टाइट चूत की चुदाई कहानी मेरे दोस्त की मौसी की कसी चूत की बड़े लंड से चुदाई की है. मैंने दोस्त के घर में पूरी रात उसे चोद चोद कर तृप्त कर दिया.
दोस्तो, मैं आपका साथी हर्षद मोटे, एक बार फिर से आपको सेक्स कहानी की दुनिया में सैर कराने हाजिर हूँ.
कहानी के पिछले भाग
दोस्त की मौसी की चूत की आग
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं देविका की चूत में लंड पेलने की तैयारी कर रहा था.
अब आगे टाइट चूत की चुदाई कहानी:
मैं अपना लंड का सुपारा उसकी चूत के मुँह पर रखकर दबाने लगा तो लंड ऊपर की तरफ फिसल गया.
लंड का सुपारा देविका की चूत के ऊपर के लाल दाने पर रगड़ खाने लगा तो देविका फिर से सीत्कारने लगी.
उसकी कामवासना और भड़क उठी थी.
मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत पर रखकर धक्का मारा तो इस बार वो नीचे की तरफ फिसल गया.
मेरे लंड का गीला सुपारा उसकी गांड की छेद को रगड़ने लगा था.
इससे देविका कसमसाने लगी. बहुत सालों की अनछुई चूत सिकुड़ गयी थी.
मैंने अब एक तकिया लेकर देविका के गांड के नीचे रख दिया. अब टाइट चूत का छेद और गांड का छेद भी ऊपर उठकर फैल गया था.
मैंने देविका की चूत पर अपने मुँह से ढेर सारा थूक दिया और अपने लंड के सुपारे से थूक मलकर लबालब कर दिया.
इसी के साथ मैंने एक जोर का धक्का मार दिया.
इस जोरदार धक्के से मेरा लंड चूत फाड़कर आधा अन्दर घुस गया था.
देविका इस धक्के को सह ना सकी और जोर से चिल्लाने को हुई तभी मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
देविका रो रही थी. उसकी चूत से खून बह रहा था.
उसकी आवाजें मुँह के अन्दर ही दब गयी थीं और वो बिन पानी मछली की तरह तड़प रही थी.
थोड़ी देर मैं ऐसे ही उसके होंठों को चूसता रहा.
कुछ देर बाद देविका ने सामान्य होकर अपने हाथ से चूत को सहलाया और हाथ देखने लगी.
उसके हाथ में खून लग गया था.
खून देख कर देविका बोली- बहुत बेरहम हो तुम हर्षद. इतने जोर से भी कोई डालता है क्या?
मैंने उसके आंसू पौंछते हुए कहा- देखो देविका, मैंने तुम्हें पहले ही बताया था कि तुम्हें दर्द सहना पड़ेगा. लेकिन अब कैसा लग रहा है?
देविका बोली- बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन तुम्हारा मूसल जैसा लंड चूत में लेकर बड़ा अच्छा लग रहा. कितना फिट बैठा है मेरी चूत में … बिल्कुल भी हिल नहीं रहा है.
अब मैं देविका के स्तन चूसने लगा और देविका अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ, कमर और गांड को सहलाने लगी.
मैं बारी बारी से दोनों स्तनों को चूस रहा था.
उसी समय मेरी नजर खिड़की पर पड़ी.
खिड़की खुली थी और सरिता भाभी हमें देख रही थी.
हम दोनों की नजरें मिलते ही उसने खिड़की बंद कर दी.
मैं देविका के स्तन चूसकर उसे मदहोश कर रहा था.
देविका मदहोश होकर अपने हाथों से मेरा सर सहला रही थी और नीचे से अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी.
मैं भी आहिस्ता आहिस्ता अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा था.
चूत पूरी तरह से गीली हुई थी. मेरा लंड भी आधा गीला हो गया था.
मैं आधा लंड ही अन्दर बाहर कर रहा था. देविका भी नीचे से गांड उठा उठाकर लंड अन्दर लेने की कोशिश करने लगी.
दस मिनट ऐसे ही करने के बाद मैं अपनी गति और लंड का दबाव भी बढ़ाने लगा तो और दो इंच लंड टाइट चूत में घुस चुका था.
देविका की चूत की दीवारों से लंड का घर्षण होने की वजह से, वो कामवासना से मदहोश होकर जोर से कामुक सिसकारियां लेने लगी.
उसका पूरा बदन अकड़ने लगा.
देविका ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और कसके बांहों में लेकर झड़ने लगी.
उसकी चूत का गर्म गर्म चुतरस मेरे लंड को नहला रहा था.
मेरे सुपारे में गुदगुदी हो रही थी. मैं अपना सर देविका के कंधे पर रख कर लेटा रहा.
देविका निढाल होकर लेटी थी.
