रिश्ते की भाभी की चूत गांड की चुदाई

रिश्ते की भाभी की चूत गांड की चुदाई

Xxx हिंदी भाभी चुदाई का मजा मुझे दिया मेरे दूर के रिश्ते में भैया की बीवी ने! मैं जॉब के कारण उनके घर में रहने लगा था. भाभी और मेरी सेटिंग कैसे हुई?

मैं राकेश 35 साल का युवक हूं.
मेरी हाईट करीब पांच फीट आठ इंच है. मेरी बॉडी सामान्य है.
लंड का साइज भी करीब छह इंच लंबा है और ये ढाई इंच मोटा है.

यह Xxx हिंदी भाभी चुदाई कहानी मेरी और मेरी दूर की भाभी की है.

तब मेरी उम्र करीब 24 साल की थी.
इंजीनियरिंग करने के बाद मैं कोलकाता की एक फैक्ट्री में काम करने लगा था.

हावड़ा के पास ही मेरे दूर के रिश्तेदार में भाई रहते थे, वे भी एक फैक्ट्री में काम करते थे.
वे मुझसे काफी बड़े थे.
उस समय उनकी उम्र चालीस साल के आस पास रही होगी.

उनकी पत्नी यानि रेखा भाभी, जो करीब 32 साल की रही होंगी.
उनकी हाईट पांच फीट ही थी लेकिन फिगर बड़ा मस्त था.
भाभी का फिगर 34-30-36 का था.

वे एकदम गदरायी हुई माल थीं. उस पर वे अधिकतर स्लीवलेस ब्लाउज पहनती थीं, जिसकी कंधे पर आने वाली पट्टी आलमोस्ट ब्रेसियर जैसी रहती थी.
आगे से गला भी काफी गहरा रहता था, जिससे उनके चूचे बाहर की ओर दिखते रहते थे.

भाभी साड़ी भी नाभि के नीचे पहनती थीं, कभी कभी उनकी साड़ी कुछ ज्यादा नीचे आ जाने पर पैंटी का ऊपर वाला हिस्सा दिखाई दे जाता था.
वे बादामी रंग की थीं, लेकिन नैन नक्श बहुत ही तीखे थे.
उनको देखने के बाद किसी का भी लंड खड़ा हो जाएगा, ऐसा भाभी का हुस्न था.

उन्हीं दिनों मेरे पिताजी बोले- तुम शंकर के घर में रह लो, कोई दिक्कत नहीं होगी.
मैं उनके घर रहने चला गया.

वहां मैं जब गया तो शंकर भैया खुश हो गए.
मैंने उन्हें पैर छूकर प्रणाम किया.
भाभी भी तब तक वहीं आ गईं.

जैसा मैं पहले उनके बारे में बता चुका हूं, वे अपना जलवा बिखेर रही थीं.
मेरे लौड़े में हरकत होने लगी.

लेकिन मैंने उन्हें देखा और झुक कर उनके पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया.
उन्होंने मेरे रहने के लिए एक छोटा रूम दे दिया जिसमें उन लोगों के रोज के पहनने वाले कपड़े रखे रहते थे.

उन कपड़ों से मुझे पता चला कि उस घर में एक और परिवार रहता है, उनके मामा और मामी.
भैया ने ही अपने मामा रमेश चंद्र से मेरा परिचय करवाया.

उनकी उम्र करीब पचास साल रही होगी.
वे एक सरकारी दफ्तर में काम करते थे.

मामी सरला की उम्र भी मेरी भाभी की उम्र की होगी लगभग 32 साल की!
लेकिन वे भाभी से लंबी थीं. उनका कद करीब पांच फीट पाँच इंच रही होगी.

मामी का शरीर भी काफी भरा हुआ था.
उनका फिगर साइज़ भी 36-32-40 का रहा होगा और उनका रंग भी एकदम गोरा था.

मामी भी स्लीवलेस ब्लाउज़ में रहती थीं.
उनके ब्लाउज का गला भी गहरा वाला और पीछे से बैकलेस रहता था.

