अन्तर्वासना हिन्दी सेक्स स्टोरीज पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो… मेरा नाम रोहित है, मैं दिखने में स्मार्ट हूँ और मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ.
अभी पिछले साल दिसम्बर में मैं एक दिन कुछ खरीदारी करने के लिए अमीनाबाद गया था. मैं बाज़ार में घूम ही रहा था कि तभी मेरे पास दो लड़कियां आईं. उन्हें मैं देखते ही पहचान गया. वो दोनों मेरी स्टूडेंट थीं, जिन्हें मैं चौक स्थित कंप्यूटर सेंटर में पढ़ाता था.
मैंने उनका बड़े ही गर्मजोशी से स्वागत किया और उनका हाल चाल पूछा. पहली का नाम है फरीदा और दूसरी का नाम है रिजवाना. दोनों ही सहेलियां हैं और काफी सुन्दर हैं. पर रिजवाना तो निहायत ही खूबसूरत है.
दोस्तो, आप लोग तो जानते ही होंगें कि ऐसे नामों वाली लड़कियां कितनी सुन्दर और गोरी-चिट्टी होती हैं. देखकर मन ललचा जाए.
वो दोनों भी शापिंग करने आई थीं. वैसे तो सर्दी का महीना था, फिर भी मैंने दोनों से प्रकाश कुल्फी खाने के लिए कहा, क्योंकि सर्दी में कुल्फी या आइसक्रीम खाने का मजा ही कुछ और है.
वो दोनों भी तुरंत मान गईं और हम लोग प्रकाश कुल्फी खाने पहुँच गए. दुकान में एकदम सन्नाटा था. हम बेसमेंट में बैठ गए. वो दोनों एक बेंच पे और मैं उनके सामने वाली बेंच पे बैठ गया. फिर मैंने तीन हाफ-प्लेट कुल्फी आर्डर की. हम लोग आपस में बातें करने लगे. मैं उन दोनों से मिल कर बहुत खुश था और वो दोनों भी बहुत खुश लग रही थीं.
कंप्यूटर सेंटर में मैं रिजवाना को लाइन मारता था और वो मुझे लाइन देती भी थी, पर उसके आगे कुछ हो नहीं पाया क्योंकि मैंने जल्दी ही वो नौकरी छोड़ दी थी, जिसका मुझे आज भी दुःख है, क्योंकि रिजवाना जैसा माल मेरे हाथ से निकल गया था.
रिजवाना मेरे सामने ही बैठी थी और मैंने अपना पैर उसके पैर से लगा दिया. उसने बस एक नज़र मुझे देखा, लेकिन पैर नहीं हटाया. तो मैं भी अपना पैर उसके पैर पे रगड़ने लगा. थोड़ी ही देर में कुल्फी आ गई और हम लोग कुल्फी खाने लगे. तभी फरीदा को किसी का फोन आया और वो फोन पे बात करने लगी.
फरीदा- हैलो हाँ, हम लोग पहुँच गए, तुम कहां हो.. अच्छा, हम लोग तो प्रकाश कुल्फी में, कुल्फी खा रहे हैं, तुम यहीं आ जाओ.. ओके बाय.
कुछ ही देर बाद रिजवाना और फरीदा जैसी ही एक सुन्दर लड़की हमारी तरफ आती हुई दिखी. वो हमारी ही टेबल पे आके रुक गई और रिजवाना, फरीदा से हाय हैलो के बाद मेरी तरफ देखने लगी. तब फरीदा ने मेरा उससे परिचय करवाया, वो फरीदा की चचेरी बहन थी और उसका नाम आयशा था.
आज का दिन मेरे लिए सच में बहुत अच्छा था, मेरे पास तीन तीन माल जैसी लड़कियां थीं. सब की सब एक से बढ़ के एक खूबसूरत. बस काश उनमें से कोई एक भी मिल जाती तो मजा आ जाता. खैर मैंने भी उससे हाय हैलो किया और उसे बैठने को कहा तो वो मेरे ही बगल में बैठ गई, क्योंकि हमारी टेबल पे कोई और सीट तो खाली नहीं थी. मेरे बाजू में बैठते ही उसकी जांघ मेरी जांघ से लग गई, पर उसने अपनी जांघ हटाई नहीं तो मैंने भी नहीं हटाई.
