यूं मुझपे बरस जाना तेरा, याद है ना?

यूं मुझपे बरस जाना तेरा, याद है ना?

रोमांटिक सेक्स कहानी मेरे जीवन में अविस्मरणीय घटना है एक शादीशुदा महिला के साथ प्यार भरे सेक्स की. फेसबुक पर उनकी फोटो देख मैंने अनायास ही फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी थी.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम वरदान है, उम्र 32 वर्ष और मैं लखनऊ का रहने वाला हूं।
कद काठी से बिल्कुल सामान्य सा लड़का हूं और मेरे लिंग की लंबाई 6 इंच है।

मैं अन्तर्वासना का पिछले 10 वर्षों से नियमित पाठक हूं और इस पर लिखी हुई कई बेहतरीन कहानियां मैंने पढ़ी हैं।

मुझे खुद से उम्र में बड़ी महिलाएं पसंद आती हैं।

आज मैं आप सबसे 3 साल पहले अपने जीवन में घटित एक ऐसी घटना के बारे में अनुभव साझा करना चाहता हूं जो शायद मुझे आजीवन याद रहेगी।
यह एक रोमांटिक सेक्स कहानी है.

फ़रवरी का महीना था और सर्दी धीरे धीरे कम हो रही थी।
मैं घर की बालकनी में घूप का आनंद लेते हुए फेसबुक चला रहा था जहां पहली बार मेरी नज़र एक फोटो पर टिक गई।

सांझ नाम था उनका और वे मुंबई की रहने वाली शादीशुदा महिला थीं।
उनकी फोटो देखते ही ना जाने क्यों मुझे आसक्ति सी महसूस होने लगी।

मैंने उन्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जो 3 दिन बाद स्वीकार कर ली गई।
उसके बाद हम लोगों की थोड़ी बहुत बातें चैटिंग से होने लगीं।

एक दिन मैंने उनसे पूछा- आपकी शादी कैसे हुई थी?
उन्होंने बताया कि अरेंज्ड मैरिज थी।

मैंने बहुत हिम्मत करके पूछा कि कोई ब्वायफ्रेंड नहीं था क्या?
तो वे बोली- एक लड़के को पसंद करती थी लेकिन तब जमाना दूसरा था और मेरी हिम्मत नहीं हुई।

फिर मैंने पूछा- शादी के बाद कोई ब्वायफ्रेंड नहीं बनाया?
तो उनका जवाब था- कोई ऐसा मिला ही नहीं।

मैंने डरते हुए लिख दिया कि मुझे ही बना लीजिए।
तो उनका जवाब था कि तुम मुझसे बहुत छोटे हो।

अब कुछ आगे कहने की मेरी हिम्मत नहीं हुई।

इसके बाद धीरे-धीरे हम अच्छे दोस्त बन गए; आपस में नंबर एक्सचेंज हो गए तो हमारी बातें होने लगी।

उम्र तो उनकी कभी पूछी नहीं मैंने … पर इतना पता है कि वह मुझसे काफी बड़ी हैं।
एक बेटी है जो एम बी ए कर चुकी है और एक बेटा है जो उस समय घर पर रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था।
पति बिजनेसमैन हैं।

एक दिन उन्होंने बताया कि उनके पति को एक मित्र ने मिलने के लिए चंडीगढ़ बुलाया है तो वे भी साथ में जा रही हैं।
मैंने उनसे कहा कि अगर वे ना जाएं तो मैं मिलने आ सकता हूं।

तब उन्होंने कहा कि बेटे के एक्जाम पास में हैं यही बोलकर वो रुक जाएंगी।
और यहां से हमारी पहली मुलाकात तय हुई।

मैंने फ्लाइट की टिकट बुक की और मुंबई में एक होटल बुक कर लिया।

तय समय पर मैं वहां पहुंच गया और सुबह सांझ के आने का इंतजार करने लगा।

वे होटल में आईं लेकिन होटल का मैनेजर दोनों को एक रूम के अंदर मिलने नहीं देना चाहता था तो हमने दूसरे होटल में रूम ले लिया।

