ये चूत मांगे मोर- 1

ये चूत मांगे मोर- 1


इम्पोटेंट सेक्स लाइफ कैसी हो सकती है, इस कहानी में पढ़ें. एक धनी युवक ने जवानी में गलत काम करके अपना पौरुष खो दिया तो वह शादी से मना करने लगा.
दोस्तो,
मेरी पिछली कहानी थी: पत्नी की बेरुखी लाई साली के नजदीक
आज की कहानी मेरे एक पाठक विजय की निजी समस्या ‘इम्पोटेंट सेक्स लाइफ’ पर आधारित है जिसका समाधान भी मैंने ही बताया था.
पर स्थिति यों बेकाबू हो जाएगी, मैंने स्वयम् भी नहीं सोचा था।
हुआ यूं कि विजय मेरी कहानियों का नियमित पाठक था।
उसके कई बार बड़े भावनात्मक मेल आते थे, जिनका मैं जवाब दे दिया करता था.
तो उससे एक आत्मीयता सी बन गयी थी।
विजय का विवाह नहीं हुआ था, बस वो माता-पिता के बार बार कहने पर भी मना कर देता था।
उसके पिता फौज से रिटायर थे और अपने पुश्तैनी गाँव में रहते थे जहां उनका ख़ासी जमीन थी।
वे विजय के पास महीने दो महीने में एक हफ्ते के लिए आ जाया करते थे।
विजय आकर्षक व्यक्तित्व का हंसमुख लड़का था।
खूब बड़ा व्यापार था उसका और पूरी संपत्ति का अकेला वारिस!
पता नहीं कब और क्यों … विजय ने अपने पिता से मेरी फोन पर बात करा दी कि मैं उसका पुराना परिचित हूँ और लेखक हूँ।
तब उसके पिता ने मुझसे निवेदन किया कि मैं विजय को शादी के लिए मनाऊँ।
वे मुझसे मिलना चाहते थे और हवाई जहाज की टिकट भेजना चाह रहे थे मुझे बुलाने के लिए!
अब उसूलन मैं किसी पाठक या उनके परिवार से कभी नहीं मिलता … पर विजय को समझाने का मैंने उनसे वादा किया।

अब विजय से मैंने खुलकर कई दिन बात करी तो उसने मुझे बताया कि वो नपुंसक है; उसने हॉस्टल लाइफ में गलत संगति में हस्त मैथुन बहुत किया है। कारण भगवान ही जाने पर उसका लिंग बहुत पतला था और वो खड़ा नहीं हो पाता था।
मैंने विजय को समझाया कि अपने पैसों के बल पर तुम किसी सभ्य और गरीब परिवार की सुंदर लड़की से विवाह कर लो। बाद में अपने पैसों के बल पर लड़की को समझा लेना। वो यहाँ रानी बनकर राज करेगी। और कुछ सालों बाद बच्चा गोद ले लेना ताकि वंश चलता रहे। वो लड़की भी बच्चे के साथ सब कुछ भूल जाएगी।
मैंने विजय के पिता को भी विजय की समस्या और अपना सुझाया समाधान बता दिया।
उसके माता पिता को धक्का-सा लगा.
पर कुछ दिनों बाद उन्होंने समय से समझौता किया और लड़की देखना शुरू किया।
मेरे कहने पर विजय ने काफी आयुर्वेदिक इलाज किया.
पर स्थिति में मामूली सुधार के अलावा कुछ नहीं!