मैंने एक और कुल्फी का आर्डर दिया और आयशा भी कुल्फी खाने लगी.
अब मैं अपनी जांघ उसकी जांघ से रगड़ने लगा, तो वो भी धीरे-धीरे रगड़ने लगी. बहुत मजा आ रहा था. एक तरफ तो मैं रिजवाना के पैर पे अपना पैर रगड़ रहा था तो दूसरी तरफ आयशा की जांघ भी रगड़ रहा था. इस रगड़-घिस्से में बहुत मजा आता है.
हम लोग आपस में बातें करते हुए कुल्फी खा रहे थे, पर मैं कम ही बोल रहा था क्योंकि वो लोग अपने अपने घरों की बातें ज्यादा कर रही थीं.
खैर मैंने जल्दी ही कुल्फी खा ली. अब आप लोग तो जानते ही हैं कि लड़कियां नजाकत के साथ कितनी धीरे धीरे खाती हैं. वो लोग आपस में बात करने में मगन थी तो मैं चुपके से अपना दायां हाथ टेबल के नीचे ले गया और आयशा की जांघ पे रख दिया. उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो मैंने भी उसे ग्रीन सिग्नल माना और धीरे धीरे उसकी जांघ अपने हाथ से सहलाने लगा, पर तभी उसने भी अपना बायाँ हाथ टेबल के नीचे कर लिया और मेरा हाथ पकड़ कर दबा दिया. मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे कि अरे… कुड़ी पट गई यार.
फिर वो भी मेरी जांघ सहलाने लगी.
ये रगड़ घिस ज्यादा देर न चल पाई क्योंकि उन लोगों ने भी कुल्फी खत्म कर दी.
रिजवाना बोली- चलो, अभी तो बहुत सामान लेना है, देर हो जाएगी, जल्दी चलो.
तो हम लोग शापिंग करने के लिए चल दिए. मैंने ‘सरदार जी पापड़ वाले’ के यहाँ से अपना सामान खरीद लिया और फिर हम लोग ‘गड़बड़ झाला’ गए, जहाँ उन तीनों ने काफी सारी खरीदारी की.
फिर हम लोग घूमते हुए अमीनाबाद टैक्सी स्टैंड पे पहुँच गए.
तो फरीदा बोली- अच्छा सर, अब हम लोग चलते हैं और आयशा, तुम रिक्शा कर लो.
मैं- क्यों? तुम लोग एक साथ नहीं जा रही क्या?
फरीदा- अरे नहीं, ये तो नरही में रहती है.
मैं- अरे… तो इन्हें वहां तक मैं छोड़ दूंगा.
आयशा- हाँ… ये अच्छा रहेगा और रिक्शे के पैसे भी बच जायेंगे.
उसकी बात पे हम सब हंसने लगे. फिर रिजवाना और फरीदा टैक्सी में बैठ के चली गई.
तब मैंने आयशा से रूमानी अंदाज़ में पूछा- अब बताओ, तुम्हें कहाँ ले चलूँ?
आयशा ने भी उसी अंदाज़ में जवाब दिया- जहाँ तुम ले चलो. पर तुम क्या करोगे मेरे साथ?
मैं- सब कुछ करूँगा.. मेरी जान!
आयशा- अच्छा… क्या तुम ‘जबान’ देते हो कि तुम सब कुछ करोगे.
उसने ‘जबान’ पर काफी जोर देकर बोला, तो मैं भी उसका मतलब समझ गया कि ये तो काफी बिंदास माल निकली.
मैं- मैं जबान देता हूँ, पर तुम भी जबान दो.
आयशा- मैं भी जबान देती हूँ. तुम्हें मेरा एक काम करना पड़ेगा.