कुछ मिनट तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे थे.
फिर मैंने देविका के होंठों पर अपनी जीभ फिरायी.
देविका ने अपनी आंखें खोलीं और मेरी जीभ को चूसने लगी.
वह पूछने लगी- हर्षद क्या तुम्हारा पूरा लंड मेरी चूत में ही है, या अभी कुछ और बाकी है?
मैंने कहा- हां, अभी ये दो इंच बाहर है.
देविका हैरानी से बोली- क्या? हे भगवान कितना लंबा लंड है तुम्हारा हर्षद!
मैंने कहा- करीब नौ इंच का है.
देविका ने नीचे हाथ डालकर मेरे लंड को टटोलकर देखा, तो बोली- सचमुच दो इंच बाकी है हर्षद.
ये कहती हुई वो मेरी पीठ को सहलाने लगी और नीचे से अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी.
मैं अपने दोनों हाथों में देविका के दोनों स्तन पकड़ कर लंड अन्दर बाहर करने लगा.
इससे उसका चुतरस बाहर आकर टपकने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने गति बढ़ाई और तेजी से अपना लंड सुपारे तक बाहर निकाल कर तेजी से धक्के देकर चूत की दीवारें चीरकर देविका की गहराई में उतारने लगा.
लंड और चूत कामरस से लबालब होने के कारण पच पच पचाक पचक पच् फच् पचक की मादक आवाजें निकल रही थीं.
पूरा माहौल कामवासना से भरा था. हम दोनों भी कामवासना में डूबने लगे थे.
देविका के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं- उफ्फ उई उई ऊह हा हा स् स् स्ह स्ह!
मैं और जोश में आकर लगातार धक्के देते हुए अपने मोटे लंड से उसकी चूत का भोसड़ा बना रहा था.
हर धक्के के साथ देविका का सर ऊपर नीचे हो रहा था, साथ में उसके स्तन भी झूल रहे थे.
बीस मिनट की धुंआधार चुदाई के बाद हम दोनों भी कामवासना की चरमसीमा के नजदीक पहुंच गए थे.
मैंने कुछ तगड़े धक्के और मारे और देविका सीत्कारने लगी.
उसने मुझे अपने ऊपर जकड़ कर कस सा लिया और अपने पैरों से मेरी गांड को जकड़ लिया.
अब वो झड़कर अपने गर्म कामरस से मेरे लंड को नहलाने लगी.
मुझसे चुतरस की गर्मी सहन ना हो सकी और मेरे लंड ने भी वीर्य की पिचकारियां उसकी चूत की गहराई में मारना शुरू कर दिया.
मैंने उसकी पूरी चूत वीर्य से भर दी.
हम दोनों निढाल होकर एक दूसरे की बांहों में बंधे पड़े रहे.
मैंने अपना सर उसके कंधे पर रख दिया.
हम दोनों काफी थक चुके थे.
देविका अपने पैरों से मेरी गांड पर अभी भी दबाव बनाए हुई थी.
उसके मुँह से गर्म सिसकारियां निकल रही थीं.
चूत रस निकलने के कुछ पल बाद उसने मेरे पीठ पर अपनी उंगलियां धंसा कर कस लिया था.
उसके नाखून मेरे पीठ में गड़ चुके थे.
लेकिन हम दोनों इतने मदहोश हो गए थे कि कुछ पता ही नहीं चला.
कुछ मिनट हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे इसके बाद मैंने अपना सर उठाकर देविका के गुलाबी होंठों से लगा दिया और उसको चूमने लगा.
देविका ने अपनी आंखें खोल दीं.
उसकी आंखों में संतुष्टि की चमक दिखने लगी थी. पूरे चेहरे पर अजीब सी चमक भी दिखाई देने लगी थी.
देविका मुस्कुराकर बोली- हर्षद, आज मैं बहुत खुश हूँ. बरसों से प्यासी मेरी चूत की और मेरे बदन की आग तुमने बुझा दी.
मैं उसे चूम कर प्यार करने लगा.
उसने अपने पैरों की गिरफ्त से मुझे आजाद कर दिया और अपने पैर सीधे कर दिए.
वो अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ, कमर और गांड को सहलाने लगी.
मैं भी उठकर घुटनों के बल बैठ गया.
उसकी दोनों चुचियां मसलने लगा तो देविका बोली- आंह हर्षद बहुत दर्द हो रहा है. नीचे चूत में भी बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- ये तो होना ही था देविका.
मैं उसके ऊपर से हट कर बाजू में लेट गया.
मेरा आधा मुरझाया लंड बाहर आ जाने की वजह से उसकी चूत से पूरा कामरस बाहर तकिया पर से बहता हुआ बेडशीट पर फैल रहा था.
अब देविका उठकर बैठ गयी.
