कजिन सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी मौसी की बेटी को लेकर अपनी बुआ का घर गया तो हम दोनों ने बुआ के बेटे और बेटियों के साथ कैसे सेक्स के मजे लिए.
मैं भगवानदास सभी ढीले लंडों को नमस्कार और कमसिन चटकती चुतों को दंडवत प्रणाम करता हूं. मैं एक कसरती बदन, लेकिन सामान्य शक्ल सूरत का नवयुवक, भोगू के नाम से जाना जाता हूँ.
गुजरे पांच साल में प्रकृति ने मुझे नारी को वश में करने की अद्भुत क्षमता दी है. ये क्षमता मेरी चुत की तलाश पूरी करने में कामयाब होती है.
आज भी मैं कहीं भी … और कभी भी हुस्न की मल्लिकाओं की तलाश में लगा रहता हूं.
कॉलेज के प्रथम वर्ष में गर्मियों की छुट्टी में मैं मौसी के घर पर गया था, जहां मुझसे एक साल बड़ी अनु दीदी क़ी कोरी मस्त जवानी देख कर मैं मतवाला हो गया था.
दीदी एक स्वछंद माहौल में पली बढ़ी थी.
उनकी मदहोश अनछुई कली के पीछे डोलते मोहल्ले के मनचले भौंरों को देख पहले दिन ही मुझे मालूम हो गया था कि अनु दीदी से अपनी जवानी को ज्यादा समय तक संभाल कर नहीं रखी पाएंगी और कभी भी बाहर सील मुहर तुड़वा लेंगी.
इसलिए मैं घर के माल को घर में ही खुश रखूं, यही सोच कर पहली बार उनकी सील पैक चुत चोद कर दीदी को मैंने मज़ा दे दिया.
उसके बाद से चुदाई का ऐसा चस्का लगा कि वो कभी भी अपनी चुत चुदवाना चाहती हैं तो मुझे याद कर लेती हैं और मैं अनु दीदी के गदराये जवां बदन की हरदम सेवा कर देता हूं.
अनु दीदी के साथ अब तो हालात ये हो गए थे कि हम दोनों एक-दूसरे के बिना एक हफ्ते भी नहीं झेल पाते थे.
अपने 34-30-36 के गदराए बदन वाली मेरी अनु दीदी की चाल अब पहले से ज्यादा मतवाली हो गई थी.
उनकी बलखाती कमर और चूतड़ों में पैदा होती थिरकन, युवाओं और भूतपूर्व युवाओं को भी गजब का आकर्षित करने सक्षम थी.
इसी क्रम में एक दूसरी सच्ची घटना के साथ मैं भोगू आपकी सेवा में हाज़िर हूं.
वो घटना तब हुई थी, जब अनु दीदी ने मुझसे बुआ के घर जाने की ख्वाहिश जाहिर की थी. मुझे जहां दीपक भाई, रीना और रंजू नाम की दोनों बहनों … साथ ही अनु दीदी की चौकड़ी के साथ रंगरेलियां मनाने का अवसर मिला था.
ये मुझे जिंदगी भर याद रहने वाली घटना थी और ये कजिन सेक्स कहानी आपके सामने परोस रहा हूँ.
दीपक यानि दीपू के जन्मदिवस के आमंत्रण पर 23 दिसम्बर को मैं मौसी के घर से निकला. मैं अनुष्का यानि अनु दीदी और मुन्ना भाई को लेकर अपनी बुआ के घर गया था.
दीपू भाई अपनी बहनों रंजू और रीना के साथ जन्मदिन की पार्टी की तैयारियों में जुटे हुए थे.
हम लोगों के वहां पहुंचने पर घर में अतिउत्साह और उल्लास का माहौल बन गया था.
सभी बहुत खुश हो गए.
फूफाजी ने पुराने मकान के साथ पड़ी खाली जमीन पर और कमरे बनवा कर अपने मकान को बहुत सुंदर और बड़ा बना लिया था.
बर्थडे स्पेशल पार्टी इसी नए मकान में होनी थी. जिसको लेकर जबरदस्त व्यवस्था की गई थी.
