आंटी ऐनल फक़ स्टोरी में पढ़ें कि मौसी की चूत मैंने घोड़ी बनाकर मारी तो मौसी के चूतड़ और गांड का छेद देख कर मेरा मन गांड मारने का हो गया. मैंने मौसी को कैसे मनाया गांड मरवाने को!
फ्रेंड्स, मैं रोहित आपको अपनी कल्पना मौसी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के दूसरे भाग
जवान मौसी की चूत का मजा
में अब तक आपने पढ़ा था कि कल्पना मौसी को पूरी नंगी करके मैंने चोदना शुरू किया, तो कुछ ही देर में वो झड़ गई थीं.
लेकिन मेरे लंड की भूख अभी इतनी जल्दी कैसे शांत होने वाली थी.
अब आगे आंटी ऐनल फक़ स्टोरी:
मेरे लंड के झटकों से मौसी की चूत का पानी उछल उछल कर बाहर आने लगा. मेरे ज़ोरदार झटकों से बेड बुरी तरह से हिल रहा था.
“आईई आह्ह आह्ह ईसस्स आह आह्ह उन्ह ओह रुक जा बदमाश.”
मैं नहीं रुका और मौसी दोबारा से गर्मा गईं. इस तरह से मैंने मौसी को बहुत देर तक ऐसे ही बजाया.
अब मैं फिर से मौसी के ऊपर चढ़ गया और लंड पकड़ कर मौसी के मुँह में देने लगा.
मौसी मेरा इरादा समझ गईं और उन्होंने मुँह खोल दिया.
मैं आगे झुककर मौसी के मुँह में लंड पेल कर घपाघप करने लगा.
मौसी के मुँह को चोदने में मुझे चूत चोदने सा मज़ा मिल रहा था.
मैं गांड हिला हिलाकर मौसी के मुँह में लंड पेले जा रहा था- ओह मौसी आह्ह!
इस वक्त मौसी के मुँह की ठुकाई का गज़ब का माहौल बन रहा था.
मैंने मौसी के मुँह में लंड पेलने के बाद उनको पलट दिया.
अब मेरे सामने मौसी की गोरी चिकनी पीठ और मस्त शानदार गांड थी.
मैं लंड की तड़प मिटाने के लिए तुरंत मौसी पर चढ़ गया और उनके कंधों और कानों को चूमने लगा.
“उन्हह ईस्स आह्ह.”
मैं बड़ी बेताबी से मौसी के सेक्सी जिस्म को चूम रहा था.
इधर मेरा लंड मौसी की गांड में घुसने के लिए दबाव बना रहा था.
“पुच्च पुच्च आउच पुच्च पुच्च” की आवाजें ज़ोर ज़ोर से कमरे में गूंज रही थीं.
मैं मौसी के जिस्म को चूमने चाटने में पागल हो रहा था.
जल्दी ही मौसी की चिकनी पीठ मेरे थूक से गीली हो चुकी थी.
मैं कामांध सांड सा लगा हुआ था.
मुझे यूं लग रहा था कि आज के बाद मौसी की चूत कभी नहीं मिलेगी या ये ही दुनिया की आखिरी चूत है.
मैं मौसी के चिकने और सेक्सी चूतड़ों पर चुम्मियाँ करने लगा.
आहा … बहुत ही गज़ब के चूतड़ थे मौसी के … एकदम गोल, सुडौल और चिकने.
मैं बुरी तरह से मौसी के चूतड़ों को किस कर रहा था.
तभी मौसी गांड को इधर उधर हिलाने लगी लेकिन मैंने उनकी गांड को दबा दिया.
फिर कुछ ही देर में मौसी की गांड को किस करके मेरा लंड तृप्त हो गया.
अब मौसी को घोड़ी बनाकर बजाने का प्लान मेरे दिमाग में घूमने लगा.
मैंने मौसी से घोड़ी बनने के लिए कहा.
“अब मुझे घोड़ी भी बनाएगा क्या?”
“हां मौसी.”
“ऐसे ही चोद ले ना मेरे राजा. क्यों मुझे और परेशान कर रहा है?”
“मौसी मुझे आपको घोड़ी बनाने की बहुत इच्छा हो रही है. प्लीज बनो ना घोड़ी!”
अब मौसी बेचारी क्या करतीं, वो मेरी ज़िद के आगे झुक गईं और तुरंत बेड पर घोड़ी बन गईं.