भैया के भी दो बच्चे थे और उनकी मामी के तीन बच्चे थे. मामी के दो लड़की और एक बेटा थे. लड़की की उम्र दस व आठ साल की थी, जबकि लड़का का छह साल का.
भाभी के भी दो बच्चे थे. पहली लड़की बारह साल की और लड़का आठ साल का था.

उन दोनों फैमिली को दो दो रूम मिले थे. कॉमन रसोई घर और कॉमन बाथरूम था, जो आंगन में था.
मैं सुबह की ड्यूटी में जाया करता था और दो बजे आ जाया करता था.

भैया अपनी ड्यूटी से शाम छह बजे आते थे और मामा रमेश रात करीब नौ बजे आते थे.
सारे बच्चे लोग स्कूल से शाम को चार बजे आते थे.

इस बीच मैं, भाभी और मामी ताश और लूडो खेलते थे.

मेरी भाभी थोड़ा ज्यादा मजाकिया और बात बात में गाली देती थीं- साले अभी तक कोई गर्ल फ्रेंड है या नहीं, बंगाल में तुम्हें बंगाली लौंडिया मिल जाएगी. मजे ले लो … शादी के बाद यह मजा नहीं मिलने का है.

लूडो या ताश खेलते खेलते भाभी अपनी साड़ी का पल्लू गिरा देती थीं जिससे मैं उनकी चूचियों को आराम से देख लेता था.
मेरे अन्दर आग लग जाती थी और लंड फड़फड़ाने लगता था.

मैं खेल को बीच में ही रोककर बाथरूम में घुस जाता था और अपना पानी निकाल लेता था.
भाभी बोलतीं- क्या हुआ देवर जी 61-62 करने गए थे क्या?
मैं झेंप जाता था.

मेरा वीकली ऑफ बुधवार को रहता था जबकि भैया और मामा का रविवार को ऑफ रहता था.

बुधवार वाले दिन मैं आंगन के पास एक चौकी पर बैठा रहता था.
भाभी बाथरूम से जब निकलती थीं, तो वह सिर्फ एक साड़ी लपेट कर बाहर आती थीं और साड़ी भी जॉर्जेट या शिफॉन की रहती थी.

उसमें से उनके मम्मों का आकार बड़ा साफ साफ दिखाई देता था और निप्पल देख कर तो लगता था कि भाला की नोक हों.

उनकी मामी सरला भी इसी तरह निकलती थीं.
मैं जान बूझकर उन दोनों के बाद ही बाथरूम में घुसता था और अपने लंड को शांत करता था.

कभी कभी भाभी और मामी की ब्रा और पैंटी मिल जाती थी, तो मैं उसे लंड पर लपेट कर मुठ मार लेता था लेकिन वीर्य बाहर ही गिराता था. ताकि यह पता न चले कि मैंने उनकी ब्रा या पैंटी में मुठ मारी है.
हां, थोड़ा लंड को पौंछ जरूर लिया करता था, ताकि कुछ अहसास मुझे भी हो.

ये हमारा रूटीन बन गया था और इसी प्रकार से चल रहा था.
बीच बीच में मैं अपनी गर्मी निकालने के लिए रंडियों के पास भी चला जाता था.

ये बात गर्मी की छुट्टी की है.
मामा मामी और उनका परिवार जमालपुर एक महीना के लिए जा रहा था.

तभी भईया भी बोले- मुझे भी जाना है.
भाभी बोलीं- मैं नहीं जाऊंगी क्योंकि वहां गर्मी बहुत रहती है.

सभी लोग जमालपुर चले गए.
घर पर हम भाभी और बच्चे रह गए.

एक दिन की बात है, मैं फैक्ट्री से दोपहर में आ गया और खाना खाकर मामा के कमरे में लेट कर मोबाईल पर पोर्न वीडियो देखने लगा.

लंड में सनसनी फ़ैल गई; मैं अपने लंड पर हाथ फिराने लगा.