दीपक की पच्चीसवीं बर्थ-डे पार्टी में काफी लोग थे. मोहल्ले और रिश्तेदारों को मिला कर तकरीबन सत्तर मेहमान एकत्र हो गए थे.
पार्टी में मेरी खोजी नज़र में परियों का जमघट लगा था, जनके मदमाते हुस्न ने पार्टी के वातावरण को काफी सेक्सी बना दिया था.
मेरी नज़रें किसी नई लौंडिया को तलाश रही थीं, जो मोहल्ले में सबसे चर्चित हो.
हालांकि घर में तीन परियां मौजूद थीं, फिर भी चौथी की तलाश जारी थी.
मगर कोई बात नहीं जम सकी.
शाम होते ही केक काटा गया और शुरू हुई पार्टी, देर रात तक जारी रही. खाना खाने के साथ जमकर डांस भी हुआ.
चोरी छुपे सैम्पेन भी खुल गई थी, जिसमें लड़कियों ने भी हाथ मारे.
पार्टी में अनु दीदी ने दोनों बहनों के साथ अपने हुस्न का तड़का लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.
उनके साथ मोहल्ले की अनीशा, गुलनाज, परिणीति, अलीशा, शहनाज़, बिलौरी, चित्रांगदा, फातिमा, सनाया और भी कई परियां शामिल रही थीं.
अब सीधे मुख्य घटना पर आते हैं.
रीना दीदी का 36-32-38 का फिगर, आकर्षक लंहग चोली कयामत ढा रहा था. ऊपर से रंजू का 34-30-36 का हाहाकारी फिगर उसकी जींस-टॉप में मस्त लग रहा था.
तीसरी कयामत के रूप में अनु दीदी का नशीला बदन एक पारदर्शी गाउन में लड़कों के तनबदन में आग लगा रहा था.
पार्टी में एक से एक लौंडियां जुटी थीं, पर मेरी सैटिंग अपने घर के अलावा कोई दूसरी से नहीं थी.
इसलिए आज की रात अपनी सैटिंगों से ही रंगीन हो जाएगा, ये सोच कर मेरा मन खुश हो रहा था.
पार्टी में डिनर के बाद बुआ ने सभी बच्चों के लिए पुराने मकान में सोने के लिए व्यवस्था कर दी थी.
बाकी लोगों को नए मकान में सोने की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई थी.
मुन्ना भाई नए मकान में रह गया था.
हम सब अब सिर्फ़ चुदाई करने के ख्याल वाले ही रहे थे, लेकिन संख्या ज्यादा देख कर मेरा दिल बैठने लगा था कि चुदाई समारोह कैसे होगा.
खैर … हम लोगों का रुख पुराने मकान की तरफ़ हुआ. दोनों मकानों के बीच लकड़ी का बड़ा दरवाजा था, अन्दर जाते समय उसे बंद कर दिया, जो नए मकान से पुराने मकान को अलग करता था. दरवाजा बंद हो गया था … अब न कोई उधर से आ सकता … और न ही इधर से कोई जा सकता था.
मैंने और रीना दीदी ने सभी युवाओं को नियत स्थान पर सोने की व्यवस्था उपलब्ध कराई.
सोने की व्यवस्था उपलब्ध कराने के बाद हम पांचों, जिनमें दीपक और उसकी दोनों बहनें व मैं और अनु दीदी थे, ने अन्दर के एक कमरे में डेरा डाल दरवाजा बंद कर दिया.
फिर रंजू को नए मकान में माहौल की खोज खबर ले करके आने को बोला गया.
दीपक भाई अनु को देखते ही पहली नज़र से फिदा हुए पड़े थे. उसके साथ सेल्फी पोज दिए जा रहे थे.
रीना दीदी के घाघरा चोली के साथ मैंने भी कुछ सेल्फी क्लिक किए.
हम पांचों गर्म हुए पड़े थे. सभी सेल्फी पोज लेने में लगे थे. कोई कमर पर हाथ लपेटे हुए, कोई सीने पर सिर रख कर, कोई गोद में बैठकर गलबहियां डाले, कोई किस करते हुए, कोई दोनों जोबनों को पकड़ कर प्रेमी प्रेमिका की तरह फोटो खींच रहे थे.