“ले, चढ़ जा अब अपनी घोड़ी पर.”
मैंने झट से मौसी की चूत में लंड सैट कर दिया और मौसी की कमर को पकड़ कर ज़ोर से उनकी चूत में लंड ठोक दिया.
चूत में लंड की दस्तक होते ही मौसी की फिर से चीख निकल पड़ी “आईई , आह्ह … ओह मेरे राजा.”
मेरा लंड एक ही झटके में पूरा मौसी की चूत में घुस चुका था.
मैं मौसी की कमर पकड़ कर दे दनादन करते हुए उन्हें चोदने लगा.
मेरा लंड झमाझम मौसी की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था. मौसी मेरे लंड के झटकों के साथ ही बुरी तरह से हिल रही थीं.
“आई आह उईई … ओह मेरे राजा.”
“हां मेरी रानी, तुझे घोड़ी बनाकर पेलने में बहुत ही मज़ा आ रहा है … आह्ह.”
“जैसी तेरी मर्ज़ी हो, वैसे बजा ले तेरी रानी को. मैं तो आज तुझसे चुदकर धन्य हो रही हूं.”
मैं ज़ोर जोर से मौसी की चूत में लंड पेल रहा था.
मौसी को घोड़ी बनाकर बजाने में मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था.
मेरा लंड मौसी की चूत के गुलाबी हिस्से को बाहर निकालने लग गया था.
मेरे लंड की ठुकाई से मौसी बुरी तरह से पसीने पसीने हो रही थीं लेकिन चूत की आग बुझाने के लिए मौसी आज सब कुछ सहने को तैयार थीं.
तभी कुछ देर बाद मौसी कांपने सी लगीं और जल्दी ही मौसी की चूत में से गर्मागर्म लावा फूट पड़ा.
मेरे लंड के धक्कों से मौसी का लावा नीचे टपकने लगा.
मौसी की दर्द भरी सिसकारियां माहौल को और ज्यादा गर्म कर रही थीं- आह्ह आह्ह आह्ह … ईस्स आह्ह ओह मेरे राजा.
मैं मौसी को पूरी ताकत से बजा रहा था.
मौसी की चूत से गर्मागर्म माल निकल कर उनकी जांघों से होता हुआ बेड की चादर पर गिर रहा था.
वे दर्द से कराहती हुई जमकर चूत में लंड ले रही थीं.
थोड़ी देर बाद मैं मौसी को बेड से उतारकर नीचे ले आया.
वे बेड को पकड़कर फिर से घोड़ी बन गईं.
मैं फिर से मौसी को बजाने लगा.
“आह्ह आह्ह आह्ह … रोहित बहुत अच्छा लग रहा है … आह्ह.”
“अच्छा तो लगेगा ही मौसी … मेरा इतना मस्त हथियार जो है.”
“हां मेरे राजा.”
मैं गांड हिला हिलाकर मौसी की चूत में जमकर लंड ठोक रहा था.
तभी मौसी को अजीब सी सिहरन सी हुई और ताबड़तोड़ ठुकाई के बाद वो फिर से पानी पानी हो गईं.
मैं मौसी की चूत को बुरी तरह से पेल चुका था.
अब मेरी नज़र मौसी की गांड पर टिकने लगी.
मैं बेड पर बैठ गया और मौसी से लंड चूसने के लिए कहा.
मौसी नीचे बैठ गईं और मेरे लंड को हाथ में लेकर मसलने लगीं.
“बहुत ही मस्त हथियार है यार … तेरा तो झड़ने का नाम ही लेता है!”
“हां मौसी, अब से ये सिर्फ आपका है … जब मन करे, तब मांग लेना. मेरा हथियार हमेशा आपके लिए तैयार रहेगा.”
“अच्छा!”
“हां मौसी.”
“टाइम आने दे, फिर देखती हूं मैं!”
“हां हां … देख लेना.”
तभी मौसी ने मेरा लंड मुँह में लिया और लपालप मेरे लंड को चूसने लगीं.
मैं मौसी के बालों को सम्हाल रहा था.
वे झमाझम मेरे लंड को चूस रही थीं.
मौसी को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो लंबे टाइम से लंड की भूखी हों.
वे भूखी शेरनी की तरह मेरे लंड पर टूट रही थीं.