मैं अपने काम में लगा हुआ था. वह पोर्न फिल्म साउथ की थी, जिसमें साउथ इंडियन लड़की की जबरदस्त चुदाई चल रही थी.
करीब बीस मिनट से मैं अपना हाथ लंड पर चला रहा था.

जब मेरा पानी निकलने वाला था, उसी समय मेरी नजर खिड़की पर पड़ी जो बाहर की साइड में थी.

मैंने देखा कि भाभी मुझे देख रही हैं.
क्योंकि मेरा रस निकलने वाला था तो मैं अपने हाथ को रोक भी नहीं सकता था.

बस मेरा वीर्य बाहर निकल गया और मैंने लुंगी से पौंछ लिया.
उस लुंगी को मैंने पलंग के नीचे डाल दिया और दूसरी लुंगी को पहन लिया.

तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी.

मैंने हड़बड़ाकर दरवाजा खोला तो देखा कि भाभी खड़ी थीं, वह सीधे अन्दर आ कर पलंग पर बैठ गईं.

भाभी कहने लगीं- देवर जी, क्या कर रहे थे. आपने लुंगी क्यों चेंज कर ली?
मैं झेंप गया.

तभी भाभी ने पलंग के नीचे पड़ी लुंगी उठा ली. उसमें मेरा वीर्य लगा हुआ था.

वीर्य देखकर वे बोलीं- यह क्या किया देवर जी, इसको तो गर्लफ्रेंड के कुंआ में डालना चाहिए.
मैं शर्मा गया.

वे बोलीं- क्या देख रहे थे … मुझे भी दिखाओ ना!
मैं बोला- अरे भाभी, कुछ नहीं कुछ नहीं.

उन्होंने मेरे तकिया के नीचे से मोबाईल निकाल लिया.
उस समय मेरा मोबाईल ऑन था और वीडियो चल रहा था.

उसे देखकर भाभी बोलीं- लाला यही देख रहे थे!
मैं बोला- हां भाभी, बड़ा मन हो रहा था.

वे मेरे बगल में बैठ कर वीडियो देखने लगीं.

थोड़ी देर में मेरे लंड में हलचल होने लगी.
भाभी का भी चेहरा लाल हो रहा था.

यह देखकर मैंने उनके बूब्स पर हाथ रख दिया.
उन्होंने कोई भी रिएक्शन नहीं दिया.
मेरा भी साहस बढ़ गया.

मैंने उनके पल्लू को हटा कर चूची को पकड़ लिया और हल्का हल्का दबाने लगा.

भाभी भी गर्म हो चुकी थीं.
मैं उनके ब्लाउज को खोलने लगा तो वे बोलीं- देवर जी, दरवाजे की कुंडी लगा लेते हैं.

मैं झपट कर उठा और दरवाजे की कुंडी लगा दी.
वापस बेड पर आकर मैंने भाभी को पलंग पर गिरा दिया और उनका ब्लाउज खोल दिया.

भाभी ने जंगल प्रिंट वाली ब्रा पहनी थीं.
मैं उनकी ब्रा के ऊपर से ही दूध चूसने लगा … बीच बीच में मैं अपने दांतों से काट भी ले रहा था.

वे कहने लगीं- साले दांत से मत काट … सिर्फ चूस.

मैं भाभी की दोनों चूचियों को मसल रहा था और चूस भी रहा था.
वे ‘ओह ओह आह आह …’ करने लगी थीं.

जब भाभी से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उन्होंने अपनी ब्रा को ऊपर उठा दिया, जिससे मैं आसानी से उनकी चूची को चूसने लगा.

चूचियां चूसते चूसते लाल हो गई थीं.
भाभी कहने लगीं- अब चूसना छोड़ दो … थनों में बहुत दर्द हो रहा है. दूसरी जगह भी चूसने की है.

भाभी नीचे से भी गर्म हो रही थीं.
मैं अब उनके चूचे छोड़कर नीचे चाटने लगा.