मैं- तुम कुछ भी कहो मेरी जान, मैं सब कुछ करूँगा तुम्हारे साथ.. मेरा मतलब है कि सब कुछ करूँगा तुम्हारे लिए.
अब मैं उसके साथ पूरी तरह खुल चुका था और उसके साथ मजाक के साथ डबल मतलब वाली बातें भी करने लगा था, जिस पर वो भी हंसते हुए बोलने लगी.
आयशा- दरअसल मेरे बूब्स में दर्द हो रहा है.
मैं- क्यों? क्या हो गया?
आयशा मुस्कुराते हुए बोली- वो दूध भर गया है ना.. इसलिए.. तुम्हें वो पीना पड़ेगा.
पहले तो मैं हैरान रह गया उसकी बातें सुन कर कि वो शादीशुदा है और उसका बच्चा भी है. मुश्किल से उसकी उम्र 22 साल होगी. फिर मैं एकदम से खुश हो गया कि आज मुझे चूचियों से सीधे दूध पीने को मिलेगा और दूसरी बात कि आयशा शादीशुदा है तो फिर कंडोम की भी जरूरत नहीं, क्योंकि मैंने आज तक अपनी गर्ल फ्रेंड्स को कंडोम के साथ ही चोदा था, हाँ पर उनकी गांड मैं बिना कंडोम के ही मारता था.
मैं एकदम से खुश होते हुए बोला- अरे जान, ये भी कोई कहने कि बात है. वो तो मैं वैसे भी पियूँगा.
वो मुस्कुरा दी.
मैं खुश होते हुए बोला- तो ठीक है, फिर मेरे घर चलते हैं. पर पहले कुछ खा लेते हैं, बहुत भूख लग रही है.
आयशा- हाँ, मुझे भी.
मैं- चलो कवाब रोल खाते हैं.
फिर हम लोग ‘टुंडे कवाबी’ के यहाँ गए और मैंने दो कवाब रोल ले लिए और हम लोग रोल खाते हुए मेरी बाईक की तरफ चलने लगे. फिर हम लोग रोल खाते खाते मेरी बाईक के पास पहुँच गए. मैंने मेरा सारा सामान बाईक की डिग्गी में रख दिया और आयशा के सामान का बैग मैंने गले में टांग कर उससे बोला कि चिपक कर बैठना.
वो बाईक में मेरे चूतड़ों से चिपक कर बैठ गई और हम चल दिए. तभी उसने मेरी जैकेट के नीचे से हाथ डाल कर मेरी टी-शर्ट के अन्दर हाथ डाल दिया और उसके ठन्डे ठन्डे हाथ मेरे बदन पे रेंगने लगे. कसम से.. बस मजा ही आ गया. वो मेरे सीने और पेट को सहलाने लगी. फिर वो अपने हाथ मेरे लंड के पास लाई और पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को मसलने लगी. एक हाथ से वो मेरे बदन को सहला रही थी और दूसरे हाथ से मेरे लंड को दबा रही थी.
फिर करीब 15 मिनट में हम लोग अलीगंज मेरे घर पहुँच गए. मेरे घर के जीने बाहर से हैं, तो कोई भी आये जाए किसी को पता नहीं चलता. मैंने उससे जीने से ऊपर जाने को कहा, क्योंकि मैं ऊपर वाले फ्लोर पे अकेला ही रहता हूँ.
वो ऊपर पहुँच गई और मैं भी बाईक खड़ी करके ऊपर आ गया और दरवाजा बंद करते ही मैंने आयशा को बांहों में भर लिया और उसे जोरदार किस किया और मेरे मन में खामोशी द म्यूजिकल का गाना बजने लगा ‘बांहों के दरमियाँ, दो प्यार मिल रहे हैं..’
फिर किस करने के बाद मैंने अपना जैकेट उतारा और उससे बोला- तुम बैठो, मैं सू सू करके आता हूँ.