उनके लिए मैं एक बढ़िया सा परफ्यूम लेकर गया था और मुझे उम्मीद है कि सांझ जब भी उसे उपयोग करती होंगी उन्हें मेरे साथ बिताए गए पल जरूर याद आते होंगे।

सांझ को मैंने पहली बार सामने से देखा तो देखता ही रह गया।
फेसबुक की वह फोटो उनकी खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं थी।

एकदम गोरा बदन और उसपर उनकी मंद मुस्कान, मैं खो सा गया।

उनकी लंबाई 160 सेमी और शरीर 36-32-40 का था।

कमरे में मैं थोड़ा सा नर्वस था तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने साथ बैठाया और मेरे गाल पर एक किस किया।

मेरी भी थोड़ी हिम्मत बढ़ी और मैंने सांझ को बांहों में भर लिया।
मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह हकीकत है या कोई ख्वाब!

उनकी जुल्फों की खुशबू धीरे धीरे मेरी सांसों में घुल रही थी और मैं हर एक पल को जी भरकर जीने की कोशिश कर रहा था।

पता नहीं कब मैंने उनकी गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया।
उनकी सांसें तेज होने लगी और बांहों की पकड़ सख्त होने लग गई।

फिर मैंने धीरे से उनका सर ऊपर की तरफ मोड़ कर अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए।

इससे पहले भी मैंने कई लड़कियों के साथ सबकुछ किया था लेकिन यह हर मामले में अलग था।

उनकी सांसों की खुशबू धीरे धीरे मेरी सांसों से होते हुए मेरे अंग अंग तक फ़ैल गई।

मैं पूरा का पूरा उनके होंठों के नशे में डूबता चला गया।

खिड़की के बाहर रिमझिम झड़ी की बूंदें कांच पर फिसल रही थी और अंदर हमारे होंठ!
कभी मैं सांझ के होंठों का अमृत पीता तो कभी हमारी जीभ आपस टकरा जाती।

5 मिनट तक उनके होंठों को किस करने के बाद मैंने धीरे से उनको खड़ा करके उनकी पीठ की तरफ से पकड़ लिया।

शुरुआत में मैंने एक हाथ उनके पेट पर रखा और दूसरे से धीरे धीरे उन नाजुक ऊंचाइयों की तरफ बढ़ने लगा।

साथ ही साथ मैंने उनकी पीठ के खुले हिस्से में और गर्दन पर चुम्बन लेना शुरू कर दिया।

अब हम दोनों अंतर्वासना की आग में जल रहे थे।

मेरा लिंग उनकी दोनों फांकों के बीच में फंसकर उन्हें सुखद अहसास करा रहा था.
मेरे हाथों में दो बड़े बड़े स्तन थे जो हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे।

उनके दोनों कान लाल हो चुके थे और साथ ही साथ शरीर काफी गर्म हो गया था।

थोड़ी देर बाद मैंने उनका कुर्ता ऊपर उठाया तो उन्होंने भी मेरा साथ दिया।
मैंने भी अपनी टी-शर्ट निकाल दी और अब हम बिस्तर पर आ गए।

उन्होंने खुद ही अपनी ब्रा निकाल दी।
उनके दांए कंधे पर वह काला सा तिल गोरे बदन पर बहुत खूबसूरत लग रहा था।

पहली बार मैंने जब सांझ के नंगे स्तनों को हाथ से छुआ तो लगा कि कोई नर्म मखमली गोला हों … चिकने और एकदम सुडौल!
गोरे स्तनों पर छोटे-छोट भूरे निप्पल बहुत आकर्षक लग रहे थे।

मैंने एक को मुंह में भर लिया और चूसने लगा।
दूसरा स्तन मेरे हाथ की गिरफ्त में था और हाथ अनायास ही शैतानियां किए जा रहा था।

धीरे से मैंने दूसरा हाथ मैंने उनकी लेगिंग में डाला और कूल्हे पर सहलाने और दबाने लगा।