पेट चाटते चाटते मैंने उनकी साड़ी उतार दी, पेटीकोट भी निकाल दिया.

भाभी सिर्फ एक सफेद रंग की पैंटी में मेरे सामने थीं.
मैं जीभ से चाटते हुए उनकी पैंटी के ऊपर से चाटने लगा तो देखा कि उनकी पैंटी गीली थी.

वे अपनी कमर को उठा उठा कर चूत उठा रही थीं.
मैं भाभी की पैंटी के ऊपर से ही चाटने में लगा था.

उन्होंने मेरी लुंगी को खोल दिया. मेरा लंड बाहर निकलते ही अप डाउन हो रहा था.

भाभी ने लंड को पकड़ लिया और बोलीं- लाला, तुम्हारा लंड तो बहुत गर्म है.
मैं बोला- भाभी, आपकी भी चूत पानी छोड़ रही है.

वे बोलीं- क्या करूं देवर जी, जब से आपको मुठ मारते हुए देखा है … तभी से मेरा छेदा पानी छोड़ रहा है.

मैंने भाभी की पैंटी को नीचे खींच दिया.
उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.
लग रहा था कि एक दो दिन पहले ही चूत की सफाई की थी.

मैं फिर से उनकी चूत को चाटने लगा.
वे आह आह ओह ओह ओह कर रही थीं, साथ ही मेरे लंड को पकड़ कर आगे पीछे कर रही थीं.

एकाएक वे पलंग के नीचे उतर कर बैठ गईं और मेरे लंड को मुँह से चाटने लगीं.

भाभी कहने लगीं- लाला, तेरा लंड बड़ा मस्त है. तुम्हारी बीवी खूब खुश रहेगी.
वे मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.

मुझे भी मस्ती छा रही थी क्योंकि किसी भी रंडी ने अभी तक इस तरह का मजा नहीं दिया था.
मेरे लंड को लग रहा था कि फट न जाए.

मैंने भाभी को बोला- भाभी, अब इसको चूत में ले लो.
लेकिन वे कहां मानने वाली थीं, वे तो लौड़े को चूसे ही जा रही थीं.

फिर मैंने लंड जबरदस्ती उनके मुँह से निकाल लिया और उनको बेड पर पटक दिया, तुरंत ही मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और घिसने लगा.
कभी सुपारे को अन्दर घुसा देता तो कभी बाहर निकाल लेता था.

भाभी परेशान होने लगीं और मेरी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगीं.
इस बार जैसे ही मेरा लंड थोड़ा अन्दर घुसा, उन्होंने झटके से मुझे खींच लिया.
नजीतन लंड चूत में पेवस्त हो गया.

वे आह आह ओह ओह करने लगीं.
मैंने भी एक झटका कस कर लगा दिया और मेरा करीब आधा लंड अन्दर घुस गया.

मुझे लग रहा था कि उनकी चूत ने मेरे लंड को पकड़ लिया हो.

वे और भी तेज आवाज में आह आह ओह ओह करने लगीं.

फिर कुछ पल रुकने के बाद मैंने दुबारा से एक करारा झटका लगा दिया.
इस बार भाभी चिल्ला उठीं और कहने लगीं- उई बहनचोद रुक भोसड़ी के … कहीं ऐसे भी चोदा जाता है!

मैं बोला- साली रंडी, आज तेरी चूत फाड़ दूंगा.
भाभी आह आह करने लगीं.

मैंने अपने लंड को उसी तरह डाले रखा.

थोड़ी देर बाद जब उनको दर्द कम हुआ तो बोलीं- साले मादरचोद … अब चोद भी … क्या ऐसे ही मूसल गाड़े पड़ा रहेगा क्या?
मैं उनकी चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा.

भाभी को मजा आने लगा और वो आएं बाएं बकने लगीं- साले, तेरा लंड तो तेरे भैया से भी ज्यादा मस्त है.