मैं बाथरूम जाकर मूतने लगा.. पर वो भी बाथरूम में आ गई और मेरे लंड को निहारने लगी.
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मासूमियत से बोली- मुझे भी जोर से सू सू आई है.
मैंने हाँ में अपनी मुंडी हिला दी. फिर वो अपनी सलवार का नाड़ा खोलने लगी. मैंने सू सू कर ली तो वो उसने भी अपनी सलवार और पैंटी एक साथ नीचे कर दी और कमोड पे बैठ कर सू सू करने लगी. मुझे उसकी चूत की एक झलक भर मिली.
अब भी वो मेरे लंड को निहार रही थी, जो कि उसके मुँह के सामने ही था. तो मैंने भी अपना लंड आगे करके उसके होंठों से छुआ दिया और उसने बड़े प्यार से मेरे लंड पे किस कर लिया और धीरे धीरे मेरे लंड को चूसने लगी. मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था, क्योंकि रास्ते भर तो वो लंड को मसलती रही थी और उसके मुँह में जाते ही वो और अकड़ गया.
थोड़ी देर बाद मैं लंड को उसके मुँह में आगे पीछे करने लगा या कहिये कि मुँह चोदी करने लगा और फिर मैं उसके मुँह में ही झड़ गया. फिर वो उठी और मेरे सड़के को कमोड में थूक दिया और फ्लश करके हम लोग कमरे में आ गए.
मेरा लंड अभी भी बाहर ही था, पर थोड़ा लटक गया था. मैंने फटाफट अपने कपड़े उतार दिए और एकदम नंगा हो गया और आयशा को भी कपड़े उतारने को बोला और वो भी अपने कपड़े उतारने लगी, तो मैं उसकी कपड़े उतारने में मदद करने लगा.
जब वो सिर्फ ब्रा-पैंटी में रह गई तो मैं उसके पीछे आ कर उसकी ब्रा के हुक खोलने लगा, फिर ब्रा को उसके बदन से हटा कर पीछे से उसकी दोनों चुचियों को पकड़ कर दबाने लगा और उसकी गर्दन पे किस करने लगा.
उसकी चूचियां 32 साईज की थीं, एकदम गोरी गोरी और उन पर गहरे भूरे रंग के निप्पल तो एकदम गज़ब के लग रहे थे. मेरा लंड उसके चूतड़ों पर रगड़ रहा था. फिर मैं नीचे बैठ गया और धीरे से उसकी पैंटी उतार दी.
वाह.. क्या मोटे मोटे गोरे गोरे चूतड़ थे उसके. मैंने दोनों चूतड़ों पे हल्के से दांत से काट लिया, तो उस की हल्की से सिसकी निकल गई.
फिर मैं आगे आया और उसकी सांवली सलोनी चूत मेरे सामने थी जो कि पूरी तरह से पनिया गई थी. मेरे सामने एक नंगी अप्सरा खड़ी थी.
वाह.. अति सुन्दर, सुभान अल्ला.. बिल्कुल बेदाग हुस्न, एकदम रसमलाई के जैसा माल, जिसे देखते ही मुँह और लंड दोनों में पानी आ गया. मैंने उसकी चूत का चुम्मा लिया और उसके दाने को जुबान से सहला दिया. उसने जल्दी से मेरे सर को पकड़ के मुझे ऊपर उठा लिया और मुझे किस करने लगी.
फिर हम दोनों बिस्तर पे आ गए और रजाई में घुस गए.
आयशा- जल्दी से दूध पी लो.
मैंने देखा कि उसकी चूचियां एकदम टाइट हो गई थीं. मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसकी दायीं चूची का निप्पल मुँह में भरकर चूसने लगा और मेरे मुँह में अमृत जैसा दूध आने लगा, जिसके आगे आबे-ज़न्नत भी बेकार था.