“ओह मौसी, बहुत अच्छा लग रहा है. आह्ह बस ऐसे ही मज़े देती रहो. ओह मौसी आप तो गज़ब की खिलाड़िन निकलीं.”
धीरे धीरे मौसी की स्पीड बढ़ती जा रही थी.
वे चूस चूसकर मेरे लंड को गीला कर चुकी थीं.
मैंने भी लंड को मौसी के लिए फ्री छोड़ दिया था- ओह मौसी, जितनी मर्ज़ी हो उतनी देर तक चूसो. मुझे कोई जल्दबाज़ी नहीं है.
मौसी अलग अलग तरीके से मेरा लंड चूस रही थीं.
उनके लंड चूसने की स्टाइल का मैं भी कायल हो रहा था.
लंड चूसने के लिए मौसी में अलग जोश चढ़ा हुआ था.
अब मैं खड़ा हो गया और मौसी के मुँह में लंड ठोक दिया और खड़े खड़े उनके मुँह को चोदने लगा.
मौसी चुपचाप मुँह में लंड ठुकवा रही थी.
तभी मेरा लंड हिचकोले खाने लगा और मैंने झट से मौसी के मुँह लंड फंसा दिया.
मौसी मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगीं लेकिन मैंने लंड बाहर निकाला ही नहीं.
कुछ ही पलों में मेरे लंड का माल निकल गया.
अब बेचारी मौसी क्या करतीं … मजबूरी में मौसी ने मेरे लंड का पूरा माल पी लिया.
कुछ देर बाद मैंने लंड को बाहर निकाला.
“कमीने, बाहर ही निकाल देता ना?”
“बाहर निकालता तो फिर आप मेरे लंड का रस कैसे पीतीं? और आपको लंड का रस पिलाना ज़रूरी था मौसी.”
“बहुत कमीना निकला तू.”
यह कह कर मौसी फिर से मेरा लंड चूसने लगीं और कुछ देर में ही मौसी ने मेरा लंड खड़ा कर दिया.
अब मैंने मौसी को खड़ा किया और फिर से मौसी को घोड़ी बनने के लिए कहा.
“अभी तो थोड़ी देर पहले ही तूने घोड़ी बनाया था, अब फिर से घोड़ी?”
“हां मौसी.”
मौसी फिर से बेड को पकड़ कर घोड़ी बन गईं.
मैं मौसी की गांड में लंड सैट करने लगा, तभी मौसी मेरा इरादा समझ गईं और खड़ी हो गईं.
“रोहित यार, मैं गांड में नहीं डलवाऊंगी.”
“डालने दो ना मौसी. आपकी गांड मारने की मेरी बहुत ज्यादा इच्छा हो रही है.”
“नहीं यार गांड में बिल्कुल नहीं. बहुत दर्द होता है गांड में … इसके बदले तू जितनी तेरी मर्ज़ी हो उतनी चूत चोद ले, मैं बिल्कुल भी मना नहीं करूँगी.”
“चूत तो मैंने बहुत देर तक चोद ली मौसी. अब तो बस आपकी गांड ही बाकी है. अब गांड तो आपको देनी ही पड़ेगी.”
“नहीं यार रोहित, प्लीज मेरी गांड मत ले.”
“गांड तो लेनी ही पड़ेगी मौसी.”
मौसी गांड देने के लिए बार बार मना कर रही थीं लेकिन फिर मैंने मौसी को गांड मराने के लिए पटा ही लिया.
अब मौसी फिर से घोड़ी बन गईं.
मैं मौसी की गांड के सुराख़ में थूक लगाकर लंड सैट करने लगा.
“धीरे धीरे डालना रोहित. मुझे तो बहुत डर लग रहा है.”
“चिंता मत करो मौसी. मैं आराम से डालूंगा.”
अब मेरा लंड मौसी की गांड में सैट हो चुका था.
मैंने उनकी कमर को कसकर पकड़ा और एक ज़ोर के झटके से मौसी की गांड में लंड ठोक दिया.
गांड में लंड ठुकते ही मौसी ज़ोर से चीख पड़ीं- आईईई मम्मी मर्र गईई रे आईई ओह रोहित बहुत दर्द हो रहा है … आई बाहर निकाल ले लंड!
मैंने लंड बाहर निकाला और फिर से मौसी की गांड में लंड ठोक दिया.