हालांकि डॉक्टर आश्वस्त थे कि कुछ सालों के इलाज़ में विजय ठीक हो जायेगा, कम से कम बच्चा तो पैदा कर ही लेगा।
विजय में भी कुछ आत्मविश्वास जागा और वो मुझ से सलाह लेकर मसाज पार्लर गया।
वहाँ उसने उनके मनचाहे दाम पर बॉडी टू बॉडी न्यूड मसाज तय किया।
मनचाही कीमत पाकर उस लड़की ने विजय को मजा तो पूरा दिया पर हैप्पी एंडिंग में, जिसमें उस लड़की को अपने हाथों से रगड़कर विजय का लंड खड़ा और फिर खाली करना था, उसमें इम्पोटेंट सेक्स असफल हो गया।
विजय ने उससे तो यह कह दिया कि आज थकान के कारण ये खड़ा नहीं हो पा रहा, पर उस लड़की को सब कुछ का तजुरबा था, पर उसे तो अपने पैसों से मतलब था, उसने मुसकुराकर उसका लंड चूम लिया और उसे विदा किया।
विजय ने एक प्रयत्न और किया।
वो एक लड़की को लेकर होटल में दो दिन के लिए रुका.
पर वही ढाक के तीन पात!
मम्मे चूसने और चूत चूसने में तो विजय ने बाजी बार ली.
पर ज्यों ही लड़की ने उसके लंड को चूसा या पकड़ा तो विजय का चेहरा बुझ गया क्योंकि उसका लंड बिलकुल बेजान सा लटका रहा।
तो विजय भी बजाय दो दिन रुकने के एक रात के बाद ही बाहर आ गए।
उसके माता पिता ने विजय के लिए माध्यम वर्ग के परिवार की एक बहुत सुंदर पंजाबी लड़की ढूंढ ली, जिसके माता-पिता का कोरोना देहांत हो गया था। वह अब अपने दादा के सहारे थी, जिनकी उम्र 70 से ज्यादा ही थी।
अब आय का कोई विशेष साधन नहीं था और देखभाल को कोई नहीं था।
वो लड़की जिसका नाम सारिका था, हॉस्टल में रहा कर पढ़ी लिखी और छरहरे शरीर की थी।
सारिका बहुत चंचल स्वभाव की थी पर घरेलू थी।
विजय के माता पिता ने ही शादी का सारा खर्च उठाया और बहुत धूमधाम से विजय की शादी की।
उन्होंने मुझे भी आने के लिए बहुत आग्रह किया.
पर मेरे उसूल हैं … मैं नहीं गया।
शादी के अगले ही दिन विजय और सारिका का मालदीव्स जाने का प्रोग्राम था।
विदाई के बाद तो पूरा दिन नेगचार में निकल गया।
मेरी सलाह पर विजय के माता पिता ने बहू सारिका को ज्यादा आराम नहीं लेने दिया और रात को गरिष्ठ और स्वादिष्ट भोजन करा कर कमरे में भेज दिया।
विजय कमरे में पहुंचा।
कमरा गुलाब और रजनीगंधा से महक रहा था।
विजय के दोस्तों ने मेरी सलाह पर एक ट्रॉली में बेहतरीन वाइन और बियर रख रखी थीं।
पंजाबियों की शादी में शराब और शवाब तो हर ओर दिखती है।
अब तो लड़कियां भी जम कर लड़कों का साथ देती हैं।
विजय कमरा बंद करके सेज पर बैठी सारिका के नजदीक गया और आहिस्ता से उसका घूँघट उठाया।
सारिका शर्मा गयी।
विजय ने मुंह दिखाई में उसे एक हीरे का हार दिया।
पिछले दिनों इतना जेवर चढ़ा था सारिका को, जितना उसने अपनी पूरी ज़िंदगी में देखा नहीं था।
सारिका खिल गयी और विजय के सीने से लग गयी।
विजय को अपनी किस्मत पर रश्क हो उठा।
इतना गदराया हुआ यौवन उसकी बाहों में था जिसकी उसे कल्पना भी नहीं थी।
आगे की सोच कर विजय एक बार तो बुझ सा गया।
पर हिम्मत करके उसने सारिका का चेहरा ऊपर किया और अपने गर्म होंठ उसके कांपते रसीले होंठों पर रख दिये।
सारिका किसी बेल की तरह विजय से लिपट गयी।
मैंने किसी फिल्म की कथा की तरह विजय की पूरी रात डाइरेक्ट की थी।
मेरे लिए भी ये चेलेंज था।
विजय ने बड़ी अदा से एक पेग बनाया और सारिका के होंठों से लगा दिया।
सारिका ने बहुत कहा- आज नहीं, बाद में पी लूँगी तुम्हारे कहने से!