दोस्तो, उस अहसास को लफ्जों में बयाँ करना मुश्किल है. मैं दायें हाथ से उसकी चूत को छेड़ने लगा जो बहुत ज्यादा पानी छोड़ रही थी. फिर उसके दाने को सहलाने लगा. बीच बीच में उसकी बायीं चूची भी दबा रहा था. जब उसकी दायीं चूची एकदम खाली हो गई तो मैं उसकी बायीं चूची पीने लगा और इस तरह मैंने दोनों अमृत कलशों को खाली कर दिया और चूस चूस कर उसके दोनों निप्पलों को खड़ा कर दिया, जोकि किशमिश से अंगूर बन चुके थे.
फिर मैं उसकी चूत चाटने के लिए रजाई में घुस गया. आखिर मैं ‘जबान’ दे चुका था और वैसे भी मैं चूत चाटने में एकदम एक्सपर्ट हूँ और मुझे चूत चाटने में बहुत मजा भी आता है. कितनी ही बार मैंने अपनी गर्लफ्रेंड की चूत चाट कर ही झाड़ दी है.
पर रजाई में कुछ नज़र नहीं आ रहा था तो मैंने मोबाइल की टॉर्च जला दी और उस की चूत चाटने लगा. मैं जुबान की नोक से उस के दाने को सहलाता रहा, फिर जुबान उसकी चूत में घुसेड़ने लगा. वो भी मस्त हो कर चूत चटवा रही थी. उसने मेरे मुँह पर अपनी चूत उठा दी, जिसे मेरी जुबान उसकी चूत में अन्दर तक मजा दे. इस कारण से उसके चूतड़ उठ गए थे तो मैंने एक उंगली उसकी गांड में घुसेड़ दी. आखिर मुझे उस की गांड भी तो मारनी थी. उसने भी अपने पैर फैला दिए जिस से चूत का चाटना और गांड में उंगली का खेल और मस्ती से होने लगा.
इधर उसकी चूत बहुत कामरस छोड़ रही थी, जो मैं पीता जा रहा था और बीच बीच में पूरी की पूरी चूत अपने मुँह में भर के उसका सारा पानी खींच लेता. इस तरह वो एकदम मस्त होकर चूत चुसवाती रही.
थोड़ी देर बाद वो अकड़ने लगी तो मैं समझ गया कि उसका काम होने वाला है. वही हुआ, वो अकड़ते हुए अपनी चूत उछालने लगी और मेरे मुँह में ही झड़ गई. मैंने भी उसकी चूत को अपने मुँह में भर लिया और सारा काम रस पी गया.
अब मेरे मन में एक ही गाना बज रहा था, फिल्म बाजीराव मस्तानी के ‘आयत’ गीत का पैरोडी गीत ‘तेरा दूध पी लिया है, शरबत की तरह.. तेरी चूत चाट ली है, चूरन की तरह. सुबोह तलक चुदेगी, तू रंडी की तरह..
वो झड़ कर निढाल हो गई तो मैं उसके ऊपर आ गया और उसे किस करने लगा. थोड़ी देर बाद वो भी मुझे किस करने लगी तो मैंने उसकी आँखों में देखा तो वो मेरा लंड लेने के लिए तैयार थी.
मैंने भी अपना लंड उसकी चूत के मुँह पे रखा और एक शॉट मारा, पूरा का पूरा लंड अन्दर घुस गया. आयशा ने हल्की सी आह भरी और मैं उसे चोदने लगा. वो भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी. ऊपर मैं उसे किस किए जा रहा था और नीचे मेरा पप्पू उस की मुनिया को किस कर रहा था. हम दोनों ही जन्नत की सैर कर रहे थे.
काफी मजेदार चुदाई चल रही थी कि तभी आयशा ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया. मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है, तो मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से शॉट मारने लगा.
तभी आयशा ने अपने नाखून मेरी पीठ पर गड़ा दिए और उसका पूरा जिस्म अकड़ गया और वो झड़ने लगी. वो एकदम बेजान हो गई, पर मैं उसे चोदता रहा और थोड़ी ही देर बाद मेरा भी होने वाला था तो मैंने भी लम्बे लम्बे शॉट लगाने शुरू कर दिए और फिर उस की चूत में झड़ने लगा. कसम से बहुत मजा आया. मैं भी निढाल होकर उस के ऊपर ही लेट गया.