मैंने पूछा- भाभी भैया का कैसा है?
वो बोलने लगीं- उस साले का नाम मत लो … एक तो साले का जरा सा है और वह भी पिलपिला है. साला एक दो धक्के में ही झड़ जाता है. तुम मेरा मजा मत खराब करो.

मैं भाभी को कस कस कर चोदे जा रहा था.
हर बार जब लंड चूत में आता जाता तो लगता था की चूत की दीवार को घिस रहा हो.

उनको चोदते हुए करीब बीस मिनट हो गए थे.
मैं उन्हें चोदने से पहले मुठ मार चुका था तो मेरा रस अभी टपकने वाला नहीं था.

इस बीच भाभी ने एक दो बार अपनी टांगों से मुझे कस कर दबोचा भी था.

उस वक्त लगा था कि भाभी झड़ रही हों.
अब वे कहने लगीं- लाला, अब छोड़ दो … बहुत दर्द हो रहा है.

मैंने कहा- अभी मेरा नहीं हुआ है.
वे बोलीं- लाला, कोई दूसरा आसन लगा कर करो.

मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा, वे तुरंत उस पोजिशन में आ गईं.

मैं उनके पीछे आ गया और चूत में लंड कस कर घुसा दिया.

एकदम से लौड़ा घुसा तो भाभी की चीख निकल गई, वे आह आह करने लगीं.
मैं उनकी कमर को पकड़ कर चोदने लगा.

कुछ पल बाद वह भी आगे पीछे होने लगीं.

इस पोजीशन में भी काफी देर तक चुदाई के बाद मेरा लंड चरम पर आ गया और उसने पानी छोड़ दिया.

मैं बेड पर लेट गया.
भाभी भी मेरे बगल में लेट गईं.

थोड़ी देर बाद वे पैंटी और ब्रा पहनने लगीं … तो मैंने उनका हाथ पकड़कर लिटा दिया.
वे बोलीं- बच्चे आते होंगे.

मैंने घड़ी में देखा कि अभी तो तीन ही बजे थे. बच्चों को आने में अभी एक घंटा है.
तो मैं बोला-भाभी अभी एक घंटा बाकी है, एक राउंड और हो सकता है.
वे बोलीं- नहीं, मैं थक गई हूँ.

मैं बार बार बोलने लगा तो बोलीं- ठीक है.

उन्होंने मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया.

थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
इस बार भाभी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरे लंड पर अपनी चूत को सैट कर बैठने लगीं.

मेरा लंड अन्दर घुसने लगा.
मैंने उनकी चूची पकड़ कर अपनी कमर को उठा दिया.

एकदम से लंड ने चोट मारी तो वे फिर से गाली देने लगीं- आह मादरचोद, मेरी चूत को फाड़ दिया. आह आह … फट गई.

थोड़ी देर बाद उन्हें मजा मिलने लगा और कस कस कर लौड़े पर कूदने लगीं.

कुछ ही देर में वे थक गईं और बोलीं- अब छोड़ दो.
मैं बोला- भाभी, अभी तो मेरा हुआ ही नहीं है.
वे कहने लगीं- मेरी चूत दर्द कर रही है.

मैं बोला- भाभी, आप एक काम कर सकती हो?
वे बोलीं- क्या?
मैंने कहा- आप पीछे वाला छेद दे दो.

वे बोलीं- अब उसको भी फाड़ोगे क्या?
मैं बोला- भाभी कुछ नहीं होगा, अगर मजा नहीं आएगा तो मैं अपना लंड निकाल लूंगा.

वे बोलीं- एक बार गांव में एक चाचा ने मेरी गांड में लंड घुसा दिया था. मुझे बहुत रोना आया था.

अपनी गांड में वे लंड घुसवाना नहीं चाह रही थीं लेकिन मेरे बार बार बोलने पर बोलीं- ठीक है.

मैंने उन्हें घोड़ी बना दिया और एक उंगली घुसाने लगा.
वे बोलीं- लाला बहुत दर्द होता है, तुम तेल लगा लो.