पर विजय ने एक सिप लेकर सारिका के होंठ से होंठ मिला कर उसके मुख में डाल दिया।
चूमा चाटी के साथ साथ पेग खाली हो गया.
और अब सारिका उठी कपड़े बदलने के लिए … या यूं कहिए उतारने के लिए!
विजय ने कमरे की लाइट बुझा दी।
सारिका वाशरूम गयी और फ्रेश होकर आई.
तब तक विजय भी कपड़े बदल चुका था।
हल्की झीनी रोशनी में सारिका परी जैसी लग रही थी।
उसकी आँखों में नवयौवना नवविवाहिता का खुमार तो था ही … पर शराब का सुरूर भी झलक रहा था।
आगे बढ़कर विजय ने उसको गोदी में उठा लिया और होंठ से होंठ मिलाते हुए उसे धीरे से बिस्तर पर लिटा दिया।
विजय उसके अंग अंग की तारीफ करते हुए उसके होंठ, गर्दन और गालों को चूमता रहा।
उसने एक बड़ा पेग और बना लिया था।
सारिका के बार बार मना करने के बाद भी उसने जाम उसके होंठों से लगा ही दिया।
अब जिस काम में विजय माहिर था, उसने वहीं से शुरुआत की।
उसने सारिका को गोदी में लिटा कर उसकी नाइटी को ऊपर कर उसके मम्मों को पहले तो ऊपर से फिर हाथ अंदर डाल कर मम्मों और निप्पल को प्यार से मसलना शुरू किया।
बीच बीच में वो अपने होंठ सारिका के होंठों से भिड़ा देता।
सारिका कसमसा रही थी।
उनकी सुबह की फ्लाइट थी।
वासना की लहरें उठ रही थीं।
इसी बीच कसमें वादे शुरू हुए।
पहला वादा तो विजय ने सारिका से किया कि उसके बुजुर्ग दादा जी की देखभाल उसका परिवार करेगा। और आज से उसका सब कुछ सारिका का है तो वो अपने सारे सपने पूरे करे।
सारिका ने भी रौ में बहकर कहा कि चाहे जो कुछ भी हो जाये वो विजय का साथ कभी नहीं छोड़ेगी।
अब विजय ने मेरा बताया दांव मारा कि अगर कल को विजय बीमार हो जाता है तो वो उसका साथ तो नहीं छोड़ देगी।
सारिका ने अपने होंठ विजय के होंठ पर रख दिये और बोली- वो सब से मनाएगी कि उसकी बीमारी उसे हो जाये। अब वो दोनों एक जान हैं।
अब शराब की खुमारी चढ़ चुकी थी, सुबह उठने की जल्दी थी तो दोनों धड़कते दिल और मचलते जिस्म एक दूसरे की बाहों में सो गए।
सुबह की फ्लाइट से विजय और सारिका दोपहर तक माले पहुँच गए।
और वहाँ से किश्ती से अपने रिज़ॉर्ट पहुँच गए।
फोन पर मेरी विजय से बात हो रही थी।
अब तक तो सब ठीक था, आज की रात कातिल थी।
अपनी कॉटेज में पहुँचकर विजय और सारिका दोनों एसे चिपट गए जैसे मानों कबके बिछड़े मिले हों।
असल में सुबह से अब तक वो लोगों के बीच थे तो चूमने में भी झिझक हो रही थी।
हालांकि सारिका बहुत खुली और चंचल थी। उसका उन्मुक्त व्यवहार देखकर विजय को डर लगा कि उसकी उम्मीदें सेक्स लाइफ को लेकर ज्यादा ही होंगी और उसका डर निर्मूल नहीं था।
सारिका ने विजय के साथ अपने कपड़े उतार फेंके और स्विमिंग कॉस्ट्यूम पहन बाहर बने पूल में उतर गयी।