जब थोड़ी देर बाद हम दोनों के शरीर में जान वापस आई तो मैंने उसे किस किया और बोला- जानेमन.. तुम तो बहुत ही मज़ेदार हो. इतना मजा तो मुझे आज तक नहीं आया था.
आयशा- तुम भी लाज़वाब हो. चोदते भी बढ़िया हो और चाटते तो क्या खूब हो. ज़न्नत का मजा आ गया.
फिर मैं उसकी चुचियों से खेलने लगा और उसे किस करने लगा, तो उसने भी लंड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी. मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा, तो मैंने उसे चूसने को बोला और वो रजाई में घुस गई और लंड को मुँह में लेके चूसने लगी और एक हाथ से मेरी गोलियों के साथ खेलने लगी.
मुझे बहुत मजा आ रहा था और जल्दी ही लंड पूरा खड़ा हो गया, तो मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया और उसने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पे टिका लिया और मेरे लंड पे बैठ गई.
उसकी चूत मेरा पूरा लंड निगल गई. फिर वो ऊपर से शॉट लगाने लगी और उसकी चुचियां मेरे मुँह के सामने झूलने लगी.. तो मैंने भी उसकी दोनों चूचियां पकड़ ली और बारी बारी से उन्हें पीने लगा. पर इस बार दूध बहुत ही कम निकला, पर चूचियां चूसने का भी तो अपना ही मजा है. तो मैं अपने काम में लग गया और आयशा मुझे चोदे जा रही थी.
फिर जब वो थकने लगी तो मैंने उसे अपने ऊपर लिटा लिया और उसे किस करते हुए नीचे से गांड उठा उठा कर उसे चोदने लगा. मैं उसे चोद रहा था और मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ पे रेंग रहे थे.
थोड़ी देर बाद उसने मुझे बहुत कस के किस करने लगी तो मैं समझ गया कि वो आउट होने वाली है और मेरा भी होने वाला था तो मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा. एक जोरदार शॉट के साथ मैं उसकी चूत में झड़ने लगा और वो भी मेरे ही साथ झड़ने लगी. इस तरह हमारी चुदाई का दूसरा राउंड भी खत्म हो गया.
वो मेरे ऊपर ही लेट गई और हम दोनों ही एक दूसरे से चिपक के लेट गए.
थोड़ी देर बाद जब हम लोगों में जान वापस आई तो मैं आयशा को किस करने लगा और मेरा एक हाथ उसकी पीठ पे और दूसरा हाथ उसके चूतड़ों पे रेंगने लगे.
आयशा मेरे बालों में हाथ फेरते हुए बोली- अब चलें, देर हो रही है.
मैं- इतनी जल्दी मन भर गया क्या.
आयशा- अरे.. नहीं, पर घर भी तो जाना है.
मैं उस की गांड में उंगली करते हुए बोला- तुम्हें इतनी आसानी से नहीं जाने दूंगा डार्लिंग.. और अभी तो तुम्हारे इस छेद का उद्घाटन भी तो करना है.
आयशा- तो जल्दी करो ना.. मैंने कब मना किया है.
मैं- तो जल्दी से लंड खड़ा तो करो.
वो तुरंत ही रजाई में घुस गई और पूरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी. मैंने उससे चूत मेरी तरफ करने को कहा और हम 69 पोजीशन में आ गए. उसकी चूत बुरी तरह से बह रही थी. मैं उसकी चूत चाट रहा था और साथ ही उसकी गांड में उंगली भी करने लगा. मेरा लंड भी खड़ा हो गया और वो भी पूरी तरह से मस्तिया गई थी.
अब मैंने रजाई हटा दी और उसको घोड़ी बनने को कहा, जिस पर वो तुरंत घोड़ी बन गई और गांड निकाल कर मेरे सामने गांड मरवाने को तैयार हो गई. इस पोजीशन में मुझे उसकी चूत और गांड बिल्कुल साफ साफ दिख रहे थे.