देविका सबकुछ देखकर बोली- हर्षद, कितना सारा कामरस बह रहा है और खून भी कितना बह रहा है. मैं तो पहली बार ऐसा नजारा देख रही हूँ.
देविका ने एक कपड़े से अपनी चूत साफ कर दी, तकिया और बेडशीट को भी साफ कर दिया.
अब वो बेड के नीचे उतर गयी, उसे चलने में दिक्कत हो रही थी.
उसकी चूत सूज गयी थी. चूत फटने की वजह से उसे लंगड़ा कर चलना पड़ रहा था.
मैं बेड पर एक किनारे बैठा था.
देविका मेरे पास खड़े होकर मेरे अधमुरझाए और वीर्य से लबालब लंड को देख रही थी.
तभी देविका ने झुककर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
उसे मेरे लंड का वीर्य पीना था.
मुझे बहुत मजा आ रहा था. मेरे लंड का दर्द चूसने से मुझे हल्का भी लग रहा था.
मैंने अपने दोनों हाथों से देविका का सर पकड़ लिया और आगे पीछे करने लगा.
देविका भी मन लगाकर लंड चूसकर एक एक बूंद निचोड़कर पी रही थी.
हम दोनों मस्त हो गए थे.
फिर देविका उठकर खड़ी हो गयी और मुझे चूमकर बोली- हर्षद, बहुत ही स्वादभरा अमृत है तुम्हारा. मैंने आज पहली बार किसी मर्द का लंड चूसा है कितना जानदार और शानदार लंड है तुम्हारा.
अब रात के साढ़े बारह बज चुके थे.
देविका बोली- तुम आराम करो हर्षद, मैं वाशरूम होकर आती हूँ.
वो लंगड़ाती हुई चली गयी.
मैं सीधे पीठ के बल लेट गया और हाथ, पैर लंबे करके सो गया.
मेरी आंखों पर नींद हावी थी, तो मेरी आंख लग चुकी थी.
जब मेरी नींद खुली तब दो बज चुके थे.
देविका अपना सर मेरे सीने पर रखकर एक हाथ से मेरे लंड के साथ खेल रही थी.
मैं सोने का नाटक करता हुआ सब देख रहा था. मुझे बहुत मस्त लग रहा था.
देविका अपने नाजुक हाथों से मेरा लंड ऊपर नीचे कर रही थी; उसकी चुचियां मेरे सीने पर रगड़ खा रही थीं.
कुछ देर बाद देविका ने अपना ढेर सारा थूक मेरे लंड पर लगाकर उसे लबालब कर दिया, मेरे लंड का सुपारा चिकना बना दिया.
इस सबसे मेरा लंड पूरा खड़ा होकर छत की तरफ देखने लगा था.
अब लंड देविका के हाथों में नहीं आ पा रहा था. वो पूरा साढ़े तीन इंच मोटा हो गया था.
देविका बहुत मदहोश हो चुकी थी. अब वो अपने घुटनों के बल मेरे ऊपर बैठ गयी. एक हाथ में मेरा लंड पकड़ कर उसने अपनी फूली हुई चूत पर रख दिया.
फिर जोर से मेरे लंड पर दबाव बढ़ाने लगी.
लंड का सुपारा गीला और चिकना होने के कारण गीली चूत में झट से घुस गया.
मेरा सुपारे में थोड़ा दर्द था, तो मैं कराह उठा.
‘ओह देविका … दर्द हो रहा है जान.’
वो भी आह आह कर रही थी.
मैंने देविका की दोनों चूचियां अपने हाथों में ले लीं और उन्हें मसलने लगा.
देविका भी मेरे ऊपर झुककर मेरे होंठों को चूसने लगी.
देविका बोली- हर्षद, मेरी चूत में भी दर्द है … लेकिन क्या करूं … तुम्हारा लंड देखते ही मेरी चूत मचलने लगती है और अन्दर लेना चाहती है. अभी तक मेरा दिल भरा ही नहीं है.
अब मैं भी कामुक हो रहा था और नीचे से लंड चूत में डालने लगा था.
देविका फिर से घुटनों के बल बैठकर अपनी गांड ऊपर नीचे करके मेरा साथ देने लगी.
धकापेल चुदाई शुरू हो गई. कुछ मिनट के बाद देविका ने पूरा लंड अपनी चूत में खा लिया था.
जैसे ही मेरे लंड का सुपारा देविका की चूत के अन्दर गर्भाशय के मुखपर दस्तक देने लगा, तो देविका कामवासना में डूब गई. उसका पूरा शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गयी.
झड़ने के बाद वो मेरे ऊपर लेट गयी. उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया. वो जोर जोर से गर्म सिसकारियां ले रही थी.
मैंने उसे अपनी बांहों में कस लिया और हम दोनों ऐसे ही कुछ मिनट लेटे रहे.