दीपक ने तो उस वक्त एक पोज में हद ही कर दी थी, जब उसने अनु दीदी और रीना दीदी दोनों को अपनी जांघों पर बैठा कर सेल्फी क्लिक किया.
अनु दीदी किसी अप्सरा सी लगती थीं, सुंदरता में रंजू और रीना दीदी भी कम नहीं थीं. दीपू भाई बग़ल से बार बार अनु दीदी की चूचियों को छूने की असफल कोशिश कर रहे थे.
उसकी ये हरकत देख कर रीना दीदी हंस पड़ी थीं.
तभी रंजू खबर लेकर आई कि फूफा जी की मजलिस में शामिल सभी लेडी और जेंटलमैन गेम खेलने में लगे हैं.
मैंने रंजू को पकड़ कुछ सेल्फी क्लिक किए. उसकी 34 नाप की चुचियों की नोंके उसके टॉप में से ऐसी उठी हुई लग रही थीं, जैसे टॉप कप फाड़ कर उसमें छेद ही कर देंगी.
उसकी बड़े से चूतड़ जींस फाड़ कर बाहर निकल आने को बेताब दिख रहे थे.
मैंने बिना किसी हिचक के उसे भींच कर पकड़ लिया और बांहों में भर कर उसके नरम और सुर्ख लाल होंठों को चूसने लगा.
मुझे उसकी दोनों चूचियों के कठोर स्पर्श सीने में महसूस हो रहे थे.
कमरे में पुराने दो तख्त पर बिस्तर पड़े थे. मैंने एक पर रंजू को पकड़ कर गिरा दिया और खुद भी उसके ऊपर गिर गया.
यह अजीब हरक़त देख अनु दीदी ने मुझ पर आंखें तरेर दीं.
यूं भाई बहन को लिपटते देख अनु दीदी कमरे का खुला दरवाजा बंद कर अधिकार जताने जैसे भाव में हमारे बगल में बैठ गईं.
दोनों बहनों को मैं पहले चोद चुका था. ये बात अनु दीदी को अभी तक नहीं मालूम थी. इसलिए उनकी मनोदशा को भांपते हुए मैंने उन्हें गोद में खींच कर बताया कि ये दोनों मुझसे चुदाई करा चुकी हैं.
मैंने अनु दीदी को बांहों में भर कर चूम लिया. किसी मादक हसीना की तरह उन्होंने खुद को हमारे हवाले कर दिया था.
बगल में औंधे मुँह गिरी रंजू से मैंने धीरे से कहा- लो तुम अनु दीदी को नंगी कर दो.
लेकिन उसको इस काम में मानो लेने के देने पड़ रहे थे. वो अनु दीदी को नंगी न कर सकी. अनु दीदी की ताकत के आगे रंजू पिलपिली पड़ गई थी.
इधर मैंने रंजू के दोनों 34 साइज के चुचों को पकड़ा और उन्हें मसलता और होंठों को चबाता रहा.
रंजू किसी पुरुष की तरह अनु दीदी पर सवार होकर अब चुम्बन चाटन करने लगी.
बलिष्ठ शरीर की अनु दीदी ने रंजू के साथ मुझे भी बिल्कुल नंगा कर दिया.
रंजू का दूधिया जिस्म कमरे की रोशनी में किसी संगमरमर की तरह चमक रहा था.
नंगी होने के बाद रंजू, अनु दीदी के गाउन के नीचे मुँह डाल उनकी चुत को नंगी करने की असफल कोशिश कर रही थी.
दीपक अनु दीदी को चोदना चाहता था, इसलिए मैंने दीपक को अनु दीदी की च़ुदाई का इशारा कर दिया. तथा दीपू के साथ चिपक कर फोरप्ले करती रीना को पकड़ कर मैं बिस्तर पर खींच लाया और धीरे धीरे मैं रीना दीदी को चूमते चूसते, उनके एक एक कपड़े को उनके मदमस्त जिस्म से अलग करता रहा.