वाह.. क्या रसीली गांड है साली की. मैंने भी देर ना करते हुए वैसलीन से उसकी गांड और अपने लंड की मालिश की. अपने कड़क लंड का टोपा उसकी गांड के छेद पे रखा और एक धक्का दे मारा. मेरा आधा लंड उसकी गांड में घुस गया और साथ ही उसकी हल्की सी सिसकी निकल गई.
फिर मैंने एक और धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी गांड के अन्दर पहुँच गया और मैं उसकी गांड चोदने लगा. उसकी गांड उसकी चूत के मुकाबले काफी टाइट थी. हो भी क्यों ना, उसकी चूत से एक बच्चा भी तो बाहर आ चुका था.
मजेदार बात यह थी कि आज पहली बार मैं बिना कंडोम के किसी गांड को चोद रहा था. मैं उसकी कमर पकड़ कर उस की गांड में शॉट पे शॉट लगा रहा था और वो भी मजा लेकर चुदवा रही थी. नीचे उस की चूचियां हवा में मस्त हो कर मेरे शॉट से ताल मिला कर झूल रही थीं. बहुत ही सुन्दर नज़ारा था. बीच बीच में मैं उस की चूची पकड़ कर दबाने भी लगा.
फिर थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा कि मैं आउट होने वाला हूँ तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से उस की गांड मारने लगा और फिर जल्दी ही उसकी गांड में ही पूरा का पूरा झड़ गया. इसी के साथ आयशा निढाल होकर लेट गई और मैं भी उस के नंगे बदन के ऊपर लेट गया.
फिर जब थोड़ा होश संभला तो मैं उस की बगल में लेट गया और उसे अपनी बांहों में भर लिया.
वो काफी खुश दिख रही थी.
मैंने पूछा- मजा आया मेरी जान?
आयशा- बहुत मजा आया.. जानू.
मैं- तो अब क्या इरादा है?
आयशा- अब तो चलना चाहिए, नहीं तो देर हो जाएगी.
मैं- फिर कब मिलोगी?
आयशा- जल्दी ही, तुमने जो आग लगा दी है, उसे बुझाने तो तुम्हारे ही पास आना पड़ेगा.
मैं- और तुमने जो अपना दूध पिला कर मेरी जो प्यास बुझाई है, वो मैं कभी नहीं भूल पाउँगा.
यह कहते ही मैं फिर उसकी चुचियों पे टूट पड़ा और दोनों ही अमृत-कलशों को पूरा निचोड़ डाला. पर इस बार दूध बिल्कुल ना के बराबर निकला. फिर जब मैंने उसको छोड़ा तो वो उठ गई और मैं भी उठ गया.
आयशा- मुझे थोड़ा गर्म पानी चाहिए.
मैं- वो किस लिए?
आयशा- फुद्दी धोनी है ना.
मैं- ओ के, चलो बाथरूम चलते हैं.
मैंने उसके गले में हाथ डाल दिए और मैं उसे अपने साथ बाथरूम ले आया. मैंने गीज़र ऑन कर दिया और वो बैठ कर अपनी चूत धोने लगी. मैं भी उसके साथ बैठ गया, तो उसने मेरा लंड भी धोया.
मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा, ये देखकर वो आँख मारते हुए बोली कि अब इसे अगली बार तक के लिए काबू में रखो और हम दोनों हंसने लगे.
फिर हम लोग तैयार हुए, हमने अपने नंबर एक्सचेंज किए और बाईक से उसके घर के लिए निकल पड़े. रास्ते में उसने मेरे लंड को खूब मसला. मैं उसे उसके घर से कुछ दूर छोड़ कर वापस चला आया.
तो दोस्तो, ये थी मेरी और आयशा की प्यार भरी हिंदी सेक्स स्टोरी. आपके विचारों और प्रोत्साहन का स्वागत है.
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