पूल में विजय ने चूमाचाटी के दौरान उसके मम्मे दबाये तो सारिका का हाथ भी उसके लंड के ऊपर चला गया।
विजय ने तुरंत पोजीशन बदली और पानी में चला गया।
खूब देर मस्ती के बाद दोनों बाहर निकले और रिज़ॉर्ट में बाहर घूमते नजर आए।
सारिका ने एक शॉर्ट टॉप और स्कर्ट पहनी थी।
उसके तने हुए मम्मे और चिकनी गोरी टांगें उसका जलवा जमा रही थीं।
बीच पर बैठ कर दोनों मस्त होकर बियर पी रहे थे और सिगरेट के छल्ले उड़ा रहे थे।
डिनर के बाद कॉटेज में लौटते में अंधेरा हो चला था।
विजय झूमते हुए चलते-चलते सारिका को चूम लेता कभी उसके टॉप में हाथ डाल देता।
सारिका का टॉप नीचे से ढीला था।
एक बार तो विजय ने नीचे से उठा दिया तो उसके मम्मे बाहर आ गए।
मतलब सारिका ने नीचे कुछ नहीं पहना था।
सारिका भी उससे चिपटे जा रही थी और कॉटेज में जाने की जिद कर रही थी।
उसकी अन्तर्वासना भड़की हुई थी।
अब कॉटेज में आकर सारिका विजय को बेड पर खींच लायी और आनन फानन में दोनों के कपड़े उतर गए।
कॉटेज के बाहर उनका निजी पूल था तो विजय ने बियर की बोतल और सिगरेट ली और सारिका को बाहर पूल में आने को कहा।
टॉवल लपेट के दोनों बाहर आ गए और टॉवल उतार कर पूल में उतर गए।
दोनों के दहकते जिस्म आपस में चिपटे हुए थे और होंठ भिड़े हुए थे।
सारिका ज़िंदगी में पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी थी और किसी मर्द का नंगा जिस्म उसके नंगे जिस्म से चिपटा था।
कॉलेज लाइफ में उसने पॉर्न तो बहुत देखीं थीं, उंगली या वाइब्रेट्रर भी बहुत किया, पर सेक्स से दूर ही रही थी।
मेरी सलाह पर विजय अपने साथ एक बैटरी से चलने वाला वाइब्रेटर लाया था।
पानी में दोनों चिपटे चिपटे तैरने लगे।
विजय ने बियर की बोतल खोल रखी थी और सिगरेट जला रखी थी।
अब सारिका भी सिगरेट पीने में खुल गयी थी। असल में ये सब शौक वो कॉलेज लाइफ में पूरे कर चुकी थी।
विजय ने सारिका के मम्मे खूब दबाये और चूसे।
सारिका को भी मजा आ रहा था।
विजय ने सारिका को पूल की सीढ़ियों पर बैठा कर उसकी चिकनी चूत में अपनी जीभ घुसा दी।
सारिका कसमसा गई और विजय से बोली- बेड पर चलो, वहाँ मस्ती करेंगे।
विजय का डर बढ़ता गया।
उसने सारिका को कस कर चिपटा से कहा- वादा करो हम पूरी ज़िंदगी यूं ही प्यार करते रहेंगे।
सारिका ने शरारत से कहा- क्यों करूँ मैं झूठा वादा?
विजय चौंका.
तो सारिका बोली- जानू, मैं तुम्हें अगले सात जन्मों तक एसे ही प्यार करती रहूँगी!
पूल से बाहर आकर दोनों ने शावर लिया और फिर बेड पर आ गए।
प्रिय पाठको, क्या लगता है आपको … यह इम्पोटेंट सेक्स लाइफ कहानी मजेदार होगी ना आगे आगे?
मुझे बताएं.
[email protected] इम्पोटेंट सेक्स लाइफ स्टोरी का अगला भाग: ये चूत मांगे मोर- 2

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