अब हम और इंतजार करने के मूड में नहीं थे।
मैंने उनकी लेगिंग को निकाल दिया और साथ ही साथ अपना पैंट भी निकाल दिया।

केले के तने की तरह उनकी जांघें देखकर मैं पागल सा हो गया।
मैं उनकी दोनों जांघों को बेतहाशा चूमने और सहलाने लगा।

इसी बीच उन्होंने मेरे लिंग को अंडरवियर के ऊपर से ही पकड़ लिया।
एक तो‌ सामने जन्नत की परी का तराशा बदन देखकर वैसे ही लिंग अत्यंत उत्तेजित था हाथ लगाते ही इतना कड़क हो गया मानो फट जाएगा।

अब मैंने उनकी पैंटी भी उतार दी और सामने का दृश्य आंखों के माध्यम से दिल में बस गया।

मेरे सामने एक अप्सरा थी और मेरी जन्नत एकदम साफ सुथरी और गुलाबी रंग की दिखाई दे रही थी।
शायद सांझ ने आज ही शेव की थी।

मैंने देर ना करते हुए उनको सीधा लिटा दिया और दोनों पैरों को घुटनों पर से थोड़ा सा मोड़ दिया जिससे कि उनकी योनि पूरी तरह से खुल गई।

अब मैंने अपने होंठ उनकी योनि पर रख दिए।
पहले योनिमणि को चूमा और फिर धीरे धीरे जीभ से कुरेदने लगा।

उनकी उत्तेजना और बढ़ने लगी और साथ ही साथ मेरी हरकतें भी!

मैंने उनकी योनिमणि और दोनों फांकों को चूसना शुरु कर दिया और वह मीठी मीठी सी सिसकारियां लेने लगीं।
साथ ही साथ उनका बदन संभोग जैसी मुद्रा में हिलने लगा।

जब सांझ उत्तेजना की उच्चतम अवस्था पर पहुंची तब मैंने योनिमणि चूसते और कुरेदते हुए दो उंगली अंदर की ओर सरका दी।
ऐसा लगा कि जैसे मक्खन में उंगलियां डूब गई हों!

अब मैं उंगलियों से उनकी चुदाई करने लगा।

सांझ की सिसकारियां अब तेज आहों में बदल चुकी थी, उनका बदन बहुत जोरों से अकड़ने लगा और वह पानी के बाहर पड़ी मछली जैसे तड़पने लगी।

उन्होंने मेरा सर दोनों जांघों के बीच कस कर दबा लिया और अपने कूल्हों को पूरा हवा में उठाकर बहुत तेजी से आह हह … हाआ अयय … करते हुए स्खलित हो गईं।

मेरे द्वारा सांझ की योनि में जीभ और उंगलियों से की गई चुदाई के कारण स्खलित होने के बाद सांझ के चेहरे पर परम आनंद का भाव साफ़ दिखाई पड़ रहा था।
सांझ के होंठों पर बहुत ही प्यारी सी मुस्कान थी और योनि कामरस से पूरी तरह भर गई थी।

मैं अंदर से बहुत खुश था क्योंकि उनके इस परम आनंद की वजह मैं था।

जब हम किसी के साथ सही अर्थों में प्रेम की भावना लेकर संभोग करते हैं तो हमेशा ही यही कोशिश करते हैं कि सामने वाले को कितना ज्यादा से ज्यादा सुख दे सकें।
यही तो वह भाव होता है जिसकी वजह से स्त्री और पुरुष एक दूसरे में डूब जाते हैं।

देने का नाम ही प्रेम है जहां पाने की चाह हो वह प्रेम नहीं हो सकता।

स्खलित होने के बाद सांझ का शरीर कुछ ढीला हो गया।

अब सांझ बिल्कुल इंतजार के मूड में नहीं थी; उन्होंने मुझसे लिंग अंदर डालने के लिए आग्रह किया।
मैंने अपना अंडरवियर उतार दिया और खुद को सांझ की खुशियों के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया।