वहीं रूम में नारियाल तेल था, मैं उस तेल से उनकी गांड में तेल लगाने लगा और कभी कभी जीभ से चाटने भी लगा.

उनकी गांड में सुरसुरी होने लगी थी तो वे अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी थीं.

इसी बीच मैंने फिर से उंगली डाल दी.

इस बार उन्हें कुछ आराम मिल रहा था और गांड में सुरसुरी भी बढ़ रही थी क्योंकि वे बार बार अपनी गांड को आगे पीछे कर रही थीं.
मैं समझ गया कि अब भाभी भी चाह रही हैं.

मैंने अपने लंड पर बढ़िया से तेल लगाया और गांड में भी.
फिर अपने लंड को उनकी गांड पर सैट करके धक्का लगा दिया.

मेरा सुपारा अन्दर घुस गया और वे चिल्ला उठीं.
भाभी कराहती हुई बोलीं- आह लाला, मर जाऊंगी … रहने दो, आगे की ही ले लो.

यह कहती हुई भाभी सीधी हो गईं और मेरा लंड बाहर निकल गया.
मैं बोला- भाभी, एक बार बर्दाश्त तो करो, कुछ नहीं होगा.

भाभी लंड देखते हुए फिर से घोड़ी बन गईं.
इस बार मैंने फिर से अपने लंड पर तेल लगाया और उनकी गांड में भी.

मैंने अपने लंड को गांड पर सैट कर धक्का लगा दिया.
वे कुछ समझ पातीं, उसके पहले ही मैंने दूसरा धक्का लगा दिया.

तो वे चिल्ला उठीं- उई मां … साले ने मार दिया … आह मम्मी मर गई.

मेरा आधा लंड घुसा हुआ था, वे बार बार उठने की कोशिश कर रही थीं.
मैं उन्हें कस कर पकड़े हुए था.

वे बार बार मुझे छोड़ने को बोल रही थीं.
इसी बीच मैंने एक बार फिर से कस कर धक्का दे दिया और अब मेरा पूरा लंड उनकी गांड में घुस चुका था.

वे बकने लगीं- साले मादरचोद ने मेरी गांड को फाड़ दिया. आह ओह माई … मर गई री … साले हरामी ने गांड फाड़ दी.

मैंने कुछ देर उसी तरह उनको दबोचे रखा.

थोड़ी देर बाद वह सिर्फ आह आह ओह माय ओह माई करने लगीं और गांड को आगे पीछे करने की कोशिश करने लगीं.

मुझे लगा कि अब उन्हें भी मजा आने लगा है, मैं भी थोड़ा लंड निकालता और फिर डाल देता.

वे सिर्फ आह आह कर रही थीं और बड़बड़ाने लगी थीं- साले ने फाड़ दी मेरी गांड भी … बहनचोद अब तेजी से चोद.

यह सुनकर मैं भी तेजी से अपने लंड को आगे पीछे करने लगा.

करीब बीस मिनट बाद मेरा वीर्य उनकी गांड में निकल गया और मैं एक और लुढ़क गया.
भाभी भी मुझसे चिपट गईं.

कुछ मिनट बाद हम लोग उठे और कपड़े पहन लिए.

भाभी बोलीं- साले, आज आगे से भी फाड़ दिया और पीछे से भी.
मैं बोला- मजा आया या नहीं ये बताओ!

भाभी मुझसे चिपट गईं और मुझे किस करने लगीं.

इस तरह से मैं भाभी की चुदाई करने लगा.

पंद्रह दिन बाद मामी मामा भैया और बच्चे लोग आ गए तो चुदाई की रफ्तार कम हो गई.

मेरी Xxx हिंदी भाभी चुदाई कहानी पर प्लीज कमेंट जरूर करें.
अगर आपके लंड से पानी निकल जाए और चूत में उंगली चली जाए, तो मेरी कहानी सार्थक होगी.
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लेखक की पिछली कहानी थी: भानजी के पति ने मुझे चोद दिया

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