रीना दीदी तीखे नैन-नक्श वाली एक पुरानी संस्कृति की शर्मीली लड़की थीं. उनकी झील जैसी गहरी आंखें, सुराहीदार गर्दन और दो रसीले नर्म 34 साइज़ के चूचे जबरदस्त थे. चूचों के नीचे उनकी पतली कमर और उसके नीचे गोल गोल मांसल चूतड़ों के साथ उनकी 34-30-36 की काया ने कमरे में वासना के उफनते दरिया को और अधिक आंदोलित कर दिया था.
रीना दीदी ने मेरे भ़ी बचे हुए कपड़े निकाल दिए थे और वो खुद मेरे लंड से खेल रही थीं.
अनु दीदी ने रंजू की हसीन काया को मादरजात नंगी कर दिया था. रंजू की 19 साल की कमसिन जवानी कमरे में दमक रही थी. उसकी बड़ी बड़ी आंखें, दूध भरे कटोरे जैसी दो चुचियां, उन चूचों के नीचे रंजू की गहरी नाभि देख कर वो मुझे काम की देवी लग रही थी.
कमरे में तख्त पर रीना दीदी, दीपक रंजू और हम चारों नंगे बदन हो गए थे. सिर्फ़ अनु दीदी ने अपना गाउन पहना हुआ था. उनके गाउन को रंजू नहीं निकाल पा रही थी.
अब दीपक ने अनु दीदी को तख्त से नीचे उतार कर उनकी गांड में उंगली डाल दी. दीदी ने इस हमले से बचने के लिए अपने चूतड़ों को उचकाया.
उतने में रंजू ने अनु दीदी के गाउन को खींच कर निकाला और दूर फेंक दिया.
इस कारण से अनु दीदी हम सबके सामने सिर्फ़ अपनी मस्त ब्रा और पैंटी में रह गई थीं.
एक बहुत सुंदर नेट की ब्रा में कैद दीदी के गोल गोल मांसल सफ़ेद चूचे और उनके नीचे केले के तने जैसी चिकनी मोटी मोटी जांघों के ऊपर कसी हुई पैंटी में भी खूब लेस लगी हुई थी. नेट की ब्रा में से दीदी की चूचियों के आधे से अधिक दर्शन भी हो रहे थे.
मेरी आंखें दीदी के नग्न पेट और उनकी दिलकश नाभि पर जा टिकी थीं. दीदी की पैंटी इतनी टाइट थी कि मुझे उनके पैरों के बीच उनकी चूत की दरार साफ़-साफ झलक रही थी.
अनु दीदी को देखते-देखते मेरा लौड़ा फुंफकारने लगा और उसमें से लार निकलने लगी.
कमरे में जवान जिस्मों की चुदाई पार्टी अपने पूरे शवाब पर थी, जहां उन्नीस साल की रंजू, बाईस साल की अनु दीदी और रीना दीदी तीन परियां नंगी चुदवाने को राज़ी थीं. लेकिन उम्र के हिसाब से दोनों बहनों से अनु दीदी बहुत ज्यादा सेक्सी और मांसल माल लग रही थीं.
दीपक ने अनु दीदी के साथ मस्ती में उनकी ब्रा-पैंटी के साथ-साथ अपना अंडरवियर भी उतार दिया.
मैंने दीदी की गीली पैंटी को उठा लिया और उसे उल्टा किया, तो देखा कि जहां पर दीदी की चूत का छेद था … वहां पर सफ़ेद मलाई सा चूत का पानी लगा हुआ था.
दीदी की पैंटी को अपनी नाक के पास ले जाकर उस जगह को सूंघा, तो नशा सा छा गया. अनु दीदी की चुत के पानी की महक मेरे नाक में से मेरे फेफड़ों तक जा रही थी और उस मदमस्त महक से मैं पागल हुआ जा रहा था.
दोस्तो, पारवारिक रिश्तों में चुदाई की कहानी में फिलहाल विराम ले रहा हूँ. लेकिन इस जबरदस्त कजिन सेक्स कहानी के अगले भाग में और भी मजा आने वाला है. आप अन्तर्वासना की हिंदी देसी सेक्स कहानी की इस साईट से जुड़े रहिये और मुझे मेल जरूर कीजिएगा.
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कजिन सेक्स कहानी का अगला भाग: मौसेरे, फुफेरे भाई बहनों की खुली चुदाई- 2