसी टाइम पर मलहम लगवाने क्लीनिक आ जाना … आओगे ना?
मैंने कहा- हां डाक्टर. मैं जरूर आ जाऊंगा.
मैंने उससे कहा- एक बात कहूँ डाक्टर!
उसने कहा- हां बोलो हर्षद?
तो मैंने कहा- आप बहुत खूबसूरत हैं.
इस पर उसने मुस्कुरा कर कहा- थैंक्स हर्षद … लेकिन तुम भी बहुत हैंडसम हो.
मैंने भी उसे थैंक्स कहा और पूछा- आपने अपनी फीस नहीं बतायी डाक्टर साब!
उसने बताया- मेरी फीस चार सौ रूपए.
मैंने उसे चार सौ रूपए दे दिए और उसने मेरे हाथ में दवाइयों की पर्ची देते हुए कहा- मेडिकल स्टोर से ये दवाइयां ले लेना.
मैं उस थैंक्स बोलकर निकल गया और मेडिकल स्टोर्स से दवाइयां लेकर घर आया, तो साढ़े आठ बज रहे थे.
पिताजी भी घर आ गए थे और मेरा ही इंतजार कर रहे थे.
अगले भाग में डॉक्टर रेखा की चुत किस तरह से चोदने मिली, उसको लिखूंगा. आप इस लेडी डॉक्टर हॉट कहानी पर अपने मेल जरूर भेजें.
[email protected] लेडी डॉक्टर हॉट कहानी का अगला भाग:

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