बाद में मेरा लंड फड़फड़ाने लगा तो मैंने देविका को अपने नीचे ले लिया.
मैंने पन्द्रह मिनट तक धुंआधार चुदाई की और उसके साथ ही हम दोनों एक साथ में झड़ गए.
अब रात के दो बजे थे.
हम एक दूसरे की बांहों में लेट गए.
इसी तरह से मैंने देविका को पूरी रात में चार बार अलग अलग पोजीशन में चोदकर उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया था.
सुबह छह बजे हम दोनों थककर एक दूसरे की बांहों में सो गए.
सुबह आठ बजे सरिता हमें जगाने आयी. हम दोनों नंगे ही एक दूसरे की बांहों में सो रहे थे.
सरिता ने देविका को हिलाया और बोली- मौसी उठो. अब आठ बज चुके हैं. अगर कोई ऊपर आ गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे.
जैसे ही देविका उठी, मेरा लंड चूत से बाहर निकल आया.
मैंने आंखें खोलकर देखा, तो सरिता मेरी तरफ मुस्कुराकर देख रही थी.
उसकी नजर वीर्य से लबालब मेरे लंड पर थी.
देविका बेड से नीचे उतर गयी और अपनी पैंटी पहनने लगी.
वो कराहने लगी तो सरिता ने पूछा- क्या हुआ मौसी?
तो मौसी ने कहा- क्या कहूँ सरिता, मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है और चूत भी फट गयी है. चलने में बहुत मुश्किल हो रही है.
सरिता ने कहा- चिंता मत करो मौसी, मेरे पास दवा है. चलो मैं आपको दे देती हूँ. दो घंटे में आराम मिल जाएगा.
अब सरिता मुझसे बोली- देवर जी उठो और लुंगी पहन लो. मैं ये गंदी हुई बेडशीट और तकिया का कवर बदल देती हूँ, फिर सो जाना.
वो दोनों नीचे चली गईं और मैं सो गया.
नौ बजे सरिता मुझे जगाने ऊपर आयी तो मैंने उसे खींचकर अपने ऊपर ले लिया और चूमने लगा.
उसने मुझे रोककर कहा- बहुत गंदे हो तुम. नहाये भी नहीं और चूमने लगे. रात भर मौसी को चोदकर दिल नहीं भरा क्या? बेचारी की चूत भी फाड़ दी. अब उठो, नहाकर नीचे आओ हर्षद. मैं नाश्ता बनाती हूँ. आज आप लोग जा रहे हैं ना!
मैंने कहा- हां.
“तो छोड़ो मुझे अब मैं नीचे जाती हूँ. मुझे बहुत काम है.”
वो मुझे धकेलती हुई हट कर चली गई.
मैं भी उठकर नहाने चला गया.
थोड़ी देर में मैं तैयार होकर नीचे चला गया.
विलास सुबह ही साढ़े सात बजे अपनी ड्यूटी पर निकल गया था.
सभी लोग नाश्ते के लिए टेबल पर बैठे थे. मैं भी जाकर पिताजी के साथ में बैठ गया.
हम सब साथ में बातें करते हुए नाश्ता कर रहे थे.
देविका भी मेरे पास आकर बैठकर नाश्ता करने लगी थी.
उसके चेहरे पर अलग सी खुशी दिखायी दे रही थी, उसका चेहरा खिल उठा था.
हम दोनों एक दूसरे की तरफ चोरी छुपे देख रहे थे.
मैं अपने एक पैर से देविका के पैर को सहलाने लगा. देविका का चेहरा लाल हो उठा. वो मेरी तरफ मुस्कुराकर देखने लगी.
मैंने उसे आंख मार दी. अब देविका भी मेरे पैरों को सहलाने लगी. मैंने अपने पैर से उसकी साड़ी घुटनों तक खींच ली.
देविका शर्म के मारे लाल हो रही थी.
इतने में हमारा नाश्ता खत्म हो गया.
सरिता भाभी ने सब प्लेट समेट लीं और चाय लाने अन्दर चली गयी.
देविका भी उसे मदद करने चली गयी.
थोड़ी ही देर में दोनों चाय लेकर आ गईं.
सबको चाय देकर देविका ने मुझे भी चाय दी और खुद लेकर मेरे पास बैठ गयी.
मेरे पास आज का दिन शेष रह गया था और अभी भी देविका मौसी की चूत से मेरा मन नहीं भरा था.
आगे मैंने उसको किस तरह चोदा, वो आपको इस मादक टाइट चूत की चुदाई कहानी के अगले भाग में लिखूँगा. आप मुझे मेल करना न भूलें.
[email protected]
टाइट चूत की चुदाई कहानी का अगला भाग: मौसी की चूत में घुसा मेरा लंड- 3