अब मैं पीठ के बल लेट गया और मेरे इशारे पर सांझ मेरे लिंग के ऊपर अपनी जन्नत का दरवाजा रखकर धीरे धीरे बैठ गई।

योनि कामरस और मेरी लार की वजह से बहुत ज्यादा गीली थी इसलिए बिना किसी परेशानी के मैं उनके अंदर समाता चला गया।

ऐसा लग रहा था मानो मेरा लिंग मेरे शरीर से अलग हो गया हो।
इतनी चिकनी, गर्म और नर्म जगह पहुंचकर वह धन्य हो गया था।

शायद इसीलिए उसको जन्नत कहा जाता है।

अब सांझ धीरे धीरे आगे पीछे फिसलने लगी और मैं उनके स्तनों से खेलता हुआ उन्हें निहारता रहा।

सांझ को संभोग का बहुत अच्छा अनुभव था और वह पूरी तरह पारंगत थी। कभी गोल गोल घूमना कभी ऊपर नीचे और कभी आगे पीछे!

मैं नीचे एक अनुभवी महिला के कौशल का आनंद उठाते हुए हर पल को भरपूर जीने की कोशिश कर रहा था।

बाहर अब बारिश थोड़ी तेज हो गई थी। बारिश की आवाज की वजह से पूरा कमरा संगीतमय लग रहा था।

अब बारिश की बूंदें पहले से ज्यादा खिड़की पर गिर रही थी और एक छोटा दरिया सा बह रहा था।
सांझ के माथे पर मोती जैसी पसीने की बूंदें भी अब बड़ी होकर गालों पर बहने लगी थी और चेहरे के भाव बता रहे थे कि वह किसी अलग ही दुनिया में थीं।

इस तरह 10 से 15 मिनट करने‌ के बाद एक बार फिर सांझ की आवाज तेज होने लगी और मुंह से हम्म आह्ह हाय्य जैसी आवाजें निकलने लगीं।

अब सांझ ने रफ्तार बढ़ा दी और उनके दोनों हाथ जो कि मेरे सीने पर ‌थे उनसे मेरे सीने पर ‌नाखून चुभने लगे।

मैंने भी सांझ के कंधे को कसकर पकड़ लिया और नीचे से धक्के देने लगा।
सांझ की खुली हुई जुल्फें मेरे शरीर में लग रही थी और गुदगुदी का सा एहसास हो रहा था।

एक बार फिर से सांझ चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुकी थीं।
सांझ की योनि से कामरस का बांध जैसे टूट सा चुका था … अब बरसने की बारी सांझ की थी।

बहुत ज्यादा मात्रा में कामरस बहता हुआ मेरे लिंग और आसपास के हिस्सों से होते हुए मेरी जांघों को गीला करने लगा।
इससे पहले मैंने कभी भी किसी स्त्री को इतना ज्यादा स्खलित होते हुए नहीं देखा था।

तभी सांझ ने मुझसे कहा- मेरा तो हो गया है, तुम्हारा जैसा करने का मन हो कर लो।

मैंने उन्हें डागी स्टाइल में होने का इशारा किया और खुद बेड के नीचे आकर खड़ा हो गया।

सांझ का कामरस मेरी जांघों से ‌बहकर मेरे पैरों तक पहुंच गया।

मैंने खड़े खड़े एक मदमस्त सांड की तरह धक्का लगाना शुरू ही किया कि सांझ दर्द से कराह उठी।
मेरा लिंग सांझ के लिए ज्यादा लंबा था और उनकी बच्चेदानी में लग रहा था।

मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि मेरा लिंग उनके पति की अपेक्षा ज्यादा लंबा था।

मैं उनकी बात समझकर थोड़ा संभलकर धक्के लगाते हुए स्खलित हो गया।

हम लोगों को यह सब करते हुए 2 घंटे से ज्यादा हो चुके थे।
उसके बाद दोनों वैसे ही पड़े पड़े सो गए।

दोस्तो, आप लोग ईमेल पर जरूर बताइएगा कि रोमांटिक सेक्स कहानी कैसी लगी?
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
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