मैं मौसी की कमर पकड़ कर ताबड़तोड़ गांड मारने लगा.
मौसी की टाइट गांड मारने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था.
दर्द के मारे मौसी का हाल बेहाल हो रहा था- आई आईई आईई ईई आह्ह धीरे धीरे डाल मेरे राजा … आई आई आह्ह … तुझे आज अपनी रानी को मारने का ही इरादा है क्या?
“ज़ोर ज़ोर से ही डालने दे मेरी रानी. तेरी गांड मारने में बहुत मज़ा आ रहा है. आह्ह बहुत मस्त गांड है.”
ताबड़तोड़ धक्कमपेल से मेरा लंड अब मौसी की गांड के अंतिम छोर तक पहुँच चुका था.
मैं मौसी की गांड मारने का पूरा मज़ा ले रहा था.
मेरे लंड का कहर वो ज्यादा देर तक नहीं झेल पाईं और कुछ ही देर में मौसी की चूत से गाढ़ा पानी नीचे बहने लगा.
मेरे लंड की ताबड़तोड़ ठुकाई से जल्दी ही मौसी का पानी निकल चुका था मगर मैं अभी भी मौसी की गांड में दे दनादन लंड पेल रहा था.
मौसी की दर्द भरी चीखें मेरे लंड को और ज्यादा उकसा रही थीं- आईईई आह्ह उन्ह ओह राजा … तूने तो मेरी गांड को भी नहीं छोड़ा … वो भी मार ली.
“हां मेरी रानी, तुझे मज़ा तो आ रहा है ना?
“हूं … अब आने लगा है. पहले बहुत दर्द हुआ.”
“चल फिर तो अच्छा है.”
मैं मस्ती से मौसी की गांड ठुकाई कर रहा था.
मेरी मौसी भी मज़े से गांड मरवा रही थीं.
आंटी ऐनल फक़ से उनकी दर्द भरी चीखें अब मस्ती से आह्ह आह्ह में बदल चुकी थीं.
मैंने बहुत देर तक मौसी की गांड मारी.
फिर मैं मौसी को उठाकर वापस बेड पर ले आया और उनकी टांगों को खोल दिया.
मैंने तुरंत मौसी की चूत के छेद में लंड फंसाया और फिर से मौसी को ताबड़तोड़ चोदने लग गया.
मेरा लंड फिर से मौसी की चूत में घमासान मचाने लगा- आह्ह आह्ह सिसस्स आह्ह आह्ह सिसस्स उन्ह ओह आह्ह!
मौसी की चुदकर हालत खराब हो चुकी थी.
अब तो मौसी के जिस्म में मेरे लंड को झेलने की ताकत ही नहीं थी.
इधर मेरा लंड रुकने का नाम नहीं ले रहा था.
तभी एक बार फिर से मौसी का पानी निकल गया.
मेरा लंड फिर से मौसी की चूत के पानी में भीग चुका था- आह्ह आह्ह सिसस्स आह्ह ओह उन्ह बसस्स्स रोहित अब मत चोद!
“बसस्स थोड़ी देर और मौसी.”
मैं बहुत देर तक मौसी को बजाता रहा.
फिर मैंने लंड को मौसी की चूत में लंड के पानी छोड़ दिया.
मैं पसीने से लथपथ होकर मौसी के जिस्म से लिपट गया.
बहुत देर तक हम दोनों लिपटे रहे.
आज मैं मौसी को चोदक़र बहुत खुश था और मौसी भी मुझसे चूत की आग बुझवाकर बहुत खुश थीं.
कुछ देर बाद मौसी ने उठकर फर्श और चादर पर लगे दागों को साफ किया.
इसके बाद मौसी वापस उनके कमरे में जाने लगीं लेकिन मैंने उनको नहीं जाने दिया.
मौसी एक बार चुपके से अपने बच्चों को देख कर वापस आ गईं और मेरे साथ ही नंगी सो गईं.
सुबह होते होते मैंने मौसी को एक बार फिर से बजाया.
मुझसे जल्दी से चुदवाकार मौसी कपड़े उठाकर उनके कमरे में चली गईं.
मैं गहरी नींद में सो गया. कब सुबह हुई, मुझे पता ही नहीं चला.
आपको मेरी आंटी ऐनल फक़ स्टोरी कैसी लगी, मुझे मेल करके ज़रूर बताएं.
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